श्रावण मास के प्रमुख व्रतोत्सव
4 जुलाई से 31 अगस्त 2023
सोमवार 3 जुलाई को सायंकाल पाँच बजकर नौ मिनट के लगभग आषाढ़ पूर्णिमा – जिसे व्यास अथवा गुरु पूर्णिमा भी कहा जाता है – समाप्त होकर वृश्चिक लग्न, बालव करण और इंद्रा योग में श्रावण कृष्ण
प्रतिपदा तिथि का आगमन हो जाएगा और इसी समय से भगवान शंकर के लिए समर्पित श्रावण मास आरम्भ हो जाएगा, किन्तु सायंकाल होने के कारण मासारम्भ चार जुलाई से माना जाएगा | सूर्योदय चार जुलाई को 5:23 मिनट पर मिथुन लग्न, कौलव करण और इन्द्र योग में होगा अतः इसी समय से भारतीय कालमान के पञ्चम मास का मास का पुण्य काल होगा |
भारतीयकालमाने अयं मासः पञ्चमः |
अस्मिन् मासे भारतीयपर्वाणि अधिकानि आचर्यन्ते | श्रवणनक्षत्रसम्बद्धः अयं मासः |
श्रावण माह का वैदिक नाम नभ है तथा इसमें श्रवण और धनिष्ठा नक्षत्रों का समावेश होता है | नभ नामक वैदिक माह की शुक्ल चतुर्दशी-पूर्णिमा को श्रवण नक्षत्र का उदय होता है अतः इस माह का हिन्दी नाम श्रावण है | “नभ” शब्द से ही आभास हो जाता है इस मास में नभ की क्रियाशीलता का – मेघों की क्रीड़ाओं का – जब वह मेघ प्रियतमा से बिछड़े प्रेमी जनों का सन्देश उनकी प्रेमिकाओं तक पहुँचाते हैं...
संतप्तानां त्वमसि शरणं तत्पयोद प्रियाया:
संदेशं में हर धनपतिक्रोधविश्लेषितस्य
यह मास चातुर्मास अर्थात वर्षाकाल के चार महीनों में से एक है तथा भगवान शिव को अत्यन्त प्रिय है जिसका कारण बताया जाता है कि भगवान शिव इसी महीने में पृथ्वी पर अवतरित होकर अपनी ससुराल गए थे और वहाँ उनका स्वागत अर्घ्य और जलाभिषेक से किया गया था | माना जाता है कि प्रत्येक वर्ष इसी माह में भगवान शिव अपनी ससुराल आते हैं | पृथिवीवासियों के लिए शिव कृपा पाने का यह उत्तम समय होता है | ऐसी भी मान्यता है कि मार्कण्डेय ऋषि ने इसी मास में अपनी दीर्घायु के लिए घोर तपस्या करके भगवान शिव को प्रसन्न किया था और उस तप के फलस्वरूप जो मन्त्र शक्तियाँ उन्हें प्राप्त हुईं उनके समक्ष यमराज भी नतमस्तक हो गए थे | ऐसी भी मान्यता है कि माता पार्वती ने भगवान शिव से विवाह करने के लिए इसी मास में तपस्या आरम्भ की थी जिससे प्रभावित होकर भगवान शिव ने उनकी इच्छा पूर्ण की थी | एक कथा के अनुसार इसी मास में भगवान शंकर ने समुद्र मन्थन से प्राप्त हलाहल को अपने कण्ठ में धारण कर लिया थे जिसके कारण उनका कंठ नीला पड़ गया था, तब उस विष के प्रभाव को समाप्त करने के लिए देवों ने उनका जल से अभिषेक किया था तथा भगवान शंकर कप चन्द्रमा को अपने मस्तक पर धारण करना पड़ा था | इसी घटना के प्रतीक स्वरूप भगवान शंकर के जलाभिषेक की प्रथा भी मानी जाती है | साथ ही चातुर्मास में भगवान विष्णु घोर निद्रा में लीन हो जाते हैं तब संसार के संचालन का भार भगवान शिव पर आ जाता है – इस कारण से भी यह मास भगवान शंकर की उपासना के लिए उत्तम मास माना जाता है |
