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भाग 12

6 अगस्त 2022

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वह कौन सी तारीख थी।  इब्राहिम लोदी से मैंने पार्क पानीपत की लड़ाई 20 अप्रैल 1526 को जीती थी और रजत 15 जुम्मे के दिन यानी 27 अप्रैल 1526 को मारे मेरे नाम का खुतबा पढ़ा गया था या खुद बा मौलाना महमूद और से जैन ने पढ़ा था मैं और मेरा लश्कर उस वक्त जमुना के किनारे पड़ा हुआ था यदि वे अधिक मुझे हिंदुस्तान के पानी से बहुत प्यार था। 

 मैं उस वक्त वे वतन था और अपने लिए एक बसंत रास्ता हुआ आया था क्योंकि उन दिनों वतन की बिना तलवार के नहीं मिलता था तुम फिर वह एक रहे हो जी नहीं तो फिर सीधे सीधे अपनी बराबरी मस्जिद का किस्सा बताओ मैंने कहा आगरा मेरी राजधानी थी अब सोचिए उस वक्त हिंदुओं के कृष्ण को भगवान और अवतार मंजूर किया जा चुका था । 

उनका जन्म स्थान मथुरा में था मेरी राजधानी आगरा से सिर्फ 50 मील दूर अगर मुझे तोड़ना ही होता तो मैं कृष्ण का जन्म स्थान तोड़ता भागा भागा उद्या तक जाकर राम का जन्म स्थान क्यों तोड़ता क्योंकि राम तो भगवान हुए तुलसीदास के बाद और मेरे सामने तुलसीदास बच्चा था उसने रामायण मेरे मरने के बाद लिखी तुम्हारी मौत कब हुई दिसंबर 1530 में तुम्हारा तारीख मुझे याद नहीं मौत की तारीख कौन याद रखता है लेकिन लेकिन दुनिया तो करती है कि अयोध्या के राम मंदिर को तुमने 1528 में गिराया और अपने सूबेदार मीर बाकी को तुमने आदेश दिया कि उस जगह मस्जिद बनवा दो दी जाए । 

यह सरासर गलत है मेरा उस मस्जिद से कोई लेना-देना नहीं असली बात आप जानना चाहते हैं बिल्कुल बिल्कुल अदालत उसी से चल पड़ी तो जानिए मैं बताता हूं अदालत का पसीना छूट गया ना जी फ्यूचर हिटलर को यह कौन है मेरी सल्तनत जब मिट गई तब यह हिंदुस्तान पहुंचा था यह सुल्तानिया के आर्कियोलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया का डायरेक्टर जनरल रहा उसे बुलाके पूछिए ! 

अदालत पशोप में पड़ गई। ये बाबर तो खुद क मौत के करीब साढ़े तीन सौ साल आगेक बात कर रहा है। अपना माथा खुजलातेए अदालत नेबाबर सेपूछा–लेकन उसे बुलाकर या होगा। उसके और तुहारे दौर के बीच करीब साढ़ेतीन सौ साल का अंतर है ! 

आप उसे बुलाइए तो !  लेकन वह तुहारी या मदद कर सकेगा ? उसने सन्1889 में  वह शिलालेख पढ़ा था, जो मेरे नाम पर थोपी जा रही मस्जिद  में  लगा हुआ था...आज वह शिलालेख पढ़ा नही जा सकता यक जाहल ने उसे पढ़ने लायक नही  छोड़ा...लेकिन ए. यूहरर के ज़माने तक वह पढ़ा जा सकता था। उसे बुलाकर तसदक कर लीजए।

अदालत में बैठे मुर्दे सकते में आ गए आखिर बाबर साबित क्या करना चाहता था बातें तो वह कहते कि कर रहा था बदन पर पड़े पोकले अब उतने जल नहीं रहे थे वो भी कुछ कम रहे थे अदालत में बाबर के आने से पहले जो कोहराम मचा हुआ था वह काफी हद तक थक गया था अदालत ने आए हो हुजूर हाजिर करने का आदेश दिया अगली भागता हुआ गया उन्हें ले आया युवर का दिमाग सातवें आसमान पर था उसे या अपमानजनक लग रहा था कि यह गुलाम मुल्क में आजाद बस इंग्लिश में उसे इस तरह बुलाया था। लेकिन बाबर को देखते ही वह अपनी औकात पर आ गया अदालत की तोहीन करना उसके खून में नहीं था वह अध्यक्ष खड़ा हो गया तब बाबर ने कब मिले तुम बाबर से कब मिले करीब सन 1910 के आसपास मिला कहां काबुल के इनकी कब्र में तुमने बाबरी मस्जिद का वह शिलालेख पड़ा था ।  

