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यात्रा

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उसे इंतेज़ार रहता है उस इक हसीन लम्हे का । वो लम्हा जो शायद जिंदगी के मायनों से मिला दे , जिंदगी का मतलब बता दें या फिर जिंदगी के उन गुत्थियों को सुलझा दे जिनसे मुंह मोड़ लिया है उसने । अपनी ही दुनिया म

वहां कौन है तेरा मुसाफिर जाएगा कहाँ, दम ले ले घड़ी भर ये छैया पायेगा कहा ।इस नग़मे में नायक को जीवन के सफर में दौड़ते हुए सुकून की छांव की इत्तला दी जा रही है ।जी हां सुकून !! जो पसर जाए तो मानो हर

बेटियां ही नहीं बेटे भी पराए होते हैं। बेटियां ही नहीं बेटे भी घर छोड़ कर जाते है उठकर पानी तक ना पीने वाले,,,,। आज अपने कपड़े खुद ही धो लेते हैं,वह जो कल तक घर के लाडले थे आज अकेले में रोते हैं ! सिर्

दिनांक 9/9/22 दिन-शुक्रवार प्यारी दिलरूबा कैसी हो तुम आज तो तुमसे बातें करने के लिए मैं कुछ जल्दी ही आ गई हूं,,,वो इसलिए टॉपिक देखकर मुझे एक संस्मरण याद आ गया टॉपिक तो तुम जानती हो ना,,,, रेल यात्

हर सुबह हमें नया संदेश देती है।नये जीवन के लिए नई सांस देती है।करती है हर दिन भानु का अभिनन्दन।शशि की विदाई कर शुरुआत करती है।।हमें कहती हैं उठो जागो और बढो मंजिल की ओर।खग चहचहाने लगे हैं तरू पर हो गय

याद हो आती है वो पहली फ़िल्म जिसे देखने के दौरान मानो शरीर  की सुध बुध तक खो गयी थी । कथानक की  बढ़ती गति में नायिका राधा का नई नवेली दुल्हन के रूप में अवतरण और घर की जिम्मेवारियों को निभाते ह

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मैं काफी लंबे समय से समय यात्रा पर काम कर रहा हूं .वैज्ञानिकों के अनुसार बिना किसी माध्यम (टाइम मशीन) के समय यात्रा करना संभव नहीं है . लेकिन मेरा मानना है कि समय यात्रा का टाइममशीन या ब्रह्मांड से को

ट्रैन में बहुत देर तक सोने के बाद जब नींद खुली, मै  अनजान से स्टेशन पर था  पहले तो समझ हीनहीं आया मैं  कहा पहुंच गया था | पिछले दो दिन से बस यूँ   सफर किये जा रहा था बिना किसी मकसद  बिना किसी कारण ,,

जहाँ मित्रता कि नीव विश्वास से भरी हो जिसमें समय की खाद लगी हो जो धूप और छाया प्रेम और कटुता से सजी हो जैसे शीतल पवन वैसे आनंदमयी हो धरती गगन सी विलखता जिनमे ऐसी दो नदियो

कहते हैं लोग ख्वाब मे मै गीत लिखा करता हूँ अपने दुश्मन को भी मै तो मीत लिखा करता हूँ बदलकर जब दिनो के फेर आते हैं मकड़ी के जाल मे भी शेर आते हैं तक़दीर तेरे दिये हर पल को मैं रीत लिखा करता हूँ दोस्तों

 दुल्हनिया एक तरफ रख दो एक तरफ रख दो माल मुंह भर भर के क्यो  दूल्हा मांगे कैसे हो वो कंगालएक हाथ में हाथ दुल्हन का दूजे हाथ दहेज 10 तोले सोना देकर अपने साथ हमारी भेजकदमों में जो रख

(1)  कहां-कहां ना भटका मैं एक हसीन शाम की खा़तिर        जैसे भटका था भरत कभी अपने राम की खातिर        एक वो ना मिला मुझे अरे वाह री ऐ तक़दीर मेरी

कुछ कुछ कहता सुनता कुल्लूपल पल जीवंत रहता कुल्लूराफ्टिंग संग तैरता कुल्लू ब्यास किनारे बहता कुल्लू रघुनाथ जी मे रमता कुल्लू देव परम्परा में बसता कुल्लू रथ खींचता बढ़ता कुल्लूकदम मिल

चंबा सचमुच है अचंभाअभी सर्किट हाउस के बरामदे में बैठे बैठेमुझे सुनाई दे रही है बारिश की बूंदों की स्वरलहरियां जिसमे समाहित है रावी की कलकल धारा और मैं निहार रहा हूँ खामोश वीरान चंब

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आज रीट का इम्तेहान है हम दोस्त खुश है पर मेरी खुशी अलग ही है क्योंकि आज हम 7 महीने बाद मिलने वाले है क्योंकि हमारा परीक्षा केंद्र एक ही जगह आया है हनुमानगढ़। बाकी हम जाके देखेंगे केसा होगा मिलन!

जब आप किसी के प्रेम में पड़े होते है तब आप उसमे आनंद खोज रहे होते है अगर आपको उससे आनंद की प्राप्ति हुए तो आप उसे खोने दूर जाने से डरते है अगर आप प्रेम में होते हुए आप अपने आप में प्रेम खोजे और अगर आपक

मेरी एक सहेली अभी दो दिन पूर्व अमरनाथ यात्रा पर निकली है। आज शाम करीब 5.30 बजे जब अमरनाथ में बादल फटने की जानकारी मिली तो तब से बहुत परेशान हूँ। ऑफिस से घर आकर कई बार मोबाइल लगा चुकी हूँ लेकिन लग नहीं

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 सूरज का सफर विधा - गीत___गीतकार -भानु प्रताप सिंह सूरी__________________________वो नित पूरव से निकले, पश्चिम की ओर चला जाये। उसके जाने से आसमान का रंग सलोना ढल जाये। उसकी नज़रों क

ट्रिन ट्रिन करके खबर हो जाती,लोगों की उत्सुकता बढ़ जाती,रेलगाड़ी जब स्टेशन पर आती,हलचल तब बहुत बढ़ जाती।कोई चढ़ता कोई उतरता,कोई कुली को आवाज़ लगाता,किसी का सफ़र अब खत्म हुआ,तो किसी का अब शुरू हो जाता।कोई इध

सिग्नल जब हरा हो जाता,तब ड्राइवर है हॉर्न बजाता,चल देती है लौहपथगामिनी,जब गॉर्ड हरी झण्डी दिखलाता।कोई समूह में कोई अकेले,कोई मस्त है अपनी धुन में,यात्रा सब करते जाते हैं,कोई ले परिवार संग में।कोई सैर-

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