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भाग 43

20 अगस्त 2022

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इसीलिए पश्चिम वाले ईरान की इस्लामी क्रांति की को आत्मसात नहीं कर पाए अयातुल्लाह खोमेनी और इस्लामी क्रांति में ईरान जैसे सभ्यता संपन्न देश को फिर एक बार उसकी दूरी दे दी आज अपनी धुरी पर लौटकर ईरान अपने क्षेत्रों को दोनों बड़ी सभ्यताओं भारत और चीन के प्रति अच्छे प्राप्त और मैत्री का हाथ बढ़ा रहा है तभी शिवसेना का आदमी बीच में बोल था या मत भूलो कि मुसलमान बर्बर है वह अपने धर्म वालों को भी नहीं छोड़ते वह हमें कैसे छोड़ सकते हैं ईरान और इराक दो मुस्लिम मुसलमान देश 8 साल तक लड़ते रहे लेकिन क्या महाभारत के दोनों लड़ाकू वंश पांडव और कौरव एक ही धर्म के मानने वाले नहीं थे कोई भी तो लड़ते रहे इसीलिए धर्म के बीच में मत भेज दो भवानी सिंह गुप्त की बात सुनो ताकि कुछ राहत मिले तभी रोशनी या के मुसलमानों का आकार आने लगा अदालत के दरवाजों पर दस्तक ओन की बौछार होने लगी सीखो और कराओ का से सारा माहौल भर गया मुसलमान औरतें अपनी इज्जत लूटे जाने की दास्तान दास्तान ए लेकर हाजिर हूं शरबत आप लोगों ने मुसलमानों के साथ बर्बर अत्याचार कि वे लगातार चिल्ला रहे थे । 

 तभी दुनिया के मुसलमानों का आकार आने लगा क्या हमारी बात सुनने वाला कोई भी नहीं है कोई भी देश क्या हमारे ऊपर हो रहे अत्याचारों का प्रतिकार नहीं कर सकता हम दुनिया में भूखे मर रहे हैं हमारी औरतों के साथ लगातार अत्याचार बलात्कार हो रहे हैं हमारे बेटे घरों से निकल निकालकर मारे जा रहे हैं हमें बेकार और बेइज्जत किया जा रहा है सारे देश खामोश है और सिया का एक मुसलमान मुर्दा अपने मूल कोई हालत बयान कर रहा था लेकिन अब हालात कुछ ठीक है जो गुजरे युगोस्लाविया के क्रोध और मुसलमान एक साथ नहीं रहना चाहते इसीलिए सब ने विभाजन मंजूर कर लिया है। 

भवानी सिंह उसने बड़ी तकलीफ से कहा युगो युगो स्लाविया के तीनों जातियां क्षेत्र का बंटवारा कर के स्वतंत्र देश के रूप में अलग अलग हो गई है क्या कह रहे हैं आप यानी योगेश युगोस्लाविया में तीन पाकिस्तान बन गए वहां जातियां तो दो ही हैं सर्वे और कोर्ट तीसरा दो इस्लाम धर्म है उसके मानने वाले मुसलमान है वह कोई जादू नहीं है रिपोर्ट भी हो सकते हैं बेशर्म भी हैं यानी युगोस्लाविया में भी बड़ी उदारता घृणा और नफरत कारगर हो गई अजीब में तकलीफ से कहा लेकिन इस बार तो मुसलमानों को खुद अपने से अलग किया वह मुसलमानों पर भयानक अत्याचार कर रहे थे सर आज ओवर शहर को उन्होंने अपने भरोसे खंडहर में बदल दिया मुसलमान का जिंदा रहना मुश्किल कर दिया उनकी औरतों को इंसान उठा ले जाते साथ में इतना गैलित सलूक करते जितना पाकिस्तान फौजियों ने बांग्लादेश की औरतों के साथ नहीं किया था । 

