shabd-logo

भाग 10

29 जुलाई 2022

23 बार देखा गया 23

बूटा सिंह ने कपड़ों की जोड़ी लाकर जीने के पास रख दिया और पूछा निकालूं तुम बाहर जाओ मैं निकाल आऊंगी धीरे-धीरे जैनेब रेट टिकट दे से निकल आई उसने तार-तार हुई कुर्ती को उतारा और वही संभाल कर रख दिया ना जाने कब जरूरत पड़ जाए घाघरा तो उसने जीत डाला था उसमें नारे के नशे के सिवा कुछ बचा ही नहीं था उसे खोल कर उसने एक तरफ फेंक दिया फिर उससे नहीं उठा सिंह वाले बाजार से लाए घागरे को देखा और चिकन नाडा कटने लगी तभी उसकी पीठ पर बूटा सिंह की आवाज आई सजनी समझने में क्या इतनी देर लगती है जेनी ने वहीं से कहा अभी बाहर रहना और कांचली हो पाएंगे यह पर ही किया फिर बाहर झांकी छातियों को अंदर दबा दिया कुर्ती पहन कर ऊपर से ओढनी डाल दिया तब उसने आवाज लगाई आ जाओ बूटा सिंह अंदर आकर बैठ गया आदत के मुताबिक वाह गुदगुदाया ओंकार ओंकार सतनाम उसके ऊपर से आवाज तो नहीं फूटी थी पर जिंदगी अपने अंदाज लगाकर कहा वाहे गुरु को सिमर सिमरन कर रहे हो कर तो रहा हूं लेकिन तुमने कैसे जाना कभी कभी हमारे यहां हिंदू सिंध सूबे में के नानकी आकर ठहरा करते थे उन्हीं से सुनती थी 

वाहेगुरु का नाम हमारे घर के इशारे में संगत ही हो जाती थी तब तो ठीक है बूटा सिंह ने इस चिंता से कहा अगर हुकुम हो तो एक बात कहूं कपड़े पहनना पहना दिए हैं तो कुछ भी कह सकते हो यह निर्णय कहा पर उसके बाद में कोई पेज नहीं था नहीं औरत के कपड़े तो कोई भी मर्द उतार देगा पर साड़ी के दो एक बुजुर्ग कह रहे हैं कि तुम आ ही गई हो तो तुमसे प्यार कर लूं साथ रहकर दूर दूर रहना ठीक नहीं होगा जैसी तुम्हारी और दाढ़ी के बुजुर्गों की मर्जी से नहीं कहा लेकिन एक बात है क्या मेरे सगे भाई नहीं चाहते कि मैं शादी करूं तुम शादीशुदा हो क्या नहीं शादी तो मेरी आज तक नहीं हुई जो भी रिश्ता आया उसे मेरे भाई उठ जाते रहे असल में उन्हें मेरी शादी मंजूर ही नहीं थी क्यों वैसे भी खेतों में पैदावार नहीं है जो कुछ होती है उससे भी के बाल बच्चों का पेट भर जाए यही काफी है मेरी शादी होती बाल बच्चे होते तो गरीबी और बढ़ जाती खेतों का बंटवारा होता जिंदा रहने की मारामारी में कुछ भी हो सकता था इसलिए वह लोग हमारी शादी के खिलाफ हैं |

कहकर बूटा सिंह रेती को हथेलियों में उठा उठा कर छाने लगा तुम परेशानी में मत पढ़ो जैन ने कहा मैं बिना शादी के ही तुम्हारे साथ अपने मन की भरी पूरी जिंदगी गुजार लूंगी औलाद तो बात की बात है तुम अपने भाइयों की वजह से शादी नहीं भी करोगे तो भी तुम्हें मुझे तुम्हारे साथ रहना मंजूर है नहीं जेनी मैं तुमसे शादी करूंगा नहीं तो मैं जिंदगी भर हर रात तुम्हें रेट के गड्ढे में गाड़ कर तुम्हारा साथ दूंगा आमीन जिंदगी में अपनी हथेलियां आंखों से लगाते हुए कहा और तब गांव के बड़े विशाली सिंह ने आज जरूरी समझा कि बूटा सिंह और चीनी का आनंद कारज हो जाना चाहिए बूटा सिंह के भाई भाइयों ने यह सुना तो उनके कान खड़े हुए वह दूसरी सिंह के पास समझाने बुझाने और शादी का विरोध करने पहुंचे बुजुर्गों ने नहीं माना बल्कि ऊपर से उन्हें फटकार दिया कैसे भाई भोजाई हो तुम लोग अपने स्वार्थ के कारण उसे अल्लाह रखा अब एक औरत उसके घर आ गई है तो शादी ब्याह कर के साथ साथ रहना सही होगा आखिर औरत की भी कोई मर्यादा होती है |

बुजुर्गों ने चीनी भी मर जा जा रखी भाइयों के विरोध पर काम ना देकर उन्होंने पास के गांव में गुरुद्वारे के दोनों को ले जाकर गुरु ग्रंथ साहिब को साक्षी बनाया और बूटा सिंह का जीने के साथ आनंद कारज हो गया वाहे गुरु की कृपा हुई समय आने पर जी ने अपने बूटा सिंह को एक नन्ही मुन्नी बेटी का बाप बना दिया दोनों ने मिलकर बिटिया का नाम तनवीर कौर रखा जिस साल बिटिया तनवीर पैदा हुई उन सर्दियों में एक बहुत ही खूबसूरत नजारा देखा उत्तर के देशों से उड़कर हजारों लाखों पंछी उनके देश में आए थे |

