shabd-logo

भाग 16

6 अगस्त 2022

14 बार देखा गया 14

नक्सलवाद का समर्थन कर रहे थे एक के बाद एक ताने कसे तो इमाम नाजिश बौखला गए और और बोले तब तुम भी हमसे कहां लगते अधीन तुम अमृता प्रीतम करतार सिंह दुग्गल मोहन राकेश भीष्म साहनी देवेंद्र सत्यार्थी और यहां तक कि तुम्हारे यशपाल अश्क और आगे तक खामोश रहे तुम लोगों ने पार्टीशन के बाद खौफनाक मंजर पेश किया लेकिन इमानदार समाजसेवियों की तरह वह सिर्फ मंटो था जिसने टोबा टेक सिंह की लाश सरहद एक उधर की धरती फेंक पर फेंकी थी। 

हमने गलती की पर तुमने भी तो उस गलती में हाथ बताया नाम ना जिसने देश में कहा जब सज्जाद जहीर पाकिस्तान कमेटी पार्टी जनरल सेक्रेट्री बने तो ईस्ट पाकिस्तान छोड़कर वेस्ट पाकिस्तान चला गया वही हमें मजे भी बुनियाद पर बने मूल पाठ की असलियत का पता चला मैंने महसूस किया था कि मजहब के नाम पर काम करना गलत था लेकिन अब तो सब मुल्कों में नफरत का एक पाकिस्तान बनाने की कोशिश जारी की है क्या हुआ ओसियां में हुआ क्या चाय साइप्रस में क्या हुआ ।  

तब के टूटे सोवियत और अब के बने एशियन फेडरेशन में क्या हो रहा है आज के पाकिस्तान में हर व्यक्ति रहता है एक ही आदमी की पहचान देती है नफरत से ही आदमी और उसके जाति समुदाय पहचाने जाने लगे हैं नफरत एकता के लिए असीम काम आता है और स्मृतियां जो करती हैं अपने अतीत को ठीक करने की दृष्टि दे सकता है पर इतिहास को भी अतीत अग्निकुंड में झोंक दिया जाता है इतिहास का विश्लेषण उसकी सामाजिक व्याख्या मनुष्य की घड़ा को तर्क में शामिल करती है पर अतीत की पद्धति को स्वीकार नहीं करता वह केवल आशिक शक्तियों को स्मृति की कहानियों में बदल देता है । 

उसे सदियों जीवित रखता है नफरत का एहसास स्कूल है जो जिसमें पहले खुद को प्रताड़ित अपमानित किया जाता है उसे घड़ा की खाद में शिक्षा जाता और उसकी शोध के जोधपुर उसको फिर हमलावर किया जाए जाता है इसलिए घृणा वादियों के प्रति गहरे और एक से होते हैं उनके पास अधिक बातें नहीं होती हजारों लाखों लाखों में से एक ही स्वर बोलते हैं एक प्रश्न उठते हैं उठाते हैं एक से दलीलें देते हैं यही उनकी एकता की पहचान बन जाती है और जलीय भाषण कौन दे रहा है आदि ने पूछा सर यह यहूदी लेखक होमोस्पर्स हैं एक लेखक इस रेगिस्तान में क्या कर रहा है मैंने पता किया है यही या यहीं रहता है रेगिस्तान के आ रहा है रात में या शहर कहां है या बस्ती में हुजूर बस्ती जी हां हुजूर या रेगिस्तानी बस्ती में दुनिया के तमाम शरणार्थी लेखक आकर बस गए चलो मैं तुम्हें ले चलता हूं आओ हम उसकी छाया में कहां हुआ आगे आगे चलने लगी फिर पता नहीं वह कब तक चलते रहे हैं रास्ते में इमाम नागिन ना जिस अपनी दर्द भरी कहानी सुनाते रहे देखो अभी अब मेरे पास पछतावे के सिवा कुछ नहीं नफरत के लिए सैलाब का हमने समर्थन किया है उसने किसी को कहीं भी नहीं पहुंचाया 

