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भाग 29

13 अगस्त 2022

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गहरी नहीं जरूरी अंग्रेजों और जिन्ना साहब ने सोचा ही नहीं था कि जब हिंदुस्तान नाम का मूल नसीब होगा तब मेरी जैसी एक सलमा कैसे तक्सीम होगी और वह अपनी इज्जत कहां  कहां तलाशग अदीब ने उसे बहुत प्यार से पुकारा था मैं तुम्हारे साथ सलमा और सोहराब के साथ मम्मा बनकर जी सकूंगी तुम्हारे पास से लोड कर जब मैं अपने घर की सीढ़ियों पर खड़ी होंगी तो ताला खोलकर तीर की तरह भीतर जाऊंगी अपने कपड़े बदलूंगी ताकि वह उनसे तुम्हारे महकना ना रहे कपड़े बदल कर शराब की मम्मी बन जाऊंगी अपने को समझ आऊंगी कि यही यही सच है लेकिन मेरी सचिन दुस्तान और पाकिस्तान की तरह विभाजित ही रहेगा शायद यही हिंदुस्तान मुसलमान औरत का नसीब बन गया औरत यहां की हो या वहां कि वह पहले भी आधी ही कम थी इस तक्सीम ने तो उसे आधे से भी आधा बनने पर मजबूर कर दिया शर्मा बड़ी तकलीफ से बोल रही थी और गुलदान से गिरी फूलों की पत्तियों की विनती जा रही थी बीच-बीच में खामोशी आकर खड़ी हो जाती थी अभी अपने साइड कैबिनेट में रखी किताब उठा ली थी उसके सफेद कौन सी किताब है सलमान ने पूछा किताब देकर अभी बोला बाइबल है खुद के लिए इन किताबों को बंद कर दीजिए। 

वही तो नहीं पता हर पल हर कदम हर करवट हर सांस का पीछा वही समझी करती है तो सिर्फ इन लाइनों का सहारा लीजिए कौन सी लाइन में धूप में निकलो घटाओं में नहा कर देखो जिंदगी क्या है किताबों को हटाकर देखो और वेल्लायनी गूंजती रहीं सलमा उठी और जाकर खुले समंदर की तरफ वाली कांच की दीवार के परदे हटा कर हिंद महासागर को देखती रही अजीब भी उनके पास जाकर खड़ा हो गया वे दोनों समुंदर को देखते रहे तभी सागर की लहरों डराते वृक्ष पर एक समुद्री बेड़ा धीरे धीरे बढ़ता दिखाई दिया फिर एक और बढ़ाओ प्राकृतिक और व्याख्या अजीत शर्मा ने पूछा या शायद समुद्री डाकुओं के बड़े हैं या कहां जा रहे हैं पूरब की तरफ हिंद महासागर को चीरते हुए धीरे लगातार पूरब की ओर बढ़ रहे थे। 

मारीशस तब तक एक कुंवारा टापू था वहां लंगर डालने की सुविधा नहीं थी पुर्तगाली बड़े-बड़े उत्तर पूर्व की ओर निकलना चाहते थे दक्षिण अफ़्रीका में वास्कोडिगामा को एक हिंदुस्तानी मछुआरा मिला दिल मिल गया था वह उसकी रहनुमाई में हिंदुस्तान की ओर बढ़ा चला था दक्षिण में पहली बार मारीशस के तट पर लंगर डाले थे फ्रांसीसी और इंग्लिश तानी बीड़ी मारीशस के नीचे से होते हुए हिंदुस्तान के तटों पर पहुंचने की जल्दी में थे यह सभी बड़े धन दौलत की तलाश में निकले थे या नई दुनिया की तलाश करने वाले खगोल शास्त्रियों के बड़े नहीं थे याद धर्म व्यापारी और निवेशकों और अर्जुन लुटेरों के बेटे थे जो एक दूसरों के हितों से टकराते अपने अपने भविष्य को और धन संपदा की तलाश में थे । 

