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परिवार

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यूँ तो निशा मन वचन और कर्म की पूजा में ही विश्वास करती थी।।पर भगवान की भक्ति भी में भी उसकी विशेष रू

कितने खुशनसीब होते हैं।
जिनके परिवार होते है

भाग–1



सन् 1870………….
भारत में ब्रिटिश राज का समय…………..

आज फिर से विशाल को वहीं सपना दिखाई दिया जिसमें वो एक लड़की के साथ खड़ा था और वो लड़की उसे बहुत प्यार

खुशियों का ठिकाना जो करोगे तलाश

कहा तुम तलाश पाओगे

मन से को करो अहसास

अपने आ

पूछता सवाल समाज से एक मैं, बनाई तूने ये कैसी रीति है।
भरती सबका पेट जो, उसके प्रवेश प

भाग–3


शाम को मौका मिलते ही दिशा की बुआ ने उस लड़के से बात चलाने के लिए उसके पापा क

जून की तपती दोपहरी में श्यामा अपने घर लंच लेने आया करती थी। वैसे तो श्यामा दफ्तर में ही लंच करती थी।

दादाजी ने हाथ पकड़कर 

चलना मुझे सिखाया था

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आइए पढ़ते है गाथा विनय शर्मा की।

विनय शर्मा जिसके बारे में कहा जाता था कि स्वयं सरस्वती माता उसके

    पूरे आठ साल बाद लौटा था वह, वापस अपने शहर, अपने देश में! फिर से उन्हीं हवाओं उन्ह

"वसुधैव कुटुंबकम "की परम्परा को चलाने की इच्छा रखने वाली मीरा की सोच

काव्या के मन में" मेरा घर "को लेकर कई विचार आ जा रहे थे। किसको "अपना

हीर तेज कदमों से अम्बिका के पास आई और बोली मैम आपको एक जरूरी बात बतान

बात उन दिनों की है ज़ब अलका कॉलेज में बीएससी फाइनल ईयर की स्टूडेंट थी।

कृष्णा और कावेरी बचपन से ही साथ साथ खेले पढ़े और बड़े हुए थे। दोनों के





बात यहां  से शुरू होती है एक ब

भाग–2



दिशा जब दस साल की थी तभी सभी को एहसास हो गया था कि अब दिशा क

कौन कहता है कि कोई फ़कीर होता है।

दिल-ए-मोहब्बत में वो अमीर होता

भाग–1

"दिशा जल्दी से तैयार हो जाओ, लड़के वाले बस आते ही होंगे", दिशा की मम्मी ने दिशा के क

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