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भाग 15

6 अगस्त 2022

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हुजूर इन कानूनी बारीकियों में मत जाइए अन्याय अन्याय है अन्याय ग्रस्त औरत की जिंदगी तो मौत से बदतर होती है तुम ठीक कह रहे हो महमूद अली अदालत सीखी तो पूरी श्रेष्ठ कांप उठी नहीं मैं मुद्दों के अलावा जिद्दा लोगों की फरियाद सुनने का हक भी लेता हूं जो जीते जी मुर्दा मान लिए गए हैं पलट कर अदालत ने क्यों हक सुन की ओर देखा था तो अपनी कहानी बताओ किम हक सुन ने कहा सर मैं कोरियन हूं तब मैं 17 साल की थी वैसे मैं पैदा तो सन 1924 में जून में हुई थी । 

लेकिन 1941 में मुझे बैंकिंग से जापानी फौजियों ने उठाया था और दूसरे महायुद्ध के दौरान मुझसे जापानी सोल्जर में लगातार 15 * प्रतिदिन बलात्कार किया मुझे 30 इन हाई कोर्ट में भर्ती किया गया जो सेक्स को थी जिसे कंफर्ट कोर के नाम से पुकारा जाता था इसको में करीब 40000 औरतें लड़कियां जबरदस्ती भर्ती की गई थी और हम प्रतिदिन कम से कम 15 जापानी फौजियों की पार्श्विक वासना की क्षति और तृप्त करती थी तभी बिल्किस की तेज रुलाई फूट पड़ी लक्षण याद तो तुम्हारे साथ तब हुआ जब जंग जारी थी पर मेरे साथ तो या तब हुआ जब जंग नहीं थी मुझे तो सिर्फ तस्वीर और डाक के जरिए ज्ञाता के नाम पर इस देश में डाला गया डालते आलिया बिल्किस फूट-फूट कर रो पड़ी जो ना तो मुझे उनकी जुबान आती थी ना उनकी तहजीब पर वह अरब था जो मुझे ब्याह का नाटक करके ले गया था वह मुझसे 28 बरस बड़ा था और जैसे यह किस ऑप्शन 15 जापानियों की हवस की शिकार होती थी उसी तरह मैं हर दिन विषयों पर अपने उस आबिद की धरती और गर्ग धरती हरकतों का शिकार होती थी फिर जो बच्चा हम जैसों से पैदा होता था उसे तेरी बच्चा कहा जाता था। 

 और अब समाज से उसे दूर रखा जाता था अदालत के माथे पर सिलवटें पड़ी फिर वह चिकी अरब अमीरात के अफसर बिलाल के अफसर की अस्मत का जवाब तो जापानी देंगे जो जबरदस्ती पैदा किया गया कि पैदा हो गया और साथ ही अदालत ने अर्दली को देखते हुए कहा कि तुम अभी तक यही खड़े हो मैंने तुम्हें हुक्म दिया था जिंदगी को हाजिर करो उन वैसी जापानियों को इस बिलाल का बयान में दर्ज कर लूंगा पर तुम फौरन जाओ और पाकिस्तान कराची के हवाई अड्डे से जिंदगी बुलाओ जो जिंदा होते हुए भी अपनी जिंदगी नहीं जी पाई हुक्म शामिल करने के लिए अर्दली जैसे ही तेजी से चला अदालत पर हमला हुआ तरह-तरह के नारों का शोर बरपा हो गया तड़ा तड़ा गुड़िया चलने लगी कोहराम मच गया । 

अजीब बात यह हुई मुर्दे फिर मरने लगे वे जिंदा लोगों के तरह भी चीखने कराने और चिल्लाने लगे या मालूम ही नहीं चल सका कि कौन किसको मार रहा था कि स्कूल क्योंकि दुनिया के सारे पाकिस्तानियों के बाशिंदे अपनी ही कम के मशीनों के खून के प्यासे हो गए थे अभी घबरा गया वह चीज की खाया क्या बदतमीजी है हम इंसान की तकदीर के फैसले के साथ-साथ जिंदा आदमियों की जिंदगी यों का फैसला करने के लिए भी मौजूद है या मुर्दों के अधिकारियों का ही नहीं जिंदा इंसानों के अधिकारियों का सवाल भी है जो रे बात मत करो अगर जिंदा लोगों की जिंदगी का फैसला करने के लिए तुमने अदालत लगाई है तो फिर तुमने मुर्दों की मजलिस क्यों जमा रखी है एक हमलावर ने सवाल किया क्योंकि यह मुझे अपनी जिंदगी से पहले मारे गए हैं इनकी जिंदगी अभी बाकी है और मैं उन्हीं मुद्दों से मिल रहा हूं जो अपनी कुदरती मौत से पहले मर गए हैं ।