शादी को 3 महीने हुए हैं मैं अपने बड़े पूरे घर और बीवी को सैलाब में बहता हुआ पाकिस्तान पहुंच गया अपनी सरजमी से उखड़ कर पाकिस्तान में लगातार मुझे भूमिगत रहना पड़ा मुझे लगता था कि अब शायद मैं कभी अमरोहा लौट नहीं पाऊंगा मेरी बीवी टीचर हो गई और अमरोहा में ही उसने अपनी पूरी जिंदगी बच्चों की पढ़ाई लगा दी उसने हिंदुस्तान में एक नई नस्ल पैदा कर दी मैंने एक बर्बाद कर दी उसी के साथ-साथ मैं खुद ही बर्बाद हो गया मैं बरसों बाद में अमरोहा पहुंच गया पाया पाया कि घर के बच्चे भतीजे भतीजी ने 3344 साल का छोड़कर जवान हो गया गया था वह खुद बाल बच्चे दार हो गए मेरी बीवी रिटायर होने की कगार पर खड़ी है जब अमरोहा में मेरी उससे मुलाकात हुई ऐसी रेगिस्तान पर बेहद खूबसूरत जिंदगी एक औरत ही गुजार सकती है नफरत केशव का हिस्सा बना और मेरी बीवी एक नई तमीज के सैलाब का हिस्सा बनी जिंदगी की राहें ज्यादातर पछतावे से ही खुलती हैं अजीब ने कहा तो अमोस भोजपुरी की लेकिन मुश्किल यह धीरे के सैलाब एक साथ नहीं आते और पछतावे का एहसास भी एक साथ पैदा नहीं होता उसमें समय का अंतराल रहता है । 

इसीलिए इसीलिए सदियां और नस्ले बलवान होती रहती हैं हां जब तक पछतावा उभरता है तब तक कहीं कोई दूसरा अंधेरा सैलाब बनकर आ जाता और जब बहुत-बहुत उसके पछतावे का दौर शुरू होता है तब तक कोई तीसरा चौथा पांचवा अंधेरा उठ खड़ा होता है अभी अभी अपनी बात कही रहा था कि अमोस पोज ने सामने इशारा किया अपने अपने तंबू में सभी मौजूद थे समय को इस तरह बहते देखना उसके लिए अजीब सा अनुभव था कई कई सदियां साथ बहती चली जा रही थी रेत के चीते उस पर पड़े तो उसे बड़ी राहत मिली तभी अर्दली ने पेशकश की हुजूर कहिए तो वक्त को पकड़ लूं जरूरत क्या है इन लेखकों ने खुद समय को कैद किया है हर लेखक का वक्त उसकी किताब में कहे गए इनका हर वक्त वक्त किताब में ज्यादातर मजबूत साबित हुआ है अजीम ने कहा वह अमोश खोज के साथ आगे बढ़ गया बस्ती में शांति थी रेत की जुगनू चारों तरफ भरे हुए थे रेतीले खा खरगोश दौड़ते हुए अतिथि रखते और फिर कहीं और जाते कभी रेट की चादर उड़ती हुई ।  

