और आपकी सलमा जो खुदा हाफिज कह कर चली गई है इस अहम अदालत का कारोबार रोक कर आपको फिर अपने लिए हासिल करने की कोशिश में लगी है और उधर आपके दोस्त भवानी सिंह उप ईरान की राजधानी तेहरान से लौटकर कुछ जरूरी बातें आपके आपसे करना चाहते हैं मुझे आपका हुक्म चाहिए कि मैं किस से बुलाऊं देखो अर्दली दोस्त आज ही भवानी सिंह गुप्त दान से लौटकर आए हैं और आज ही हिंदुस्तान की बनती तहजीब के सबसे बड़े पैरोकार नुरुल हसन का देहांत हुआ है मेरा दिल दुख से भरा हुआ है मुझे थोड़ी सी छुट्टी दो अदीब ने कहा वह सब ठीक है और सब को रोको भवानी सिंह गुरसेवक की कुछ और मोहलत मांगू सही हमसे कहो वह और थोड़ा इंतजार करें मोहम्मद बिन कासिम से बोलो कि बाल लौटना चाहे तो लौट जाए महमूद गजनी से कहोगे अपनी लूट का हिसाब तैयार करें और बाबर से कहो तालिबानियों को तोपों की गोलू की परवाह ना करें वह फिलहाल अपनी कब्र में जाकर लेट जाए और इन तमाम फरमान ओं को जारी करने के बाद औरंगजेब से कहो कुछ देर बाद वह अदालत में हाजिर हो औरंगजेब दौलताबाद की अपनी कब्र में आराम से सोया पड़ा था अर्दली ने बड़ी सादगी से औरंगजेब की कब्र दस्तक दी कौन है जो मुझे जगा रहा है कब्र से आवाज आई हुजूर आज अगला वक्त आपसे कुछ बात करना चाहता है तो करो माफ कीजिए संसार अब वक्त और अदालते बदल गई है अब आपको एक अजीब की अदालत में हाजिर होना पड़ेगा अंजलि ने कहा क्या अधिक शायर यह लोग तो उसी मिरासी खानदान के लोग होते हैं वही लोग जिन्हें मैं अपने दरबार और सतना से खारिज कर दिया था !
औरंगजेब ने कहा आज वक्त आप को खारिज करने में लगा है इसीलिए आपको याद करवाया गया है ! अच्छा कहते हुए शहंशाह औरंगजेब उठ कर खड़ा हुआ तो दिशाएं फिराने लगी नदियों ने अपना पानी समेट लिया ताकि शहंशाह को उन्हें पार करने में दिक्कत ना हो वह अर्दली के साथ चल पड़ा बुरहानपुर क्षेत्र के आगे धर्म के पास से औरंगजेब गुजरात और रुक गया जैसे इतिहास उसके सामने एक पल के लिए थम गया हो यही इसी मैदान में यही धर्म में मैंने दारा शिकोह के सिपहसालार राजा जसवंत सिंह की फौजी का सामना किया था क्योंकि धारा मुझे हजरत से मिलने नहीं देना चाहता था ! हजरत अली ने अदब से पूछा मेरे अब्बा हुजूर शहंशाह शाहजहां जो तब गुर्दे की बीमारी से परेशान थे मैंने दक्षिण से पूछ लिया तब मैं बीजापुर से बुरहानपुर पहुंचा था यही राजा जसवंत सिंह ने धर्म की इस जंग में हजारों लोग मारे गए थे !
या हमारे दान लाशों से पड़ गया था जसवंत सिंह जोधपुर तरफ भाग गया था या खून की ईश्वर फैला था इसी खूनी मैदान पर आज खेल खेत लहरा रहे हैं कितना अच्छा लगता है यह देखकर आलमगीर ने कहा तभी 45 छाया एकाएक सामने आकर को विश करने लगी आधा-आधा कौन है आप लोग औरंगजेब ने उन्हें पहचानते हुए कहा आपका जिम सिराजी साहब और आप मोहम्मद शाकिर मुस्ताक खान साहब अरे खाती खान साहब और अकील खान साहब भी अच्छा हुआ आप इतिहासकार मुझे वक्त मिल गए क्योंकि वक्त की अदालत ने मुझे याद फरमाया इसलिए तो हम आज ही हुए हैं मैं तो !
खासतौर से वकालत ए आलमगीर के लेखक अखिल खाक हो भी साथ लाया हूं क्योंकि इन पर दरबार इतिहासकार होने का इल्जाम नहीं लगाया जाता इतिहासकार कासिम सीरीज सिराजी ने कहा हुजूर चलिए अर्दली ने कहा और जब शाहजहां अजीब की अदालत में हाजिर हुआ तो अभी उसे देखता ही रह गया औरंगजेब एक मझोले कद का शानदार आदमी दुबला उम्र और इल्जाम ओके बॉस से बुझे झुके हुए कंधे लंबी आर्य नाक तीखे तराशे हुए नक्सली हुई गोल सफेद दाढ़ी जो उसके बदन में जैतूनी रंग पर और भी ज्यादा खूबसूरत लग रही थी बर्फ की तरह साफ और सफेद मलमल का अंग अंग रखा है !
