shabd-logo

भाग 40

20 अगस्त 2022

27 बार देखा गया 27

शिब्ली नोमानी बड़े जोश खरोश से बता रहे थे मजहब की शक्ति का अगर किसी ने पहली बार इस्तेमाल किया तो बस सिर्फ यही दिलेर आलमगीर था कहीं ऐसा तो नहीं कि औरंगजेब ने इस्लाम का सहारा अपनी कमजोरियों और जातियों को छुपाने के लिए किया हुआ दीप ने पूछा बुजुर्ग इतिहासकार  उठ  कर खड़ा हो गया हुजूर इससे पहले आप मेरा परिचय पूछा मैं खुद ही बता देता हूं मेरा नाम मोहम्मद हबीब है मैं अलीगढ़ यूनिवर्सिटी का इतिहास का प्रोफेसर था । 

 मुझे कहना यह है कि वक्त पड़ने पर अपनी जरूरत के मुताबिक अपनी निजी दबदबा बहोत बढ़ाने के लिए बहुतों ने इस्लाम का सहारा लिया इस्लाम का शोषण सदियों से किया गया आप भी जारी है आज भी जारी है बेगम हजरत मोहम्मद के दौर में जो तलवार इंसाफ और हिफाजत के लिए उठाई गई उसका गलत इस्तेमाल किया गया बाद में वाह तलवार प्रतिशोध और निजी स्वार्थ के लिए उठाए जाने लगी उसी इस्लाम परस्ती का नाम दिया गया सुन रहे हैं आप शिब्ली नोमानी साहब मोहम्मद हबीब ने आगे कहा मैं अदालत के सामने यह बात भी रखना चाहूंगा कि सोचना बिल्कुल गलत है । 

मोहम्मद बिन कासिम से लेकर बाहर तक 1000 वर्षों तक जो भी आक्रमण हुए हुए हिंदुस्तान में हिंदुओं पर हुए वैसे या भी नहीं मां बोलना चाहिए कि इस्लाम मात्र एक धर्म का ही उदय नहीं था इस्लामिक राज्य के रूप में भी उदित हुई था और राज्य शक्तियों के नियम अलग होते हैं धर्म के अलग मैं ज्यादा कुछ नहीं कहना चाहूंगा लेकिन शिब्ली नोमानी साहब के इस्लामी जयनित का जवाब इतना ही है कि इस्लाम को मंजूर मंजूर करने वाला कोई हमलावर सिर्फ मुसलमान था लेकिन वह इस्लाम के नाम पर हिंदुओं खिलाफ जिहाद लेकर भारत में आया था या आप कैसे कह सकते हैं हजरत शिब्ली नोमानी ने तो का मोहम्मद बिन कासिम से लेकर बाहर तक जो भी मुसलमान हमलावर हिंदुस्तान में आया वह मध्यकालीन युग के यश और धन के लिए हिंदुस्तान को लूटने आया वह इस्लाम के गाजी नहीं वह सिर्फ अपनी संतो के अपने निजी स्वार्थों के बानी थे इस्लाम के को बीच में मत घटी थी । 

इस्लाम का मजहब के रूप में अलग था जो मुसलमान बना उसने अपनी लूटमार के लिए इस्लाम का परचम उठाया यह जरूर कहा जाता है कि जो लुटेरे रसिया के संस्कृतिक और धार्मिक क्रांति के बाद भारत पर हावी हुए वे मुसलमान थे हिंदुस्तान परशुराम ने नहीं मुसलमानों ने अपनी मध्यकालीन चेतना और सामंती मूल्यों के तहत स्वार्थों को हासिल करने के लिए आक्रमण किए थे यह सच्चाई को बारीकियों से देखना पड़ेगा कि हिंदुस्तान में हिंदुओं के इस्लाम से नहीं इस्लाम स्वीकार करने वाले मुसलमानों ने हमले किए थे क्योंकि उन्होंने इस्लाम को मौजूद राज्य शब्द की अहमियत को पहचाना था उन्हें लगा कि इस्लाम के नाम पर भी अपनी फौजों को लामबंद कर सकते हैं । 

