काश कि एक बार गया होता।
मेघा ने रोहन के बैग में टिपिन रखते हुए कहा कि बच्चो की समर वेकेशन हो गयी है, बहुत दिन से आउटिंग भी नही हुई है, पड़ोसी रीना दीदी पूरे परिवार के साथ साउथ इंडिया घूमने जा रहे हैं, मेधावी और वरुण पहाड़ में घूमने को कह रह रहे हैं, आप तो अपने उत्तराखंड की बहुत तारीफ करते रहते हो, कभी ले भी चले ये उलाहना देकर अंदर चली गयी।
उधर रोहन ने गाड़ी स्टार्ट की ओर यह कहते हुए गया कि पहले ऑफिस में माहौल देखता हूँ कि बॉस छुट्टी देगा या नही। रोहन मुंबई साउथ में एक फाइव स्टार होटल में मैनेजर है ने ऑफिस में आकर काम निपटाया औऱ बॉस का मूड देखकर छुट्टी की बात की ओर कहा कि कल ही से एक हप्ते के लिए जा सकते हो अभी काम भी इतना नही है, उसके बाद मैं खुद उत्तराखंड में चार धाम यात्रा पर परिवार के साथ जा रहा हूँ।
रोहन ने नेट पर रिजॉर्ट सर्च किए, तो एक रिजॉर्ट पसंद आया, रेट भी उचित लगे तो लगे हाथ बुक कर दिया। रिजॉर्ट की गाड़ी ऋषिकेश में लेने के लिए आएगी और खुद बस स्टेशन पर छोड़ देगा, अच्छा ऑफर मिल रहा है, तो मौका छोड़ना बेकार है। साथ ही मुंबई से हरिद्वार के लिए ट्रेन का टिकट भी करा दिया।
शाम को रोहन मुस्कराता हुआ आया, और मेघा को सरप्राईज देते हुए कहा कि चलो फिर अपने उत्तराखंड में घूमने के लिए, सारा ऑनलाइन बुक कर दिया है, कल सुबह 11 बजे की ट्रैन है हरिद्वार के लिए 4 दिन का टूर है।
मेघा ने कहा कि पहले बता देते, मैं अब तक तैयारी भी कर लेती, रोहन ने मुस्कुरा कर कहा कि डार्लिंग सुबह ही तो तुमने कहा कि घूमने के लिए बच्चे कह रहे हैं, शाम तक तो बॉस का मूड देखकर छुट्टी ली है, अगले हप्ते वो खुद उत्तराखंड चार धाम यात्रा पर निकल रहे हैं। रात के खाने के बाद मेघा ने सामान की पैकिंग कर दिया है, उसके बाद सब सो गए हैं। सुबह नाश्ता करके रेलवे स्टेशन के लिए निकल पड़े, उसके बाद ट्रेन से हरिद्वार के लिए निकल पड़ी।
अगली सुबह ट्रैन हरिद्वार करीब 5 बजे पहुँच गए है, वही गंगा स्नान करके ऋषिकेश के लिये बस से निकल गए हैं, उधर
रिजॉर्ट की गाड़ी पहले ही, बस अड्डे पर खड़ी थी। रोहन ने गाड़ी के ड्रेवर से बातचीत कर बताया कि हम ऋषिकेश बस अड्डे पर पहुंच गए हैं। बच्चो में काफी उत्साह नजर आ रहा था, सब पहली बार उत्तराखंड आ रहे थे। जबकि रोहन उत्तराखंड का मूल निवासी था, रोहन के दादा जी मुंबई में आकर बस गए थे, रोहन के पिताजी भी एक दो बार ही गांव आये, उसके बाद नही आ पाए।
इधर बस स्टेशन के बाहर जिप्सी खड़ी थी, ड्रेवर ने रोहन से सम्पर्क कर गाड़ी के पास बुला दिया, सब गाड़ी में बैठकर रिजॉर्ट की तरफ चल पड़े। ऋषिकेश से होते हुए एम्स बैराज के रास्ते चीला नहर से फ़ोटो लेते हुए आगे चलते रहे। जिप्सी चालक यहीं लोकल का था, सब मालूम था तो बताते जा रहा था। रोहन ने पूछ ही लिया कि आपका नाम क्या है, उसने अपना नाम बंटी शर्मा बताया।
बंटी शर्मा ने रोहन को बताना शुरू किया कि यहाँ कुनाउ में गोविंदा की महाराजा फ़िल्म की शूटिंग हुई थी उसमे जो जंगल दिखाया गया है वह यही जंगल है, और उधर रानी मुखर्जी और अभिषेक बच्चन की बंटी बबली भी शूट की गई थी। बच्चे बड़े उत्साहित नजर आ रहे थे। मेघा कह रही थी कि जैसा सुना था कि उत्तराखंड खूबसूरत है, उससे ज्यादा ही सुंदर है। आगे बीन नदी होकर गाड़ी आगे बढ़ी तो वहाँ पर गाड़ी रोककर फ़ोटो ली औऱ पानी के किनारे बच्चें अठखेलियां करने लगे।
