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भाग 11

6 अगस्त 2022

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उसके  अदालत के दरवाज़े पर रक्त  दस्तके  पड़ने लगी । वह दस्तक  से परेशान था। परेशान नही  पागल। और फिर दस्तक  पर दस्तक  ।पश्मी सीमांत से एके-47 चीनी राइफल ने दस्तक दी । हथियार बनेंगे तो चलेंगेभी ।  उत्तर पश्चिमी सीमांत से भागकर आए परिवारों ने दस्तक दी । उनकी आंखों और कराहो  ने दस्तक दी ।  अदालत ने पूछा तुम कौन हो। उन्होंने उत्तर दिया हम कश्मीर में हिंदू हैं । पर हिंदुस्तान में कश्मीरी कहलाते हैं।  

 तभी उत्तर पूर्व से  गोली आई उल्फा उग्रवादियों ने दस्तक दी । चाय बागान से या  दस्तक  आई थी तब सन 1984 की विधाएं दस्तक देने लगी ।  दक्षिण से नक्सल पंछियों ने दस्तक दी। साथ ही में  चुनाव के बीच मुर्दे  दस्तके देने लगे बटाला बस कांड की लाशें चीखने लगी फिर लोकसभा ने दस्तक दी पिछले 1 साल में जो 10,000 लोग सांप्रदायिक दंगों में मारे गए थे।  

वह खड़े होकर शोर मचाने लगे।  लोकतंत्र बहाली के समर्थक नेपाली सहित दरवाजे और दीवारें पीटने लगे लंका के नीतियों ने पीछे से दस्तक दी कराची के दंगों में मारे गए लोग अभी खड़े ही थे । कि उनकी कला कतार में ताजा मुर्दे शामिल हो गए।  अदालत उनकी बात सुनती उससे पहले सिमरनजीत सिंह मान तलवार लेकर आ गए । उसने तलवार से कहो का दिया जामा मस्जिद से अब्दुल्ला बुखारी ने दस्तक दी।  अकबर बाबरी मस्जिद ढाई  जाएगी तो खून की नदियां बहा दी जाएंगी इस शाही इमाम का यह ऐलान है ।

तब रिक्शेवाले ने अदालत के कुर्ते का कोना खींचते हुए कहा शहनशा चले गए शहंशाह खत्म हो गई पर यह अब तक शाही इमाम बने कैसे बैठे हैं ।  दस्तक के देते हाथ हंस पड़े अदालत ने ताकीद की खामोश हंसी तो खामोश हो गई ।  लेकिन दे सके तो खामोश नहीं होती और अदालत के एक कोने में पड़े शहाबुद्दीन ने अपनी खांसी से दस्तक दी ।

जो इंडियन मुस्लिम नहीं  इंडियन पत्रिका निकालते हैं । अपनी इंसाफ पार्टी का शव सीने से लगाए हुए थे। अदालत ने शहाबुद्दीन से पूछा तुम कैसे हो इन दिनों मेरी हालत मुर्दों से बदतर है मुझे कुछ कहना इतना कहकर साबुद्दीन फिर खासने लगे ।

अदालत खांसी का उत्तर नहीं देती लेकिन इस खांसी में बीमारी के जरा सीन थे । इसीलिए वह खांसी भी दस्तक बन गई थी।  तभी दहाड़ दहाड़ कर विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल के नेता दस्तक देने लगे । 

राम जन्मभूमि मंदिर बन के रहेगा बल्कि हम कृष्ण जन्मभूमि और काशी विश्वनाथ के मंदिर को भी मुक्त कर के दम लेंगे । लेखक की अदालत ने हुक्म दिया अदालत की खिड़कियों और रोशनीयों को भी खोल दिया जाए । ताकि किसी दस्तक को आने में दिक्कत ना हो या ऐलान होते ही हिंदुस्तान मशीन टूल्स श्रीनगर के महाप्रबंधक एच एल खेड़ा का शव हाजिर हुआ । 

वह शव गोलियों से छलनी था और खून से तरबतरआते ही वह चीखने लगा  मुझे दोपहर 1:30 बजे मारा गया है ।  मुझे बटमालू इलाके में लाया गया कार से उतारकर मुझे छलनी कर दिया गया रुबिया सईद का बाप तो गृहमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद था ।  क्या इस मुल्क में मेरा कोई बात नहीं है ।  अदालत ने कहा या खेड़ा पागल हो गया है ।  इसे मालूम होना चाहिए कि जो लोग मुल्क को प्यार करते हैं उनका कोई बाप इस मुल्क में नहीं रहता अदालत एक और दस तक पढ़ी अदालत ने मुड़कर कहा आदाब और आगे पूछा आप कौन सी दस्तक है मुझे प्रोफेसर मुशीर उल हक कहते हैं ।

