मुझे जाना चाहिए वक्त आप को माफ नहीं करेगा और फिर आपको भी वक्त की बरात बर्बादी का मलाल कठोरता रहेगा सारा शगुफ्ता देखिए आपके अर्दली साहब बेसब्री से आपका इंतजार कर रहे हैं चलने से पहले एक यशपाल दरख्वास्त है दुनिया से मिलने के पहले आप पाकिस्तान की सारा शगुफ्ता से जरूर मिल लीजिए खुदकुशी करने के बाद भी भटक रही है सारा शगुफ्ता हां तो मैं अब चलती हूं खुदा हाफिज खुदा हाफिज अदीब ने गहरी उदास सांस लेकर कहा अर्दली ने राहत की सांस ली अजीब सोचने लगा सारा सुख था से यूं तो उसकी कभी मुलाकात नहीं हुई लेकिन अपनी बिरादरी की जितनी शपले उसके सामने झिलमिलाती थी उनमें से उसे यह अहसास था ।
कि सारा शगुफ्ता एक बेपनाह खूबसूरत औरत और निहायत बेवफा विभाग शायर है जिसकी एक आंख से आंसू और दूसरी आज के अंगारे बरसते हैं उसने अपने खूबसूरत सपनों और ख्वाहिशों की कीमत खुद अपनी खुद खुशी से अदा की है सारा गुप्ता इस वक्त कहां है अजीब ने अंजलि से पूछा इस वक्त दिल्ली हौज खास में अमृता प्रीतम के घर मौजूद हैं अमृता जी के यहां जी हां वह और वहां कहां हो सकती हैं पूरे एशिया में आंसुओं और अल्फाजों का एक ही तो विद्यापीठ है अमृता प्रीतम का घर होटल से उन्हें हौज खास पहुंचने में देर लगी अजीब ने आगे बढ़कर सारा गुप्ता का एक सवाल किया एशिया की सबसे आला तरीन सायरा और मोहतरमा आप पाकिस्तान से कब आई है मैं सारा शगुफ्ता नहीं अमृता प्रीतम हूं सामने मौजूद महिला ने उत्तर दिया हो उधर वाले कमरे में आपने आंसुओं की गिनती कर रही हैं मैं बोल बुलाती हूं तब तक एक और महिला वहां आई तो देख कर अधिक चौक उठा अरे शर्मा अभी-अभी तुम वहां और अब यहां अभी मैं सलमा नहीं सारा शगुफ्ता हूं अजीब उलझन से दोनों को देखने लगा तो अमृता प्रीतम ने उसकी मुश्किल हल कर दी अधिक मां बनने के बाद हर औरत की शक्ल एक ही हो जाती है औरत और औरत की शक्ल में फर्क नहीं रह जाता बैठो मैं उत्तम के लिए नींबू की चाय पी जाती हूं ।
अदीब ने बैठते हुए कहा सारा हम जीवों की बिरादरी आप को सलाम करते हैं हमने आपका कविता संकलन आंख पड़ा है उसमें आपने जो आखरी खत जुड़ा हुआ बेहतरीन है जिस दिन शायरी का आखरी हर लिख दिया जाएगा उस दिन के बाद आंखों में पानी नहीं रह जाएगा इंसान बंजर हो जाएगा मैंने जो आखरी खत जोड़ा है वह एक मां के आंसुओं का मर्सी मर्सी या है सारा ने खुदकुशी की आखिरी सांस के बाद सांस से लेते हुए कहा तब तक नींबू की चाय आ गई या अजीब यह तब की बात है जब मेरी कोख में कोई सांस लेने की कोशिश कर रहा था जिंदगी अपना वजूद मांग रही थी मैं उसे जन्म देने के लिए दर्द से करा रही थी तभी मकान मालकिन ने मेरी तकलीफ ज्यादा आवाज सुनी और मुझे एक अस्पताल में भर्ती कराए हाथों में ₹5 का एक नोट थमा के लौट आई और वही मेरी कोख में एक बेटे को जन्म दिया रात बहुत शर्म थी मेरे बेटे को लपेटने के लिए अस्पताल में एक तौलिया भी नहीं था सिस्टम 5 मिनट के लिए उसे मेरी बगल में मिटाया था उसने अपनी उजली आंखों से मुझे देखा फिर न जाने क्या हुआ उसने क्या सोचा उसने आंखें बंद की और हमेशा के लिए सो गया ।
