वर्ष 2020 में पंचकों की सूची
वर्ष 2020 में प्रथम पंचक सोमवार 30 दिसम्बर 2019
प्रातः 9:36 से आरम्भ होकर शनिवार 4 जनवरी 2020 प्रातः 10:06 तक रहेंगे
| आज हम प्रस्तुत कर रहे हैं वर्ष 2020 में आने वाले पंचकों
की एक तालिका | किन्तु तालिका प्रस्तुत करने से पूर्व आइये जानते हैं कि पंचक
वास्तव में होते क्या हैं |
पंचकों का निर्णय Astrologers चन्द्रमा की
स्थिति से करते हैं | घनिष्ठा से रेवती तक पाँच नक्षत्र पंचक समूह में आते हैं | अर्थात
घनिष्ठा के तृतीय चरण से लेकर रेवती का अन्तिम चरण तक अर्थात
धनिष्ठा का तृतीय चरण, शतभिषज, पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद और रेवती नक्षत्रों में जब
चन्द्रमा होता है तब यह स्थिति नक्षत्र पंचक - पाँच विशिष्ट नक्षत्रों का समूह – कहलाती
है | इनमें दो नक्षत्र - पूर्वा भाद्रपद और रेवती - सात्विक नक्षत्र हैं, तथा शेष
तीन - शतभिषज धनिष्ठा और उत्तरभाद्रपद - तामसी नक्षत्र हैं | इन पाँचों नक्षत्रों
में चन्द्रमा क्रमशः कुम्भ और मीन राशियों पर भ्रमण करता है | अर्थात चन्द्रमा के
मेष राशि में आ जाने पर पंचक समाप्त हो जाते हैं | इस प्रकार वर्ष भर में कई बार
पंचकों का समय आता है |
पंचकों को प्रायः किसी भी शुभ कार्य के लिए अशुभ माना गया है | इस
अवधि में बच्चे का नामकरण तो नितान्त ही वर्जित है | ऐसी भी मान्यता है कि पंचक
काल में शव का दाह संस्कार नहीं करना चाहिए अन्यथा परिवार के लिए शुभ नहीं होता |
पंचकों के अलग अलग वार के अनुसार अलग अलग फल होते हैं | जैसे सोमवार
को यदि पंचकों का आरम्भ हो तो उन्हें राज पंचक कहा जाता है जो शुभ माना जाता है | इसका
अर्थ यह हुआ कि इस अवधि में कोई शुभ कार्य भी किया जा सकता है | इसके अतिरिक्त कुछ
पंचकों को रोग पंचक माना जाता है तो कुछ को चोर पंचक और कुछ को अग्नि पंचक | नाम
से ही स्पष्ट है कि मान्यता के अनुसार इन पंचकों में रोग, आग लगने अथवा चोरी आदि
का भय हो सकता है | जैसे धनिष्ठा नक्षत्र में कोई कार्य आरम्भ करने से अग्नि का भय
हो सकता है, शतभिषज में क्लेश का भय, पूर्वाभाद्रपद रोगकारक, उत्तर भाद्रपद में
दण्ड का भय तथा रेवती नक्षत्र में कोई कार्य आरम्भ करने पर धनहानि का भय माना जाता
है |
इसके अतिरिक्त कुछ अन्य कार्यों की भी मनाही पंचकों के दौरान होती है
– जैसे दक्षिण दिशा की यात्रा नहीं करनी चाहिए | लेकिन आज के प्रतियोगिता के युग
में यदि किसी व्यक्ति का नौकरी के लिए इन्टरव्यू उसी दिन हो और उसे दक्षिण दिशा की
ही यात्रा करनी पड़ जाए तो वह कैसे इस नियम का पालन कर सकता है ? यदि पंचकों के भय
से वह इन्टरव्यू देने नहीं जाएगा तो जो कार्य उसे मिलने की सम्भावना हो सकती थी वह
कार्य उसके हाथ से निकल कर किसी और को मिल सकता है |
ऐसी भी मान्यता है कि इस अवधि में किया कोई भी कार्य पाँचगुना फल देता
है | इस स्थिति में तो इस अवधि में किये गए शुभ कार्यों का फल भी पाँच गुना