रोहन ने कहा कि उत्तराखंड के पौड़ी यमकेश्वर में हमारा गाँव भी है, दादा जी और पापा बताते हैं, हम तो कभी नही आये यँहा लेकिन पहली बार आया तो अच्छा लग रहा है, बंटी शर्मा ने यह सुनते ही कहा कि गाँव का नाम क्या बताया तो उसने कहा कि अभी ध्यान नही आ रहा है, जैसे ही याद आता है तो बता दूंगा।
बंटी ने आगे गाड़ी बढाई और कौड़िया में रोक दी, वहाँ पर सबने चाय पी , फिर आगे जंगल के रास्ते की ओर चल पड़े। खुली जीप में सारे मजे लेते हुए धूल भरी सड़को से जा रहे है रोहन क्षेत्रीय जन नेता और लोगो कोसने में लगा है कि यँहा कितना पिछड़ा हुआ है एक अदद सड़क भी नही है, बंटी ने कहा कि सड़क किसके लिए बननी है, सब जगह गाँव तो खाली हो गए है, सब लोग भाग रहे हैं सुख सुविधाओं के लिए। इधर बच्चे जंगल का मजा ले रहे हैं, आगे बीच नदी में दो हाथी खड़े हुए दिखाई दिए, बेर की झुंड से बाहर निकले और खड़े हो गए हैं बंटी ने बताया कि यहाँ हाथी सुबह शाम पानी पीने आते हैं। यह राजा जी नेशनल पार्क है। रोहन और बच्चो ने हाथी की के साथ कैमरा जूम करके सेल्फी ली। कुछ देर बाद हाथी जंगल की तरफ चले गए। गाड़ी पानी में तो कही रेत में हिचकोले खाते हुए आगे बढ़ रही है, इधर दो तीन युवक युवतियों की गाड़ी नदी में फंसी हुई है, धक्के मारने में लगे है, बंटी ने जिप्सी एक किनारे लगाकर उनकी गाड़ी को पानी से बाहर निकाला और बड़बड़ाते हुए आया कि आते क्यो है जब चलानी नही आती है तो।
उधर ऊपर की तरफ से एक मैक्स गाड़ी आ रही है, जिसके छत में और अंदर बराबर लोग बैठे हैं, धूल उड़ रही है, यह देखकर मेघा आश्चर्यचकित रह गयी।
बंटी ने विंदयवासनी मंदिर में आकर जिप्सी को लगा दी है और मंदिर के बारे में बताया। रोहन ओर मेघा ने मंदिर दर्शन करने का विचार बनाया। सोहनलाल जी की दुकान से प्रसाद लिया और मंदिर के लिए चल पड़े। रोहन, मेघा, वरुण ओर मेधावी हांफते हांफते झुरमुट रास्ते से सीढियों के रास्ते मंदिर में पहुंच गए है, मन्दिर दर्शन किये अच्छी अच्छी यादों को मोबाइल में कैद किया और वापस आ गए।
इधर बच्चो ने मैग्गी खाने की जिद कर ली है, वहीं पर रोहन ने 4 प्लेट मैगी और चाय का आर्डर कर दिया है, सबने ठंडा पानी पिया और वही पर बैठ गये, बंटी भी उधर ओर लोगों के साथ गप्पे मार रहा है। सामने ताश पत्ती खेलने में बुजुर्ग अपना समय व्यतीत कर रहे हैं, इधर मैग्गी बनकर तैयार हो गयी है, सबने मैग्गी खाई और चाय पीने के बाद रिजॉर्ट की तरफ चल पड़े हैं। दो किलोमीटर नदी के रास्ते चलने के बाद रिजॉर्ट आ गया है, बंटी ने जिप्सी एक किनारे खड़ी की औऱ सामने रिजॉर्ट जाने का रास्ता बताया। बंटी ने कहा कि यह त्याड़ो गाड़ है, यँहा पर 14 जनवरी को मकर संक्रांति पर मेला लगता है, औऱ क्रिकेट मैच भी होते हैं, उसके बाद सब रिजॉर्ट में ठहरे। रात वहीं खाना पीना हो गया, खूब मनोरंजन किया, साथ ही रिसॉर्ट के बारे में पता किया।