अदीब ने उदासी और परेशानी से सारा को देखा अजीब तब से मेरे बदन में उसकी दो गुट नहीं सैकड़ों लाखों आंख लगातार होती है झुकती है मुझे देखती है और अपने लिए कफन मांगती हुई मुझे बुझ जाती है शायद या जिंदगी के लिए कुछ ही पलों के गया था यह दुनिया उसके जीने लायक जगह नहीं रह गई उसने जीना मुनासिब नहीं समझा अदीब ने सारा को फिर देखा मेरे पास सिर्फ ₹5 थे मैंने अस्पताल से घर तक जाने की इजाजत मांगी इजाजत मुझे नहीं मिली एक तो इसलिए कि अभी मैं घर जाने लायक नहीं थी दूसरी इसलिए मेरे बेटे की लाश वही पड़ी थी सारा तब मुझे अस्पताल का खर्च करना था बेटे की लाश को दफनाने का इंतजाम करना था उस वक्त मुझे 130 डिग्री बुखार था अस्पताल वालों को अपने पैसों की दरकार थी ।
तब मैंने कहा था मेरे बेटे की लाश रेहन रख लीजिए मैं पैसे चुका कर इसे ले जाऊंगी एक शख्स ने तब मुझे शक की निगाह से देखा मैंने कहा मैं भूमि नहीं लौट कर आऊंगी और अधिक ताजिया था कि दुनिया वालों में अभी तक या विश्वास मौजूद था और कोई लौट आया ना लौटे मां अपने जिंदा या मुर्दा बच्चे के लिए जरूर लौटकर आती है मां जब चली तो मेरी छातियां दूध के निकास के लिए फटी जा रही थी घर पहुंच कर मैंने अपनी छातियों का दूध छोड़ने छोड़कर एक गिलास में निकाला और वह गिलास अभी रखा ही था कि तमाम शायर और अधिक मातम उसी के लिए आ गए कुछ देर बाद सब खामोशी से दूर भरा गिलास देख कर रहे फिर अपनी हमेशा की पैसों से उलझ गए तभी लाशों के बाजार खुलते चले गए सोमालिया में शांति कायम करने गए पाकिस्तानी फौजियों की लाशों का अंबार लग गया ब्रो सोनिया में कत्ल किए गए मुसलमानों की लाशों के कफन में लपेटे का लपेटकर सजाया जा रहा था अजरबैजान में लाशों का बाजार लगा था ।
गीदड़ चील कौवे और कुत्ते उनका बटवारा कर रहे थे नाइजीरिया में लाशों की नाक हो रही थी निमोनिया में तमाम ला से अपनी शहादत का खुतबा पढ़ा पढ़े जाने का इंतजार कर रही थी कश्मीर में पड़ी लाशें अपने बयान दर्ज कर रही थी उन लाशों में कश्मीरी मुसलमान भी थे कश्मीरी पंडित भी अफगानिस्तान मिला से दफनाने के लिए जमीन की कमी पड़ रही थी और चाचू की बात यह है कि तालिबानियों द्वारा रौंदे गए जाने के बावजूद अपने अपने हिमायती लोगों के लाशों के ढेर पर गुलाम रब्बानी अहमद शाह मसूद गुलाब उद्दीन एकमत यार और तालिबानियों का तानाशाह मोहम्मद उमर जैसे लोग अपने अपने इस्लाम का ताज पहले शान से खड़े थे तभी एक मुर्दा दौड़ता हुआ आया और सीखने लगा अभी आलिया इस्लाम के नाम पर अफगानिस्तान कब्रिस्तान बन चुका है चारों इस्लाम का ताज पहन कर बेशर्मी से खड़े हैं ।