इसके बावजूद 17 वी सदी से सोलवीं सदी तक इतिहास बताता है कि मुसलमान खुद मुसलमान से लड़ता रहा अगर अदालते आलिया चाहे तो अमीर खुसरो बनी और फरिश्ता जैसे जीवों के इतिहासकारों को बुलाकर लिए असलियत जान सकती है मोहम्मद हबीब बोलते बोलते आप कर अपनी जगह बैठ गए अमीर खुसरो बनी ने फरिश्ता को बाइज्जत आदत में हाजिर की अदालत में हाजिर किया जाए अदीब ने हुक्म दिया लेकिन दारा शिकोह अपनी दुख भरी दास्तान स्पर्श करना चाहते थे अर्दली ने अदब से कहा लेकिन भवानी सिंह गुप्त कब से इंतजार कर रहे हैं अभी अपने अलावा इसे इस दौर की नजर पर भी हाथ रखे रहना देखना चाहता हूं जो इस वर्तमान पर अपनी काली छाया डाल कर हमारी जिंदगी में नफरत और पाकिस्तान न्यू डालना चाहता है अदीब ने अपने कागजों के दस्तावेज और इतिहास के बीच हुए कहा कि दारा शिकोह और अमीर खुसरो बनी है बात कर लो जो पहले आना चाहे जलाया जाए मैं सबका स्वागत करूंगा खासतौर से अमीर खुसरो साहब का क्योंकि जिला एटा के हैं मैनपुरी का दोनों एक दूसरे की बाहों में बाहें डाले बैठे हैं । 

 दूसरी बार आगरा में हुई जहां मिर्जा गालिब मीर और नजीर पैदा हुए तो मेरे पास तो वैदिक आर्य से लेकर कवि अमीर खुसरो कबीर अमीर खुसरो और ग़ालिब मीर तक की विरासत मौजूद है और अधिक ने पलटकर भवानी गुप्त की ओर देखते हुए पूछा क्यों दोस्त हम दार आशिकों को बुला ले दारा शिकोह के साथ-साथ काली का रंजन कानूनगो को भी बुलाया क्योंकि शिब्ली नोमानी ने औरंगजेब को एक पाक साफ इस्लामी शासक के रूप में पेश किया प्रोफेसर भी बोल रहे कि मैं कहता हूं कि हफ्ते में 3 दिन रोजा रखकर कुरान शरीफ की प्रतियां लिखकर और नमाजियों की टोक्यो सील कर भी औरंगजेब इस्लाम का पैरोकार नहीं था उसने इस्लाम को अपनी जरूरतों के लिए इस्तेमाल किया था नहीं तो क्या वजह थी । 

 उसने अपने भाइयों दारा शिकोह और मुराद को मरवा दिया उसने अपने बड़े भाई सोजा को हिंदुस्तान से वर्मा की तरफ खदेड़ कर बेदखल कर दिया उसने अपने बाप शाहजहां शाहजहां को जिंदा रहते कैद किया खुद हिंदुस्तान का बनवासा बन बैठा यह तो मुगलिया खानदान या तैमूर की परंपरा नहीं थी क्या यह हरकतें इस्लाम या शरीयत के मुताबिक थी इसलिए यह मानना पड़ेगा कि औरंगजेब मुसलमान तो था पर वह इस्लाम का बंदा नहीं एक जालिम बादशाह था मुसलमान हबीब ने कहा तो अजीब में अर्दली को हुक्म दिया । 

