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भाग 13

6 अगस्त 2022

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अजीम फैजाबाद स्टेशन पर उतरा ही था कि वह धमाकेदार झापड़ उसके पड उसके पड़ा स्टेशन की दीवार पर लिखा हुआ नारा सामने खड़ा था बोला फैजाबाद आए हो तो पहले इसे पढ़ पढ़ो इसमें लिखा था कि अपने धर्म स्थानों का अपमान नहीं सहेगा हिंदुस्तान बजरंग दल तुम कहां से आए हो उसने नारे से पूछा मैं दिल्ली से आया हूं तुम कहां के रहने वाले हो मैं रहने वाला तो दिल्ली का हूं लेकिन मेरा जन्म गोरख आश्रम गोरखपुर में हुआ है नारे ने उत्तर दिया तुम फैजाबाद अयोध्या में कहां रहते हो मैं यही स्टेशन पर रहता हूं शहर ने नहीं जाते कभी-कभी जाता हूं जब हमारे जब से जात आते हैं और वैसे यहीं रहता हूं शहर के लोग मुझे पना नहीं देते इसलिए स्टेशन पर रहते हो जी हां ज्यादातर मैं मीर बाकी ताशकंद ई के घर जा रहा हूं ।

अभी तो आज्ञा दो लौटकर मैं तुम से ही बात करूंगा नारा खुदकुशी नारा खुद चीखने लगा अपने धर्म स्तनों का अपमान नहीं सहेगा हिंदुस्तान नहीं सहेगा हिंदुस्तान अजीब जब स्टेशन के बाहर आया तो रिक्शा और ऑटो वालों की भीड़ ने उसे घेर लिया उसने एक करिश्मा देखा वह नारा आसमान में बादलों की तरह को घुमाने लगा और कुछ ही देर में आधार जलने लगा और रेजगारी और नोटों की बारिश होने लगी आज इतना तेज था अंदर इतना तेज था कि रेजगारी और नोट अयोध्या की ओर बढ़ते चले जा रहे हैं कुछ गिर पड़ते तो तो गरीबों के हाथ आ जाते बाकी उड़ते हुए सरयू की दिशा में बढ़ते जाते थे।

मीर बाकी के गांव सेंधवा पहुंचे से पहुंचने से पहले जब वह फैजाबाद की सड़कों से गुजरात उससे सब सामान्य सही लगा वह बाजार वही गहमागहमी और वहीं सामान्य जीवन बच्चों रिक्शा में लदे स्कूल जा रहे थे मुसलमान औरतें बुर्का पहने बाजारों में खरीद-फरोख्त कर रही थी या चूड़ियां पहन रही थी हिंदू मनिहार उनकी नाजुक कलाइयों में चूड़ियां पहना रहे थे और वर्गों का पल्ला उठाएं खुले मुंह के उनके सामने बैठी ही थी वह मनिहार उनके भाई चाचा मामा बाजार खाने पीने की चीजों और रेडीमेड पोशाकों से भरे हुए थे वहां ना हिंदू दुकानें थे ना ही मुसलमान दुकान है वहां सिर्फ दुकानें ही की गंदगी और भी उतनी ही जितनी कि पूरे हिंदुस्तान में वसा के सब वही जो सब पहनते थे। किसी दीवार ने नारा नहीं लगाया खून से नहाई या गोलियों की बौछार से सिद्धि हुई कोई दीवार कराते हुए अपनी कहानी सुनाने में नहीं आई और उसे इस बात से राहत मिली कि फैजाबाद की दीवारें अपने बच्चों की देखभाल कर रही थी वे जन्म घुट्टी बेच रही थी लाल तेल और दूध की बोतल ले बेच रही थी नौजवान उन दीवारों से मोटर साइकिल एयरटीवी खरीद रहे थे सुंदर औरतें होठों पर लाली और बेसन रेसिपी खरीद रहे थे नपुंसक लोग दीवारों में बैठे गुप्त रोगों के हकीम और दूसरे धन-धन आते जो उसके मर जाने की दवा खरीद फरोख्त कर रहे थे सब बच्चों के खिलौने 1718 और प्लास्टिक के खिलौने रबर की छोटी-छोटी चप्पले वही नीली हरी बदामी किसी की चप्पले महिलाओं ने दूध की बोतल है यह साफ करने में अलग-अलग नहीं बनाए थे।

