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भाग 4

21 जुलाई 2022

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और तभी यूरोप के सम्राट गिल गमेंश की गूंजती आवाज आई - 

- मैं पीड़ा से लड़ लूंगा यातना सहूँगा  कुछ भी हो मैं मृत्यु को पराजित कर लूंगा मैं मृत्यु से मुक्त की औषधि खोज कर लाऊंगा ! 

सम्राट गिल गणेशा की याद हीर गंभीर आवाज ब्रह्मांड में गूंजने लगी बेबीलोनिया मेसोपोटामिया सुमेरी अकाली और सिंधु घाटी सभ्यता के देवता का अपने लगे यूरोप की वह विशाल दीवार थरथर आने लगी जिसे खुद पृथ्वी सम्राट गिलगामेश ने देवताओं के लिए बनवाया था वह मंदिर भी कांपने लगे जिसमें उसने देवी इना के साथ-साथ सर्वोच्च ईश्वर अनु और सर्वोच्च देवी स्तर की प्रतिमाएं स्थापित की थी |   

 सम्राट गिलगामेश ने द्वारा घोषित किया - मैं पीड़ा से लड़ लूंगा यातना सहूँगा  कुछ भी हो मैं मृत्यु को पराजित कर लूंगा मैं मित्र से मुक्ति की औषधि खोज कर लाऊंगा सम्राट गिलगामेश की घोषणा सुनकर प्रत्येक सभ्यता के देवी देवताओं की दुनिया में कोलाहल मच गया सुमेरी सभ्यता का परम बिलासी देवता यूनिक चीखने लगा सुनी आप सब ने सम्राट गिलगामेश की घोषणा व मृत्यु  से मुक्त की औषधि खोजना चाहता है | 

गलती हमारी है जो मेरी सभ्यता के दूसरे देवता ने  कहा जब पर आसक्त ने जीव को जन्म देकर जीवन की लालसा सुख का आवाज अधिकार और विवेक शक्ति दी थी तब हमने इसका विरोध नहीं किया था यही मौलिक गलती हमने की थी |  तो पराशक्ति से हमें पूछना चाहिए कि मनुष्य यदि हम देवताओं की तरह अमृत प्राप्त कर लेगा तो श्रेष्ठ हो जायेगा क्या होगा तब तो या पृथवी नष्ट भ्रष्ट हो जाएगी  |  

मनुष्य पाप और सुख विलास की वासना में लिप्त होकर निरंकुश हो चुका है मनुष्य की श्रेष्ठता में सब कुछ अवैध है यदि वह मृत्यु को जीतकर हमारी श्रेष्ठता  में आ बसा तो हमारा यह स्वर्गीय संसार प्रदूषित हो जाएगा बिलोनिया का डरा हुआ देवता विवोलोनी सभ्यताओं के देवताओं को आगाह करने लगा और कहने लगा पराशक्ति से हम देवताओं को इसका उत्तर मांगना चाहिए और सुनो सिंधु सभ्यता के सर्वशक्तिमान आर्य देवता इंद्र का तत्काल पता करो और उनसे कहो कि वहां पर  उत्तर ले लेकर आएं | 

तभी देवताओं की इस संगत में तीन संदेशी आकर उपस्थित हुए एक संदेश ई ने अपनी रपट और खुफिया जानकारी पेश की श्रीमन यूरोप का सम्राट गिलगामेश नितांत चरित्र भ्रष्ट मनुष्य है वह महा विलासी है वह विश्व विजय के लिए निकला तो कोई शक्तिमान उससे लोहा नहीं ले पाया अपनी विजय यात्रा में उसने शस्त्रों कुंवारी कन्याओं का शीलभंग किया पराजित योद्धाओं की पत्नियों और स्त्रियों को उसने असाइनी बनाया वह धाम वासना से ग्रस्त परम विलासी सम्राट है| 

जो अब एकाएक पुण्य आत्मा बनकर मृत्यु  से मुक्त की औषधि प्राप्त करने का नाटक कर रहा है तीनों सभ्यताओं के देवताओं ने यह बयान सुनकर दूसरे दूसरे संदेशी की ओर देखा तो बिलोनि ने कहा लेकिन गिलगामेश कुछ भी कर सकता है इसीलिए मैं कहता हूं कि उन आर्य कवियों का पता करो जो अपने देवताओं के साथ ना जाने किन दिशाओं की ओर चले गए हैं क्योंकि गिलगामेश को आर देवता इंद्र ही परास्त कर सकता है श्रीमान आर्यों के वक्त मिले जो शास्त्रों सदियों पहले क्रोशिया के विंध्या इलाके में चले थे उनमें से कुछ थक कर उसके दक्षिणावर्ती घास के मैदान में रुक गए थे 