मैं कश्मीर यूनिवर्सिटी का वाइस चांसलर था इससे पहले जामिया मिलिया दिल्ली में था मैं इस्लामिक स्टडीज का प्रोफेसर हूं । मुझे आज शाम श्रीनगर के बाद शियाबाग इलाके में मार दिया गया यह आपके कंधे पर क्या लगा है अदालत ने जानना चाहा हुजूर यह मेरी सिरकेटी अब्दुल गनी की लाश है ।  यह भी मेरे हाथ साथ ही मारा गया तब तक पिछली तरफ से खड़ी बड़ी तेज  के पढ़ने लगी अर्दली ने अदालत को आकर बताया कि बड़ौदा गुजरात में हुए दंगे के मुर्दे दस्तक दे रहे हैं  । 

उनमें एक अधमरा घायल भी है जो काफी कभी भी मर सकता है  । तो पहले उसे मरने दो मेरे पास जिंदा या आज मेरे के लिए वक्त नहीं है मुझे मुर्दों से निपटना है अदालत ने अगली को झाड़ दिया और जली तमतमा उठा अगर आप जिंदा या मरो की बात नहीं सुनेंगे तो मरने वालों की तादाद बढ़ने बढ़ती जाएगी खून बढ़ने से काम नहीं चलेगा खून का खुला हुआ नल बंद कीजिए या लगातार बह रहा है जो अदालत की कि मैं चुप नहीं रहूंगा अदालत को सियासत चुप करा सकती या पुलिस लेकिन आप लेखक होकर चुप करा रहे हैं मुझे लानत है आप पर अली भड़क उठा अदालत ने अपनी गलती फौरन मंजूर कि मैं माफी चाहता हूं महमूद लेकिन यह रोने की आवाज कैसी आ रही है यह दस्तक तो मुझे परेशान करती है । 

 यह बेगम मुशीर के रोने की आवाज है लेकिन मुशीर साहब तो यहां खड़े हैं कंधे पर अब्दुल गनी की लाश लादे हुए यह तुम्हें नजर नहीं आते अदालत ने पूछा जी वह बात यह है कि इनकी धूप तो यहां चली आई लेकिन श्रीनगर से सही मय्यत को दिल्ली पहुंचने में दिल्लगी बेगम मुशीर जिस प्लेन में सफर कर रही थी उसी में पर्दे के पीछे इनकी लाज रखी थी ने कुछ पता नहीं था फिर उनके दामाद अब्दुल सलाम ने धीरे-धीरे उन्हें बताना और समझाना शुरू किया आखिर लास्ट जामिया नगर पहुंच गई पर बेगम मौत वह मंजूर नहीं कर सकी बोली डॉक्टर को बुलाओ यह जिंदा है बस तभी से बेगम रो रही है तो उन्हें बताओ की मौत को मंजूर करें जो कुछ भी मुर्दा हो जाता है उसे जल्दी से जल्दी मंजूर करने से ही दुनिया बदलती है। 

अदालत ने कहा तभी खून के दो बम अदालत में फर्क पड़े सब शराब और हो गए आखिर खून से तरबतर अपना मुंह पहुंचकर अदालत ने पूछा यह खून के बम कब कब से बनने लगे जब से आजादी मिली आजादी कब मिली अदालत ने पूछा अर्दली ठाकर हंस पड़ा शर्म कीजिए अदीबा लिया अदालत खोलकर बैठे हो पर अदालत के पास जो मामूली जानकारियां होनी चाहिए वह भी आपके पास नहीं है और अगर हैं तो आप हमें बुद्धू बना बनाना चाहते हो या फिर आप सन 1947 के उसी दौर में रह रहे हो जिस दौर में आजादी को आप जैसे बुद्धिजीवी ने झूठा झूठा कर कहा था इस बार अदालत ठहाके 

हंसी लेकिन इस दौर में भी तो जामा मस्जिद का शाही इमाम आजादी को झूठा कहता है यह अब तक नहीं बदला और ना वक्त को बदलने देता है या नहीं बदलने देगा क्योंकि या जाहिल हिंदुस्तानियों का सरगना है दूसरी तरफ वाहनों की दूसरे नेता खड़े हैं अशोक सिंघल जो हिंदू नहीं जैनी है और वह महंत अवैद्यनाथ जो गोरख पंथी है अर्दली अदालत को बता रहा था इनके अलावा भी बहुत से हैं हुजूर जनों की कमी नहीं है इस मुल्क में इंजॉय लो की फसल कब बोई गई अदालत ने पूछा तो एक मुद्दा कहे कराता हुआ उठ खड़ा हुआ सरकार यह फसल सन 47 में बोई गई इस फसल को खून से सीच आ गया है । 

भागलपुर का एक मुर्गा बोला मेरठ अहमदाबाद बड़ौदा कानपुर और ना जाने कितनी जगहों के मुर्दों ने उसकी हां में हां मिलाई तुम किस फसल के दाने हो अदालत ने दरयाफ्त किया हम भी उसी फसल के दाने हैं नहीं एक नौजवान मुर्दा सीखा यह होंगे मैं नहीं हूं मेरी नस खालिस हिंदुस्तानी है ।  मैं सन 1947 के बाद पैदा हुआ हूं और अब भागलपुर में मारा गया हूं । 

