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भाग 31

13 अगस्त 2022

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मुझे जाना चाहिए वक्त आप को माफ नहीं करेगा और फिर आपको भी वक्त की बरात बर्बादी का मलाल कठोरता रहेगा सारा शगुफ्ता देखिए आपके अर्दली साहब बेसब्री से आपका इंतजार कर रहे हैं चलने से पहले एक यशपाल दरख्वास्त है दुनिया से मिलने के पहले आप पाकिस्तान की सारा शगुफ्ता से जरूर मिल लीजिए खुदकुशी करने के बाद भी भटक रही है सारा शगुफ्ता हां तो मैं अब चलती हूं खुदा हाफिज खुदा हाफिज अदीब ने गहरी उदास सांस लेकर कहा अर्दली ने राहत की सांस ली अजीब सोचने लगा सारा सुख था से यूं तो उसकी कभी मुलाकात नहीं हुई लेकिन अपनी बिरादरी की जितनी शपले उसके सामने झिलमिलाती थी उनमें से उसे यह अहसास था । 

कि सारा शगुफ्ता एक बेपनाह खूबसूरत औरत और निहायत बेवफा विभाग शायर है जिसकी एक आंख से आंसू और दूसरी आज के अंगारे बरसते हैं उसने अपने खूबसूरत सपनों और ख्वाहिशों की कीमत खुद अपनी खुद खुशी से अदा की है सारा गुप्ता इस वक्त कहां है  अजीब ने अंजलि से पूछा इस वक्त दिल्ली हौज खास में अमृता प्रीतम के घर मौजूद हैं अमृता जी के यहां जी हां वह और वहां कहां हो सकती हैं पूरे एशिया में आंसुओं और अल्फाजों का एक ही तो विद्यापीठ है अमृता प्रीतम का घर होटल से उन्हें हौज खास पहुंचने में देर लगी अजीब ने आगे बढ़कर सारा गुप्ता का एक सवाल किया एशिया की सबसे आला तरीन सायरा और मोहतरमा आप पाकिस्तान से कब आई है मैं सारा शगुफ्ता नहीं अमृता प्रीतम हूं सामने मौजूद महिला ने उत्तर दिया हो उधर वाले कमरे में आपने आंसुओं की गिनती कर रही हैं मैं बोल बुलाती हूं तब तक एक और महिला वहां आई तो देख कर अधिक चौक उठा अरे शर्मा अभी-अभी तुम वहां और अब यहां अभी मैं सलमा नहीं सारा शगुफ्ता हूं अजीब उलझन से दोनों को देखने लगा तो अमृता प्रीतम ने उसकी मुश्किल हल कर दी अधिक मां बनने के बाद हर औरत की शक्ल एक ही हो जाती है औरत और औरत की शक्ल में फर्क नहीं रह जाता बैठो मैं उत्तम  के लिए नींबू की चाय पी जाती हूं । 

अदीब ने बैठते हुए कहा सारा हम जीवों की बिरादरी आप को सलाम करते हैं हमने आपका कविता संकलन आंख पड़ा है उसमें आपने जो आखरी खत जुड़ा हुआ बेहतरीन है जिस दिन शायरी का आखरी हर लिख दिया जाएगा उस दिन के बाद आंखों में पानी नहीं रह जाएगा इंसान बंजर हो जाएगा मैंने जो आखरी खत जोड़ा है वह एक मां के आंसुओं का मर्सी मर्सी या है सारा ने खुदकुशी की आखिरी सांस के बाद सांस से लेते हुए कहा तब तक नींबू की चाय आ गई या अजीब यह तब की बात है जब मेरी कोख में कोई सांस लेने की कोशिश कर रहा था जिंदगी अपना वजूद मांग रही थी मैं उसे जन्म देने के लिए दर्द से करा रही थी तभी मकान मालकिन ने मेरी तकलीफ ज्यादा आवाज सुनी और मुझे एक अस्पताल में भर्ती कराए हाथों में ₹5 का एक नोट थमा के लौट आई और वही मेरी कोख में एक बेटे को जन्म दिया रात बहुत शर्म थी मेरे बेटे को लपेटने के लिए अस्पताल में एक तौलिया भी नहीं था सिस्टम 5 मिनट के लिए उसे मेरी बगल में मिटाया था उसने अपनी उजली आंखों से मुझे देखा फिर न जाने क्या हुआ उसने क्या सोचा उसने आंखें बंद की और हमेशा के लिए सो गया । 

