वह कौन सी तारीख थी। इब्राहिम लोदी से मैंने पार्क पानीपत की लड़ाई 20 अप्रैल 1526 को जीती थी और रजत 15 जुम्मे के दिन यानी 27 अप्रैल 1526 को मारे मेरे नाम का खुतबा पढ़ा गया था या खुद बा मौलाना महमूद और से जैन ने पढ़ा था मैं और मेरा लश्कर उस वक्त जमुना के किनारे पड़ा हुआ था यदि वे अधिक मुझे हिंदुस्तान के पानी से बहुत प्यार था।
मैं उस वक्त वे वतन था और अपने लिए एक बसंत रास्ता हुआ आया था क्योंकि उन दिनों वतन की बिना तलवार के नहीं मिलता था तुम फिर वह एक रहे हो जी नहीं तो फिर सीधे सीधे अपनी बराबरी मस्जिद का किस्सा बताओ मैंने कहा आगरा मेरी राजधानी थी अब सोचिए उस वक्त हिंदुओं के कृष्ण को भगवान और अवतार मंजूर किया जा चुका था ।
उनका जन्म स्थान मथुरा में था मेरी राजधानी आगरा से सिर्फ 50 मील दूर अगर मुझे तोड़ना ही होता तो मैं कृष्ण का जन्म स्थान तोड़ता भागा भागा उद्या तक जाकर राम का जन्म स्थान क्यों तोड़ता क्योंकि राम तो भगवान हुए तुलसीदास के बाद और मेरे सामने तुलसीदास बच्चा था उसने रामायण मेरे मरने के बाद लिखी तुम्हारी मौत कब हुई दिसंबर 1530 में तुम्हारा तारीख मुझे याद नहीं मौत की तारीख कौन याद रखता है लेकिन लेकिन दुनिया तो करती है कि अयोध्या के राम मंदिर को तुमने 1528 में गिराया और अपने सूबेदार मीर बाकी को तुमने आदेश दिया कि उस जगह मस्जिद बनवा दो दी जाए ।
यह सरासर गलत है मेरा उस मस्जिद से कोई लेना-देना नहीं असली बात आप जानना चाहते हैं बिल्कुल बिल्कुल अदालत उसी से चल पड़ी तो जानिए मैं बताता हूं अदालत का पसीना छूट गया ना जी फ्यूचर हिटलर को यह कौन है मेरी सल्तनत जब मिट गई तब यह हिंदुस्तान पहुंचा था यह सुल्तानिया के आर्कियोलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया का डायरेक्टर जनरल रहा उसे बुलाके पूछिए !
अदालत पशोप में पड़ गई। ये बाबर तो खुद क मौत के करीब साढ़े तीन सौ साल आगेक बात कर रहा है। अपना माथा खुजलातेए अदालत नेबाबर सेपूछा–लेकन उसे बुलाकर या होगा। उसके और तुहारे दौर के बीच करीब साढ़ेतीन सौ साल का अंतर है !
आप उसे बुलाइए तो ! लेकन वह तुहारी या मदद कर सकेगा ? उसने सन्1889 में वह शिलालेख पढ़ा था, जो मेरे नाम पर थोपी जा रही मस्जिद में लगा हुआ था...आज वह शिलालेख पढ़ा नही जा सकता यक जाहल ने उसे पढ़ने लायक नही छोड़ा...लेकिन ए. यूहरर के ज़माने तक वह पढ़ा जा सकता था। उसे बुलाकर तसदक कर लीजए।
अदालत में बैठे मुर्दे सकते में आ गए आखिर बाबर साबित क्या करना चाहता था बातें तो वह कहते कि कर रहा था बदन पर पड़े पोकले अब उतने जल नहीं रहे थे वो भी कुछ कम रहे थे अदालत में बाबर के आने से पहले जो कोहराम मचा हुआ था वह काफी हद तक थक गया था अदालत ने आए हो हुजूर हाजिर करने का आदेश दिया अगली भागता हुआ गया उन्हें ले आया युवर का दिमाग सातवें आसमान पर था उसे या अपमानजनक लग रहा था कि यह गुलाम मुल्क में आजाद बस इंग्लिश में उसे इस तरह बुलाया था। लेकिन बाबर को देखते ही वह अपनी औकात पर आ गया अदालत की तोहीन करना उसके खून में नहीं था वह अध्यक्ष खड़ा हो गया तब बाबर ने कब मिले तुम बाबर से कब मिले करीब सन 1910 के आसपास मिला कहां काबुल के इनकी कब्र में तुमने बाबरी मस्जिद का वह शिलालेख पड़ा था ।
