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बढ़ती आबादी छीन रही है,गांवों की सुख सुविधा को।रोक सको रोक लो अभी ,गांवों की इस दुविधा को।।जहां फसल लहलहाती खड़ी रहती,उनको उजाड़ा जा रहा है।जहां शुद्ध अन्न जल मिलता था,उसे दूषित बनाया जा रहा है।।धीरे

(यह रचना भारत में बसने वाले उन लोगों की हालत का साक्षात बयान करती है जो अपनी जिंदगी का विनाश अपनी आंखों के सामने होते हुए देखते है। इसके अलावा गांव के गंदे बच्चों की संगति जो उसे सदा के लिए बर्बाद करक

जिंदगी चलती है एक सर्कस की तरह।कभी खुशी कभी गम धूप छांव की तरह।जिंदगी कभी तमाशा बनकर रह जाती है।लोगों को अनोखे खेल दिखाती है।।बचपन में जब इससे खेलना चाहते हैं सभी।बचपन से निकलकर पढ़ाई की राह आ पड़ी।आत

प्रेम तब ही गहरा होता है जब विरह होता है।सभी प्रेम की ही बातें लिखते है जरा सोचे विरह के बाद जो मिलन होता है उसमे प्रेम रिश्तों की जड़ों तक समा जाता है ।एक कहानी के रूप मे आओ समझे।नंदिनी मां बाप की इक

गांव की सुन्दर बालिका प्यारा-सा नाम सारिका, ये कविता उसकी कहानी हैजो मुझे आपको सुनानी है,कहानी का पहला चरण है सूरज और उमा का आँगन है,एक कमरे में प्रसव-पीड़ा से उमा आज बेचैन सी है,आँ

मुद्दतों बाद भैया और दिव्या संग मुस्कुरा रही थी,अरसों बाद आज सुरीली आज मायके जा रही थी | सुरीली की सवारी गांव के बहुत पास आ गई थी,पर आज सुरीली गांव पहचान ना पा रही थी | जंगलों और पर्वतों&nbs

ज्यों-ज्यों सुरीली की मंज़िल करीब आ रही थी, त्यों-त्यों सुरीली की धड़कन बढ़ती जा रही थी | आठ बरस बाद वो अपने घर को देख रही आज, जिसे उसके पति ने बनाया था मसक्क्तों के बाद | दिव्या हौले से अपनी द

बात बहुत पुरानी है ।शायद किंवदंती है ।पर पता नही क्यों जब भी कोई मुंहबोली बहन के विषय मे बात आती है तो जेहन मे नरसिंह का भात आ जाता है ।आज के विषय पर ये कहानी बिल्कुल सटीक है नानही बाई के कोई भाई

आतंक केवल आतंकवादी से नही होता।शगुन ने आतंक प्रत्यक्ष देखा है।वह आतंक के साये मे जी है।शगुन अपने माँ बाप की इकलौती संतान थी।मुँह से बाद मे निकालती थी चीज पहले हाजिर हो जाती थी।लाड प्यार से पली-बढ़ी थी

थक जाती हैं आँखें दिखना कम हो जाता है झुक जाती है कमर चलना मुश्किल हो जाता है देता कानों से कम सुनाई आवाज उलझने लगती है काँपने लगते हाथ गर्दन हिलने लगती है शरीर

आज ही सुमी को मां का फोन आया गांव से कुन्ती चाची की तबीयत बहुत खराब है।सुमी के पति ने उसे फटाफट ट्रेन मे तत्काल की टिकट करा कर बैठा दिया और ये कहा कि अगर टीटी कुछ कहे तो कुछ पैसे देकर अपना पीछा छुड़ा

वो लड़का टैक्सी में बैठते ही ड्राइवर से बोला -भैया आप Mahabodhi  Mahavidyalaya (B.Ed.), Nalanda   ले चलिए । जल्दी लेट हो रहे है हम । यह कहकर वह सौम्या की तरफ उससे पूछने के लिए

सौम्या जल्दी से घर से निकली और जल्दी जल्दी चलने लगी । वो मन में सोच रही थी कि पता नहीं , आज अचानक से   ये लोग 🙄 मेरे लिए लड़का देखने की बात क्यों करने लगये ।उफ्फ क्या सियाप्पा है ये 🙄

  3 साल बाद      सुबह 9:30 amअक्षरा जी - बेटा जाओं जल्दी । बस छूट जायेगी तुम्हारी । वो अपने प्यारी सी बच्ची को बोल रही थी (अक्षरा जी सौम्या की माँ है । जिनकी जान बसती है अपनी सोमू

शशांक अभी भी सौम्या का हाथ  अपने हाथ में लिये हुए था ...और सौम्या ने भी शशांक के हाथों को टाइटली पकड़ा हुआ था .... वो उसके हाथ छोड़ना नहीं चाहती थी .. क्योंकि अभी भी उसे डर लग रहा था (ꏿ﹏ꏿ;) .कि क

                            ।।     जय श्री राम ।। आज का दौर इंटरनेट का दौर है हम सब को ये बात पता है ... आज   में आप से लोगो के गरीबी के नजरिए से जोड़ी सच्ची घटना पर बात करना चाहता हूं।  एक ias

 शशांक -धीरे से हेलो गाइस हम सब आ गए हैं . . . और यह कह कर वो मुस्कुरा देता है😊इस समय सच में शशांक बहुत खुश नजर आ रहा था शायद यह जगह उसे बहुत अच्छी लग रही थी या फिर कोई और बात थी ...🤔आदित्य -आश

मेरी  उम्मीद हो आप ...मेरी हर चीज हो आप ...आपको क्या बताऊं मै ...क्या चीज हो आप ...दुनिया सूना - सा लगने लगता है ...  जब आपको कुछ हो जाता है  तो ...आपका ख़्याल कर के जीती हूँ ...आप

वृंदा का संम्बाद सुनकर जन समुदाय की आँखे नम हो गई।गुरुजी ने कहा, वृंदा की भावनाओं का सम्मान करता हूँ।भारत में अनमोल धरोहर लक्ष्मी बाई,अब वृंदा भी हैं।मैं वृंदा और ख्याति के माता-पिता को धन्य समझता हूँ

काम क्रोध और लोभ  मैं तज कर जा सकता हूं लेकिन चाहूं भी तो मैं मेरे दोस्त तुझे कैसे भुला सकता हूं तेरा साथ भी तो एक बंधन है बता भला मैं क्या तज तुझे अकेला मुक्ति पा सकता हूं तेरे भरोसे छोड़ गया

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