उनकी जीवन भी एक से थे वैसे ही अपनी मां के हाथ खींच रहे थे और अपनी पसंद की दुकानों की ओर ले जाना चाहते थे सब उसी तरह पत्ते पर चार्ट खा रहे थे और पान खा के बुर्के वाली सुंदरियों के उसी तरह हल्के गुलाबी से रचित हुए थे जैसे गुड़हल के फूलों के उसे विश्वास नहीं हो रहा था क्योंकि वह तो कुछ और ही देखने आया था या सब देखकर वह उसकी आंखें फटी की फटी रह गई थी भागा भागा हुआ जनमोर्चा अखबार के दफ्तर में घुस गया यहां पूछने की यह सब उसने देखा है किसी चमत्कारी ताकत ने अपना माया जाल फैला रखा है क्या यही फैजाबाद है किसी दूसरे शहर में आ गया है क्योंकि यह तो फैजाबाद नहीं कोई तिलहर संवाद लगता है संपादक शीतला सिंह उसे हैरत से देखते रह गए वहां रुकना अजीब लग रहा था आता हुआ निकल पड़ा वह खूबसूरत मेरे पास से गुजर ही रहा था कि एक निहायत से पंजा हाथ में उसका का थाम लिया वह घबरा गया मुड़कर देखा तो देखता ही रह गया।

उसकी परदादी की तरह बूढ़ी और निहायत खूबसूरत एक औरत उसके सामने खड़ी थी उसके बाल चांदी की के थे चेहरे पर शरीर की लहरों जैसी झुर्रियां थी उस बूढ़ी ने पूछा नहीं पहचाना मैं फैजाबाद की बहू बेगम हूं मैं तो नहीं गई अपना फैजाबाद छोड़कर वह चला गया अपनी राजधानी भी लखनऊ उठा ले गया मैंने कहा जा तू ही मेरा अकेला बेटा नहीं है मेरे हजारों लाखों बैठे हैं मैं तो फैजाबाद नहीं छोडूंगी दादी आप रहती कहां है अरे तुझे नहीं इतना भी नहीं मालूम मैं इसी मकबरे में रहती हूं यही डब्लू हूं मैंने देखा कि तू यहां से गुजर रहा है तो सोचा कि तुझ से मिल लूं सदियों बाद या मन किया कि तुझे देख लूं तू अमीर खुसरो के खानदान से है ना अजीब है ना हां अम्मी जान अधिक हूं अमीर खुसरो एटा के थे मैं मैनपुरी का हूं 30 मील का फासला है 30 मील क्या होता है अभी तो सदियों का फासला तय करता है मेरे बेटे बाल्मीकि व्यास कालिदास कभी मीरा भी तो उसी खानदान के बुजुर्ग हैं जिसका तू बारिश है और इससे पहले कि वह कुछ भी बोले वह खुद ही बोलती गई।

  मैंने तुझे देखते ही पहचान लिया तुलसीदास भी उसी खानदान का था खुश रहो तो एटा में रहता था पर तुलसीदास यही रहता था अयोध्या में तू भी यही रहे क्यों भटकता है गांव गांव सुबह-सुबह तू बैठ के लिख तेरा लिखा सदियों के पास जाएगा सब के पास जाएगा इस उम्र में तेरे माथे पर या लकीरे आंखों में धुआं और सांस में इतना गुबार कहां से भाग के आया है तू बाबा बता मेरे बेटे बता दादी वक्त कुछ ऐसा आन पड़ा है कि मैं कहीं चैन से बैठ नहीं पाता सोच नहीं पाता लिख नहीं पाता आजकल मैं खून से नहाता हूं और बंधु को गोलियां खाकर जिंदा रहता हूं अरे बेटे हां एक गोली मुझे भी लगी थी।

