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भाग 20

6 अगस्त 2022

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तब अजीब चीन से लौट आया था सलमा भी अपने नाना से मिलकर कोटा से लौट आई थी उसे उम्मीद नहीं थी कि इतने महीनों बाद भी सलमा उस पेपर नैपकिन पर लिखे पते पर फोन का नंबर को संभाल कर रखे गी पर उसने रखा था ना रखा होता तो फोन कैसे करती और यह भी किसी खुशनुमा सी बात थी कि अजीब को मकान बदली बदलना था तभी फोन आया था नहीं तो पता भी पता हो जाता और फोन नंबर निकाल कराची हेलीपैड इन में वह नाश्ता हुआ एक सपना जो दोनों के सपनों में से एक आया था वह और अब इस मकान और फोन नंबर का लगभग आखरी दिन कहां से बोल रही हो आप पटना से क्यों मेरे फोन की तो उम्मीद ही नहीं होगी आपको एक हल्की सी उम्मीद तो हर दिन थी पर वह उम्मीद ही क्या जो पूरी हो जाए मतलब यह की उम्मीद चोरों की तरह फैलती है फोन ना आता तो फोन आने की उम्मीद रहती फोन आ गया तो दूसरी उम्मीदें सांस ले रही है मैं दिल्ली आ रहा हूं अब बता ही दूं मैं दिल्ली से ही फोन कर रही हूं कहीं मिलोगे आप जहां आपको अच्छा लगता हो इंडिया गेट मानसिक रोड जहां रास करती है वही नहर के पास एक मस्जिद का पिछवाड़ा है । 

पिछवाड़े क्यों अल्लाह का घर मस्जिद के पिछवाड़े ही होता है शाम इसके आगे वक्त ना बताए तो बेहतर होगा क्यों इसलिए की जगह आपने बता दी मैं जिंदगी उसी जगह आपका इंतजार करूंगी देखते हैं कौन किसका इंतजार करता है और जब अजीब करीब 6:00 बजे मस्जिद के पिछवाड़े पहुंचा तो देखा सलमा घास के घेरे खड़े कालीन पर बैठी थी धूप के तिनके तोड़ती उसने गाड़ी पार्क की तो देखकर पहचानते ही वो उठ कर खड़ी हो गई उसकी पलकें झुकी हुई लहर की तरह थमी हुई थी अधिक पास पहुंचा तो ना वह हाथों में हाथ पकड़ पाए ना किसी के हाथों में हाथों ने कोशिश की पलकें पलकों की लहरों अपनी जगह उसने उसने गिरने लगी मुझे पता या कहो मुझे लगा था सलमा बोली थी क्या क्या आप कुर्ता पजामा पहन कर आएंगे और वही सच हुआ कुछ ऐसा ही खाली डे इन कराची में मेरे साथ भी हुआ था याद है वह प्लेन क्रैश वाला सपना उसमें मैंने आपको जिस सलवार कुर्ते में देखा था वह वह वही सलवार कुर्ता पहने आप मुझे नाश्ते पर मिली थी आखिर ऐसा कैसे होता है ऐसा कैसे हो सकता है ऐसा कैसे हो रहा है जो सोचो वही सामने आ जाता है अजीत ने कहा था । 