अदीब ने उदासी और परेशानी से सारा को देखा अजीब तब से मेरे बदन में उसकी दो गुट नहीं सैकड़ों लाखों आंख लगातार होती है झुकती है मुझे देखती है और अपने लिए कफन मांगती हुई मुझे बुझ जाती है शायद या जिंदगी के लिए कुछ ही पलों के गया था यह दुनिया उसके जीने लायक जगह नहीं रह गई उसने जीना मुनासिब नहीं समझा अदीब ने सारा को फिर देखा मेरे पास सिर्फ ₹5 थे मैंने अस्पताल से घर तक जाने की इजाजत मांगी इजाजत मुझे नहीं मिली एक तो इसलिए कि अभी मैं घर जाने लायक नहीं थी दूसरी इसलिए मेरे बेटे की लाश वही पड़ी थी सारा तब मुझे अस्पताल का खर्च करना था बेटे की लाश को दफनाने का इंतजाम करना था उस वक्त मुझे 130 डिग्री बुखार था अस्पताल वालों को अपने पैसों की दरकार थी । 

तब मैंने कहा था मेरे बेटे की लाश रेहन रख लीजिए मैं पैसे चुका कर इसे ले जाऊंगी एक शख्स ने तब मुझे शक की निगाह से देखा मैंने कहा मैं भूमि नहीं लौट कर आऊंगी और अधिक ताजिया था कि दुनिया वालों में अभी तक या विश्वास मौजूद था और कोई लौट आया ना लौटे मां अपने जिंदा या मुर्दा बच्चे के लिए जरूर लौटकर आती है मां जब चली तो मेरी छातियां दूध के निकास के लिए फटी जा रही थी घर पहुंच कर मैंने अपनी छातियों का दूध छोड़ने छोड़कर एक गिलास में निकाला और वह गिलास अभी रखा ही था कि तमाम शायर और अधिक मातम उसी के लिए आ गए कुछ देर बाद सब खामोशी से दूर भरा गिलास देख कर रहे फिर अपनी हमेशा की पैसों से उलझ गए तभी लाशों के बाजार खुलते चले गए सोमालिया में शांति कायम करने गए पाकिस्तानी फौजियों की लाशों का अंबार लग गया ब्रो सोनिया में कत्ल किए गए मुसलमानों की लाशों के कफन में लपेटे का लपेटकर सजाया जा रहा था अजरबैजान में लाशों का बाजार लगा था । 

 गीदड़ चील कौवे और कुत्ते उनका बटवारा कर रहे थे नाइजीरिया में लाशों की नाक हो रही थी निमोनिया में तमाम ला से अपनी शहादत का खुतबा पढ़ा पढ़े जाने का इंतजार कर रही थी कश्मीर में पड़ी लाशें अपने बयान दर्ज कर रही थी उन लाशों में कश्मीरी मुसलमान भी थे कश्मीरी पंडित भी अफगानिस्तान मिला से दफनाने के लिए जमीन की कमी पड़ रही थी और चाचू की बात यह है कि तालिबानियों द्वारा रौंदे गए जाने के बावजूद अपने अपने हिमायती लोगों के लाशों के ढेर पर गुलाम रब्बानी अहमद शाह मसूद गुलाब उद्दीन एकमत यार और तालिबानियों का तानाशाह मोहम्मद उमर जैसे लोग अपने अपने इस्लाम का ताज पहले शान से खड़े थे तभी एक मुर्दा दौड़ता हुआ आया और सीखने लगा अभी आलिया इस्लाम के नाम पर अफगानिस्तान कब्रिस्तान बन चुका है चारों इस्लाम का ताज पहन कर बेशर्मी से खड़े हैं । 