जिन आर्यों का साथ कुदरत ने दिया वह मिस्र की तरफ निकल गए लेकिन आर्यों के बड़े-बड़े कबीले को पूरब का सूरज ज्यादा आकर्षित कर रहा था उन्होंने प्रकाश की दिशा पूरब की ओर बढ़ना ही पसंद किया | अंधकार के बाद उदित होकर पूरब का सूरज उन्हें पुकारता था इसीलिए आर्य कबीले उर्फ राजू और तिगरा नदियों से होते हुए उस पार जाकर तबरेज और तेहरान के रास्ते सिंधु घाटी की ओर बढ़ गए इसका मतलब है कि आज कई कवियों में बैठ गए हैं श्री हां श्रीमान आर्य कमीनों का दूसरा कारवां मशद के इलाके को छोड़ता हुआ है रात और बालक के रास्ते बोलन दर्रे से सिंधु प्रदेश में दाखिल हुआ था

आर्यों का तीसरा कारवा जो खैर अब दर्रे को पार करके सिंधु घाटी में दाखिल हुआ वह मोहनजोदड़ो और हड़प्पा के इलाके में बस गया शायद ही आर्यों का राजा इंद्र वह भी सम्राट गिलगामेश की तरह महा विलासी है हमें उसकी विलासिता से लेना देना नहीं है हमें तो पराशक्ति से सवाल करना होगा कि उसने मनुष्य जाति को विवेक की सख्त क्यों दी है अब और तब इस प्रश्न के उत्तर में सप्तसिंधु की आवश्यकता से इंद्र का उत्तर गूंजता हुआ आया था सुनो पराशक्ति मौन है| 

वह विखंडित होते परमाणु का आधारभूत रूप है वही ब्रह्मांड की मूल मान सकती है ब्रह्मांड इसी की ऊर्जा से बनता इसी में टिका रहता है और इसी में विलीन हो जाता है वह आदि अंत से परे है आप परिमेय और अपरिमेय है अज्ञात और आगे है अदिति है परा अपरा है नित्य है स्वास्थ्य और सनातन है तेज पुंज है ब्रह्मांड के शास्त्रों सूर्य से अधिक तेजस्वी है पदार्थ इसी में जनता और इसी में विलीन होता है जो कुछ बोल और अंतरिक्ष लोग में अवस्थित है वह सब वही है इससे परे कुछ भी नहीं है यही है चेतना ऊर्जा आदि प्रमाण की पर आ सकती है हमने हमारी सभ्यता ने इसे ब्रह्म पुकारा है भ्रम है या निश्चय है परंतु वह क्या है यह निश्चित है व रूप रूप आकार से परे है वह व्याख्या ही अति आगे आदित्य है वह प्रश्नों से ऊपर आम है| 

सिंधु सभ्यता का यह संदेश पाकर देवताओं की मंडलियों में खामोशी और निराशा छा गई वे जानते हैं कि ब्रह्मा शक्ति अथवा आदि परमाणु शक्ति को लेकर जितने आत्मिक और देव दैविक अनुसंधान सिंधु सभ्यता ने किए हैं उतने किसी अन्य शब्द ताने नहीं उनकी पराशक्ति संबंधी इस दार्शनिक व्याख्या को निकालना कठिन था देवताओं की गोष्ठी में चिंता छा गई सबके सामने एक ही प्रश्न था सुमेरी सभ्यता की पृथ्वी सम्राट फिल्म इसको आखिर कौन रोकेगा कौन तभी सुमेर के पर्वत से निकलकर सर्वशक्तिमान अनुपस्थित हुआ | 

चिंता ग्रस्त देवताओं को उसने ढांढस बंधाया आतंकित होने की आवश्यकता नहीं है यद्यपि सम्राट दिल में स्नेह यूरोप में इना का मंदिर बनवा कर उसमें मेरी और युद्ध की देवी स्तर की विशाल प्रतिमा स्थापित की है लेकिन जब उसने अपने पाप अनाचार अत्याचार से त्राहि-त्राहि मच आदि लोगों का जब करूं कुंदन मुझे सुनाई दिया तो मुझे उस असाधारण तथा प्रचंड सम्राट गिल में इसको समाप्त कर देने या शब्द बना देने की योजना बनाई मैंने आकाश पुत्र नंदू को मनुष्य का जन्म देकर पृथ्वी पर भेजा एक अंधा एक दम नंदू एकदम आदिम जंगली पशु टूल और बर्बर था | 