 और तुम अदालत ने दूसरों नौजवान ने पूछा तमीज से बात कीजिए मैं मुद्दा नहीं सही हूं मुझे पुलिस ने मांड इलाके में मारा है तुम वहां क्या कर रहे थे मैं खाली स्थान बना रहा था तभी कराची का एक मुजाहिद खड़ा हो गया मैं भी मारा गया हूं क्यों क्योंकि मैं पाकिस्तान में पाकिस्तान बना रहा था तो क्या सन 1947 में पाकिस्तान नहीं था बना बना लेकिन वह तो जुगरा फिर जुगराफिया की बात है हमारे दिमाग हो और दिलों में पाकिस्तान का जो नक्शा बनाया गया था वह अभी पूरा नहीं हुआ है  ।

 वह कभी पूरा भी नहीं होगा त्रिशूल पकड़े एक मुर्दे ने तेज तलक गुजराती आवाज में कहा अब भारत अखंड होगा और उसने नारा लगाया रामकेश और विश्वनाथ तीनों लेंगे एक साथ तभी खून के कई बम एक साथ अदालत में फटे और सारे लोग एक बार फिर खून के से नहा गए इस बार खून में इतना तेजाब था कि कई मुद्दों के बदन पर अकेले पड़ गए अपने फूलों को काटता हुआ 16 मुर्दा दहाड़ पड़ा मुझे तो सोफिया में मारा गया मतलब मैं खालिस्तानी नहीं हूं मैं तो कश्मीरी हूं।  

लेकिन मुझे फिर भी मारा गया मुझे मुझसे कहा गया कि अपनी घड़ी का वक्त बदलो इसे पीछे करो और सुनो को पाकिस्तानी वक्त पर लाओ क्या वक्त को पीछे करने से पाकिस्तान बन जाता है अदालत ने पूछा मुझे नहीं मालूम पर मुझसे कहा गया कि सिर्फ हरी पगड़ी पहनो और झटके की दुकान बंद करो कश्मीरी पंडितों से कहा गया पंडित यहां से भाग जाओ पंडिताइन को छोड़ जाओ उनमें से कई भागते हुए का आप की अदालत में आ रहे हैं  । 

कुछ तो आ चुके हैं अर्दली ने जोड़ा तुम उसी साहब आप कश्मीरी पंडित हैं अदालत ने जानना चाहा जी नहीं मैं मुसलमान हूं  ।  पांच वक्त की नमाज पढ़ता हूं नमाज पढ़ने ही जा रहा था कि मुझे किडनैप किया गया और दूसरे दिन मारा गया मुशीर साहब बोले हुजूर अपने ठीक ठीक फरमाया था कि वक्त को पीछे ले जाने से पाकिस्तान बन जाता है तो वक्त को घसीट कर कोई भी कितने पीछे ले जाएगा बाबर तक त्रिशूलधारी सीखा क्योंकि हमारी गुलामी का इतिहास बाबर से शुरू होता है 

नहीं हमारी गुलामी का इतिहास अंग्रेजों के आने से शुरू हुआ तो शुरू होता है भागलपुर का एक बुड्ढा चिल्लाया अंग्रेजों ने हमारी सल्तनत बहादुर शाह जफर से छीनी थी जो वह जब गए तो उन्हें हमारी सल्तनत हमें देख कर जाना चाहिए था बाबर तो गाजी था बाबर बाबर बाबर था दरिंदा था उसने आते ही और ध्यान में हमारा राम जन्मभूमि मंदिर तोड़ा था और वहां बाबरी मस्जिद बनवाई थी पाकिस्तान बनना तो उसी दिन से शुरु हो गया था त्रिशूलधारी भड़का यह गलत है । 

 मेरठ एक अधेड़ सीखा यह सही है त्रिशूलधारी और बड़ा का अदालत ने अजीब सा हंगामा बरपा मुर्दों के आंखें भर गई वह बदन पर जमे खून के थक्के चढ़ने लगे छेड़ने के साथ-साथ ताजा खून भी रिसने लगा यह ताजा खून कहां से आया तुम्हारा तो खून हो चुका है या बाबर की रंगों से आया है त्रिशूल बहुत जोश में था उसके जोश में और उनके चेहरे काले पड़ते जा रहे थे सरकार जब तक बाबर का नाम लिया जाएगा सदियों का खून विस्तार रहेगा अर्दली ने अदब से कहा अधिक सोचता रहा उसकी समझ में नहीं आ रहा था कि वह करे क्या वह न्यायाधीश के सिंहासन पर तो बैठा था  । 