कोई देखे तो हम आम इस्लाम प्रश्नों का क्या हाल हुआ हुजूर हम लाखों-करोड़ों लोग तुम्हारे गए इन चारों के दामन बेगुनाहों के खून से तर है पूरा मुल्क तबाह हो चुका है अभी वह मुर्दा अपनी बात कही रहा था कि कराता हुआ बाबर अजीब के सामने हाजिर हुआ दिव्या लिया मैं तो आपसे छुट्टी मांग कर अपनी कब्र में लौट गया था लेकिन जगह-जगह बरसते और पढ़ते गोलू की आवाज से में सुकून इतना मुश्किल कर दिया अब तो अफगानिस्तान के खुद ही बोल दो वो भी भागना पड़ रहा है।  

क्योंकि कपड़े भी मिस मार हो चुकी हैं ना से सैल्यूट की तरह चल रही है तेजाबी बदबू और सड़े हुए गोश्त को देखकर मांस भक्षी जानवर और परिंदे भी मूल को छोड़कर उत्तर या दक्षिण की ओर चले गए हैं यदि वे आलिया अफगानिस्तान मर गया मेरा काबुल मर गया मेरे काबुल पर या कहर इस्लाम के नाम पर बरपा किया गया बाबर तुम किस मुंह से यह बात कह रहे हो तुमने भी तो इस्लाम के नाम पर यह कहर हिंदुस्तान पर बरपा किया था इतिहास की एक किताब के पन्नों से निकलकर राणा सांगा ने बाबर को ललकारा नहीं या गलत है हिंदुस्तान मेरे लिए हिंदुओं का मुल्क नहीं सोने का मूर्खता तुम्हारे हिंदुस्तान में तब सिंधु नदी की रेती में सोने की जड़ रे वह कर आते थे तुम तो अनपढ़ हो पता है यूनान के हेरोडोटस ने क्या लिखा है ।  

 तुम्हारे सिम इलाके का राजा खुद मानो सोने की रेट निकालो आता था और फारस के सम्राट साइरस से उसकी तिजारत फिरता था उसी सोने की चिड़िया हिंदुस्तान पर मैं कब्जा करने चाहता हूं था मुझे एक मजबूत सल्तनत की जरूरत थी मेरे दुश्मन हिंदुस्तान का हिंदू नहीं बल्कि आगरा का मुसलमान बादशाह इब्राहिम लोदी था और क्या तुम यह भी भूल गए कि ब्रह्म लोधी पर हमला करने के लिए तुमने और इब्राहिम लोदी के चाचा पंजाब के सफेदा दौलत था मोदी ने मुझे संदेश भेजा था तुम गलत बयानी कर रहे हो बाबा तुम भी महमूद बिन कासिम और महमूद गजनी की तरह काफिरों के विरुद्ध धर्म युद्ध करने आए थे इस्लाम फैलाए फैलाने आए थे तुम तलवार के जोर पर अपना मजहब फैलाने चाहते थे ।  

राणा सांगा ने तेज आवाज में कहा इसी तरह की बहसों से धार्मिक सामुदायिक और ऐतिहासिक असलियत की दिशा बदल जाती है और कालांतर में वे अलगाव बहिष्कार और देश का कारण बन जाती हैं पराजित पक्ष इस तरह की स्मृतियों को संचित करके एक दूसरे की मनोवांछित इतिहास लिख लेता है और उसी में जीना शुरु कर देता है अजीब ने कहा सब उसी और सहमति या समिति से देखने लगे और विजेता जब इन संचित स्मृतियों के इतिहास का सपना करता है तो उसका सहायक हथियार बन जाता है तवा धर्म को अपने शस्त्रागार में शामिल करके निरंकुश होने की हद तक चला जाता है । 