जो अब पढ़ा नहीं जा सकता जी हां क्या लिखा है उसमें यह की हाजिरी 930 यानी करीब 17 सितंबर सन 1523 में इब्राहिम लोदी ने उस मस्जिद की न्यूज़ लगाई थी और जो 10 सितंबर 1520 में बनकर तैयार हुई जिसे अब बाबरी मस्जिद कहा जाता है यही बताने में बाबर के पास गया था आई फ्यूहरर ने कहा इस मुद्दे को वक्त नहीं उन लोगों ने मारा बर्बाद किया है जो इस बाबरी मस्जिद और राम जन्म के झगड़े को जिंदा रखना चाहते हैं लेकिन आज तक किसी ने अब्राहिम लोधी पर इस मस्जिद की नींव रखने की तो मत क्यों नहीं लगाई अदालत ने जानना चाहा इब्राहिम लोदी पर किसी ने राम जन्मभूमि मस्जिद तोड़ने का नाम नहीं लगाया क्योंकि पहली बार वहां मंदिर था ही नहीं और दूसरी बात की बंदोली की दादी हिंदू हिंदू दादी खून उसकी रहता था इसीलिए भी नहीं लगाया गया इसलिए कि वह पत्नी था उसकी दादी हिंदू थी बावर्ची था मैं तक विदेशी था ।
मेरी रगों में हिंदू को नहीं था लेकिन तुम अब वाहनों का पीछा करते हुए घाघरा नदी तक तो गए थे वही घाघरा नदी जिसे सहयोग भी कहा जाता है और अयोध्या तो सरयू के किनारे हैं वीर बाकी तुम्हारा सूबेदार था वहां तभी तो उसने उस मस्जिद को मेरे नाम पर चस्पा कर दिया होगा आप तो जानते हैं यह सूबेदार मनसबदार वगैरह कितने लाभ होते हैं आज खुद इस मुल्क में कितने गांधी नगर नेहरू नगर किदवई नगर और संजय गांधी नगर बसे हुए हैं क्या हुए उन सब लोगों की तामीर करवा करवाए हैं बाबर बोला तो फिर तुम्हारी डायरी बाबरनामा के साडे 5 महीने यानी 3 अप्रैल 28 से 17 दिसंबर तक गायब हैं उसके बारे में क्या कह सकता हूं तुम्हें बताना पड़ेगा क्योंकि 2 अप्रैल को अवध में जंगलों में शिकार खेल रहे थे।
उसके बाद गायब हैं फिर तुम बाबरनामा के मुताबिक 18 सितंबर को आगरा में दरबार लगाए बैठे हो इस बीच तुम कहां थे क्योंकि अंग्रेजी लेखक ने यह साफ-साफ लिखा है कि गर्मियों यानी अप्रैल और अगस्त या पहुंचे वहां तुम एक हफ्ते रुके और तुमने प्राचीन राम मंदिर को तोड़ने का आदेश दिया और वहां मस्जिद तामिल करवाई जिसे बाबरी मस्जिद का नाम दिया गया या सरासर गलत है बाबर बोला मैं कब्र में लेटा लेटा इनको गुजरते देखता रहा हूं 18 साल तक या कहिए कि 18 से 50 तक तो सब ठीक ठाक चला लेकिन 18 57 के बाद शुरू हुई बाबर ठीक कह रहे हैं शिवहर ने बीच में टोका हमारी पॉलिसीज बदली और यह सब तय किया गया हिंदू और मुसलमान जो 18971 हुए थे।