लेकिन या सिंहासन विक्रमादित्य का तो था नहीं कि कोई पुतली निकल कर उसे कोई रास्ता बता सकती रास्ते की तलाश तो उसे खुद करनी थी और अपने समय में करने की समय को वह फैला सकता था समय को वह छोड़ सकता था आखिर अपने दिमाग पर जोर डालकर उस ने हुक्म दिया बाबर को अदालत में हाजिर किया जाए अर्दली बुक मिताली तामील के लिए चल पड़ा मुर्दे के चेहरे पीले पड़ने लगे अदालत में जब बाबर हाजिर हुआ और नाराज था कब्र से निकलकर आने से उसे बहुत तकलीफ हुई थी उसे अच्छा नहीं लग रहा था कि मर जाने के बाद भी उसके चैन से खलल डाला गया है वह कानून से चलकर आया था जैसे ही वह अदालत में हाजिर हुए अदालत ने मुझसे पूछा इसे पहचानते हो नहीं नहीं हम नहीं जानते हैं । 

 सारे  मुर्दे बोल पड़े थे यह बाबर है अदालत ने बताया यह एक भयानक सन्नाटा वहां भर गया अदालत ने अर्दली से कहा इन्हें एक कुर्सी दो बचने के लिए मुझे अपना सा ही तक चाहिए आखिर मैं शाहजहां हूं हिंदुस्तान का बादशाह बाबर कर्जा ताजो तक खत्म हो गए अब राजा और भाषा भी नहीं है अब नेता लोग अपनी जनता के कंधों पर कंकर जनों पर बैठते हैं तो इनकी गर्दन पर बैठना चाहोगे अदालत ने सवाल किया तो मैं तो आराम से लेटा हुआ था जब बुलाया है तो कहीं भी बैठा दीजिए  । 

बाबर बोला ठीक है जहां मर्जी हो बैठ जाओ मेरे सवालों को उत्तर दो अदालत ने कहा जी तुम ने हिंदुस्तान पर हमला क्यों किया था हमला तो एक बात सा और क्या करता है जब फरगना और बुखारा कि मेरी सल्तनत छीन गई तो मुझे दूसरी सल्तनत बनानी ही थी ।  मैंने हिंदुस्तान पर कई हमले किए लेकिन जीत नहीं पाया आखिरी बार जब मैं जीता तो सच्चाई है ।  कि हिंद पर हमला करने और इसे जीतने के लिए मुझे सुल्तान इब्राहिम लोदी के चाचा पंजाब के सूबेदार दौलत था और रणथंबोर के हिंदू राजपूत राणा सांगा ने बुलाया था बाबर बोला या झूठ बोलता है राणा सांगा कभी भी देश के विरुद्ध गद्दारी नहीं कर सकते । अदालत ने उसे उसे झटका अली ने आगे बढ़कर उसके हाथ में त्रिशूल छीन लिया या मुर्दे की तरफ अदब से बैठो समझा नहीं तो अभी नीचे भेज दिया जाएगा वहां फिर मारे जाओगे त्रिशूल वाले का चेहरा भी ग्रस्त हो गया हुआ । 

हाथ जोड़कर गिराने लगा नहीं मैं फिर वही मौत नहीं मरना चाहता क्या मरने से पहले तुम कहां करते थे कि 10 बार नहीं हजार बार मरना पड़े तो भी तुम राम जन्मभूमि के लिए मरोगे अब क्यों डर रहे हो अंजलि ने उसे छुटकारा इसलिए कि अब मैं इंसान हूं मुझे अब मौत से बहुत डर लगता है तो जब मरे थे उस वक्त तुम क्या थे तब मैं हिंदू था हिंदू क्या इंसान नहीं होते होते हैं लेकिन जब नफरत का जहर मेरी नसों में दौड़ता है तब मैं इंसान का चोला उतार कर हिंदू बन जाता हूं  । 

यह नफरत का जहर कहां से आया उसी संसद 40 वाली फसल से यह जहर जन्मा है हुजूर जो हिंदू को ज्यादा बढ़ा और हिंदू और मुसलमान को ज्यादा बढ़ा मुसलमान बनाता है अली मोला मेरा वक्त बर्बाद ना कीजिए अपने अपने झगड़े आपने निपटा आइए बाबर ने आज जी से कहा लेकिन सारे जगहों की जड़ तो तुम हो ना तुम राम जन्म मंदिर मिस मार करते ना यह झगड़े खड़े होते त्रिशूल वाला इस बार शालीनता से बोला मेरा अल्लाह तारीख गवाह है मैंने कोई मंदिर मिस मार नहीं किया और ना हिंदुस्तान में कोई मस्जिद अपने नाम से कभी बनवाई इस्लाम तो हिंदुस्तान में मेरे पहुंचने से पहले मौजूद था । 

