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भाग 26

13 अगस्त 2022

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सलमा और अधीन ने मजहब तो नहीं बदले पर उन्हें इस बात में मजा जरूर आने लगा या उनके लिए जैसे खेल की बात बन गई सबसे पहले तो उन्होंने जगह बदली वह पूरब की ओर भागे भागते भागते ब्लैक रिवर के घने जंगलों को पार करते हुए जब भी रुके तो सामने उन्हें फूलों से लगा एक रास्ता मिला कुछ ही आगे बढ़े तो बूढ़े इतिहास पुरुष ने उन्हें टोका भागते कहां हो हम अपनी खुशियों के लिए वर्तमान से भाग रहे हैं यदि अपने आप ते हुए कहा सलमा पसीने से हर दर्द उसके कंधे का सहारा लिया और भी ज्यादा हाफ रही थी उसने सांस लेते हुए जैसे-जैसे कहा असल में हम सदियों से इसी तरह भाग रहे हैं ।

यह बाबा आदम में राहत से जीने का वक्त कब मिलेगा इतिहास पुरुष कौन सा हंसा उसकी हंसी ब्लैक फॉरेस्ट के कदीमी पेड़ों से बस्ती जनों से धरती समा गई थी सतरंगी धरती से गुजरती में पल भर की राहत लेकर ज्वालामुखी के साथ दहाने में गुजरती और सतत प्रहरी मुड़िया पर्वत के कालिदास से टकराती वही लौट आई और धीरे-धीरे शांत हो गई अजीब और सलमा चकित से इतिहास पुरुष को देख रहे थे कहां तक भागोगे तुम दोनों मनुष्य हमेशा भागता ही रहा है लेकिन तू शादी कभी हारता नहीं मैंने यहां भी उन भारतीय मजदूरों को ब्लैक लिस्ट में भागते देखा जो अंग्रेजों के अत्याचार नहीं पाए कुछ ने आत्महत्या कर ली कुछ जो अंग्रेजों के अत्याचार नहीं पाए उसने आत्महत्या कर भी कुछ हिंद महासागर में कूदकर अपने देश को और भाग्य और सागर के गर्भ में समा गए कुछ निवेशकों के शिकारी कुत्तों ने डाला के यहां आज के जंगलों में काटते काटते पैरों की तरह डाले गए तुम ही बताओ तुम ही बताओ तिब्बत कहां है भागकर जाएगा नाइजीरिया लोबिया कहां भागेगा भागकर भारत का नहीं बन पाएगा भागकर स्पेन के पेट में नहीं संभाल पाएगा तुम कहां कहां तक भागोगे भागने मुझसे दुनिया नहीं बदलती दुनिया का सामना करो हम यही करेंगे बाबा आदम शर्मा ने कहा इतिहास फिर उससे भी फिर मिलने की पूजा करते हुए फूलों वाले रास्ते से होटल में घुस गए जहां की दुनिया तो पानी आ जाए महल की दुनिया के सारे मोतियों की आज तक के जितने हैं सब के लिए बाहर जाता है यहां हर पेड़ गाता है।

हर पति हाथ हिला कर पास आने का निमंत्रण देती है हर चिड़िया एक पेड़ का संदेशा लेकर मिलो दूर खड़े पेड़ तक पहुंचाती है मेरे को को पर्वत का कालिदास हर क्षण बुलाता रहता है विद्युत यहां वहां छाए रहते हैं हवा लगातार उन में जूतों को अपनी बाहों में भर कर लाती है और फिर उड़ा ले जाती है कमरे में प्रतिशत सो कर चाय पी रहे थे इतिहास पुरुष ने एकाएक फिर प्रवेश किया वे दोनों उन्हें देखते ही रह गए आप चाय पिएंगे एक एकाएक अधिक ने पूछा होटलों की चाय में  कहां मुझे मेरी धरती की चाय बागान अपना रस  पिलाते रहते हैं आप दोनों चाय पीजिए मैंने आपको एकांत में दखल देने का नहीं था । 

