और तभी यूरोप के सम्राट गिल गमेंश की गूंजती आवाज आई -
- मैं पीड़ा से लड़ लूंगा यातना सहूँगा कुछ भी हो मैं मृत्यु को पराजित कर लूंगा मैं मृत्यु से मुक्त की औषधि खोज कर लाऊंगा !
सम्राट गिल गणेशा की याद हीर गंभीर आवाज ब्रह्मांड में गूंजने लगी बेबीलोनिया मेसोपोटामिया सुमेरी अकाली और सिंधु घाटी सभ्यता के देवता का अपने लगे यूरोप की वह विशाल दीवार थरथर आने लगी जिसे खुद पृथ्वी सम्राट गिलगामेश ने देवताओं के लिए बनवाया था वह मंदिर भी कांपने लगे जिसमें उसने देवी इना के साथ-साथ सर्वोच्च ईश्वर अनु और सर्वोच्च देवी स्तर की प्रतिमाएं स्थापित की थी |
सम्राट गिलगामेश ने द्वारा घोषित किया - मैं पीड़ा से लड़ लूंगा यातना सहूँगा कुछ भी हो मैं मृत्यु को पराजित कर लूंगा मैं मित्र से मुक्ति की औषधि खोज कर लाऊंगा सम्राट गिलगामेश की घोषणा सुनकर प्रत्येक सभ्यता के देवी देवताओं की दुनिया में कोलाहल मच गया सुमेरी सभ्यता का परम बिलासी देवता यूनिक चीखने लगा सुनी आप सब ने सम्राट गिलगामेश की घोषणा व मृत्यु से मुक्त की औषधि खोजना चाहता है |
गलती हमारी है जो मेरी सभ्यता के दूसरे देवता ने कहा जब पर आसक्त ने जीव को जन्म देकर जीवन की लालसा सुख का आवाज अधिकार और विवेक शक्ति दी थी तब हमने इसका विरोध नहीं किया था यही मौलिक गलती हमने की थी | तो पराशक्ति से हमें पूछना चाहिए कि मनुष्य यदि हम देवताओं की तरह अमृत प्राप्त कर लेगा तो श्रेष्ठ हो जायेगा क्या होगा तब तो या पृथवी नष्ट भ्रष्ट हो जाएगी |
मनुष्य पाप और सुख विलास की वासना में लिप्त होकर निरंकुश हो चुका है मनुष्य की श्रेष्ठता में सब कुछ अवैध है यदि वह मृत्यु को जीतकर हमारी श्रेष्ठता में आ बसा तो हमारा यह स्वर्गीय संसार प्रदूषित हो जाएगा बिलोनिया का डरा हुआ देवता विवोलोनी सभ्यताओं के देवताओं को आगाह करने लगा और कहने लगा पराशक्ति से हम देवताओं को इसका उत्तर मांगना चाहिए और सुनो सिंधु सभ्यता के सर्वशक्तिमान आर्य देवता इंद्र का तत्काल पता करो और उनसे कहो कि वहां पर उत्तर ले लेकर आएं |
तभी देवताओं की इस संगत में तीन संदेशी आकर उपस्थित हुए एक संदेश ई ने अपनी रपट और खुफिया जानकारी पेश की श्रीमन यूरोप का सम्राट गिलगामेश नितांत चरित्र भ्रष्ट मनुष्य है वह महा विलासी है वह विश्व विजय के लिए निकला तो कोई शक्तिमान उससे लोहा नहीं ले पाया अपनी विजय यात्रा में उसने शस्त्रों कुंवारी कन्याओं का शीलभंग किया पराजित योद्धाओं की पत्नियों और स्त्रियों को उसने असाइनी बनाया वह धाम वासना से ग्रस्त परम विलासी सम्राट है|
जो अब एकाएक पुण्य आत्मा बनकर मृत्यु से मुक्त की औषधि प्राप्त करने का नाटक कर रहा है तीनों सभ्यताओं के देवताओं ने यह बयान सुनकर दूसरे दूसरे संदेशी की ओर देखा तो बिलोनि ने कहा लेकिन गिलगामेश कुछ भी कर सकता है इसीलिए मैं कहता हूं कि उन आर्य कवियों का पता करो जो अपने देवताओं के साथ ना जाने किन दिशाओं की ओर चले गए हैं क्योंकि गिलगामेश को आर देवता इंद्र ही परास्त कर सकता है श्रीमान आर्यों के वक्त मिले जो शास्त्रों सदियों पहले क्रोशिया के विंध्या इलाके में चले थे उनमें से कुछ थक कर उसके दक्षिणावर्ती घास के मैदान में रुक गए थे