दारा शिकोह मुराद दर्द धारा के बेटे सुलेमान सीखो और इतिहासकार कालिका रंजन कानूनगो को फौरन हाजिर किया जाए हुक्म शामिल करने के लिए अर्दली ने कदम बढ़ाया ही था कि न्यूयॉर्क टाइम्स की लेटेस्ट आपकी हुई हाजिर हुई आपको धर्मार्थ लोग बादशाहों की घाटी में क्या कर रहे हैं नील नदी रो पड़ी उसके आंसुओं की बाढ़ का पानी मिश्र के हर नागरिक की आंखों में भर गया उनकी आंखें डबडबा रही वह आप भरी आंखों में अपनी सभ्यता का विनाश देख रही है बादशाहों की घाटी में सदियों से खामोश लेते हुए अपनी-अपनी  में डर से थर थर कांप रहे थे व्यवहारों जिनसे मद्धेशिया और दक्षिण पूर्वी यूरोप पर आता था इनके खजाने और शूरवीर वीरता का वर्णन पूरी दुनिया में होते थे जिन्होंने भारतीय और चीनी सभ्यता का उदय साथ-साथ एक विराट मानवीय सभ्यता की नींव रखी थी आज वह पूरा इतिहास और गौरवशाली सभ्यता मुसलमान आतंकवादियों के बाहर आ रही है इस्लाम या और जेहाद जैसे अंधे इस्लामी वादी संगठन सामान्य आदमी की जिंदगी पर कहर बरपा कर रहे हैं । 

43
रचनाएँ
कितने पाकिस्तान
0.0
कितने पाकिस्तान हिन्दी के विख्यात साहित्यकार कमलेश्वर द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 2003 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। यह उपन्यास भारत-पाकिस्तान के बँटवारे और हिंदू-मुस्लिम संबंधों पर आधारित है। यह उनके मन के भीतर चलने वाले अंतर्द्वंद्व का परिणाम माना जाता है।'कितने पाकिस्तान' कमलेश्वर का लिखा हुआ एक प्रयोगवादी उपन्यास है। इस उपन्यास को 2003 के साहित्य अकादमी पुरस्कार से नवाज़ा गया था। यह उपन्यास बाकी उपन्यासों से कई मामलों में अलग है। पहला, इसमें सामान्य घटनायें, जैसे उपन्यासों में होती हैं, नहीं हैं, बल्कि ऐतिहासिक घटनाओं का लेखक के नज़रिये से वर्णन है। क्योंकि सारा कथानक उसी के इर्दगिर्द घूमता है। उपन्यास में सदियों से चले आ रही हिंसा और मारकाट के प्रति गहरा क्षोभ है। पात्रों की इस कमी को इतिहास के प्रसिद्ध व्यक्तियों को कटघरे में लाकर दूर किया गया है। अगर उपन्यास का सार निकालने की कोशिश की जाए तो यही आयेगा कि विभाजन अब बंद होने चाहिये।
1

भाग 1

21 जुलाई 2022
5
0
1

एक भूली हुई दास्तान उसे याद आती है  ।   वह तो एक बंजर जमीन से आया था ।  खामोश  आकर्षणों की दुनिया से जहां कहां कुछ भी नहीं जाता । मन ही मन में कुछ अरमान करवटें लेते हैं । अनबूझी इच्छाएं आती और चली जा

2

भाग 2

21 जुलाई 2022
2
0
0

- हुआ या था नहीं स !  पहले या सुनिए कि हुआ क्या है...... उसने चौक कर आवाज की तरफ देखा था उसका एक में 3 सहायक स्टोनो और अर्दली महमूद उसके सामने खड़ा था।  उसके हाथ में टेलीप्रिंटर से आई खबरों के कुछ कु

3

भाग 3

21 जुलाई 2022
1
0
0

खत भेजने के बाद अभी बहुत परेशान था । वह सोच रहा था कि उसके उद्गार और विचार कहीं देश की रक्षा सुरक्षा के नाम पर दूसरों के लिए मौत तो पैदा नहीं करते क्या एक के जीवित रहने के लिए दूसरे की मौत जरूरी है?