 क्या पता अल्लाह को बेहतर मालूम होगा आप हमें एक चॉकलेट आइसक्रीम नहीं खिलाएंगे और अजीब आइसक्रीम लेने आ गया तो शर्मा वहीं खड़ी रही वह साथ नहीं आई आइसक्रीम लेकर दोनों फिर घास पर बैठ गए थे अंधेरा उतर आया था आइसक्रीम वाले ठेले के पास रौनक बढ़ गई थी और तब उसने सलमा से एक बहुत गहरा सवाल किया शर्मा अजीत नहीं कि मूर्ख का पार्टीशन हुआ पाकिस्तान बना तो तुम्हारे घर वाले पाकिस्तान छोड़कर हिंदुस्तान भागे सारी सॉरी आपके घर वाले नहीं या तुम्हारे और तुम भी ठीक हैं सलमान का यानी अजीब खानदान है तुम्हारा नाना पाकिस्तान में यादों को लेकर हिंदुस्तान में और जब पाकिस्तान बना तो मुसलमान घर भाग्य पर तुम्हारे वालिद पाकिस्तान छोड़कर हिंदुस्तान भागे या अजीब नहीं है क्या उसने पूछा इसमें अजीब क्या है या तो मेरे अब्बू ने बताया इस्लाम की नजर में पाकिस्तान का बनना ही गुनाह है क्योंकि इस्लाम नफरत नहीं सिखाता पर पाकिस्तान की बुनियाद नफरत पर रखी गई है इस्लाम जैसे मजहब किसी मुल्क की सरहद में कैद कैसे की जा सकती हैं कोई मजहब नहीं किया जा सकता इस्लाम तो खासतौर से नहीं सलमा अभी या बोल ही रही थी कि ऊपर ऊपर खड़े एक साहब मेट्रो का यह लड़की क्या बक रही है तो पाकिस्तान इसलिए बना की आजादी से पहले हिंदू मुसलमानों के दिलों में एक दूसरे के लिए शक और नफरत थी मुसलमानों के हकों की गारंटी नहीं थी समझी इसीलिए पाकिस्तान बना वे साहब चीख उठे थे आप कौन अदीब ने पूछा मैं इंडिया यूनियन मुस्लिम लीग का प्रेसिडेंट गुलाम महमूद बनातवाला हूं तब तुम पाकिस्तान क्यों नहीं चले जाते ।

तुम कौन मैं चंद्रकांत भरद्वाज आर एस एस अलीगढ़ का चीफ तुम तो सो भी मुसलमानों की ड्रेस द्रव की परंपरा पुरानी है तुम कभी राष्ट्रवादी हो ही नहीं सकते हां नहीं हो सकते इस्लाम राष्ट्रों की मूर्खों की शर्तें मंजूर नहीं करता हम राष्ट्रीयता को नहीं मानते हम तो दारुल इस्लाम में यकीन करते हैं दारू हरम में नहीं एक और आवाज आई तुम कौन मैं दुखी हूं मौलाना ऐसे मोदी मोदी मोदी तुम्हारी मानसिकता मैं समझता हूं तुम तो हिंदुस्तान को दारू सलाम बनाना चाहते थे पर समझ लो कि दुनिया के नक्शे पर सिर्फ अखंड हिंदुस्तान रहेगा तुम जैसे देशद्रोहियों के कारण हिंदुस्तान में भी पाकिस्तान सिक्का चलेगा हम नहीं होने देंगे नहीं होने देंगे समझे एक और आवाज गाड़ी थी सलमा सैनी हुई थी राजीव ने पूछा आप कौन मैं विनायक दामोदर सावरकर और आप तो राष्ट्रवादी से हिंदूवादी नहीं वह पाकिस्तान का इंकलाब भी तो राष्ट्रवादी था जिसने लिखा था ।

सारे जहां से अच्छा हिंदुस्तान हमारा और देखते ही देखते इंसान शैतान में बदल गया और तब उसने अपने तराने को बदला चीनो अरब हमारा हिंदुस्तान हमारा मुस्लिम है हम वतन है सारा जहां हमारा तब मैं क्यों नहीं बदल सकता इस पवित्र हिंदू देश में छात्र संविधान भी चलेगा सभी अभी संभाल कर बोल ही रहे थे कि मुशीराबाद का नवाब विवान चीखने लगा हिंदू हिंदुस्तान एक मुस्लिम मुल्क है जहां शरीर कानून की चलेगा सांसों के नहीं चुप रहो मुर्शिदाबाद के नवाब दीवान तुम्हारे पूर्वज हिंदू थे अल्मा इंकलाब जिंदा से मोहम्मद अब्दुल्ला तक के पूर्वज हिंदू थे कौन अपने हिंदू धर्म से इनकार करेगा लेकिन तुम लोगों ने रक्त संबंधों को स्वीकार नहीं किया तुमने नस्लों को भी मंजूर नहीं किया धर्म बदलने से दर्द और नस नहीं बदलती लेकिन तुम बदल गए अंग्रेजों से ही मार खाने के बाद भी तुम्हारा यह दर्द नहीं गया तुम शासक और विजेता वर्ग के लोग हो पर तुम तो विशुद्ध हिंदुस्तानी से सिर्फ तुम्हारा धर्म हुआ था जो मध्य शासकों का था तुम्हारी पूजा पद्धति बदली थी ।

इसीलिए और संस्कृत नहीं समझे समर कर करीब-करीब भाषण देने लगे हंगामा बरपा होने लगा तो इंडिया गेट पर गश्त लगाते हुए मुस्लिम पुलिसवाले दौड़े पुलिस को देखते ही बनावत वाला मौलाना मोदी और नवाज दीवान साहब मानसिंह रोड वाली मस्जिद में छिप जाए सावरकर भागकर मुंबई के दादर वाली अपनी मुंह में समाहित हो गए अजीब और सलमा सकते में थे समझ ही नहीं पा रहे क्या हुआ क्या था और उनके बीच के सारे लोग कहां से आए और क्यों आ गए सुनो अजीत शर्मा ने पूछा था क्या कोई जगह है कि नहीं जहां हम मुर्दों और पत्थरों से दूर कहीं बैठ सकें चलो कार में बैठते हैं दिल ने कहा पर कोई कार में कब तक बैठा रहता आखिर अजीब ने कार स्टार्ट की और यूं ही सड़कों पर नाचने लगा आखिर जाता हुआ वह सलमा को बड़ौदा हाउस के पास कहीं उतार दें ताकि वह कर्जन कर्जन रोड अपार्टमेंट में अपने घर चली जाए रात के करीब 9:30 बजे थे और सलमा को घर भी लोग ना था और अभी अजीत ने कार को कर्जन रोड की तरफ मोडा ही था कि सलमान ए घबराते हुए उसकी जांघ पर हल्के से हाथ रख कर कहा था प्लीज गाड़ी नहीं बाई तरफ रोक लीजिए किसी और सड़क पर निकल चलिए क्यों क्या हुआ अगली गाड़ी में मेरा भाई शाहिद जा रहा है उसके साथ मेरा बेटा भी बैठा हुआ है ।

उसे घुमाने आइसक्रीम खिलाने आया होगा प्लीज गाड़ी रूकती है सलमान की जो कि बहुत सही थी उसने बाई तरफ मुड़ कर गाड़ी मैं यहां से पैदल चली जाऊंगी सलमा बोली थी सलमा उतरी तो अजीब भी गाड़ी बंद करके उसके पास आया और बोला था मुझे नहीं मालूम था कि तुम जिंदगी में इतनी बड़ी जिम्मेदारी या उठाकर चल रही हो लेकिन मुझे मालूम है आप मुझसे ज्यादा बड़ी जिम्मेदारी उठाते हुए चल रहे हैं अजीब भौचक्का रह गया क्या मालूम है तुम्हें यही कि आप शादी शुदा है आप एक बहुत नेक बीवी के पति है एक बहुत सुंदर और जमीन लड़की के बाप है और यह आपकी लड़की लड़की ही नहीं आपकी दोस्त है सलमा कह रही थी तब सर पर खड़े नीम की पत्ती ली पत्तियां झड़ रही थी उस अंधेरे में वह झपकते पलकों की तरह चमकती और खो जाती तब उसे लगा था कि जब भी किसी के मन में कोई तूफान आता तब प्रकृति भी चौगुनी हो जाती क्यों आप कुछ उलझन ओ उलझने लगे शर्मा ने पूछा था ।

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रचनाएँ
कितने पाकिस्तान
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कितने पाकिस्तान हिन्दी के विख्यात साहित्यकार कमलेश्वर द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 2003 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। यह उपन्यास भारत-पाकिस्तान के बँटवारे और हिंदू-मुस्लिम संबंधों पर आधारित है। यह उनके मन के भीतर चलने वाले अंतर्द्वंद्व का परिणाम माना जाता है।'कितने पाकिस्तान' कमलेश्वर का लिखा हुआ एक प्रयोगवादी उपन्यास है। इस उपन्यास को 2003 के साहित्य अकादमी पुरस्कार से नवाज़ा गया था। यह उपन्यास बाकी उपन्यासों से कई मामलों में अलग है। पहला, इसमें सामान्य घटनायें, जैसे उपन्यासों में होती हैं, नहीं हैं, बल्कि ऐतिहासिक घटनाओं का लेखक के नज़रिये से वर्णन है। क्योंकि सारा कथानक उसी के इर्दगिर्द घूमता है। उपन्यास में सदियों से चले आ रही हिंसा और मारकाट के प्रति गहरा क्षोभ है। पात्रों की इस कमी को इतिहास के प्रसिद्ध व्यक्तियों को कटघरे में लाकर दूर किया गया है। अगर उपन्यास का सार निकालने की कोशिश की जाए तो यही आयेगा कि विभाजन अब बंद होने चाहिये।
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भाग 1

21 जुलाई 2022
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एक भूली हुई दास्तान उसे याद आती है  ।   वह तो एक बंजर जमीन से आया था ।  खामोश  आकर्षणों की दुनिया से जहां कहां कुछ भी नहीं जाता । मन ही मन में कुछ अरमान करवटें लेते हैं । अनबूझी इच्छाएं आती और चली जा

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भाग 2

21 जुलाई 2022
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- हुआ या था नहीं स !  पहले या सुनिए कि हुआ क्या है...... उसने चौक कर आवाज की तरफ देखा था उसका एक में 3 सहायक स्टोनो और अर्दली महमूद उसके सामने खड़ा था।  उसके हाथ में टेलीप्रिंटर से आई खबरों के कुछ कु

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भाग 3

21 जुलाई 2022
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खत भेजने के बाद अभी बहुत परेशान था । वह सोच रहा था कि उसके उद्गार और विचार कहीं देश की रक्षा सुरक्षा के नाम पर दूसरों के लिए मौत तो पैदा नहीं करते क्या एक के जीवित रहने के लिए दूसरे की मौत जरूरी है?

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भाग 4

21 जुलाई 2022
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और तभी यूरोप के सम्राट गिल गमेंश की गूंजती आवाज आई -  - मैं पीड़ा से लड़ लूंगा यातना सहूँगा  कुछ भी हो मैं मृत्यु को पराजित कर लूंगा मैं मृत्यु से मुक्त की औषधि खोज कर लाऊंगा !  सम्राट गिल गणेशा की

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भाग 5

21 जुलाई 2022
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वहां मौजूद तमाम देवताओं की चिंता का एक स्वर में अनुमोदन किया और देवी तान्या ने तब उन्हें आगाह करने वाला भाषण दिया दजला फरात और डेन्यूब की परा धरती के समस्त देवताओं तुम सब आज चिंतित हो क्योंकि मनुष्य म

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भाग 6

29 जुलाई 2022
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उसी कहानी में शामिल है बूटा सिंह और रेतपरी किया की  यह कहानी राजस्थान का तपता रेगिस्तान कोई चीखा बन गया साला पाकिस्तान आसमान की आंख सूखी हुई थी उनमें एक बूंद भी पानी नहीं था मौसम विभाग के वैज्ञानिक

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भाग 7

29 जुलाई 2022
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बूटा सिंह जब जीने के लिए कपड़े लेने निकला था पाकिस्तान नाम की लकीर तो फिर चुकी थी मौसम विशेषज्ञों की भविष्यवाणी सही साबित हुई रक्त की वर्षा हो रही थी रेत परिचय नहीं अभी भी गर्दन तक रेत में दबी हुई है

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भाग 8

29 जुलाई 2022
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आतंकी देवताओं ने धरती की ओर देखा वह सकते में आ गए जो लोग के समस्त सफेद पंखों वाले पंछी देवदासी रोना को लेकर मित्रों पर उतर रहे थे "के समय उसके साथ अभी सभी तरह के पंछी पखेरू शामिल होते गए थे उनमें अंजन

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भाग 9

29 जुलाई 2022
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बूटा सिंह ने कपड़ों की जोड़ी लाकर जीने के पास रख दिया और पूछा निकालूं तुम बाहर जाओ मैं निकाल आऊंगी धीरे-धीरे जैनेब रेट टिकट दे से निकल आई उसने तार-तार हुई कुर्ती को उतारा और वही संभाल कर रख दिया ना जा

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भाग 10

29 जुलाई 2022
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बूटा सिंह ने कपड़ों की जोड़ी लाकर जीने के पास रख दिया और पूछा निकालूं तुम बाहर जाओ मैं निकाल आऊंगी धीरे-धीरे जैनेब रेट टिकट दे से निकल आई उसने तार-तार हुई कुर्ती को उतारा और वही संभाल कर रख दिया ना जा

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भाग 11

6 अगस्त 2022
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उसके  अदालत के दरवाज़े पर रक्त  दस्तके  पड़ने लगी । वह दस्तक  से परेशान था। परेशान नही  पागल। और फिर दस्तक  पर दस्तक  ।पश्मी सीमांत से एके-47 चीनी राइफल ने दस्तक दी । हथियार बनेंगे तो चलेंगेभी ।  उत्तर

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भाग 12

6 अगस्त 2022
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वह कौन सी तारीख थी।  इब्राहिम लोदी से मैंने पार्क पानीपत की लड़ाई 20 अप्रैल 1526 को जीती थी और रजत 15 जुम्मे के दिन यानी 27 अप्रैल 1526 को मारे मेरे नाम का खुतबा पढ़ा गया था या खुद बा मौलाना महमूद और

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भाग 13

6 अगस्त 2022
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अजीम फैजाबाद स्टेशन पर उतरा ही था कि वह धमाकेदार झापड़ उसके पड उसके पड़ा स्टेशन की दीवार पर लिखा हुआ नारा सामने खड़ा था बोला फैजाबाद आए हो तो पहले इसे पढ़ पढ़ो इसमें लिखा था कि अपने धर्म स्थानों का अप

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भाग 14

6 अगस्त 2022
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बस आग लगाते घूम रहे हैं सब ही ना ही चाह सोजत की भारत का क्या होगा पहले ही या हिंदू मुसलमान को लगवाना चाह ना ही लड़ बाय पाए तो अब शिया सुन्नी को डलवाना चाहते हैं अब पानी शरबत बिस्कुट और मूंग के दाल मोड

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भाग 15

6 अगस्त 2022
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हुजूर इन कानूनी बारीकियों में मत जाइए अन्याय अन्याय है अन्याय ग्रस्त औरत की जिंदगी तो मौत से बदतर होती है तुम ठीक कह रहे हो महमूद अली अदालत सीखी तो पूरी श्रेष्ठ कांप उठी नहीं मैं मुद्दों के अलावा जिद्

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भाग 16

6 अगस्त 2022
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नक्सलवाद का समर्थन कर रहे थे एक के बाद एक ताने कसे तो इमाम नाजिश बौखला गए और और बोले तब तुम भी हमसे कहां लगते अधीन तुम अमृता प्रीतम करतार सिंह दुग्गल मोहन राकेश भीष्म साहनी देवेंद्र सत्यार्थी और यहां

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भाग 17

6 अगस्त 2022
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और मार दो अपने ही सब सृष्टि की रचना की थी उसने अपने दादा अनु को आकाश का सम्राट बनाया था अपने पिता ऐसा को धरती का और तब माधुरी ने एक महा मंदिर बनाया था कि आकाश के देवता और ईश्वर जो उसकी प्रजाति धरती पर

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भाग 18

6 अगस्त 2022
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जी शायद आप मुझे ठीक ही पहचान रहे हैं सलमा की जान में जान आई मैं सीएसपी के जनाब आफताब अहमद की हूं  और हिंदुस्तान में रहती हूं वह मेरे नाना है सलमान ने कहा तब पुलिसवाला कुछ नाराज सा होकर काउंटर वाले से

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भाग 19

6 अगस्त 2022
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अदालत में क्या कह रहे हो तुम मैं तो कराची के होलीडे इन होटल के रेस्टोरेंट में बैठा हुआ था और सलमा से बातें कर रहा था हुजूर आपकी यादों की परछाई का नाम क्या है या तो मुझे नहीं मालूम पर आपके होंठ मिलता ल

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भाग 20

6 अगस्त 2022
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तब अजीब चीन से लौट आया था सलमा भी अपने नाना से मिलकर कोटा से लौट आई थी उसे उम्मीद नहीं थी कि इतने महीनों बाद भी सलमा उस पेपर नैपकिन पर लिखे पते पर फोन का नंबर को संभाल कर रखे गी पर उसने रखा था ना रखा

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भाग 21

6 अगस्त 2022
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नहीं नहीं तो या नीम की पत्तियां झड़ रही है ना हां पतझड़ का मौसम है ना नहीं या अंधेरे का मौसम है लगता है मेरा पति पति झड़ रहा है तो एक बात क्यों ना करें क्या हम न कुछ पूछे न जाने अपने रवा अति जिंदगी के

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भाग 22

13 अगस्त 2022
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बिस्तर उनका इंतजार कर रहा था वह भी  वह भी त्रियोबिश की  रेती की तरह साफ़ था। मेरे संपर्क से छूने से कुछ ऐसा तो नहीं जो तुमने जीवित होता हो और मेरा प्रतिकार करता हूं नहीं ऐसा भी कुछ नहीं सलमा ने बहुत गह

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भाग 23

13 अगस्त 2022
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जब अजीब और शर्मा कॉटेज से निकले तब भी नीले फूल खिले हुए थे। सलमा ने साड़ी पहनी थी बदन में बाकी फूल तो साड़ी और ब्लाउज के अंदर उन देशों की तरह समा गए थे । प्रभावों पर उन नीले फूलों की जो लेटर उतर आई थी

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भाग 24

13 अगस्त 2022
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वह मेरा बेटा ही सही पर मर्द हो जीने के लिए कहीं मुश्किल नहीं होता मैं एक रिश्तेदार की तरह आपको राय देता हूं कि बेहतर होगा कि आप अपने बेटे के साथ अपने नाना के पास पाकिस्तान लौट आए नईम ने कहा आप तो बिल्

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13 अगस्त 2022
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कुछ नहीं ऐसे लोग आकर यहां क्यों नहीं समझते कि मुसलमानों के नाम पर पाकिस्तानियों को बोलने का कोई हक नहीं है आज है हिंदुस्तान में पाकिस्तान से ज्यादा मुसलमानों पाकिस्तान से ज्यादा इस्लाम की समझने वाले ल

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भाग 26

13 अगस्त 2022
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सलमा और अधीन ने मजहब तो नहीं बदले पर उन्हें इस बात में मजा जरूर आने लगा या उनके लिए जैसे खेल की बात बन गई सबसे पहले तो उन्होंने जगह बदली वह पूरब की ओर भागे भागते भागते ब्लैक रिवर के घने जंगलों को पार

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भाग 27

13 अगस्त 2022
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वह आवाज बिजली की तरह तड़प और कड़क रही थी और अब वह कौन सी भी कमरे में खड़ी हो गई थी अजीब या कौन है डर से असहमति सलमानी उसके कंधे के पीछे छुपे हुए पूछा मैं चला दो आलमगीर औरंगजेब का जल्लाद मैं कोतवाल भी

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भाग 28

13 अगस्त 2022
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इस्लाम में हर कुदरती जरूरत के लिए जगह है लेकिन जब मजहब और सियासी फायदे के लिए नफरत में बदला जाता है तो एक नहीं तमाम पाकिस्तान पैदा होते हैं मेरी बच्ची तुम्हारी जिंदगी को इस गलत विभाजन ने तोड़ दिया है

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13 अगस्त 2022
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गहरी नहीं जरूरी अंग्रेजों और जिन्ना साहब ने सोचा ही नहीं था कि जब हिंदुस्तान नाम का मूल नसीब होगा तब मेरी जैसी एक सलमा कैसे तक्सीम होगी और वह अपनी इज्जत कहां  कहां तलाशग अदीब ने उसे बहुत प्यार से पुका

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भाग 30

13 अगस्त 2022
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तभी नूरजहाँ  उसका ध्यान नीचे मौजूद रियाया की तरफ दिलाया उधर देखिए हुजूर इतने दिनों बाद आप बाहर निकले आपकी रे आया आपके दीदार के लिए उम्र पड़ी है तभी भीड़ ने पुरजोर आवाजें का आने लगी बादशाह सलामत जिंदाब

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भाग 31

13 अगस्त 2022
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मुझे जाना चाहिए वक्त आप को माफ नहीं करेगा और फिर आपको भी वक्त की बरात बर्बादी का मलाल कठोरता रहेगा सारा शगुफ्ता देखिए आपके अर्दली साहब बेसब्री से आपका इंतजार कर रहे हैं चलने से पहले एक यशपाल दरख्वास्त

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भाग 32

13 अगस्त 2022
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मैंने कोई निमंत्रण बाबर को नहीं भेजा था राणा सांगा नितेश में कहा तुम्हारा वह दावत नामा मेरी तिवारी बाबरनामा में दर्ज है और वह दस्तावेज आज का नहीं सोलवीं सदी का है अगर या गलत है तो तुमने तब क्यों नहीं