 आरंभिक मध्यकालीन आत्माओं का विकसित होता है बदलता सच यही है या आंशिक सच हो सकता है राणा सांगा में हस्तक्षेप किया संपूर्ण सच नहीं पूछे इस बाबर से अगर या धर्मांतरण का पक्षधर नहीं था तो इसके मूल्यों ने इसे गाजी होने की पदवी क्यों दी थी उससे पहले मैं राणा सांगा से पूछना चाहता हूं की ब्रह्म लोधी के चाचा दौलत खालू दी और इन्हीं उन्होंने जब मुझे हमले का दावत नामा भेजा था तब क्या उन्होंने मुझे हिंदू और मुसलमान बनने के लिए बुलाया था बाबर ने तर्क से पूछा

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रचनाएँ
कितने पाकिस्तान
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कितने पाकिस्तान हिन्दी के विख्यात साहित्यकार कमलेश्वर द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 2003 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। यह उपन्यास भारत-पाकिस्तान के बँटवारे और हिंदू-मुस्लिम संबंधों पर आधारित है। यह उनके मन के भीतर चलने वाले अंतर्द्वंद्व का परिणाम माना जाता है।'कितने पाकिस्तान' कमलेश्वर का लिखा हुआ एक प्रयोगवादी उपन्यास है। इस उपन्यास को 2003 के साहित्य अकादमी पुरस्कार से नवाज़ा गया था। यह उपन्यास बाकी उपन्यासों से कई मामलों में अलग है। पहला, इसमें सामान्य घटनायें, जैसे उपन्यासों में होती हैं, नहीं हैं, बल्कि ऐतिहासिक घटनाओं का लेखक के नज़रिये से वर्णन है। क्योंकि सारा कथानक उसी के इर्दगिर्द घूमता है। उपन्यास में सदियों से चले आ रही हिंसा और मारकाट के प्रति गहरा क्षोभ है। पात्रों की इस कमी को इतिहास के प्रसिद्ध व्यक्तियों को कटघरे में लाकर दूर किया गया है। अगर उपन्यास का सार निकालने की कोशिश की जाए तो यही आयेगा कि विभाजन अब बंद होने चाहिये।
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भाग 1

21 जुलाई 2022
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एक भूली हुई दास्तान उसे याद आती है  ।   वह तो एक बंजर जमीन से आया था ।  खामोश  आकर्षणों की दुनिया से जहां कहां कुछ भी नहीं जाता । मन ही मन में कुछ अरमान करवटें लेते हैं । अनबूझी इच्छाएं आती और चली जा

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भाग 2

21 जुलाई 2022
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- हुआ या था नहीं स !  पहले या सुनिए कि हुआ क्या है...... उसने चौक कर आवाज की तरफ देखा था उसका एक में 3 सहायक स्टोनो और अर्दली महमूद उसके सामने खड़ा था।  उसके हाथ में टेलीप्रिंटर से आई खबरों के कुछ कु

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भाग 3

21 जुलाई 2022
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खत भेजने के बाद अभी बहुत परेशान था । वह सोच रहा था कि उसके उद्गार और विचार कहीं देश की रक्षा सुरक्षा के नाम पर दूसरों के लिए मौत तो पैदा नहीं करते क्या एक के जीवित रहने के लिए दूसरे की मौत जरूरी है?