4

भाग 4

21 जुलाई 2022
0
0
0

और तभी यूरोप के सम्राट गिल गमेंश की गूंजती आवाज आई -  - मैं पीड़ा से लड़ लूंगा यातना सहूँगा  कुछ भी हो मैं मृत्यु को पराजित कर लूंगा मैं मृत्यु से मुक्त की औषधि खोज कर लाऊंगा !  सम्राट गिल गणेशा की

5

भाग 5

21 जुलाई 2022
0
0
0

वहां मौजूद तमाम देवताओं की चिंता का एक स्वर में अनुमोदन किया और देवी तान्या ने तब उन्हें आगाह करने वाला भाषण दिया दजला फरात और डेन्यूब की परा धरती के समस्त देवताओं तुम सब आज चिंतित हो क्योंकि मनुष्य म

6

भाग 6

29 जुलाई 2022
0
0
0

उसी कहानी में शामिल है बूटा सिंह और रेतपरी किया की  यह कहानी राजस्थान का तपता रेगिस्तान कोई चीखा बन गया साला पाकिस्तान आसमान की आंख सूखी हुई थी उनमें एक बूंद भी पानी नहीं था मौसम विभाग के वैज्ञानिक

7

भाग 7

29 जुलाई 2022
0
0
0

बूटा सिंह जब जीने के लिए कपड़े लेने निकला था पाकिस्तान नाम की लकीर तो फिर चुकी थी मौसम विशेषज्ञों की भविष्यवाणी सही साबित हुई रक्त की वर्षा हो रही थी रेत परिचय नहीं अभी भी गर्दन तक रेत में दबी हुई है

8

भाग 8

29 जुलाई 2022
0
0
0

आतंकी देवताओं ने धरती की ओर देखा वह सकते में आ गए जो लोग के समस्त सफेद पंखों वाले पंछी देवदासी रोना को लेकर मित्रों पर उतर रहे थे "के समय उसके साथ अभी सभी तरह के पंछी पखेरू शामिल होते गए थे उनमें अंजन

9

भाग 9

29 जुलाई 2022
0
0
0

बूटा सिंह ने कपड़ों की जोड़ी लाकर जीने के पास रख दिया और पूछा निकालूं तुम बाहर जाओ मैं निकाल आऊंगी धीरे-धीरे जैनेब रेट टिकट दे से निकल आई उसने तार-तार हुई कुर्ती को उतारा और वही संभाल कर रख दिया ना जा

10

भाग 10

29 जुलाई 2022
0
0
0

बूटा सिंह ने कपड़ों की जोड़ी लाकर जीने के पास रख दिया और पूछा निकालूं तुम बाहर जाओ मैं निकाल आऊंगी धीरे-धीरे जैनेब रेट टिकट दे से निकल आई उसने तार-तार हुई कुर्ती को उतारा और वही संभाल कर रख दिया ना जा

11

भाग 11

6 अगस्त 2022
0
0
0

उसके  अदालत के दरवाज़े पर रक्त  दस्तके  पड़ने लगी । वह दस्तक  से परेशान था। परेशान नही  पागल। और फिर दस्तक  पर दस्तक  ।पश्मी सीमांत से एके-47 चीनी राइफल ने दस्तक दी । हथियार बनेंगे तो चलेंगेभी ।  उत्तर

12

भाग 12

6 अगस्त 2022
0
0
0

वह कौन सी तारीख थी।  इब्राहिम लोदी से मैंने पार्क पानीपत की लड़ाई 20 अप्रैल 1526 को जीती थी और रजत 15 जुम्मे के दिन यानी 27 अप्रैल 1526 को मारे मेरे नाम का खुतबा पढ़ा गया था या खुद बा मौलाना महमूद और

13

भाग 13

6 अगस्त 2022
0
0
0

अजीम फैजाबाद स्टेशन पर उतरा ही था कि वह धमाकेदार झापड़ उसके पड उसके पड़ा स्टेशन की दीवार पर लिखा हुआ नारा सामने खड़ा था बोला फैजाबाद आए हो तो पहले इसे पढ़ पढ़ो इसमें लिखा था कि अपने धर्म स्थानों का अप

14

भाग 14

6 अगस्त 2022
0
0
0

बस आग लगाते घूम रहे हैं सब ही ना ही चाह सोजत की भारत का क्या होगा पहले ही या हिंदू मुसलमान को लगवाना चाह ना ही लड़ बाय पाए तो अब शिया सुन्नी को डलवाना चाहते हैं अब पानी शरबत बिस्कुट और मूंग के दाल मोड

15

भाग 15

6 अगस्त 2022
0
0
0

हुजूर इन कानूनी बारीकियों में मत जाइए अन्याय अन्याय है अन्याय ग्रस्त औरत की जिंदगी तो मौत से बदतर होती है तुम ठीक कह रहे हो महमूद अली अदालत सीखी तो पूरी श्रेष्ठ कांप उठी नहीं मैं मुद्दों के अलावा जिद्

16

भाग 16

6 अगस्त 2022
0
0
0

नक्सलवाद का समर्थन कर रहे थे एक के बाद एक ताने कसे तो इमाम नाजिश बौखला गए और और बोले तब तुम भी हमसे कहां लगते अधीन तुम अमृता प्रीतम करतार सिंह दुग्गल मोहन राकेश भीष्म साहनी देवेंद्र सत्यार्थी और यहां

17

भाग 17

6 अगस्त 2022
0
0
0

और मार दो अपने ही सब सृष्टि की रचना की थी उसने अपने दादा अनु को आकाश का सम्राट बनाया था अपने पिता ऐसा को धरती का और तब माधुरी ने एक महा मंदिर बनाया था कि आकाश के देवता और ईश्वर जो उसकी प्रजाति धरती पर

18

भाग 18

6 अगस्त 2022
0
0
0

जी शायद आप मुझे ठीक ही पहचान रहे हैं सलमा की जान में जान आई मैं सीएसपी के जनाब आफताब अहमद की हूं  और हिंदुस्तान में रहती हूं वह मेरे नाना है सलमान ने कहा तब पुलिसवाला कुछ नाराज सा होकर काउंटर वाले से

19

भाग 19

6 अगस्त 2022
0
0
0

अदालत में क्या कह रहे हो तुम मैं तो कराची के होलीडे इन होटल के रेस्टोरेंट में बैठा हुआ था और सलमा से बातें कर रहा था हुजूर आपकी यादों की परछाई का नाम क्या है या तो मुझे नहीं मालूम पर आपके होंठ मिलता ल

20

भाग 20

6 अगस्त 2022
0
0
0

तब अजीब चीन से लौट आया था सलमा भी अपने नाना से मिलकर कोटा से लौट आई थी उसे उम्मीद नहीं थी कि इतने महीनों बाद भी सलमा उस पेपर नैपकिन पर लिखे पते पर फोन का नंबर को संभाल कर रखे गी पर उसने रखा था ना रखा

21

भाग 21

6 अगस्त 2022
0
0
0

नहीं नहीं तो या नीम की पत्तियां झड़ रही है ना हां पतझड़ का मौसम है ना नहीं या अंधेरे का मौसम है लगता है मेरा पति पति झड़ रहा है तो एक बात क्यों ना करें क्या हम न कुछ पूछे न जाने अपने रवा अति जिंदगी के

22

भाग 22

13 अगस्त 2022
0
0
0

बिस्तर उनका इंतजार कर रहा था वह भी  वह भी त्रियोबिश की  रेती की तरह साफ़ था। मेरे संपर्क से छूने से कुछ ऐसा तो नहीं जो तुमने जीवित होता हो और मेरा प्रतिकार करता हूं नहीं ऐसा भी कुछ नहीं सलमा ने बहुत गह

23

भाग 23

13 अगस्त 2022
0
0
0

जब अजीब और शर्मा कॉटेज से निकले तब भी नीले फूल खिले हुए थे। सलमा ने साड़ी पहनी थी बदन में बाकी फूल तो साड़ी और ब्लाउज के अंदर उन देशों की तरह समा गए थे । प्रभावों पर उन नीले फूलों की जो लेटर उतर आई थी

24

भाग 24

13 अगस्त 2022
0
0
0

वह मेरा बेटा ही सही पर मर्द हो जीने के लिए कहीं मुश्किल नहीं होता मैं एक रिश्तेदार की तरह आपको राय देता हूं कि बेहतर होगा कि आप अपने बेटे के साथ अपने नाना के पास पाकिस्तान लौट आए नईम ने कहा आप तो बिल्