क्या यह अब्राहिम लोधी खुद मुसलमान नहीं था जो आगरा की गद्दी पर बैठा हुआ था मैंने उस मुसलमान इब्राहिम लोदी को 20 अप्रैल 1526 के दिन पानीपत में हराकर उसकी संस्कृत जीती थी उसका सिर काट कर मैंने सामने पेश किया गया था मैंने महिमा यूको तब दिल्ली भेजा और मैं खूब आराम करने के लिए आगरा चला गया आगरा की अब्राहिम लोधी की राजधानी थी पावर सीधे-सीधे बात का जवाब दो इधर-उधर की बातें करके अदालत को गुमराह मत करो मैं हिंदुस्तान को खुद के लिए पता करने आया था इस्लाम के लिए नहीं खुदा की सल्तनत मुझे अपने लिए सल्तनत की जरूरत थी वही मैंने किया मैंने तो कभी तुलसीदास का नाम तक नहीं सुना जिसने हिंदुओं के राम को भगवान बनाया मेरे दौर में राम भगवान से ही नहीं तो मैं उनका मंदिर क्यों तोड़ता तुलसीदास का नाम तो मैंने इन दिनों कब्र में लेटे-लेटे सुना मैं जब दिल्ली के तख्त पर बैठा और मेरा नाम का खुद बा 7 दिन बाद पढ़ा गया तब तक तुलसीदास का कोई जानता ही नहीं था उस वक्त वह बच्चा रहा होगा रहा होगा और गलियों में नंगा घूमता होगा। 

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रचनाएँ
कितने पाकिस्तान
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कितने पाकिस्तान हिन्दी के विख्यात साहित्यकार कमलेश्वर द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 2003 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। यह उपन्यास भारत-पाकिस्तान के बँटवारे और हिंदू-मुस्लिम संबंधों पर आधारित है। यह उनके मन के भीतर चलने वाले अंतर्द्वंद्व का परिणाम माना जाता है।'कितने पाकिस्तान' कमलेश्वर का लिखा हुआ एक प्रयोगवादी उपन्यास है। इस उपन्यास को 2003 के साहित्य अकादमी पुरस्कार से नवाज़ा गया था। यह उपन्यास बाकी उपन्यासों से कई मामलों में अलग है। पहला, इसमें सामान्य घटनायें, जैसे उपन्यासों में होती हैं, नहीं हैं, बल्कि ऐतिहासिक घटनाओं का लेखक के नज़रिये से वर्णन है। क्योंकि सारा कथानक उसी के इर्दगिर्द घूमता है। उपन्यास में सदियों से चले आ रही हिंसा और मारकाट के प्रति गहरा क्षोभ है। पात्रों की इस कमी को इतिहास के प्रसिद्ध व्यक्तियों को कटघरे में लाकर दूर किया गया है। अगर उपन्यास का सार निकालने की कोशिश की जाए तो यही आयेगा कि विभाजन अब बंद होने चाहिये।
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भाग 1

21 जुलाई 2022
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एक भूली हुई दास्तान उसे याद आती है  ।   वह तो एक बंजर जमीन से आया था ।  खामोश  आकर्षणों की दुनिया से जहां कहां कुछ भी नहीं जाता । मन ही मन में कुछ अरमान करवटें लेते हैं । अनबूझी इच्छाएं आती और चली जा

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भाग 2

21 जुलाई 2022
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- हुआ या था नहीं स !  पहले या सुनिए कि हुआ क्या है...... उसने चौक कर आवाज की तरफ देखा था उसका एक में 3 सहायक स्टोनो और अर्दली महमूद उसके सामने खड़ा था।  उसके हाथ में टेलीप्रिंटर से आई खबरों के कुछ कु

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भाग 3

21 जुलाई 2022
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खत भेजने के बाद अभी बहुत परेशान था । वह सोच रहा था कि उसके उद्गार और विचार कहीं देश की रक्षा सुरक्षा के नाम पर दूसरों के लिए मौत तो पैदा नहीं करते क्या एक के जीवित रहने के लिए दूसरे की मौत जरूरी है?

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भाग 4

21 जुलाई 2022
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और तभी यूरोप के सम्राट गिल गमेंश की गूंजती आवाज आई -  - मैं पीड़ा से लड़ लूंगा यातना सहूँगा  कुछ भी हो मैं मृत्यु को पराजित कर लूंगा मैं मृत्यु से मुक्त की औषधि खोज कर लाऊंगा !  सम्राट गिल गणेशा की

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भाग 5

21 जुलाई 2022
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वहां मौजूद तमाम देवताओं की चिंता का एक स्वर में अनुमोदन किया और देवी तान्या ने तब उन्हें आगाह करने वाला भाषण दिया दजला फरात और डेन्यूब की परा धरती के समस्त देवताओं तुम सब आज चिंतित हो क्योंकि मनुष्य म

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भाग 6

29 जुलाई 2022
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उसी कहानी में शामिल है बूटा सिंह और रेतपरी किया की  यह कहानी राजस्थान का तपता रेगिस्तान कोई चीखा बन गया साला पाकिस्तान आसमान की आंख सूखी हुई थी उनमें एक बूंद भी पानी नहीं था मौसम विभाग के वैज्ञानिक