जो अब पढ़ा नहीं जा सकता जी हां क्या लिखा है उसमें यह की हाजिरी 930 यानी करीब 17 सितंबर सन 1523 में इब्राहिम लोदी ने उस मस्जिद की न्यूज़ लगाई थी और जो 10 सितंबर 1520 में बनकर तैयार हुई जिसे अब बाबरी मस्जिद कहा जाता है यही बताने में बाबर के पास गया था आई फ्यूहरर ने कहा इस मुद्दे को वक्त नहीं उन लोगों ने मारा बर्बाद किया है जो इस बाबरी मस्जिद और राम जन्म के झगड़े को जिंदा रखना चाहते हैं लेकिन आज तक किसी ने अब्राहिम लोधी पर इस मस्जिद की नींव रखने की तो मत क्यों नहीं लगाई अदालत ने जानना चाहा इब्राहिम लोदी पर किसी ने राम जन्मभूमि मस्जिद तोड़ने का नाम नहीं लगाया क्योंकि पहली बार वहां मंदिर था ही नहीं और दूसरी बात की बंदोली की दादी हिंदू हिंदू दादी खून उसकी रहता था इसीलिए भी नहीं लगाया गया इसलिए कि वह पत्नी था उसकी दादी हिंदू थी बावर्ची था मैं तक विदेशी था ।   

मेरी रगों में हिंदू को नहीं था लेकिन तुम अब वाहनों का पीछा करते हुए घाघरा नदी तक तो गए थे वही घाघरा नदी जिसे सहयोग भी कहा जाता है और अयोध्या तो सरयू के किनारे हैं वीर बाकी तुम्हारा सूबेदार था वहां तभी तो उसने उस मस्जिद को मेरे नाम पर चस्पा कर दिया होगा आप तो जानते हैं यह सूबेदार मनसबदार वगैरह कितने लाभ होते हैं आज खुद इस मुल्क में कितने गांधी नगर नेहरू नगर किदवई नगर और संजय गांधी नगर बसे हुए हैं क्या हुए उन सब लोगों की तामीर करवा करवाए हैं बाबर बोला तो फिर तुम्हारी डायरी बाबरनामा के साडे 5 महीने यानी 3 अप्रैल 28 से 17 दिसंबर तक गायब हैं उसके बारे में क्या कह सकता हूं तुम्हें बताना पड़ेगा क्योंकि 2 अप्रैल को अवध में जंगलों में शिकार खेल रहे थे।  

उसके बाद गायब हैं फिर तुम बाबरनामा के मुताबिक 18 सितंबर को आगरा में दरबार लगाए बैठे हो इस बीच तुम कहां थे क्योंकि अंग्रेजी लेखक ने यह साफ-साफ लिखा है कि गर्मियों यानी अप्रैल और अगस्त या पहुंचे वहां तुम एक हफ्ते रुके और तुमने प्राचीन राम मंदिर को तोड़ने का आदेश दिया और वहां मस्जिद तामिल करवाई जिसे बाबरी मस्जिद का नाम दिया गया या सरासर गलत है बाबर बोला मैं कब्र में लेटा लेटा इनको गुजरते देखता रहा हूं 18 साल तक या कहिए कि 18 से 50 तक तो सब ठीक ठाक चला लेकिन 18 57 के बाद शुरू हुई बाबर ठीक कह रहे हैं शिवहर ने बीच में टोका हमारी पॉलिसीज बदली और यह सब तय किया गया हिंदू और मुसलमान जो 18971 हुए थे। 

उन्हें अलग अलग रखा जा नहीं तो अंग्रेजी में चलने नहीं पाएगी इसलिए मैंने बाबरी मस्जिद पर लगा इब्राहिम लोदी का जोश वाले पड़ा था उसे जानबूझकर मिटाया गया लेकिन मैंने इसका जो अनुवाद किया था वह आज भी को लॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की फाइलों में पढ़ा रहे गया उसे नष्ट करने का किसी को नहीं आया इसी के साथ बाबरनामा वह गायब किए गए जो इस बात का सबूत देते हैं किया बाबर अवध अवध गया तो जरूर पर कभी और ध्यान नहीं गया और उसके बाद हमारी अंग्रेज कॉम ने और खास तौर पर एच आर लेविन ने मिलने जो फैजाबाद की जीटीए तैयार किया उसमें शैतानी से यह दर्ज किया गया किया बाबर और दया में एक हफ्ते टेरा और इसी ने प्राचीन राम मंदिर को मिस मार किया बोलते बोलते शिवहर हंसने आपने लगा वह बहुत थक गया था उसे प्यास लगी थी पानी तो कहीं नहीं था इसीलिए उसे खून का एक गिलास दिया गया अदालत में अगला सवाल भी किया बाबर अगर तुम्हारे बाबरनामा में कुछ पन्ने फाड़ दिए गए थे।  

तुम तो बता सकते हो कि अगर तुम और ध्यान नहीं गए तो 3 अप्रैल 15 जुलाई से लेकर 17 सितंबर 15 से 28 तक कहां रहे तुम और और दया के जंगलों में शिकार खेलते हुए साडे 5 महीने के लिए कहां गायब हो गए या अहम सवाल है या और यही सारी झगड़े की जड़ है जी यह सही है मैं अवध की जंगलों में 2 अप्रैल 15 से 28 तक शिकार खेल रहा था या फिर अध्यक्ष कोई इतना मशहूर शहर भी नहीं था कि मैं वहां जाता हूं वहां मेरा कोई दुश्मन भी नहीं था बाबर बोला लेकिन तुम बात छुपाते क्यों हो या बात इस अदालत को बता तो सकते हो बदल बदली थी मैं मेरे वतन में मजहब के नाम पर तक्सीम करना शुरू कर दिया था मेरा वतन मुक्त हिंदुस्तान ही था मैं तो वही आगरा की जमीन पर जमींदोज हो गया पर तस्वीर लोग मेरी कब्र खोदकर मुझे कबूल उठा ले जाए तो खैर तो खैर बात यह है कि बाबर जामा मस्जिद बौद्ध का जिक्र है उसको बेईमानी से अयोध्या कहा है जबकि का मतलब होता है जिसे आप आज भी उसी नाम से पुकारते हैं मुझे जानकारी दी थी ।  

अंग्रेजों के अपने चहेते अफसर कनिंघम जिसे हिंदुस्तान के तवा तिवारी और पुरानी इमारतों की देखभाल करने का काम शुरू किया गया था उसने बड़ी चालाकी से लखनऊ  दर्ज किया था कि बाबरी मस्जिद की तामीर हिंदुओं के तामीर होती मस्जिद पर हमला किया था और उस जग में मुसलमान और हिंदुओं को हलाल किया था उन्हें हिंदुओं के खून से मस्जिद के लिए गारा बनाया गया था या तो भयानक है लेकिन यह सच है बाबर बोला कैसे कोई सबूत पहली बात तो यह है कि जो र कनिंघम का लिखा बताया जाता है वह मेरे मामा बाबरनामा के गुमशुदा पन्नों की तरह ही गुम हो चुका मुसलमान और हिंदुओं को हलाल किया था उन्हें हिंदुओं के खून से मस्जिद के लिए गारा  बनाया गया था या तो भयानक है लेकिन यह सच है बाबर बोला कैसे कोई सबूत पहली बात तो यह है का लिखा बताया जाता है वह मेरे बाबरनामा के गुमशुदा पन्नो की तरह ही गुम हो चुका है ।  

अफसर नेवल ने फैजाबाद गजेटयर में  लिखा है  कि सन् 1869  मै  फैजाबाद अयोध्या  की कुल आबादी  9, 949 थी और सन् 1881 में उसी क आबाद 11,643 थी, यानी 12 बरस में  करीब 2000 आबादी  की  बढ़त हुई  थी...अदबे आलया ! अब आप खुद ही सोचए की मेरे व यानी सन् 1528 में उस इलाके को आबादी  क्या रही होगी ? तब 1, 74000  हिन्दू कैसे मारे जा सकते थे?...

इसलिए यह बात साफ होनी चाहिए कि अंग्रेजो ने हमारे मुल्क हिंदुस्तान के साथ क्या खेल खेला है अधिक ने गौर से बाबर को देखा मैं तो बता ही सकता हूं बाबर ने बताया लेकिन मेरी बेटी गुलबदन बेगम ने हमारी नामा में खुद लिखा है ताजिक जबान में तुझ के बाबरी मस्जिद है उसमें आपको असलियत का पता चल सकता है उसे पढ़ लीजिए मैं लेखक हूं  इस दौर में मेरे पास लिखने पढ़ने का वक्त नहीं बचा है वह जमाने लद गए जब तुम लड़कियां भी लड़ते थे आराम से बैठकर अपनी डायरिया लिखवाया करते थे अदालत ने जुमला कसा आपके या फरमाने से मुझे याद आया बाबर आगे बोला देखिए यह बात है  कि यह वह मत करो बाबर सीधे-सीधे बताओ कि 2 अप्रैल 1528 को अवध के जंगलों में शिकार खेलने के बाद तुम अयोध्या गए थे या नहीं वहां एक हफ्ते ठहरे थे या नहीं कतई नहीं आप ही सोचिए हुजूर बरसों बाद मेरी बेगम और मेरी बिटिया गुलबदन काबुल से आगरा आ रही थी पहली बार यह दोनों 8 अप्रैल 1528 को आगरा पहुंचने वाली थी इसलिए मैं आवाज से उन्हें लेने लौट पड़ा था आप चाहे तो गुलबदन के हिमानी नाम आसेया तफ्तीश पढ़ सकते हैं फिर तुमने पढ़ने की बात की तुम एक आदि की तोहीन कर रहे हो अदालत ने बाबर को डांटा मैं माफी चाहता हूं बाबर बोला तो गुलबदन से पूछ लीजिए अर्दली ने अदालत के काम में कुछ कहा तो अदालत ने सिर हिलाया और आदेश दिया गुलबदन बेगम हाजिर किया जाए फिर बाबर की तरफ मुताबिक होकर कहा तुम्हारी बेटी गुलबदन बेगम से ही जानना बेहतर होगा ।  