जिन आर्यों का साथ कुदरत ने दिया वह मिस्र की तरफ निकल गए लेकिन आर्यों के बड़े-बड़े कबीले को पूरब का सूरज ज्यादा आकर्षित कर रहा था उन्होंने प्रकाश की दिशा पूरब की ओर बढ़ना ही पसंद किया | अंधकार के बाद उदित होकर पूरब का सूरज उन्हें पुकारता था इसीलिए आर्य कबीले उर्फ राजू और तिगरा नदियों से होते हुए उस पार जाकर तबरेज और तेहरान के रास्ते सिंधु घाटी की ओर बढ़ गए इसका मतलब है कि आज कई कवियों में बैठ गए हैं श्री हां श्रीमान आर्य कमीनों का दूसरा कारवां मशद के इलाके को छोड़ता हुआ है रात और बालक के रास्ते बोलन दर्रे से सिंधु प्रदेश में दाखिल हुआ था
आर्यों का तीसरा कारवा जो खैर अब दर्रे को पार करके सिंधु घाटी में दाखिल हुआ वह मोहनजोदड़ो और हड़प्पा के इलाके में बस गया शायद ही आर्यों का राजा इंद्र वह भी सम्राट गिलगामेश की तरह महा विलासी है हमें उसकी विलासिता से लेना देना नहीं है हमें तो पराशक्ति से सवाल करना होगा कि उसने मनुष्य जाति को विवेक की सख्त क्यों दी है अब और तब इस प्रश्न के उत्तर में सप्तसिंधु की आवश्यकता से इंद्र का उत्तर गूंजता हुआ आया था सुनो पराशक्ति मौन है|
वह विखंडित होते परमाणु का आधारभूत रूप है वही ब्रह्मांड की मूल मान सकती है ब्रह्मांड इसी की ऊर्जा से बनता इसी में टिका रहता है और इसी में विलीन हो जाता है वह आदि अंत से परे है आप परिमेय और अपरिमेय है अज्ञात और आगे है अदिति है परा अपरा है नित्य है स्वास्थ्य और सनातन है तेज पुंज है ब्रह्मांड के शास्त्रों सूर्य से अधिक तेजस्वी है पदार्थ इसी में जनता और इसी में विलीन होता है जो कुछ बोल और अंतरिक्ष लोग में अवस्थित है वह सब वही है इससे परे कुछ भी नहीं है यही है चेतना ऊर्जा आदि प्रमाण की पर आ सकती है हमने हमारी सभ्यता ने इसे ब्रह्म पुकारा है भ्रम है या निश्चय है परंतु वह क्या है यह निश्चित है व रूप रूप आकार से परे है वह व्याख्या ही अति आगे आदित्य है वह प्रश्नों से ऊपर आम है|
सिंधु सभ्यता का यह संदेश पाकर देवताओं की मंडलियों में खामोशी और निराशा छा गई वे जानते हैं कि ब्रह्मा शक्ति अथवा आदि परमाणु शक्ति को लेकर जितने आत्मिक और देव दैविक अनुसंधान सिंधु सभ्यता ने किए हैं उतने किसी अन्य शब्द ताने नहीं उनकी पराशक्ति संबंधी इस दार्शनिक व्याख्या को निकालना कठिन था देवताओं की गोष्ठी में चिंता छा गई सबके सामने एक ही प्रश्न था सुमेरी सभ्यता की पृथ्वी सम्राट फिल्म इसको आखिर कौन रोकेगा कौन तभी सुमेर के पर्वत से निकलकर सर्वशक्तिमान अनुपस्थित हुआ |
चिंता ग्रस्त देवताओं को उसने ढांढस बंधाया आतंकित होने की आवश्यकता नहीं है यद्यपि सम्राट दिल में स्नेह यूरोप में इना का मंदिर बनवा कर उसमें मेरी और युद्ध की देवी स्तर की विशाल प्रतिमा स्थापित की है लेकिन जब उसने अपने पाप अनाचार अत्याचार से त्राहि-त्राहि मच आदि लोगों का जब करूं कुंदन मुझे सुनाई दिया तो मुझे उस असाधारण तथा प्रचंड सम्राट गिल में इसको समाप्त कर देने या शब्द बना देने की योजना बनाई मैंने आकाश पुत्र नंदू को मनुष्य का जन्म देकर पृथ्वी पर भेजा एक अंधा एक दम नंदू एकदम आदिम जंगली पशु टूल और बर्बर था |
