🌹🌹❤️सम्बन्ध और सम्पर्क ❤️🌹🌹
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सम्पर्क चाहें सुन्दर हो जितने ,
सम्बन्ध सम्पर्क रहित अधूरे हैं ,
सम्पर्क प्रगाढ़ता बढ़ा देता है ,
परिप्लावित समर्पण सम्बन्ध पूरे हैं ।
सम्बन्ध प्रगाढ़ अब रहा नहीं ,
पर्याप्त समय अब पास नहीं ,
जितना भी समय हो खाली ,
मोबाइल छोड़ और आस नहीं ।
घर बाहर और कार्य स्थल में ,
बिउटी मोबाइल साथ देती हैं ,
इतने घुल मिल गए हम दोनों ,
अपनों को मात दे देती हैं ।
जब हम दोनों फुर्सत में होते ,
अविलम्ब घुल मिल जाते हैं ,
आस पास में क्या हो रहा ,
तनिक समझ नहीं आते हैं ।
हम दोनों की लव स्टोरी ,
घर में हलचल मचा दीया ,
मां पिताजी उद्विग्न होकर ,
दो बार विउटी को पटक दिया ।
हमारी सम्बन्ध विच्छेद हो ना सका,
अथक प्रयत्न बेहिसाब रहा ,
देर देर तक हर रातों में भी ,
अपनी विउटी के संग जगा रहा ।
इतने मशगूल हो गए हम दोनों ,
रिश्ते नाते सब फ़िके पड़े ,
कभी किसी की याद ना आई ,
हम दोनों अपने रंग संग में अड़े ।
रिश्ते नातों का मर्म ना जाना ,
सम्पर्क किसी से बनाया नहीं ,
मैं और मेरी विउटी मोबाइल ,
मध्य कोई भी आया नहीं ।
बदल गई विचार धारणाएं ,
उजड़ गई सुंदर फूलवारी ,
विश्वास नहीं था व्यवहार मिटेगा ,
सुनी पड़ी घर आंगन दुआरी ।
विचार धारणा में थी वहीं विउटी ,
उसके सिवा बस कुछ भी नहीं ,
कौन करेगा मुझ अभागे पे विश्वास,
यूं व्यवहार बचने का जगह नहीं ।
स्नेह श्रद्धा भरा सम्पर्क चाहिए ,
जिससे बनता है बहुमूल्य सम्बन्ध ,
आकर्षणता होती अपनापन मध्य ,
वहां भरी है घृणा का दुर्गन्ध ।
प्रेम के डोर में बंधते हैं रिश्ते ,
सम्पर्क की हवा चलनी चाहिए ,
श्रद्धा स्नेह की उचित सिंचाई ,
समय समय पर होनी चाहिए ।
आर्य मनोज , पश्चिम बंगाल २९.१०.२०२२