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भाग 4

21 जुलाई 2022
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और तभी यूरोप के सम्राट गिल गमेंश की गूंजती आवाज आई -  - मैं पीड़ा से लड़ लूंगा यातना सहूँगा  कुछ भी हो मैं मृत्यु को पराजित कर लूंगा मैं मृत्यु से मुक्त की औषधि खोज कर लाऊंगा !  सम्राट गिल गणेशा की

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भाग 5

21 जुलाई 2022
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वहां मौजूद तमाम देवताओं की चिंता का एक स्वर में अनुमोदन किया और देवी तान्या ने तब उन्हें आगाह करने वाला भाषण दिया दजला फरात और डेन्यूब की परा धरती के समस्त देवताओं तुम सब आज चिंतित हो क्योंकि मनुष्य म

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भाग 6

29 जुलाई 2022
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उसी कहानी में शामिल है बूटा सिंह और रेतपरी किया की  यह कहानी राजस्थान का तपता रेगिस्तान कोई चीखा बन गया साला पाकिस्तान आसमान की आंख सूखी हुई थी उनमें एक बूंद भी पानी नहीं था मौसम विभाग के वैज्ञानिक

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भाग 7

29 जुलाई 2022
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बूटा सिंह जब जीने के लिए कपड़े लेने निकला था पाकिस्तान नाम की लकीर तो फिर चुकी थी मौसम विशेषज्ञों की भविष्यवाणी सही साबित हुई रक्त की वर्षा हो रही थी रेत परिचय नहीं अभी भी गर्दन तक रेत में दबी हुई है

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भाग 8

29 जुलाई 2022
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आतंकी देवताओं ने धरती की ओर देखा वह सकते में आ गए जो लोग के समस्त सफेद पंखों वाले पंछी देवदासी रोना को लेकर मित्रों पर उतर रहे थे "के समय उसके साथ अभी सभी तरह के पंछी पखेरू शामिल होते गए थे उनमें अंजन

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भाग 9

29 जुलाई 2022
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बूटा सिंह ने कपड़ों की जोड़ी लाकर जीने के पास रख दिया और पूछा निकालूं तुम बाहर जाओ मैं निकाल आऊंगी धीरे-धीरे जैनेब रेट टिकट दे से निकल आई उसने तार-तार हुई कुर्ती को उतारा और वही संभाल कर रख दिया ना जा

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भाग 10

29 जुलाई 2022
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बूटा सिंह ने कपड़ों की जोड़ी लाकर जीने के पास रख दिया और पूछा निकालूं तुम बाहर जाओ मैं निकाल आऊंगी धीरे-धीरे जैनेब रेट टिकट दे से निकल आई उसने तार-तार हुई कुर्ती को उतारा और वही संभाल कर रख दिया ना जा

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भाग 11

6 अगस्त 2022
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उसके  अदालत के दरवाज़े पर रक्त  दस्तके  पड़ने लगी । वह दस्तक  से परेशान था। परेशान नही  पागल। और फिर दस्तक  पर दस्तक  ।पश्मी सीमांत से एके-47 चीनी राइफल ने दस्तक दी । हथियार बनेंगे तो चलेंगेभी ।  उत्तर

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भाग 12

6 अगस्त 2022
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वह कौन सी तारीख थी।  इब्राहिम लोदी से मैंने पार्क पानीपत की लड़ाई 20 अप्रैल 1526 को जीती थी और रजत 15 जुम्मे के दिन यानी 27 अप्रैल 1526 को मारे मेरे नाम का खुतबा पढ़ा गया था या खुद बा मौलाना महमूद और

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भाग 13

6 अगस्त 2022
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अजीम फैजाबाद स्टेशन पर उतरा ही था कि वह धमाकेदार झापड़ उसके पड उसके पड़ा स्टेशन की दीवार पर लिखा हुआ नारा सामने खड़ा था बोला फैजाबाद आए हो तो पहले इसे पढ़ पढ़ो इसमें लिखा था कि अपने धर्म स्थानों का अप