उन्हें अलग अलग रखा जा नहीं तो अंग्रेजी में चलने नहीं पाएगी इसलिए मैंने बाबरी मस्जिद पर लगा इब्राहिम लोदी का जोश वाले पड़ा था उसे जानबूझकर मिटाया गया लेकिन मैंने इसका जो अनुवाद किया था वह आज भी को लॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की फाइलों में पढ़ा रहे गया उसे नष्ट करने का किसी को नहीं आया इसी के साथ बाबरनामा वह गायब किए गए जो इस बात का सबूत देते हैं किया बाबर अवध अवध गया तो जरूर पर कभी और ध्यान नहीं गया और उसके बाद हमारी अंग्रेज कॉम ने और खास तौर पर एच आर लेविन ने मिलने जो फैजाबाद की जीटीए तैयार किया उसमें शैतानी से यह दर्ज किया गया किया बाबर और दया में एक हफ्ते टेरा और इसी ने प्राचीन राम मंदिर को मिस मार किया बोलते बोलते शिवहर हंसने आपने लगा वह बहुत थक गया था उसे प्यास लगी थी पानी तो कहीं नहीं था इसीलिए उसे खून का एक गिलास दिया गया अदालत में अगला सवाल भी किया बाबर अगर तुम्हारे बाबरनामा में कुछ पन्ने फाड़ दिए गए थे।
तुम तो बता सकते हो कि अगर तुम और ध्यान नहीं गए तो 3 अप्रैल 15 जुलाई से लेकर 17 सितंबर 15 से 28 तक कहां रहे तुम और और दया के जंगलों में शिकार खेलते हुए साडे 5 महीने के लिए कहां गायब हो गए या अहम सवाल है या और यही सारी झगड़े की जड़ है जी यह सही है मैं अवध की जंगलों में 2 अप्रैल 15 से 28 तक शिकार खेल रहा था या फिर अध्यक्ष कोई इतना मशहूर शहर भी नहीं था कि मैं वहां जाता हूं वहां मेरा कोई दुश्मन भी नहीं था बाबर बोला लेकिन तुम बात छुपाते क्यों हो या बात इस अदालत को बता तो सकते हो बदल बदली थी मैं मेरे वतन में मजहब के नाम पर तक्सीम करना शुरू कर दिया था मेरा वतन मुक्त हिंदुस्तान ही था मैं तो वही आगरा की जमीन पर जमींदोज हो गया पर तस्वीर लोग मेरी कब्र खोदकर मुझे कबूल उठा ले जाए तो खैर तो खैर बात यह है कि बाबर जामा मस्जिद बौद्ध का जिक्र है उसको बेईमानी से अयोध्या कहा है जबकि का मतलब होता है जिसे आप आज भी उसी नाम से पुकारते हैं मुझे जानकारी दी थी ।
अंग्रेजों के अपने चहेते अफसर कनिंघम जिसे हिंदुस्तान के तवा तिवारी और पुरानी इमारतों की देखभाल करने का काम शुरू किया गया था उसने बड़ी चालाकी से लखनऊ दर्ज किया था कि बाबरी मस्जिद की तामीर हिंदुओं के तामीर होती मस्जिद पर हमला किया था और उस जग में मुसलमान और हिंदुओं को हलाल किया था उन्हें हिंदुओं के खून से मस्जिद के लिए गारा बनाया गया था या तो भयानक है लेकिन यह सच है बाबर बोला कैसे कोई सबूत पहली बात तो यह है कि जो र कनिंघम का लिखा बताया जाता है वह मेरे मामा बाबरनामा के गुमशुदा पन्नों की तरह ही गुम हो चुका मुसलमान और हिंदुओं को हलाल किया था उन्हें हिंदुओं के खून से मस्जिद के लिए गारा बनाया गया था या तो भयानक है लेकिन यह सच है बाबर बोला कैसे कोई सबूत पहली बात तो यह है का लिखा बताया जाता है वह मेरे बाबरनामा के गुमशुदा पन्नो की तरह ही गुम हो चुका है ।
अफसर नेवल ने फैजाबाद गजेटयर में लिखा है कि सन् 1869 मै फैजाबाद अयोध्या की कुल आबादी 9, 949 थी और सन् 1881 में उसी क आबाद 11,643 थी, यानी 12 बरस में करीब 2000 आबादी की बढ़त हुई थी...अदबे आलया ! अब आप खुद ही सोचए की मेरे व यानी सन् 1528 में उस इलाके को आबादी क्या रही होगी ? तब 1, 74000 हिन्दू कैसे मारे जा सकते थे?...
इसलिए यह बात साफ होनी चाहिए कि अंग्रेजो ने हमारे मुल्क हिंदुस्तान के साथ क्या खेल खेला है अधिक ने गौर से बाबर को देखा मैं तो बता ही सकता हूं बाबर ने बताया लेकिन मेरी बेटी गुलबदन बेगम ने हमारी नामा में खुद लिखा है ताजिक जबान में तुझ के बाबरी मस्जिद है उसमें आपको असलियत का पता चल सकता है उसे पढ़ लीजिए मैं लेखक हूं इस दौर में मेरे पास लिखने पढ़ने का वक्त नहीं बचा है वह जमाने लद गए जब तुम लड़कियां भी लड़ते थे आराम से बैठकर अपनी डायरिया लिखवाया करते थे अदालत ने जुमला कसा आपके या फरमाने से मुझे याद आया बाबर आगे बोला देखिए यह बात है कि यह वह मत करो बाबर सीधे-सीधे बताओ कि 2 अप्रैल 1528 को अवध के जंगलों में शिकार खेलने के बाद तुम अयोध्या गए थे या नहीं वहां एक हफ्ते ठहरे थे या नहीं कतई नहीं आप ही सोचिए हुजूर बरसों बाद मेरी बेगम और मेरी बिटिया गुलबदन काबुल से आगरा आ रही थी पहली बार यह दोनों 8 अप्रैल 1528 को आगरा पहुंचने वाली थी इसलिए मैं आवाज से उन्हें लेने लौट पड़ा था आप चाहे तो गुलबदन के हिमानी नाम आसेया तफ्तीश पढ़ सकते हैं फिर तुमने पढ़ने की बात की तुम एक आदि की तोहीन कर रहे हो अदालत ने बाबर को डांटा मैं माफी चाहता हूं बाबर बोला तो गुलबदन से पूछ लीजिए अर्दली ने अदालत के काम में कुछ कहा तो अदालत ने सिर हिलाया और आदेश दिया गुलबदन बेगम हाजिर किया जाए फिर बाबर की तरफ मुताबिक होकर कहा तुम्हारी बेटी गुलबदन बेगम से ही जानना बेहतर होगा ।
कुछ ही देर में अंजलि ने गुलबदन बेगम को हाजिर किया उसने घूमते ही अपने अब्बा हुजूर को अदा किया और शक में लगी मुझे क्या मालूम था कि मेरे मेरा हिंदुस्तान इस तरह रात हो जाएगा और आपको इस तरह कलंकित किया जाएगा गुलबदन बोल रही थी अदालत ने अपने प्रशंसा में कहा गुलबदन तुम तो काफी खूबसूरत हिंदी बोलती हो लेकिन फिलहाल यह बताओ कि तुम अब्बा हुजूर 3 अप्रैल 27 को 17 सितंबर 28 तक कहां थे जी मैं बताती हूं अब्बा हुजूर ने हमें हिंदुस्तान बुलाया था मेरा बड़ा भाई हमारी तो 2 साल पहले ही अब्बा हुजूर के साथ चला आया था मैं अपनी मां बेगम के साथ अपने भाई बहनों और बड़ी छोटी से पहले हिंदुस्तान पहुंची थी अब्बा हुजूर फौरन अवध के जंगलों के शिकार छोड़कर हमें लेने के लिए 7 अप्रैल पहले आगरा पहुंचे पहुंच चुके थे हम अलीगढ़ के रास्ते आए थे उन दिनों अलीगढ़ को पुकारा जाता था ।
मैं अपनी मां के साथ 9 अप्रैल को अलीगढ़ पहुंची थी हमें लेने के लिए आगरा से अलीगढ़ के लिए थे और आगरा से 4 मील दूर नाना के घर 5 मील थे वहां से भी घोड़े पर सवार नहीं हुए पैदल ही हमारे साथ आगरा आगरा में दाखिल हुए या तारीख 10 अप्रैल 1528 की थी अब्बा हुजूर मेरी अम्मी के साथ वक्त गुजारना चाहते थे इसका तारीख का इतिहास या क्या लेना-देना अदालत लेना देना नहीं है अब्बा हुजूर मेरी मां के साथ समय बिताया इसके बाद धौलपुर के लिए रवाना हुए वहां उन्होंने पानी के बीच एक पत्थर में एक तख्त बनवाया था जिस पर बैठकर वह अपना इतिहास खुद लिख पाते थे वह कैसे जा सकते थे हमें लाने के लिए आगरा लौट चुके थे हुजूर जो फौजी से वाजिद का पीछा करती हुई जौनपुर बक्सर भी 64 थक गई थी ।