अरे पूछो इन कश्मीरियों मुजाहिद तीनों का मैंने क्या बिगाड़ा पर मेरा बेटा तू अपना ख्याल रख कोई राजा महाराजा बादशाह शाहजहां नेता प्रधानमंत्री अपने वक्त का जवाब नहीं देगा सब अच्छा या बुरा करके मर जाएंगे जवाब सिर्फ तुझे देना पड़ेगा या काम को देना पड़ेगा इसलिए तो अपना ख्याल रख मेरे बेटे तू अपना ख्याल रख इतना कहकर मैंने आशु पूछते हुए बहू बेगम हजरत हो गई जब मैं से अर्दली ने दस्तक दी आप अपना काम पूरा कीजिए क्या बहुत या अभी भूल गए आप अदालत भी करके किस लिए आए थे याद कीजिए और मीर बाकी के गांव का पता पूछिए।

उसने कहा और पास से गुजरते आदमी से पूछा आपको मीर बाकी के गांव का पता है कौन मीर बाकी और यह आवाज गूंजती चली गई कौन मीर बाकी कौन विभागीय उसने किसी से भी पूछा उसने यही जवाब दिया उसका पता जब भी नहीं मिला वह एक छापा खाने में घुस गया वहां सिर्फ दो ही चीजें छप रही थी और दया का रक्तरंजित इतिहास और चंदे की रसीद में रसीद बुकों के गट्ठर लग लग कर विद्या के मंदिरों में जा रहे थे ना कानों पर भीड़ लगी थी राम मंदिर समितियों भजन मंडलियों और न जाने किन किन दलों और परिषदों के एजेंट अपनी अपनी संस्था की रावण रेलवे मनीआर्डर से आए चंदे कोटा खाने से वसूल रहे थे आखिर अर्दली जेब से निकला और उसने अयोध्या का रक्तरंजित इतिहास पुस्तक में से वीर बाकी का पता खोज कर वह उसके आगे बढ़ा दिया सनी हुआ गांव मीर बाकी का गांव विवरण सामने था । 

फैजाबाद से 4 मील दूर गर्मी कच्चा रास्ता तेज होती हुई धूल किसी तरह का गांव के बीचो-बीच पहुंचा हूं कटा था खेत खाली पड़े थे खलिहान भरे हुए थे कच्चे पक्के घरों का गांव 1012 बच्चे खेल रहे थे कोई बड़ा और कोई बुजुर्ग नजर नहीं आया था उसे लोग जूते उतारकर मजार के ऊंचे आंगन में चढ़ गए अभी वह फिल्मिंग शुरू हुई करने वाले थे कि पिछले गली से एक भीड़ दौड़ती हुई आ पहुंची और चीखने चिल्लाने लगी आप लोग हमारे भारत में आग लगाने आए हैं या एक मौलवी नुमा अधेड़ की आवाज थी आप बिना पूछे ऊपर चढ़े कैसे इजाजत किससे ली हां कौन आप है नीचे उतरी है आखिर आपका मकसद क्या है। 

 यह गांव आपका है कि मुंह उठाए और गोसाई चीखती चिल्लाती फिर किसी क्षण काबू बेकाबू हो सकती कोई भी एक भी उठा कर फेंक देता तो पथराव शुरू हो जाता अभी बहुत गर्मी से उस भीड़ को शांत करने की कोशिश कर रहा था पर कोई कुछ गांव के नौजवानों का एक गोली हमदम संभालता कुर्ते पहनता भी शामिल हो जाता चुनाव काफी बढ़ गया था तभी दो फरिश्ते बीच में आकर खड़े हो गए उन दोनों रूपों में से एक ने पहचाना अरे भाई अपने शीतला से बाबू हैं जनमोर्चा वाले कौन गलत काम नहीं करिए शांत खामोश इस चिलचिलाती धूप में या चमत्कार हुआ कि सारे लोग थे और गुस्से को ठोकर आसपास जमा हो गए जानना चाहते कि वे लोग सब लोग किस काम से आए हैं शीतला सिंह उन्हें सारा मकसद बताया तो वही मौलवी महादेव सामने आए बताने लगे अब बात है साहब हम यहां चैन से रहते हैं पूरा गांव मुसलमान का है। 