यही तो विडंबना है पहले विश्व युद्ध के बाद मन मजबूरी में ही  यही  साम्राज्यवाद को अधिक  उदार उत्तरदाई बनाना पड़ा और गांधी के साथ दुनिया में पहली बार जो इन आंदोलन शुरू हुआ उन्होंने सत्ता के केंद्र को बदल दिया गांधी ने पहली बार सत्ता को धारण करने के और चित्र की अवधारणा को राजवंशों से छीन कर जनता को सौंप दिया यहीं से इस दुनिया का रूप बदलना शुरू हुआ एडमिन ने प्रश्नवाचक नजर से लाडली माउंटबेटन को देखा यहीं से विनम्र बनाए पैदा हुई कोई साम्राज अपने फैसलों को कई वाहनों और तरीकों से बदल सकता है वह प्रधानमंत्री जी नित्य सलाहकार का सहारा लेकर अपनी इज्जत बचा सकता है लेकिन जनता के लीडरों की जो नई जमानत आई है वह अपने सार्वजनिक उद्देश में जो कुछ कह जाती है उन स्थानों से पीछे नहीं हट सकती यही मोहम्मद अली जिन्ना की विडंबना  है |

उन्होंने एक बार साजन इस दौर पर इंडिया का विभाजन मांग लिया तो फिर उनका मन चाहे जितना पछताता रहे पर वह उस मांग से पीछे नहीं हट सकते हटेंगे तो अपना नेतृत्व खो देंगे किसी नेता को या गवारा नहीं होता जनता की भावनाओं को भड़का कर पैदा किए गए आंदोलनों की यही ताकत और कमजोरी है एक बार जो कह दिया गया वह बाद में चाय अनुचित और गलत लगने लगे पर उसे बदला नहीं जा सकता अगर बदला गया तो रोड और घटिया ताकतें परिवर्तित विचार भी दुश्मन बन कर सामने आ जाती हैं एडविना मैं गवाह  हूं यही जिन्ना के साथ हुआ है उन्होंने बड़ी शिद्दत से पाकिस्तान मांगा और जब तमाम विकल्पों की तलाश में और खारिज करने की मुश्किल प्रक्रिया से गुजरने के बाद मैंने उनके सामने पाकिस्तान और विभाजन का प्रस्ताव रखा तो खामोश और उदास है |

उन्होंने ना हां या ना ना किया तब मैंने उनसे कहा था कि आखिर मैंने वही दिया जो उन्होंने मांगा और मैंने विभाजन की जरूरत को पंडित नेहरू सरदार पटेल आचार्य कृपलानी से मंजूर करवा लिया इतना ही नहीं विभाजन से जिन सिखो को सबसे ज्यादा तकलीफ और नुकसान उठाना पड़ा उनके नेता सरदार बलदेव सिंह को भी मैंने अंकिता सहमत कर लिया अब उन्हें पाकिस्तान के निर्माण में अवसर से पीछे नहीं हटना चाहिए विभाजन को मंजूर करना चाहिए तब तक उन्होंने क्या कहा कुछ पलों तक हुए खामोश रहे फिर उन्होंने कुछ क्या गांधी विभाजन को मंजूर करते तो मैंने कहा था | मुझे तो नहीं लगता कि वह मंजूर करेंगे विभाजन के फैसले को लेकर गांधी की सबसे बड़ी समस्या है अगर आप लियाकत अली खान अब्दुल रब अभिभाजन  मंजूर कर ले तो इंडिया की आजादी का मसला अभी और यहीं हल हो सकता है इस पर उनकी क्या प्रतिक्रिया थी उन्होंने कहा अपनी पार्टी मुस्लिम लीग की सलाह मशवरा करने से पहले भी कुछ नहीं कर सकते तब मुझे नाराजगी से कहना पड़ा था कि मुस्लिम लीग तो खुद आप ही हैं |

आपके बिना मुस्लिम लीग कहां स्तर के बाद भी जिंदा खामोश रहे इतिहास रुका हुआ था उसे कोई पछतावा नहीं था पछताता तो इंसान है इतिहास नहीं गली कासिम जान मैं अपने नसीब को ठोक दा सत्तार बैठा हुआ बहस कर रहा था पाकिस्तान तो बन गया अब जिंदा साहब खामोश रहे या बोले क्या फर्क पड़ता है जिस दिन रामदयाल मेरे सलाम का जवाब दिए बिना कतरा के निकल गया मैं जान गया था पाकिस्तान बनने की शुरुआत हो गई है वह तो ठीक है लेकिन इन अंग्रेज के बच्चों को को सोचना चाहिए कि सदियों पहले सौदागर की तरह सलाम करते करते आए थे |

वैसे ही सलाम करो और अपने मूर्ख लोग जाओ जो कमा लिया वह तुम्हारी किस्मत ले जाओ पर जो हमारा है वह तो खुशी खुशी छोड़ जाओ और क्या रियासतें नवाबों के झगड़ों तो तब भी थे जब तुम आए थे अब चौधरी बनके तुम्हें झगड़ों सुलझाने की क्या अरे भाई तुम हमें खुदा के हवाले छोड़ो दुआ सलाम करो और जाओ कभी कभी अंग्रेज के महात्मा गांधी जी खरी बात कह देते वह भी बिल्कुल यही कह रहे हैं कि नजमुल ने कहा सुना है कि वह वोट पड़ेगा तब भी पाकिस्तान बनेगा महात्मा जी की बात तो हिंदू भी सुनता है थोड़ा बहुत मुसलमान भी मजा आ जाए अगर महात्मा जी हिंदू वन का सारा वोट पाकिस्तान की खातिर डलवा दें तब जिन्ना साहब का करेंगे जब  जिन्ना साहब नेतागिरी छोड़कर अपनी वारिश  करने की खातिर मुंबई लौट जाएंगे और कि अपने गंगोली लौट जाएं गवली लौट जाएं हालात बिगड़ते जा रहे हैं यहां जॉन बक्सा लाए हैं उसे तो कोई भी लूट सकता है पर गोली की हमारी जमीन तो कोई नहीं रोक सकता ना मालूम जिन्ना साहब क्या करवा कर रहेंगे और दूसरे ही दिन सत्तार ने गाजीपुर वाली गाड़ी पकड़ ली वक्त फिर परेशान और चिंता ग्रस्त अवाम के बीच से उठकर  वायसराय हाउस की शानदार हिस्ट्री में पहुंच गया वहां वायसराय माउंटबेटन और मोहम्मद अली जिन्ना मौजूद थे उनकी तरफ देखते हुए माउंटबेटन ने कहा आप कल तक अपनी मुस्लिम लीग से मशवरा कर लीजिए मुस्लिम लीग से मशवरा करने में मुझे कम से कम एक हफ्ता लगेगा जिन्ना ने कहा |