 जिंदगी और गलत मौत के बीच 29 दिन की उम्र का हिसाब कौन देगा अजीब सी का कयामत के दिन तक यह कहां इंतजार करेंगे इनके कर्म का ब्यौरा किसने दर्ज किया जिससे इनकी अगली जिंदगी का रूट तय होगा यह अशांत और अधूरी आत्माएं अकाल मृत्यु की शिकार आत्माएं हैं इनकी गलत मत काले दाल लेनदार और देनदार कौन है अजीब चीज का ही रह गया हमले जारी थे और कहर बरपा था धुआं धमाके तड़ तड़ हल्ला हंगामा और मिनी चीखने चिल्लाने और आगजनी देखकर अर्जुनी तेजी से लौटा जैसे तैसे उसने अपने अधीन की जान बचाई और उसे लेकर भागा भागते-भागते वे लस्त  हो गए।वह बड़ा रेगिस्तान था उसकी बालू पर भागना आसान नहीं था रेगिस्तानी तूफान के मारे और भी मुश्किल थी  । 

उसकी आंखें कानून न सुनो बालों में कपड़ों में रेत भर गई चारों तरफ बियाबान रेगिस्तान उड़ती गर्म रेत के बा बगुले और बाघ भालू की लहरों में बनते और बिगड़ते पीले हंसते हुए आदिम गिर पड़ा और दिलीप बुरी तरह आते हुए उसके पास ही बैठ गया थोड़ा दम में दम आया सांसे ठीक हुई तो उसने अंजलि से पूछा हम कहां हैं हुजूर हम एक भी आवाज रेगिस्तान में है दोस्त मैं अब बुरी तरह नष्ट हो चुका हूं मैं अपने दोस्तों और समकालीन समकालीन ओं को आवाज देना चाहता हूं मेरा साथ दो राकेश बारोट संतरा ही परछाई रघुवीर श्रीकांत के अलावा मैंने अपने तमाम दोस्तों के आवाज लगाना चाहता हूं  । 

जिन्होंने अपनी रचनात्मक शक्ति  और अपनी कलम की सच्चाई से दुनिया हाथ को बेहतर बनाना चाहते हैं उनसे कहो मेरा साथ दें मैं बहुत अकेला पड़ गया हूं उनसे हाथ जोड़कर कहोगी दुनिया को उनकी जरूरत है पर पहले मुझे बताओ यह कौन सा रेगिस्तान है इसका नाम क्या है अभी अपनी परेशानी से पूछा पता नहीं क्या कौन सा रेगिस्तान है लेकिन रेत के सिवा यहां कुछ ही नहीं है हुजूर अर्दली ने अपनी रहते हुए कहा अपनी रेत साफ करके अब तक अधिक कुछ सुरते से बैठ गया । 

 उसने आसमान की तरफ देखा तो चकित रह गया अर्दली देखो देखो इन सफेद अंशु देखो कैसे उड़ रहे हैं हुजूर यहां नहीं इसी हसी सफेद रेत के परिंदे हैं गरम बा बाबू लोगों के साथ उड़ते हैं कुछ देर से मैं यह परिंदे अपने पंख फड़फड़ा आते हैं फिर इसीलिए तो मिल जाते हैं अर्थ अली ने अदब से बताया अधि अधि उन परिंदों को देखता रहा कुछ देर बाद उठ कर खड़ा हुआ और चलने लगा हम किधर जा रहे हो जो हर दिन में पूछा यहां दिशाएं तो ही नहीं है जिधर पर उठ गए उसी तरफ चल पड़ा हूं थोड़ी मदद रेत के उड़ते हुए परिंदों से मिल रही है अजीब ने कहा और चलता रहा । 