आती फिर फट जाती है उसके टुकड़े तीनों में बदल जाते हैं तितलियां बस्ती के दूसरे छोर की ओर चली जाती है लेखक की पूरी जमात एक जगह बैठी थी वहां मनुष्य गाथा पर बात चल रही थी हजारी प्रसाद द्विवेदी उस समय कुछ कह रहे थे मिथक तो या एक अलौकिक था है अलौकिक था जिसका प्रथम अनुभव मनुष्य के ने प्रकृति के साथ किया अपनी संकल्प शक्ति से उसने अपने उस अलौकिक अनुभव को अलौकिक और अपराध बना दिया पूरा कथाएं मॉल मौखिक रूप से चलती रहे यह मनुष्य गाथाएं मिथक पूरा कथाएं पौराणिक इतिहास में बदल गई इन्हीं से धर्म कथाएं निकली धारणाएं स्थापित हुई के संकीर्ण धर्मों ने जन्म लिया अपने-अपने ईश्वर को तो इन्हीं संकीर्ण धर्मों ने पैदा किया हां नहीं तो ईश्वर कहां था अपने में ईश्वर को तो इन्हीं संगठनों ने पैदा किया मिट्टी के पलकों पर मौजूद पूरा कथाएं बताती हैं कि ईश्वर अनुमानित और अमर नहीं था उसे इराकी विमल उमिया सभ्यता ने पैदा किया उस सभ्यता पर परम पुरुष और ईश्वर बना वनस्पति था उसके राज्याभिषेक के लिए देवता बुलाए गए थे उसका सिंहासन देवताओं ने खुद बनाया था और उन्होंने मार दूं को परम देव ईश्वर घोषित किया उसे श्रेष्ठ संघार और संभाल ब्रह्मा विष्णु महेश की शक्तियां दी थी उसे असशत प्रदान किए थे। 

43
रचनाएँ
कितने पाकिस्तान
0.0
कितने पाकिस्तान हिन्दी के विख्यात साहित्यकार कमलेश्वर द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 2003 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। यह उपन्यास भारत-पाकिस्तान के बँटवारे और हिंदू-मुस्लिम संबंधों पर आधारित है। यह उनके मन के भीतर चलने वाले अंतर्द्वंद्व का परिणाम माना जाता है।'कितने पाकिस्तान' कमलेश्वर का लिखा हुआ एक प्रयोगवादी उपन्यास है। इस उपन्यास को 2003 के साहित्य अकादमी पुरस्कार से नवाज़ा गया था। यह उपन्यास बाकी उपन्यासों से कई मामलों में अलग है। पहला, इसमें सामान्य घटनायें, जैसे उपन्यासों में होती हैं, नहीं हैं, बल्कि ऐतिहासिक घटनाओं का लेखक के नज़रिये से वर्णन है। क्योंकि सारा कथानक उसी के इर्दगिर्द घूमता है। उपन्यास में सदियों से चले आ रही हिंसा और मारकाट के प्रति गहरा क्षोभ है। पात्रों की इस कमी को इतिहास के प्रसिद्ध व्यक्तियों को कटघरे में लाकर दूर किया गया है। अगर उपन्यास का सार निकालने की कोशिश की जाए तो यही आयेगा कि विभाजन अब बंद होने चाहिये।
1

भाग 1

21 जुलाई 2022
4
0
1

एक भूली हुई दास्तान उसे याद आती है  ।   वह तो एक बंजर जमीन से आया था ।  खामोश  आकर्षणों की दुनिया से जहां कहां कुछ भी नहीं जाता । मन ही मन में कुछ अरमान करवटें लेते हैं । अनबूझी इच्छाएं आती और चली जा

2

भाग 2

21 जुलाई 2022
2
0
0

- हुआ या था नहीं स !  पहले या सुनिए कि हुआ क्या है...... उसने चौक कर आवाज की तरफ देखा था उसका एक में 3 सहायक स्टोनो और अर्दली महमूद उसके सामने खड़ा था।  उसके हाथ में टेलीप्रिंटर से आई खबरों के कुछ कु

3

भाग 3

21 जुलाई 2022
1
0
0

खत भेजने के बाद अभी बहुत परेशान था । वह सोच रहा था कि उसके उद्गार और विचार कहीं देश की रक्षा सुरक्षा के नाम पर दूसरों के लिए मौत तो पैदा नहीं करते क्या एक के जीवित रहने के लिए दूसरे की मौत जरूरी है?

4

भाग 4

21 जुलाई 2022
0
0
0

और तभी यूरोप के सम्राट गिल गमेंश की गूंजती आवाज आई -  - मैं पीड़ा से लड़ लूंगा यातना सहूँगा  कुछ भी हो मैं मृत्यु को पराजित कर लूंगा मैं मृत्यु से मुक्त की औषधि खोज कर लाऊंगा !  सम्राट गिल गणेशा की

5

भाग 5

21 जुलाई 2022
0
0
0

वहां मौजूद तमाम देवताओं की चिंता का एक स्वर में अनुमोदन किया और देवी तान्या ने तब उन्हें आगाह करने वाला भाषण दिया दजला फरात और डेन्यूब की परा धरती के समस्त देवताओं तुम सब आज चिंतित हो क्योंकि मनुष्य म

6

भाग 6

29 जुलाई 2022
0
0
0

उसी कहानी में शामिल है बूटा सिंह और रेतपरी किया की  यह कहानी राजस्थान का तपता रेगिस्तान कोई चीखा बन गया साला पाकिस्तान आसमान की आंख सूखी हुई थी उनमें एक बूंद भी पानी नहीं था मौसम विभाग के वैज्ञानिक

7

भाग 7

29 जुलाई 2022
0
0
0

बूटा सिंह जब जीने के लिए कपड़े लेने निकला था पाकिस्तान नाम की लकीर तो फिर चुकी थी मौसम विशेषज्ञों की भविष्यवाणी सही साबित हुई रक्त की वर्षा हो रही थी रेत परिचय नहीं अभी भी गर्दन तक रेत में दबी हुई है

8

भाग 8

29 जुलाई 2022
0
0
0

आतंकी देवताओं ने धरती की ओर देखा वह सकते में आ गए जो लोग के समस्त सफेद पंखों वाले पंछी देवदासी रोना को लेकर मित्रों पर उतर रहे थे "के समय उसके साथ अभी सभी तरह के पंछी पखेरू शामिल होते गए थे उनमें अंजन

9

भाग 9

29 जुलाई 2022
0
0
0

बूटा सिंह ने कपड़ों की जोड़ी लाकर जीने के पास रख दिया और पूछा निकालूं तुम बाहर जाओ मैं निकाल आऊंगी धीरे-धीरे जैनेब रेट टिकट दे से निकल आई उसने तार-तार हुई कुर्ती को उतारा और वही संभाल कर रख दिया ना जा

10

भाग 10

29 जुलाई 2022
0
0
0

बूटा सिंह ने कपड़ों की जोड़ी लाकर जीने के पास रख दिया और पूछा निकालूं तुम बाहर जाओ मैं निकाल आऊंगी धीरे-धीरे जैनेब रेट टिकट दे से निकल आई उसने तार-तार हुई कुर्ती को उतारा और वही संभाल कर रख दिया ना जा

11

भाग 11

6 अगस्त 2022
0
0
0

उसके  अदालत के दरवाज़े पर रक्त  दस्तके  पड़ने लगी । वह दस्तक  से परेशान था। परेशान नही  पागल। और फिर दस्तक  पर दस्तक  ।पश्मी सीमांत से एके-47 चीनी राइफल ने दस्तक दी । हथियार बनेंगे तो चलेंगेभी ।  उत्तर

12

भाग 12

6 अगस्त 2022
0
0
0

वह कौन सी तारीख थी।  इब्राहिम लोदी से मैंने पार्क पानीपत की लड़ाई 20 अप्रैल 1526 को जीती थी और रजत 15 जुम्मे के दिन यानी 27 अप्रैल 1526 को मारे मेरे नाम का खुतबा पढ़ा गया था या खुद बा मौलाना महमूद और

13

भाग 13

6 अगस्त 2022
0
0
0

अजीम फैजाबाद स्टेशन पर उतरा ही था कि वह धमाकेदार झापड़ उसके पड उसके पड़ा स्टेशन की दीवार पर लिखा हुआ नारा सामने खड़ा था बोला फैजाबाद आए हो तो पहले इसे पढ़ पढ़ो इसमें लिखा था कि अपने धर्म स्थानों का अप

14

भाग 14

6 अगस्त 2022
0
0
0

बस आग लगाते घूम रहे हैं सब ही ना ही चाह सोजत की भारत का क्या होगा पहले ही या हिंदू मुसलमान को लगवाना चाह ना ही लड़ बाय पाए तो अब शिया सुन्नी को डलवाना चाहते हैं अब पानी शरबत बिस्कुट और मूंग के दाल मोड