इसमें सिया भी है उसमें भी है आप क्या है मेरी परचून की दुकान है मैं इसी मस्जिद के पास इमाम में हूं यहां कोई मीर बाकी नहीं रहा ना उसका खानदानी कोई है यहां है यहां तो मजार किसका है बॉस ने पूछा लिया हमारे समूह सामने वाले उनके बुजुर्ग रहे और हम सब गांव वालों में उनके बुजुर्ग मानते हैं उनकी मजार है मीर बाकी का मजार औरों की मजार इतनी मामूली होगी हो सकती है या आग लगाए लगाए दी है गलत तारीख लिखवाने वालों और दिल्ली के अखबारों में यहां आए तस्वीरें उतारी जा कर लिख दी मीर बाकी की कवर की मस्जिद ओके मस्जिद बनवाई मस्जिद सालन की टांग तोड़ देनी चाहिए। 

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रचनाएँ
कितने पाकिस्तान
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कितने पाकिस्तान हिन्दी के विख्यात साहित्यकार कमलेश्वर द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 2003 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। यह उपन्यास भारत-पाकिस्तान के बँटवारे और हिंदू-मुस्लिम संबंधों पर आधारित है। यह उनके मन के भीतर चलने वाले अंतर्द्वंद्व का परिणाम माना जाता है।'कितने पाकिस्तान' कमलेश्वर का लिखा हुआ एक प्रयोगवादी उपन्यास है। इस उपन्यास को 2003 के साहित्य अकादमी पुरस्कार से नवाज़ा गया था। यह उपन्यास बाकी उपन्यासों से कई मामलों में अलग है। पहला, इसमें सामान्य घटनायें, जैसे उपन्यासों में होती हैं, नहीं हैं, बल्कि ऐतिहासिक घटनाओं का लेखक के नज़रिये से वर्णन है। क्योंकि सारा कथानक उसी के इर्दगिर्द घूमता है। उपन्यास में सदियों से चले आ रही हिंसा और मारकाट के प्रति गहरा क्षोभ है। पात्रों की इस कमी को इतिहास के प्रसिद्ध व्यक्तियों को कटघरे में लाकर दूर किया गया है। अगर उपन्यास का सार निकालने की कोशिश की जाए तो यही आयेगा कि विभाजन अब बंद होने चाहिये।
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भाग 1

21 जुलाई 2022
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एक भूली हुई दास्तान उसे याद आती है  ।   वह तो एक बंजर जमीन से आया था ।  खामोश  आकर्षणों की दुनिया से जहां कहां कुछ भी नहीं जाता । मन ही मन में कुछ अरमान करवटें लेते हैं । अनबूझी इच्छाएं आती और चली जा

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भाग 2

21 जुलाई 2022
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- हुआ या था नहीं स !  पहले या सुनिए कि हुआ क्या है...... उसने चौक कर आवाज की तरफ देखा था उसका एक में 3 सहायक स्टोनो और अर्दली महमूद उसके सामने खड़ा था।  उसके हाथ में टेलीप्रिंटर से आई खबरों के कुछ कु

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भाग 3

21 जुलाई 2022
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खत भेजने के बाद अभी बहुत परेशान था । वह सोच रहा था कि उसके उद्गार और विचार कहीं देश की रक्षा सुरक्षा के नाम पर दूसरों के लिए मौत तो पैदा नहीं करते क्या एक के जीवित रहने के लिए दूसरे की मौत जरूरी है?

