शिब्ली नोमानी बड़े जोश खरोश से बता रहे थे मजहब की शक्ति का अगर किसी ने पहली बार इस्तेमाल किया तो बस सिर्फ यही दिलेर आलमगीर था कहीं ऐसा तो नहीं कि औरंगजेब ने इस्लाम का सहारा अपनी कमजोरियों और जातियों को छुपाने के लिए किया हुआ दीप ने पूछा बुजुर्ग इतिहासकार उठ कर खड़ा हो गया हुजूर इससे पहले आप मेरा परिचय पूछा मैं खुद ही बता देता हूं मेरा नाम मोहम्मद हबीब है मैं अलीगढ़ यूनिवर्सिटी का इतिहास का प्रोफेसर था ।
मुझे कहना यह है कि वक्त पड़ने पर अपनी जरूरत के मुताबिक अपनी निजी दबदबा बहोत बढ़ाने के लिए बहुतों ने इस्लाम का सहारा लिया इस्लाम का शोषण सदियों से किया गया आप भी जारी है आज भी जारी है बेगम हजरत मोहम्मद के दौर में जो तलवार इंसाफ और हिफाजत के लिए उठाई गई उसका गलत इस्तेमाल किया गया बाद में वाह तलवार प्रतिशोध और निजी स्वार्थ के लिए उठाए जाने लगी उसी इस्लाम परस्ती का नाम दिया गया सुन रहे हैं आप शिब्ली नोमानी साहब मोहम्मद हबीब ने आगे कहा मैं अदालत के सामने यह बात भी रखना चाहूंगा कि सोचना बिल्कुल गलत है ।
मोहम्मद बिन कासिम से लेकर बाहर तक 1000 वर्षों तक जो भी आक्रमण हुए हुए हिंदुस्तान में हिंदुओं पर हुए वैसे या भी नहीं मां बोलना चाहिए कि इस्लाम मात्र एक धर्म का ही उदय नहीं था इस्लामिक राज्य के रूप में भी उदित हुई था और राज्य शक्तियों के नियम अलग होते हैं धर्म के अलग मैं ज्यादा कुछ नहीं कहना चाहूंगा लेकिन शिब्ली नोमानी साहब के इस्लामी जयनित का जवाब इतना ही है कि इस्लाम को मंजूर मंजूर करने वाला कोई हमलावर सिर्फ मुसलमान था लेकिन वह इस्लाम के नाम पर हिंदुओं खिलाफ जिहाद लेकर भारत में आया था या आप कैसे कह सकते हैं हजरत शिब्ली नोमानी ने तो का मोहम्मद बिन कासिम से लेकर बाहर तक जो भी मुसलमान हमलावर हिंदुस्तान में आया वह मध्यकालीन युग के यश और धन के लिए हिंदुस्तान को लूटने आया वह इस्लाम के गाजी नहीं वह सिर्फ अपनी संतो के अपने निजी स्वार्थों के बानी थे इस्लाम के को बीच में मत घटी थी ।
इस्लाम का मजहब के रूप में अलग था जो मुसलमान बना उसने अपनी लूटमार के लिए इस्लाम का परचम उठाया यह जरूर कहा जाता है कि जो लुटेरे रसिया के संस्कृतिक और धार्मिक क्रांति के बाद भारत पर हावी हुए वे मुसलमान थे हिंदुस्तान परशुराम ने नहीं मुसलमानों ने अपनी मध्यकालीन चेतना और सामंती मूल्यों के तहत स्वार्थों को हासिल करने के लिए आक्रमण किए थे यह सच्चाई को बारीकियों से देखना पड़ेगा कि हिंदुस्तान में हिंदुओं के इस्लाम से नहीं इस्लाम स्वीकार करने वाले मुसलमानों ने हमले किए थे क्योंकि उन्होंने इस्लाम को मौजूद राज्य शब्द की अहमियत को पहचाना था उन्हें लगा कि इस्लाम के नाम पर भी अपनी फौजों को लामबंद कर सकते हैं ।