बंटी ने रिजॉर्ट के बारे में बताया कि यह यही के किसी गांव के आदमी ने अपनी जमीन बेच दी है, ये लोग बाहर के है, और यहाँ से अच्छा खासा मुनाफा कमा रहे है। रोहन की उत्सुकता बढ़ गयी, रोहन ने रिजॉर्ट के मैनेजर से बात की तो बात सच निकली। उसके बाद रात के खाने के लिए मेघा के सामने मैन्यू कार्ड रख दिया, जिसमे झंगोरे की खीर औऱ चेसु भी था, मेघा ने सब्जी के साथ ये दो चीजें भी आर्डर कर दी। होटल में खाना बनाने वाला कुक भी गांव का ही था। थोड़ी देर में खाना बनकर आ गया, खीर बहुत अच्छी बनी है ,सब आनदं लेकर खा रहे हैं। रात को सोने के बाद बच्चे सुबह गाँव घूमने के लिए जिद कर बैठे। रोहन अपने परिवार के साथ टेढ़े मेढे रास्ते से गाँव मे पहुँच गए।
गाँव मे लोग अपने अपने काम धंधों में व्यस्त हैं, कुछ घरों में लोग है कुछ में ताले लगे हैं, कुछ बिल्कुल खंडर हो गए हैं। रोहन ने गाँव का नाम पूछा तो एक बच्चे ने बता दिया कि यह केशुबाड़ी है, वहाँ से सब वापस आ गये उधर सामने अकेला एक घर है आधा हिस्सा टूटा है आधा ठीक है, सामने आम का एक पेड़ है सब पेड़ की छांव में बैठकर कच्चे आम खाने लगे हैं, और साथ मे फ़ोटो ले रहे हैं।
उसके बाद सब रिजॉर्ट में वापस आ जाते हैं, रोहन की रिजॉर्ट के केयर टेकर से दोस्ती हो गई ,रोहन को गाँव पसंद आ गया , तो कहने लगा कि यहीं नौकरी मिल जाये तो मुंबई की आपाधापी से मुक्ति मिल जाय। केयर टेकर ने कहा कि साहब इस रिजॉर्ट का मेनेजर नौकरी छोड़ रहा है, एक होटल के अनुभवी मेनेजर की जररूत है, महीने के 60 हजार तो वेतन है उसके अलावा अन्य कमाई भी आप ही आ जावो, दोनों हँसने लगते हैं।
अगले दिन सब रिजॉर्ट से वापस मुंबई के लिए निकल गए। मुंबई जाकर सबने व्हाट्सएप और फेसबुक पर अपनी फोटो शेयर की। बच्चो ने उस मकान की फ़ोटो भी डाल दी जिसके सामने आम का पेड़ था, और छाँव में बैठकर आम खा रहे हैं। सोशल मीडिया में फ़ोटो को रोहन की बूवा ने देखा तो वह देखती रह गयी। यह तो उनके ही घर की फ़ोटो थी, एक एक फोटो को गौर से देखा तो उसे यकीन हो गया। तुरंत रोहन को फ़ोन लगाया ओर पूछा कि तुम लोग घूमने कहा गए थे, रोहन ने सब बता दिया। रोहन ने विंदयवासनी मंदिर, केशुबाड़ी का नाम बताया तो बुवा को अपना बचपन याद आ गया।
बुवा ने फ़ोन पर ही बताया कि बेटा जिस आम के नीचे तुम छाँव में बैठे थे और जो घर खंडर हो गया है, वह तुम्हारा ही है, ये आम का पेड़ आपके दादा ने ही लगाया था, सामने जिसमे रिजॉर्ट बने हैं वह भी तुम्हारे ही थे, तुम्हारे छोटे दादा जी ने बाहर वालो को कौड़ी के दाम बेच दिए थे, आज तुम वँहा अपने ही खेत मे अपने ही घर मे किराये पर रहकर आये हो। रोहन यह सुनकर हक्का बक्का रह गया और केयर टेकर की बात याद आ गयी ओर हँसते हुए बताया कि अपने ही घर मे मुझे नौकरीं का ऑफर भी मिल रहा है। बुवा ने कहा कि अगर तुम्हारे पिताजी कभी तुम्हे वहाँ ले जाये होते तो आज तुमको अपनी ही जमीन में किराये पर नही रहना पड़ता। रोहन को भी खुद पर अफसोस था कि उसने भी कभी अपनी जड़ों की ओर जाने की नही सोची। घर आकर जब मेघा औऱ बच्चो को सारी बात बतायी तो सब हंसे बिना नही रह सके लेकिन रोहन अंदर ही अंदर खुद को कोसने में लगा है, साथ ही अफसोस है कि पास में होते भी वह अपनी जड़ो से कितनी दूर था।
©®@ हरीश कंडवाल "मनखी " की कलम से✒📝📝✒✒📝 27 मई 2019