इसलिए किया कि मैंने आप दोनों को एक बड़े ख्वाबों में आया ऐसे संकुल स्थिति में जो आपको प्रकृति जीवन जीने से अनुरोध करती है वह जो पछतावा दहेज जीवन नहीं है बल्कि मनुष्य की रग आत्म अनुभूतियों का लाइव पूर्ण जीवन है हां कुछ-कुछ ऐसा है हम थोड़े ही त्रस्त हैं इस तरह से मुक्त होने का रास्ता खोज रहे हैं राज से मुक्त होने का महामार्ग एक-दूसरे अटूट विश्वास संभावना प्रति आस्था संभावना कैसे निकालती है संभावना विरोधी हैं क्योंकि हर व्यक्ति के भीतर संभावना की गजल रही है और ना ही सबसे बड़ा जीवन प्रयोग है जिसका आविष्कार  किया है लेकिन इस संभावना का आविष्कार और इसकी ज्योति को कोई मंजूर नहीं करता शर्मा ने कहा तुम दोनों इस अविष्कार को अगले प्रयोगों के वैज्ञानिक हो तुम खुद वह अखंड ज्योति हो तुम दोनों उसी जल्दी जोड़ के कारण दिन हो तुम्हारे पास जो उजाला है वह इसी का है या उजाला कभी समाप्त नहीं होता है दिन कभी रात नहीं बनता जब इस इलाके में घनघोर बादल छा जाए अंधेरा छाने लगता है । 

तब भी यह स्थिति बनी रहती है आधी आधी रात नहीं दिन उसी तरह तुम्हारे संबंध पाक की फिर भी नहीं पूर्ण प्रतीक है कारवा इतिहास पुरुष अध्यक्ष हो गए बहुत देर तक अधिक और सलमा होटल में अलग-अलग हिस्सों में घूमते रहे जहां आंसुओं की तरह उजाला उजाला पानी आबे जमजम की तरह लगातार बह रहा था बहुत देर तक दोनों इस पवित्र पानी में तैरते मछलियों को देखते रहे हो कभी पानी के नीचे लहरा लहरा टी कोरल और वनस्पति को देखा और कभी मछलियों की सांसों से उठे हैं बुलबुलों को फिर वह एक नाव लेकर सामने के टापू वाले रास्ते रात में चले गए और जब मार्टिनी मदहोश में लौटे तो शर्मा ने कहा आप अब मुसलमान बन जाए बन गया और मैं हिंदू बन जाती हूं बन जाओ अवधि मुसलमान बन गया शर्मा हिंदू मैं तुम्हारे हाथ पकड़ो अजीम ने कहा पकड़िए हां तो अब कैसा लगा एक मुसलमान के हाथ में हाथ देते हुए अदीब  ने  पूछा इसमें तो कोई मजाक आने नहीं आया अजीब ने पूछा उसी तरह मुझे कब आता है जब आप हिंदू थे आपने मेरा हिंदू होना आड़े आता है मैं उसी तरह तरह लाजवंती की तरह आप की छुअन से अपनी पंखुड़ियां बंद कर लेती हूं । 

सलमान ने उत्तर दिया और अब मेरे और उसी तरह भीगते और प्यासे हो जाते हैं जैसे पहले थे या प्यास तो मजहब बदलने के से बदलती नहीं बुझती नहीं शर्मा ने भारी सांसों के साथ कहा शायद या गलत तरीका हो आओ हम दोनों मुसलमान हो जाते हैं या दोनों हिंदू हो जाए अजीम ने उसे बाहों में कस कसते हुए कहा तो अब भी अब आपकी बाहों में वही कशिश और ताकत है और जब जब भी आप की हथेलियों और उंगलियां वही तलाश रही है जो हमेशा क्लास की थी वहीं जगह में बना ले रही हैं जो लंबे रेगिस्तानी सफर के बाद कभी कभी जिंदगी में भी हैं अजीब आहा या भूल कर भी तुम कौन हो सजा समझ जाओ मुझ में और मुझे आजाद कर दो सलमानी उद्दीप्त तो होते हुए कहा वह अपनी सांसों सहित अधिक के साथ समा गई अजीत शर्मा में वह सांसो के महल में कैद हो जब होश आया तो सलमा उसके सामने थी अभी भी उसके सामने था मीठे खजूर की तरह मौजूद था दोनों ही रेत में धंस कर अपनी जड़ों की रस देने वाली पाताल की नदी में डूबे रहना चाहते थे ।  