 उतना तो जापानी फौजों ने कोरिया ना हो तो साथ नहीं किया था और तुम साथ बसु की और अत्याचार का इससे उदाहरण और कहीं नहीं मिल सकता और फिर वहां सब उल्टा हुआ है इस बार तो अपने ही देश के मुसलमानों ने अपना पाकिस्तान बनाने का वादा किया है एक जगह ने काम है वह मनुष्य का मनुष्य के साथ रहने से इंकार करना एक मालवीय जुर्म है धर्म बदलने से इतिहास की जड़े नहीं बदलती गाजियाबाद के देहरा गांव की रिपोर्ट लेकर विशेष संवाददाता ओमप्रकाश हाजिर हुआ अधिक का दिल धड़कने लगा ओमप्रकाश देखते यह दीप के साथ को लेकर पूछा क्या भाई हिंदुस्तान के गाजियाबाद में फिर कोई खून खराबा या मारकाट हुई है क्या इस बार कुछ ऐसा कुछ नहीं है । 

बल्कि ऐसी रपट लाइन जिससे आपको दुनिया में तमाम है आज संकुला व्याकुल आत्माओं को बहुत राहत मिलेगी दुनिया जानती कि राजपूतों और मुगलों के बीच लगातार युद्ध चलता रहा महाराणा प्रताप ने कभी अकबर की अधीनता स्वीकार नहीं की मुगल काल में उसी के दौरान कहानी कहता हूं गाजियाबाद जिले का देहरा गांव तेरा मुसलमान राजपूतों का गांव में यह सिसोदिया वंश के महाराणा प्रताप के वंशज ही नहीं उनके कुल के हैं उनका धर्म परिवर्तन औरंगजेब के जमाने में हुआ यह मुसलमान राजपूत अपने पूर्वज महाराणा प्रताप की मूर्ति अपने गांव में स्थापित कर रहे हैं इन लोगों का मानना है कि धर्म परिवर्तन से नहीं बदलता अपना परिचय पूरा मानते हैं वे केवल मुसलमान नहीं मुसलमान राजपूत हैं । 

 गांव के सांचे में 60 गांव में सिसोदिया मुसलमान है बाकी भी हिंदू सिसोदिया लेकिन वे सभी अपने रक्त के ही मानते हैं इनके पूर्वज पृथ्वीराज चौहान मोहम्मद गौरी की लड़ाई के राजस्थान में यहां आए थे यही नहीं राजपूतों का डेरा पड़ा था डेरा को आज देहरा कहते हैं हिंदू और मुसलमान दोनों ही सिसोदिया राजपूतों को देहरा एक वंश केंदुआ में कुल 8 गांव मुसलमानों के हैं सब के नंबरदार मुखिया हैं मेहर अली राजपूत वे कहते हैं कि धर्म परिवर्तन के कारण जरूरत पड़ी तो मंदिर की दीवार के सहारे उन्होंने मस्जिद खड़ी कर ली आज भी मुसलमान की शादी के समय समय भैया को भारत लाने के लिए बुलाया नहीं जाती है यही लोकगीत जाती है भैया रघुवीर भारत हमारे भैया मुसलमान मुसलमान बहन के ऊपर उसकी संस्कृत का शब्द है धर्म का नहीं डालते आलिया दिल्ली से गढ़मुक्तेश्वर तक के बीच बीच में राजपूतों की विभिन्न कुलों गांव पहले हरकुल में कुछ 8 मुसलमान हैं साठे के बगल में ही 84 है तो हिंदू मुसलमान 84 गांव 12 गांव का निर्माण राजपूतों है हिंदू और मुसलमान यही स्थिति हर क्षेत्र के त्यागियो गुर्जरों और चौधरियों की भी है राजपूतों ब्राह्मणों ने धर्म परिवर्तन के बाद अपनी संस्कृत को तरस नहीं किया या स्थिति उधर पश्चिम के अलवर राजस्थान तक फैले मेवात मुसलमानों की है मुसलमान अपनी पुरातन संस्कृति जुड़े हुए हैं । 