वायसराय माउंटबेटन ने कहा  देखिए मिस्टर जिन्ना  फैसला लेने में इतना वक्त बर्बाद नहीं किया जा सकता लगता है कि आप हमसे ज्यादा जल्दी में है आप जो भी कहें देखिए आज सन 1947 की जून महीने की 2 तारीख है और मैं कल 3 जून को भारत के विभाजन की घोषणा कर देना चाहता हूं आप पाकिस्तान मांग रहे हैं  हम आपको पाकिस्तान दे रहे हैं दुनिया जानती है और मानती है कि पाकिस्तान कभी नहीं बन सकता लेकिन मै  पाकिस्तान आपको पेश कर रहा है अब आप ही जा क्यों रहे हैं जिन्ना साहब खामोश रहोगे कुछ नहीं बोले कल की मीटिंग में कांग्रेस की तरफ से पंडित नेहरू सरदार पटेल आचार्य कृपलानी मौजूद रहेंगे सिखों के तरफ से उनके बलदेव सिंह मौजूद होंगे आपके साथ लियाकत अली खान, अब्दुल गफ्फार, मुस्लिम लीग की  नुमाइंदगी कर रहे होंगे आपके सामने उनकी बोलने की हिम्मत नहीं पड़ेगी मैं इंडिया के विभाजन की योजना पेश करूंगा तब तक भी आप अगर अपने एकाएक जाग उठे जमीर की आवाज की वजह से खुले शब्दों में पार्टीशन मंजूर ना करें सकेत हां ना कह सके तो आप किसी भी अंदाज में अपने सिर को थोड़ी सी जोश में दे दे उसमें के माने क्या है या मैं कर दूंगा जिन्ना साहब ने माउंटबेटन की तरफ देखा और महसूस किया कि शतरंज की अपनी बाजी में अंग्रेज साम्राज्य के मोहरें  बन गए उन्हें उन्हीं का शब्द सौंपा जा रहा था पाकिस्तान वक्त गवाह है जिन्ना की नसों में बहता खाली हिंदुस्तानी खून जम गया था और उन्होंने एकाएक महसूस किया आपसी छोटी-छोटी अपमान और प्रति जन्मी कैसे एक चुनौती बन जाती है वह काम के सपने को तोड़ कर मुकाबले को छुपाते हुए अपने तरफ कैसे एक विकलांग और धमाल सपना सौंप देती है वक्त ने ऐलान किया वक्त जिन्ना  साहब की रूह उसके  जिस्म  से निकलकर बीवी रति के कब्र में चुपचाप खड़ी थी लेकिन उसका वहां होना ही बोलना था उसकी कब्रिस्तान में मुलाकात गोपाल कृष्ण गोखले से हुई दोनों को एक दूसरे को सिर्फ ताकती रही इतिहास का तकाजा था 1947 की तारीख 3 जून को जिन्ना  को लौटना पड़ा और माउंटबेटन इंडिया का विभाजन का प्रस्ताव अलग-अलग पार्टियों के सामने पेश किया गया जिन्ना साहब ने ना किया और ना हां उन्होंने अपने चेहरे को थोड़ी को देखकर सिर्फ आधा इंच नीचे किया और उसी मुद्रा में बैठे रहे उसी वक्त अजीब में देखा गतौली से घबराया हुआ राही मासूम रजा उसकी और तूफान की तरफ भागता चला रहा है |

अजीब ने उसे बाहों में लेकर संभाला और पूछा क्या हुआ है कि आपकी सांसे थोड़ी सी राहत देते हुए बताया सुनो सुनो वह आठ 10 साल का बच्चा दुल्हन क्या नारा लगा लगा के घर में दाखिल हुआ लेके रहेगा पाकिस्तान कैसे लेंगे पाकिस्तान पूर्णिया में आंखें तरेर कर सवाल किया अलीगढ़ बालन से दिल ने कहा तो कुलसुम में लगाई हुई अलीगढ़ से आए वह काली शेरवानी वाले वह उंगलियों में सिगरेट दबाएं हाथ घुमा घुमा कर मियां लोग को बता रहे थे कि कुरान शरीफ में कहा अल्लाह मियां ने मुस्लिम जी को वोट देने का हुक्म दिया है उधर आम के बाग में कथा चल रही थी 3 बरस पहले देवा होने के बाद मुसलमान हुई नवयुग वाघोली तिलक धारी पंडित ने बताया तब भगवान कृष्ण ने अर्जुन से कहा है कि वो तो मैं ही मेरे सिवाय कोई कुछ नहीं और आज गीता का वही मुरली मनोहर भारत के हर हिंदू को पुकार रहा है उठो और गंगा जमुना की गंगा जमुना के किनारे से हटा दिया जाए तो हटाना तो पड़ेगा जिन्ना साहब का पाकिस्तान तो बन ही रहा है |