जमीन से करो अपना नाम लिख दो अजीब इन सिक्योर पर लिखे हुए नाम तो मिट जाएंगे नाम तो हमेशा लिखे रह जाएंगे अपना नाम लिखो ना  अदीब  मेज की स्टेशनरी के साथ रखे हुए कलम को उठाकर अदीब ने उसके उभरे हुए गुलाब शिखरों पर नाम लिखा था एक बार नहीं  50  बार लिखते जाओ अजीब लिखते जाओ तकलीफ तो नहीं होती है कलम बहुत ढीला है दर्द होता होगा रेट हर एक दर्द की सह लेती है इस बदन के हर हिस्से पर लिख दो अपना नाम और अजीब उस रोज रेशमी रेगिस्तान के हर एक शिखर पर अपना नाम लिखते लिखते थक गया तो सलमान ने उसे अपनी बाहों में फिर ले लिया मैं बहुत बुरा महसूस कर रहा हूं शर्मा तो फिर मेरे बाहों में समा जाओ अभी सलमा जामी थी और शरबती थकान कितना सुकून देती है इतना सुकून तो किसी मजहब में नहीं आओ अधिक फिर अपने सुकून के लिए एक बार और मजहब बदलते बदल कर देखें शर्मा ने उसकी थकी सांसों को पीते हुए कहा किसी धर्म के पास इतनी शांति इतनी सुकून नहीं सलमा ने उसकी थकी सांसो को पीटते हुए कहा किसी धर्म के पास इतना तो शांत इतना पुख्ता सुकून नहीं जो हमें आखिर दिन तक संभाल सके हमें तो वही तक जीना है अजीब ने कहा पर आप तो फिलहाल मुसलमान हैं आप मरने के बाद जिंदगी को कैसे मंजूर कर सकते इसलिए आप वही तक जिंदगी बात करते करते हैं लेकिन तुम तो अब हिंदू हो क्या तुम पुनर्जन्म में विश्वास कर सकती हो विश्वास कभी भी तो जरूर करना अच्छा लगता है सलमा और मजहब के ऊपर विश्वास यकीन करने वाली एक एक शर्त तू बहुत सर्कस होती जा रही है तू जो जिंदगी जीना चाहती है दारा शिकोह वाला जो फल असफल सब अपने लिए मैया करा रही है वह ग्रुप है आखिर तुझे इस होटल के कमरे से निकल कर आना ही होगा तू इसी दुनिया के सड़कों चलेगी तू संगमरमर होगी आखिर दिनों में मर्द का आता है आधा हिस्सा टूटकर गिरेगा तेरी जैसी अजीब औरत पूरा बदन खून और पीयूष जख्मों के संग में टूटकर गिरेगा।  

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रचनाएँ
कितने पाकिस्तान
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कितने पाकिस्तान हिन्दी के विख्यात साहित्यकार कमलेश्वर द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 2003 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। यह उपन्यास भारत-पाकिस्तान के बँटवारे और हिंदू-मुस्लिम संबंधों पर आधारित है। यह उनके मन के भीतर चलने वाले अंतर्द्वंद्व का परिणाम माना जाता है।'कितने पाकिस्तान' कमलेश्वर का लिखा हुआ एक प्रयोगवादी उपन्यास है। इस उपन्यास को 2003 के साहित्य अकादमी पुरस्कार से नवाज़ा गया था। यह उपन्यास बाकी उपन्यासों से कई मामलों में अलग है। पहला, इसमें सामान्य घटनायें, जैसे उपन्यासों में होती हैं, नहीं हैं, बल्कि ऐतिहासिक घटनाओं का लेखक के नज़रिये से वर्णन है। क्योंकि सारा कथानक उसी के इर्दगिर्द घूमता है। उपन्यास में सदियों से चले आ रही हिंसा और मारकाट के प्रति गहरा क्षोभ है। पात्रों की इस कमी को इतिहास के प्रसिद्ध व्यक्तियों को कटघरे में लाकर दूर किया गया है। अगर उपन्यास का सार निकालने की कोशिश की जाए तो यही आयेगा कि विभाजन अब बंद होने चाहिये।
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भाग 1