कोलंबस भी भारत की तलाश में निकला था पर वह आप अमेरिका के तट पर जा लगा था अगर या खगोल शास्त्रियों के होते तो दुनिया की तलाश में एक दूसरे के सहयोगी होते लेकिन ऐसा नहीं यह सब एक दूसरे के विरोधी थे और इनमें आपस में समुद्री और जमीनी भी लगातार होते रहते थे इतिहास बता रहा था या आंख खोलती 17 वी सदी का वह दौर था जब भारत और चीन के क्षेत्र में कुल पृथ्वी का तीन चौथाई औद्योगिक उत्पादन होता था भारत केवल कृषि प्रधान देश नहीं था उसके मसाले वस्त्र कास्ट शर्मा जी उत्पादन  की विशेषता और गुणवत्ता विश्वविख्यात थी तब यूरोप के देश विकासशील थे उनके सौदागर भारत और चीन तक पहुंचने में स्थल और जलमार्ग तलाश रहे थे ऐसे ही दौर में अंग्रेज व्यापारी थॉमस हीरो शहंशाह जहांगीर के दरबार में हाजिर हुआ वक्त सुबह का था जहांगीर नूरजहां और महल सैनिक आवास मौजूद थे । 

जिले में कुछ ही दूरी पर कुरान की खलीफा वह साथ नुमाइंदे भी मौजूद थे जो कई दिनों से शहंशाह के हुजूर में हाजिरी किए जाने की परीक्षा में थे दूसरी तरफ चुनिंदा व्यापारियों का एक दल दूसरे मुल्कों से हुई तिजारत का हिस्सा किस हिसाब किताब देने के लिए हाजिर था दूसरी तरफ सल्तनत के आला अफसर मौजूद थे जो विद्यार्थी रास्तों की देखभाल किया करते थे सड़कों को साफ चौकस रखना चरणों की मरम्मत करवाना और नई बना गांव को बनवाना भी इन्हीं अक्षरों की जिम्मेदारी थी क्योंकि एक जमात के साथ रहती थी जो आप आने वाले कार्य हवाओं की गिनती रखी थी और मालूम मामूली सा मशहूर वसूली करती थी या मशहूर कारवां में मौजूद ऊंट ऊंट गाड़ियों और खतरों की तादाद मुताबिक तय होता था दूरदराज के देशों से आए व्यापारियों के सुस्ताने के लिए छायादार खेलो जगह जगह मौजूद थे पानी के जोड़ों की कमी नहीं साथ में एक खास फौजी दस्ता विदेशियों व्यापारियों के रेशम सड़क की सरहद तक हिफाजत के लिए पहुंचता तैनात रहता था । 

इसीलिए विदेशी उसे आए व्यापारी खुद को अपने माल तुम्हें भुज महफूज पाते थे अपनी सुरक्षा दस्ते के होते जिन्हें शरद पर रुकना पड़ता था हिंदुस्तानी सुरक्षा दस्ते व्यापारियों को शरद के ठिकानों तक पहुंचा कर उसके दोस्तों को सपोर्ट कर देते व्यापार के चौतरफा व्यवस्था के सुचारु संचालन की पूरी जानकारी संस्था के सामने पेश की जाती थी रेशम सड़क का दरोगा और भी बादशाह सलामत के सामने पेश होने के इंतजार में था इतिहास पुरुष ने बताया शहजादी की बीमारी के कारण शहंशाह है आलम मिलने वालों को वक्त नहीं दे पा रहे थे लेकिन आजम उम्मीद बंधी थी शहजादी से आप हुई थी । 