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भाग 4

21 जुलाई 2022
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और तभी यूरोप के सम्राट गिल गमेंश की गूंजती आवाज आई -  - मैं पीड़ा से लड़ लूंगा यातना सहूँगा  कुछ भी हो मैं मृत्यु को पराजित कर लूंगा मैं मृत्यु से मुक्त की औषधि खोज कर लाऊंगा !  सम्राट गिल गणेशा की

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भाग 5

21 जुलाई 2022
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वहां मौजूद तमाम देवताओं की चिंता का एक स्वर में अनुमोदन किया और देवी तान्या ने तब उन्हें आगाह करने वाला भाषण दिया दजला फरात और डेन्यूब की परा धरती के समस्त देवताओं तुम सब आज चिंतित हो क्योंकि मनुष्य म

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भाग 6

29 जुलाई 2022
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उसी कहानी में शामिल है बूटा सिंह और रेतपरी किया की  यह कहानी राजस्थान का तपता रेगिस्तान कोई चीखा बन गया साला पाकिस्तान आसमान की आंख सूखी हुई थी उनमें एक बूंद भी पानी नहीं था मौसम विभाग के वैज्ञानिक

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भाग 7

29 जुलाई 2022
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बूटा सिंह जब जीने के लिए कपड़े लेने निकला था पाकिस्तान नाम की लकीर तो फिर चुकी थी मौसम विशेषज्ञों की भविष्यवाणी सही साबित हुई रक्त की वर्षा हो रही थी रेत परिचय नहीं अभी भी गर्दन तक रेत में दबी हुई है

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भाग 8

29 जुलाई 2022
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आतंकी देवताओं ने धरती की ओर देखा वह सकते में आ गए जो लोग के समस्त सफेद पंखों वाले पंछी देवदासी रोना को लेकर मित्रों पर उतर रहे थे "के समय उसके साथ अभी सभी तरह के पंछी पखेरू शामिल होते गए थे उनमें अंजन

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भाग 9

29 जुलाई 2022
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बूटा सिंह ने कपड़ों की जोड़ी लाकर जीने के पास रख दिया और पूछा निकालूं तुम बाहर जाओ मैं निकाल आऊंगी धीरे-धीरे जैनेब रेट टिकट दे से निकल आई उसने तार-तार हुई कुर्ती को उतारा और वही संभाल कर रख दिया ना जा

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भाग 10

29 जुलाई 2022
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बूटा सिंह ने कपड़ों की जोड़ी लाकर जीने के पास रख दिया और पूछा निकालूं तुम बाहर जाओ मैं निकाल आऊंगी धीरे-धीरे जैनेब रेट टिकट दे से निकल आई उसने तार-तार हुई कुर्ती को उतारा और वही संभाल कर रख दिया ना जा

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भाग 11

6 अगस्त 2022
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उसके  अदालत के दरवाज़े पर रक्त  दस्तके  पड़ने लगी । वह दस्तक  से परेशान था। परेशान नही  पागल। और फिर दस्तक  पर दस्तक  ।पश्मी सीमांत से एके-47 चीनी राइफल ने दस्तक दी । हथियार बनेंगे तो चलेंगेभी ।  उत्तर

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भाग 12

6 अगस्त 2022
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वह कौन सी तारीख थी।  इब्राहिम लोदी से मैंने पार्क पानीपत की लड़ाई 20 अप्रैल 1526 को जीती थी और रजत 15 जुम्मे के दिन यानी 27 अप्रैल 1526 को मारे मेरे नाम का खुतबा पढ़ा गया था या खुद बा मौलाना महमूद और

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भाग 13

6 अगस्त 2022
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अजीम फैजाबाद स्टेशन पर उतरा ही था कि वह धमाकेदार झापड़ उसके पड उसके पड़ा स्टेशन की दीवार पर लिखा हुआ नारा सामने खड़ा था बोला फैजाबाद आए हो तो पहले इसे पढ़ पढ़ो इसमें लिखा था कि अपने धर्म स्थानों का अप