कोई देखे तो हम आम इस्लाम प्रश्नों का क्या हाल हुआ हुजूर हम लाखों-करोड़ों लोग तुम्हारे गए इन चारों के दामन बेगुनाहों के खून से तर है पूरा मुल्क तबाह हो चुका है अभी वह मुर्दा अपनी बात कही रहा था कि कराता हुआ बाबर अजीब के सामने हाजिर हुआ दिव्या लिया मैं तो आपसे छुट्टी मांग कर अपनी कब्र में लौट गया था लेकिन जगह-जगह बरसते और पढ़ते गोलू की आवाज से में सुकून इतना मुश्किल कर दिया अब तो अफगानिस्तान के खुद ही बोल दो वो भी भागना पड़ रहा है।
क्योंकि कपड़े भी मिस मार हो चुकी हैं ना से सैल्यूट की तरह चल रही है तेजाबी बदबू और सड़े हुए गोश्त को देखकर मांस भक्षी जानवर और परिंदे भी मूल को छोड़कर उत्तर या दक्षिण की ओर चले गए हैं यदि वे आलिया अफगानिस्तान मर गया मेरा काबुल मर गया मेरे काबुल पर या कहर इस्लाम के नाम पर बरपा किया गया बाबर तुम किस मुंह से यह बात कह रहे हो तुमने भी तो इस्लाम के नाम पर यह कहर हिंदुस्तान पर बरपा किया था इतिहास की एक किताब के पन्नों से निकलकर राणा सांगा ने बाबर को ललकारा नहीं या गलत है हिंदुस्तान मेरे लिए हिंदुओं का मुल्क नहीं सोने का मूर्खता तुम्हारे हिंदुस्तान में तब सिंधु नदी की रेती में सोने की जड़ रे वह कर आते थे तुम तो अनपढ़ हो पता है यूनान के हेरोडोटस ने क्या लिखा है ।
तुम्हारे सिम इलाके का राजा खुद मानो सोने की रेट निकालो आता था और फारस के सम्राट साइरस से उसकी तिजारत फिरता था उसी सोने की चिड़िया हिंदुस्तान पर मैं कब्जा करने चाहता हूं था मुझे एक मजबूत सल्तनत की जरूरत थी मेरे दुश्मन हिंदुस्तान का हिंदू नहीं बल्कि आगरा का मुसलमान बादशाह इब्राहिम लोदी था और क्या तुम यह भी भूल गए कि ब्रह्म लोधी पर हमला करने के लिए तुमने और इब्राहिम लोदी के चाचा पंजाब के सफेदा दौलत था मोदी ने मुझे संदेश भेजा था तुम गलत बयानी कर रहे हो बाबा तुम भी महमूद बिन कासिम और महमूद गजनी की तरह काफिरों के विरुद्ध धर्म युद्ध करने आए थे इस्लाम फैलाए फैलाने आए थे तुम तलवार के जोर पर अपना मजहब फैलाने चाहते थे ।
राणा सांगा ने तेज आवाज में कहा इसी तरह की बहसों से धार्मिक सामुदायिक और ऐतिहासिक असलियत की दिशा बदल जाती है और कालांतर में वे अलगाव बहिष्कार और देश का कारण बन जाती हैं पराजित पक्ष इस तरह की स्मृतियों को संचित करके एक दूसरे की मनोवांछित इतिहास लिख लेता है और उसी में जीना शुरु कर देता है अजीब ने कहा सब उसी और सहमति या समिति से देखने लगे और विजेता जब इन संचित स्मृतियों के इतिहास का सपना करता है तो उसका सहायक हथियार बन जाता है तवा धर्म को अपने शस्त्रागार में शामिल करके निरंकुश होने की हद तक चला जाता है ।
आरंभिक मध्यकालीन आत्माओं का विकसित होता है बदलता सच यही है या आंशिक सच हो सकता है राणा सांगा में हस्तक्षेप किया संपूर्ण सच नहीं पूछे इस बाबर से अगर या धर्मांतरण का पक्षधर नहीं था तो इसके मूल्यों ने इसे गाजी होने की पदवी क्यों दी थी उससे पहले मैं राणा सांगा से पूछना चाहता हूं की ब्रह्म लोधी के चाचा दौलत खालू दी और इन्हीं उन्होंने जब मुझे हमले का दावत नामा भेजा था तब क्या उन्होंने मुझे हिंदू और मुसलमान बनने के लिए बुलाया था बाबर ने तर्क से पूछा