 कुछ ही देर में अंजलि ने गुलबदन बेगम को हाजिर किया उसने घूमते ही अपने अब्बा हुजूर को अदा किया और शक में लगी मुझे क्या मालूम था कि मेरे मेरा हिंदुस्तान इस तरह रात हो जाएगा और आपको इस तरह कलंकित किया जाएगा गुलबदन बोल रही थी अदालत ने अपने प्रशंसा में कहा गुलबदन तुम तो काफी खूबसूरत हिंदी बोलती हो लेकिन फिलहाल यह बताओ कि तुम अब्बा हुजूर 3 अप्रैल 27 को 17 सितंबर 28 तक कहां थे जी मैं बताती हूं अब्बा हुजूर ने हमें हिंदुस्तान बुलाया था मेरा बड़ा भाई हमारी तो 2 साल पहले ही अब्बा हुजूर के साथ चला आया था मैं अपनी मां बेगम के साथ अपने भाई बहनों और बड़ी छोटी से पहले हिंदुस्तान पहुंची थी अब्बा हुजूर फौरन अवध के जंगलों के शिकार छोड़कर हमें लेने के लिए 7 अप्रैल पहले आगरा पहुंचे पहुंच चुके थे हम अलीगढ़ के रास्ते आए थे उन दिनों अलीगढ़ को पुकारा जाता था ।  

 मैं अपनी मां के साथ 9 अप्रैल को अलीगढ़ पहुंची थी हमें लेने के लिए आगरा से अलीगढ़ के लिए थे और आगरा से 4 मील दूर नाना के घर 5 मील थे वहां से भी घोड़े पर सवार नहीं हुए पैदल ही हमारे साथ आगरा आगरा में दाखिल हुए या तारीख 10 अप्रैल 1528 की थी अब्बा हुजूर मेरी अम्मी के साथ वक्त गुजारना चाहते थे इसका तारीख का इतिहास या क्या लेना-देना अदालत लेना देना नहीं है अब्बा हुजूर मेरी मां के साथ समय बिताया इसके बाद धौलपुर के लिए रवाना हुए वहां उन्होंने पानी के बीच एक पत्थर में एक तख्त बनवाया था जिस पर बैठकर वह अपना इतिहास खुद लिख पाते थे वह कैसे जा सकते थे हमें लाने के लिए आगरा लौट चुके थे हुजूर जो फौजी से वाजिद का पीछा करती हुई जौनपुर बक्सर भी 64 थक गई थी  ।  

उनके सेनापति मोहम्मद अली जंग थे अब्बा हुजूर हमें लेने लौट आए थे घाघरा और शारदा नदी के संगम और दया गए कि नहीं हमारे साथ आगरा में रहे धौलपुर ग्वालियर के रवाना हुए 1528 10 जुलाई 1528 यह धौलपुर से सीकरी लौट आए अब्बा हुजूर आगरा वापस आए 15 सितंबर के आसपास है बाबा के फटे हुए हैं उनकी जगह आप मेरे हुमायूंनामा के पन्नों को रख सकते हैं और जान सकते हैं कि अब्बा हुजूर कहां थे मैं जोर देकर कहना चाहते हो कि अब्बा हुजूर के लिए ना तो अयोध्या कोई खास शहर था और ना ही वहां गए 3 महीने अप्रैल मई-जून संदेश से हमारे साथ साथ थे पंजाब केसरी हिंद तक गए थे क्योंकि लाहौर के इमाम ने अब्बा हुजूर के खिलाफ बगावत की थी अब्बा हुजूर में बैठकर कली अरबिया लाहौर में एक और उनके साथियों के साथ हाजिर हो संसार हो सिपहसालार या सूबेदार इस मुल्क के लिए हिंदुओं के बगैर अपनी सर्च कायम नहीं रख सकता फिर अफगानी मुसलमानों के शिकस्त देने के लिए तो अब्बा हुजूर के पास वक्त कहां था ।  

या जाते किसी मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनवा के अब्बा हुजूर ने हिंदुस्तान पर आखरी हमला किया तो मजहब या धर्म का सवाल ही नहीं था वह तो चढ़ाई थी मुसलमान खुद मुसलमान से लड़ा था यहां हिंदू मुसलमान के सवाल ही नहीं था सुनिए सुनिए हमें और ब्याव के दंत धवन कुंड मंदिर के लिए माफीनामा मिला था एक आवाज आई तुम कौन अदालत ने पूछा मैं दंत धवन कुंड का पहला महेंद्र दास हूं मुझे पता चला है कि बार-बार आप की अदालत में हाजिर हुए हैं इसलिए मैं समाधि से निकलकर अपने बादशाह का दर्शन करने आया हूं या दंत धवन कुंड क्या बावला है कौन-कौन सी जगह है जहां बलात नहीं या जगह वही अयोध्या में राजा रामचंद्र जी डॉन करते थे जो भगवान गौतम बुद्ध ने 16 व चतुर्मास बिताए थे यही चीनी यात्री हेनसांग आया था अपने यात्रा विवरण उसने खुद इस कुंड का उल्लेख किया है आज भी और जा में स्कूल वर्तमान है मेरा मेरा शिष्य वहां मौजूद है बादशाह बाबर ने हमें माफी नामे का काम पत्र दिया है जिसे अंग्रेजों के बाद में संसद में बदल दिया वह सनत कपड़ों पर आज भी मौजूद है महेंद्र छात्र दास धाराप्रवाह बोलता जा रहा था इसका मतलब यह बाबर और दया आया था जहां उद्दीन मोहम्मद बाबर बादशाह थे तब बादशाह खुद ने ही उनकी मेहरबानियां मेहरबानियां आया करती थी ।  