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भाग 14

6 अगस्त 2022
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बस आग लगाते घूम रहे हैं सब ही ना ही चाह सोजत की भारत का क्या होगा पहले ही या हिंदू मुसलमान को लगवाना चाह ना ही लड़ बाय पाए तो अब शिया सुन्नी को डलवाना चाहते हैं अब पानी शरबत बिस्कुट और मूंग के दाल मोड

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भाग 15

6 अगस्त 2022
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हुजूर इन कानूनी बारीकियों में मत जाइए अन्याय अन्याय है अन्याय ग्रस्त औरत की जिंदगी तो मौत से बदतर होती है तुम ठीक कह रहे हो महमूद अली अदालत सीखी तो पूरी श्रेष्ठ कांप उठी नहीं मैं मुद्दों के अलावा जिद्

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भाग 16

6 अगस्त 2022
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नक्सलवाद का समर्थन कर रहे थे एक के बाद एक ताने कसे तो इमाम नाजिश बौखला गए और और बोले तब तुम भी हमसे कहां लगते अधीन तुम अमृता प्रीतम करतार सिंह दुग्गल मोहन राकेश भीष्म साहनी देवेंद्र सत्यार्थी और यहां

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भाग 17

6 अगस्त 2022
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और मार दो अपने ही सब सृष्टि की रचना की थी उसने अपने दादा अनु को आकाश का सम्राट बनाया था अपने पिता ऐसा को धरती का और तब माधुरी ने एक महा मंदिर बनाया था कि आकाश के देवता और ईश्वर जो उसकी प्रजाति धरती पर

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भाग 18

6 अगस्त 2022
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जी शायद आप मुझे ठीक ही पहचान रहे हैं सलमा की जान में जान आई मैं सीएसपी के जनाब आफताब अहमद की हूं  और हिंदुस्तान में रहती हूं वह मेरे नाना है सलमान ने कहा तब पुलिसवाला कुछ नाराज सा होकर काउंटर वाले से

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भाग 19

6 अगस्त 2022
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अदालत में क्या कह रहे हो तुम मैं तो कराची के होलीडे इन होटल के रेस्टोरेंट में बैठा हुआ था और सलमा से बातें कर रहा था हुजूर आपकी यादों की परछाई का नाम क्या है या तो मुझे नहीं मालूम पर आपके होंठ मिलता ल

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भाग 20

6 अगस्त 2022
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तब अजीब चीन से लौट आया था सलमा भी अपने नाना से मिलकर कोटा से लौट आई थी उसे उम्मीद नहीं थी कि इतने महीनों बाद भी सलमा उस पेपर नैपकिन पर लिखे पते पर फोन का नंबर को संभाल कर रखे गी पर उसने रखा था ना रखा

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भाग 21

6 अगस्त 2022
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नहीं नहीं तो या नीम की पत्तियां झड़ रही है ना हां पतझड़ का मौसम है ना नहीं या अंधेरे का मौसम है लगता है मेरा पति पति झड़ रहा है तो एक बात क्यों ना करें क्या हम न कुछ पूछे न जाने अपने रवा अति जिंदगी के

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भाग 22

13 अगस्त 2022
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बिस्तर उनका इंतजार कर रहा था वह भी  वह भी त्रियोबिश की  रेती की तरह साफ़ था। मेरे संपर्क से छूने से कुछ ऐसा तो नहीं जो तुमने जीवित होता हो और मेरा प्रतिकार करता हूं नहीं ऐसा भी कुछ नहीं सलमा ने बहुत गह

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भाग 23

13 अगस्त 2022
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जब अजीब और शर्मा कॉटेज से निकले तब भी नीले फूल खिले हुए थे। सलमा ने साड़ी पहनी थी बदन में बाकी फूल तो साड़ी और ब्लाउज के अंदर उन देशों की तरह समा गए थे । प्रभावों पर उन नीले फूलों की जो लेटर उतर आई थी

