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भाग 35

15 अगस्त 2022

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और आपकी सलमा जो खुदा हाफिज कह कर चली गई है इस अहम अदालत का कारोबार रोक कर आपको फिर अपने लिए हासिल करने की कोशिश में लगी है और उधर आपके दोस्त भवानी सिंह उप ईरान की राजधानी तेहरान से लौटकर कुछ जरूरी बातें आपके आपसे करना चाहते हैं मुझे आपका हुक्म चाहिए कि मैं किस से बुलाऊं देखो अर्दली दोस्त आज ही भवानी सिंह गुप्त दान से लौटकर आए हैं और आज ही हिंदुस्तान की बनती तहजीब के सबसे बड़े पैरोकार नुरुल हसन का देहांत हुआ है मेरा दिल दुख से भरा हुआ है मुझे थोड़ी सी छुट्टी दो अदीब ने कहा वह सब ठीक है और सब को रोको भवानी सिंह गुरसेवक की कुछ और मोहलत मांगू सही हमसे कहो वह और थोड़ा इंतजार करें मोहम्मद बिन कासिम से बोलो कि बाल लौटना चाहे तो लौट जाए महमूद गजनी से कहोगे अपनी लूट का हिसाब तैयार करें और बाबर से कहो  तालिबानियों को तोपों की गोलू की परवाह ना करें वह फिलहाल अपनी कब्र में जाकर लेट जाए और इन तमाम फरमान ओं को जारी करने के बाद औरंगजेब से कहो कुछ देर बाद वह अदालत में हाजिर हो औरंगजेब दौलताबाद की अपनी कब्र में आराम से सोया पड़ा था अर्दली ने बड़ी सादगी से औरंगजेब की कब्र दस्तक दी कौन है जो मुझे जगा रहा है कब्र से आवाज आई हुजूर आज अगला वक्त आपसे कुछ बात करना चाहता है तो करो माफ कीजिए संसार अब वक्त और अदालते बदल गई है अब आपको एक अजीब की अदालत में हाजिर होना पड़ेगा अंजलि ने कहा क्या अधिक शायर यह लोग तो उसी मिरासी खानदान के लोग होते हैं वही लोग जिन्हें मैं अपने दरबार और सतना से खारिज कर दिया था ! 

औरंगजेब ने कहा आज वक्त आप को खारिज करने में लगा है इसीलिए आपको याद करवाया गया है ! अच्छा कहते हुए शहंशाह औरंगजेब उठ कर खड़ा हुआ तो दिशाएं फिराने लगी नदियों ने अपना पानी समेट लिया ताकि शहंशाह को उन्हें पार करने में दिक्कत ना हो वह अर्दली के साथ चल पड़ा बुरहानपुर क्षेत्र के आगे धर्म के पास से औरंगजेब गुजरात और रुक गया जैसे इतिहास उसके सामने एक पल के लिए थम गया हो यही इसी मैदान में यही धर्म में मैंने दारा शिकोह के सिपहसालार राजा जसवंत सिंह की फौजी का सामना किया था क्योंकि धारा मुझे हजरत से मिलने नहीं देना चाहता था ! हजरत अली ने अदब से पूछा मेरे अब्बा हुजूर शहंशाह शाहजहां जो तब गुर्दे की बीमारी से परेशान थे मैंने दक्षिण से पूछ लिया तब मैं बीजापुर से बुरहानपुर पहुंचा था यही राजा जसवंत सिंह ने धर्म की इस जंग में हजारों लोग मारे गए थे !

  या हमारे दान लाशों से पड़ गया था जसवंत सिंह जोधपुर तरफ भाग गया था या खून की ईश्वर फैला था इसी खूनी मैदान पर आज खेल खेत लहरा रहे हैं कितना अच्छा लगता है यह देखकर आलमगीर ने कहा तभी 45 छाया एकाएक सामने आकर को विश करने लगी आधा-आधा कौन है आप लोग औरंगजेब ने उन्हें पहचानते हुए कहा आपका जिम सिराजी साहब और आप मोहम्मद शाकिर मुस्ताक खान साहब अरे खाती खान साहब और अकील खान साहब भी अच्छा हुआ आप इतिहासकार मुझे वक्त मिल गए क्योंकि वक्त की अदालत ने मुझे याद फरमाया इसलिए तो हम आज ही हुए हैं मैं तो !