 तब के बादशाह आज नेताओं की तरह नहीं कि दस दस रुपये  बांटने पहुंच जाएं आज भी हम दंत धवन कुंड के इलाके में का लगान वसूल करते हैं और मालगुजारी नहीं देते बाबर के ताम पत्र और अंग्रेजों की सनद के तहत हमें आज भी या माफीनामा मिला है तुम्हारे ऊपर बाबर ने क्या उपकार किए इससे हमें लेना-देना नहीं समझा बताओ कि बाबरी मस्जिद बाबर ने बनवाई या नहीं क्योंकि लगता है कि तुम बाबर के समकालीन हो जी हां हूं  ।  

लेकिन मस्जिद तो खाली जगह पर इब्राहिम लोदी नहीं बनवाई थी हो सकता है कुछ फेरबदल मीर बाकी ताशकंद ने करवाई हो महेंद्र दास बाकी के गांव में हुआ केस के वंशज आज भी मौजूद है आज उसे मालूम कर सकते हैं अदालत कुछ देर के लिए की जाती है मुर्दों में हड़कंप मच गया फिर पढ़ने लगी फिर वही हाहाकार मचने लगा कुछ नए आ गए उत्तर पूर्व के विद्रोहियों ने उन्हें मारा है समझ नहीं पाई किया आखिर क्या है।  

अली ने उसे सारी जानकारी दी हुजूर यह असम की धरती पुत्रों का आंदोलन है इसका पहला आंदोलन आंध्र प्रदेश में शुरू हुआ है धरती पुत्रों ने मुझ पर यही आंदोलन शिवसेना लेकर  खड़ी हो गई । लेखक ने अर्दली को धन्यवाद दिया उसे अपनी जेब में रखा और वह फैजाबाद अयोध्या की ओर चल दिया वीर बाकी के गांव सेंधवा का पता करने के लिए मुर्दों ने उस का घेराव कर लिया वे चीखने लगे इस तरह अदालत मुल्तवी करके नहीं जा सकते हैं । आखिर अब एक ही तो अदालत रह गई है नहीं तो मुल्क की ज्यादातर डालते बेकार हो चुकी हैं कच्चे कानों की वजह से लाचार हैं अदीब ने उन्हें जैसे तैसे समझाया तब किसी तरह घेराव खत्म हुआ उसने अदालत बर्खास्त नहीं सिर्फ स्थगित की । 

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रचनाएँ
कितने पाकिस्तान
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कितने पाकिस्तान हिन्दी के विख्यात साहित्यकार कमलेश्वर द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 2003 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। यह उपन्यास भारत-पाकिस्तान के बँटवारे और हिंदू-मुस्लिम संबंधों पर आधारित है। यह उनके मन के भीतर चलने वाले अंतर्द्वंद्व का परिणाम माना जाता है।'कितने पाकिस्तान' कमलेश्वर का लिखा हुआ एक प्रयोगवादी उपन्यास है। इस उपन्यास को 2003 के साहित्य अकादमी पुरस्कार से नवाज़ा गया था। यह उपन्यास बाकी उपन्यासों से कई मामलों में अलग है। पहला, इसमें सामान्य घटनायें, जैसे उपन्यासों में होती हैं, नहीं हैं, बल्कि ऐतिहासिक घटनाओं का लेखक के नज़रिये से वर्णन है। क्योंकि सारा कथानक उसी के इर्दगिर्द घूमता है। उपन्यास में सदियों से चले आ रही हिंसा और मारकाट के प्रति गहरा क्षोभ है। पात्रों की इस कमी को इतिहास के प्रसिद्ध व्यक्तियों को कटघरे में लाकर दूर किया गया है। अगर उपन्यास का सार निकालने की कोशिश की जाए तो यही आयेगा कि विभाजन अब बंद होने चाहिये।
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भाग 1

21 जुलाई 2022
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एक भूली हुई दास्तान उसे याद आती है  ।   वह तो एक बंजर जमीन से आया था ।  खामोश  आकर्षणों की दुनिया से जहां कहां कुछ भी नहीं जाता । मन ही मन में कुछ अरमान करवटें लेते हैं । अनबूझी इच्छाएं आती और चली जा

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भाग 2

21 जुलाई 2022
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- हुआ या था नहीं स !  पहले या सुनिए कि हुआ क्या है...... उसने चौक कर आवाज की तरफ देखा था उसका एक में 3 सहायक स्टोनो और अर्दली महमूद उसके सामने खड़ा था।  उसके हाथ में टेलीप्रिंटर से आई खबरों के कुछ कु

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भाग 3

21 जुलाई 2022
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खत भेजने के बाद अभी बहुत परेशान था । वह सोच रहा था कि उसके उद्गार और विचार कहीं देश की रक्षा सुरक्षा के नाम पर दूसरों के लिए मौत तो पैदा नहीं करते क्या एक के जीवित रहने के लिए दूसरे की मौत जरूरी है?