आराम की जिंदगी कांटे की खातिर उधर ही चला जा तो तुम तो कह दिया चला जा लेकिन पाकिस्तान जाए का किराया भाड़ा भी झूठ गया तो भी हमारे खेतवा कैसे जाए पाकिस्तान पाकिस्तान बन ही गया तो वफा का खेतवा कैसे जाए पाकिस्तान अब देखो बपौती भोला जिंदगी गुजराल अब मरे किनारे पाकिस्तान जाई अब चाहे कुरान शरीफ का आयत बोले या तुम्हारे गीता के किशन भगवान हम तो जाईब पाकिस्तान इसी समय दूसरी आर्मी जंग के बाद तनु मेजर हसन बंद कर दूंगा डिफॉल्टेर लौट रहा था सुना तो उसने भी कहा अगर बंटवारा हुआ तो फौज का बंटवारा भी होगा असल में जंग खत्म होते-होते इतनी के मोर्चे पर दुश्मनों से युद्ध बंदी बना लिया था|  इसीलिए उसके छूटने और लौटकर आने बहुत देर हो गई थी नील पुकार ने गोदाम को देखकर उसकी आंखें भर आई फिर उसके इसके पर ना बैठा गया ऊचाई से कूद पड़ा इसके बाद में लगाम खींच ली घोड़ा घोड़े रास्ते पर रुक गया तुम चलो मैं आता हूं तब उसने कहा सामने ही खुशबू मियां की खामियां थी बंद दरवाजे के दरवाजों से जनाने इमामबाड़े में जल चलने वाले रोशनी जाग रही थी दो पलंग थे उनमें उनसे मिली हुई कपड़े की कुछ आराम कुर्सियां पड़ी हुई थी दलाल को देखने के बाद तनु के लिए धीरे धीरे चलना संभव हो गया उसने दूर से ही नारा मारा जीते रहो कहते हुए उन्होंने उसे निपटा लिया एक साथ सब ने सबको याद किया तनु ने अब्बा मरहूम को याद किया आज भाई साहब होते कैसे खुश होते चलो का जिक्र भी हुआ दादा जवाब मियां अपनी दाढ़ी फटकार ते हुए आए छोटी दा रब्बन भी तो थी भीतर गया उन्होंने उसे लिपटा लिया सुबह उठा नाश्ता किया और हाथ धोकर बाहर चल दिया वह आगे बढ़ा तो दाहिनी तरफ बांस मंडी के पास लड़कों का एक गोल मुस्लिम लीग जिंदाबाद का सबक याद कर रहा था गला फाड़ फाड़ कर तनु इन बच्चों को देखकर मुस्कुरा दिया लड़कों के इस जुलूस में कई हिंदू लड़के भी थे वह भी गला फाड़ पर मुस्लिम लीग जाने की दुआ दे रहे थे |

मुस्लिम लीग जिंदाबाद एकाएक तनु ने पाया कि वह हकीम साहब के बड़े फाटक में हैं उसने जल्दी से हकीम साहब को आजाद किया और वहां उत्तर पट्टी तमाम लोग मौजूद थे शादी मौजूद थे अलीगढ़ से आए काली शेरवानी वाले दो लोग बातचीत चल रही थी काली शेरवानी वाले बोल रही थी सबसे बड़ी बात तो यह है कि दुनिया के नक्शे पर एक और इस्लामी हुकूमत का रंग चढ़ जाएगा या भी नामुमकिन नहीं है कि दिल्ली के लाल किले पर एक बार फिर सब इस्लामी परचम लहराता नजर आएगा तनु को पाकिस्तान के बनने बनने में कोई दिलचस्पी नहीं थी वह एक चारपाई के पार्टी प्रतिज्ञा सुने रहेगी जिन्ना साहब किया है ना मालूम किसने कहा मुसलमान है काली शेरवानी बॉडी तभी दूसरी शेरवानी में सुनिए अल्लाह की रस्सी को मजबूती से पकड़िए आज उसी का नाम महमूद अली जिन्ना है अल्लाह की ताकत है और कहिए क्या पाकिस्तान बनना चाहते बनाना चाहते हैं तनु खिलखिला कर हंस पड़ा काली शेरवानी ने उसे देखिए मैं कोई  सियाशी  आदमी नहीं हूं या सरकारी मुसलमानों का मोहल्ला है लीग के अलावा और किसे वोट दे सकता है तनु ने शेर शेरवानीओं से कहा यह सब तो सरकार परस्ती की वजह से लिखी वोट देंगे लेकिन आप अनपढ़ मुसलमान कुलसुम का वोट नहीं ले सकते वह अपने बेटे का सही नाम नहीं ले सकती वह मुमताज को मुमताज कहती है वह बहुत शरीफ लड़का था |

आप उसे क्या जाने वह स्वामी सच्चिदानंद और राहुल सक्रत यान के किसान आंदोलन में शामिल था वह काशी या बाद के थाने पर गोली खा कर मर गया मैं तो किसान आंदोलन की लड़ाई के वक्त यहां पर था नहीं मैं तो वस्तानिया की फौज में था सुना है कि आंदोलन के दौरान मुमताज बड़ी बहादुरी से मरा यानी जब उसे यकीन हो गया कि लगी हुई गोली खाकर वह बचेगा नहीं तो मौत से डर कर मारो या अस्पताल ले जाने के लिए गिड़गिड़ा या नहीं उसने फायरिंग के दौरान भागते हुए एक आदमी का दामन पकड़ लिया और कहा है भैया गंगौरी जाइए तो कह दियो हमारी अम्मा से कि हम मर गए किसान की इस दिवस बेसुध शहादत को आप नहीं समझ सकते कैदियों हमारी अम्मा से कि हम मर गए इस अंदेशे से छुपे धरती के दर्द को आप नहीं समझ सकते आप के जिन्ना साहब मालाबार हिल की जो इमारत छोड़कर पाकिस्तान जाएंगे तो बेहद इमारत बनवा लेंगे अगर वह चाहेंगे तो आप अपनी बीवी रति की कब्र उखाड़ कर पाकिस्तान ले जाएंगे क्योंकि मुख्य का कोई रिश्ता जमीन से नहीं लेकिन कुलसुम तो इस जमीन की में सदियों से देखो और काशी बाबा थाने पर मरे अपने बेटों मुमताज की कब्र उठाकर पाकिस्तान नहीं ले पाए ले जा पाएंगे अगर सारी कब्रे ले गए तो हिंदुस्तान का पूरा आंगन उखाड़ जाएगा |

