(1) कहां-कहां ना भटका मैं एक हसीन शाम की खा़तिर जैसे भटका था भरत कभी अपने राम की खातिर एक वो ना मिला मुझे अरे वाह री ऐ तक़दीर मेरी
कुछ कुछ कहता सुनता कुल्लूपल पल जीवंत रहता कुल्लूराफ्टिंग संग तैरता कुल्लू ब्यास किनारे बहता कुल्लू रघुनाथ जी मे रमता कुल्लू देव परम्परा में बसता कुल्लू रथ खींचता बढ़ता कुल्लूकदम मिल
चंबा सचमुच है अचंभाअभी सर्किट हाउस के बरामदे में बैठे बैठेमुझे सुनाई दे रही है बारिश की बूंदों की स्वरलहरियां जिसमे समाहित है रावी की कलकल धारा और मैं निहार रहा हूँ खामोश वीरान चंब
आज रीट का इम्तेहान है हम दोस्त खुश है पर मेरी खुशी अलग ही है क्योंकि आज हम 7 महीने बाद मिलने वाले है क्योंकि हमारा परीक्षा केंद्र एक ही जगह आया है हनुमानगढ़। बाकी हम जाके देखेंगे केसा होगा मिलन!
जब आप किसी के प्रेम में पड़े होते है तब आप उसमे आनंद खोज रहे होते है अगर आपको उससे आनंद की प्राप्ति हुए तो आप उसे खोने दूर जाने से डरते है अगर आप प्रेम में होते हुए आप अपने आप में प्रेम खोजे और अगर आपक
मेरी एक सहेली अभी दो दिन पूर्व अमरनाथ यात्रा पर निकली है। आज शाम करीब 5.30 बजे जब अमरनाथ में बादल फटने की जानकारी मिली तो तब से बहुत परेशान हूँ। ऑफिस से घर आकर कई बार मोबाइल लगा चुकी हूँ लेकिन लग नहीं
सूरज का सफर विधा - गीत___गीतकार -भानु प्रताप सिंह सूरी__________________________वो नित पूरव से निकले, पश्चिम की ओर चला जाये। उसके जाने से आसमान का रंग सलोना ढल जाये। उसकी नज़रों क
ट्रिन ट्रिन करके खबर हो जाती,लोगों की उत्सुकता बढ़ जाती,रेलगाड़ी जब स्टेशन पर आती,हलचल तब बहुत बढ़ जाती।कोई चढ़ता कोई उतरता,कोई कुली को आवाज़ लगाता,किसी का सफ़र अब खत्म हुआ,तो किसी का अब शुरू हो जाता।कोई इध
सिग्नल जब हरा हो जाता,तब ड्राइवर है हॉर्न बजाता,चल देती है लौहपथगामिनी,जब गॉर्ड हरी झण्डी दिखलाता।कोई समूह में कोई अकेले,कोई मस्त है अपनी धुन में,यात्रा सब करते जाते हैं,कोई ले परिवार संग में।कोई सैर-
भारतीय रेल है जीवन रेखा,हम भारत के लोगों की,हम सब इस पर गर्व करे हैं,सीख ये देती सह-जीवन की।कभी न थकती कभी न रुकती,दिन-रात है चलती जाती,बिना भेदभाव के देखो,सबको मँजिल पर पहुंचती।पूरब से पश्चिम तक चलती
काबिल बनूं तेरे में तू पहाड़ है जरूर पर हम भी छेनी हथौड़ी है , तोड़कर रास्ता बना लेंगे 🌹✍️✍️ निशांक एक बहोत काबिल लड़का है , वह अपने आने वाले एग्जाम क
16/6/22प्रिय डायरी, आज मैंने शब्द.इन पर रेलयात्रा पर कविता लिखी है।रेलयात्रा अर्थात रेल के द्वारा यात्रा करना। रेल मार्ग जिसमें दोनों ओर पट
निर्जला एकादशी को हिंदू धर्म में बहुत पावन तिथि माना गया है ।यह तिथि इस बार 10 जून 2022को आई थी ।में इस दिन अपने घर पर ही था लेकिन इस पावन दिन को मैने अपने प्रभु श्याम खाटू के दर्शन का मन बनाया
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काश कि एक बार गया होता। मेघा ने रोहन के बैग में टिपिन रखते हुए कहा कि बच्चो की समर वेकेशन हो गयी है, बहुत दिन से आउटिंग भी नही हुई है, पड़ोसी रीना दीदी पूरे परिवार के साथ साउथ इंडिया घूमने ज
22 मई 2022 रविवार समय 11:00 (रात)मेरी प्यारी सहेली, गर्मियों की छुट्टियों की शुरुआत के साथ ही दादी नानी के दरवाजे खटखटाएं जा रहे हैं। इस समय तो टिकट म
*अब तो आन पड़ी है*अकबर बादशाह को मजाक करने की आदत थी। एक दिन उन्होंने नगर के सेठों से कहा-”आज से तुम लोगों को पहरेदारी करनी पड़ेगी।”सुनकर सेठ घबरा गए और बीरबल के पास पहुँचकर अपनी फरियाद रखी।बीरबल ने उ
है धरा उदघोष करती लालिमा आकाश की । शुष्क होते ताल पोखर क्यों प्रतीक्षा प्यास की । चूक गया गर आज फिर तु कल कहाँ से पाएगा ? खुद उठो तिनके जुटाओ , घर परिंदों का बनाने कौन आएगा ? यह जमाना है तेरे संग ज
मेरी यूरोप यात्रा यात्रा करना मानव की मूल प्रवृत्ति है। हम अगर मानव इतिहास पर नजर डाले, तो ज्ञात होगा कि मनुष्य के विकास की यात्रा में, यात्रा का महत्वपूर्ण योगदान है। अपने