  खासतौर से वकालत ए आलमगीर के लेखक अखिल खाक हो भी साथ लाया हूं क्योंकि इन पर दरबार इतिहासकार होने का इल्जाम नहीं लगाया जाता इतिहासकार कासिम सीरीज सिराजी ने कहा हुजूर चलिए अर्दली ने कहा और जब शाहजहां अजीब की अदालत में हाजिर हुआ तो अभी उसे देखता ही रह गया औरंगजेब एक मझोले कद का शानदार आदमी दुबला उम्र और इल्जाम ओके बॉस से बुझे झुके हुए कंधे लंबी आर्य नाक तीखे तराशे हुए नक्सली हुई गोल सफेद दाढ़ी जो उसके बदन में जैतूनी रंग पर और भी ज्यादा खूबसूरत लग रही थी बर्फ की तरह साफ और सफेद मलमल का अंग अंग रखा है !

और पगड़ी भी चमकता हुआ बड़ा सा नगीना की थी और वेलोस नजर से औरंगजेब ने आदि को देखा उसी वक्त सैकड़ों कबूतर हसीनों से उड़कर आसमान में समा गए तब अजीब ने उसे और ज्यादा गौर से देखा ऑरेंज अपने इतिहासकारों के साथ खड़ा था अर्दली ने उसे कुर्सी दी वह एक शहंशाह किसान से बैठ गया आलमगीर दबाव बढ़ा दिया है कि तुम एक धर्मार्थ संस्था थे कटर सुननी थी इसीलिए तुमने दक्षिण की गोलकुंडा बीजापुर खान देशों को बर्बाद किया जो मुसलमान नहीं थे और यह भी तुमने अपनी हिंदू भी आया को सताया उसे तलवार के जोर पर मुसलमान बनाया उनके त्योहारों पर प्रतिबंध लगाए उनके मंदिरों को तोड़ा तुम मराठों से लड़े जो तुम्हारे सबसे अच्छे दोस्त बन सकते थे ! 

 इसके अलावा तुमने अपने पिता शहंशाह को कैद किया अपने भाई दारा शिकोह और मुराद को मरवाया सुझाव को जब्त किया तुमने खून से सनी हिंदुस्तान की गद्दी हासिल की तुम हिंदुस्तान के जरूर धर्म मानते थे इसे दारुल इस्लाम में तब्दील कर देना चाहते थे तुमने कट्टर सुधवादी मुसलमान की तरह को मजहब से जोड़ दिया औरंगजेब अपनी कुर्सी पर बैठा रहा और सामने से एक जुलूस गुजरने लगा चिल्लाते लोग का पहला शहंशाह जिसमें धार्मिक सेंसर लगाया तख्तो ताज हासिल करने के लिए या मूल्यों का गुलाम हो गया अपने भाई दारा से गोवा को मारने के लिए इसे धर्मार्थ उलमा उन माओ की जरूरत पड़ी ताकि इसके नृत्य कारनामों पर कई उंगली ना उठाएं इसीलिए इसे मजहब की जरूरत पड़ी और उसके शासन में मजहब की घुसपैठ शुरू हुई या नक्शबंदी ओं संप्रदाय का चेला बना और शहद में हिंदी का पौधा लगाकर राय और मशवरा देने के लिए इस के दरबार में बैठने लगा इसमें हम संगीतकारों और शायरों को भेजती कि हालांकि हम ज्यादातर मुसलमान थे इसमें हम ज्योतिषियों को दरबार से निकाल दिया क्योंकि हम हिंदू थे !  