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भाग 24

13 अगस्त 2022
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वह मेरा बेटा ही सही पर मर्द हो जीने के लिए कहीं मुश्किल नहीं होता मैं एक रिश्तेदार की तरह आपको राय देता हूं कि बेहतर होगा कि आप अपने बेटे के साथ अपने नाना के पास पाकिस्तान लौट आए नईम ने कहा आप तो बिल्

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भाग 25

13 अगस्त 2022
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कुछ नहीं ऐसे लोग आकर यहां क्यों नहीं समझते कि मुसलमानों के नाम पर पाकिस्तानियों को बोलने का कोई हक नहीं है आज है हिंदुस्तान में पाकिस्तान से ज्यादा मुसलमानों पाकिस्तान से ज्यादा इस्लाम की समझने वाले ल

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भाग 26

13 अगस्त 2022
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सलमा और अधीन ने मजहब तो नहीं बदले पर उन्हें इस बात में मजा जरूर आने लगा या उनके लिए जैसे खेल की बात बन गई सबसे पहले तो उन्होंने जगह बदली वह पूरब की ओर भागे भागते भागते ब्लैक रिवर के घने जंगलों को पार

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भाग 27

13 अगस्त 2022
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वह आवाज बिजली की तरह तड़प और कड़क रही थी और अब वह कौन सी भी कमरे में खड़ी हो गई थी अजीब या कौन है डर से असहमति सलमानी उसके कंधे के पीछे छुपे हुए पूछा मैं चला दो आलमगीर औरंगजेब का जल्लाद मैं कोतवाल भी

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भाग 28

13 अगस्त 2022
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इस्लाम में हर कुदरती जरूरत के लिए जगह है लेकिन जब मजहब और सियासी फायदे के लिए नफरत में बदला जाता है तो एक नहीं तमाम पाकिस्तान पैदा होते हैं मेरी बच्ची तुम्हारी जिंदगी को इस गलत विभाजन ने तोड़ दिया है

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13 अगस्त 2022
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गहरी नहीं जरूरी अंग्रेजों और जिन्ना साहब ने सोचा ही नहीं था कि जब हिंदुस्तान नाम का मूल नसीब होगा तब मेरी जैसी एक सलमा कैसे तक्सीम होगी और वह अपनी इज्जत कहां  कहां तलाशग अदीब ने उसे बहुत प्यार से पुका

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भाग 30

13 अगस्त 2022
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तभी नूरजहाँ  उसका ध्यान नीचे मौजूद रियाया की तरफ दिलाया उधर देखिए हुजूर इतने दिनों बाद आप बाहर निकले आपकी रे आया आपके दीदार के लिए उम्र पड़ी है तभी भीड़ ने पुरजोर आवाजें का आने लगी बादशाह सलामत जिंदाब

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भाग 31

13 अगस्त 2022
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मुझे जाना चाहिए वक्त आप को माफ नहीं करेगा और फिर आपको भी वक्त की बरात बर्बादी का मलाल कठोरता रहेगा सारा शगुफ्ता देखिए आपके अर्दली साहब बेसब्री से आपका इंतजार कर रहे हैं चलने से पहले एक यशपाल दरख्वास्त

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भाग 32

13 अगस्त 2022
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मैंने कोई निमंत्रण बाबर को नहीं भेजा था राणा सांगा नितेश में कहा तुम्हारा वह दावत नामा मेरी तिवारी बाबरनामा में दर्ज है और वह दस्तावेज आज का नहीं सोलवीं सदी का है अगर या गलत है तो तुमने तब क्यों नहीं

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भाग 33

15 अगस्त 2022
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 या गलत है हमारी गलती से विभाजन तो एक सच्ची घटना में तब्दील हो गया था पर विभाजन के भयानक दौर में भी सिंध में मारकाट नहीं हुई हमने मन ही मन अपनी ऐतिहासिक गलती मंजूर करते हुए बहुत भरे दिल से अपने हिंदू