25

भाग 25

13 अगस्त 2022
0
0
0

कुछ नहीं ऐसे लोग आकर यहां क्यों नहीं समझते कि मुसलमानों के नाम पर पाकिस्तानियों को बोलने का कोई हक नहीं है आज है हिंदुस्तान में पाकिस्तान से ज्यादा मुसलमानों पाकिस्तान से ज्यादा इस्लाम की समझने वाले ल

26

भाग 26

13 अगस्त 2022
0
0
0

सलमा और अधीन ने मजहब तो नहीं बदले पर उन्हें इस बात में मजा जरूर आने लगा या उनके लिए जैसे खेल की बात बन गई सबसे पहले तो उन्होंने जगह बदली वह पूरब की ओर भागे भागते भागते ब्लैक रिवर के घने जंगलों को पार

27

भाग 27

13 अगस्त 2022
0
0
0

वह आवाज बिजली की तरह तड़प और कड़क रही थी और अब वह कौन सी भी कमरे में खड़ी हो गई थी अजीब या कौन है डर से असहमति सलमानी उसके कंधे के पीछे छुपे हुए पूछा मैं चला दो आलमगीर औरंगजेब का जल्लाद मैं कोतवाल भी

28

भाग 28

13 अगस्त 2022
0
0
0

इस्लाम में हर कुदरती जरूरत के लिए जगह है लेकिन जब मजहब और सियासी फायदे के लिए नफरत में बदला जाता है तो एक नहीं तमाम पाकिस्तान पैदा होते हैं मेरी बच्ची तुम्हारी जिंदगी को इस गलत विभाजन ने तोड़ दिया है

29

भाग 29

13 अगस्त 2022
0
0
0

गहरी नहीं जरूरी अंग्रेजों और जिन्ना साहब ने सोचा ही नहीं था कि जब हिंदुस्तान नाम का मूल नसीब होगा तब मेरी जैसी एक सलमा कैसे तक्सीम होगी और वह अपनी इज्जत कहां  कहां तलाशग अदीब ने उसे बहुत प्यार से पुका

30

भाग 30

13 अगस्त 2022
0
0
0

तभी नूरजहाँ  उसका ध्यान नीचे मौजूद रियाया की तरफ दिलाया उधर देखिए हुजूर इतने दिनों बाद आप बाहर निकले आपकी रे आया आपके दीदार के लिए उम्र पड़ी है तभी भीड़ ने पुरजोर आवाजें का आने लगी बादशाह सलामत जिंदाब

31

भाग 31

13 अगस्त 2022
0
0
0

मुझे जाना चाहिए वक्त आप को माफ नहीं करेगा और फिर आपको भी वक्त की बरात बर्बादी का मलाल कठोरता रहेगा सारा शगुफ्ता देखिए आपके अर्दली साहब बेसब्री से आपका इंतजार कर रहे हैं चलने से पहले एक यशपाल दरख्वास्त

32

भाग 32

13 अगस्त 2022
0
0
0

मैंने कोई निमंत्रण बाबर को नहीं भेजा था राणा सांगा नितेश में कहा तुम्हारा वह दावत नामा मेरी तिवारी बाबरनामा में दर्ज है और वह दस्तावेज आज का नहीं सोलवीं सदी का है अगर या गलत है तो तुमने तब क्यों नहीं

33

भाग 33

15 अगस्त 2022
0
0
0

 या गलत है हमारी गलती से विभाजन तो एक सच्ची घटना में तब्दील हो गया था पर विभाजन के भयानक दौर में भी सिंध में मारकाट नहीं हुई हमने मन ही मन अपनी ऐतिहासिक गलती मंजूर करते हुए बहुत भरे दिल से अपने हिंदू