प्राप्त होना चाहिए – केवल अशुभ कार्यों का ही फल पाँच गुणा क्यों हो ? सम्भवतः इसी
विचार के चलते कुछ लोगों ने ऐसा विचार किया कि पंचक केवल अशुभ ही नहीं होते, शुभ
भी हो सकते हैं | इसीलिए पंचकों में सगाई, विवाह आदि शुभ कार्य करना अच्छा माना
जाता है | पंचक के अन्तर्गत आने वाले तीन नक्षत्र – पूर्वा भाद्रपद, उत्तर भाद्रपद
और रेवती – में से कोई यदि रविवार को आए तो वह बहुत शुभ योग तथा कार्य में सफलता
प्रदान करने वाला माना जाता है |
इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए हमारी ऐसी मान्यता है कि ज्योतिष
के प्राचीन सूत्रों को – प्राचीन मान्यताओं को – आज की परिस्थितियों के अनुकूल उन
पर शोध कार्य करके यदि संशोधित नहीं किया जाएगा तो उनका वास्तविक लाभ उठाने से हम
वंचित रह सकते हैं | वैसे भी ज्योतिष के आधार पर कुण्डली का फल कथन करते समय भी
देश-काल-व्यक्ति का ध्यान रखना आवश्यक होता है | तो फिर विशिष्ट शुभाशुभ कालों पर भी
इन सब बातों पर विचार करना चाहिए | साथ ही हर बात का उपाय होता है | किसी भी प्रकार के अन्धविश्वास से भयभीत होने की अपेक्षा अपने कर्म पर बल देना चाहिए |
तो, अपने कर्तव्य
कर्मों का पालन करते हुए हम सभी का जीवन मंगलमय रहे और सब सुखी
रहें... इसी भावना के साथ प्रस्तुत है वर्ष 2020 में आने वाले पंचकों की एक तालिका…
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सोमवार 30 दिसम्बर प्रातः 9:36 से आरम्भ होकर शनिवार
4 जनवरी प्रातः 10:06 तक
· रविवार 26 जनवरी सायं 5:40 से आरम्भ होकर शुक्रवार 31 जनवरी सायं 6:10 तक
· रविवार 23 फरवरी प्रातः 12.29 (22 फरवरी अर्द्धरात्रि) से आरम्भ होकर शुक्रवार 28 फरवरी
रात्रि 1.18 (अर्द्धरात्र्योत्तर) तक
· शनिवार 21 मार्च प्रातः 6.21 से आरम्भ होकर गुरूवार 26 मार्च प्रातः 7:17 तक
· शुक्रवार 17 अप्रैल दिन में 12:18 से आरम्भ होकर बुधवार 22 अप्रैल दोपहर 1:18 तक
· गुरूवार 14 मई रात्रि 7:22 से आरम्भ होकर मंगलवार 19 मई रात्रि 7:54 तक
· गुरूवार 11 जून सूर्योदय से पूर्व 3:42 से आरम्भ होकर मंगलवार 16 जून सूर्योदय से पूर्व 3:18
तक
· बुधवार 8 जुलाई दिन में 12:31 से आरम्भ होकर सोमवार 13 जुलाई प्रातः 11:14 तक
· मंगलवार 4 अगस्त रात्रि 8:47 से आरम्भ होकर रविवार 9 अगस्त को रात्रि 7:07
तक
· मंगलवार 1 सितम्बर सूर्योदय से पूर्व 3:48
से आरम्भ होकर रविवार 6 सितम्बर सूर्योदय से पूर्व
(5 सितम्बर अर्द्धरात्र्योत्तर) 2:22 तक
· सोमवार 28 सितम्बर प्रातः 9:41 से आरम्भ होकर शनिवार 3 अक्टूबर प्रातः 8:51 तक
· रविवार 25 अक्तूबर रात्रि 3:27 से आरम्भ होकर शुक्रवार 30 अक्तूबर दोपहर 2:57
तक
· शनिवार 21 नवम्बर रात्रि 10:26 से आरम्भ होकर गुरूवार 26 नवम्बर रात्रि 9:21
तक
· शनिवार 19 दिसम्बर प्रातः 7:17 से आरम्भ होकर गुरूवार 24 दिसम्बर सूर्योदय से पूर्व 4:33 तक