इस्लाम में हर कुदरती जरूरत के लिए जगह है लेकिन जब मजहब और सियासी फायदे के लिए नफरत में बदला जाता है तो एक नहीं तमाम पाकिस्तान पैदा होते हैं मेरी बच्ची तुम्हारी जिंदगी को इस गलत विभाजन ने तोड़ दिया है क्योंकि इन लोगों ने एक मजहब के तहत एक काम एक मुल्क और एक तहजीब को तस्कीन किया है पता नहीं कहां से आकर अब्दुल गफ्फार खां बोलने लगे तो नासिरा शर्मा भी हाजिर हो गई तहजीब को कैसे तक्सीम किया जा सकता है यहां अफगानिस्तान में तो अपना सिक्का चलता है कल दाल और हमारे हवाई टिकट पर बनी है गौतम बुद्ध की मूर्ति जो शहर वाह ब्यान में मौजूद है अफगानिस्तान की इस धरती पर वर्षा हिंदू और बौद्ध धर्म का प्रभाव रहा है या तहजीब और तारीख ही रिश्ता है ।
जो सरहदों के बंटवारे के बावजूद आज भी जिंदा है शत्रुओं से काबुल की रक्षा के लिए बहुत राजा कनिष्क ने ही व दीवारें बनवाई थी जो इससे शायद आज भी महफूज रखें और बौद्ध धर्म से पहले इस धरती पर चारों वेद रचे गए इन वेदों में अफगानिस्तान के सारे पहाड़ों की वादियों शहरों और भाषाओं के नाम मौजूद रहे इसी धरती पर अग्नि पूजन शास्त्रियों के स्त्रोत रचे गए एकेश्वरवाद की शिक्षा आरंभ हुई इस समय तक आर्य नैतिक विज्ञान और सत्य की खोज कर चुके थे ।
तब रूम और गिरी का कहीं पता नहीं था यूरोप अंधकार में डूबा हुआ था तब आर्यों ने अफगानिस्तान में अभी पूजा का युग शुरू किया और अग्नि पूजा रोशनी का ईश्वर का वरदान था था तुम ठीक कह रही हो खान अब्दुल गफ्फार खान ने नासिरा के कंधे पर सर से पाते और उसे राहत देते हुए कहा आओ हम लोग चले और इन दोनों को पवित्र आग में जलने दे ताकि यह उस में चक्कर आने वाली दुनिया में कोई नया जान या ना दे सके उसके लिए हम एक सलमा और अदिति को उनकी जिंदगी जीने की मोहलत दे उन्हें किताबों और दक्षिणी फसलों में ना बांधे इतिहास पुरुष के खान अब्दुल गफ्फार से जाओ और वह बात और मंजूर हुई अपने मजे भी और किताबी मसले बाहर चल कर तय करेंगे आओ सब साथ आओ तब अब्दुल गफ्फार खां औरंगजेब का जल्लाद मारीशस क मॉरीशस का क्या इतिहास पुरुष और भारत की नासिरा शर्मा सब उन दोनों को वहीं छोड़कर बाहर निकल गए होटल रीवा राज जंगल की रात में बदल गई जंगल तो इतना घटना है कि वहां भी इसमें रास्ता भूल सकती है सलमा ने कहा इसलिए आदमी ने उसे सांस बनाकर सीने में कैद रखा है ताकि आदमी अपना रास्ता ना भूल जाए अभी बोला सलमा बुरी तरह से मिली थी मुश्किल में फिर बोली मेरे भीतर सब कुछ मर गया है ।
आदमियों का या जंगल मुझे डराता है लगता है चारों तरफ कब्रिस्तान ही कब्रिस्तान फैले हैं इनके बीच खड़ी मैं पल पल मरती जा रही हूं सलमा यह शरीर और इसके भीतर मौजूद आत्मा एक मंदिर भी है एक श्मशान भी इन दोनों में दिए जलते हैं अपने दिए जलाए रखो कैसे जलाएं रखो अभी या अब यह जलते भी नहीं है कब्रिस्तान में महक देते हैं मैं बत्ती नहीं नहीं आई मेरे जिस मेरे जेहन का कोई कटा हुआ हिस्सा जलने लगता है अपनी इच्छाओं की महक जिंदा रखो सलमा तुम्हारी इच्छाओं के दीयों के लिए भी रोशन हो पाएंगे यह शरीर तो मुझे वीडियो की तरह सलमा और अभी क्या दिए जल उठे और करते हुए पार हो जाते हैं मुझे मुझे भेजिए तो नदी में पार में मजबूत है ।