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भाग 7

29 जुलाई 2022
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बूटा सिंह जब जीने के लिए कपड़े लेने निकला था पाकिस्तान नाम की लकीर तो फिर चुकी थी मौसम विशेषज्ञों की भविष्यवाणी सही साबित हुई रक्त की वर्षा हो रही थी रेत परिचय नहीं अभी भी गर्दन तक रेत में दबी हुई है

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भाग 8

29 जुलाई 2022
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आतंकी देवताओं ने धरती की ओर देखा वह सकते में आ गए जो लोग के समस्त सफेद पंखों वाले पंछी देवदासी रोना को लेकर मित्रों पर उतर रहे थे "के समय उसके साथ अभी सभी तरह के पंछी पखेरू शामिल होते गए थे उनमें अंजन

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भाग 9

29 जुलाई 2022
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बूटा सिंह ने कपड़ों की जोड़ी लाकर जीने के पास रख दिया और पूछा निकालूं तुम बाहर जाओ मैं निकाल आऊंगी धीरे-धीरे जैनेब रेट टिकट दे से निकल आई उसने तार-तार हुई कुर्ती को उतारा और वही संभाल कर रख दिया ना जा

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भाग 10

29 जुलाई 2022
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बूटा सिंह ने कपड़ों की जोड़ी लाकर जीने के पास रख दिया और पूछा निकालूं तुम बाहर जाओ मैं निकाल आऊंगी धीरे-धीरे जैनेब रेट टिकट दे से निकल आई उसने तार-तार हुई कुर्ती को उतारा और वही संभाल कर रख दिया ना जा

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भाग 11

6 अगस्त 2022
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उसके  अदालत के दरवाज़े पर रक्त  दस्तके  पड़ने लगी । वह दस्तक  से परेशान था। परेशान नही  पागल। और फिर दस्तक  पर दस्तक  ।पश्मी सीमांत से एके-47 चीनी राइफल ने दस्तक दी । हथियार बनेंगे तो चलेंगेभी ।  उत्तर

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भाग 12

6 अगस्त 2022
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वह कौन सी तारीख थी।  इब्राहिम लोदी से मैंने पार्क पानीपत की लड़ाई 20 अप्रैल 1526 को जीती थी और रजत 15 जुम्मे के दिन यानी 27 अप्रैल 1526 को मारे मेरे नाम का खुतबा पढ़ा गया था या खुद बा मौलाना महमूद और

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भाग 13

6 अगस्त 2022
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अजीम फैजाबाद स्टेशन पर उतरा ही था कि वह धमाकेदार झापड़ उसके पड उसके पड़ा स्टेशन की दीवार पर लिखा हुआ नारा सामने खड़ा था बोला फैजाबाद आए हो तो पहले इसे पढ़ पढ़ो इसमें लिखा था कि अपने धर्म स्थानों का अप

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भाग 14

6 अगस्त 2022
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बस आग लगाते घूम रहे हैं सब ही ना ही चाह सोजत की भारत का क्या होगा पहले ही या हिंदू मुसलमान को लगवाना चाह ना ही लड़ बाय पाए तो अब शिया सुन्नी को डलवाना चाहते हैं अब पानी शरबत बिस्कुट और मूंग के दाल मोड

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भाग 15

6 अगस्त 2022
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हुजूर इन कानूनी बारीकियों में मत जाइए अन्याय अन्याय है अन्याय ग्रस्त औरत की जिंदगी तो मौत से बदतर होती है तुम ठीक कह रहे हो महमूद अली अदालत सीखी तो पूरी श्रेष्ठ कांप उठी नहीं मैं मुद्दों के अलावा जिद्

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भाग 16

6 अगस्त 2022
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नक्सलवाद का समर्थन कर रहे थे एक के बाद एक ताने कसे तो इमाम नाजिश बौखला गए और और बोले तब तुम भी हमसे कहां लगते अधीन तुम अमृता प्रीतम करतार सिंह दुग्गल मोहन राकेश भीष्म साहनी देवेंद्र सत्यार्थी और यहां

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भाग 17

6 अगस्त 2022
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और मार दो अपने ही सब सृष्टि की रचना की थी उसने अपने दादा अनु को आकाश का सम्राट बनाया था अपने पिता ऐसा को धरती का और तब माधुरी ने एक महा मंदिर बनाया था कि आकाश के देवता और ईश्वर जो उसकी प्रजाति धरती पर

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भाग 18

6 अगस्त 2022
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जी शायद आप मुझे ठीक ही पहचान रहे हैं सलमा की जान में जान आई मैं सीएसपी के जनाब आफताब अहमद की हूं  और हिंदुस्तान में रहती हूं वह मेरे नाना है सलमान ने कहा तब पुलिसवाला कुछ नाराज सा होकर काउंटर वाले से