हमारे मुगलिया शहंशाह का यह रिवाज था कि ईद और दशहरा में हमेशा शामिल होते थे लेकिन जोधपुर के महाराजा जसवंत सिंह को हराने के बाद आलमगीर ने हम हिंदुओं के दशहरा वादी व त्यौहारों में शामिल होना बंद कर दिया और तो और हुजूर या तो हमारी परंपरा थी जब भी कोई हिंदू राजा गद्दी सीन होता था तो शहंशाह उसका तिलक करता था लेकिन उसने तिलक को हिंदू परंपरा कहकर बंद कर दिया या तो छोड़िए अजीब गया इसमें हम मुसलमानों को भी नहीं बख्शा इसमें हुक्म निकाला कि कोई मुसलमान चार अंगुल से बड़ी दाढ़ी नहीं रख सकता तब सल्तनत की हर बस्ती हर मोहल्ले में ना ही लोग पेशियों कैसिया लेकर घूमने लगे और हम गरीब मुसलमानों का जीना मुहाल हो गया इतना ही नहीं हुजूर एक शख्स नशे में धुत डालता हुआ आया और किसने लगाई इस में शराबबंदी का ऐलान किया हम जैसे शौकीन और दिलजले लोगों को शराब पीने के कारण इससे ने सरेआम पिटवा या और कह कर दीवाने हाफिज को पढ़ने से शराब बढ़ती है !   

इसमें मदरसों से उसे खारिज करवा दिया इतना ही नहीं उसके गुर्गे मोहम्मद हफीज ने राजनगर के जागीरदार राम सिंह और जागीरदार घुसकर शराब के सारे मटके तोड़ दिए मस्के फाड़ दी 2 दिन तक शराब नालियों बहती रही हम जैसे शौकीन लोग प्यासे बैठे रह गए अर्दली या शराबी को अदालत से बाहर करो अभी अपने हुक्म दिया जनाब जवान जवान जवान में बोला लेकिन इतना सुन लीजिए कि इसने अपनी फिरंगी दोषियों को पीने पिलाने की छूट दी थी दूसरी तरफ उसके विचित्र मंत्री राजा रघुनाथ ने भांग की खेती पर पाबंदी लगा दी समझ में नहीं आता कि बिना सोचे समझे गलत चलना नौकरी करता था !  

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रचनाएँ
कितने पाकिस्तान
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कितने पाकिस्तान हिन्दी के विख्यात साहित्यकार कमलेश्वर द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 2003 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। यह उपन्यास भारत-पाकिस्तान के बँटवारे और हिंदू-मुस्लिम संबंधों पर आधारित है। यह उनके मन के भीतर चलने वाले अंतर्द्वंद्व का परिणाम माना जाता है।'कितने पाकिस्तान' कमलेश्वर का लिखा हुआ एक प्रयोगवादी उपन्यास है। इस उपन्यास को 2003 के साहित्य अकादमी पुरस्कार से नवाज़ा गया था। यह उपन्यास बाकी उपन्यासों से कई मामलों में अलग है। पहला, इसमें सामान्य घटनायें, जैसे उपन्यासों में होती हैं, नहीं हैं, बल्कि ऐतिहासिक घटनाओं का लेखक के नज़रिये से वर्णन है। क्योंकि सारा कथानक उसी के इर्दगिर्द घूमता है। उपन्यास में सदियों से चले आ रही हिंसा और मारकाट के प्रति गहरा क्षोभ है। पात्रों की इस कमी को इतिहास के प्रसिद्ध व्यक्तियों को कटघरे में लाकर दूर किया गया है। अगर उपन्यास का सार निकालने की कोशिश की जाए तो यही आयेगा कि विभाजन अब बंद होने चाहिये।
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भाग 1

21 जुलाई 2022
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एक भूली हुई दास्तान उसे याद आती है  ।   वह तो एक बंजर जमीन से आया था ।  खामोश  आकर्षणों की दुनिया से जहां कहां कुछ भी नहीं जाता । मन ही मन में कुछ अरमान करवटें लेते हैं । अनबूझी इच्छाएं आती और चली जा

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भाग 2

21 जुलाई 2022
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- हुआ या था नहीं स !  पहले या सुनिए कि हुआ क्या है...... उसने चौक कर आवाज की तरफ देखा था उसका एक में 3 सहायक स्टोनो और अर्दली महमूद उसके सामने खड़ा था।  उसके हाथ में टेलीप्रिंटर से आई खबरों के कुछ कु

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भाग 3

21 जुलाई 2022
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खत भेजने के बाद अभी बहुत परेशान था । वह सोच रहा था कि उसके उद्गार और विचार कहीं देश की रक्षा सुरक्षा के नाम पर दूसरों के लिए मौत तो पैदा नहीं करते क्या एक के जीवित रहने के लिए दूसरे की मौत जरूरी है?