उनके सेनापति मोहम्मद अली जंग थे अब्बा हुजूर हमें लेने लौट आए थे घाघरा और शारदा नदी के संगम और दया गए कि नहीं हमारे साथ आगरा में रहे धौलपुर ग्वालियर के रवाना हुए 1528 10 जुलाई 1528 यह धौलपुर से सीकरी लौट आए अब्बा हुजूर आगरा वापस आए 15 सितंबर के आसपास है बाबा के फटे हुए हैं उनकी जगह आप मेरे हुमायूंनामा के पन्नों को रख सकते हैं और जान सकते हैं कि अब्बा हुजूर कहां थे मैं जोर देकर कहना चाहते हो कि अब्बा हुजूर के लिए ना तो अयोध्या कोई खास शहर था और ना ही वहां गए 3 महीने अप्रैल मई-जून संदेश से हमारे साथ साथ थे पंजाब केसरी हिंद तक गए थे क्योंकि लाहौर के इमाम ने अब्बा हुजूर के खिलाफ बगावत की थी अब्बा हुजूर में बैठकर कली अरबिया लाहौर में एक और उनके साथियों के साथ हाजिर हो संसार हो सिपहसालार या सूबेदार इस मुल्क के लिए हिंदुओं के बगैर अपनी सर्च कायम नहीं रख सकता फिर अफगानी मुसलमानों के शिकस्त देने के लिए तो अब्बा हुजूर के पास वक्त कहां था ।
या जाते किसी मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनवा के अब्बा हुजूर ने हिंदुस्तान पर आखरी हमला किया तो मजहब या धर्म का सवाल ही नहीं था वह तो चढ़ाई थी मुसलमान खुद मुसलमान से लड़ा था यहां हिंदू मुसलमान के सवाल ही नहीं था सुनिए सुनिए हमें और ब्याव के दंत धवन कुंड मंदिर के लिए माफीनामा मिला था एक आवाज आई तुम कौन अदालत ने पूछा मैं दंत धवन कुंड का पहला महेंद्र दास हूं मुझे पता चला है कि बार-बार आप की अदालत में हाजिर हुए हैं इसलिए मैं समाधि से निकलकर अपने बादशाह का दर्शन करने आया हूं या दंत धवन कुंड क्या बावला है कौन-कौन सी जगह है जहां बलात नहीं या जगह वही अयोध्या में राजा रामचंद्र जी डॉन करते थे जो भगवान गौतम बुद्ध ने 16 व चतुर्मास बिताए थे यही चीनी यात्री हेनसांग आया था अपने यात्रा विवरण उसने खुद इस कुंड का उल्लेख किया है आज भी और जा में स्कूल वर्तमान है मेरा मेरा शिष्य वहां मौजूद है बादशाह बाबर ने हमें माफी नामे का काम पत्र दिया है जिसे अंग्रेजों के बाद में संसद में बदल दिया वह सनत कपड़ों पर आज भी मौजूद है महेंद्र छात्र दास धाराप्रवाह बोलता जा रहा था इसका मतलब यह बाबर और दया आया था जहां उद्दीन मोहम्मद बाबर बादशाह थे तब बादशाह खुद ने ही उनकी मेहरबानियां मेहरबानियां आया करती थी ।
तब के बादशाह आज नेताओं की तरह नहीं कि दस दस रुपये बांटने पहुंच जाएं आज भी हम दंत धवन कुंड के इलाके में का लगान वसूल करते हैं और मालगुजारी नहीं देते बाबर के ताम पत्र और अंग्रेजों की सनद के तहत हमें आज भी या माफीनामा मिला है तुम्हारे ऊपर बाबर ने क्या उपकार किए इससे हमें लेना-देना नहीं समझा बताओ कि बाबरी मस्जिद बाबर ने बनवाई या नहीं क्योंकि लगता है कि तुम बाबर के समकालीन हो जी हां हूं ।
लेकिन मस्जिद तो खाली जगह पर इब्राहिम लोदी नहीं बनवाई थी हो सकता है कुछ फेरबदल मीर बाकी ताशकंद ने करवाई हो महेंद्र दास बाकी के गांव में हुआ केस के वंशज आज भी मौजूद है आज उसे मालूम कर सकते हैं अदालत कुछ देर के लिए की जाती है मुर्दों में हड़कंप मच गया फिर पढ़ने लगी फिर वही हाहाकार मचने लगा कुछ नए आ गए उत्तर पूर्व के विद्रोहियों ने उन्हें मारा है समझ नहीं पाई किया आखिर क्या है।
अली ने उसे सारी जानकारी दी हुजूर यह असम की धरती पुत्रों का आंदोलन है इसका पहला आंदोलन आंध्र प्रदेश में शुरू हुआ है धरती पुत्रों ने मुझ पर यही आंदोलन शिवसेना लेकर खड़ी हो गई । लेखक ने अर्दली को धन्यवाद दिया उसे अपनी जेब में रखा और वह फैजाबाद अयोध्या की ओर चल दिया वीर बाकी के गांव सेंधवा का पता करने के लिए मुर्दों ने उस का घेराव कर लिया वे चीखने लगे इस तरह अदालत मुल्तवी करके नहीं जा सकते हैं । आखिर अब एक ही तो अदालत रह गई है नहीं तो मुल्क की ज्यादातर डालते बेकार हो चुकी हैं कच्चे कानों की वजह से लाचार हैं अदीब ने उन्हें जैसे तैसे समझाया तब किसी तरह घेराव खत्म हुआ उसने अदालत बर्खास्त नहीं सिर्फ स्थगित की ।