इसके बावजूद 17 वी सदी से सोलवीं सदी तक इतिहास बताता है कि मुसलमान खुद मुसलमान से लड़ता रहा अगर अदालते आलिया चाहे तो अमीर खुसरो बनी और फरिश्ता जैसे जीवों के इतिहासकारों को बुलाकर लिए असलियत जान सकती है मोहम्मद हबीब बोलते बोलते आप कर अपनी जगह बैठ गए अमीर खुसरो बनी ने फरिश्ता को बाइज्जत आदत में हाजिर की अदालत में हाजिर किया जाए अदीब ने हुक्म दिया लेकिन दारा शिकोह अपनी दुख भरी दास्तान स्पर्श करना चाहते थे अर्दली ने अदब से कहा लेकिन भवानी सिंह गुप्त कब से इंतजार कर रहे हैं अभी अपने अलावा इसे इस दौर की नजर पर भी हाथ रखे रहना देखना चाहता हूं जो इस वर्तमान पर अपनी काली छाया डाल कर हमारी जिंदगी में नफरत और पाकिस्तान न्यू डालना चाहता है अदीब ने अपने कागजों के दस्तावेज और इतिहास के बीच हुए कहा कि दारा शिकोह और अमीर खुसरो बनी है बात कर लो जो पहले आना चाहे जलाया जाए मैं सबका स्वागत करूंगा खासतौर से अमीर खुसरो साहब का क्योंकि जिला एटा के हैं मैनपुरी का दोनों एक दूसरे की बाहों में बाहें डाले बैठे हैं ।
दूसरी बार आगरा में हुई जहां मिर्जा गालिब मीर और नजीर पैदा हुए तो मेरे पास तो वैदिक आर्य से लेकर कवि अमीर खुसरो कबीर अमीर खुसरो और ग़ालिब मीर तक की विरासत मौजूद है और अधिक ने पलटकर भवानी गुप्त की ओर देखते हुए पूछा क्यों दोस्त हम दार आशिकों को बुला ले दारा शिकोह के साथ-साथ काली का रंजन कानूनगो को भी बुलाया क्योंकि शिब्ली नोमानी ने औरंगजेब को एक पाक साफ इस्लामी शासक के रूप में पेश किया प्रोफेसर भी बोल रहे कि मैं कहता हूं कि हफ्ते में 3 दिन रोजा रखकर कुरान शरीफ की प्रतियां लिखकर और नमाजियों की टोक्यो सील कर भी औरंगजेब इस्लाम का पैरोकार नहीं था उसने इस्लाम को अपनी जरूरतों के लिए इस्तेमाल किया था नहीं तो क्या वजह थी ।
उसने अपने भाइयों दारा शिकोह और मुराद को मरवा दिया उसने अपने बड़े भाई सोजा को हिंदुस्तान से वर्मा की तरफ खदेड़ कर बेदखल कर दिया उसने अपने बाप शाहजहां शाहजहां को जिंदा रहते कैद किया खुद हिंदुस्तान का बनवासा बन बैठा यह तो मुगलिया खानदान या तैमूर की परंपरा नहीं थी क्या यह हरकतें इस्लाम या शरीयत के मुताबिक थी इसलिए यह मानना पड़ेगा कि औरंगजेब मुसलमान तो था पर वह इस्लाम का बंदा नहीं एक जालिम बादशाह था मुसलमान हबीब ने कहा तो अजीब में अर्दली को हुक्म दिया ।
दारा शिकोह मुराद दर्द धारा के बेटे सुलेमान सीखो और इतिहासकार कालिका रंजन कानूनगो को फौरन हाजिर किया जाए हुक्म शामिल करने के लिए अर्दली ने कदम बढ़ाया ही था कि न्यूयॉर्क टाइम्स की लेटेस्ट आपकी हुई हाजिर हुई आपको धर्मार्थ लोग बादशाहों की घाटी में क्या कर रहे हैं नील नदी रो पड़ी उसके आंसुओं की बाढ़ का पानी मिश्र के हर नागरिक की आंखों में भर गया उनकी आंखें डबडबा रही वह आप भरी आंखों में अपनी सभ्यता का विनाश देख रही है बादशाहों की घाटी में सदियों से खामोश लेते हुए अपनी-अपनी में डर से थर थर कांप रहे थे व्यवहारों जिनसे मद्धेशिया और दक्षिण पूर्वी यूरोप पर आता था इनके खजाने और शूरवीर वीरता का वर्णन पूरी दुनिया में होते थे जिन्होंने भारतीय और चीनी सभ्यता का उदय साथ-साथ एक विराट मानवीय सभ्यता की नींव रखी थी आज वह पूरा इतिहास और गौरवशाली सभ्यता मुसलमान आतंकवादियों के बाहर आ रही है इस्लाम या और जेहाद जैसे अंधे इस्लामी वादी संगठन सामान्य आदमी की जिंदगी पर कहर बरपा कर रहे हैं ।