यदि जीवन में कोई एक द्वार बन्द हो जाए तो उसके कारण व्यथित नहीं होना चाहिए और न ही उसके विषय में सोच सोचकर उसका सोग मनाते रहना चाहिए | एक द्वार बन्द होता है तो कहीं न कहीं कोई दूसरा द्वार अपने आप ही खुल जाता है | किन्तु जब तक हम उसी बन्द द्वार के पास खड़े उसे ही निहारते रहेंगे तब तक खुले हुए नवीन द्वार की ओर हमारी दृष्टि जाएगी ही नहीं |
दूसरी बात ये भी कि जब तक हम इस ऊहापोह में रहेंगे कि इस नवीन द्वार के बाहर का मार्ग हमारे अनुकूल और सुविधाजनक है भी अथवा नहीं, या इसके भीतर हमारी रूचि का कुछ है भी अथवा नहीं तब तक हम आगे बढ़ ही नहीं पाएँगे |
सुखी, क्रियाशील, सफल और सन्तुष्ट जीवन के लिए आवश्यक है कि उस बन्द हो चुके द्वार को छोड़कर तथा रूचि-अरुचि, सुविधा-असुविधा और अनुकूलता-प्रतिकूलता के विचार को त्याग कर उन्मुक्त भाव से उत्साहपूर्वक नवीन कौशल अर्जित करके आगे बढ़ा जाए, ताकि जो द्वार खुला हुआ है उसे देख सकें और उस मार्ग पर चलकर अपना लक्ष्य प्राप्त कर सकें |
• कवियित्री, लेख िका, ज्योतिषी | ज्योतिष और योग से सम्बन्धित अनेक पुस्तकों का अंग्रेज़ी से हिन्दी में अनुवाद | कुछ प्रसिद्ध मीडिया कम्पनीज़ के लिये भी लेखन | प्रकाशित उपन्यासों में अरावली प्रकाशन दिल्ली से देवदासियों के जीवन संघर्षों पर आधारित उपन्यास “नूपरपाश”, भारत के मध्यमवर्गीय परिवारों में नारियों के संघर्षमय जीवन की झलक प्रस्तुत करता भारतीय पुस्तक परिषद् दिल्ली से प्रकाशित उपन्यास “सौभाग्यवती भव” और एशिया प्रकाशन दिल्ली से स्त्री पुरुष सम्बन्धों पर आधारित उपन्यास का प्रथम भाग “बयार” विशेष रूप से जाने जाते हैं | साथ ही हिन्दी अकादमी दिल्ली के सौजन्य से अनमोल प्रकाशन दिल्ली से प्रकाशित “मेरी बातें” नामक काव्य संग्रह भी पाठकों द्वारा काफी पसन्द किया गया | • WOW (Well-Being of Women) India नामक रास्ट्रीय स्तर की संस्था की महासचिव के रूप में क्षेत्र की एक प्रमुख समाज सेविका | • सम्पर्क सूत्र: E-mail: katyayanpurnima@gmail.com
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