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भाग 14

6 अगस्त 2022
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बस आग लगाते घूम रहे हैं सब ही ना ही चाह सोजत की भारत का क्या होगा पहले ही या हिंदू मुसलमान को लगवाना चाह ना ही लड़ बाय पाए तो अब शिया सुन्नी को डलवाना चाहते हैं अब पानी शरबत बिस्कुट और मूंग के दाल मोड

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भाग 15

6 अगस्त 2022
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हुजूर इन कानूनी बारीकियों में मत जाइए अन्याय अन्याय है अन्याय ग्रस्त औरत की जिंदगी तो मौत से बदतर होती है तुम ठीक कह रहे हो महमूद अली अदालत सीखी तो पूरी श्रेष्ठ कांप उठी नहीं मैं मुद्दों के अलावा जिद्

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भाग 16

6 अगस्त 2022
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नक्सलवाद का समर्थन कर रहे थे एक के बाद एक ताने कसे तो इमाम नाजिश बौखला गए और और बोले तब तुम भी हमसे कहां लगते अधीन तुम अमृता प्रीतम करतार सिंह दुग्गल मोहन राकेश भीष्म साहनी देवेंद्र सत्यार्थी और यहां

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भाग 17

6 अगस्त 2022
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और मार दो अपने ही सब सृष्टि की रचना की थी उसने अपने दादा अनु को आकाश का सम्राट बनाया था अपने पिता ऐसा को धरती का और तब माधुरी ने एक महा मंदिर बनाया था कि आकाश के देवता और ईश्वर जो उसकी प्रजाति धरती पर

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भाग 18

6 अगस्त 2022
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जी शायद आप मुझे ठीक ही पहचान रहे हैं सलमा की जान में जान आई मैं सीएसपी के जनाब आफताब अहमद की हूं  और हिंदुस्तान में रहती हूं वह मेरे नाना है सलमान ने कहा तब पुलिसवाला कुछ नाराज सा होकर काउंटर वाले से

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भाग 19

6 अगस्त 2022
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अदालत में क्या कह रहे हो तुम मैं तो कराची के होलीडे इन होटल के रेस्टोरेंट में बैठा हुआ था और सलमा से बातें कर रहा था हुजूर आपकी यादों की परछाई का नाम क्या है या तो मुझे नहीं मालूम पर आपके होंठ मिलता ल

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भाग 20

6 अगस्त 2022
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तब अजीब चीन से लौट आया था सलमा भी अपने नाना से मिलकर कोटा से लौट आई थी उसे उम्मीद नहीं थी कि इतने महीनों बाद भी सलमा उस पेपर नैपकिन पर लिखे पते पर फोन का नंबर को संभाल कर रखे गी पर उसने रखा था ना रखा

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भाग 21

6 अगस्त 2022
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नहीं नहीं तो या नीम की पत्तियां झड़ रही है ना हां पतझड़ का मौसम है ना नहीं या अंधेरे का मौसम है लगता है मेरा पति पति झड़ रहा है तो एक बात क्यों ना करें क्या हम न कुछ पूछे न जाने अपने रवा अति जिंदगी के

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भाग 22

13 अगस्त 2022
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बिस्तर उनका इंतजार कर रहा था वह भी  वह भी त्रियोबिश की  रेती की तरह साफ़ था। मेरे संपर्क से छूने से कुछ ऐसा तो नहीं जो तुमने जीवित होता हो और मेरा प्रतिकार करता हूं नहीं ऐसा भी कुछ नहीं सलमा ने बहुत गह

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भाग 23

13 अगस्त 2022
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जब अजीब और शर्मा कॉटेज से निकले तब भी नीले फूल खिले हुए थे। सलमा ने साड़ी पहनी थी बदन में बाकी फूल तो साड़ी और ब्लाउज के अंदर उन देशों की तरह समा गए थे । प्रभावों पर उन नीले फूलों की जो लेटर उतर आई थी