उसके शरीर पर वन्य पशुओं की तरह बाल थे वह जंगली जानवरों के साथ रहने लगा वह उन्हीं की तरह कच्चा मांस खाता था और जरूरत पड़ने पर घास भी खा लेता था एक दिन एक शिकारी जंगल में शिकार के लिए पहुंचा वहां एकाएक उसने एक अनु को देखा तो भयभीत हो उठा जो कुछ भी शिकार उसके हाथ लगा था उसे उठाकर वह घर की ओर भागा उसके मुंह से बोल नहीं फूट रहे थे कापते हाथ लाते उसने अपने पिता को बताया जंगल में एक भयानक विलक्षण मनुष्य को देखा वह जंगली जानवरों के साथ रहता है उसने उन्हें उन्हीं के समान घास पात खाता है लेकिन उसे देखने में ऐसा लगता है कि वह अवतारी पुरुष है| 

मेरे बेटे पिता ने कहा तुम फौरन जो रुक जाओ और सम्राट गिलमेष को सूचित करो उसे निश्चय ही देवताओं ने पृथ्वी पर भेजा होगा क्योंकि देवता लोग हमारे सम्राट से भयभीत हैं सम्राट दिल में की जितनी प्रशंसा की जाए कम है हमारे सम्राट बहुत चतुर बुद्धिमान और शक्तिमान है उन्हें संसार के अनेकानेक रहस्यों का पता है सम्राट जानते हैं कि या देवता लोग आलसी और आक्रमण हैं यह बीवी है जो मनुष्य और परम श्रद्धा के बीच में स्थापित हो गए हैं वह हमारे सम्राट को नष्ट करना चाहते हैं तुम तत्काल उस विलक्षण अवतारी वन्य पुरुष की सूचना सम्राट को दो और सुनो उस वन अवतारी पुरुष को वश में करने के लिए तुम ना के प्रेम मंदिर की सबसे सुंदर देवदासी को लेकर जंगल में जाओ और देर मत करो जाओ वह शिकारी यूरोप के लिए रवाना हो गया |  

वहां पहुंचते ही उसने सारी सूचना सम्राट दिल में स्कूटी तो सम्राट ने कहा या निश्चय ही मेरे विरुद्ध देवताओं का षड्यंत्र है तुम्हारे पिता ने ठीक कहा है तुम इना के प्रेम मंदिर की सबसे सुंदर साली देवदासी रूणा को लेकर जंगल में जाओ मैंने इन देवताओं की जीवन शैली को देखा है या लोग इस तरीके पर तत्काल आसक्त हो जाते हैं इनकी वासना जाग पड़ती है और यह अपनी साधना और लक्ष्य को भूल जाते हैं निश्चय ही मेरा व शत्रु भी नारी सुंदर के प्रति आकर्षित हो जाएगा तब वन्य पशु उसे अपने समाज में रखने से इंकार कर देंगे सप्त सिंधु की आर्य सभ्यता भी अपने देवताओं को वश में रखने के लिए अप्सराओं का उपयोग करती है| 

तुम तुरंत परम सुंदर स्त्री को लेकर जंगल में जाओ और उस अवतारी पुरुष को स्त्री का दास बना दो आदेश पाकर वह शिकारी उसी अत्यंत सुंदर शील देव दासी रूणा को लेकर जंगल में पहुंचा और एक झील के किनारे एक एकांत की प्रतीक्षा करने लगा 3 दिन बाद वन्य पशुओं का एक झुंड उस झील के किनारे आया इस झुंड में एक किंतु भी था शिकारी उसे देखकर भयभीत हुआ और उत्साहित भी उसने देवदासी को बताया है यही है वह अब तुम अपने पूर्वजों का आवरण हटा दो शर्माओ नहीं देरी मत करो तुम्हें नग्न देखकर वह तुम्हारी ओर खिंचा चला आएगा और तब तुम उसे अपने वश में कर लेना देवदासी रोना ने अपने को नग्न किया और अनंत अंततः उसने एक एक हिंदू को आकर्षित कर लिया देवता अनु ने कहानी रोककर बताया आश्चर्य की बात तो यह थी | 