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भाग 4

21 जुलाई 2022
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और तभी यूरोप के सम्राट गिल गमेंश की गूंजती आवाज आई -  - मैं पीड़ा से लड़ लूंगा यातना सहूँगा  कुछ भी हो मैं मृत्यु को पराजित कर लूंगा मैं मृत्यु से मुक्त की औषधि खोज कर लाऊंगा !  सम्राट गिल गणेशा की

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भाग 5

21 जुलाई 2022
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वहां मौजूद तमाम देवताओं की चिंता का एक स्वर में अनुमोदन किया और देवी तान्या ने तब उन्हें आगाह करने वाला भाषण दिया दजला फरात और डेन्यूब की परा धरती के समस्त देवताओं तुम सब आज चिंतित हो क्योंकि मनुष्य म

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भाग 6

29 जुलाई 2022
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उसी कहानी में शामिल है बूटा सिंह और रेतपरी किया की  यह कहानी राजस्थान का तपता रेगिस्तान कोई चीखा बन गया साला पाकिस्तान आसमान की आंख सूखी हुई थी उनमें एक बूंद भी पानी नहीं था मौसम विभाग के वैज्ञानिक

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भाग 7

29 जुलाई 2022
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बूटा सिंह जब जीने के लिए कपड़े लेने निकला था पाकिस्तान नाम की लकीर तो फिर चुकी थी मौसम विशेषज्ञों की भविष्यवाणी सही साबित हुई रक्त की वर्षा हो रही थी रेत परिचय नहीं अभी भी गर्दन तक रेत में दबी हुई है

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भाग 8

29 जुलाई 2022
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आतंकी देवताओं ने धरती की ओर देखा वह सकते में आ गए जो लोग के समस्त सफेद पंखों वाले पंछी देवदासी रोना को लेकर मित्रों पर उतर रहे थे "के समय उसके साथ अभी सभी तरह के पंछी पखेरू शामिल होते गए थे उनमें अंजन

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भाग 9

29 जुलाई 2022
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बूटा सिंह ने कपड़ों की जोड़ी लाकर जीने के पास रख दिया और पूछा निकालूं तुम बाहर जाओ मैं निकाल आऊंगी धीरे-धीरे जैनेब रेट टिकट दे से निकल आई उसने तार-तार हुई कुर्ती को उतारा और वही संभाल कर रख दिया ना जा

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भाग 10

29 जुलाई 2022
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बूटा सिंह ने कपड़ों की जोड़ी लाकर जीने के पास रख दिया और पूछा निकालूं तुम बाहर जाओ मैं निकाल आऊंगी धीरे-धीरे जैनेब रेट टिकट दे से निकल आई उसने तार-तार हुई कुर्ती को उतारा और वही संभाल कर रख दिया ना जा

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भाग 11

6 अगस्त 2022
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उसके  अदालत के दरवाज़े पर रक्त  दस्तके  पड़ने लगी । वह दस्तक  से परेशान था। परेशान नही  पागल। और फिर दस्तक  पर दस्तक  ।पश्मी सीमांत से एके-47 चीनी राइफल ने दस्तक दी । हथियार बनेंगे तो चलेंगेभी ।  उत्तर

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भाग 12

6 अगस्त 2022
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वह कौन सी तारीख थी।  इब्राहिम लोदी से मैंने पार्क पानीपत की लड़ाई 20 अप्रैल 1526 को जीती थी और रजत 15 जुम्मे के दिन यानी 27 अप्रैल 1526 को मारे मेरे नाम का खुतबा पढ़ा गया था या खुद बा मौलाना महमूद और

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भाग 13

6 अगस्त 2022
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अजीम फैजाबाद स्टेशन पर उतरा ही था कि वह धमाकेदार झापड़ उसके पड उसके पड़ा स्टेशन की दीवार पर लिखा हुआ नारा सामने खड़ा था बोला फैजाबाद आए हो तो पहले इसे पढ़ पढ़ो इसमें लिखा था कि अपने धर्म स्थानों का अप

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भाग 14

6 अगस्त 2022
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बस आग लगाते घूम रहे हैं सब ही ना ही चाह सोजत की भारत का क्या होगा पहले ही या हिंदू मुसलमान को लगवाना चाह ना ही लड़ बाय पाए तो अब शिया सुन्नी को डलवाना चाहते हैं अब पानी शरबत बिस्कुट और मूंग के दाल मोड

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भाग 15

6 अगस्त 2022
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हुजूर इन कानूनी बारीकियों में मत जाइए अन्याय अन्याय है अन्याय ग्रस्त औरत की जिंदगी तो मौत से बदतर होती है तुम ठीक कह रहे हो महमूद अली अदालत सीखी तो पूरी श्रेष्ठ कांप उठी नहीं मैं मुद्दों के अलावा जिद्

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भाग 16

6 अगस्त 2022
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नक्सलवाद का समर्थन कर रहे थे एक के बाद एक ताने कसे तो इमाम नाजिश बौखला गए और और बोले तब तुम भी हमसे कहां लगते अधीन तुम अमृता प्रीतम करतार सिंह दुग्गल मोहन राकेश भीष्म साहनी देवेंद्र सत्यार्थी और यहां

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भाग 17

6 अगस्त 2022
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और मार दो अपने ही सब सृष्टि की रचना की थी उसने अपने दादा अनु को आकाश का सम्राट बनाया था अपने पिता ऐसा को धरती का और तब माधुरी ने एक महा मंदिर बनाया था कि आकाश के देवता और ईश्वर जो उसकी प्रजाति धरती पर