पौराणिक मान्यताएँ जितनी भी हों, यदि व्यावहारिक दृष्टि से देखा जाए तो श्रावण मास का महत्त्व वर्षाकाल में मनाए जाने वाले उत्सवों जैसे हरियाली तीज और रक्षा बन्धन आदि के कारण और भी अधिक बढ़ जाता है | वर्षा के कारण जो स्वच्छ और ताज़ा हवा प्राप्त होती है वह समस्त प्रकृति को एक अनोखे आनन्द से भर देती है | ऐसे सुहावने मौसम में भला किसका मन होगा जो सामाजिक उत्तरदायित्वों के विषय में सोच विचार करे | स्वास्थ्य की दृष्टि से देखें तो वर्षा के कारण रोगों के संक्रमण में भी वृद्धि हो जाती है – क्योंकि यह ऋतुओं का सन्धि काल होता है | अतः इस महीने में खान पान पर नियन्त्रण रखने का सुझाव दिया जाता है |
इस वर्ष श्रावण मास में अधिक मास भी है – अर्थात प्रथम श्रावण मास का शुक्ल पक्ष और द्वितीय श्रावण का कृष्ण पक्ष अधिक मास होंगे |
अस्तु, इस मास में आने वाले सभी पर्वों की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ प्रस्तुत है मास के प्रमुख व्रतोत्सवों की सूची…
मंगलवार 4 जुलाई – श्रावण कृष्ण प्रतिपदा / श्रावण मासारम्भ
गुरुवार 6 जुलाई – श्रावण कृष्ण तृतीया / जय पार्वती व्रत सम्पन्न / पञ्चक आरम्भ अपराह्न 01:38 से – प्रायः शुभ
सोमवार 10 जुलाई – श्रावण कृष्ण अष्टमी / पञ्चक समाप्त सायं 6:59 पर
गुरुवार 13 जुलाई - श्रावण कृष्ण एकादशी / कामिका एकादशी
शुक्रवार 14 जुलाई - श्रावण कृष्ण द्वादशी / प्रदोष व्रत
रविवार 16 जुलाई – श्रावण कृष्ण चतुर्दशी / कर्क संक्रान्ति / सूर्य का कर्क में गोचर
सोमवार 17 जुलाई - श्रावण अमावस्या – अन्वाधान / दर्श अमावस्या / सोमवती अमावस्या
मंगलवार 18 जुलाई - श्रावण शुक्ल प्रतिपदा / अधिक श्रावण मास आरम्भ
शनिवार 29 जुलाई – अधिक श्रावण शुक्ल एकादशी / पद्मिनी एकादशी
मंगलवार 1 अगस्त – अधिक श्रावण पूर्णिमा / अन्वाधान
शुक्रवार 11 अगस्त – अधिक श्रावण कृष्ण एकादशी स्मार्त
शनिवार 12 अगस्त – अधिक श्रावण कृष्ण एकादशी वैष्णव / परमा एकादशी
रविवार 13 अगस्त – अधिक श्रावण कृष्ण द्वादशी / प्रदोष व्रत
मंगलवार 15 अगस्त – अधिक श्रावण कृष्ण चतुर्दशी / दर्श अमावस्या
बुधवार 16 अगस्त – अधिक श्रावण अमावस्या / अन्वाधान / अधिक मास समाप्त
गुरुवार 17 अगस्त – श्रावण शुक्ल प्रतिपदा / सूर्य का कर्क राशि में संक्रमण सूर्योदय काल में 5:08 के लगभग
शनिवार 19 अगस्त - श्रावण शुक्ल तृतीया – हरियाली तीज
सोमवार 21 अगस्त - श्रावण शुक्ल पञ्चमी – नाग पञ्चमी
मंगलवार 22 अगस्त – श्रावण शुक्ल षष्ठी / कल्कि जयन्ती
शुक्रवार 25 अगस्त – श्रावण शुक्ल नवमी / वर लक्ष्मी व्रत
रविवार 27 अगस्त – श्रावण शुक्ल एकादशी / पुत्रदा एकादशी
सोमवार 28 अगस्त – श्रावण शुक्ल द्वादशी / प्रदोष व्रत
बुधवार 30 अगस्त – श्रावण शुक्ल चतुर्दशी / श्रावण पूर्णिमा व्रत (प्रातः ग्यारह बजे से 31 अगस्त को प्रातः 7:05 तक पूर्णिमा तिथि, 30 को सायं 6:31 से रात्रि नौ बजकर एक मिनट तक विष्टि करण (भद्रा), रक्षा बन्धन मुहूर्त भद्रा मुक्त काल में रात्रि नौ बजकर एक मिनट के पश्चात) / श्रावणी / रक्षा बन्धन / नारिकेल पूर्णिमा / अन्वाधान / यजुर्वेद उपाकर्म / हयग्रीव जयन्ती
गुरुवार 31 अगस्त – श्रावण पूर्णिमा / गायत्री जयन्ती / श्रावण मास समाप्त
इस मास के व्रतोत्सव सभी के लिए मंगलमय हों और हरियाली तीज में अपनी महत्वाकांक्षाओं की पेंग
ऊँची बढ़ाते हुए परस्पर रक्षा के सूत्र में निबद्ध रहें यही कामना है...