15

भाग 15

6 अगस्त 2022
0
0
0

हुजूर इन कानूनी बारीकियों में मत जाइए अन्याय अन्याय है अन्याय ग्रस्त औरत की जिंदगी तो मौत से बदतर होती है तुम ठीक कह रहे हो महमूद अली अदालत सीखी तो पूरी श्रेष्ठ कांप उठी नहीं मैं मुद्दों के अलावा जिद्

16

भाग 16

6 अगस्त 2022
0
0
0

नक्सलवाद का समर्थन कर रहे थे एक के बाद एक ताने कसे तो इमाम नाजिश बौखला गए और और बोले तब तुम भी हमसे कहां लगते अधीन तुम अमृता प्रीतम करतार सिंह दुग्गल मोहन राकेश भीष्म साहनी देवेंद्र सत्यार्थी और यहां

17

भाग 17

6 अगस्त 2022
0
0
0

और मार दो अपने ही सब सृष्टि की रचना की थी उसने अपने दादा अनु को आकाश का सम्राट बनाया था अपने पिता ऐसा को धरती का और तब माधुरी ने एक महा मंदिर बनाया था कि आकाश के देवता और ईश्वर जो उसकी प्रजाति धरती पर

18

भाग 18

6 अगस्त 2022
0
0
0

जी शायद आप मुझे ठीक ही पहचान रहे हैं सलमा की जान में जान आई मैं सीएसपी के जनाब आफताब अहमद की हूं  और हिंदुस्तान में रहती हूं वह मेरे नाना है सलमान ने कहा तब पुलिसवाला कुछ नाराज सा होकर काउंटर वाले से

19

भाग 19

6 अगस्त 2022
0
0
0

अदालत में क्या कह रहे हो तुम मैं तो कराची के होलीडे इन होटल के रेस्टोरेंट में बैठा हुआ था और सलमा से बातें कर रहा था हुजूर आपकी यादों की परछाई का नाम क्या है या तो मुझे नहीं मालूम पर आपके होंठ मिलता ल

20

भाग 20

6 अगस्त 2022
0
0
0

तब अजीब चीन से लौट आया था सलमा भी अपने नाना से मिलकर कोटा से लौट आई थी उसे उम्मीद नहीं थी कि इतने महीनों बाद भी सलमा उस पेपर नैपकिन पर लिखे पते पर फोन का नंबर को संभाल कर रखे गी पर उसने रखा था ना रखा

21

भाग 21

6 अगस्त 2022
0
0
0

नहीं नहीं तो या नीम की पत्तियां झड़ रही है ना हां पतझड़ का मौसम है ना नहीं या अंधेरे का मौसम है लगता है मेरा पति पति झड़ रहा है तो एक बात क्यों ना करें क्या हम न कुछ पूछे न जाने अपने रवा अति जिंदगी के

22

भाग 22

13 अगस्त 2022
0
0
0

बिस्तर उनका इंतजार कर रहा था वह भी  वह भी त्रियोबिश की  रेती की तरह साफ़ था। मेरे संपर्क से छूने से कुछ ऐसा तो नहीं जो तुमने जीवित होता हो और मेरा प्रतिकार करता हूं नहीं ऐसा भी कुछ नहीं सलमा ने बहुत गह

23

भाग 23

13 अगस्त 2022
0
0
0

जब अजीब और शर्मा कॉटेज से निकले तब भी नीले फूल खिले हुए थे। सलमा ने साड़ी पहनी थी बदन में बाकी फूल तो साड़ी और ब्लाउज के अंदर उन देशों की तरह समा गए थे । प्रभावों पर उन नीले फूलों की जो लेटर उतर आई थी

24

भाग 24

13 अगस्त 2022
0
0
0

वह मेरा बेटा ही सही पर मर्द हो जीने के लिए कहीं मुश्किल नहीं होता मैं एक रिश्तेदार की तरह आपको राय देता हूं कि बेहतर होगा कि आप अपने बेटे के साथ अपने नाना के पास पाकिस्तान लौट आए नईम ने कहा आप तो बिल्