शायद आप ठीक कह रहे हो आप आपके पास तो फिर भी घर तक वापस जाने का रास्ता मेरे पास तो वह भी नहीं है शिवा मेरे बेटे शहर के जो हॉस्टल में होते हुए तक मेरी उंगली पकड़ कर चलता है कहते हुए सलमा पूरी तरह रो पड़ती थी अजीब जब जंगल मुझसे मैं तो कहीं वापस भी नहीं जा सकती सलमा अब आप अपने पैरों से बनाई पगडंडियों ही हमें इस जंगल में पाले जाता है उस तरफ जिस तरफ हमें जानना जाना है अंधेरे जंगल में बस हम एक दूसरे की आवाज देते रहेंगे ताकि कोई कहीं ज्यादा पीछे न छूट जाए अपने को अकेला पाकर हताश ना हो इस जंगल में खो ना जाएं जब जंगल पार करने के अलावा कोई चारा नहीं था ।
फिर साथ-साथ ही निकल चलें अजीज सलमा ने कहा उसे एकाएक देखा था आमीन आमीन याद जंगल मेरा है और अब तुम भी मेरे हो तब सलमा ने उसे समेट लिया था और वह दोनों भीगते जंगल को खो गए उसके बाद वहीं भी की जंगली हवाएं जंगल उसमें थी वह व्याकुल हिंद महासागर में डूबता और नहाता पूरा जंगल ज्वार थमा तो बिस्तर पर नहीं अंधेरे में बिस्तर में कहीं ऊंची दर्द में एक चट्टान पर निर्भर पड़े थे व्याकुल हिंद महासागर की लहरें पुकार रही थी मम्मा मम्मा शर्मा चौकी या तो सो सो सोराब की आवाज है छुट्टियों में आया हुआ हूं और आप अपने मां को खोज रहा था अपने कपड़ों को लपेटकर घबराई हुई और बेहद परेशान शर्माता पागलों की तरह भागी थी हड़बड़ाहट में उसने ब्लाउज उल्टा पहन लिया था ।
अजीब उस अंधेरे में इतना ही देखा था अपनी मां से लिपटकर सोहेल शराब रो रहा था शराब से लिपट गई उसकी मां रो रही थी या रोना फिर कोई हफ्तों तक जारी रहा जमी तभी थमा जब सोहराब हॉस्टल लौट गया तब सलमा फिर अजीब से मिली दोनों उसी चांदनी वाली रात पर बहुत देर तक खामोश बैठे रहे आखिर सामने नीले पानी पर डूबते सूरज को देखते हुए अजीब ने पूछा हम बातें कहां से शुरू करें उसी पहले दिन से जब हम लाहौर एयरपोर्ट पर मिले थे और फिर हर बार हमारी बातें वहीं से शुरू होंगी उसी चट्टान पर खत्म होंगी मुझे पुकारता हुआ सोहराब आया सलमा की आंखों से जुगनू से चमक रहे थे सुख मेरा सुख मेरा गोरापन यही है अगर आपको नहीं बता पाऊंगी तो किसे बताऊंगी शायद इतना हक तो मुझे है।
मैं खुद के लिए खुदा के लिए सोहराब के लिए दार से जीती रहूं गुनाह वहां है जहां पर एक और बेईमानी है मैं आपके साथ शराब के लिए और खुदा के सामने एक खुली किताब जीना चाहती हूं मेरा अल्लाह जानता है सब कुछ जानता है मैं क्या चाहती हूं कहते हुए वाह उठी थी और कमरे की ओर चल दी अधिक भी उसके साथ साथ कमरे में चल चला आया बिस्तर बैठते हुए उसने कहा तुम तो बहुत गहरी बातें कर रही हो सलमा ।