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भाग 19

6 अगस्त 2022
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अदालत में क्या कह रहे हो तुम मैं तो कराची के होलीडे इन होटल के रेस्टोरेंट में बैठा हुआ था और सलमा से बातें कर रहा था हुजूर आपकी यादों की परछाई का नाम क्या है या तो मुझे नहीं मालूम पर आपके होंठ मिलता ल

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भाग 20

6 अगस्त 2022
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तब अजीब चीन से लौट आया था सलमा भी अपने नाना से मिलकर कोटा से लौट आई थी उसे उम्मीद नहीं थी कि इतने महीनों बाद भी सलमा उस पेपर नैपकिन पर लिखे पते पर फोन का नंबर को संभाल कर रखे गी पर उसने रखा था ना रखा

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भाग 21

6 अगस्त 2022
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नहीं नहीं तो या नीम की पत्तियां झड़ रही है ना हां पतझड़ का मौसम है ना नहीं या अंधेरे का मौसम है लगता है मेरा पति पति झड़ रहा है तो एक बात क्यों ना करें क्या हम न कुछ पूछे न जाने अपने रवा अति जिंदगी के

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भाग 22

13 अगस्त 2022
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बिस्तर उनका इंतजार कर रहा था वह भी  वह भी त्रियोबिश की  रेती की तरह साफ़ था। मेरे संपर्क से छूने से कुछ ऐसा तो नहीं जो तुमने जीवित होता हो और मेरा प्रतिकार करता हूं नहीं ऐसा भी कुछ नहीं सलमा ने बहुत गह

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भाग 23

13 अगस्त 2022
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जब अजीब और शर्मा कॉटेज से निकले तब भी नीले फूल खिले हुए थे। सलमा ने साड़ी पहनी थी बदन में बाकी फूल तो साड़ी और ब्लाउज के अंदर उन देशों की तरह समा गए थे । प्रभावों पर उन नीले फूलों की जो लेटर उतर आई थी

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भाग 24

13 अगस्त 2022
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वह मेरा बेटा ही सही पर मर्द हो जीने के लिए कहीं मुश्किल नहीं होता मैं एक रिश्तेदार की तरह आपको राय देता हूं कि बेहतर होगा कि आप अपने बेटे के साथ अपने नाना के पास पाकिस्तान लौट आए नईम ने कहा आप तो बिल्

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भाग 25

13 अगस्त 2022
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कुछ नहीं ऐसे लोग आकर यहां क्यों नहीं समझते कि मुसलमानों के नाम पर पाकिस्तानियों को बोलने का कोई हक नहीं है आज है हिंदुस्तान में पाकिस्तान से ज्यादा मुसलमानों पाकिस्तान से ज्यादा इस्लाम की समझने वाले ल

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भाग 26

13 अगस्त 2022
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सलमा और अधीन ने मजहब तो नहीं बदले पर उन्हें इस बात में मजा जरूर आने लगा या उनके लिए जैसे खेल की बात बन गई सबसे पहले तो उन्होंने जगह बदली वह पूरब की ओर भागे भागते भागते ब्लैक रिवर के घने जंगलों को पार

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भाग 27

13 अगस्त 2022
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वह आवाज बिजली की तरह तड़प और कड़क रही थी और अब वह कौन सी भी कमरे में खड़ी हो गई थी अजीब या कौन है डर से असहमति सलमानी उसके कंधे के पीछे छुपे हुए पूछा मैं चला दो आलमगीर औरंगजेब का जल्लाद मैं कोतवाल भी

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भाग 28

13 अगस्त 2022
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इस्लाम में हर कुदरती जरूरत के लिए जगह है लेकिन जब मजहब और सियासी फायदे के लिए नफरत में बदला जाता है तो एक नहीं तमाम पाकिस्तान पैदा होते हैं मेरी बच्ची तुम्हारी जिंदगी को इस गलत विभाजन ने तोड़ दिया है

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भाग 29

13 अगस्त 2022
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गहरी नहीं जरूरी अंग्रेजों और जिन्ना साहब ने सोचा ही नहीं था कि जब हिंदुस्तान नाम का मूल नसीब होगा तब मेरी जैसी एक सलमा कैसे तक्सीम होगी और वह अपनी इज्जत कहां  कहां तलाशग अदीब ने उसे बहुत प्यार से पुका

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भाग 30

13 अगस्त 2022
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तभी नूरजहाँ  उसका ध्यान नीचे मौजूद रियाया की तरफ दिलाया उधर देखिए हुजूर इतने दिनों बाद आप बाहर निकले आपकी रे आया आपके दीदार के लिए उम्र पड़ी है तभी भीड़ ने पुरजोर आवाजें का आने लगी बादशाह सलामत जिंदाब

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भाग 31

13 अगस्त 2022
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मुझे जाना चाहिए वक्त आप को माफ नहीं करेगा और फिर आपको भी वक्त की बरात बर्बादी का मलाल कठोरता रहेगा सारा शगुफ्ता देखिए आपके अर्दली साहब बेसब्री से आपका इंतजार कर रहे हैं चलने से पहले एक यशपाल दरख्वास्त

