तभी इतिहास के करोड़ों पन्नों से चीखती हुई आवाज आने लगी औरंगजेब तुम जालिम हो तुमने पोस्ते का पानी पिला पिला कर मुराद को मारना चाहा जब वह तंदुरुस्त शहजादा अफीम के पानी से नहीं मारा तो तुमने उसे चला दो उसे मरवा दिया अपने छोटे भाई को जिसने तुम्हें अल्लाह और पाक कुरान की कसम खाकर अपना शहंशाह मंजूर किया था या गलत है शिब्ली नोमानी ने दखल दिया असल बात यह है कि धारा की फौजियों को हराने के बाद लेकिन वह धारा की फौज नहीं शहंशाह शहंशाह की फौजी थी इतिहासकार श्रीराम शर्मा ने टोका जी नहीं क्योंकि दादा ने शहंशाह की बीमारी के चलते उन्हें अपने काबू में कर लिया था इसलिए सही फौजी धारा के हुक्म से निकली थी औरंगजेब तथा मुराद की ताकत में उन्हें तोड़ा था ।
मुराद एक शेर की तरह लड़ा था फतह हासिल करने के बाद उसका दिमाग खराब हो गया था वह सोचने लगा था कि दारा सूजा और औरंगजेब के मिस मारकर के हिंदुस्तान के तत्व को हासिल कर लेगा इसलिए उसने औरंगजेब की फौज के हम सैनिक सरदारों को तोड़ना शुरू किया उन्हें खेलते इनाम और ज्यादा वेतन देकर उसने अपनी तरफ मिला दिया उसके इन्ना का नापाक इरादों को बदला औरंगजेब ने लिया शिब्ली नोमानी ने अपना तर्क पेश किया और आखिरकार इतिहासकार के मुताबिक उसका बदला लेने का तरीका औरंगजेब या निकला पेट दर्द की शिकायत करके मुराद को अपनी छावनी में बुलवाया ।
उसे जबरदस्त इसे ज्यादा शराब पिलाई और बेहोशी के आलम में उसके पास एक वैश्या भेज कर उसे चरित्रहीन कर दिया तब भी उसी और वैश्या के साथ मस्ती करने के मदहोश में उसके तंबू में घुसकर से एक अमीर ने उसे जंजीरों से झगड़ कर औरंगजेब का कैदी बना लिया इतिहासकार श्रीराम शर्मा ने तय किया कि असलियत बयान की आलमगीर ने या किया उसने जंजीरों में बांधकर सिर्फ कैद किया बेहतर तो यह होता कि आलमगीर उसका सिर कलम करके खत्म कर देता हम औरंगजेब की दुर्दशा दूरदर्शिता को ज्यादा मुनासिब समझते शिब्ली नोमानी बोले तो अदालत चीख उठी शिब्ली नोमानी साहब लगता है आप बुद्धिजीवी इंसान नहीं समझदार और बुद्धिजीवी इंसान होने से पहले आप मुसलमान हो जाते हो अदालत ने शिब्ली नोमानी को तो यही आपकी दिक्कत है शिब्ली नोमानी ने कहा क्योंकि मैं मुसलमान हूं ।
लेकिन आप मुसलमान नहीं इंसान पैदा हुए हैं थे और जब आप मासूम इंसान थे और आपके कान में कलमा नहीं फूंका गया तब तक आप मुसलमान नहीं थे फिर आप का खतना हुआ तब भी आप समझदार नहीं थे मुसलमान नहीं थे आप को मुसलमान बनाया गया अदालत अभी अपनी बात का ही रही थी कि एक हंगामा साबर पास हो गया अदालत में लोग चीखने चिल्लाने लगे हमारे मजहब की तोहीन की जा रही है या हम बर्दाश्त नहीं करेंगे खामोश कोई मजहब इंसान से ऊपर नहीं है पहले इंसान पैदा हुआ फिर मजा अजीब सीखा तो शिब्ली नोमानी ने बात का रुख पलटने की कोशिश की अजीबी आलियाबाद आलमगीर की हो रही है इस बात को पूरा कर लिया जाए खुद आलमगीर यहां मौजूद हैं ।
तो बता तो बताना चाहता हूं कि इनका बड़प्पन था सल्तनत की सारी ताकत होने के बावजूद आलमगीर ने खुद को खलीफा घोषित नहीं किया या अभी नहीं नहीं का बड़प्पन था उन्होंने इस्लामी संस्था के रूप में राज्य किया अगर अकबर द्वारा डाली गई परंपराएं चलती रहती तो तैमूर वंश के सरधना एक गैर इस्लामी साम्राज्य में तब्दील हो जाती आलमगीर ने जब साम्राज्य की जिम्मेदारी संभाली तब एक तब तक तहजीब और मजहब के सारे तौर-तरीके करीब-करीब खत्म हो गए थे ।
सारी दरबार में जो लोग हिंदुओं के विरुद्ध तौर तरीके करीब-करीब खत्म हो गए दो-तीन में और पहनकर हाजिर होने लगे थे हिंदू चरण स्पर्श साष्टांग प्रणाम तब दरबारों में चलता था इस्लामी झरोखा दर्शन संस्थाओं में प्रचलित था हिंदू लोग मुसलमान लड़कियों से खुलेआम शादियां करने लगे थे आलमगीर ने इस तमाम गलत और गैर इस्लामी परंपराओं को बंद किया हिंदू तुष्टीकरण की नीति को खत्म किया इसीलिए आलमगीर ने शरीयत आधारित न्याय शास्त्र का ग्रंथ तैयार करवाया ताकि फतवा ए आलम गिरी के मुताबिक इंसाफ किया जा सके यानी आप क्या साबित करना चाहते हैं ।
कि औरंगजेब अकबर जहांगीर और शाहजहां से ज्यादा बड़ा मुसलमान था बिल्कुल आलमगीर ने अपनी जड़ों को तलाशा उसकी जड़े हिंदुस्तान में नहीं थी क्या वही तैमूर खून अकबर जहांगीर शाहजहां द्वारा और मुराद नसों में थी लेकिन उन्होंने अपने मजहब की जरूरतों को नजरअंदाज किया मजहब इसीलिए तो मैं और धारा को हराकर आगरा पहुंचा जहां अपने बेटे के लिए पुश्तैनी तलवार आलमगीर को भेजी थी ।