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भाग 34

15 अगस्त 2022
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मुसलमान का था मीरा का था कबीर का था नाना कोटा कोलकाता सुब्रमण्यम भारती और नज़रुल इस्लाम कथा संत रैदास के और ज्ञानेश्वर का था किसका खुदा नहीं था लेकिन इंक इकबाल ने खुदा के मस्जिदों में कैद कर देने का प

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भाग 35

15 अगस्त 2022
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और आपकी सलमा जो खुदा हाफिज कह कर चली गई है इस अहम अदालत का कारोबार रोक कर आपको फिर अपने लिए हासिल करने की कोशिश में लगी है और उधर आपके दोस्त भवानी सिंह उप ईरान की राजधानी तेहरान से लौटकर कुछ जरूरी बात

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भाग 36

20 अगस्त 2022
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हुजूर हमसूफी है इस पागल शहंशाह ने हुजूर पैगंबर के जन्मदिन पर गाए जाने वाले हम हमारे भजनों पर भी पाबंदी लगा दी तब हम सूफी संतों को उसके गुर्गे और दरोगा मिल जावा वाकर के खिलाफ गोलबंद होकर निकलना पड़ा इस

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भाग 37

20 अगस्त 2022
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मौका पाते ही सल्तनत के वजीरे खारी खारी जा राजा रघुनाथ को हटाकर या वादा किसी से मुसलमान को दिया जाए किसी हिंदू अफसर के नीचे मुसलमान को तैनात किया जाए और अब खुलकर इन काफिरों हिंदुओं को बता दिया जाए कि व

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भाग 38

20 अगस्त 2022
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यही कि जो मैंने किया वह गलत भी था वह सही भी था सर जमीन ए हिंद की नजर में मैंने बहुत कुछ गलत किया जो मुझे शायद नहीं करना चाहिए था लेकिन इस्लामी मिल्लत की नजर में जो कुछ मैंने किया वह शायद सही था ऑरेंज

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भाग 39

20 अगस्त 2022
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तभी इतिहास के करोड़ों पन्नों से चीखती हुई आवाज आने लगी औरंगजेब तुम जालिम हो तुमने पोस्ते का पानी पिला पिला कर मुराद को मारना चाहा जब वह तंदुरुस्त शहजादा अफीम के पानी से नहीं मारा तो तुमने उसे चला दो उ

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भाग 40

20 अगस्त 2022
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शिब्ली नोमानी बड़े जोश खरोश से बता रहे थे मजहब की शक्ति का अगर किसी ने पहली बार इस्तेमाल किया तो बस सिर्फ यही दिलेर आलमगीर था कहीं ऐसा तो नहीं कि औरंगजेब ने इस्लाम का सहारा अपनी कमजोरियों और जातियों क

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भाग 41

20 अगस्त 2022
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तुम लोग कहर की बात करते हो हम कयामत बरपा करेंगे और मिस्र में बाप कुछ भी नहीं जिंदा छोड़ेंगे जो इस्लाम से पहले का है हम उसे बराबर करके रहेंगे दूरदराज अमेरिका से आई वहां मिस्र का मूल्य से कुमार अब्दुल र

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भाग 42

20 अगस्त 2022
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या तेज भाई जारी थी कि लश्कर मंदिर के उत्तर पूर्वी तरफ अबू हज आज मंदिर से इमाम वाहिद मोहम्मद अपनी ने भय ग्रस्त आंखों से जाकर देखा यहीं इसी मस्जिद में अपने समय के सबसे बड़े विद्वान अबू हज्जाज दफन हैं जि

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भाग 43

20 अगस्त 2022
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इसीलिए पश्चिम वाले ईरान की इस्लामी क्रांति की को आत्मसात नहीं कर पाए अयातुल्लाह खोमेनी और इस्लामी क्रांति में ईरान जैसे सभ्यता संपन्न देश को फिर एक बार उसकी दूरी दे दी आज अपनी धुरी पर लौटकर ईरान अपने

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