तब मुसलमान को कटा फटा मुल्क तो मिल जाएगा लेकिन वह घर आंगन से महरूम रह जाएगा क्या यही चाहते हैं आप लोग बोलिए क्या यही चाहते हैं आप लोग काली शेरवानी के पास कोई उत्तर नहीं था तनु और भड़क उठा आप जान का डर पैदा कर रहे हैं कि यह फर्स्ट हमीं को काटनी पड़ेगी इसलिए मैं बहुत डरता हूं डरने की क्या जरूरत आखिर आप मोहम्मद बिन कासिम के वारिस हैं काली शेरवानी में जुमलेबाजी का दाम चला मैं वोटर नहीं हूं तनु ने काली शेरवानी की बात काटी मैं मुसलमान हूं लेकिन मुझे इस गांव से मोहब्बत है क्योंकि मैं खुद या गांव हूं मैं नील के इस गोदाम इस तालाब और इन कच्चे रास्तों से प्यार करता मौजूद लोगों ने तनु की ओर देखकर जैसे हम ही भरी हामी भरी मैदान-ए-जंग में मैंने मौत का तांडव देखा जब मौत बहुत करीब आ जाती थी तो मुझे अल्लाह जरूर याद आता था लेकिन कर्बला एम मोहल्ला की जगह मुझे गंगोली याद आती थी यह सोच कर चला जाता था कि रोने लगा करता था |

कि आप शायद मैं नील के गोदाम पर बैठकर गन्ना नहीं खा सकूंगा अब शायद मुझे आठवीं की मजलिस का हलवा नहीं मिलेगा अल्लाह हो अल्लाह तो हर जगह है फिर मैं गोली और मक्का और नील के गोदाम और काबे की हमारे पोखरे आवे जमजम में क्या फर्क है आप ही आप ही जैसे लोग हिंदुस्तान में मुसलमानों को हिंदुओं के हाथ भेज डालेंगे काली शेरवानी बिगड़ गई आपके आपको शर्म नहीं आती आप मक्का शरीफ की इस जटिल गांव का मुकाबला कर रहे हैं जी हां कर रहा हूं तनु ने कहा मुझे शर्म भी नहीं आती और शर्माए क्यों गोली मेरा गांव है मक्का मेरा शहर नहीं या मेरा घर है और काबा अल्लाह मियां का खुदा को अगर अपने घर में से प्यार है तो क्या हुआ मजाक अल्लाह या नहीं समझ सकता कि हमें भी अपने घर से उतना ही प्यार हो सकता है और बेटा तू कुकुर बोल बोले लव यू हकीम साहब ने बिगड़ कर कहा कि क्या कर रहा है काबा फिर ओकावा है बेटा मैं कब कहता हूं कि वाकाबा नहीं लेकिन लाहौर तो काबा नहीं है ना उस ने सवाल किया देखिए चा जो कुछ मैंने बाहर देखा वह आपने नहीं देखा इसलिए जो कुछ मैं देख सकता हूं आप नहीं देख सकते नफरत और खौफ की बुनियाद पर मैं बनने वाली कोई चीज मुबारक नहीं हो सकती है |

मुबारक हो अब्दुलरब ने वायसराय के कमरे में कान्फ्रेंस मेज  पर पड़ी शकर दानी में से कुछ दाने उठाकर लियाकत अली खान के मुंह में बतौर मिठाई रख दिए मुबारक हो जिन्ना साहब ने खामोशी से जेड सिगरेट ढूंढ निकाला और तेरे 1 सिगरेट उसमें लगा कर चुपचाप पीने लगे शाम हो रही थी प्रार्थना भंगी कॉलनी। शाम हो रही थी। पहले गाँधी जी टहल कर लौटे थे।  पर एक स्वर से विभाग उनकी भी गए और थके पैरों की धूल साफ कर रही थी तभी एक अधेड़ खद्दर धारी ने आकर सूचना दी बापू विभाजन हो गया गांधी ने गहरी सांस भी अपना थका पैर खींच लिया फिर सूखे गले घूँट-सा लेकर वे धीमे से बोले  अच्छा  होता...वे मेरे शरीर को बाँट लेते... ईश्वर उन्हें सद्बुद्धि दें कहकर उन्होंने आकाश की तरफ देखा जैसे बापू कर रहे हो गलत फैसलों से ही हिंसा उपजती है और हिंसा से अपसंस्कृतियों और रक्तपात उसकी  अदालत के दरवाज़े पर तभी रक्त सनी दस्तके पड़ने लगी |

43
रचनाएँ
कितने पाकिस्तान
0.0
कितने पाकिस्तान हिन्दी के विख्यात साहित्यकार कमलेश्वर द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 2003 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। यह उपन्यास भारत-पाकिस्तान के बँटवारे और हिंदू-मुस्लिम संबंधों पर आधारित है। यह उनके मन के भीतर चलने वाले अंतर्द्वंद्व का परिणाम माना जाता है।'कितने पाकिस्तान' कमलेश्वर का लिखा हुआ एक प्रयोगवादी उपन्यास है। इस उपन्यास को 2003 के साहित्य अकादमी पुरस्कार से नवाज़ा गया था। यह उपन्यास बाकी उपन्यासों से कई मामलों में अलग है। पहला, इसमें सामान्य घटनायें, जैसे उपन्यासों में होती हैं, नहीं हैं, बल्कि ऐतिहासिक घटनाओं का लेखक के नज़रिये से वर्णन है। क्योंकि सारा कथानक उसी के इर्दगिर्द घूमता है। उपन्यास में सदियों से चले आ रही हिंसा और मारकाट के प्रति गहरा क्षोभ है। पात्रों की इस कमी को इतिहास के प्रसिद्ध व्यक्तियों को कटघरे में लाकर दूर किया गया है। अगर उपन्यास का सार निकालने की कोशिश की जाए तो यही आयेगा कि विभाजन अब बंद होने चाहिये।
1