25

भाग 25

13 अगस्त 2022
0
0
0

कुछ नहीं ऐसे लोग आकर यहां क्यों नहीं समझते कि मुसलमानों के नाम पर पाकिस्तानियों को बोलने का कोई हक नहीं है आज है हिंदुस्तान में पाकिस्तान से ज्यादा मुसलमानों पाकिस्तान से ज्यादा इस्लाम की समझने वाले ल

26

भाग 26

13 अगस्त 2022
0
0
0

सलमा और अधीन ने मजहब तो नहीं बदले पर उन्हें इस बात में मजा जरूर आने लगा या उनके लिए जैसे खेल की बात बन गई सबसे पहले तो उन्होंने जगह बदली वह पूरब की ओर भागे भागते भागते ब्लैक रिवर के घने जंगलों को पार

27

भाग 27

13 अगस्त 2022
0
0
0

वह आवाज बिजली की तरह तड़प और कड़क रही थी और अब वह कौन सी भी कमरे में खड़ी हो गई थी अजीब या कौन है डर से असहमति सलमानी उसके कंधे के पीछे छुपे हुए पूछा मैं चला दो आलमगीर औरंगजेब का जल्लाद मैं कोतवाल भी

28

भाग 28

13 अगस्त 2022
0
0
0

इस्लाम में हर कुदरती जरूरत के लिए जगह है लेकिन जब मजहब और सियासी फायदे के लिए नफरत में बदला जाता है तो एक नहीं तमाम पाकिस्तान पैदा होते हैं मेरी बच्ची तुम्हारी जिंदगी को इस गलत विभाजन ने तोड़ दिया है

29

भाग 29

13 अगस्त 2022
0
0
0

गहरी नहीं जरूरी अंग्रेजों और जिन्ना साहब ने सोचा ही नहीं था कि जब हिंदुस्तान नाम का मूल नसीब होगा तब मेरी जैसी एक सलमा कैसे तक्सीम होगी और वह अपनी इज्जत कहां  कहां तलाशग अदीब ने उसे बहुत प्यार से पुका

30

भाग 30

13 अगस्त 2022
0
0
0

तभी नूरजहाँ  उसका ध्यान नीचे मौजूद रियाया की तरफ दिलाया उधर देखिए हुजूर इतने दिनों बाद आप बाहर निकले आपकी रे आया आपके दीदार के लिए उम्र पड़ी है तभी भीड़ ने पुरजोर आवाजें का आने लगी बादशाह सलामत जिंदाब

31

भाग 31

13 अगस्त 2022
0
0
0

मुझे जाना चाहिए वक्त आप को माफ नहीं करेगा और फिर आपको भी वक्त की बरात बर्बादी का मलाल कठोरता रहेगा सारा शगुफ्ता देखिए आपके अर्दली साहब बेसब्री से आपका इंतजार कर रहे हैं चलने से पहले एक यशपाल दरख्वास्त

32

भाग 32

13 अगस्त 2022
0
0
0

मैंने कोई निमंत्रण बाबर को नहीं भेजा था राणा सांगा नितेश में कहा तुम्हारा वह दावत नामा मेरी तिवारी बाबरनामा में दर्ज है और वह दस्तावेज आज का नहीं सोलवीं सदी का है अगर या गलत है तो तुमने तब क्यों नहीं

33

भाग 33

15 अगस्त 2022
0
0
0

 या गलत है हमारी गलती से विभाजन तो एक सच्ची घटना में तब्दील हो गया था पर विभाजन के भयानक दौर में भी सिंध में मारकाट नहीं हुई हमने मन ही मन अपनी ऐतिहासिक गलती मंजूर करते हुए बहुत भरे दिल से अपने हिंदू

