तब अजीब चीन से लौट आया था सलमा भी अपने नाना से मिलकर कोटा से लौट आई थी उसे उम्मीद नहीं थी कि इतने महीनों बाद भी सलमा उस पेपर नैपकिन पर लिखे पते पर फोन का नंबर को संभाल कर रखे गी पर उसने रखा था ना रखा होता तो फोन कैसे करती और यह भी किसी खुशनुमा सी बात थी कि अजीब को मकान बदली बदलना था तभी फोन आया था नहीं तो पता भी पता हो जाता और फोन नंबर निकाल कराची हेलीपैड इन में वह नाश्ता हुआ एक सपना जो दोनों के सपनों में से एक आया था वह और अब इस मकान और फोन नंबर का लगभग आखरी दिन कहां से बोल रही हो आप पटना से क्यों मेरे फोन की तो उम्मीद ही नहीं होगी आपको एक हल्की सी उम्मीद तो हर दिन थी पर वह उम्मीद ही क्या जो पूरी हो जाए मतलब यह की उम्मीद चोरों की तरह फैलती है फोन ना आता तो फोन आने की उम्मीद रहती फोन आ गया तो दूसरी उम्मीदें सांस ले रही है मैं दिल्ली आ रहा हूं अब बता ही दूं मैं दिल्ली से ही फोन कर रही हूं कहीं मिलोगे आप जहां आपको अच्छा लगता हो इंडिया गेट मानसिक रोड जहां रास करती है वही नहर के पास एक मस्जिद का पिछवाड़ा है ।
पिछवाड़े क्यों अल्लाह का घर मस्जिद के पिछवाड़े ही होता है शाम इसके आगे वक्त ना बताए तो बेहतर होगा क्यों इसलिए की जगह आपने बता दी मैं जिंदगी उसी जगह आपका इंतजार करूंगी देखते हैं कौन किसका इंतजार करता है और जब अजीब करीब 6:00 बजे मस्जिद के पिछवाड़े पहुंचा तो देखा सलमा घास के घेरे खड़े कालीन पर बैठी थी धूप के तिनके तोड़ती उसने गाड़ी पार्क की तो देखकर पहचानते ही वो उठ कर खड़ी हो गई उसकी पलकें झुकी हुई लहर की तरह थमी हुई थी अधिक पास पहुंचा तो ना वह हाथों में हाथ पकड़ पाए ना किसी के हाथों में हाथों ने कोशिश की पलकें पलकों की लहरों अपनी जगह उसने उसने गिरने लगी मुझे पता या कहो मुझे लगा था सलमा बोली थी क्या क्या आप कुर्ता पजामा पहन कर आएंगे और वही सच हुआ कुछ ऐसा ही खाली डे इन कराची में मेरे साथ भी हुआ था याद है वह प्लेन क्रैश वाला सपना उसमें मैंने आपको जिस सलवार कुर्ते में देखा था वह वह वही सलवार कुर्ता पहने आप मुझे नाश्ते पर मिली थी आखिर ऐसा कैसे होता है ऐसा कैसे हो सकता है ऐसा कैसे हो रहा है जो सोचो वही सामने आ जाता है अजीत ने कहा था ।
क्या पता अल्लाह को बेहतर मालूम होगा आप हमें एक चॉकलेट आइसक्रीम नहीं खिलाएंगे और अजीब आइसक्रीम लेने आ गया तो शर्मा वहीं खड़ी रही वह साथ नहीं आई आइसक्रीम लेकर दोनों फिर घास पर बैठ गए थे अंधेरा उतर आया था आइसक्रीम वाले ठेले के पास रौनक बढ़ गई थी और तब उसने सलमा से एक बहुत गहरा सवाल किया शर्मा अजीत नहीं कि मूर्ख का पार्टीशन हुआ पाकिस्तान बना तो तुम्हारे घर वाले पाकिस्तान छोड़कर हिंदुस्तान भागे सारी सॉरी आपके घर वाले नहीं या तुम्हारे और तुम भी ठीक हैं सलमान का यानी अजीब खानदान है तुम्हारा नाना पाकिस्तान में यादों को लेकर हिंदुस्तान में और जब पाकिस्तान बना तो मुसलमान घर भाग्य पर तुम्हारे वालिद पाकिस्तान छोड़कर हिंदुस्तान भागे या अजीब नहीं है क्या उसने पूछा इसमें अजीब क्या है या तो मेरे अब्बू ने बताया इस्लाम की नजर में पाकिस्तान का बनना ही गुनाह है क्योंकि इस्लाम नफरत नहीं सिखाता पर पाकिस्तान की बुनियाद नफरत पर रखी गई है इस्लाम जैसे मजहब किसी मुल्क की सरहद में कैद कैसे की जा सकती हैं कोई मजहब नहीं किया जा सकता इस्लाम तो खासतौर से नहीं सलमा अभी या बोल ही रही थी कि ऊपर ऊपर खड़े एक साहब मेट्रो का यह लड़की क्या बक रही है तो पाकिस्तान इसलिए बना की आजादी से पहले हिंदू मुसलमानों के दिलों में एक दूसरे के लिए शक और नफरत थी मुसलमानों के हकों की गारंटी नहीं थी समझी इसीलिए पाकिस्तान बना वे साहब चीख उठे थे आप कौन अदीब ने पूछा मैं इंडिया यूनियन मुस्लिम लीग का प्रेसिडेंट गुलाम महमूद बनातवाला हूं तब तुम पाकिस्तान क्यों नहीं चले जाते ।
तुम कौन मैं चंद्रकांत भरद्वाज आर एस एस अलीगढ़ का चीफ तुम तो सो भी मुसलमानों की ड्रेस द्रव की परंपरा पुरानी है तुम कभी राष्ट्रवादी हो ही नहीं सकते हां नहीं हो सकते इस्लाम राष्ट्रों की मूर्खों की शर्तें मंजूर नहीं करता हम राष्ट्रीयता को नहीं मानते हम तो दारुल इस्लाम में यकीन करते हैं दारू हरम में नहीं एक और आवाज आई तुम कौन मैं दुखी हूं मौलाना ऐसे मोदी मोदी मोदी तुम्हारी मानसिकता मैं समझता हूं तुम तो हिंदुस्तान को दारू सलाम बनाना चाहते थे पर समझ लो कि दुनिया के नक्शे पर सिर्फ अखंड हिंदुस्तान रहेगा तुम जैसे देशद्रोहियों के कारण हिंदुस्तान में भी पाकिस्तान सिक्का चलेगा हम नहीं होने देंगे नहीं होने देंगे समझे एक और आवाज गाड़ी थी सलमा सैनी हुई थी राजीव ने पूछा आप कौन मैं विनायक दामोदर सावरकर और आप तो राष्ट्रवादी से हिंदूवादी नहीं वह पाकिस्तान का इंकलाब भी तो राष्ट्रवादी था जिसने लिखा था ।
सारे जहां से अच्छा हिंदुस्तान हमारा और देखते ही देखते इंसान शैतान में बदल गया और तब उसने अपने तराने को बदला चीनो अरब हमारा हिंदुस्तान हमारा मुस्लिम है हम वतन है सारा जहां हमारा तब मैं क्यों नहीं बदल सकता इस पवित्र हिंदू देश में छात्र संविधान भी चलेगा सभी अभी संभाल कर बोल ही रहे थे कि मुशीराबाद का नवाब विवान चीखने लगा हिंदू हिंदुस्तान एक मुस्लिम मुल्क है जहां शरीर कानून की चलेगा सांसों के नहीं चुप रहो मुर्शिदाबाद के नवाब दीवान तुम्हारे पूर्वज हिंदू थे अल्मा इंकलाब जिंदा से मोहम्मद अब्दुल्ला