आज चाहूँ देखना
पुलवामा की घटना वास्तव में मन को क्षुब्ध करती
है… सच में बड़ा दुर्भाग्यपूर्ण हादसा हुआ है ये... और हमारे ये शहीद किसी
प्रत्यक्ष युद्ध की भेंट नहीं चढ़े हैं, आतंकवादियों ने बड़े कायरतापूर्ण तरीक़े से इन पर हमला किया है... हमारे इन वीर
शहीदों को वास्तव में गर्व के साथ शत शत नमन... ये सिर्फ अपने परिवार के ही valentine नहीं थे, पूरे देश के valentine हैं... valentine day पर हमारे इन वीर अमर valentines को याद रखना हर देशवासी
का पहला कर्त्तव्य है... समूचा देश अगर शान्ति की नींद सो पाता है और आज़ादी के साथ
अपने काम कर पाता है तो इन्हीं और इन जैसे अनेकों वीरों के कारण... धन्य हैं इनके
परिवारजन जो सब कुछ जानते हुए भी देश की सेवा के लिए इन्हें समर्पित कर देते हैं
और ये हँसते हँसते इन ख़तरनाक रास्तों पर चल पड़ते हैं... हम सभी इनके परिवारजनों के
साथ मन से उपस्थित हैं... और मन से बस यही बात निकलती है कि अब बहुत हो चुका, अब तो इन आतंकी भस्मासुरों का अन्त होना ही चाहिए…
आज
चाहूँ देखना वह नृत्य हे कमला पति
था
किया संहार भस्मासुर का जिससे जगपति ||
घोर
तप करके रिझाया शिव को था उस दुष्ट ने
और
था पाया महावरदान तब उस दुष्ट ने |
हाथ
रख देगा वो जिसके सर पे, हो जाएगा भस्म
तब
चला मदमस्त हो करने वो शिव का ही विध्वंस ||
आए
तब शंकर तुम्हारी शरण, व्याकुल हो बहुत
मोहिनी
का रूप तुमने धर लिया तब जगपति ||
नृत्य
वह भगवन तुम्हारा ताल लय परिपूर्ण था
पर
छिपा उसमें महासंहार भस्मासुर का था |
नाचता
था साथ वो मुद्राओं में मुद्रा मिला
और
यों ही नाचते निज हस्त अपने सर धरा ||
हो
गया वह भस्म, शिव का हो गया कल्याण तब
आज
फिर वैसा ही अवसर आ गया हे जगपति ||
आज
घेरा विश्व को है अनगिनत भस्मासुरों ने
नग्न
नर्तन आज कर डाला प्रलय का आसुरों ने |
जो
मिला विज्ञान बन वरदान प्रकृति से उन्हें
हैं
बनाए शस्त्र विध्वंसक प्रकृति के ही लिए ||
आज
अनगिन मोहिनी के रूप धरने हैं तुम्हें
कर
सको संहार इन असुरों का जिनसे जगपति ||