भाग 1

21 जुलाई 2022
4
0
1

एक भूली हुई दास्तान उसे याद आती है  ।   वह तो एक बंजर जमीन से आया था ।  खामोश  आकर्षणों की दुनिया से जहां कहां कुछ भी नहीं जाता । मन ही मन में कुछ अरमान करवटें लेते हैं । अनबूझी इच्छाएं आती और चली जा

2

भाग 2

21 जुलाई 2022
2
0
0

- हुआ या था नहीं स !  पहले या सुनिए कि हुआ क्या है...... उसने चौक कर आवाज की तरफ देखा था उसका एक में 3 सहायक स्टोनो और अर्दली महमूद उसके सामने खड़ा था।  उसके हाथ में टेलीप्रिंटर से आई खबरों के कुछ कु

3

भाग 3

21 जुलाई 2022
1
0
0

खत भेजने के बाद अभी बहुत परेशान था । वह सोच रहा था कि उसके उद्गार और विचार कहीं देश की रक्षा सुरक्षा के नाम पर दूसरों के लिए मौत तो पैदा नहीं करते क्या एक के जीवित रहने के लिए दूसरे की मौत जरूरी है?

4

भाग 4

21 जुलाई 2022
0
0
0

और तभी यूरोप के सम्राट गिल गमेंश की गूंजती आवाज आई -  - मैं पीड़ा से लड़ लूंगा यातना सहूँगा  कुछ भी हो मैं मृत्यु को पराजित कर लूंगा मैं मृत्यु से मुक्त की औषधि खोज कर लाऊंगा !  सम्राट गिल गणेशा की

5

भाग 5

21 जुलाई 2022
0
0
0

वहां मौजूद तमाम देवताओं की चिंता का एक स्वर में अनुमोदन किया और देवी तान्या ने तब उन्हें आगाह करने वाला भाषण दिया दजला फरात और डेन्यूब की परा धरती के समस्त देवताओं तुम सब आज चिंतित हो क्योंकि मनुष्य म

6

भाग 6

29 जुलाई 2022
0
0
0

उसी कहानी में शामिल है बूटा सिंह और रेतपरी किया की  यह कहानी राजस्थान का तपता रेगिस्तान कोई चीखा बन गया साला पाकिस्तान आसमान की आंख सूखी हुई थी उनमें एक बूंद भी पानी नहीं था मौसम विभाग के वैज्ञानिक

7

भाग 7

29 जुलाई 2022
0
0
0

बूटा सिंह जब जीने के लिए कपड़े लेने निकला था पाकिस्तान नाम की लकीर तो फिर चुकी थी मौसम विशेषज्ञों की भविष्यवाणी सही साबित हुई रक्त की वर्षा हो रही थी रेत परिचय नहीं अभी भी गर्दन तक रेत में दबी हुई है

8

भाग 8

29 जुलाई 2022
0
0
0

आतंकी देवताओं ने धरती की ओर देखा वह सकते में आ गए जो लोग के समस्त सफेद पंखों वाले पंछी देवदासी रोना को लेकर मित्रों पर उतर रहे थे "के समय उसके साथ अभी सभी तरह के पंछी पखेरू शामिल होते गए थे उनमें अंजन

9

भाग 9

29 जुलाई 2022
0
0
0

बूटा सिंह ने कपड़ों की जोड़ी लाकर जीने के पास रख दिया और पूछा निकालूं तुम बाहर जाओ मैं निकाल आऊंगी धीरे-धीरे जैनेब रेट टिकट दे से निकल आई उसने तार-तार हुई कुर्ती को उतारा और वही संभाल कर रख दिया ना जा

10

भाग 10

29 जुलाई 2022
0
0
0

बूटा सिंह ने कपड़ों की जोड़ी लाकर जीने के पास रख दिया और पूछा निकालूं तुम बाहर जाओ मैं निकाल आऊंगी धीरे-धीरे जैनेब रेट टिकट दे से निकल आई उसने तार-तार हुई कुर्ती को उतारा और वही संभाल कर रख दिया ना जा

11

भाग 11

6 अगस्त 2022
0
0
0

उसके  अदालत के दरवाज़े पर रक्त  दस्तके  पड़ने लगी । वह दस्तक  से परेशान था। परेशान नही  पागल। और फिर दस्तक  पर दस्तक  ।पश्मी सीमांत से एके-47 चीनी राइफल ने दस्तक दी । हथियार बनेंगे तो चलेंगेभी ।  उत्तर

12

भाग 12

6 अगस्त 2022
0
0
0

वह कौन सी तारीख थी।  इब्राहिम लोदी से मैंने पार्क पानीपत की लड़ाई 20 अप्रैल 1526 को जीती थी और रजत 15 जुम्मे के दिन यानी 27 अप्रैल 1526 को मारे मेरे नाम का खुतबा पढ़ा गया था या खुद बा मौलाना महमूद और

13

भाग 13

6 अगस्त 2022
0
0
0

अजीम फैजाबाद स्टेशन पर उतरा ही था कि वह धमाकेदार झापड़ उसके पड उसके पड़ा स्टेशन की दीवार पर लिखा हुआ नारा सामने खड़ा था बोला फैजाबाद आए हो तो पहले इसे पढ़ पढ़ो इसमें लिखा था कि अपने धर्म स्थानों का अप

14

भाग 14

6 अगस्त 2022
0
0
0

बस आग लगाते घूम रहे हैं सब ही ना ही चाह सोजत की भारत का क्या होगा पहले ही या हिंदू मुसलमान को लगवाना चाह ना ही लड़ बाय पाए तो अब शिया सुन्नी को डलवाना चाहते हैं अब पानी शरबत बिस्कुट और मूंग के दाल मोड