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भाग 18

6 अगस्त 2022
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जी शायद आप मुझे ठीक ही पहचान रहे हैं सलमा की जान में जान आई मैं सीएसपी के जनाब आफताब अहमद की हूं  और हिंदुस्तान में रहती हूं वह मेरे नाना है सलमान ने कहा तब पुलिसवाला कुछ नाराज सा होकर काउंटर वाले से

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भाग 19

6 अगस्त 2022
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अदालत में क्या कह रहे हो तुम मैं तो कराची के होलीडे इन होटल के रेस्टोरेंट में बैठा हुआ था और सलमा से बातें कर रहा था हुजूर आपकी यादों की परछाई का नाम क्या है या तो मुझे नहीं मालूम पर आपके होंठ मिलता ल

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भाग 20

6 अगस्त 2022
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तब अजीब चीन से लौट आया था सलमा भी अपने नाना से मिलकर कोटा से लौट आई थी उसे उम्मीद नहीं थी कि इतने महीनों बाद भी सलमा उस पेपर नैपकिन पर लिखे पते पर फोन का नंबर को संभाल कर रखे गी पर उसने रखा था ना रखा

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भाग 21

6 अगस्त 2022
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नहीं नहीं तो या नीम की पत्तियां झड़ रही है ना हां पतझड़ का मौसम है ना नहीं या अंधेरे का मौसम है लगता है मेरा पति पति झड़ रहा है तो एक बात क्यों ना करें क्या हम न कुछ पूछे न जाने अपने रवा अति जिंदगी के

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भाग 22

13 अगस्त 2022
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बिस्तर उनका इंतजार कर रहा था वह भी  वह भी त्रियोबिश की  रेती की तरह साफ़ था। मेरे संपर्क से छूने से कुछ ऐसा तो नहीं जो तुमने जीवित होता हो और मेरा प्रतिकार करता हूं नहीं ऐसा भी कुछ नहीं सलमा ने बहुत गह

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भाग 23

13 अगस्त 2022
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जब अजीब और शर्मा कॉटेज से निकले तब भी नीले फूल खिले हुए थे। सलमा ने साड़ी पहनी थी बदन में बाकी फूल तो साड़ी और ब्लाउज के अंदर उन देशों की तरह समा गए थे । प्रभावों पर उन नीले फूलों की जो लेटर उतर आई थी

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भाग 24

13 अगस्त 2022
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वह मेरा बेटा ही सही पर मर्द हो जीने के लिए कहीं मुश्किल नहीं होता मैं एक रिश्तेदार की तरह आपको राय देता हूं कि बेहतर होगा कि आप अपने बेटे के साथ अपने नाना के पास पाकिस्तान लौट आए नईम ने कहा आप तो बिल्

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भाग 25

13 अगस्त 2022
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कुछ नहीं ऐसे लोग आकर यहां क्यों नहीं समझते कि मुसलमानों के नाम पर पाकिस्तानियों को बोलने का कोई हक नहीं है आज है हिंदुस्तान में पाकिस्तान से ज्यादा मुसलमानों पाकिस्तान से ज्यादा इस्लाम की समझने वाले ल

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भाग 26

13 अगस्त 2022
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सलमा और अधीन ने मजहब तो नहीं बदले पर उन्हें इस बात में मजा जरूर आने लगा या उनके लिए जैसे खेल की बात बन गई सबसे पहले तो उन्होंने जगह बदली वह पूरब की ओर भागे भागते भागते ब्लैक रिवर के घने जंगलों को पार

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भाग 27

13 अगस्त 2022
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वह आवाज बिजली की तरह तड़प और कड़क रही थी और अब वह कौन सी भी कमरे में खड़ी हो गई थी अजीब या कौन है डर से असहमति सलमानी उसके कंधे के पीछे छुपे हुए पूछा मैं चला दो आलमगीर औरंगजेब का जल्लाद मैं कोतवाल भी

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भाग 28

13 अगस्त 2022
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इस्लाम में हर कुदरती जरूरत के लिए जगह है लेकिन जब मजहब और सियासी फायदे के लिए नफरत में बदला जाता है तो एक नहीं तमाम पाकिस्तान पैदा होते हैं मेरी बच्ची तुम्हारी जिंदगी को इस गलत विभाजन ने तोड़ दिया है

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भाग 29

13 अगस्त 2022
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गहरी नहीं जरूरी अंग्रेजों और जिन्ना साहब ने सोचा ही नहीं था कि जब हिंदुस्तान नाम का मूल नसीब होगा तब मेरी जैसी एक सलमा कैसे तक्सीम होगी और वह अपनी इज्जत कहां  कहां तलाशग अदीब ने उसे बहुत प्यार से पुका

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भाग 30

13 अगस्त 2022
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तभी नूरजहाँ  उसका ध्यान नीचे मौजूद रियाया की तरफ दिलाया उधर देखिए हुजूर इतने दिनों बाद आप बाहर निकले आपकी रे आया आपके दीदार के लिए उम्र पड़ी है तभी भीड़ ने पुरजोर आवाजें का आने लगी बादशाह सलामत जिंदाब