तभी किले में बुर्ज पर से जो जहांगीर ने उगले उगले सूरज को देखकर इबादत में सिर झुकाया जिसे खरीदी आया भी भीड़ शाहजहां सलामत जिंदाबाद के नारे लगाने लगी पीछे कहीं किसी मंदिर से सूर्य स्त्रोत की धूनी भूखी तब जहांगीर ने मुझसे कहा कितनी खूबसूरत मंजर है हमारे वालिद शहंशाह अकबर इस झरोखे में खड़े होकर उदित होते सूर्य को हमेशा स्वागत किया करते थे उन्होंने यह रस्म हमारी वाल्दा जोधाबाई से पाई थी उसे सूरज को सलाम करना और डूबते सूरज के साथ विदा करना या तो हमारी हिंदुस्तानी परंपरागत ऊर्जा ने कहा इन बातों की भनक से नूरानी खलीफा के नुमाइंदों के पीछे और पड़ गई एक आस्था से कहा सुनी या बातें इस्लाम होते हुए भी इन हिंदुस्तानी भाषाओं के नक्शा बदल रहा है हां बेगम या यही बनते हुए हिंदुस्तान की नई तहजीब का नक्शा है जहां कुदरत की तरफ कदम रीति रिवाज और महेश मौजूद है यहां के मजहब कुदरत की उस कोख से निकलते हैं जो हमें मौसम देती हैं मौसम के साथ-साथ अन्य देती हैं यहां के मजहब हमें कुदरत के साथ साथ रखते हैं । 

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रचनाएँ
कितने पाकिस्तान
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कितने पाकिस्तान हिन्दी के विख्यात साहित्यकार कमलेश्वर द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 2003 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। यह उपन्यास भारत-पाकिस्तान के बँटवारे और हिंदू-मुस्लिम संबंधों पर आधारित है। यह उनके मन के भीतर चलने वाले अंतर्द्वंद्व का परिणाम माना जाता है।'कितने पाकिस्तान' कमलेश्वर का लिखा हुआ एक प्रयोगवादी उपन्यास है। इस उपन्यास को 2003 के साहित्य अकादमी पुरस्कार से नवाज़ा गया था। यह उपन्यास बाकी उपन्यासों से कई मामलों में अलग है। पहला, इसमें सामान्य घटनायें, जैसे उपन्यासों में होती हैं, नहीं हैं, बल्कि ऐतिहासिक घटनाओं का लेखक के नज़रिये से वर्णन है। क्योंकि सारा कथानक उसी के इर्दगिर्द घूमता है। उपन्यास में सदियों से चले आ रही हिंसा और मारकाट के प्रति गहरा क्षोभ है। पात्रों की इस कमी को इतिहास के प्रसिद्ध व्यक्तियों को कटघरे में लाकर दूर किया गया है। अगर उपन्यास का सार निकालने की कोशिश की जाए तो यही आयेगा कि विभाजन अब बंद होने चाहिये।
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भाग 1

21 जुलाई 2022
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एक भूली हुई दास्तान उसे याद आती है  ।   वह तो एक बंजर जमीन से आया था ।  खामोश  आकर्षणों की दुनिया से जहां कहां कुछ भी नहीं जाता । मन ही मन में कुछ अरमान करवटें लेते हैं । अनबूझी इच्छाएं आती और चली जा

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भाग 2

21 जुलाई 2022
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- हुआ या था नहीं स !  पहले या सुनिए कि हुआ क्या है...... उसने चौक कर आवाज की तरफ देखा था उसका एक में 3 सहायक स्टोनो और अर्दली महमूद उसके सामने खड़ा था।  उसके हाथ में टेलीप्रिंटर से आई खबरों के कुछ कु

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भाग 3

21 जुलाई 2022
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खत भेजने के बाद अभी बहुत परेशान था । वह सोच रहा था कि उसके उद्गार और विचार कहीं देश की रक्षा सुरक्षा के नाम पर दूसरों के लिए मौत तो पैदा नहीं करते क्या एक के जीवित रहने के लिए दूसरे की मौत जरूरी है?