21 जुलाई 2022
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एक भूली हुई दास्तान उसे याद आती है  ।   वह तो एक बंजर जमीन से आया था ।  खामोश  आकर्षणों की दुनिया से जहां कहां कुछ भी नहीं जाता । मन ही मन में कुछ अरमान करवटें लेते हैं । अनबूझी इच्छाएं आती और चली जा

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भाग 2

21 जुलाई 2022
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- हुआ या था नहीं स !  पहले या सुनिए कि हुआ क्या है...... उसने चौक कर आवाज की तरफ देखा था उसका एक में 3 सहायक स्टोनो और अर्दली महमूद उसके सामने खड़ा था।  उसके हाथ में टेलीप्रिंटर से आई खबरों के कुछ कु

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भाग 3

21 जुलाई 2022
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खत भेजने के बाद अभी बहुत परेशान था । वह सोच रहा था कि उसके उद्गार और विचार कहीं देश की रक्षा सुरक्षा के नाम पर दूसरों के लिए मौत तो पैदा नहीं करते क्या एक के जीवित रहने के लिए दूसरे की मौत जरूरी है?

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भाग 4

21 जुलाई 2022
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और तभी यूरोप के सम्राट गिल गमेंश की गूंजती आवाज आई -  - मैं पीड़ा से लड़ लूंगा यातना सहूँगा  कुछ भी हो मैं मृत्यु को पराजित कर लूंगा मैं मृत्यु से मुक्त की औषधि खोज कर लाऊंगा !  सम्राट गिल गणेशा की

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भाग 5

21 जुलाई 2022
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वहां मौजूद तमाम देवताओं की चिंता का एक स्वर में अनुमोदन किया और देवी तान्या ने तब उन्हें आगाह करने वाला भाषण दिया दजला फरात और डेन्यूब की परा धरती के समस्त देवताओं तुम सब आज चिंतित हो क्योंकि मनुष्य म

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भाग 6

29 जुलाई 2022
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उसी कहानी में शामिल है बूटा सिंह और रेतपरी किया की  यह कहानी राजस्थान का तपता रेगिस्तान कोई चीखा बन गया साला पाकिस्तान आसमान की आंख सूखी हुई थी उनमें एक बूंद भी पानी नहीं था मौसम विभाग के वैज्ञानिक

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भाग 7

29 जुलाई 2022
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बूटा सिंह जब जीने के लिए कपड़े लेने निकला था पाकिस्तान नाम की लकीर तो फिर चुकी थी मौसम विशेषज्ञों की भविष्यवाणी सही साबित हुई रक्त की वर्षा हो रही थी रेत परिचय नहीं अभी भी गर्दन तक रेत में दबी हुई है

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भाग 8

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आतंकी देवताओं ने धरती की ओर देखा वह सकते में आ गए जो लोग के समस्त सफेद पंखों वाले पंछी देवदासी रोना को लेकर मित्रों पर उतर रहे थे "के समय उसके साथ अभी सभी तरह के पंछी पखेरू शामिल होते गए थे उनमें अंजन

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भाग 9

29 जुलाई 2022
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बूटा सिंह ने कपड़ों की जोड़ी लाकर जीने के पास रख दिया और पूछा निकालूं तुम बाहर जाओ मैं निकाल आऊंगी धीरे-धीरे जैनेब रेट टिकट दे से निकल आई उसने तार-तार हुई कुर्ती को उतारा और वही संभाल कर रख दिया ना जा

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भाग 10

29 जुलाई 2022
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बूटा सिंह ने कपड़ों की जोड़ी लाकर जीने के पास रख दिया और पूछा निकालूं तुम बाहर जाओ मैं निकाल आऊंगी धीरे-धीरे जैनेब रेट टिकट दे से निकल आई उसने तार-तार हुई कुर्ती को उतारा और वही संभाल कर रख दिया ना जा

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भाग 11

6 अगस्त 2022
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उसके  अदालत के दरवाज़े पर रक्त  दस्तके  पड़ने लगी । वह दस्तक  से परेशान था। परेशान नही  पागल। और फिर दस्तक  पर दस्तक  ।पश्मी सीमांत से एके-47 चीनी राइफल ने दस्तक दी । हथियार बनेंगे तो चलेंगेभी ।  उत्तर