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भाग 4

21 जुलाई 2022
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और तभी यूरोप के सम्राट गिल गमेंश की गूंजती आवाज आई -  - मैं पीड़ा से लड़ लूंगा यातना सहूँगा  कुछ भी हो मैं मृत्यु को पराजित कर लूंगा मैं मृत्यु से मुक्त की औषधि खोज कर लाऊंगा !  सम्राट गिल गणेशा की

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भाग 5

21 जुलाई 2022
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वहां मौजूद तमाम देवताओं की चिंता का एक स्वर में अनुमोदन किया और देवी तान्या ने तब उन्हें आगाह करने वाला भाषण दिया दजला फरात और डेन्यूब की परा धरती के समस्त देवताओं तुम सब आज चिंतित हो क्योंकि मनुष्य म

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भाग 6

29 जुलाई 2022
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उसी कहानी में शामिल है बूटा सिंह और रेतपरी किया की  यह कहानी राजस्थान का तपता रेगिस्तान कोई चीखा बन गया साला पाकिस्तान आसमान की आंख सूखी हुई थी उनमें एक बूंद भी पानी नहीं था मौसम विभाग के वैज्ञानिक

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भाग 7

29 जुलाई 2022
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बूटा सिंह जब जीने के लिए कपड़े लेने निकला था पाकिस्तान नाम की लकीर तो फिर चुकी थी मौसम विशेषज्ञों की भविष्यवाणी सही साबित हुई रक्त की वर्षा हो रही थी रेत परिचय नहीं अभी भी गर्दन तक रेत में दबी हुई है

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भाग 8

29 जुलाई 2022
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आतंकी देवताओं ने धरती की ओर देखा वह सकते में आ गए जो लोग के समस्त सफेद पंखों वाले पंछी देवदासी रोना को लेकर मित्रों पर उतर रहे थे "के समय उसके साथ अभी सभी तरह के पंछी पखेरू शामिल होते गए थे उनमें अंजन

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भाग 9

29 जुलाई 2022
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बूटा सिंह ने कपड़ों की जोड़ी लाकर जीने के पास रख दिया और पूछा निकालूं तुम बाहर जाओ मैं निकाल आऊंगी धीरे-धीरे जैनेब रेट टिकट दे से निकल आई उसने तार-तार हुई कुर्ती को उतारा और वही संभाल कर रख दिया ना जा

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भाग 10

29 जुलाई 2022
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बूटा सिंह ने कपड़ों की जोड़ी लाकर जीने के पास रख दिया और पूछा निकालूं तुम बाहर जाओ मैं निकाल आऊंगी धीरे-धीरे जैनेब रेट टिकट दे से निकल आई उसने तार-तार हुई कुर्ती को उतारा और वही संभाल कर रख दिया ना जा

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भाग 11

6 अगस्त 2022
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उसके  अदालत के दरवाज़े पर रक्त  दस्तके  पड़ने लगी । वह दस्तक  से परेशान था। परेशान नही  पागल। और फिर दस्तक  पर दस्तक  ।पश्मी सीमांत से एके-47 चीनी राइफल ने दस्तक दी । हथियार बनेंगे तो चलेंगेभी ।  उत्तर

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भाग 12

6 अगस्त 2022
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वह कौन सी तारीख थी।  इब्राहिम लोदी से मैंने पार्क पानीपत की लड़ाई 20 अप्रैल 1526 को जीती थी और रजत 15 जुम्मे के दिन यानी 27 अप्रैल 1526 को मारे मेरे नाम का खुतबा पढ़ा गया था या खुद बा मौलाना महमूद और