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भाग 4

21 जुलाई 2022
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और तभी यूरोप के सम्राट गिल गमेंश की गूंजती आवाज आई -  - मैं पीड़ा से लड़ लूंगा यातना सहूँगा  कुछ भी हो मैं मृत्यु को पराजित कर लूंगा मैं मृत्यु से मुक्त की औषधि खोज कर लाऊंगा !  सम्राट गिल गणेशा की

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भाग 5

21 जुलाई 2022
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वहां मौजूद तमाम देवताओं की चिंता का एक स्वर में अनुमोदन किया और देवी तान्या ने तब उन्हें आगाह करने वाला भाषण दिया दजला फरात और डेन्यूब की परा धरती के समस्त देवताओं तुम सब आज चिंतित हो क्योंकि मनुष्य म

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भाग 6

29 जुलाई 2022
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उसी कहानी में शामिल है बूटा सिंह और रेतपरी किया की  यह कहानी राजस्थान का तपता रेगिस्तान कोई चीखा बन गया साला पाकिस्तान आसमान की आंख सूखी हुई थी उनमें एक बूंद भी पानी नहीं था मौसम विभाग के वैज्ञानिक

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भाग 7

29 जुलाई 2022
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बूटा सिंह जब जीने के लिए कपड़े लेने निकला था पाकिस्तान नाम की लकीर तो फिर चुकी थी मौसम विशेषज्ञों की भविष्यवाणी सही साबित हुई रक्त की वर्षा हो रही थी रेत परिचय नहीं अभी भी गर्दन तक रेत में दबी हुई है

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भाग 8

29 जुलाई 2022
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आतंकी देवताओं ने धरती की ओर देखा वह सकते में आ गए जो लोग के समस्त सफेद पंखों वाले पंछी देवदासी रोना को लेकर मित्रों पर उतर रहे थे "के समय उसके साथ अभी सभी तरह के पंछी पखेरू शामिल होते गए थे उनमें अंजन

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भाग 9

29 जुलाई 2022
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बूटा सिंह ने कपड़ों की जोड़ी लाकर जीने के पास रख दिया और पूछा निकालूं तुम बाहर जाओ मैं निकाल आऊंगी धीरे-धीरे जैनेब रेट टिकट दे से निकल आई उसने तार-तार हुई कुर्ती को उतारा और वही संभाल कर रख दिया ना जा

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भाग 10

29 जुलाई 2022
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बूटा सिंह ने कपड़ों की जोड़ी लाकर जीने के पास रख दिया और पूछा निकालूं तुम बाहर जाओ मैं निकाल आऊंगी धीरे-धीरे जैनेब रेट टिकट दे से निकल आई उसने तार-तार हुई कुर्ती को उतारा और वही संभाल कर रख दिया ना जा

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भाग 11

6 अगस्त 2022
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उसके  अदालत के दरवाज़े पर रक्त  दस्तके  पड़ने लगी । वह दस्तक  से परेशान था। परेशान नही  पागल। और फिर दस्तक  पर दस्तक  ।पश्मी सीमांत से एके-47 चीनी राइफल ने दस्तक दी । हथियार बनेंगे तो चलेंगेभी ।  उत्तर

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भाग 12

6 अगस्त 2022
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वह कौन सी तारीख थी।  इब्राहिम लोदी से मैंने पार्क पानीपत की लड़ाई 20 अप्रैल 1526 को जीती थी और रजत 15 जुम्मे के दिन यानी 27 अप्रैल 1526 को मारे मेरे नाम का खुतबा पढ़ा गया था या खुद बा मौलाना महमूद और

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भाग 13

6 अगस्त 2022
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अजीम फैजाबाद स्टेशन पर उतरा ही था कि वह धमाकेदार झापड़ उसके पड उसके पड़ा स्टेशन की दीवार पर लिखा हुआ नारा सामने खड़ा था बोला फैजाबाद आए हो तो पहले इसे पढ़ पढ़ो इसमें लिखा था कि अपने धर्म स्थानों का अप