15

भाग 15

6 अगस्त 2022
0
0
0

हुजूर इन कानूनी बारीकियों में मत जाइए अन्याय अन्याय है अन्याय ग्रस्त औरत की जिंदगी तो मौत से बदतर होती है तुम ठीक कह रहे हो महमूद अली अदालत सीखी तो पूरी श्रेष्ठ कांप उठी नहीं मैं मुद्दों के अलावा जिद्

16

भाग 16

6 अगस्त 2022
0
0
0

नक्सलवाद का समर्थन कर रहे थे एक के बाद एक ताने कसे तो इमाम नाजिश बौखला गए और और बोले तब तुम भी हमसे कहां लगते अधीन तुम अमृता प्रीतम करतार सिंह दुग्गल मोहन राकेश भीष्म साहनी देवेंद्र सत्यार्थी और यहां

17

भाग 17

6 अगस्त 2022
0
0
0

और मार दो अपने ही सब सृष्टि की रचना की थी उसने अपने दादा अनु को आकाश का सम्राट बनाया था अपने पिता ऐसा को धरती का और तब माधुरी ने एक महा मंदिर बनाया था कि आकाश के देवता और ईश्वर जो उसकी प्रजाति धरती पर

18

भाग 18

6 अगस्त 2022
0
0
0

जी शायद आप मुझे ठीक ही पहचान रहे हैं सलमा की जान में जान आई मैं सीएसपी के जनाब आफताब अहमद की हूं  और हिंदुस्तान में रहती हूं वह मेरे नाना है सलमान ने कहा तब पुलिसवाला कुछ नाराज सा होकर काउंटर वाले से

19

भाग 19

6 अगस्त 2022
0
0
0

अदालत में क्या कह रहे हो तुम मैं तो कराची के होलीडे इन होटल के रेस्टोरेंट में बैठा हुआ था और सलमा से बातें कर रहा था हुजूर आपकी यादों की परछाई का नाम क्या है या तो मुझे नहीं मालूम पर आपके होंठ मिलता ल

20

भाग 20

6 अगस्त 2022
0
0
0

तब अजीब चीन से लौट आया था सलमा भी अपने नाना से मिलकर कोटा से लौट आई थी उसे उम्मीद नहीं थी कि इतने महीनों बाद भी सलमा उस पेपर नैपकिन पर लिखे पते पर फोन का नंबर को संभाल कर रखे गी पर उसने रखा था ना रखा

21

भाग 21

6 अगस्त 2022
0
0
0

नहीं नहीं तो या नीम की पत्तियां झड़ रही है ना हां पतझड़ का मौसम है ना नहीं या अंधेरे का मौसम है लगता है मेरा पति पति झड़ रहा है तो एक बात क्यों ना करें क्या हम न कुछ पूछे न जाने अपने रवा अति जिंदगी के

22

भाग 22

13 अगस्त 2022
0
0
0

बिस्तर उनका इंतजार कर रहा था वह भी  वह भी त्रियोबिश की  रेती की तरह साफ़ था। मेरे संपर्क से छूने से कुछ ऐसा तो नहीं जो तुमने जीवित होता हो और मेरा प्रतिकार करता हूं नहीं ऐसा भी कुछ नहीं सलमा ने बहुत गह

23

भाग 23

13 अगस्त 2022
0
0
0

जब अजीब और शर्मा कॉटेज से निकले तब भी नीले फूल खिले हुए थे। सलमा ने साड़ी पहनी थी बदन में बाकी फूल तो साड़ी और ब्लाउज के अंदर उन देशों की तरह समा गए थे । प्रभावों पर उन नीले फूलों की जो लेटर उतर आई थी

24

भाग 24

13 अगस्त 2022
0
0
0

वह मेरा बेटा ही सही पर मर्द हो जीने के लिए कहीं मुश्किल नहीं होता मैं एक रिश्तेदार की तरह आपको राय देता हूं कि बेहतर होगा कि आप अपने बेटे के साथ अपने नाना के पास पाकिस्तान लौट आए नईम ने कहा आप तो बिल्

25

भाग 25

13 अगस्त 2022
0
0
0

कुछ नहीं ऐसे लोग आकर यहां क्यों नहीं समझते कि मुसलमानों के नाम पर पाकिस्तानियों को बोलने का कोई हक नहीं है आज है हिंदुस्तान में पाकिस्तान से ज्यादा मुसलमानों पाकिस्तान से ज्यादा इस्लाम की समझने वाले ल

26

भाग 26

13 अगस्त 2022
0
0
0

सलमा और अधीन ने मजहब तो नहीं बदले पर उन्हें इस बात में मजा जरूर आने लगा या उनके लिए जैसे खेल की बात बन गई सबसे पहले तो उन्होंने जगह बदली वह पूरब की ओर भागे भागते भागते ब्लैक रिवर के घने जंगलों को पार

27

भाग 27

13 अगस्त 2022
0
0
0

वह आवाज बिजली की तरह तड़प और कड़क रही थी और अब वह कौन सी भी कमरे में खड़ी हो गई थी अजीब या कौन है डर से असहमति सलमानी उसके कंधे के पीछे छुपे हुए पूछा मैं चला दो आलमगीर औरंगजेब का जल्लाद मैं कोतवाल भी

28

भाग 28

13 अगस्त 2022
0
0
0

इस्लाम में हर कुदरती जरूरत के लिए जगह है लेकिन जब मजहब और सियासी फायदे के लिए नफरत में बदला जाता है तो एक नहीं तमाम पाकिस्तान पैदा होते हैं मेरी बच्ची तुम्हारी जिंदगी को इस गलत विभाजन ने तोड़ दिया है

29

भाग 29

13 अगस्त 2022
0
0
0

गहरी नहीं जरूरी अंग्रेजों और जिन्ना साहब ने सोचा ही नहीं था कि जब हिंदुस्तान नाम का मूल नसीब होगा तब मेरी जैसी एक सलमा कैसे तक्सीम होगी और वह अपनी इज्जत कहां  कहां तलाशग अदीब ने उसे बहुत प्यार से पुका