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भाग 32

13 अगस्त 2022
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मैंने कोई निमंत्रण बाबर को नहीं भेजा था राणा सांगा नितेश में कहा तुम्हारा वह दावत नामा मेरी तिवारी बाबरनामा में दर्ज है और वह दस्तावेज आज का नहीं सोलवीं सदी का है अगर या गलत है तो तुमने तब क्यों नहीं

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भाग 33

15 अगस्त 2022
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 या गलत है हमारी गलती से विभाजन तो एक सच्ची घटना में तब्दील हो गया था पर विभाजन के भयानक दौर में भी सिंध में मारकाट नहीं हुई हमने मन ही मन अपनी ऐतिहासिक गलती मंजूर करते हुए बहुत भरे दिल से अपने हिंदू

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भाग 34

15 अगस्त 2022
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मुसलमान का था मीरा का था कबीर का था नाना कोटा कोलकाता सुब्रमण्यम भारती और नज़रुल इस्लाम कथा संत रैदास के और ज्ञानेश्वर का था किसका खुदा नहीं था लेकिन इंक इकबाल ने खुदा के मस्जिदों में कैद कर देने का प

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भाग 35

15 अगस्त 2022
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और आपकी सलमा जो खुदा हाफिज कह कर चली गई है इस अहम अदालत का कारोबार रोक कर आपको फिर अपने लिए हासिल करने की कोशिश में लगी है और उधर आपके दोस्त भवानी सिंह उप ईरान की राजधानी तेहरान से लौटकर कुछ जरूरी बात

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भाग 36

20 अगस्त 2022
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हुजूर हमसूफी है इस पागल शहंशाह ने हुजूर पैगंबर के जन्मदिन पर गाए जाने वाले हम हमारे भजनों पर भी पाबंदी लगा दी तब हम सूफी संतों को उसके गुर्गे और दरोगा मिल जावा वाकर के खिलाफ गोलबंद होकर निकलना पड़ा इस

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भाग 37

20 अगस्त 2022
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मौका पाते ही सल्तनत के वजीरे खारी खारी जा राजा रघुनाथ को हटाकर या वादा किसी से मुसलमान को दिया जाए किसी हिंदू अफसर के नीचे मुसलमान को तैनात किया जाए और अब खुलकर इन काफिरों हिंदुओं को बता दिया जाए कि व

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भाग 38

20 अगस्त 2022
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यही कि जो मैंने किया वह गलत भी था वह सही भी था सर जमीन ए हिंद की नजर में मैंने बहुत कुछ गलत किया जो मुझे शायद नहीं करना चाहिए था लेकिन इस्लामी मिल्लत की नजर में जो कुछ मैंने किया वह शायद सही था ऑरेंज

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भाग 39

20 अगस्त 2022
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तभी इतिहास के करोड़ों पन्नों से चीखती हुई आवाज आने लगी औरंगजेब तुम जालिम हो तुमने पोस्ते का पानी पिला पिला कर मुराद को मारना चाहा जब वह तंदुरुस्त शहजादा अफीम के पानी से नहीं मारा तो तुमने उसे चला दो उ

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भाग 40

20 अगस्त 2022
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शिब्ली नोमानी बड़े जोश खरोश से बता रहे थे मजहब की शक्ति का अगर किसी ने पहली बार इस्तेमाल किया तो बस सिर्फ यही दिलेर आलमगीर था कहीं ऐसा तो नहीं कि औरंगजेब ने इस्लाम का सहारा अपनी कमजोरियों और जातियों क

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भाग 41

20 अगस्त 2022
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तुम लोग कहर की बात करते हो हम कयामत बरपा करेंगे और मिस्र में बाप कुछ भी नहीं जिंदा छोड़ेंगे जो इस्लाम से पहले का है हम उसे बराबर करके रहेंगे दूरदराज अमेरिका से आई वहां मिस्र का मूल्य से कुमार अब्दुल र

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भाग 42

20 अगस्त 2022
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या तेज भाई जारी थी कि लश्कर मंदिर के उत्तर पूर्वी तरफ अबू हज आज मंदिर से इमाम वाहिद मोहम्मद अपनी ने भय ग्रस्त आंखों से जाकर देखा यहीं इसी मस्जिद में अपने समय के सबसे बड़े विद्वान अबू हज्जाज दफन हैं जि

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भाग 43

20 अगस्त 2022
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इसीलिए पश्चिम वाले ईरान की इस्लामी क्रांति की को आत्मसात नहीं कर पाए अयातुल्लाह खोमेनी और इस्लामी क्रांति में ईरान जैसे सभ्यता संपन्न देश को फिर एक बार उसकी दूरी दे दी आज अपनी धुरी पर लौटकर ईरान अपने

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