इसीलिए कोई भी संस्कृति पाकिस्तान ओं के निर्माण के लिए जगह नहीं देती है संस्कृति अंदर नहीं उधार होती है वह मरण का उत्साह नहीं बनाती व जीवन के उत्सव के अनुरक्षण चला है सामाजिक संस्कृत की जरूरत हमें है क्योंकि वह जीवन का सम्मान करती है यही कोशिश 2 महीने की थी एक बड़ी और बुजुर्ग गुजरती हुई आवाज आई थी सामने एक बेहद खूबसूरत शहजादा कहा था उसको देखते अदालत में मौजूद हुए एक चौका दारा शिकोह तुम हां मैं चारों तरफ एक अजीब सा हैरानी भरा सन्नाटा छा गया खचाखच भरी अदालत द्वारा सुख देखती ही रह गई चारों तरफ अजीब सी अनुजा भरने लगी कुछ आवाजें इस्लामी देशों की भी तुम जानो की थी उन्हीं के साथ बहुत ही प्रार्थना ईसाई को कोई आरती और उन्हें मिली जुली मंदिरों के घंटों और पूजा की थी जो कि आवाज़ भी नीचे गढ़ मुंडो हो रही थी ।  

मरते कटते  सिपाहियों की चित्कारओं की सूची में शामिल थे बाबर अपने कोटेदारपोते  दाराशिकोह  को देखने  खासतौर से आया था वह बहुत प्यार से अपने वंशजों को देख रहा था खासदार खास तौर से अपने पोते दाराशिकोह को उस वक्त आकाश से सतरंगी खिले हुए थे आलिया मैंने यही चाहा कि भारत का समझदारी और सहनशीलता की एक पेशकश  किया था ख्वाजा मुद्दीन चिश्ती ही हमारी  हमारे रहनुमा थे  मेरी बहन मनीषा नाम की ख्वाजा की जीवनी भी लिखी थी दादा अभी बोल रहा था कि औरंगजेब  कहा   या सरासर गलत है कंधार से लौटते हुए या लाहौर के बाबा लाली का चेला बना था फिर बाद में या लाहौर के फकीर मियां मीर का सिसोदिया उसकी बीवी नादिरा बेगम भी ऊंची मुरीद बन गई या अमीर कादिरा संप्रदाय का सूफी संत अब्दुल कादिर जिलानी का शिष्य या उसी संप्रदाय की दीक्षित हुआ और खुद को कादरी   मानने लगा था ।  

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रचनाएँ
कितने पाकिस्तान
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कितने पाकिस्तान हिन्दी के विख्यात साहित्यकार कमलेश्वर द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 2003 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। यह उपन्यास भारत-पाकिस्तान के बँटवारे और हिंदू-मुस्लिम संबंधों पर आधारित है। यह उनके मन के भीतर चलने वाले अंतर्द्वंद्व का परिणाम माना जाता है।'कितने पाकिस्तान' कमलेश्वर का लिखा हुआ एक प्रयोगवादी उपन्यास है। इस उपन्यास को 2003 के साहित्य अकादमी पुरस्कार से नवाज़ा गया था। यह उपन्यास बाकी उपन्यासों से कई मामलों में अलग है। पहला, इसमें सामान्य घटनायें, जैसे उपन्यासों में होती हैं, नहीं हैं, बल्कि ऐतिहासिक घटनाओं का लेखक के नज़रिये से वर्णन है। क्योंकि सारा कथानक उसी के इर्दगिर्द घूमता है। उपन्यास में सदियों से चले आ रही हिंसा और मारकाट के प्रति गहरा क्षोभ है। पात्रों की इस कमी को इतिहास के प्रसिद्ध व्यक्तियों को कटघरे में लाकर दूर किया गया है। अगर उपन्यास का सार निकालने की कोशिश की जाए तो यही आयेगा कि विभाजन अब बंद होने चाहिये।
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भाग 1

21 जुलाई 2022
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एक भूली हुई दास्तान उसे याद आती है  ।   वह तो एक बंजर जमीन से आया था ।  खामोश  आकर्षणों की दुनिया से जहां कहां कुछ भी नहीं जाता । मन ही मन में कुछ अरमान करवटें लेते हैं । अनबूझी इच्छाएं आती और चली जा

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भाग 2

21 जुलाई 2022
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- हुआ या था नहीं स !  पहले या सुनिए कि हुआ क्या है...... उसने चौक कर आवाज की तरफ देखा था उसका एक में 3 सहायक स्टोनो और अर्दली महमूद उसके सामने खड़ा था।  उसके हाथ में टेलीप्रिंटर से आई खबरों के कुछ कु

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भाग 3

21 जुलाई 2022
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खत भेजने के बाद अभी बहुत परेशान था । वह सोच रहा था कि उसके उद्गार और विचार कहीं देश की रक्षा सुरक्षा के नाम पर दूसरों के लिए मौत तो पैदा नहीं करते क्या एक के जीवित रहने के लिए दूसरे की मौत जरूरी है?