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भाग 33

15 अगस्त 2022
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 या गलत है हमारी गलती से विभाजन तो एक सच्ची घटना में तब्दील हो गया था पर विभाजन के भयानक दौर में भी सिंध में मारकाट नहीं हुई हमने मन ही मन अपनी ऐतिहासिक गलती मंजूर करते हुए बहुत भरे दिल से अपने हिंदू

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भाग 34

15 अगस्त 2022
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मुसलमान का था मीरा का था कबीर का था नाना कोटा कोलकाता सुब्रमण्यम भारती और नज़रुल इस्लाम कथा संत रैदास के और ज्ञानेश्वर का था किसका खुदा नहीं था लेकिन इंक इकबाल ने खुदा के मस्जिदों में कैद कर देने का प

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भाग 35

15 अगस्त 2022
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और आपकी सलमा जो खुदा हाफिज कह कर चली गई है इस अहम अदालत का कारोबार रोक कर आपको फिर अपने लिए हासिल करने की कोशिश में लगी है और उधर आपके दोस्त भवानी सिंह उप ईरान की राजधानी तेहरान से लौटकर कुछ जरूरी बात

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भाग 36

20 अगस्त 2022
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हुजूर हमसूफी है इस पागल शहंशाह ने हुजूर पैगंबर के जन्मदिन पर गाए जाने वाले हम हमारे भजनों पर भी पाबंदी लगा दी तब हम सूफी संतों को उसके गुर्गे और दरोगा मिल जावा वाकर के खिलाफ गोलबंद होकर निकलना पड़ा इस

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भाग 37

20 अगस्त 2022
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मौका पाते ही सल्तनत के वजीरे खारी खारी जा राजा रघुनाथ को हटाकर या वादा किसी से मुसलमान को दिया जाए किसी हिंदू अफसर के नीचे मुसलमान को तैनात किया जाए और अब खुलकर इन काफिरों हिंदुओं को बता दिया जाए कि व

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भाग 38

20 अगस्त 2022
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यही कि जो मैंने किया वह गलत भी था वह सही भी था सर जमीन ए हिंद की नजर में मैंने बहुत कुछ गलत किया जो मुझे शायद नहीं करना चाहिए था लेकिन इस्लामी मिल्लत की नजर में जो कुछ मैंने किया वह शायद सही था ऑरेंज

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भाग 39

20 अगस्त 2022
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तभी इतिहास के करोड़ों पन्नों से चीखती हुई आवाज आने लगी औरंगजेब तुम जालिम हो तुमने पोस्ते का पानी पिला पिला कर मुराद को मारना चाहा जब वह तंदुरुस्त शहजादा अफीम के पानी से नहीं मारा तो तुमने उसे चला दो उ

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भाग 40

20 अगस्त 2022
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शिब्ली नोमानी बड़े जोश खरोश से बता रहे थे मजहब की शक्ति का अगर किसी ने पहली बार इस्तेमाल किया तो बस सिर्फ यही दिलेर आलमगीर था कहीं ऐसा तो नहीं कि औरंगजेब ने इस्लाम का सहारा अपनी कमजोरियों और जातियों क

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भाग 41

20 अगस्त 2022
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तुम लोग कहर की बात करते हो हम कयामत बरपा करेंगे और मिस्र में बाप कुछ भी नहीं जिंदा छोड़ेंगे जो इस्लाम से पहले का है हम उसे बराबर करके रहेंगे दूरदराज अमेरिका से आई वहां मिस्र का मूल्य से कुमार अब्दुल र

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भाग 42

20 अगस्त 2022
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या तेज भाई जारी थी कि लश्कर मंदिर के उत्तर पूर्वी तरफ अबू हज आज मंदिर से इमाम वाहिद मोहम्मद अपनी ने भय ग्रस्त आंखों से जाकर देखा यहीं इसी मस्जिद में अपने समय के सबसे बड़े विद्वान अबू हज्जाज दफन हैं जि

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भाग 43

20 अगस्त 2022
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इसीलिए पश्चिम वाले ईरान की इस्लामी क्रांति की को आत्मसात नहीं कर पाए अयातुल्लाह खोमेनी और इस्लामी क्रांति में ईरान जैसे सभ्यता संपन्न देश को फिर एक बार उसकी दूरी दे दी आज अपनी धुरी पर लौटकर ईरान अपने

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