नियमों में बंधी प्रकृति की सुषमा जड़ नहीं है
तभी तो आकर्षक है
आवश्यकता है उसके आकर्षण को मन के नेत्रों से निहारने की
और उसकी सराहना करने की
क्योंकि प्रकृति हमें सिखाती है सकारात्मक भाव के साथ जीना
क्योंकि प्रकृति हमें सीख देती है समस्त मानवीय आदर्शों की
“कल” जो हो चुका और “कल” जो होगा
उसकी चिन्ता न करके, वर्तमान में जीने की
जीवन का समग्र रहस्य निहित है प्रकृति के दिव्य सौन्दर्य में
हम सभी प्रकृति के इस जीवन्त सौन्दर्य को सराहते हुए
इसमें खो जाएँ
और प्रसन्न रहें…