 कि संभोग सुख के बाद भी एक कंदू उस देवदासी से अलग नहीं हुआ वह उसे अपनी बलिष्ट बाहों में लेकर तरह-तरह से देखता रहा ना मालूम वह एक दूसरे की आंखों में क्या तलाशते रहे मुझे तो लगता है कि यह प्रेम नाम की भावना थी जो मनुष्य में स्त्री में तलाश लिए मेरा माथा तभी ठनका था किंतु प्रेम की उस आ सकती में या भी भूल गया कि वह मनुष्य के रूप में आकाश देवता का पुत्र है मैं उसे या कैसे याद दिलाता मैं कुछ कर नहीं सकता था एक किन्नू और देवता देवदासी 6 दिन और 7 रातों तक साथ साथ रहे तब एक दिन देवदासी ने कहा तुम कितने चतुर और बुद्धिमान हो 

एकन्दु  तुम अवतारी पुरुष हो पर मैं तुम्हें साधारण मनुष्य के रूप में ज्यादा पसंद करूंगी इन पशुओं के साथ छोड़ो और चलो मेरे साथ मैं तुम्हें यूरोप की भारी  दीवार और महान मंदिर दिखाऊंगी वहां अनु और स्तर निवास करते हैं वहां सम्राट गिलगमेश हैं वह महाशक्तिशाली हैं वह हम जैसे मनुष्यों की सृष्टि की रचना कर रहे हैं आखिर देवदासी रोना ने एकन्दु को साधारण मनुष्य की तरह बना लिया उसके बालों को साफ किया अपने कपड़ों का एक भाग उसे दिया दूध पीना और कंदमूल खाना सिखाया और भारी जन  समूह उमड़ पड़ा भव्य दीवार के द्वार पर का आमना-सामना हुआ दोनों ने एक दूसरे को जलती आंखों से देखा एकन्दु  के नथुनों से  घर-घर आहट निकलने लगी दिल में भी योद्धा की तरह हुंकार और दोनों एक दूसरे के पथरीले सानो की तरह  लङने लगे  मंदिर के द्वार दस्त हो गए अनु ने आगे बताया

मैं उन दोनों का द्वंद युद्ध देख रहा रहा था मुझे विश्वास था कि एकन्दु विजई होगा लेकिन आश्चर्य की बात की गिरमेष ने एक एकन्दु को ऐसा दबोचा कि वह झटपट आने  लगा उसको वायुमंडल में फेंक दिया काफी देर वायु में सूखे पत्ते की तरह चकराता रहा फिर जब धरती पर गिरने लगा तो गिरमेष  में उसने उसे बाहों में संभाल कर अपने सामने खड़ा कर दिया पूछा बता मेरे विनाश के लिए तुझे किसने भेजा अभी एकन्दु मनुष्य की चतुराई से दूर था | 

उसने मेरा नाम ले लिया जिनमें इस भड़क उठा और उसने कुछ कठोर अपशब्द मेरे लिए कहे हुआ चीखने लगा तो देवता अनु ने तुम्हें मेरे विनाश के लिए भेजा है वही देवता जिसके लिए मैंने भव्य दीवार और मंदिर बनवाया था |  जिसे मैंने श्रद्धा से देवता का पद दिया था जिसके लिए मैंने अपनी समस्त प्रचार से कहा था |  कि इसकी पूजा करो मुझे मालूम नहीं था कि वह देवता अनु इतना तक निकलेगा वह या भूल गया समस्त देवताओं का अस्तित्व मात्र मुझ जैसे मनुष्य के कारण है या सुनकर सारे देवता क्रोधित हो उठे अपुन तो भड़क ही उठा सम्राट गिरधारी हो गया इसके इस अहंकार को तोड़ना ही होगा या अब असंभव है क्योंकि भव्य दीवार के पास हुई इस मुठभेड़ में एक अनु को परास्त करने के बाद मालूम क्यों सम्राट दिल में स्नेह से मित्रता कर ली वे दोनों परम मित्र हो गए | 

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रचनाएँ
कितने पाकिस्तान
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कितने पाकिस्तान हिन्दी के विख्यात साहित्यकार कमलेश्वर द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 2003 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। यह उपन्यास भारत-पाकिस्तान के बँटवारे और हिंदू-मुस्लिम संबंधों पर आधारित है। यह उनके मन के भीतर चलने वाले अंतर्द्वंद्व का परिणाम माना जाता है।'कितने पाकिस्तान' कमलेश्वर का लिखा हुआ एक प्रयोगवादी उपन्यास है। इस उपन्यास को 2003 के साहित्य अकादमी पुरस्कार से नवाज़ा गया था। यह उपन्यास बाकी उपन्यासों से कई मामलों में अलग है। पहला, इसमें सामान्य घटनायें, जैसे उपन्यासों में होती हैं, नहीं हैं, बल्कि ऐतिहासिक घटनाओं का लेखक के नज़रिये से वर्णन है। क्योंकि सारा कथानक उसी के इर्दगिर्द घूमता है। उपन्यास में सदियों से चले आ रही हिंसा और मारकाट के प्रति गहरा क्षोभ है। पात्रों की इस कमी को इतिहास के प्रसिद्ध व्यक्तियों को कटघरे में लाकर दूर किया गया है। अगर उपन्यास का सार निकालने की कोशिश की जाए तो यही आयेगा कि विभाजन अब बंद होने चाहिये।
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भाग 1

21 जुलाई 2022
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एक भूली हुई दास्तान उसे याद आती है  ।   वह तो एक बंजर जमीन से आया था ।  खामोश  आकर्षणों की दुनिया से जहां कहां कुछ भी नहीं जाता । मन ही मन में कुछ अरमान करवटें लेते हैं । अनबूझी इच्छाएं आती और चली जा

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भाग 2

21 जुलाई 2022
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- हुआ या था नहीं स !  पहले या सुनिए कि हुआ क्या है...... उसने चौक कर आवाज की तरफ देखा था उसका एक में 3 सहायक स्टोनो और अर्दली महमूद उसके सामने खड़ा था।  उसके हाथ में टेलीप्रिंटर से आई खबरों के कुछ कु

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भाग 3

21 जुलाई 2022
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खत भेजने के बाद अभी बहुत परेशान था । वह सोच रहा था कि उसके उद्गार और विचार कहीं देश की रक्षा सुरक्षा के नाम पर दूसरों के लिए मौत तो पैदा नहीं करते क्या एक के जीवित रहने के लिए दूसरे की मौत जरूरी है?

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भाग 4

21 जुलाई 2022
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और तभी यूरोप के सम्राट गिल गमेंश की गूंजती आवाज आई -  - मैं पीड़ा से लड़ लूंगा यातना सहूँगा  कुछ भी हो मैं मृत्यु को पराजित कर लूंगा मैं मृत्यु से मुक्त की औषधि खोज कर लाऊंगा !  सम्राट गिल गणेशा की

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भाग 5

21 जुलाई 2022
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वहां मौजूद तमाम देवताओं की चिंता का एक स्वर में अनुमोदन किया और देवी तान्या ने तब उन्हें आगाह करने वाला भाषण दिया दजला फरात और डेन्यूब की परा धरती के समस्त देवताओं तुम सब आज चिंतित हो क्योंकि मनुष्य म

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भाग 6

29 जुलाई 2022
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उसी कहानी में शामिल है बूटा सिंह और रेतपरी किया की  यह कहानी राजस्थान का तपता रेगिस्तान कोई चीखा बन गया साला पाकिस्तान आसमान की आंख सूखी हुई थी उनमें एक बूंद भी पानी नहीं था मौसम विभाग के वैज्ञानिक

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भाग 7

29 जुलाई 2022
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बूटा सिंह जब जीने के लिए कपड़े लेने निकला था पाकिस्तान नाम की लकीर तो फिर चुकी थी मौसम विशेषज्ञों की भविष्यवाणी सही साबित हुई रक्त की वर्षा हो रही थी रेत परिचय नहीं अभी भी गर्दन तक रेत में दबी हुई है

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भाग 8

29 जुलाई 2022
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आतंकी देवताओं ने धरती की ओर देखा वह सकते में आ गए जो लोग के समस्त सफेद पंखों वाले पंछी देवदासी रोना को लेकर मित्रों पर उतर रहे थे "के समय उसके साथ अभी सभी तरह के पंछी पखेरू शामिल होते गए थे उनमें अंजन

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भाग 9

29 जुलाई 2022
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बूटा सिंह ने कपड़ों की जोड़ी लाकर जीने के पास रख दिया और पूछा निकालूं तुम बाहर जाओ मैं निकाल आऊंगी धीरे-धीरे जैनेब रेट टिकट दे से निकल आई उसने तार-तार हुई कुर्ती को उतारा और वही संभाल कर रख दिया ना जा

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भाग 10

29 जुलाई 2022
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बूटा सिंह ने कपड़ों की जोड़ी लाकर जीने के पास रख दिया और पूछा निकालूं तुम बाहर जाओ मैं निकाल आऊंगी धीरे-धीरे जैनेब रेट टिकट दे से निकल आई उसने तार-तार हुई कुर्ती को उतारा और वही संभाल कर रख दिया ना जा

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भाग 11

6 अगस्त 2022
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उसके  अदालत के दरवाज़े पर रक्त  दस्तके  पड़ने लगी । वह दस्तक  से परेशान था। परेशान नही  पागल। और फिर दस्तक  पर दस्तक  ।पश्मी सीमांत से एके-47 चीनी राइफल ने दस्तक दी । हथियार बनेंगे तो चलेंगेभी ।  उत्तर

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भाग 12

6 अगस्त 2022
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वह कौन सी तारीख थी।  इब्राहिम लोदी से मैंने पार्क पानीपत की लड़ाई 20 अप्रैल 1526 को जीती थी और रजत 15 जुम्मे के दिन यानी 27 अप्रैल 1526 को मारे मेरे नाम का खुतबा पढ़ा गया था या खुद बा मौलाना महमूद और

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भाग 13

6 अगस्त 2022
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अजीम फैजाबाद स्टेशन पर उतरा ही था कि वह धमाकेदार झापड़ उसके पड उसके पड़ा स्टेशन की दीवार पर लिखा हुआ नारा सामने खड़ा था बोला फैजाबाद आए हो तो पहले इसे पढ़ पढ़ो इसमें लिखा था कि अपने धर्म स्थानों का अप

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भाग 14

6 अगस्त 2022
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बस आग लगाते घूम रहे हैं सब ही ना ही चाह सोजत की भारत का क्या होगा पहले ही या हिंदू मुसलमान को लगवाना चाह ना ही लड़ बाय पाए तो अब शिया सुन्नी को डलवाना चाहते हैं अब पानी शरबत बिस्कुट और मूंग के दाल मोड

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भाग 15

6 अगस्त 2022
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हुजूर इन कानूनी बारीकियों में मत जाइए अन्याय अन्याय है अन्याय ग्रस्त औरत की जिंदगी तो मौत से बदतर होती है तुम ठीक कह रहे हो महमूद अली अदालत सीखी तो पूरी श्रेष्ठ कांप उठी नहीं मैं मुद्दों के अलावा जिद्

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भाग 16

6 अगस्त 2022
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नक्सलवाद का समर्थन कर रहे थे एक के बाद एक ताने कसे तो इमाम नाजिश बौखला गए और और बोले तब तुम भी हमसे कहां लगते अधीन तुम अमृता प्रीतम करतार सिंह दुग्गल मोहन राकेश भीष्म साहनी देवेंद्र सत्यार्थी और यहां

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भाग 17

6 अगस्त 2022
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और मार दो अपने ही सब सृष्टि की रचना की थी उसने अपने दादा अनु को आकाश का सम्राट बनाया था अपने पिता ऐसा को धरती का और तब माधुरी ने एक महा मंदिर बनाया था कि आकाश के देवता और ईश्वर जो उसकी प्रजाति धरती पर

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भाग 18

6 अगस्त 2022
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जी शायद आप मुझे ठीक ही पहचान रहे हैं सलमा की जान में जान आई मैं सीएसपी के जनाब आफताब अहमद की हूं  और हिंदुस्तान में रहती हूं वह मेरे नाना है सलमान ने कहा तब पुलिसवाला कुछ नाराज सा होकर काउंटर वाले से

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भाग 19

6 अगस्त 2022
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अदालत में क्या कह रहे हो तुम मैं तो कराची के होलीडे इन होटल के रेस्टोरेंट में बैठा हुआ था और सलमा से बातें कर रहा था हुजूर आपकी यादों की परछाई का नाम क्या है या तो मुझे नहीं मालूम पर आपके होंठ मिलता ल

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भाग 20

6 अगस्त 2022
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तब अजीब चीन से लौट आया था सलमा भी अपने नाना से मिलकर कोटा से लौट आई थी उसे उम्मीद नहीं थी कि इतने महीनों बाद भी सलमा उस पेपर नैपकिन पर लिखे पते पर फोन का नंबर को संभाल कर रखे गी पर उसने रखा था ना रखा

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भाग 21

6 अगस्त 2022
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नहीं नहीं तो या नीम की पत्तियां झड़ रही है ना हां पतझड़ का मौसम है ना नहीं या अंधेरे का मौसम है लगता है मेरा पति पति झड़ रहा है तो एक बात क्यों ना करें क्या हम न कुछ पूछे न जाने अपने रवा अति जिंदगी के

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भाग 22

13 अगस्त 2022
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बिस्तर उनका इंतजार कर रहा था वह भी  वह भी त्रियोबिश की  रेती की तरह साफ़ था। मेरे संपर्क से छूने से कुछ ऐसा तो नहीं जो तुमने जीवित होता हो और मेरा प्रतिकार करता हूं नहीं ऐसा भी कुछ नहीं सलमा ने बहुत गह

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भाग 23

13 अगस्त 2022
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जब अजीब और शर्मा कॉटेज से निकले तब भी नीले फूल खिले हुए थे। सलमा ने साड़ी पहनी थी बदन में बाकी फूल तो साड़ी और ब्लाउज के अंदर उन देशों की तरह समा गए थे । प्रभावों पर उन नीले फूलों की जो लेटर उतर आई थी

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भाग 24

13 अगस्त 2022
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वह मेरा बेटा ही सही पर मर्द हो जीने के लिए कहीं मुश्किल नहीं होता मैं एक रिश्तेदार की तरह आपको राय देता हूं कि बेहतर होगा कि आप अपने बेटे के साथ अपने नाना के पास पाकिस्तान लौट आए नईम ने कहा आप तो बिल्

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भाग 25

13 अगस्त 2022
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कुछ नहीं ऐसे लोग आकर यहां क्यों नहीं समझते कि मुसलमानों के नाम पर पाकिस्तानियों को बोलने का कोई हक नहीं है आज है हिंदुस्तान में पाकिस्तान से ज्यादा मुसलमानों पाकिस्तान से ज्यादा इस्लाम की समझने वाले ल

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भाग 26

13 अगस्त 2022
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सलमा और अधीन ने मजहब तो नहीं बदले पर उन्हें इस बात में मजा जरूर आने लगा या उनके लिए जैसे खेल की बात बन गई सबसे पहले तो उन्होंने जगह बदली वह पूरब की ओर भागे भागते भागते ब्लैक रिवर के घने जंगलों को पार

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वह आवाज बिजली की तरह तड़प और कड़क रही थी और अब वह कौन सी भी कमरे में खड़ी हो गई थी अजीब या कौन है डर से असहमति सलमानी उसके कंधे के पीछे छुपे हुए पूछा मैं चला दो आलमगीर औरंगजेब का जल्लाद मैं कोतवाल भी

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भाग 28

13 अगस्त 2022
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इस्लाम में हर कुदरती जरूरत के लिए जगह है लेकिन जब मजहब और सियासी फायदे के लिए नफरत में बदला जाता है तो एक नहीं तमाम पाकिस्तान पैदा होते हैं मेरी बच्ची तुम्हारी जिंदगी को इस गलत विभाजन ने तोड़ दिया है

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भाग 29

13 अगस्त 2022
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गहरी नहीं जरूरी अंग्रेजों और जिन्ना साहब ने सोचा ही नहीं था कि जब हिंदुस्तान नाम का मूल नसीब होगा तब मेरी जैसी एक सलमा कैसे तक्सीम होगी और वह अपनी इज्जत कहां  कहां तलाशग अदीब ने उसे बहुत प्यार से पुका

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भाग 30

13 अगस्त 2022
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तभी नूरजहाँ  उसका ध्यान नीचे मौजूद रियाया की तरफ दिलाया उधर देखिए हुजूर इतने दिनों बाद आप बाहर निकले आपकी रे आया आपके दीदार के लिए उम्र पड़ी है तभी भीड़ ने पुरजोर आवाजें का आने लगी बादशाह सलामत जिंदाब

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भाग 31

13 अगस्त 2022
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मुझे जाना चाहिए वक्त आप को माफ नहीं करेगा और फिर आपको भी वक्त की बरात बर्बादी का मलाल कठोरता रहेगा सारा शगुफ्ता देखिए आपके अर्दली साहब बेसब्री से आपका इंतजार कर रहे हैं चलने से पहले एक यशपाल दरख्वास्त

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भाग 32

13 अगस्त 2022
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मैंने कोई निमंत्रण बाबर को नहीं भेजा था राणा सांगा नितेश में कहा तुम्हारा वह दावत नामा मेरी तिवारी बाबरनामा में दर्ज है और वह दस्तावेज आज का नहीं सोलवीं सदी का है अगर या गलत है तो तुमने तब क्यों नहीं