उसके शरीर पर वन्य पशुओं की तरह बाल थे वह जंगली जानवरों के साथ रहने लगा वह उन्हीं की तरह कच्चा मांस खाता था और जरूरत पड़ने पर घास भी खा लेता था एक दिन एक शिकारी जंगल में शिकार के लिए पहुंचा वहां एकाएक उसने एक अनु को देखा तो भयभीत हो उठा जो कुछ भी शिकार उसके हाथ लगा था उसे उठाकर वह घर की ओर भागा उसके मुंह से बोल नहीं फूट रहे थे कापते हाथ लाते उसने अपने पिता को बताया जंगल में एक भयानक विलक्षण मनुष्य को देखा वह जंगली जानवरों के साथ रहता है उसने उन्हें उन्हीं के समान घास पात खाता है लेकिन उसे देखने में ऐसा लगता है कि वह अवतारी पुरुष है|
मेरे बेटे पिता ने कहा तुम फौरन जो रुक जाओ और सम्राट गिलमेष को सूचित करो उसे निश्चय ही देवताओं ने पृथ्वी पर भेजा होगा क्योंकि देवता लोग हमारे सम्राट से भयभीत हैं सम्राट दिल में की जितनी प्रशंसा की जाए कम है हमारे सम्राट बहुत चतुर बुद्धिमान और शक्तिमान है उन्हें संसार के अनेकानेक रहस्यों का पता है सम्राट जानते हैं कि या देवता लोग आलसी और आक्रमण हैं यह बीवी है जो मनुष्य और परम श्रद्धा के बीच में स्थापित हो गए हैं वह हमारे सम्राट को नष्ट करना चाहते हैं तुम तत्काल उस विलक्षण अवतारी वन्य पुरुष की सूचना सम्राट को दो और सुनो उस वन अवतारी पुरुष को वश में करने के लिए तुम ना के प्रेम मंदिर की सबसे सुंदर देवदासी को लेकर जंगल में जाओ और देर मत करो जाओ वह शिकारी यूरोप के लिए रवाना हो गया |
वहां पहुंचते ही उसने सारी सूचना सम्राट दिल में स्कूटी तो सम्राट ने कहा या निश्चय ही मेरे विरुद्ध देवताओं का षड्यंत्र है तुम्हारे पिता ने ठीक कहा है तुम इना के प्रेम मंदिर की सबसे सुंदर साली देवदासी रूणा को लेकर जंगल में जाओ मैंने इन देवताओं की जीवन शैली को देखा है या लोग इस तरीके पर तत्काल आसक्त हो जाते हैं इनकी वासना जाग पड़ती है और यह अपनी साधना और लक्ष्य को भूल जाते हैं निश्चय ही मेरा व शत्रु भी नारी सुंदर के प्रति आकर्षित हो जाएगा तब वन्य पशु उसे अपने समाज में रखने से इंकार कर देंगे सप्त सिंधु की आर्य सभ्यता भी अपने देवताओं को वश में रखने के लिए अप्सराओं का उपयोग करती है|
तुम तुरंत परम सुंदर स्त्री को लेकर जंगल में जाओ और उस अवतारी पुरुष को स्त्री का दास बना दो आदेश पाकर वह शिकारी उसी अत्यंत सुंदर शील देव दासी रूणा को लेकर जंगल में पहुंचा और एक झील के किनारे एक एकांत की प्रतीक्षा करने लगा 3 दिन बाद वन्य पशुओं का एक झुंड उस झील के किनारे आया इस झुंड में एक किंतु भी था शिकारी उसे देखकर भयभीत हुआ और उत्साहित भी उसने देवदासी को बताया है यही है वह अब तुम अपने पूर्वजों का आवरण हटा दो शर्माओ नहीं देरी मत करो तुम्हें नग्न देखकर वह तुम्हारी ओर खिंचा चला आएगा और तब तुम उसे अपने वश में कर लेना देवदासी रोना ने अपने को नग्न किया और अनंत अंततः उसने एक एक हिंदू को आकर्षित कर लिया देवता अनु ने कहानी रोककर बताया आश्चर्य की बात तो यह थी |