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भाग 14

6 अगस्त 2022
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बस आग लगाते घूम रहे हैं सब ही ना ही चाह सोजत की भारत का क्या होगा पहले ही या हिंदू मुसलमान को लगवाना चाह ना ही लड़ बाय पाए तो अब शिया सुन्नी को डलवाना चाहते हैं अब पानी शरबत बिस्कुट और मूंग के दाल मोड

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भाग 15

6 अगस्त 2022
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हुजूर इन कानूनी बारीकियों में मत जाइए अन्याय अन्याय है अन्याय ग्रस्त औरत की जिंदगी तो मौत से बदतर होती है तुम ठीक कह रहे हो महमूद अली अदालत सीखी तो पूरी श्रेष्ठ कांप उठी नहीं मैं मुद्दों के अलावा जिद्

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भाग 16

6 अगस्त 2022
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नक्सलवाद का समर्थन कर रहे थे एक के बाद एक ताने कसे तो इमाम नाजिश बौखला गए और और बोले तब तुम भी हमसे कहां लगते अधीन तुम अमृता प्रीतम करतार सिंह दुग्गल मोहन राकेश भीष्म साहनी देवेंद्र सत्यार्थी और यहां

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भाग 17

6 अगस्त 2022
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और मार दो अपने ही सब सृष्टि की रचना की थी उसने अपने दादा अनु को आकाश का सम्राट बनाया था अपने पिता ऐसा को धरती का और तब माधुरी ने एक महा मंदिर बनाया था कि आकाश के देवता और ईश्वर जो उसकी प्रजाति धरती पर

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भाग 18

6 अगस्त 2022
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जी शायद आप मुझे ठीक ही पहचान रहे हैं सलमा की जान में जान आई मैं सीएसपी के जनाब आफताब अहमद की हूं  और हिंदुस्तान में रहती हूं वह मेरे नाना है सलमान ने कहा तब पुलिसवाला कुछ नाराज सा होकर काउंटर वाले से

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भाग 19

6 अगस्त 2022
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अदालत में क्या कह रहे हो तुम मैं तो कराची के होलीडे इन होटल के रेस्टोरेंट में बैठा हुआ था और सलमा से बातें कर रहा था हुजूर आपकी यादों की परछाई का नाम क्या है या तो मुझे नहीं मालूम पर आपके होंठ मिलता ल

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भाग 20

6 अगस्त 2022
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तब अजीब चीन से लौट आया था सलमा भी अपने नाना से मिलकर कोटा से लौट आई थी उसे उम्मीद नहीं थी कि इतने महीनों बाद भी सलमा उस पेपर नैपकिन पर लिखे पते पर फोन का नंबर को संभाल कर रखे गी पर उसने रखा था ना रखा

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भाग 21

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नहीं नहीं तो या नीम की पत्तियां झड़ रही है ना हां पतझड़ का मौसम है ना नहीं या अंधेरे का मौसम है लगता है मेरा पति पति झड़ रहा है तो एक बात क्यों ना करें क्या हम न कुछ पूछे न जाने अपने रवा अति जिंदगी के

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भाग 22

13 अगस्त 2022
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बिस्तर उनका इंतजार कर रहा था वह भी  वह भी त्रियोबिश की  रेती की तरह साफ़ था। मेरे संपर्क से छूने से कुछ ऐसा तो नहीं जो तुमने जीवित होता हो और मेरा प्रतिकार करता हूं नहीं ऐसा भी कुछ नहीं सलमा ने बहुत गह

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भाग 23

13 अगस्त 2022
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जब अजीब और शर्मा कॉटेज से निकले तब भी नीले फूल खिले हुए थे। सलमा ने साड़ी पहनी थी बदन में बाकी फूल तो साड़ी और ब्लाउज के अंदर उन देशों की तरह समा गए थे । प्रभावों पर उन नीले फूलों की जो लेटर उतर आई थी