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भाग 31

13 अगस्त 2022
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मुझे जाना चाहिए वक्त आप को माफ नहीं करेगा और फिर आपको भी वक्त की बरात बर्बादी का मलाल कठोरता रहेगा सारा शगुफ्ता देखिए आपके अर्दली साहब बेसब्री से आपका इंतजार कर रहे हैं चलने से पहले एक यशपाल दरख्वास्त

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भाग 32

13 अगस्त 2022
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मैंने कोई निमंत्रण बाबर को नहीं भेजा था राणा सांगा नितेश में कहा तुम्हारा वह दावत नामा मेरी तिवारी बाबरनामा में दर्ज है और वह दस्तावेज आज का नहीं सोलवीं सदी का है अगर या गलत है तो तुमने तब क्यों नहीं

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भाग 33

15 अगस्त 2022
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 या गलत है हमारी गलती से विभाजन तो एक सच्ची घटना में तब्दील हो गया था पर विभाजन के भयानक दौर में भी सिंध में मारकाट नहीं हुई हमने मन ही मन अपनी ऐतिहासिक गलती मंजूर करते हुए बहुत भरे दिल से अपने हिंदू

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भाग 34

15 अगस्त 2022
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मुसलमान का था मीरा का था कबीर का था नाना कोटा कोलकाता सुब्रमण्यम भारती और नज़रुल इस्लाम कथा संत रैदास के और ज्ञानेश्वर का था किसका खुदा नहीं था लेकिन इंक इकबाल ने खुदा के मस्जिदों में कैद कर देने का प

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भाग 35

15 अगस्त 2022
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और आपकी सलमा जो खुदा हाफिज कह कर चली गई है इस अहम अदालत का कारोबार रोक कर आपको फिर अपने लिए हासिल करने की कोशिश में लगी है और उधर आपके दोस्त भवानी सिंह उप ईरान की राजधानी तेहरान से लौटकर कुछ जरूरी बात

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भाग 36

20 अगस्त 2022
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हुजूर हमसूफी है इस पागल शहंशाह ने हुजूर पैगंबर के जन्मदिन पर गाए जाने वाले हम हमारे भजनों पर भी पाबंदी लगा दी तब हम सूफी संतों को उसके गुर्गे और दरोगा मिल जावा वाकर के खिलाफ गोलबंद होकर निकलना पड़ा इस

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भाग 37

20 अगस्त 2022
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मौका पाते ही सल्तनत के वजीरे खारी खारी जा राजा रघुनाथ को हटाकर या वादा किसी से मुसलमान को दिया जाए किसी हिंदू अफसर के नीचे मुसलमान को तैनात किया जाए और अब खुलकर इन काफिरों हिंदुओं को बता दिया जाए कि व

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भाग 38

20 अगस्त 2022
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यही कि जो मैंने किया वह गलत भी था वह सही भी था सर जमीन ए हिंद की नजर में मैंने बहुत कुछ गलत किया जो मुझे शायद नहीं करना चाहिए था लेकिन इस्लामी मिल्लत की नजर में जो कुछ मैंने किया वह शायद सही था ऑरेंज

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भाग 39

20 अगस्त 2022
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तभी इतिहास के करोड़ों पन्नों से चीखती हुई आवाज आने लगी औरंगजेब तुम जालिम हो तुमने पोस्ते का पानी पिला पिला कर मुराद को मारना चाहा जब वह तंदुरुस्त शहजादा अफीम के पानी से नहीं मारा तो तुमने उसे चला दो उ

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भाग 40

20 अगस्त 2022
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शिब्ली नोमानी बड़े जोश खरोश से बता रहे थे मजहब की शक्ति का अगर किसी ने पहली बार इस्तेमाल किया तो बस सिर्फ यही दिलेर आलमगीर था कहीं ऐसा तो नहीं कि औरंगजेब ने इस्लाम का सहारा अपनी कमजोरियों और जातियों क

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भाग 41

20 अगस्त 2022
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तुम लोग कहर की बात करते हो हम कयामत बरपा करेंगे और मिस्र में बाप कुछ भी नहीं जिंदा छोड़ेंगे जो इस्लाम से पहले का है हम उसे बराबर करके रहेंगे दूरदराज अमेरिका से आई वहां मिस्र का मूल्य से कुमार अब्दुल र

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भाग 42

20 अगस्त 2022
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या तेज भाई जारी थी कि लश्कर मंदिर के उत्तर पूर्वी तरफ अबू हज आज मंदिर से इमाम वाहिद मोहम्मद अपनी ने भय ग्रस्त आंखों से जाकर देखा यहीं इसी मस्जिद में अपने समय के सबसे बड़े विद्वान अबू हज्जाज दफन हैं जि

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भाग 43

20 अगस्त 2022
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इसीलिए पश्चिम वाले ईरान की इस्लामी क्रांति की को आत्मसात नहीं कर पाए अयातुल्लाह खोमेनी और इस्लामी क्रांति में ईरान जैसे सभ्यता संपन्न देश को फिर एक बार उसकी दूरी दे दी आज अपनी धुरी पर लौटकर ईरान अपने

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