34

भाग 34

15 अगस्त 2022
0
0
0

मुसलमान का था मीरा का था कबीर का था नाना कोटा कोलकाता सुब्रमण्यम भारती और नज़रुल इस्लाम कथा संत रैदास के और ज्ञानेश्वर का था किसका खुदा नहीं था लेकिन इंक इकबाल ने खुदा के मस्जिदों में कैद कर देने का प

35

भाग 35

15 अगस्त 2022
0
0
0

और आपकी सलमा जो खुदा हाफिज कह कर चली गई है इस अहम अदालत का कारोबार रोक कर आपको फिर अपने लिए हासिल करने की कोशिश में लगी है और उधर आपके दोस्त भवानी सिंह उप ईरान की राजधानी तेहरान से लौटकर कुछ जरूरी बात

36

भाग 36

20 अगस्त 2022
0
0
0

हुजूर हमसूफी है इस पागल शहंशाह ने हुजूर पैगंबर के जन्मदिन पर गाए जाने वाले हम हमारे भजनों पर भी पाबंदी लगा दी तब हम सूफी संतों को उसके गुर्गे और दरोगा मिल जावा वाकर के खिलाफ गोलबंद होकर निकलना पड़ा इस

37

भाग 37

20 अगस्त 2022
0
0
0

मौका पाते ही सल्तनत के वजीरे खारी खारी जा राजा रघुनाथ को हटाकर या वादा किसी से मुसलमान को दिया जाए किसी हिंदू अफसर के नीचे मुसलमान को तैनात किया जाए और अब खुलकर इन काफिरों हिंदुओं को बता दिया जाए कि व

38

भाग 38

20 अगस्त 2022
0
0
0

यही कि जो मैंने किया वह गलत भी था वह सही भी था सर जमीन ए हिंद की नजर में मैंने बहुत कुछ गलत किया जो मुझे शायद नहीं करना चाहिए था लेकिन इस्लामी मिल्लत की नजर में जो कुछ मैंने किया वह शायद सही था ऑरेंज

39

भाग 39

20 अगस्त 2022
0
0
0

तभी इतिहास के करोड़ों पन्नों से चीखती हुई आवाज आने लगी औरंगजेब तुम जालिम हो तुमने पोस्ते का पानी पिला पिला कर मुराद को मारना चाहा जब वह तंदुरुस्त शहजादा अफीम के पानी से नहीं मारा तो तुमने उसे चला दो उ

40

भाग 40

20 अगस्त 2022
0
0
0

शिब्ली नोमानी बड़े जोश खरोश से बता रहे थे मजहब की शक्ति का अगर किसी ने पहली बार इस्तेमाल किया तो बस सिर्फ यही दिलेर आलमगीर था कहीं ऐसा तो नहीं कि औरंगजेब ने इस्लाम का सहारा अपनी कमजोरियों और जातियों क

41

भाग 41

20 अगस्त 2022
0
0
0

तुम लोग कहर की बात करते हो हम कयामत बरपा करेंगे और मिस्र में बाप कुछ भी नहीं जिंदा छोड़ेंगे जो इस्लाम से पहले का है हम उसे बराबर करके रहेंगे दूरदराज अमेरिका से आई वहां मिस्र का मूल्य से कुमार अब्दुल र

42

भाग 42

20 अगस्त 2022
0
0
0

या तेज भाई जारी थी कि लश्कर मंदिर के उत्तर पूर्वी तरफ अबू हज आज मंदिर से इमाम वाहिद मोहम्मद अपनी ने भय ग्रस्त आंखों से जाकर देखा यहीं इसी मस्जिद में अपने समय के सबसे बड़े विद्वान अबू हज्जाज दफन हैं जि

43

भाग 43

20 अगस्त 2022
0
0
0

इसीलिए पश्चिम वाले ईरान की इस्लामी क्रांति की को आत्मसात नहीं कर पाए अयातुल्लाह खोमेनी और इस्लामी क्रांति में ईरान जैसे सभ्यता संपन्न देश को फिर एक बार उसकी दूरी दे दी आज अपनी धुरी पर लौटकर ईरान अपने

---

किताब पढ़िए