सलमा और अधीन ने मजहब तो नहीं बदले पर उन्हें इस बात में मजा जरूर आने लगा या उनके लिए जैसे खेल की बात बन गई सबसे पहले तो उन्होंने जगह बदली वह पूरब की ओर भागे भागते भागते ब्लैक रिवर के घने जंगलों को पार करते हुए जब भी रुके तो सामने उन्हें फूलों से लगा एक रास्ता मिला कुछ ही आगे बढ़े तो बूढ़े इतिहास पुरुष ने उन्हें टोका भागते कहां हो हम अपनी खुशियों के लिए वर्तमान से भाग रहे हैं यदि अपने आप ते हुए कहा सलमा पसीने से हर दर्द उसके कंधे का सहारा लिया और भी ज्यादा हाफ रही थी उसने सांस लेते हुए जैसे-जैसे कहा असल में हम सदियों से इसी तरह भाग रहे हैं ।
यह बाबा आदम में राहत से जीने का वक्त कब मिलेगा इतिहास पुरुष कौन सा हंसा उसकी हंसी ब्लैक फॉरेस्ट के कदीमी पेड़ों से बस्ती जनों से धरती समा गई थी सतरंगी धरती से गुजरती में पल भर की राहत लेकर ज्वालामुखी के साथ दहाने में गुजरती और सतत प्रहरी मुड़िया पर्वत के कालिदास से टकराती वही लौट आई और धीरे-धीरे शांत हो गई अजीब और सलमा चकित से इतिहास पुरुष को देख रहे थे कहां तक भागोगे तुम दोनों मनुष्य हमेशा भागता ही रहा है लेकिन तू शादी कभी हारता नहीं मैंने यहां भी उन भारतीय मजदूरों को ब्लैक लिस्ट में भागते देखा जो अंग्रेजों के अत्याचार नहीं पाए कुछ ने आत्महत्या कर ली कुछ जो अंग्रेजों के अत्याचार नहीं पाए उसने आत्महत्या कर भी कुछ हिंद महासागर में कूदकर अपने देश को और भाग्य और सागर के गर्भ में समा गए कुछ निवेशकों के शिकारी कुत्तों ने डाला के यहां आज के जंगलों में काटते काटते पैरों की तरह डाले गए तुम ही बताओ तुम ही बताओ तिब्बत कहां है भागकर जाएगा नाइजीरिया लोबिया कहां भागेगा भागकर भारत का नहीं बन पाएगा भागकर स्पेन के पेट में नहीं संभाल पाएगा तुम कहां कहां तक भागोगे भागने मुझसे दुनिया नहीं बदलती दुनिया का सामना करो हम यही करेंगे बाबा आदम शर्मा ने कहा इतिहास फिर उससे भी फिर मिलने की पूजा करते हुए फूलों वाले रास्ते से होटल में घुस गए जहां की दुनिया तो पानी आ जाए महल की दुनिया के सारे मोतियों की आज तक के जितने हैं सब के लिए बाहर जाता है यहां हर पेड़ गाता है।
हर पति हाथ हिला कर पास आने का निमंत्रण देती है हर चिड़िया एक पेड़ का संदेशा लेकर मिलो दूर खड़े पेड़ तक पहुंचाती है मेरे को को पर्वत का कालिदास हर क्षण बुलाता रहता है विद्युत यहां वहां छाए रहते हैं हवा लगातार उन में जूतों को अपनी बाहों में भर कर लाती है और फिर उड़ा ले जाती है कमरे में प्रतिशत सो कर चाय पी रहे थे इतिहास पुरुष ने एकाएक फिर प्रवेश किया वे दोनों उन्हें देखते ही रह गए आप चाय पिएंगे एक एकाएक अधिक ने पूछा होटलों की चाय में कहां मुझे मेरी धरती की चाय बागान अपना रस पिलाते रहते हैं आप दोनों चाय पीजिए मैंने आपको एकांत में दखल देने का नहीं था ।
इसलिए किया कि मैंने आप दोनों को एक बड़े ख्वाबों में आया ऐसे संकुल स्थिति में जो आपको प्रकृति जीवन जीने से अनुरोध करती है वह जो पछतावा दहेज जीवन नहीं है बल्कि मनुष्य की रग आत्म अनुभूतियों का लाइव पूर्ण जीवन है हां कुछ-कुछ ऐसा है हम थोड़े ही त्रस्त हैं इस तरह से मुक्त होने का रास्ता खोज रहे हैं राज से मुक्त होने का महामार्ग एक-दूसरे अटूट विश्वास संभावना प्रति आस्था संभावना कैसे निकालती है संभावना विरोधी हैं क्योंकि हर व्यक्ति के भीतर संभावना की गजल रही है और ना ही सबसे बड़ा जीवन प्रयोग है जिसका आविष्कार किया है लेकिन इस संभावना का आविष्कार और इसकी ज्योति को कोई मंजूर नहीं करता शर्मा ने कहा तुम दोनों इस अविष्कार को अगले प्रयोगों के वैज्ञानिक हो तुम खुद वह अखंड ज्योति हो तुम दोनों उसी जल्दी जोड़ के कारण दिन हो तुम्हारे पास जो उजाला है वह इसी का है या उजाला कभी समाप्त नहीं होता है दिन कभी रात नहीं बनता जब इस इलाके में घनघोर बादल छा जाए अंधेरा छाने लगता है ।