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भाग 24

13 अगस्त 2022
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वह मेरा बेटा ही सही पर मर्द हो जीने के लिए कहीं मुश्किल नहीं होता मैं एक रिश्तेदार की तरह आपको राय देता हूं कि बेहतर होगा कि आप अपने बेटे के साथ अपने नाना के पास पाकिस्तान लौट आए नईम ने कहा आप तो बिल्

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भाग 25

13 अगस्त 2022
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कुछ नहीं ऐसे लोग आकर यहां क्यों नहीं समझते कि मुसलमानों के नाम पर पाकिस्तानियों को बोलने का कोई हक नहीं है आज है हिंदुस्तान में पाकिस्तान से ज्यादा मुसलमानों पाकिस्तान से ज्यादा इस्लाम की समझने वाले ल

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भाग 26

13 अगस्त 2022
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सलमा और अधीन ने मजहब तो नहीं बदले पर उन्हें इस बात में मजा जरूर आने लगा या उनके लिए जैसे खेल की बात बन गई सबसे पहले तो उन्होंने जगह बदली वह पूरब की ओर भागे भागते भागते ब्लैक रिवर के घने जंगलों को पार

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भाग 27

13 अगस्त 2022
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वह आवाज बिजली की तरह तड़प और कड़क रही थी और अब वह कौन सी भी कमरे में खड़ी हो गई थी अजीब या कौन है डर से असहमति सलमानी उसके कंधे के पीछे छुपे हुए पूछा मैं चला दो आलमगीर औरंगजेब का जल्लाद मैं कोतवाल भी

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भाग 28

13 अगस्त 2022
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इस्लाम में हर कुदरती जरूरत के लिए जगह है लेकिन जब मजहब और सियासी फायदे के लिए नफरत में बदला जाता है तो एक नहीं तमाम पाकिस्तान पैदा होते हैं मेरी बच्ची तुम्हारी जिंदगी को इस गलत विभाजन ने तोड़ दिया है

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भाग 29

13 अगस्त 2022
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गहरी नहीं जरूरी अंग्रेजों और जिन्ना साहब ने सोचा ही नहीं था कि जब हिंदुस्तान नाम का मूल नसीब होगा तब मेरी जैसी एक सलमा कैसे तक्सीम होगी और वह अपनी इज्जत कहां  कहां तलाशग अदीब ने उसे बहुत प्यार से पुका

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भाग 30

13 अगस्त 2022
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तभी नूरजहाँ  उसका ध्यान नीचे मौजूद रियाया की तरफ दिलाया उधर देखिए हुजूर इतने दिनों बाद आप बाहर निकले आपकी रे आया आपके दीदार के लिए उम्र पड़ी है तभी भीड़ ने पुरजोर आवाजें का आने लगी बादशाह सलामत जिंदाब

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भाग 31

13 अगस्त 2022
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मुझे जाना चाहिए वक्त आप को माफ नहीं करेगा और फिर आपको भी वक्त की बरात बर्बादी का मलाल कठोरता रहेगा सारा शगुफ्ता देखिए आपके अर्दली साहब बेसब्री से आपका इंतजार कर रहे हैं चलने से पहले एक यशपाल दरख्वास्त

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भाग 32

13 अगस्त 2022
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मैंने कोई निमंत्रण बाबर को नहीं भेजा था राणा सांगा नितेश में कहा तुम्हारा वह दावत नामा मेरी तिवारी बाबरनामा में दर्ज है और वह दस्तावेज आज का नहीं सोलवीं सदी का है अगर या गलत है तो तुमने तब क्यों नहीं

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भाग 33

15 अगस्त 2022
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 या गलत है हमारी गलती से विभाजन तो एक सच्ची घटना में तब्दील हो गया था पर विभाजन के भयानक दौर में भी सिंध में मारकाट नहीं हुई हमने मन ही मन अपनी ऐतिहासिक गलती मंजूर करते हुए बहुत भरे दिल से अपने हिंदू