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भाग 12

6 अगस्त 2022
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वह कौन सी तारीख थी।  इब्राहिम लोदी से मैंने पार्क पानीपत की लड़ाई 20 अप्रैल 1526 को जीती थी और रजत 15 जुम्मे के दिन यानी 27 अप्रैल 1526 को मारे मेरे नाम का खुतबा पढ़ा गया था या खुद बा मौलाना महमूद और

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भाग 13

6 अगस्त 2022
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अजीम फैजाबाद स्टेशन पर उतरा ही था कि वह धमाकेदार झापड़ उसके पड उसके पड़ा स्टेशन की दीवार पर लिखा हुआ नारा सामने खड़ा था बोला फैजाबाद आए हो तो पहले इसे पढ़ पढ़ो इसमें लिखा था कि अपने धर्म स्थानों का अप

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भाग 14

6 अगस्त 2022
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बस आग लगाते घूम रहे हैं सब ही ना ही चाह सोजत की भारत का क्या होगा पहले ही या हिंदू मुसलमान को लगवाना चाह ना ही लड़ बाय पाए तो अब शिया सुन्नी को डलवाना चाहते हैं अब पानी शरबत बिस्कुट और मूंग के दाल मोड

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भाग 15

6 अगस्त 2022
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हुजूर इन कानूनी बारीकियों में मत जाइए अन्याय अन्याय है अन्याय ग्रस्त औरत की जिंदगी तो मौत से बदतर होती है तुम ठीक कह रहे हो महमूद अली अदालत सीखी तो पूरी श्रेष्ठ कांप उठी नहीं मैं मुद्दों के अलावा जिद्

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भाग 16

6 अगस्त 2022
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नक्सलवाद का समर्थन कर रहे थे एक के बाद एक ताने कसे तो इमाम नाजिश बौखला गए और और बोले तब तुम भी हमसे कहां लगते अधीन तुम अमृता प्रीतम करतार सिंह दुग्गल मोहन राकेश भीष्म साहनी देवेंद्र सत्यार्थी और यहां

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भाग 17

6 अगस्त 2022
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और मार दो अपने ही सब सृष्टि की रचना की थी उसने अपने दादा अनु को आकाश का सम्राट बनाया था अपने पिता ऐसा को धरती का और तब माधुरी ने एक महा मंदिर बनाया था कि आकाश के देवता और ईश्वर जो उसकी प्रजाति धरती पर

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भाग 18

6 अगस्त 2022
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जी शायद आप मुझे ठीक ही पहचान रहे हैं सलमा की जान में जान आई मैं सीएसपी के जनाब आफताब अहमद की हूं  और हिंदुस्तान में रहती हूं वह मेरे नाना है सलमान ने कहा तब पुलिसवाला कुछ नाराज सा होकर काउंटर वाले से

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भाग 19

6 अगस्त 2022
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अदालत में क्या कह रहे हो तुम मैं तो कराची के होलीडे इन होटल के रेस्टोरेंट में बैठा हुआ था और सलमा से बातें कर रहा था हुजूर आपकी यादों की परछाई का नाम क्या है या तो मुझे नहीं मालूम पर आपके होंठ मिलता ल

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भाग 20

6 अगस्त 2022
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तब अजीब चीन से लौट आया था सलमा भी अपने नाना से मिलकर कोटा से लौट आई थी उसे उम्मीद नहीं थी कि इतने महीनों बाद भी सलमा उस पेपर नैपकिन पर लिखे पते पर फोन का नंबर को संभाल कर रखे गी पर उसने रखा था ना रखा

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भाग 21

6 अगस्त 2022
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नहीं नहीं तो या नीम की पत्तियां झड़ रही है ना हां पतझड़ का मौसम है ना नहीं या अंधेरे का मौसम है लगता है मेरा पति पति झड़ रहा है तो एक बात क्यों ना करें क्या हम न कुछ पूछे न जाने अपने रवा अति जिंदगी के

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भाग 22

13 अगस्त 2022
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बिस्तर उनका इंतजार कर रहा था वह भी  वह भी त्रियोबिश की  रेती की तरह साफ़ था। मेरे संपर्क से छूने से कुछ ऐसा तो नहीं जो तुमने जीवित होता हो और मेरा प्रतिकार करता हूं नहीं ऐसा भी कुछ नहीं सलमा ने बहुत गह