रेत ही रेत चारों तरफ कहीं कोई रास्ता नहीं कोई पढ़ाओ या मंजिल नहीं थी सिर्फ एक ही रेट पता नहीं वह दोनों कब तक और कहां तक चलते रहे कितनी रातें गुजरी कितने दिन बीते कुछ पता नहीं जहां भी मैं पहुंचते यही लगता कि यही से तो चले थे सहारा रेगिस्तान एक साथ आ देखते-देखते कदमों के अक्षर भी मिट जाते पता ही नहीं चलता था कि वह चले भी थे या नहीं हम हर दिन इतना चलते की लेकिन कहीं पहुंच नहीं रहे आखिर एक दिन अली बोल ही पड़ा चलना अपनी जगह और पहुंचना अपनी जगह इन दिनों इन दोनों को मिलाते हुए क्यों हो अजी बोला इसका सबूत है या ठहरी हुई जिन सर्दियां जो लाखों करोड़ों वर्ष पहले चली थी पर वही पहुंची जहां से वह चली थी बीच-बीच में उन्हें मजहब के पढ़ाओ मिले और उन्होंने फिर उन्हें उसी बियाबान रेगिस्तान में पहुंचा दिया अर्दली उसकी बात नहीं समझ पाया तो अदीब ने कहा देखो हर चीज़ अपनी काम करती है अंधेरा आता है पर वह खुद से यह पूछ कर नहीं आता कि वह कितना चल कर आया है रोशनी आती है वह भी अपने फैसलों का हिसाब किताब रखकर नहीं आ चलती यार एक उड़ती है उड़ कर चलती है पर इसमें भी नहीं बताया कि इसमें कितना फासला तय किया अंजलि को चुप रहना ही ठीक लगा उसे लगा कि साहब फिर वह एक रहे हैं ।  

आखिर कहीं दूर पर एक छाया सी नजर आई ताज्जुब की बात यह थी कि वह छाया देखते-देखते पिघल जाती फिर उभर जाती अजीब ने कई बार आंखों की दूरबीन बनाकर उस छाया को देखा उठाया ने भी उसे देखा और वह भागती हुई आई और पास पहुंच ही कर छाया पुरुष उससे लिपट ते हुए बोले अरे नदीम तुम का यहां हिंदुस्तान से कब आए अनेक कामरेड इमाम नजीब तुम तुम पाकिस्तान से कब आए बनने भाई अरे अपने सज्जाद जहीर खान तुम कैसे हो मामा जी मैं अच्छा नहीं हूं जिंदा भी हूं मुर्दा भी मैं पाकिस्तान गया था जम्हूरियत के लिए गरीबों की लड़ाई लड़ने के लिए मैं पाकिस्तान गया था अपनी बीवी अपना घर अमरोहा को छोड़ कर आना जी मुझे याद है तब तुमने भी पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाए थे और सेंड हवेली में जीएस सैयद ने भी पाकिस्तान के स्वागत किया था बनने भाई भी तब या भूल गए थे पाकिस्तान महकमे ने का मुल्क नहीं बड़े-बड़े शर्मा सरदारों का मुल्क है जिसकी बुनियाद मजहब की नफरत से भरी गई थी और तुम मार्क्सवाद उस मजहबी नफरत को तब एक धार्मिक संप्रदाय की जरूरत मानकर मूल को बांटने का समर्थन कर रहे हो तुम धर्म के आवाम की अफीम मानते हुए धार्मिक और आशावादी नसीर दे रहे थे अजीब में एक के बाद एक थाने का शेर तो इमाम नाजिश बौखला गए।  

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रचनाएँ
कितने पाकिस्तान
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कितने पाकिस्तान हिन्दी के विख्यात साहित्यकार कमलेश्वर द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 2003 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। यह उपन्यास भारत-पाकिस्तान के बँटवारे और हिंदू-मुस्लिम संबंधों पर आधारित है। यह उनके मन के भीतर चलने वाले अंतर्द्वंद्व का परिणाम माना जाता है।'कितने पाकिस्तान' कमलेश्वर का लिखा हुआ एक प्रयोगवादी उपन्यास है। इस उपन्यास को 2003 के साहित्य अकादमी पुरस्कार से नवाज़ा गया था। यह उपन्यास बाकी उपन्यासों से कई मामलों में अलग है। पहला, इसमें सामान्य घटनायें, जैसे उपन्यासों में होती हैं, नहीं हैं, बल्कि ऐतिहासिक घटनाओं का लेखक के नज़रिये से वर्णन है। क्योंकि सारा कथानक उसी के इर्दगिर्द घूमता है। उपन्यास में सदियों से चले आ रही हिंसा और मारकाट के प्रति गहरा क्षोभ है। पात्रों की इस कमी को इतिहास के प्रसिद्ध व्यक्तियों को कटघरे में लाकर दूर किया गया है। अगर उपन्यास का सार निकालने की कोशिश की जाए तो यही आयेगा कि विभाजन अब बंद होने चाहिये।
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भाग 1

21 जुलाई 2022
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एक भूली हुई दास्तान उसे याद आती है  ।   वह तो एक बंजर जमीन से आया था ।  खामोश  आकर्षणों की दुनिया से जहां कहां कुछ भी नहीं जाता । मन ही मन में कुछ अरमान करवटें लेते हैं । अनबूझी इच्छाएं आती और चली जा

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भाग 2

21 जुलाई 2022
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- हुआ या था नहीं स !  पहले या सुनिए कि हुआ क्या है...... उसने चौक कर आवाज की तरफ देखा था उसका एक में 3 सहायक स्टोनो और अर्दली महमूद उसके सामने खड़ा था।  उसके हाथ में टेलीप्रिंटर से आई खबरों के कुछ कु

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भाग 3

21 जुलाई 2022
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खत भेजने के बाद अभी बहुत परेशान था । वह सोच रहा था कि उसके उद्गार और विचार कहीं देश की रक्षा सुरक्षा के नाम पर दूसरों के लिए मौत तो पैदा नहीं करते क्या एक के जीवित रहने के लिए दूसरे की मौत जरूरी है?

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भाग 4

21 जुलाई 2022
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और तभी यूरोप के सम्राट गिल गमेंश की गूंजती आवाज आई -  - मैं पीड़ा से लड़ लूंगा यातना सहूँगा  कुछ भी हो मैं मृत्यु को पराजित कर लूंगा मैं मृत्यु से मुक्त की औषधि खोज कर लाऊंगा !  सम्राट गिल गणेशा की

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भाग 5

21 जुलाई 2022
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वहां मौजूद तमाम देवताओं की चिंता का एक स्वर में अनुमोदन किया और देवी तान्या ने तब उन्हें आगाह करने वाला भाषण दिया दजला फरात और डेन्यूब की परा धरती के समस्त देवताओं तुम सब आज चिंतित हो क्योंकि मनुष्य म

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भाग 6

29 जुलाई 2022
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उसी कहानी में शामिल है बूटा सिंह और रेतपरी किया की  यह कहानी राजस्थान का तपता रेगिस्तान कोई चीखा बन गया साला पाकिस्तान आसमान की आंख सूखी हुई थी उनमें एक बूंद भी पानी नहीं था मौसम विभाग के वैज्ञानिक

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भाग 7

29 जुलाई 2022
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बूटा सिंह जब जीने के लिए कपड़े लेने निकला था पाकिस्तान नाम की लकीर तो फिर चुकी थी मौसम विशेषज्ञों की भविष्यवाणी सही साबित हुई रक्त की वर्षा हो रही थी रेत परिचय नहीं अभी भी गर्दन तक रेत में दबी हुई है

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भाग 8

29 जुलाई 2022
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आतंकी देवताओं ने धरती की ओर देखा वह सकते में आ गए जो लोग के समस्त सफेद पंखों वाले पंछी देवदासी रोना को लेकर मित्रों पर उतर रहे थे "के समय उसके साथ अभी सभी तरह के पंछी पखेरू शामिल होते गए थे उनमें अंजन

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भाग 9

29 जुलाई 2022
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बूटा सिंह ने कपड़ों की जोड़ी लाकर जीने के पास रख दिया और पूछा निकालूं तुम बाहर जाओ मैं निकाल आऊंगी धीरे-धीरे जैनेब रेट टिकट दे से निकल आई उसने तार-तार हुई कुर्ती को उतारा और वही संभाल कर रख दिया ना जा

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भाग 10

29 जुलाई 2022
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बूटा सिंह ने कपड़ों की जोड़ी लाकर जीने के पास रख दिया और पूछा निकालूं तुम बाहर जाओ मैं निकाल आऊंगी धीरे-धीरे जैनेब रेट टिकट दे से निकल आई उसने तार-तार हुई कुर्ती को उतारा और वही संभाल कर रख दिया ना जा

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भाग 11

6 अगस्त 2022
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उसके  अदालत के दरवाज़े पर रक्त  दस्तके  पड़ने लगी । वह दस्तक  से परेशान था। परेशान नही  पागल। और फिर दस्तक  पर दस्तक  ।पश्मी सीमांत से एके-47 चीनी राइफल ने दस्तक दी । हथियार बनेंगे तो चलेंगेभी ।  उत्तर

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भाग 12

6 अगस्त 2022
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वह कौन सी तारीख थी।  इब्राहिम लोदी से मैंने पार्क पानीपत की लड़ाई 20 अप्रैल 1526 को जीती थी और रजत 15 जुम्मे के दिन यानी 27 अप्रैल 1526 को मारे मेरे नाम का खुतबा पढ़ा गया था या खुद बा मौलाना महमूद और

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भाग 13

6 अगस्त 2022
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अजीम फैजाबाद स्टेशन पर उतरा ही था कि वह धमाकेदार झापड़ उसके पड उसके पड़ा स्टेशन की दीवार पर लिखा हुआ नारा सामने खड़ा था बोला फैजाबाद आए हो तो पहले इसे पढ़ पढ़ो इसमें लिखा था कि अपने धर्म स्थानों का अप

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भाग 14

6 अगस्त 2022
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बस आग लगाते घूम रहे हैं सब ही ना ही चाह सोजत की भारत का क्या होगा पहले ही या हिंदू मुसलमान को लगवाना चाह ना ही लड़ बाय पाए तो अब शिया सुन्नी को डलवाना चाहते हैं अब पानी शरबत बिस्कुट और मूंग के दाल मोड

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भाग 15

6 अगस्त 2022
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हुजूर इन कानूनी बारीकियों में मत जाइए अन्याय अन्याय है अन्याय ग्रस्त औरत की जिंदगी तो मौत से बदतर होती है तुम ठीक कह रहे हो महमूद अली अदालत सीखी तो पूरी श्रेष्ठ कांप उठी नहीं मैं मुद्दों के अलावा जिद्

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भाग 16

6 अगस्त 2022
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नक्सलवाद का समर्थन कर रहे थे एक के बाद एक ताने कसे तो इमाम नाजिश बौखला गए और और बोले तब तुम भी हमसे कहां लगते अधीन तुम अमृता प्रीतम करतार सिंह दुग्गल मोहन राकेश भीष्म साहनी देवेंद्र सत्यार्थी और यहां

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भाग 17

6 अगस्त 2022
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और मार दो अपने ही सब सृष्टि की रचना की थी उसने अपने दादा अनु को आकाश का सम्राट बनाया था अपने पिता ऐसा को धरती का और तब माधुरी ने एक महा मंदिर बनाया था कि आकाश के देवता और ईश्वर जो उसकी प्रजाति धरती पर

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भाग 18

6 अगस्त 2022
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जी शायद आप मुझे ठीक ही पहचान रहे हैं सलमा की जान में जान आई मैं सीएसपी के जनाब आफताब अहमद की हूं  और हिंदुस्तान में रहती हूं वह मेरे नाना है सलमान ने कहा तब पुलिसवाला कुछ नाराज सा होकर काउंटर वाले से

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भाग 19

6 अगस्त 2022
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अदालत में क्या कह रहे हो तुम मैं तो कराची के होलीडे इन होटल के रेस्टोरेंट में बैठा हुआ था और सलमा से बातें कर रहा था हुजूर आपकी यादों की परछाई का नाम क्या है या तो मुझे नहीं मालूम पर आपके होंठ मिलता ल

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भाग 20

6 अगस्त 2022
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तब अजीब चीन से लौट आया था सलमा भी अपने नाना से मिलकर कोटा से लौट आई थी उसे उम्मीद नहीं थी कि इतने महीनों बाद भी सलमा उस पेपर नैपकिन पर लिखे पते पर फोन का नंबर को संभाल कर रखे गी पर उसने रखा था ना रखा