34

भाग 34

15 अगस्त 2022
0
0
0

मुसलमान का था मीरा का था कबीर का था नाना कोटा कोलकाता सुब्रमण्यम भारती और नज़रुल इस्लाम कथा संत रैदास के और ज्ञानेश्वर का था किसका खुदा नहीं था लेकिन इंक इकबाल ने खुदा के मस्जिदों में कैद कर देने का प

35

भाग 35

15 अगस्त 2022
0
0
0

और आपकी सलमा जो खुदा हाफिज कह कर चली गई है इस अहम अदालत का कारोबार रोक कर आपको फिर अपने लिए हासिल करने की कोशिश में लगी है और उधर आपके दोस्त भवानी सिंह उप ईरान की राजधानी तेहरान से लौटकर कुछ जरूरी बात

36

भाग 36

20 अगस्त 2022
0
0
0

हुजूर हमसूफी है इस पागल शहंशाह ने हुजूर पैगंबर के जन्मदिन पर गाए जाने वाले हम हमारे भजनों पर भी पाबंदी लगा दी तब हम सूफी संतों को उसके गुर्गे और दरोगा मिल जावा वाकर के खिलाफ गोलबंद होकर निकलना पड़ा इस

37

भाग 37

20 अगस्त 2022
0
0
0

मौका पाते ही सल्तनत के वजीरे खारी खारी जा राजा रघुनाथ को हटाकर या वादा किसी से मुसलमान को दिया जाए किसी हिंदू अफसर के नीचे मुसलमान को तैनात किया जाए और अब खुलकर इन काफिरों हिंदुओं को बता दिया जाए कि व

38

भाग 38

20 अगस्त 2022
0
0
0

यही कि जो मैंने किया वह गलत भी था वह सही भी था सर जमीन ए हिंद की नजर में मैंने बहुत कुछ गलत किया जो मुझे शायद नहीं करना चाहिए था लेकिन इस्लामी मिल्लत की नजर में जो कुछ मैंने किया वह शायद सही था ऑरेंज

39

भाग 39

20 अगस्त 2022
0
0
0

तभी इतिहास के करोड़ों पन्नों से चीखती हुई आवाज आने लगी औरंगजेब तुम जालिम हो तुमने पोस्ते का पानी पिला पिला कर मुराद को मारना चाहा जब वह तंदुरुस्त शहजादा अफीम के पानी से नहीं मारा तो तुमने उसे चला दो उ

40

भाग 40

20 अगस्त 2022
0
0
0

शिब्ली नोमानी बड़े जोश खरोश से बता रहे थे मजहब की शक्ति का अगर किसी ने पहली बार इस्तेमाल किया तो बस सिर्फ यही दिलेर आलमगीर था कहीं ऐसा तो नहीं कि औरंगजेब ने इस्लाम का सहारा अपनी कमजोरियों और जातियों क

41

भाग 41

20 अगस्त 2022
0
0
0

तुम लोग कहर की बात करते हो हम कयामत बरपा करेंगे और मिस्र में बाप कुछ भी नहीं जिंदा छोड़ेंगे जो इस्लाम से पहले का है हम उसे बराबर करके रहेंगे दूरदराज अमेरिका से आई वहां मिस्र का मूल्य से कुमार अब्दुल र

42

भाग 42

20 अगस्त 2022
0
0
0

या तेज भाई जारी थी कि लश्कर मंदिर के उत्तर पूर्वी तरफ अबू हज आज मंदिर से इमाम वाहिद मोहम्मद अपनी ने भय ग्रस्त आंखों से जाकर देखा यहीं इसी मस्जिद में अपने समय के सबसे बड़े विद्वान अबू हज्जाज दफन हैं जि

43

भाग 43

20 अगस्त 2022
0
0
0

इसीलिए पश्चिम वाले ईरान की इस्लामी क्रांति की को आत्मसात नहीं कर पाए अयातुल्लाह खोमेनी और इस्लामी क्रांति में ईरान जैसे सभ्यता संपन्न देश को फिर एक बार उसकी दूरी दे दी आज अपनी धुरी पर लौटकर ईरान अपने

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए