वह आवाज बिजली की तरह तड़प और कड़क रही थी और अब वह कौन सी भी कमरे में खड़ी हो गई थी अजीब या कौन है डर से असहमति सलमानी उसके कंधे के पीछे छुपे हुए पूछा मैं चला दो आलमगीर औरंगजेब का जल्लाद मैं कोतवाल भी हूं और जल्लाद भी वही चला जिसने जमा मस्जिद की सीढ़ियों पर शुभी शर्मा का सिर धड़ से अलग किया था मैं वही हूं जिसने शिवाजी के बेटे संभाजी को की जुबान काटी थी और भरे दरबार में उसकी दोनों आंखें होठों से निकाली थी मैंने भी मैंने ही कोर्ट पिथौरा के किताबों में गोदाम को तहस-नहस किया था उन्हें जलाया था किताबों का एक एक खबर जलाकर राख कर दिया था खामोश या काली तत्वों का नुमाइंदा है जो संभावना और उसके उज्जवल इतिहास को रोकना चाहती है|
ऐसे जल्लादों में ही दुनिया को बदलने से रोका है कोई जल्लाद अपने वक्त का प्रवक्ता नहीं बन सकता पता है कोई किताब मरती नहीं हुआ अभी सिर्फ चोला बदलती है जिन किताबों को तुमने पढ़ा और जलाया था उनके विचार सफेद घोड़ों की शक्ल में उड़ गए तूने नहीं देख पाया या आवाज और कर्जदार थी सामने इतिहास पुरूष फिर खड़ा था क्योंकि इतिहास के शहंशाह अलमगीर को बदनाम कर रहा है हालांकि औरंगजेब ने बड़े कहर ढाहे है लेकिन वह फिर भी शहंशाह था उसने 10 गलत काम किए तो एक आद अच्छा काम भी किया होगा औरंगजेब अगर अकबर के रास्ते पर चला होता तो आज हिंदुस्तान का नहीं दुनिया का नक्शा दूसरा होता इस्लाम विश्व धर्म की 14 ज्ञान व्यापी शब्द का हुआ होता लेकिन औरंगजेब या नहीं कर पाया लेकिन कुछ भी सही आलमगीर को तेरे जैसे रिद्धि समर्थकों की जरूरत नहीं है !
तुझ जैसे जल्लादों की वजह से ही आलमगीर और बदनाम हुए हुआ देख देख सकता है देख औरंगजेब ने अपनी कब्र में औरंगजेब की आसमानी नींद तूने तोड़ दी कब्र में करवट बदल रही है अरे शर्मा जी बात तो तूने आज साहू जी को भी दी थी जब वह सिर्फ 7 साल का था उसे हजारी का पद दिया था और राजा का खिताब उसे पढ़ाने के लिए आया था उसकी सही देखभाल के लिए एक दीवाना था उसके दोनों छोटे भाइयों मदन सिंह रुप सिंह को युवाओं का दर्जा दिया था औरंगजेब ने समस्त दक्षिण एशिया की तारीख बदलने की कोशिश की इसके लिए वह मजहब का इस्तेमाल ना करें ! तो बेहतर होता नहीं मजहब तो हम मुसलमानों की जीत है जल्लाद ने चेक कर कहा औरंगजेब ने हमें मुसलमान होकर जीना सिखाया उसने कहा अस्सलाम वालेकुम नमस्कार या राम राम की जगह मंजूर करो उसने शहंशाह की दर्शन प्रथा को खत्म किया ताकि वह काफिरों को अलग कर सके क्योंकि दर्शन परंपरा और कुछ नहीं मूर्ति पूजा थी वह चाहे शहंशाह की हो क्यों ना हो हमें हिंदू दर्शन परंपरा को बंद किया और हमने इस्लाम के तहत आलमगीर परदादा शहंशाह अकबर और उसके बड़े भाई धारा शिकवा का विरोध किया क्योंकि वे करीब करीब काफिर हो गए थे !
अकबर और धारा शिकवा हिंदुस्तान में मौजूद धर्म और आध्यात्मिकता में इतिहास के आध्यात्मिक सोच की परंपराओं को उठा देना चाहते थे यह सभ्यता और संस्कृत के समीकरण का एक बहुत बड़ा ऐतिहासिक अवसर था पर औरंगजेब ने इस अवसर को अपने और भाइयों भतीजे की हत्या की अंगूठा के तहत नामंजूर किया एक इस्लामी इलाके की परिकल्पना की जो इंसानी मोहब्बत पर नहीं बल्कि नफरत पर आधारित था उसने तिब्बत से लेकर गोलकुंडा बीजापुर बंगाल से लेकर काबुल कंधार तक के इलाके को उसकी धार्मिक और सांस्कृतिक जूतों और खूबियों को नकार कर इस्लामी राज्य का सपना देखा था इसीलिए औरंगजेब ने मरा हुआ जो बदलती दुनिया में एक जिद्दी मुसलमान बादशाह बनकर मराठों से हारकर और अंग्रेजों का रास्ता खोल कर चल बसा या गलत है !
अंग्रेजों को बागडोर उसकी निकम्मी औलाद नहीं सौंपी वह भारत का पैसा मक्का और शरीर को हर साल भेजता था मक्का शरीफ के लोग भारत आते और भर भर कर पैसा ले जाते या वही पैसा था जो जजिया के रूप में काफिरों से वसूल किया जाता था भारत को अपना मुल्क मानता ही नहीं था इसीलिए उसने अंग्रेजों को सूरत और मुंबई के बंदरगाहों पर पर तिजारत की खुली छूट दी थी इसीलिए अंग्रेज इतिहासकार लेन पूर्ण ने उसे बहुत समझदार और इंसाफ पसंद बादशाह कहा इस या भी कहा कि उसके निजाम में काफिरों पर जो कुछ जुल्म होते भी थे वह सिर्फ इसलिए कि वह कट्टर मुसलमान था अगर वह भारत को अपना मुल्क नहीं मानते तो वह आज तक औरंगजेब में जमींदोज ना पड़े रहते जल्लाद ने कहा कुछ भी हो सारी ता तारीख 1 तारीख है बताती हैं कि औरंगजेब से बड़ा मुसलमान बादशाह दुनिया में नहीं हुआ किताबों में लिखा है उसने दिन दिन के लिए अपनी जिंदगी सौंप दी किताबों में लिखा है कि आलमगीर ने तैमूर खानदान की अजमत में चार चांद लगाए
उसी तैमूर की अजमत में जिसने इस्लाम का मजाक उड़ाते हुए कहा था आसमान का खुदा तो नहीं दिखाई देता लेकिन जमीन का खुदा दिखाई भी देता है और सुनाई भी देता है वह बादशाह उसी तरह जैसे आसमान में ए खुदा उसी तरह जमीन पर भी एक बादशाह होना जरूरी है वह इस्लाम को ताक पर रखकर खुदा को खुदा का दर्जा देता था तुम दारा शिकोह की तरह बुद्धिमान नहीं तुम तैमूर अब्दाली औरंगजेब की तरह जाहिल जाहिल और अनपढ़ हो और अनपढ़ हजारों की परंपरा में जल्लाद ही पैदा हो सकते हैं खैर इस बहस को छोड़ो इतना बताओ कि तुम सलमा और अभी तो कुछ लम्हे जीने के लिए कुछ वक्त दोगे या नहीं इतिहास पुलिस ने सवाल किया हमारी हदीद हमारी शरीयत किताबों की बात मत करो !
जल्लाद इस्लाम की किताबें बहुत तुमने बहुत बड़ी बड़ी है पर तुमने किताबों की किताब रहने कहां दिया तुम कितने किताब के नाम पर खुद को लागू करते हो नाम किताब का लेते हो तुम कौन सी किताब लागू करोगे सब ने अपना-अपना पेश किया इन चारों पत्तों को भी अलैहे हदीस का पंथ मंजूर नहीं करता सुनियो ने आपसी झगड़े हैं सिया तो इसमें अलग अपनी ही व्याख्या मंजूर करते हैं इन पौधों को किस देश से आंखों के खुदा के लिए तुम किताबों को अपनी जाति उसूलों और व्याख्या ओं का गुलाम मत बनाओ इन दोनों का खुदा रहमत पर जीने दो खुदा के सब सब को सुकून से जीने का हक दिया है इन्हें जिंदगी में जीने दो अल्लाह जल्लाद में किताबों के हाथों में मत बांधो भरोसा बातचीत में नहीं मुझे बहस में मत उलझा सवाल तो उस औरत का है और औरत खुली ब्याई में पढ़ी गई है इसमें अल्लाह की तय हुई पदों को लहंगा है इसलिए इन दोनों की बहस के बीच सलमान लगभग बेहोशी हो गई वह समझ ही नहीं पा रही थी कि क्या हो गया है सलमा मुसलमान होना या मुसलमान रहकर जीना इतना मुसलमान बना दिया गया है क्या मुसलमान होते हुए भी जीने में शर्ते सिर्फ किताबों की शर्त है मैं जिंदगी के कुदरती और बड़े उसूलों के लिए कोई जगह नहीं है !