तब भी यह स्थिति बनी रहती है आधी आधी रात नहीं दिन उसी तरह तुम्हारे संबंध पाक की फिर भी नहीं पूर्ण प्रतीक है कारवा इतिहास पुरुष अध्यक्ष हो गए बहुत देर तक अधिक और सलमा होटल में अलग-अलग हिस्सों में घूमते रहे जहां आंसुओं की तरह उजाला उजाला पानी आबे जमजम की तरह लगातार बह रहा था बहुत देर तक दोनों इस पवित्र पानी में तैरते मछलियों को देखते रहे हो कभी पानी के नीचे लहरा लहरा टी कोरल और वनस्पति को देखा और कभी मछलियों की सांसों से उठे हैं बुलबुलों को फिर वह एक नाव लेकर सामने के टापू वाले रास्ते रात में चले गए और जब मार्टिनी मदहोश में लौटे तो शर्मा ने कहा आप अब मुसलमान बन जाए बन गया और मैं हिंदू बन जाती हूं बन जाओ अवधि मुसलमान बन गया शर्मा हिंदू मैं तुम्हारे हाथ पकड़ो अजीम ने कहा पकड़िए हां तो अब कैसा लगा एक मुसलमान के हाथ में हाथ देते हुए अदीब ने पूछा इसमें तो कोई मजाक आने नहीं आया अजीब ने पूछा उसी तरह मुझे कब आता है जब आप हिंदू थे आपने मेरा हिंदू होना आड़े आता है मैं उसी तरह तरह लाजवंती की तरह आप की छुअन से अपनी पंखुड़ियां बंद कर लेती हूं ।
सलमान ने उत्तर दिया और अब मेरे और उसी तरह भीगते और प्यासे हो जाते हैं जैसे पहले थे या प्यास तो मजहब बदलने के से बदलती नहीं बुझती नहीं शर्मा ने भारी सांसों के साथ कहा शायद या गलत तरीका हो आओ हम दोनों मुसलमान हो जाते हैं या दोनों हिंदू हो जाए अजीम ने उसे बाहों में कस कसते हुए कहा तो अब भी अब आपकी बाहों में वही कशिश और ताकत है और जब जब भी आप की हथेलियों और उंगलियां वही तलाश रही है जो हमेशा क्लास की थी वहीं जगह में बना ले रही हैं जो लंबे रेगिस्तानी सफर के बाद कभी कभी जिंदगी में भी हैं अजीब आहा या भूल कर भी तुम कौन हो सजा समझ जाओ मुझ में और मुझे आजाद कर दो सलमानी उद्दीप्त तो होते हुए कहा वह अपनी सांसों सहित अधिक के साथ समा गई अजीत शर्मा में वह सांसो के महल में कैद हो जब होश आया तो सलमा उसके सामने थी अभी भी उसके सामने था मीठे खजूर की तरह मौजूद था दोनों ही रेत में धंस कर अपनी जड़ों की रस देने वाली पाताल की नदी में डूबे रहना चाहते थे ।
जमीन से करो अपना नाम लिख दो अजीब इन सिक्योर पर लिखे हुए नाम तो मिट जाएंगे नाम तो हमेशा लिखे रह जाएंगे अपना नाम लिखो ना अदीब मेज की स्टेशनरी के साथ रखे हुए कलम को उठाकर अदीब ने उसके उभरे हुए गुलाब शिखरों पर नाम लिखा था एक बार नहीं 50 बार लिखते जाओ अजीब लिखते जाओ तकलीफ तो नहीं होती है कलम बहुत ढीला है दर्द होता होगा रेट हर एक दर्द की सह लेती है इस बदन के हर हिस्से पर लिख दो अपना नाम और अजीब उस रोज रेशमी रेगिस्तान के हर एक शिखर पर अपना नाम लिखते लिखते थक गया तो सलमान ने उसे अपनी बाहों में फिर ले लिया मैं बहुत बुरा महसूस कर रहा हूं शर्मा तो फिर मेरे बाहों में समा जाओ अभी सलमा जामी थी और शरबती थकान कितना सुकून देती है इतना सुकून तो किसी मजहब में नहीं आओ अधिक फिर अपने सुकून के लिए एक बार और मजहब बदलते बदल कर देखें शर्मा ने उसकी थकी सांसों को पीते हुए कहा किसी धर्म के पास इतनी शांति इतनी सुकून नहीं सलमा ने उसकी थकी सांसो को पीटते हुए कहा किसी धर्म के पास इतना तो शांत इतना पुख्ता सुकून नहीं जो हमें आखिर दिन तक संभाल सके हमें तो वही तक जीना है अजीब ने कहा पर आप तो फिलहाल मुसलमान हैं आप मरने के बाद जिंदगी को कैसे मंजूर कर सकते इसलिए आप वही तक जिंदगी बात करते करते हैं लेकिन तुम तो अब हिंदू हो क्या तुम पुनर्जन्म में विश्वास कर सकती हो विश्वास कभी भी तो जरूर करना अच्छा लगता है सलमा और मजहब के ऊपर विश्वास यकीन करने वाली एक एक शर्त तू बहुत सर्कस होती जा रही है तू जो जिंदगी जीना चाहती है दारा शिकोह वाला जो फल असफल सब अपने लिए मैया करा रही है वह ग्रुप है आखिर तुझे इस होटल के कमरे से निकल कर आना ही होगा तू इसी दुनिया के सड़कों चलेगी तू संगमरमर होगी आखिर दिनों में मर्द का आता है आधा हिस्सा टूटकर गिरेगा तेरी जैसी अजीब औरत पूरा बदन खून और पीयूष जख्मों के संग में टूटकर गिरेगा।