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भाग 33

15 अगस्त 2022
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 या गलत है हमारी गलती से विभाजन तो एक सच्ची घटना में तब्दील हो गया था पर विभाजन के भयानक दौर में भी सिंध में मारकाट नहीं हुई हमने मन ही मन अपनी ऐतिहासिक गलती मंजूर करते हुए बहुत भरे दिल से अपने हिंदू

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भाग 34

15 अगस्त 2022
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मुसलमान का था मीरा का था कबीर का था नाना कोटा कोलकाता सुब्रमण्यम भारती और नज़रुल इस्लाम कथा संत रैदास के और ज्ञानेश्वर का था किसका खुदा नहीं था लेकिन इंक इकबाल ने खुदा के मस्जिदों में कैद कर देने का प

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भाग 35

15 अगस्त 2022
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और आपकी सलमा जो खुदा हाफिज कह कर चली गई है इस अहम अदालत का कारोबार रोक कर आपको फिर अपने लिए हासिल करने की कोशिश में लगी है और उधर आपके दोस्त भवानी सिंह उप ईरान की राजधानी तेहरान से लौटकर कुछ जरूरी बात

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भाग 36

20 अगस्त 2022
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हुजूर हमसूफी है इस पागल शहंशाह ने हुजूर पैगंबर के जन्मदिन पर गाए जाने वाले हम हमारे भजनों पर भी पाबंदी लगा दी तब हम सूफी संतों को उसके गुर्गे और दरोगा मिल जावा वाकर के खिलाफ गोलबंद होकर निकलना पड़ा इस

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भाग 37

20 अगस्त 2022
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मौका पाते ही सल्तनत के वजीरे खारी खारी जा राजा रघुनाथ को हटाकर या वादा किसी से मुसलमान को दिया जाए किसी हिंदू अफसर के नीचे मुसलमान को तैनात किया जाए और अब खुलकर इन काफिरों हिंदुओं को बता दिया जाए कि व

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भाग 38

20 अगस्त 2022
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यही कि जो मैंने किया वह गलत भी था वह सही भी था सर जमीन ए हिंद की नजर में मैंने बहुत कुछ गलत किया जो मुझे शायद नहीं करना चाहिए था लेकिन इस्लामी मिल्लत की नजर में जो कुछ मैंने किया वह शायद सही था ऑरेंज

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भाग 39

20 अगस्त 2022
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तभी इतिहास के करोड़ों पन्नों से चीखती हुई आवाज आने लगी औरंगजेब तुम जालिम हो तुमने पोस्ते का पानी पिला पिला कर मुराद को मारना चाहा जब वह तंदुरुस्त शहजादा अफीम के पानी से नहीं मारा तो तुमने उसे चला दो उ

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भाग 40

20 अगस्त 2022
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शिब्ली नोमानी बड़े जोश खरोश से बता रहे थे मजहब की शक्ति का अगर किसी ने पहली बार इस्तेमाल किया तो बस सिर्फ यही दिलेर आलमगीर था कहीं ऐसा तो नहीं कि औरंगजेब ने इस्लाम का सहारा अपनी कमजोरियों और जातियों क

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भाग 41

20 अगस्त 2022
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तुम लोग कहर की बात करते हो हम कयामत बरपा करेंगे और मिस्र में बाप कुछ भी नहीं जिंदा छोड़ेंगे जो इस्लाम से पहले का है हम उसे बराबर करके रहेंगे दूरदराज अमेरिका से आई वहां मिस्र का मूल्य से कुमार अब्दुल र

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भाग 42

20 अगस्त 2022
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या तेज भाई जारी थी कि लश्कर मंदिर के उत्तर पूर्वी तरफ अबू हज आज मंदिर से इमाम वाहिद मोहम्मद अपनी ने भय ग्रस्त आंखों से जाकर देखा यहीं इसी मस्जिद में अपने समय के सबसे बड़े विद्वान अबू हज्जाज दफन हैं जि

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भाग 43

20 अगस्त 2022
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इसीलिए पश्चिम वाले ईरान की इस्लामी क्रांति की को आत्मसात नहीं कर पाए अयातुल्लाह खोमेनी और इस्लामी क्रांति में ईरान जैसे सभ्यता संपन्न देश को फिर एक बार उसकी दूरी दे दी आज अपनी धुरी पर लौटकर ईरान अपने

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