कि संभोग सुख के बाद भी एक कंदू उस देवदासी से अलग नहीं हुआ वह उसे अपनी बलिष्ट बाहों में लेकर तरह-तरह से देखता रहा ना मालूम वह एक दूसरे की आंखों में क्या तलाशते रहे मुझे तो लगता है कि यह प्रेम नाम की भावना थी जो मनुष्य में स्त्री में तलाश लिए मेरा माथा तभी ठनका था किंतु प्रेम की उस आ सकती में या भी भूल गया कि वह मनुष्य के रूप में आकाश देवता का पुत्र है मैं उसे या कैसे याद दिलाता मैं कुछ कर नहीं सकता था एक किन्नू और देवता देवदासी 6 दिन और 7 रातों तक साथ साथ रहे तब एक दिन देवदासी ने कहा तुम कितने चतुर और बुद्धिमान हो
एकन्दु तुम अवतारी पुरुष हो पर मैं तुम्हें साधारण मनुष्य के रूप में ज्यादा पसंद करूंगी इन पशुओं के साथ छोड़ो और चलो मेरे साथ मैं तुम्हें यूरोप की भारी दीवार और महान मंदिर दिखाऊंगी वहां अनु और स्तर निवास करते हैं वहां सम्राट गिलगमेश हैं वह महाशक्तिशाली हैं वह हम जैसे मनुष्यों की सृष्टि की रचना कर रहे हैं आखिर देवदासी रोना ने एकन्दु को साधारण मनुष्य की तरह बना लिया उसके बालों को साफ किया अपने कपड़ों का एक भाग उसे दिया दूध पीना और कंदमूल खाना सिखाया और भारी जन समूह उमड़ पड़ा भव्य दीवार के द्वार पर का आमना-सामना हुआ दोनों ने एक दूसरे को जलती आंखों से देखा एकन्दु के नथुनों से घर-घर आहट निकलने लगी दिल में भी योद्धा की तरह हुंकार और दोनों एक दूसरे के पथरीले सानो की तरह लङने लगे मंदिर के द्वार दस्त हो गए अनु ने आगे बताया
मैं उन दोनों का द्वंद युद्ध देख रहा रहा था मुझे विश्वास था कि एकन्दु विजई होगा लेकिन आश्चर्य की बात की गिरमेष ने एक एकन्दु को ऐसा दबोचा कि वह झटपट आने लगा उसको वायुमंडल में फेंक दिया काफी देर वायु में सूखे पत्ते की तरह चकराता रहा फिर जब धरती पर गिरने लगा तो गिरमेष में उसने उसे बाहों में संभाल कर अपने सामने खड़ा कर दिया पूछा बता मेरे विनाश के लिए तुझे किसने भेजा अभी एकन्दु मनुष्य की चतुराई से दूर था |
उसने मेरा नाम ले लिया जिनमें इस भड़क उठा और उसने कुछ कठोर अपशब्द मेरे लिए कहे हुआ चीखने लगा तो देवता अनु ने तुम्हें मेरे विनाश के लिए भेजा है वही देवता जिसके लिए मैंने भव्य दीवार और मंदिर बनवाया था | जिसे मैंने श्रद्धा से देवता का पद दिया था जिसके लिए मैंने अपनी समस्त प्रचार से कहा था | कि इसकी पूजा करो मुझे मालूम नहीं था कि वह देवता अनु इतना तक निकलेगा वह या भूल गया समस्त देवताओं का अस्तित्व मात्र मुझ जैसे मनुष्य के कारण है या सुनकर सारे देवता क्रोधित हो उठे अपुन तो भड़क ही उठा सम्राट गिरधारी हो गया इसके इस अहंकार को तोड़ना ही होगा या अब असंभव है क्योंकि भव्य दीवार के पास हुई इस मुठभेड़ में एक अनु को परास्त करने के बाद मालूम क्यों सम्राट दिल में स्नेह से मित्रता कर ली वे दोनों परम मित्र हो गए |