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भाग 23

13 अगस्त 2022
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जब अजीब और शर्मा कॉटेज से निकले तब भी नीले फूल खिले हुए थे। सलमा ने साड़ी पहनी थी बदन में बाकी फूल तो साड़ी और ब्लाउज के अंदर उन देशों की तरह समा गए थे । प्रभावों पर उन नीले फूलों की जो लेटर उतर आई थी

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भाग 24

13 अगस्त 2022
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वह मेरा बेटा ही सही पर मर्द हो जीने के लिए कहीं मुश्किल नहीं होता मैं एक रिश्तेदार की तरह आपको राय देता हूं कि बेहतर होगा कि आप अपने बेटे के साथ अपने नाना के पास पाकिस्तान लौट आए नईम ने कहा आप तो बिल्

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भाग 25

13 अगस्त 2022
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कुछ नहीं ऐसे लोग आकर यहां क्यों नहीं समझते कि मुसलमानों के नाम पर पाकिस्तानियों को बोलने का कोई हक नहीं है आज है हिंदुस्तान में पाकिस्तान से ज्यादा मुसलमानों पाकिस्तान से ज्यादा इस्लाम की समझने वाले ल

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भाग 26

13 अगस्त 2022
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सलमा और अधीन ने मजहब तो नहीं बदले पर उन्हें इस बात में मजा जरूर आने लगा या उनके लिए जैसे खेल की बात बन गई सबसे पहले तो उन्होंने जगह बदली वह पूरब की ओर भागे भागते भागते ब्लैक रिवर के घने जंगलों को पार

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भाग 27

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वह आवाज बिजली की तरह तड़प और कड़क रही थी और अब वह कौन सी भी कमरे में खड़ी हो गई थी अजीब या कौन है डर से असहमति सलमानी उसके कंधे के पीछे छुपे हुए पूछा मैं चला दो आलमगीर औरंगजेब का जल्लाद मैं कोतवाल भी

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भाग 28

13 अगस्त 2022
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इस्लाम में हर कुदरती जरूरत के लिए जगह है लेकिन जब मजहब और सियासी फायदे के लिए नफरत में बदला जाता है तो एक नहीं तमाम पाकिस्तान पैदा होते हैं मेरी बच्ची तुम्हारी जिंदगी को इस गलत विभाजन ने तोड़ दिया है

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भाग 29

13 अगस्त 2022
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गहरी नहीं जरूरी अंग्रेजों और जिन्ना साहब ने सोचा ही नहीं था कि जब हिंदुस्तान नाम का मूल नसीब होगा तब मेरी जैसी एक सलमा कैसे तक्सीम होगी और वह अपनी इज्जत कहां  कहां तलाशग अदीब ने उसे बहुत प्यार से पुका

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भाग 30

13 अगस्त 2022
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तभी नूरजहाँ  उसका ध्यान नीचे मौजूद रियाया की तरफ दिलाया उधर देखिए हुजूर इतने दिनों बाद आप बाहर निकले आपकी रे आया आपके दीदार के लिए उम्र पड़ी है तभी भीड़ ने पुरजोर आवाजें का आने लगी बादशाह सलामत जिंदाब

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भाग 31

13 अगस्त 2022
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मुझे जाना चाहिए वक्त आप को माफ नहीं करेगा और फिर आपको भी वक्त की बरात बर्बादी का मलाल कठोरता रहेगा सारा शगुफ्ता देखिए आपके अर्दली साहब बेसब्री से आपका इंतजार कर रहे हैं चलने से पहले एक यशपाल दरख्वास्त

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भाग 32

13 अगस्त 2022
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मैंने कोई निमंत्रण बाबर को नहीं भेजा था राणा सांगा नितेश में कहा तुम्हारा वह दावत नामा मेरी तिवारी बाबरनामा में दर्ज है और वह दस्तावेज आज का नहीं सोलवीं सदी का है अगर या गलत है तो तुमने तब क्यों नहीं