और पगड़ी भी चमकता हुआ बड़ा सा नगीना की थी और वेलोस नजर से औरंगजेब ने आदि को देखा उसी वक्त सैकड़ों कबूतर हसीनों से उड़कर आसमान में समा गए तब अजीब ने उसे और ज्यादा गौर से देखा ऑरेंज अपने इतिहासकारों के साथ खड़ा था अर्दली ने उसे कुर्सी दी वह एक शहंशाह किसान से बैठ गया आलमगीर दबाव बढ़ा दिया है कि तुम एक धर्मार्थ संस्था थे कटर सुननी थी इसीलिए तुमने दक्षिण की गोलकुंडा बीजापुर खान देशों को बर्बाद किया जो मुसलमान नहीं थे और यह भी तुमने अपनी हिंदू भी आया को सताया उसे तलवार के जोर पर मुसलमान बनाया उनके त्योहारों पर प्रतिबंध लगाए उनके मंदिरों को तोड़ा तुम मराठों से लड़े जो तुम्हारे सबसे अच्छे दोस्त बन सकते थे !
इसके अलावा तुमने अपने पिता शहंशाह को कैद किया अपने भाई दारा शिकोह और मुराद को मरवाया सुझाव को जब्त किया तुमने खून से सनी हिंदुस्तान की गद्दी हासिल की तुम हिंदुस्तान के जरूर धर्म मानते थे इसे दारुल इस्लाम में तब्दील कर देना चाहते थे तुमने कट्टर सुधवादी मुसलमान की तरह को मजहब से जोड़ दिया औरंगजेब अपनी कुर्सी पर बैठा रहा और सामने से एक जुलूस गुजरने लगा चिल्लाते लोग का पहला शहंशाह जिसमें धार्मिक सेंसर लगाया तख्तो ताज हासिल करने के लिए या मूल्यों का गुलाम हो गया अपने भाई दारा से गोवा को मारने के लिए इसे धर्मार्थ उलमा उन माओ की जरूरत पड़ी ताकि इसके नृत्य कारनामों पर कई उंगली ना उठाएं इसीलिए इसे मजहब की जरूरत पड़ी और उसके शासन में मजहब की घुसपैठ शुरू हुई या नक्शबंदी ओं संप्रदाय का चेला बना और शहद में हिंदी का पौधा लगाकर राय और मशवरा देने के लिए इस के दरबार में बैठने लगा इसमें हम संगीतकारों और शायरों को भेजती कि हालांकि हम ज्यादातर मुसलमान थे इसमें हम ज्योतिषियों को दरबार से निकाल दिया क्योंकि हम हिंदू थे !
हमारे मुगलिया शहंशाह का यह रिवाज था कि ईद और दशहरा में हमेशा शामिल होते थे लेकिन जोधपुर के महाराजा जसवंत सिंह को हराने के बाद आलमगीर ने हम हिंदुओं के दशहरा वादी व त्यौहारों में शामिल होना बंद कर दिया और तो और हुजूर या तो हमारी परंपरा थी जब भी कोई हिंदू राजा गद्दी सीन होता था तो शहंशाह उसका तिलक करता था लेकिन उसने तिलक को हिंदू परंपरा कहकर बंद कर दिया या तो छोड़िए अजीब गया इसमें हम मुसलमानों को भी नहीं बख्शा इसमें हुक्म निकाला कि कोई मुसलमान चार अंगुल से बड़ी दाढ़ी नहीं रख सकता तब सल्तनत की हर बस्ती हर मोहल्ले में ना ही लोग पेशियों कैसिया लेकर घूमने लगे और हम गरीब मुसलमानों का जीना मुहाल हो गया इतना ही नहीं हुजूर एक शख्स नशे में धुत डालता हुआ आया और किसने लगाई इस में शराबबंदी का ऐलान किया हम जैसे शौकीन और दिलजले लोगों को शराब पीने के कारण इससे ने सरेआम पिटवा या और कह कर दीवाने हाफिज को पढ़ने से शराब बढ़ती है !
इसमें मदरसों से उसे खारिज करवा दिया इतना ही नहीं उसके गुर्गे मोहम्मद हफीज ने राजनगर के जागीरदार राम सिंह और जागीरदार घुसकर शराब के सारे मटके तोड़ दिए मस्के फाड़ दी 2 दिन तक शराब नालियों बहती रही हम जैसे शौकीन लोग प्यासे बैठे रह गए अर्दली या शराबी को अदालत से बाहर करो अभी अपने हुक्म दिया जनाब जवान जवान जवान में बोला लेकिन इतना सुन लीजिए कि इसने अपनी फिरंगी दोषियों को पीने पिलाने की छूट दी थी दूसरी तरफ उसके विचित्र मंत्री राजा रघुनाथ ने भांग की खेती पर पाबंदी लगा दी समझ में नहीं आता कि बिना सोचे समझे गलत चलना नौकरी करता था !