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भाग 4

21 जुलाई 2022
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और तभी यूरोप के सम्राट गिल गमेंश की गूंजती आवाज आई -  - मैं पीड़ा से लड़ लूंगा यातना सहूँगा  कुछ भी हो मैं मृत्यु को पराजित कर लूंगा मैं मृत्यु से मुक्त की औषधि खोज कर लाऊंगा !  सम्राट गिल गणेशा की

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भाग 5

21 जुलाई 2022
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वहां मौजूद तमाम देवताओं की चिंता का एक स्वर में अनुमोदन किया और देवी तान्या ने तब उन्हें आगाह करने वाला भाषण दिया दजला फरात और डेन्यूब की परा धरती के समस्त देवताओं तुम सब आज चिंतित हो क्योंकि मनुष्य म

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भाग 6

29 जुलाई 2022
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उसी कहानी में शामिल है बूटा सिंह और रेतपरी किया की  यह कहानी राजस्थान का तपता रेगिस्तान कोई चीखा बन गया साला पाकिस्तान आसमान की आंख सूखी हुई थी उनमें एक बूंद भी पानी नहीं था मौसम विभाग के वैज्ञानिक

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भाग 7

29 जुलाई 2022
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बूटा सिंह जब जीने के लिए कपड़े लेने निकला था पाकिस्तान नाम की लकीर तो फिर चुकी थी मौसम विशेषज्ञों की भविष्यवाणी सही साबित हुई रक्त की वर्षा हो रही थी रेत परिचय नहीं अभी भी गर्दन तक रेत में दबी हुई है

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भाग 8

29 जुलाई 2022
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आतंकी देवताओं ने धरती की ओर देखा वह सकते में आ गए जो लोग के समस्त सफेद पंखों वाले पंछी देवदासी रोना को लेकर मित्रों पर उतर रहे थे "के समय उसके साथ अभी सभी तरह के पंछी पखेरू शामिल होते गए थे उनमें अंजन

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भाग 9

29 जुलाई 2022
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बूटा सिंह ने कपड़ों की जोड़ी लाकर जीने के पास रख दिया और पूछा निकालूं तुम बाहर जाओ मैं निकाल आऊंगी धीरे-धीरे जैनेब रेट टिकट दे से निकल आई उसने तार-तार हुई कुर्ती को उतारा और वही संभाल कर रख दिया ना जा

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भाग 10

29 जुलाई 2022
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बूटा सिंह ने कपड़ों की जोड़ी लाकर जीने के पास रख दिया और पूछा निकालूं तुम बाहर जाओ मैं निकाल आऊंगी धीरे-धीरे जैनेब रेट टिकट दे से निकल आई उसने तार-तार हुई कुर्ती को उतारा और वही संभाल कर रख दिया ना जा

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भाग 11

6 अगस्त 2022
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उसके  अदालत के दरवाज़े पर रक्त  दस्तके  पड़ने लगी । वह दस्तक  से परेशान था। परेशान नही  पागल। और फिर दस्तक  पर दस्तक  ।पश्मी सीमांत से एके-47 चीनी राइफल ने दस्तक दी । हथियार बनेंगे तो चलेंगेभी ।  उत्तर

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भाग 12

6 अगस्त 2022
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वह कौन सी तारीख थी।  इब्राहिम लोदी से मैंने पार्क पानीपत की लड़ाई 20 अप्रैल 1526 को जीती थी और रजत 15 जुम्मे के दिन यानी 27 अप्रैल 1526 को मारे मेरे नाम का खुतबा पढ़ा गया था या खुद बा मौलाना महमूद और

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भाग 13

6 अगस्त 2022
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अजीम फैजाबाद स्टेशन पर उतरा ही था कि वह धमाकेदार झापड़ उसके पड उसके पड़ा स्टेशन की दीवार पर लिखा हुआ नारा सामने खड़ा था बोला फैजाबाद आए हो तो पहले इसे पढ़ पढ़ो इसमें लिखा था कि अपने धर्म स्थानों का अप

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भाग 14

6 अगस्त 2022
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बस आग लगाते घूम रहे हैं सब ही ना ही चाह सोजत की भारत का क्या होगा पहले ही या हिंदू मुसलमान को लगवाना चाह ना ही लड़ बाय पाए तो अब शिया सुन्नी को डलवाना चाहते हैं अब पानी शरबत बिस्कुट और मूंग के दाल मोड

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भाग 15

6 अगस्त 2022
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हुजूर इन कानूनी बारीकियों में मत जाइए अन्याय अन्याय है अन्याय ग्रस्त औरत की जिंदगी तो मौत से बदतर होती है तुम ठीक कह रहे हो महमूद अली अदालत सीखी तो पूरी श्रेष्ठ कांप उठी नहीं मैं मुद्दों के अलावा जिद्

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भाग 16

6 अगस्त 2022
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नक्सलवाद का समर्थन कर रहे थे एक के बाद एक ताने कसे तो इमाम नाजिश बौखला गए और और बोले तब तुम भी हमसे कहां लगते अधीन तुम अमृता प्रीतम करतार सिंह दुग्गल मोहन राकेश भीष्म साहनी देवेंद्र सत्यार्थी और यहां

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भाग 17

6 अगस्त 2022
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और मार दो अपने ही सब सृष्टि की रचना की थी उसने अपने दादा अनु को आकाश का सम्राट बनाया था अपने पिता ऐसा को धरती का और तब माधुरी ने एक महा मंदिर बनाया था कि आकाश के देवता और ईश्वर जो उसकी प्रजाति धरती पर

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भाग 18

6 अगस्त 2022
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जी शायद आप मुझे ठीक ही पहचान रहे हैं सलमा की जान में जान आई मैं सीएसपी के जनाब आफताब अहमद की हूं  और हिंदुस्तान में रहती हूं वह मेरे नाना है सलमान ने कहा तब पुलिसवाला कुछ नाराज सा होकर काउंटर वाले से

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भाग 19

6 अगस्त 2022
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अदालत में क्या कह रहे हो तुम मैं तो कराची के होलीडे इन होटल के रेस्टोरेंट में बैठा हुआ था और सलमा से बातें कर रहा था हुजूर आपकी यादों की परछाई का नाम क्या है या तो मुझे नहीं मालूम पर आपके होंठ मिलता ल

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भाग 20

6 अगस्त 2022
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तब अजीब चीन से लौट आया था सलमा भी अपने नाना से मिलकर कोटा से लौट आई थी उसे उम्मीद नहीं थी कि इतने महीनों बाद भी सलमा उस पेपर नैपकिन पर लिखे पते पर फोन का नंबर को संभाल कर रखे गी पर उसने रखा था ना रखा

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भाग 21

6 अगस्त 2022
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नहीं नहीं तो या नीम की पत्तियां झड़ रही है ना हां पतझड़ का मौसम है ना नहीं या अंधेरे का मौसम है लगता है मेरा पति पति झड़ रहा है तो एक बात क्यों ना करें क्या हम न कुछ पूछे न जाने अपने रवा अति जिंदगी के

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भाग 22

13 अगस्त 2022
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बिस्तर उनका इंतजार कर रहा था वह भी  वह भी त्रियोबिश की  रेती की तरह साफ़ था। मेरे संपर्क से छूने से कुछ ऐसा तो नहीं जो तुमने जीवित होता हो और मेरा प्रतिकार करता हूं नहीं ऐसा भी कुछ नहीं सलमा ने बहुत गह

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भाग 23

13 अगस्त 2022
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जब अजीब और शर्मा कॉटेज से निकले तब भी नीले फूल खिले हुए थे। सलमा ने साड़ी पहनी थी बदन में बाकी फूल तो साड़ी और ब्लाउज के अंदर उन देशों की तरह समा गए थे । प्रभावों पर उन नीले फूलों की जो लेटर उतर आई थी

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भाग 24

13 अगस्त 2022
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वह मेरा बेटा ही सही पर मर्द हो जीने के लिए कहीं मुश्किल नहीं होता मैं एक रिश्तेदार की तरह आपको राय देता हूं कि बेहतर होगा कि आप अपने बेटे के साथ अपने नाना के पास पाकिस्तान लौट आए नईम ने कहा आप तो बिल्

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भाग 25

13 अगस्त 2022
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कुछ नहीं ऐसे लोग आकर यहां क्यों नहीं समझते कि मुसलमानों के नाम पर पाकिस्तानियों को बोलने का कोई हक नहीं है आज है हिंदुस्तान में पाकिस्तान से ज्यादा मुसलमानों पाकिस्तान से ज्यादा इस्लाम की समझने वाले ल

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भाग 26

13 अगस्त 2022
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सलमा और अधीन ने मजहब तो नहीं बदले पर उन्हें इस बात में मजा जरूर आने लगा या उनके लिए जैसे खेल की बात बन गई सबसे पहले तो उन्होंने जगह बदली वह पूरब की ओर भागे भागते भागते ब्लैक रिवर के घने जंगलों को पार

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भाग 27

13 अगस्त 2022
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वह आवाज बिजली की तरह तड़प और कड़क रही थी और अब वह कौन सी भी कमरे में खड़ी हो गई थी अजीब या कौन है डर से असहमति सलमानी उसके कंधे के पीछे छुपे हुए पूछा मैं चला दो आलमगीर औरंगजेब का जल्लाद मैं कोतवाल भी

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भाग 28

13 अगस्त 2022
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इस्लाम में हर कुदरती जरूरत के लिए जगह है लेकिन जब मजहब और सियासी फायदे के लिए नफरत में बदला जाता है तो एक नहीं तमाम पाकिस्तान पैदा होते हैं मेरी बच्ची तुम्हारी जिंदगी को इस गलत विभाजन ने तोड़ दिया है

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भाग 29

13 अगस्त 2022
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गहरी नहीं जरूरी अंग्रेजों और जिन्ना साहब ने सोचा ही नहीं था कि जब हिंदुस्तान नाम का मूल नसीब होगा तब मेरी जैसी एक सलमा कैसे तक्सीम होगी और वह अपनी इज्जत कहां  कहां तलाशग अदीब ने उसे बहुत प्यार से पुका

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भाग 30

13 अगस्त 2022
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तभी नूरजहाँ  उसका ध्यान नीचे मौजूद रियाया की तरफ दिलाया उधर देखिए हुजूर इतने दिनों बाद आप बाहर निकले आपकी रे आया आपके दीदार के लिए उम्र पड़ी है तभी भीड़ ने पुरजोर आवाजें का आने लगी बादशाह सलामत जिंदाब

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भाग 31

13 अगस्त 2022
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मुझे जाना चाहिए वक्त आप को माफ नहीं करेगा और फिर आपको भी वक्त की बरात बर्बादी का मलाल कठोरता रहेगा सारा शगुफ्ता देखिए आपके अर्दली साहब बेसब्री से आपका इंतजार कर रहे हैं चलने से पहले एक यशपाल दरख्वास्त

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भाग 32

13 अगस्त 2022
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मैंने कोई निमंत्रण बाबर को नहीं भेजा था राणा सांगा नितेश में कहा तुम्हारा वह दावत नामा मेरी तिवारी बाबरनामा में दर्ज है और वह दस्तावेज आज का नहीं सोलवीं सदी का है अगर या गलत है तो तुमने तब क्यों नहीं

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भाग 33

15 अगस्त 2022
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 या गलत है हमारी गलती से विभाजन तो एक सच्ची घटना में तब्दील हो गया था पर विभाजन के भयानक दौर में भी सिंध में मारकाट नहीं हुई हमने मन ही मन अपनी ऐतिहासिक गलती मंजूर करते हुए बहुत भरे दिल से अपने हिंदू

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भाग 34

15 अगस्त 2022
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मुसलमान का था मीरा का था कबीर का था नाना कोटा कोलकाता सुब्रमण्यम भारती और नज़रुल इस्लाम कथा संत रैदास के और ज्ञानेश्वर का था किसका खुदा नहीं था लेकिन इंक इकबाल ने खुदा के मस्जिदों में कैद कर देने का प

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भाग 35

15 अगस्त 2022
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और आपकी सलमा जो खुदा हाफिज कह कर चली गई है इस अहम अदालत का कारोबार रोक कर आपको फिर अपने लिए हासिल करने की कोशिश में लगी है और उधर आपके दोस्त भवानी सिंह उप ईरान की राजधानी तेहरान से लौटकर कुछ जरूरी बात

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भाग 36

20 अगस्त 2022
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हुजूर हमसूफी है इस पागल शहंशाह ने हुजूर पैगंबर के जन्मदिन पर गाए जाने वाले हम हमारे भजनों पर भी पाबंदी लगा दी तब हम सूफी संतों को उसके गुर्गे और दरोगा मिल जावा वाकर के खिलाफ गोलबंद होकर निकलना पड़ा इस

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भाग 37

20 अगस्त 2022
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मौका पाते ही सल्तनत के वजीरे खारी खारी जा राजा रघुनाथ को हटाकर या वादा किसी से मुसलमान को दिया जाए किसी हिंदू अफसर के नीचे मुसलमान को तैनात किया जाए और अब खुलकर इन काफिरों हिंदुओं को बता दिया जाए कि व

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भाग 38

20 अगस्त 2022
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यही कि जो मैंने किया वह गलत भी था वह सही भी था सर जमीन ए हिंद की नजर में मैंने बहुत कुछ गलत किया जो मुझे शायद नहीं करना चाहिए था लेकिन इस्लामी मिल्लत की नजर में जो कुछ मैंने किया वह शायद सही था ऑरेंज

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भाग 39

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तभी इतिहास के करोड़ों पन्नों से चीखती हुई आवाज आने लगी औरंगजेब तुम जालिम हो तुमने पोस्ते का पानी पिला पिला कर मुराद को मारना चाहा जब वह तंदुरुस्त शहजादा अफीम के पानी से नहीं मारा तो तुमने उसे चला दो उ

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भाग 40

20 अगस्त 2022
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शिब्ली नोमानी बड़े जोश खरोश से बता रहे थे मजहब की शक्ति का अगर किसी ने पहली बार इस्तेमाल किया तो बस सिर्फ यही दिलेर आलमगीर था कहीं ऐसा तो नहीं कि औरंगजेब ने इस्लाम का सहारा अपनी कमजोरियों और जातियों क

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भाग 41

20 अगस्त 2022
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तुम लोग कहर की बात करते हो हम कयामत बरपा करेंगे और मिस्र में बाप कुछ भी नहीं जिंदा छोड़ेंगे जो इस्लाम से पहले का है हम उसे बराबर करके रहेंगे दूरदराज अमेरिका से आई वहां मिस्र का मूल्य से कुमार अब्दुल र

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भाग 42

20 अगस्त 2022
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या तेज भाई जारी थी कि लश्कर मंदिर के उत्तर पूर्वी तरफ अबू हज आज मंदिर से इमाम वाहिद मोहम्मद अपनी ने भय ग्रस्त आंखों से जाकर देखा यहीं इसी मस्जिद में अपने समय के सबसे बड़े विद्वान अबू हज्जाज दफन हैं जि

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भाग 43

20 अगस्त 2022
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इसीलिए पश्चिम वाले ईरान की इस्लामी क्रांति की को आत्मसात नहीं कर पाए अयातुल्लाह खोमेनी और इस्लामी क्रांति में ईरान जैसे सभ्यता संपन्न देश को फिर एक बार उसकी दूरी दे दी आज अपनी धुरी पर लौटकर ईरान अपने

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