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भाग 33

15 अगस्त 2022
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 या गलत है हमारी गलती से विभाजन तो एक सच्ची घटना में तब्दील हो गया था पर विभाजन के भयानक दौर में भी सिंध में मारकाट नहीं हुई हमने मन ही मन अपनी ऐतिहासिक गलती मंजूर करते हुए बहुत भरे दिल से अपने हिंदू

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भाग 34

15 अगस्त 2022
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मुसलमान का था मीरा का था कबीर का था नाना कोटा कोलकाता सुब्रमण्यम भारती और नज़रुल इस्लाम कथा संत रैदास के और ज्ञानेश्वर का था किसका खुदा नहीं था लेकिन इंक इकबाल ने खुदा के मस्जिदों में कैद कर देने का प

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15 अगस्त 2022
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और आपकी सलमा जो खुदा हाफिज कह कर चली गई है इस अहम अदालत का कारोबार रोक कर आपको फिर अपने लिए हासिल करने की कोशिश में लगी है और उधर आपके दोस्त भवानी सिंह उप ईरान की राजधानी तेहरान से लौटकर कुछ जरूरी बात

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भाग 36

20 अगस्त 2022
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हुजूर हमसूफी है इस पागल शहंशाह ने हुजूर पैगंबर के जन्मदिन पर गाए जाने वाले हम हमारे भजनों पर भी पाबंदी लगा दी तब हम सूफी संतों को उसके गुर्गे और दरोगा मिल जावा वाकर के खिलाफ गोलबंद होकर निकलना पड़ा इस

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भाग 37

20 अगस्त 2022
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मौका पाते ही सल्तनत के वजीरे खारी खारी जा राजा रघुनाथ को हटाकर या वादा किसी से मुसलमान को दिया जाए किसी हिंदू अफसर के नीचे मुसलमान को तैनात किया जाए और अब खुलकर इन काफिरों हिंदुओं को बता दिया जाए कि व

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भाग 38

20 अगस्त 2022
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यही कि जो मैंने किया वह गलत भी था वह सही भी था सर जमीन ए हिंद की नजर में मैंने बहुत कुछ गलत किया जो मुझे शायद नहीं करना चाहिए था लेकिन इस्लामी मिल्लत की नजर में जो कुछ मैंने किया वह शायद सही था ऑरेंज

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भाग 39

20 अगस्त 2022
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तभी इतिहास के करोड़ों पन्नों से चीखती हुई आवाज आने लगी औरंगजेब तुम जालिम हो तुमने पोस्ते का पानी पिला पिला कर मुराद को मारना चाहा जब वह तंदुरुस्त शहजादा अफीम के पानी से नहीं मारा तो तुमने उसे चला दो उ

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भाग 40

20 अगस्त 2022
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शिब्ली नोमानी बड़े जोश खरोश से बता रहे थे मजहब की शक्ति का अगर किसी ने पहली बार इस्तेमाल किया तो बस सिर्फ यही दिलेर आलमगीर था कहीं ऐसा तो नहीं कि औरंगजेब ने इस्लाम का सहारा अपनी कमजोरियों और जातियों क

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भाग 41

20 अगस्त 2022
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तुम लोग कहर की बात करते हो हम कयामत बरपा करेंगे और मिस्र में बाप कुछ भी नहीं जिंदा छोड़ेंगे जो इस्लाम से पहले का है हम उसे बराबर करके रहेंगे दूरदराज अमेरिका से आई वहां मिस्र का मूल्य से कुमार अब्दुल र

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भाग 42

20 अगस्त 2022
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या तेज भाई जारी थी कि लश्कर मंदिर के उत्तर पूर्वी तरफ अबू हज आज मंदिर से इमाम वाहिद मोहम्मद अपनी ने भय ग्रस्त आंखों से जाकर देखा यहीं इसी मस्जिद में अपने समय के सबसे बड़े विद्वान अबू हज्जाज दफन हैं जि

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भाग 43

20 अगस्त 2022
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इसीलिए पश्चिम वाले ईरान की इस्लामी क्रांति की को आत्मसात नहीं कर पाए अयातुल्लाह खोमेनी और इस्लामी क्रांति में ईरान जैसे सभ्यता संपन्न देश को फिर एक बार उसकी दूरी दे दी आज अपनी धुरी पर लौटकर ईरान अपने

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