30

भाग 30

13 अगस्त 2022
0
0
0

तभी नूरजहाँ  उसका ध्यान नीचे मौजूद रियाया की तरफ दिलाया उधर देखिए हुजूर इतने दिनों बाद आप बाहर निकले आपकी रे आया आपके दीदार के लिए उम्र पड़ी है तभी भीड़ ने पुरजोर आवाजें का आने लगी बादशाह सलामत जिंदाब

31

भाग 31

13 अगस्त 2022
0
0
0

मुझे जाना चाहिए वक्त आप को माफ नहीं करेगा और फिर आपको भी वक्त की बरात बर्बादी का मलाल कठोरता रहेगा सारा शगुफ्ता देखिए आपके अर्दली साहब बेसब्री से आपका इंतजार कर रहे हैं चलने से पहले एक यशपाल दरख्वास्त

32

भाग 32

13 अगस्त 2022
0
0
0

मैंने कोई निमंत्रण बाबर को नहीं भेजा था राणा सांगा नितेश में कहा तुम्हारा वह दावत नामा मेरी तिवारी बाबरनामा में दर्ज है और वह दस्तावेज आज का नहीं सोलवीं सदी का है अगर या गलत है तो तुमने तब क्यों नहीं

33

भाग 33

15 अगस्त 2022
0
0
0

 या गलत है हमारी गलती से विभाजन तो एक सच्ची घटना में तब्दील हो गया था पर विभाजन के भयानक दौर में भी सिंध में मारकाट नहीं हुई हमने मन ही मन अपनी ऐतिहासिक गलती मंजूर करते हुए बहुत भरे दिल से अपने हिंदू

34

भाग 34

15 अगस्त 2022
0
0
0

मुसलमान का था मीरा का था कबीर का था नाना कोटा कोलकाता सुब्रमण्यम भारती और नज़रुल इस्लाम कथा संत रैदास के और ज्ञानेश्वर का था किसका खुदा नहीं था लेकिन इंक इकबाल ने खुदा के मस्जिदों में कैद कर देने का प

35

भाग 35

15 अगस्त 2022
0
0
0

और आपकी सलमा जो खुदा हाफिज कह कर चली गई है इस अहम अदालत का कारोबार रोक कर आपको फिर अपने लिए हासिल करने की कोशिश में लगी है और उधर आपके दोस्त भवानी सिंह उप ईरान की राजधानी तेहरान से लौटकर कुछ जरूरी बात

36

भाग 36

20 अगस्त 2022
0
0
0

हुजूर हमसूफी है इस पागल शहंशाह ने हुजूर पैगंबर के जन्मदिन पर गाए जाने वाले हम हमारे भजनों पर भी पाबंदी लगा दी तब हम सूफी संतों को उसके गुर्गे और दरोगा मिल जावा वाकर के खिलाफ गोलबंद होकर निकलना पड़ा इस

37

भाग 37

20 अगस्त 2022
0
0
0

मौका पाते ही सल्तनत के वजीरे खारी खारी जा राजा रघुनाथ को हटाकर या वादा किसी से मुसलमान को दिया जाए किसी हिंदू अफसर के नीचे मुसलमान को तैनात किया जाए और अब खुलकर इन काफिरों हिंदुओं को बता दिया जाए कि व

38

भाग 38

20 अगस्त 2022
0
0
0

यही कि जो मैंने किया वह गलत भी था वह सही भी था सर जमीन ए हिंद की नजर में मैंने बहुत कुछ गलत किया जो मुझे शायद नहीं करना चाहिए था लेकिन इस्लामी मिल्लत की नजर में जो कुछ मैंने किया वह शायद सही था ऑरेंज

39

भाग 39

20 अगस्त 2022
0
0
0

तभी इतिहास के करोड़ों पन्नों से चीखती हुई आवाज आने लगी औरंगजेब तुम जालिम हो तुमने पोस्ते का पानी पिला पिला कर मुराद को मारना चाहा जब वह तंदुरुस्त शहजादा अफीम के पानी से नहीं मारा तो तुमने उसे चला दो उ

40

भाग 40

20 अगस्त 2022
0
0
0

शिब्ली नोमानी बड़े जोश खरोश से बता रहे थे मजहब की शक्ति का अगर किसी ने पहली बार इस्तेमाल किया तो बस सिर्फ यही दिलेर आलमगीर था कहीं ऐसा तो नहीं कि औरंगजेब ने इस्लाम का सहारा अपनी कमजोरियों और जातियों क

41

भाग 41

20 अगस्त 2022
0
0
0

तुम लोग कहर की बात करते हो हम कयामत बरपा करेंगे और मिस्र में बाप कुछ भी नहीं जिंदा छोड़ेंगे जो इस्लाम से पहले का है हम उसे बराबर करके रहेंगे दूरदराज अमेरिका से आई वहां मिस्र का मूल्य से कुमार अब्दुल र

42

भाग 42

20 अगस्त 2022
0
0
0

या तेज भाई जारी थी कि लश्कर मंदिर के उत्तर पूर्वी तरफ अबू हज आज मंदिर से इमाम वाहिद मोहम्मद अपनी ने भय ग्रस्त आंखों से जाकर देखा यहीं इसी मस्जिद में अपने समय के सबसे बड़े विद्वान अबू हज्जाज दफन हैं जि

43

भाग 43

20 अगस्त 2022
0
0
0

इसीलिए पश्चिम वाले ईरान की इस्लामी क्रांति की को आत्मसात नहीं कर पाए अयातुल्लाह खोमेनी और इस्लामी क्रांति में ईरान जैसे सभ्यता संपन्न देश को फिर एक बार उसकी दूरी दे दी आज अपनी धुरी पर लौटकर ईरान अपने

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए