श्री कृष्ण जन्म महोत्सव
रविवार 2 सितम्बर 2018 को स्मार्तों की श्री कृष्ण जन्माष्टमी है और सोमवार 3 सितम्बर को वैष्णवों की श्री कृष्ण जयन्ती है | उससे पूर्व कल यानी शनिवार 1 सितम्बर को भगवान श्री कृष्ण के बड़े भाई बलराम की जयन्ती है | सर्वप्रथम सभी को बलभद्र जयन्ती और श्री कृष्ण जन्म महोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएँ...
कल भाद्रपद कृष्ण षष्ठी को भगवान् श्री कृष्ण के बड़े भाई बलराम का जन्म महोत्सव मनाया जाता है और इस प्रकार श्री कृष्ण जन्म महोत्सव का भी आरम्भ हो जाता है | बलराम – जिन्हें बलभद्र और हलायुध भी कहा जाता है – भगवान विष्णु के अष्टम अवतार माने जाते हैं | इन्हें शेषनाग का अवतार भी माना जाता है | हलायुध नाम होने के कारण ही भाद्रपद कृष्ण षष्ठी को हल षष्ठी के नाम से भी जाना जाता है |
उसके बाद दो दिन भगवान् श्री कृष्ण का जन्म महोत्सव धूम धाम के साथ मनाया जाता है | दो दिन इसलिए कि प्रथम दिन स्मार्तों की जन्माष्टमी होती है और दूसरे दिन वैष्णवों की | प्रायः जन सामान्य के मन में जिज्ञासा होती है कि पञ्चांग में स्मार्तों का व्रत और वैष्णवों का व्रत लिखा होता, पर स्मार्त और वैष्णव की व्याख्या क्या है ?
सामान्य रूप से जो लोग शिव की उपासना करते हैं उन्हें शैव कहा जाता है, जो लोग भगवान् विष्णु के उपासक होते हैं उन्हें वैष्णव कहा जाता है और जो लोग माँ भगवती यानी शक्ति के उपासक होते हैं वे शाक्त कहलाते हैं | किन्तु इसी को कुछ सरल बनाने की प्रक्रिया में केवल दो ही मत व्रत उपवास आदि के लिए प्रचलित हैं – स्मार्त और वैष्णव | जो लोग पञ्चदेवों के उपासक होते हैं वे स्मार्त कहलाते हैं – पञ्चदेवों के अन्तर्गत गणेश, द्वादश आदित्य, रूद्र, विष्णु और माँ भगवती को अंगीकार किया गया है | जो लोग नित्य नैमित्तिक कर्म के रूप में इन पाँच देवताओं की पूजा अर्चना करते हैं वे स्मार्त कहलाते हैं और ये लोग गृहस्थ धर्म का पालन करते हैं | जो लोग केवल भगवान् विष्णु की उपासना करते हैं और मस्तक पर तिलक, भुजाओं पर चक्र और शंख आदि धारण करते हैं तथा प्रायः सन्यासी होते हैं उन्हें वैष्णव कहा जाता है |
स्मार्तों के लिए श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पहले दिन होती है – जिस दिन अर्द्ध रात्रि को अष्टमी तिथि रहे तथा श्री कृष्ण के जन्म के समय अर्थात अर्द्धरात्रि को रोहिणी नक्षत्र भी रहे | और वैष्णवों की जन्माष्टमी दूसरे दिन होती है | कुछ लोग इसे इस प्रकार भी मानते हैं कि जिस दिन मथुरा में श्री कृष्ण का जन्म हुआ था उस दिन स्मार्तों की जन्माष्टमी होती है और दूसरे दिन जब कृष्ण को नन्दनगरी में पाया गया उस दिन वैष्णवों की जन्माष्टमी होती है जिसे नन्दोत्सव के नाम से भी जाना जाता है |
इस वर्ष रविवार दो सितम्बर को सूर्योदय से लेकर रात्रि आठ बजकर सैंतालीस मिनट तक सप्तमी तिथि है और उसके बाद अष्टमी तिथि का आगमन हो जाएगा | साथ ही रात्रि 08:49 से आरम्भ होकर तीन सितम्बर को रात्रि 08;04 तक रोहिणी नक्षत्र भी रहेगा | किन्तु अष्टमी तिथि 07:19 तक रहेगी | अतः स्मार्तों का श्री कृष्ण जन्म महोत्सव दो सितम्बर को मनाया जाएगा, जिस दिन पूरा दिन उपवास रखने के बाद अर्द्धरात्रि में व्रत का पारायण करेंगे |
इस दिन भानु सप्तमी भी है | भानु सप्तमी – अर्थात जब रविवार के दिन सप्तमी तिथि रहे उसे भानु सप्तमी कहते हैं और इस दिन भगवान् सूर्य की उपासना की जाती है |
वैष्णवों की कृष्ण जन्माष्टमी तीन सितम्बर को होगी और रात्रि सात बजकर उन्नीस मिनट तक उनका व्रत का पारायण हो जाएगा क्योंकि उसके बाद नवमी तिथि का आगमन हो जाएगा |
श्री कृष्ण जन्म महोत्सव चाहे स्मार्त परम्परा से मनाया जाए अथवा वैष्णव परम्परा से – पूरा देश में इन दो तीन दिनों तक उत्सव का वातावरण विद्यमान रहता है | कहीं दही हांडी, तो कहीं भगवान कृष्ण की बाल लीलाओं का मंचन... कहीं कृष्ण के बालरूप की झाँकियाँ... समूचा देश जैसे कृष्ण के रंग में रंग जाता है... अस्तु, भगवान् कृष्ण की ही भाँति हम सब भी अन्याय का नाश और न्याय की रक्षा का संकल्प लें... इसी कामना के साथ सभी को भगवान् श्री कृष्ण के जन्म महोत्सव की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ...
https://www.astrologerdrpurnimasharma.com/2018/08/30/shree-krishna-janmashtami/