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भाग 13

6 अगस्त 2022
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अजीम फैजाबाद स्टेशन पर उतरा ही था कि वह धमाकेदार झापड़ उसके पड उसके पड़ा स्टेशन की दीवार पर लिखा हुआ नारा सामने खड़ा था बोला फैजाबाद आए हो तो पहले इसे पढ़ पढ़ो इसमें लिखा था कि अपने धर्म स्थानों का अप

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भाग 14

6 अगस्त 2022
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बस आग लगाते घूम रहे हैं सब ही ना ही चाह सोजत की भारत का क्या होगा पहले ही या हिंदू मुसलमान को लगवाना चाह ना ही लड़ बाय पाए तो अब शिया सुन्नी को डलवाना चाहते हैं अब पानी शरबत बिस्कुट और मूंग के दाल मोड

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भाग 15

6 अगस्त 2022
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हुजूर इन कानूनी बारीकियों में मत जाइए अन्याय अन्याय है अन्याय ग्रस्त औरत की जिंदगी तो मौत से बदतर होती है तुम ठीक कह रहे हो महमूद अली अदालत सीखी तो पूरी श्रेष्ठ कांप उठी नहीं मैं मुद्दों के अलावा जिद्

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भाग 16

6 अगस्त 2022
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नक्सलवाद का समर्थन कर रहे थे एक के बाद एक ताने कसे तो इमाम नाजिश बौखला गए और और बोले तब तुम भी हमसे कहां लगते अधीन तुम अमृता प्रीतम करतार सिंह दुग्गल मोहन राकेश भीष्म साहनी देवेंद्र सत्यार्थी और यहां

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भाग 17

6 अगस्त 2022
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और मार दो अपने ही सब सृष्टि की रचना की थी उसने अपने दादा अनु को आकाश का सम्राट बनाया था अपने पिता ऐसा को धरती का और तब माधुरी ने एक महा मंदिर बनाया था कि आकाश के देवता और ईश्वर जो उसकी प्रजाति धरती पर

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भाग 18

6 अगस्त 2022
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जी शायद आप मुझे ठीक ही पहचान रहे हैं सलमा की जान में जान आई मैं सीएसपी के जनाब आफताब अहमद की हूं  और हिंदुस्तान में रहती हूं वह मेरे नाना है सलमान ने कहा तब पुलिसवाला कुछ नाराज सा होकर काउंटर वाले से

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भाग 19

6 अगस्त 2022
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अदालत में क्या कह रहे हो तुम मैं तो कराची के होलीडे इन होटल के रेस्टोरेंट में बैठा हुआ था और सलमा से बातें कर रहा था हुजूर आपकी यादों की परछाई का नाम क्या है या तो मुझे नहीं मालूम पर आपके होंठ मिलता ल

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भाग 20

6 अगस्त 2022
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तब अजीब चीन से लौट आया था सलमा भी अपने नाना से मिलकर कोटा से लौट आई थी उसे उम्मीद नहीं थी कि इतने महीनों बाद भी सलमा उस पेपर नैपकिन पर लिखे पते पर फोन का नंबर को संभाल कर रखे गी पर उसने रखा था ना रखा

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भाग 21

6 अगस्त 2022
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नहीं नहीं तो या नीम की पत्तियां झड़ रही है ना हां पतझड़ का मौसम है ना नहीं या अंधेरे का मौसम है लगता है मेरा पति पति झड़ रहा है तो एक बात क्यों ना करें क्या हम न कुछ पूछे न जाने अपने रवा अति जिंदगी के

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भाग 22

13 अगस्त 2022
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बिस्तर उनका इंतजार कर रहा था वह भी  वह भी त्रियोबिश की  रेती की तरह साफ़ था। मेरे संपर्क से छूने से कुछ ऐसा तो नहीं जो तुमने जीवित होता हो और मेरा प्रतिकार करता हूं नहीं ऐसा भी कुछ नहीं सलमा ने बहुत गह

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भाग 23

13 अगस्त 2022
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जब अजीब और शर्मा कॉटेज से निकले तब भी नीले फूल खिले हुए थे। सलमा ने साड़ी पहनी थी बदन में बाकी फूल तो साड़ी और ब्लाउज के अंदर उन देशों की तरह समा गए थे । प्रभावों पर उन नीले फूलों की जो लेटर उतर आई थी

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भाग 24

13 अगस्त 2022
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वह मेरा बेटा ही सही पर मर्द हो जीने के लिए कहीं मुश्किल नहीं होता मैं एक रिश्तेदार की तरह आपको राय देता हूं कि बेहतर होगा कि आप अपने बेटे के साथ अपने नाना के पास पाकिस्तान लौट आए नईम ने कहा आप तो बिल्

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भाग 25

13 अगस्त 2022
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कुछ नहीं ऐसे लोग आकर यहां क्यों नहीं समझते कि मुसलमानों के नाम पर पाकिस्तानियों को बोलने का कोई हक नहीं है आज है हिंदुस्तान में पाकिस्तान से ज्यादा मुसलमानों पाकिस्तान से ज्यादा इस्लाम की समझने वाले ल

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भाग 26

13 अगस्त 2022
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सलमा और अधीन ने मजहब तो नहीं बदले पर उन्हें इस बात में मजा जरूर आने लगा या उनके लिए जैसे खेल की बात बन गई सबसे पहले तो उन्होंने जगह बदली वह पूरब की ओर भागे भागते भागते ब्लैक रिवर के घने जंगलों को पार

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भाग 27

13 अगस्त 2022
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वह आवाज बिजली की तरह तड़प और कड़क रही थी और अब वह कौन सी भी कमरे में खड़ी हो गई थी अजीब या कौन है डर से असहमति सलमानी उसके कंधे के पीछे छुपे हुए पूछा मैं चला दो आलमगीर औरंगजेब का जल्लाद मैं कोतवाल भी

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भाग 28

13 अगस्त 2022
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इस्लाम में हर कुदरती जरूरत के लिए जगह है लेकिन जब मजहब और सियासी फायदे के लिए नफरत में बदला जाता है तो एक नहीं तमाम पाकिस्तान पैदा होते हैं मेरी बच्ची तुम्हारी जिंदगी को इस गलत विभाजन ने तोड़ दिया है

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भाग 29

13 अगस्त 2022
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गहरी नहीं जरूरी अंग्रेजों और जिन्ना साहब ने सोचा ही नहीं था कि जब हिंदुस्तान नाम का मूल नसीब होगा तब मेरी जैसी एक सलमा कैसे तक्सीम होगी और वह अपनी इज्जत कहां  कहां तलाशग अदीब ने उसे बहुत प्यार से पुका

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भाग 30

13 अगस्त 2022
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तभी नूरजहाँ  उसका ध्यान नीचे मौजूद रियाया की तरफ दिलाया उधर देखिए हुजूर इतने दिनों बाद आप बाहर निकले आपकी रे आया आपके दीदार के लिए उम्र पड़ी है तभी भीड़ ने पुरजोर आवाजें का आने लगी बादशाह सलामत जिंदाब

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भाग 31

13 अगस्त 2022
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मुझे जाना चाहिए वक्त आप को माफ नहीं करेगा और फिर आपको भी वक्त की बरात बर्बादी का मलाल कठोरता रहेगा सारा शगुफ्ता देखिए आपके अर्दली साहब बेसब्री से आपका इंतजार कर रहे हैं चलने से पहले एक यशपाल दरख्वास्त

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भाग 32

13 अगस्त 2022
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मैंने कोई निमंत्रण बाबर को नहीं भेजा था राणा सांगा नितेश में कहा तुम्हारा वह दावत नामा मेरी तिवारी बाबरनामा में दर्ज है और वह दस्तावेज आज का नहीं सोलवीं सदी का है अगर या गलत है तो तुमने तब क्यों नहीं

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भाग 33

15 अगस्त 2022
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 या गलत है हमारी गलती से विभाजन तो एक सच्ची घटना में तब्दील हो गया था पर विभाजन के भयानक दौर में भी सिंध में मारकाट नहीं हुई हमने मन ही मन अपनी ऐतिहासिक गलती मंजूर करते हुए बहुत भरे दिल से अपने हिंदू

