सूर्योदय
समस्याएँ
जीवन का एक अभिन्न अंग
जिनसे
नहीं है कोई अछूता इस जगत में
किन्तु
समस्याओं पर विजय प्राप्त करके जो बढ़ता है आगे
नहीं
रोक सकती उसे फिर कोई बाधा
हर सन्ध्या
अस्त होता है सूर्य
पुनः
उदित होने को अगली भोर में
जो
दिलाता है विश्वास हमें
कि
नहीं है जैसा मेरा उदय और अवसान स्थाई
उसी प्रकार
नहीं है कोई सुख अथवा समस्या भी स्थाई
रोम
रोम को आह्लादित करते सुख के मध्य से ही
सर
उठाती है कोई समस्या
जो
हिला देती है व्यक्ति को भीतर तक
किन्तु
चिन्ता किस बात की – कल होने वाला है अन्त इस समस्या का
किन्तु
नहीं है यह अन्त भी चिरस्थाई
आनन्द
के समुद्र में गोते लगाते
कल फिर
उपज सकती हैं नवीन समस्याएँ
जो
नहीं रहेंगी परसों
और
चलता रहता है यही क्रम अनवरत निरन्तर युगों युगों तक
इसीलिए
तो भोर के केसर जैसी लालिमायुत रश्मिपथ पर
धीरे
धीरे ऊपर उठता सूर्य देता है संदेसा जग को
कि उठो,
जागो मीठी नींद से,
और
भुलाकर कल की चिन्ताएँ बढ़ चलो प्रगति पथ पर
सूर्योदय
से पूर्व का दृश्य
भरता
है एक नवीन ऊर्जा
और एक
नवीन चेतना कण कण में
और शीत
की ये सुहानी पीत भोर
करती
है नवीन आशा का संचार कण कण में…