वंशी की वह मधुर ध्वनि... जी हाँ, यदि हम अपने चारों ओर
की ध्वनियों से – चारों ओर के कोलाहल से मुक्त करके मौन का साधन करते हुए अपने
भीतर झाँकने का प्रयास करें तो कान्हा की वह लौकिक दिव्य ध्वनि हमारे मन में गूँज
सकती है... ऐसी कुछ उलझी सुलझी भावनाओं के साथ आज स्मार्तों और कल वैष्णवों की
श्री कृष्ण जयन्ती की सभी को अनेकशः हार्दिक शुभकामनाएँ... वो युग पुरुष भगवान
श्री कृष्ण जो केवल बृज धाम या मथुरा नगरी तक ही सीमित नहीं हैं बल्कि समूचा विश्व
जिनके व्यक्तित्व से प्रेरणा लेता है... रचना सुनने के लिए कृपया वीडियो देखें... कात्यायनी...