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भाग 34

15 अगस्त 2022
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मुसलमान का था मीरा का था कबीर का था नाना कोटा कोलकाता सुब्रमण्यम भारती और नज़रुल इस्लाम कथा संत रैदास के और ज्ञानेश्वर का था किसका खुदा नहीं था लेकिन इंक इकबाल ने खुदा के मस्जिदों में कैद कर देने का प

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भाग 35

15 अगस्त 2022
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और आपकी सलमा जो खुदा हाफिज कह कर चली गई है इस अहम अदालत का कारोबार रोक कर आपको फिर अपने लिए हासिल करने की कोशिश में लगी है और उधर आपके दोस्त भवानी सिंह उप ईरान की राजधानी तेहरान से लौटकर कुछ जरूरी बात

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भाग 36

20 अगस्त 2022
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हुजूर हमसूफी है इस पागल शहंशाह ने हुजूर पैगंबर के जन्मदिन पर गाए जाने वाले हम हमारे भजनों पर भी पाबंदी लगा दी तब हम सूफी संतों को उसके गुर्गे और दरोगा मिल जावा वाकर के खिलाफ गोलबंद होकर निकलना पड़ा इस

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20 अगस्त 2022
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मौका पाते ही सल्तनत के वजीरे खारी खारी जा राजा रघुनाथ को हटाकर या वादा किसी से मुसलमान को दिया जाए किसी हिंदू अफसर के नीचे मुसलमान को तैनात किया जाए और अब खुलकर इन काफिरों हिंदुओं को बता दिया जाए कि व

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भाग 38

20 अगस्त 2022
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यही कि जो मैंने किया वह गलत भी था वह सही भी था सर जमीन ए हिंद की नजर में मैंने बहुत कुछ गलत किया जो मुझे शायद नहीं करना चाहिए था लेकिन इस्लामी मिल्लत की नजर में जो कुछ मैंने किया वह शायद सही था ऑरेंज

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भाग 39

20 अगस्त 2022
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तभी इतिहास के करोड़ों पन्नों से चीखती हुई आवाज आने लगी औरंगजेब तुम जालिम हो तुमने पोस्ते का पानी पिला पिला कर मुराद को मारना चाहा जब वह तंदुरुस्त शहजादा अफीम के पानी से नहीं मारा तो तुमने उसे चला दो उ

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भाग 40

20 अगस्त 2022
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शिब्ली नोमानी बड़े जोश खरोश से बता रहे थे मजहब की शक्ति का अगर किसी ने पहली बार इस्तेमाल किया तो बस सिर्फ यही दिलेर आलमगीर था कहीं ऐसा तो नहीं कि औरंगजेब ने इस्लाम का सहारा अपनी कमजोरियों और जातियों क

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भाग 41

20 अगस्त 2022
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तुम लोग कहर की बात करते हो हम कयामत बरपा करेंगे और मिस्र में बाप कुछ भी नहीं जिंदा छोड़ेंगे जो इस्लाम से पहले का है हम उसे बराबर करके रहेंगे दूरदराज अमेरिका से आई वहां मिस्र का मूल्य से कुमार अब्दुल र

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भाग 42

20 अगस्त 2022
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या तेज भाई जारी थी कि लश्कर मंदिर के उत्तर पूर्वी तरफ अबू हज आज मंदिर से इमाम वाहिद मोहम्मद अपनी ने भय ग्रस्त आंखों से जाकर देखा यहीं इसी मस्जिद में अपने समय के सबसे बड़े विद्वान अबू हज्जाज दफन हैं जि

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भाग 43

20 अगस्त 2022
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इसीलिए पश्चिम वाले ईरान की इस्लामी क्रांति की को आत्मसात नहीं कर पाए अयातुल्लाह खोमेनी और इस्लामी क्रांति में ईरान जैसे सभ्यता संपन्न देश को फिर एक बार उसकी दूरी दे दी आज अपनी धुरी पर लौटकर ईरान अपने

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