नमस्कार
मित्रों, स्वागत है आज फिर से आप सबका हमारे
कार्यक्रम “कुछ दिल से - मेरी बातें” में... अभी तेरह अप्रैल से माँ भगवती की
उपासना का पर्व नवरात्र आरम्भ होने जा रहे हैं... नवरात्र... जिसमें पूजा अर्चना
की जाती है शक्ति की... इस अवसर प्रायः प्रत्येक घर में बहुत ही श्रद्धाभाव से
देवी के नौ रूपों की उपासना की जाएगी... इससे पूर्व आठ मार्च को महिला दिवस का भी
आयोजन बड़ी धूम धाम से किया गया... और शक्ति क्या है...? नारी रूपा... तो एक ओर तो
हम महिला दिवस और दूसरे आन्दोलनों के समय नारी के अधिकारों की माँग सबके समक्ष
रखते हैं और दूसरी तरफ हम शक्ति का आह्वाहन भी करते हैं... ये दोनों ही बातें हमें
विरोधाभास लगती हैं... तो एक लेखक होने के नाते और साथ ही एक महिला मंच से जुड़े
होने के नाते मन में कुछ प्रश्न उत्पन्न होना भी स्वाभाविक ही है... कि जब हम
महिलाएँ परिवार की, समाज की, राष्ट्र
की, विश्व की एक अनिवार्य इकाई हैं – फिर क्या कारण है कि
महिला सशक्तीकरण के लिए हमें आन्दोलन चलाने पड़ रहे हैं ? और
तब एक ही बात समझ आती है, कि अभी भी बहुत कुछ सीखना समझना
शेष है… विशेष रूप से अपने अधिकारों के साथ साथ अपने कर्तव्यों के विषय में...
अपने दायित्वों के विषय में... प्रस्तुत है इन्हीं भावों को लिए हमारी रचना...
सीखना होगा... सुनने के लिए कृपया वीडियो पर जाएँ... कात्यायनी...