आज विश्वकर्मा दिवस है – सृष्टिकर्ता, शिल्प कलाओं – शिल्प विद्याओं के ज्ञाता, सबसे प्रथम भवन निर्माता – आर्किटेक्ट और वास्तु शास्त्र के ज्ञाता तथा तकनीक यानी टेक्नोलॉजी और वि ज्ञान के जनक माने जाने वाले भगवान विश्वकर्मा की उपासना का दिन – सभी को इस विश्वकर्मा दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ |
हिन्दू मान्यता के अनुसार विश्वकर्मा निर्माण का – सृजन का देवता है – आधुनिक समय के अनुसार उन्हें हम एक आर्किटेक्ट – भवन निर्माता और वास्तु विशेषज्ञ – कह सकते हैं | देखा जाए तो सबसे प्रथम आर्किटेक्ट और वास्तु शास्त्र के विशेषज्ञ विश्वकर्मा ही थे | यही कारण है कि भवन निर्माण में जितनी भी वस्तुओं का उपयोग किया जाता है उन सबका देवता भी विश्वकर्मा को ही माना जाता है | ऐसी मान्यता है कि रावण की सोने की लंका का निर्माण भी उन्होंने ही किया था | वे हस्तलिपि के भी कलाकार थे तथा और भी अनेक प्रकार की कलाओं में सिद्धहस्त थे | वैदिक काल और पौराणिक काल तक विश्वकर्मा कोई उपाधि नहीं थी, कालान्तर में इसे एक उपाधि बना दिया गया |
ऋग्वेद में विश्वकर्मा सूक्त के नाम से 11 ऋचाएँ उपलब्ध होती हैं | जिनमें प्रत्येक मन्त्र पर विश्वकर्मा ऋषि, भुवन देवता लिखा हुआ मिलता है | साथ ही इसके भी प्रमाण उपलब्ध हैं कि ऋग्वेद में विश्वकर्मा शब्द का प्रयोग इन्द्र, सूर्य और प्रजापति के विशेषणों के रूप में भी हुआ है |
ऐसा भी उल् लेख मिलता है कि महर्षि अंगिरा के ज्येष्ठ पुत्र बृहस्पति की बहन भुवना जो ब्रह्मविद्या जानने वाली थी वह अष्टम् वसु महर्षि प्रभास की पत्नी बनी और उसी के गर्भ से समस्त प्रकार की शिल्प विद्याओं के ज्ञाता प्रजापति विश्वकर्मा का जन्म हुआ | सम्भव है ऋग्वेद की ऋचाओं में जो “भुवन देवता” शब्द मिलता है वह विश्वकर्मा की माता के नाम का ही द्योतक हो |
बृहस्पते भगिनी भुवना ब्रह्मवादिनी | प्रभासस्य तस्य भार्या बसूनामष्टमस्य च | विश्वकर्मा सुतस्तस्यशिल्पकर्ता प्रजापतिः || – स्कंद पुराण / प्रभात खण्ड – 16
इस प्रकार शिल्प शास्त्र विशेषज्ञ – शिल्प शास्त्र के देवता विश्वकर्मा महर्षि अंगिरस के दौहित्तृ तथा देवगुरु आचार्य बृहस्पति के भान्जे और प्रभास ऋषि के पुत्र होते हैं तथा समस्त सिद्धियों के जनक माने हैं |
विश्वकर्मा शब्द की व्युत्पत्ति है “विशवं कृत्स्नं कर्म व्यापार ो वा यस्य सः” अर्थात समस्त सृष्टि तथा उससे सम्बद्ध कर्म व्यापार जिसका है वह विश्वकर्मा | यही कारण है कि भारत वर्ष में प्रतिवर्ष 17 सितम्बर को प्रत्येक सरकारी तथा गैर सरकारी संगठनों में – प्रत्येक शिल्प संकायों में, कारखानों में, तकनीकी क्षेत्रों में तथा विविध औद्योगिक क्षेत्रों में विश्वकर्मा दिवस मनाया जाता है | आज के दिन किसी भी प्रकार के औज़ारों से काम करने वाले व्यक्ति अपने अपने औज़ारों की पूजा भी करते हैं |
इसके अतिरिक्त विवाह, यज्ञ, गृह प्रवेश आदि कर्यो मे भी विश्वकर्मा की पूजा आवश्यक मानी जाती है:
विवाहदिषु यज्ञषु गृहारामविधायके |सर्वकर्मसु संपूज्यो विशवकर्मा इति श्रुतम || – ऐसा श्रुतियों का कथन है |
इस सबसे यह तो स्पष्ट होता ही है कि विशवकर्मा की पूजा जन साधातन के कल्याण के लिए है | इसलिए हर व्यक्ति को सृष्टिकर्ता, शिल्प कलाओं – शिल्प विद्याओं के ज्ञाता, अतएव प्रत्येक प्राणी को सृष्टिकर्ता, समस्त पराकात की शिल्प कलाओं – शिल्प विद्याओं के ज्ञाता, तकनीक यानी टेक्नोलॉजी और विज्ञान के जनक माने जाने वाले भगवान विश्वकर्मा की उपासना अवश्य करनी चाहिए |
एक बार पुनः विश्वकर्मा दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ…