प्यार भरे कुछ दीप जलाओ
दीपमालिका का
प्रकाशमय पर्व बस आने ही वाला है... कल करवाचौथ के साथ उसका आरम्भ तो हो ही
जाएगा... यों तो श्रद्धापर्व का श्राद्ध पक्ष बीतते ही नवरात्रों के साथ त्यौहारों
की मस्ती और भागमभाग शुरू हो जाती है... तो आइये हम सभी स्नेहपगी बाती के प्रकाश
से युक्त मन के दीप प्रज्वलित करते हुए मतवाले गीतों से कण कण को पुलकित करते हुए
स्वागत करें प्रकाशोत्सव का...
माटी के ये दीप
जलाने से क्या होगा
जला सको तो
प्यार भरे कुछ दीप जलाओ |
वीराने में फूल
खिलाने से क्या होगा
खिला सको तो हर
घर में कुछ पुष्प खिलाओ ||
माटी का दीपक तो
क्षणभँगुर होता है
किन्तु प्रेम का
दीपक अजर अमर होता है |
स्नेहरहित बाती
उकसाने से क्या होगा
बढ़ा सको तो पहले
उसमें स्नेह बढ़ाओ ||
वीराने में खिला
पुष्प किसने देखा है
मन के आँगन में
हर पल मेला रहता है |
बिना खाद पौधा
लगवाने से क्या होगा
मिला सको तो
प्रेम प्रीत की खाद मिलाओ ||
टूटे तारों की
वीणा से कब निकला है
कजरी बिरहा या
फिर मेघ मल्हार निराला |
इन टूटे तारों
को छूने से क्या होगा
जुड़ा सको तो
झनकाते कुछ तार जुड़ाओ ||
किसी कथा से कोई
उपन्यास बनता है
लेकिन कौन उसे
कब पूरा सुन पाता है |
कोरा एक निबन्ध
बनाने से क्या होगा
सुना सको तो
मतवाले कुछ गीत सुनाओ ||
डॉ पूर्णिमा शर्मा