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भाग 34

15 अगस्त 2022
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मुसलमान का था मीरा का था कबीर का था नाना कोटा कोलकाता सुब्रमण्यम भारती और नज़रुल इस्लाम कथा संत रैदास के और ज्ञानेश्वर का था किसका खुदा नहीं था लेकिन इंक इकबाल ने खुदा के मस्जिदों में कैद कर देने का प

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भाग 35

15 अगस्त 2022
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और आपकी सलमा जो खुदा हाफिज कह कर चली गई है इस अहम अदालत का कारोबार रोक कर आपको फिर अपने लिए हासिल करने की कोशिश में लगी है और उधर आपके दोस्त भवानी सिंह उप ईरान की राजधानी तेहरान से लौटकर कुछ जरूरी बात

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भाग 36

20 अगस्त 2022
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हुजूर हमसूफी है इस पागल शहंशाह ने हुजूर पैगंबर के जन्मदिन पर गाए जाने वाले हम हमारे भजनों पर भी पाबंदी लगा दी तब हम सूफी संतों को उसके गुर्गे और दरोगा मिल जावा वाकर के खिलाफ गोलबंद होकर निकलना पड़ा इस

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भाग 37

20 अगस्त 2022
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मौका पाते ही सल्तनत के वजीरे खारी खारी जा राजा रघुनाथ को हटाकर या वादा किसी से मुसलमान को दिया जाए किसी हिंदू अफसर के नीचे मुसलमान को तैनात किया जाए और अब खुलकर इन काफिरों हिंदुओं को बता दिया जाए कि व

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भाग 38

20 अगस्त 2022
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यही कि जो मैंने किया वह गलत भी था वह सही भी था सर जमीन ए हिंद की नजर में मैंने बहुत कुछ गलत किया जो मुझे शायद नहीं करना चाहिए था लेकिन इस्लामी मिल्लत की नजर में जो कुछ मैंने किया वह शायद सही था ऑरेंज

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20 अगस्त 2022
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तभी इतिहास के करोड़ों पन्नों से चीखती हुई आवाज आने लगी औरंगजेब तुम जालिम हो तुमने पोस्ते का पानी पिला पिला कर मुराद को मारना चाहा जब वह तंदुरुस्त शहजादा अफीम के पानी से नहीं मारा तो तुमने उसे चला दो उ

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भाग 40

20 अगस्त 2022
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शिब्ली नोमानी बड़े जोश खरोश से बता रहे थे मजहब की शक्ति का अगर किसी ने पहली बार इस्तेमाल किया तो बस सिर्फ यही दिलेर आलमगीर था कहीं ऐसा तो नहीं कि औरंगजेब ने इस्लाम का सहारा अपनी कमजोरियों और जातियों क

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भाग 41

20 अगस्त 2022
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तुम लोग कहर की बात करते हो हम कयामत बरपा करेंगे और मिस्र में बाप कुछ भी नहीं जिंदा छोड़ेंगे जो इस्लाम से पहले का है हम उसे बराबर करके रहेंगे दूरदराज अमेरिका से आई वहां मिस्र का मूल्य से कुमार अब्दुल र

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भाग 42

20 अगस्त 2022
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या तेज भाई जारी थी कि लश्कर मंदिर के उत्तर पूर्वी तरफ अबू हज आज मंदिर से इमाम वाहिद मोहम्मद अपनी ने भय ग्रस्त आंखों से जाकर देखा यहीं इसी मस्जिद में अपने समय के सबसे बड़े विद्वान अबू हज्जाज दफन हैं जि

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भाग 43

20 अगस्त 2022
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इसीलिए पश्चिम वाले ईरान की इस्लामी क्रांति की को आत्मसात नहीं कर पाए अयातुल्लाह खोमेनी और इस्लामी क्रांति में ईरान जैसे सभ्यता संपन्न देश को फिर एक बार उसकी दूरी दे दी आज अपनी धुरी पर लौटकर ईरान अपने

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