तक के पूर्वज हिंदू थे कौन अपने हिंदू धर्म से इनकार करेगा लेकिन तुम लोगों ने रक्त संबंधों को स्वीकार नहीं किया तुमने नस्लों को भी मंजूर नहीं किया धर्म बदलने से दर्द और नस नहीं बदलती लेकिन तुम बदल गए अंग्रेजों से ही मार खाने के बाद भी तुम्हारा यह दर्द नहीं गया तुम शासक और विजेता वर्ग के लोग हो पर तुम तो विशुद्ध हिंदुस्तानी से सिर्फ तुम्हारा धर्म हुआ था जो मध्य शासकों का था तुम्हारी पूजा पद्धति बदली थी ।
इसीलिए और संस्कृत नहीं समझे समर कर करीब-करीब भाषण देने लगे हंगामा बरपा होने लगा तो इंडिया गेट पर गश्त लगाते हुए मुस्लिम पुलिसवाले दौड़े पुलिस को देखते ही बनावत वाला मौलाना मोदी और नवाज दीवान साहब मानसिंह रोड वाली मस्जिद में छिप जाए सावरकर भागकर मुंबई के दादर वाली अपनी मुंह में समाहित हो गए अजीब और सलमा सकते में थे समझ ही नहीं पा रहे क्या हुआ क्या था और उनके बीच के सारे लोग कहां से आए और क्यों आ गए सुनो अजीत शर्मा ने पूछा था क्या कोई जगह है कि नहीं जहां हम मुर्दों और पत्थरों से दूर कहीं बैठ सकें चलो कार में बैठते हैं दिल ने कहा पर कोई कार में कब तक बैठा रहता आखिर अजीब ने कार स्टार्ट की और यूं ही सड़कों पर नाचने लगा आखिर जाता हुआ वह सलमा को बड़ौदा हाउस के पास कहीं उतार दें ताकि वह कर्जन कर्जन रोड अपार्टमेंट में अपने घर चली जाए रात के करीब 9:30 बजे थे और सलमा को घर भी लोग ना था और अभी अजीत ने कार को कर्जन रोड की तरफ मोडा ही था कि सलमान ए घबराते हुए उसकी जांघ पर हल्के से हाथ रख कर कहा था प्लीज गाड़ी नहीं बाई तरफ रोक लीजिए किसी और सड़क पर निकल चलिए क्यों क्या हुआ अगली गाड़ी में मेरा भाई शाहिद जा रहा है उसके साथ मेरा बेटा भी बैठा हुआ है ।
उसे घुमाने आइसक्रीम खिलाने आया होगा प्लीज गाड़ी रूकती है सलमान की जो कि बहुत सही थी उसने बाई तरफ मुड़ कर गाड़ी मैं यहां से पैदल चली जाऊंगी सलमा बोली थी सलमा उतरी तो अजीब भी गाड़ी बंद करके उसके पास आया और बोला था मुझे नहीं मालूम था कि तुम जिंदगी में इतनी बड़ी जिम्मेदारी या उठाकर चल रही हो लेकिन मुझे मालूम है आप मुझसे ज्यादा बड़ी जिम्मेदारी उठाते हुए चल रहे हैं अजीब भौचक्का रह गया क्या मालूम है तुम्हें यही कि आप शादी शुदा है आप एक बहुत नेक बीवी के पति है एक बहुत सुंदर और जमीन लड़की के बाप है और यह आपकी लड़की लड़की ही नहीं आपकी दोस्त है सलमा कह रही थी तब सर पर खड़े नीम की पत्ती ली पत्तियां झड़ रही थी उस अंधेरे में वह झपकते पलकों की तरह चमकती और खो जाती तब उसे लगा था कि जब भी किसी के मन में कोई तूफान आता तब प्रकृति भी चौगुनी हो जाती क्यों आप कुछ उलझन ओ उलझने लगे शर्मा ने पूछा था ।