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भाग 24

13 अगस्त 2022
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वह मेरा बेटा ही सही पर मर्द हो जीने के लिए कहीं मुश्किल नहीं होता मैं एक रिश्तेदार की तरह आपको राय देता हूं कि बेहतर होगा कि आप अपने बेटे के साथ अपने नाना के पास पाकिस्तान लौट आए नईम ने कहा आप तो बिल्

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भाग 25

13 अगस्त 2022
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कुछ नहीं ऐसे लोग आकर यहां क्यों नहीं समझते कि मुसलमानों के नाम पर पाकिस्तानियों को बोलने का कोई हक नहीं है आज है हिंदुस्तान में पाकिस्तान से ज्यादा मुसलमानों पाकिस्तान से ज्यादा इस्लाम की समझने वाले ल

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भाग 26

13 अगस्त 2022
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सलमा और अधीन ने मजहब तो नहीं बदले पर उन्हें इस बात में मजा जरूर आने लगा या उनके लिए जैसे खेल की बात बन गई सबसे पहले तो उन्होंने जगह बदली वह पूरब की ओर भागे भागते भागते ब्लैक रिवर के घने जंगलों को पार

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भाग 27

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वह आवाज बिजली की तरह तड़प और कड़क रही थी और अब वह कौन सी भी कमरे में खड़ी हो गई थी अजीब या कौन है डर से असहमति सलमानी उसके कंधे के पीछे छुपे हुए पूछा मैं चला दो आलमगीर औरंगजेब का जल्लाद मैं कोतवाल भी

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भाग 28

13 अगस्त 2022
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इस्लाम में हर कुदरती जरूरत के लिए जगह है लेकिन जब मजहब और सियासी फायदे के लिए नफरत में बदला जाता है तो एक नहीं तमाम पाकिस्तान पैदा होते हैं मेरी बच्ची तुम्हारी जिंदगी को इस गलत विभाजन ने तोड़ दिया है

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भाग 29

13 अगस्त 2022
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गहरी नहीं जरूरी अंग्रेजों और जिन्ना साहब ने सोचा ही नहीं था कि जब हिंदुस्तान नाम का मूल नसीब होगा तब मेरी जैसी एक सलमा कैसे तक्सीम होगी और वह अपनी इज्जत कहां  कहां तलाशग अदीब ने उसे बहुत प्यार से पुका

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भाग 30

13 अगस्त 2022
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तभी नूरजहाँ  उसका ध्यान नीचे मौजूद रियाया की तरफ दिलाया उधर देखिए हुजूर इतने दिनों बाद आप बाहर निकले आपकी रे आया आपके दीदार के लिए उम्र पड़ी है तभी भीड़ ने पुरजोर आवाजें का आने लगी बादशाह सलामत जिंदाब

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भाग 31

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मुझे जाना चाहिए वक्त आप को माफ नहीं करेगा और फिर आपको भी वक्त की बरात बर्बादी का मलाल कठोरता रहेगा सारा शगुफ्ता देखिए आपके अर्दली साहब बेसब्री से आपका इंतजार कर रहे हैं चलने से पहले एक यशपाल दरख्वास्त

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भाग 32

13 अगस्त 2022
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मैंने कोई निमंत्रण बाबर को नहीं भेजा था राणा सांगा नितेश में कहा तुम्हारा वह दावत नामा मेरी तिवारी बाबरनामा में दर्ज है और वह दस्तावेज आज का नहीं सोलवीं सदी का है अगर या गलत है तो तुमने तब क्यों नहीं

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भाग 33

15 अगस्त 2022
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 या गलत है हमारी गलती से विभाजन तो एक सच्ची घटना में तब्दील हो गया था पर विभाजन के भयानक दौर में भी सिंध में मारकाट नहीं हुई हमने मन ही मन अपनी ऐतिहासिक गलती मंजूर करते हुए बहुत भरे दिल से अपने हिंदू

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भाग 34

15 अगस्त 2022
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मुसलमान का था मीरा का था कबीर का था नाना कोटा कोलकाता सुब्रमण्यम भारती और नज़रुल इस्लाम कथा संत रैदास के और ज्ञानेश्वर का था किसका खुदा नहीं था लेकिन इंक इकबाल ने खुदा के मस्जिदों में कैद कर देने का प

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भाग 35

15 अगस्त 2022
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और आपकी सलमा जो खुदा हाफिज कह कर चली गई है इस अहम अदालत का कारोबार रोक कर आपको फिर अपने लिए हासिल करने की कोशिश में लगी है और उधर आपके दोस्त भवानी सिंह उप ईरान की राजधानी तेहरान से लौटकर कुछ जरूरी बात

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भाग 36

20 अगस्त 2022
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हुजूर हमसूफी है इस पागल शहंशाह ने हुजूर पैगंबर के जन्मदिन पर गाए जाने वाले हम हमारे भजनों पर भी पाबंदी लगा दी तब हम सूफी संतों को उसके गुर्गे और दरोगा मिल जावा वाकर के खिलाफ गोलबंद होकर निकलना पड़ा इस

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भाग 37

20 अगस्त 2022
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मौका पाते ही सल्तनत के वजीरे खारी खारी जा राजा रघुनाथ को हटाकर या वादा किसी से मुसलमान को दिया जाए किसी हिंदू अफसर के नीचे मुसलमान को तैनात किया जाए और अब खुलकर इन काफिरों हिंदुओं को बता दिया जाए कि व

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भाग 38

20 अगस्त 2022
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यही कि जो मैंने किया वह गलत भी था वह सही भी था सर जमीन ए हिंद की नजर में मैंने बहुत कुछ गलत किया जो मुझे शायद नहीं करना चाहिए था लेकिन इस्लामी मिल्लत की नजर में जो कुछ मैंने किया वह शायद सही था ऑरेंज

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तभी इतिहास के करोड़ों पन्नों से चीखती हुई आवाज आने लगी औरंगजेब तुम जालिम हो तुमने पोस्ते का पानी पिला पिला कर मुराद को मारना चाहा जब वह तंदुरुस्त शहजादा अफीम के पानी से नहीं मारा तो तुमने उसे चला दो उ

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20 अगस्त 2022
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शिब्ली नोमानी बड़े जोश खरोश से बता रहे थे मजहब की शक्ति का अगर किसी ने पहली बार इस्तेमाल किया तो बस सिर्फ यही दिलेर आलमगीर था कहीं ऐसा तो नहीं कि औरंगजेब ने इस्लाम का सहारा अपनी कमजोरियों और जातियों क

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भाग 41

20 अगस्त 2022
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तुम लोग कहर की बात करते हो हम कयामत बरपा करेंगे और मिस्र में बाप कुछ भी नहीं जिंदा छोड़ेंगे जो इस्लाम से पहले का है हम उसे बराबर करके रहेंगे दूरदराज अमेरिका से आई वहां मिस्र का मूल्य से कुमार अब्दुल र

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भाग 42

20 अगस्त 2022
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या तेज भाई जारी थी कि लश्कर मंदिर के उत्तर पूर्वी तरफ अबू हज आज मंदिर से इमाम वाहिद मोहम्मद अपनी ने भय ग्रस्त आंखों से जाकर देखा यहीं इसी मस्जिद में अपने समय के सबसे बड़े विद्वान अबू हज्जाज दफन हैं जि

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भाग 43

20 अगस्त 2022
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इसीलिए पश्चिम वाले ईरान की इस्लामी क्रांति की को आत्मसात नहीं कर पाए अयातुल्लाह खोमेनी और इस्लामी क्रांति में ईरान जैसे सभ्यता संपन्न देश को फिर एक बार उसकी दूरी दे दी आज अपनी धुरी पर लौटकर ईरान अपने

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