मुसलमान का था मीरा का था कबीर का था नाना कोटा कोलकाता सुब्रमण्यम भारती और नज़रुल इस्लाम कथा संत रैदास के और ज्ञानेश्वर का था किसका खुदा नहीं था लेकिन इंक इकबाल ने खुदा के मस्जिदों में कैद कर देने का पाप किया जिन्ना और एक बाल इस सदी के सबसे बड़े शैतान थे शैतान जी एस सैयद में थे अदालत में सन्नाटा छा गया हुजूर मैं महात्मा गांधी की समाधि पर एक चिराग जलाने जाना चाहता हूं ।
जीएसटी अरनेजा की जाइए अर्दली ने अजीब से पूछ कर इजाजत दे दी तभी कराची से भी ग्रस्त लोगों की आवाजों ने आक्रमण किया तो क्या यह जाहिर अल्फाज हुसैन जो कुछ दिन में कर रहा है वही वह सही है नहीं वह सरासर गलत है और खतरनाक मानती है जिसके आधार पर पाकिस्तान बनाया गया तो अगली सदियों में एक मानवीय विश्व नहीं बनेगा तब यही विश्व कब्रिस्तान बन जाएगा और हर व्यक्ति अपनी अपनी सोच का कब्रिस्तान बनाना चाहेगा जिसे वह अपना पाकिस्तान पुकारेगा तब अगली सदियों की शक्ल क्या होगी अति पागलों की तरह सीख रहा था ।
अल्ताफ हुसैन और डॉक्टर हेलो पोता को कोई अधिकार नहीं है कि वह पाकिस्तान की आवाम को खूब खून की के दरिया में डुबो दे पाकिस्तान की तानाशाही पंजाबी हुकूमत मेरे जैसे पाकिस्तानियों की रातों की तलवार को नहीं छीन सकती राधे हाथों में नहीं हमारे दिलों में है या तो सबसे बड़ा खतरा है या अल्ताफ दिलों की तलवार बनने से रोको दिलों में खुदाई रहमत और इंसानी जज्बे को पनपने का मौका दो अगर इंसान के दिल की धरती को तुमने खून की ख्वाहिश से सीख दिया तो पाकिस्तान भी वीरान हो जाएगा और या वीरानी हर मुल्क हर संस्कृति और सभ्यता में फैलती चली जाएगी ।
इसीलिए अल्फा अल्ताफ हुसैन मनुष्य के बुनियादी संघर्ष को पहचानो और पाकिस्तान में फिर फौजी तानाशाही की हुकूमत के दरवाजों मत खोलो आज बहादुरी भौतिकवाद की यांत्रिक ताकि गुलाम है कोई फौजी कोई आदमी यांत्रिकी मदद के बिना बहादुर नहीं इसे समझो और जाति दुखों को नफरत की दुनिया से बाहर निकल कर एक बेहतर और न्याय संगत पाकिस्तान की तामीर में हाथ बताओ मुझे बदला लेना है अल्ताफ हुसैन तमक कर चीखा पाकिस्तान हमने बनाया है इन पंजाबियों बलूचोर सिंधियों और फक्त उन्होंने नहीं पाकिस्तान बनाने की कीमत हम अवध और बिहार के मुसलमानों ने चुकाई है ।
असली पाकिस्तान तो हम हैं हमें इन नकली पाकिस्तानियों से हिसाब चुकाना है अल्ताफ हुसैन घड़ा बदले की भावना और खून खराबे से इंसान को आजाद करो ताकि आने वाली सदियां गुमराह ना हो पाए अभी बोल ही रहा था कि अर्दली में तूफान की तरह अदालत में दाखिल होते ही राग और सद्दाम हुसैन जैसे तैसे संभाला फिर पेश किया हुजूर यह इराक के सद्दाम हुसैन है यह बहुत सीख रहे हैं क्या बात है सद्दाम हुसैन अदालत ने पूछा अदिव्या लिया आज इराक और ईरान के बीच चल रही जंग के खात्मे होने की सलाह सालगिरह है सद्दाम ने बताया या तो बड़ी अच्छी बात है नहीं क्यों अमन की इस सालगिरह के दिन अब अमेरिका सऊदी अरब और ईरान ने अपनी अपनी वजह से हमें खत्म करने की वीरा उठाया है ।
लेकिन क्यों आखिर सऊदी अरब और ईरान भी तो मुस्लिम मुल्क हैं एक ही मजहब को मानने वाले मुल्कों में या दुश्मनी कैसी क्यों इस्लाम को अपने दायरे में बांधना चाहता है इसीलिए वह मेरी और मेरे मुल्क के मूल मुखाल्लत करता है खासतौर से इसलिए कि ईरानी नसों में आर्यों का खून बहता है और वह अब अब तथा सुन्नियों को मंजूर नहीं करता लेकिन सद्दाम हुसैन सऊदी अरब तुमसे ज्यादा अरबी है वहां सुननी भी है तब वह तुम्हारा साथ क्यों नहीं देते क्योंकि उन्हें शक है कि दल जाफरान की वादी में अब हम और अब भी मुल्ता आर्य हैं ।
हमारी नसों में बहु हम बहते खून को सऊदी अरब वाले और उनके गुरु गुर्गे भी मंजूर नहीं करते हम सुन्नी हैं पर अरबी लोग हमारे खून को अरबी इस्लामिक उनसे अलग मांगते हैं सद्दाम हुसैन बोले ही रहा था कि अर्दली ने बीच में धोखा हुजूर आप तो गैर गैर जरूरी बहस में उलझ गए सारी सर्दियों रुकी हुई है हिटलर खड़ा है मोहम्मद बिन कासिम आठवीं सदी से खड़ा है मोहम्मद गजनबी अपनी सबूत लिए 10 वीं सदी से मौजूद है सोलवीं सदी का बाबर अभी अपनी बात और जीरे पूरी नहीं कर पाया वह 17 वी सदी के बंद होते दरवाजे पर औरंगजेब अपनी बारी का इंतजार कर रहा है और बीसवीं सदी की सारा शगुफ्ता अभी तक अपने बेटे की लाश के लिए कोने में खड़ी है शहीद कब से अपनी बात कहने के लिए आपका इंतजार कर रही है ।