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भाग 21

6 अगस्त 2022
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नहीं नहीं तो या नीम की पत्तियां झड़ रही है ना हां पतझड़ का मौसम है ना नहीं या अंधेरे का मौसम है लगता है मेरा पति पति झड़ रहा है तो एक बात क्यों ना करें क्या हम न कुछ पूछे न जाने अपने रवा अति जिंदगी के

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भाग 22

13 अगस्त 2022
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बिस्तर उनका इंतजार कर रहा था वह भी  वह भी त्रियोबिश की  रेती की तरह साफ़ था। मेरे संपर्क से छूने से कुछ ऐसा तो नहीं जो तुमने जीवित होता हो और मेरा प्रतिकार करता हूं नहीं ऐसा भी कुछ नहीं सलमा ने बहुत गह

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भाग 23

13 अगस्त 2022
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जब अजीब और शर्मा कॉटेज से निकले तब भी नीले फूल खिले हुए थे। सलमा ने साड़ी पहनी थी बदन में बाकी फूल तो साड़ी और ब्लाउज के अंदर उन देशों की तरह समा गए थे । प्रभावों पर उन नीले फूलों की जो लेटर उतर आई थी

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भाग 24

13 अगस्त 2022
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वह मेरा बेटा ही सही पर मर्द हो जीने के लिए कहीं मुश्किल नहीं होता मैं एक रिश्तेदार की तरह आपको राय देता हूं कि बेहतर होगा कि आप अपने बेटे के साथ अपने नाना के पास पाकिस्तान लौट आए नईम ने कहा आप तो बिल्

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भाग 25

13 अगस्त 2022
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कुछ नहीं ऐसे लोग आकर यहां क्यों नहीं समझते कि मुसलमानों के नाम पर पाकिस्तानियों को बोलने का कोई हक नहीं है आज है हिंदुस्तान में पाकिस्तान से ज्यादा मुसलमानों पाकिस्तान से ज्यादा इस्लाम की समझने वाले ल

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भाग 26

13 अगस्त 2022
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सलमा और अधीन ने मजहब तो नहीं बदले पर उन्हें इस बात में मजा जरूर आने लगा या उनके लिए जैसे खेल की बात बन गई सबसे पहले तो उन्होंने जगह बदली वह पूरब की ओर भागे भागते भागते ब्लैक रिवर के घने जंगलों को पार

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भाग 27

13 अगस्त 2022
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वह आवाज बिजली की तरह तड़प और कड़क रही थी और अब वह कौन सी भी कमरे में खड़ी हो गई थी अजीब या कौन है डर से असहमति सलमानी उसके कंधे के पीछे छुपे हुए पूछा मैं चला दो आलमगीर औरंगजेब का जल्लाद मैं कोतवाल भी

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भाग 28

13 अगस्त 2022
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इस्लाम में हर कुदरती जरूरत के लिए जगह है लेकिन जब मजहब और सियासी फायदे के लिए नफरत में बदला जाता है तो एक नहीं तमाम पाकिस्तान पैदा होते हैं मेरी बच्ची तुम्हारी जिंदगी को इस गलत विभाजन ने तोड़ दिया है

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भाग 29

13 अगस्त 2022
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गहरी नहीं जरूरी अंग्रेजों और जिन्ना साहब ने सोचा ही नहीं था कि जब हिंदुस्तान नाम का मूल नसीब होगा तब मेरी जैसी एक सलमा कैसे तक्सीम होगी और वह अपनी इज्जत कहां  कहां तलाशग अदीब ने उसे बहुत प्यार से पुका

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भाग 30

13 अगस्त 2022
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तभी नूरजहाँ  उसका ध्यान नीचे मौजूद रियाया की तरफ दिलाया उधर देखिए हुजूर इतने दिनों बाद आप बाहर निकले आपकी रे आया आपके दीदार के लिए उम्र पड़ी है तभी भीड़ ने पुरजोर आवाजें का आने लगी बादशाह सलामत जिंदाब

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भाग 31

13 अगस्त 2022
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मुझे जाना चाहिए वक्त आप को माफ नहीं करेगा और फिर आपको भी वक्त की बरात बर्बादी का मलाल कठोरता रहेगा सारा शगुफ्ता देखिए आपके अर्दली साहब बेसब्री से आपका इंतजार कर रहे हैं चलने से पहले एक यशपाल दरख्वास्त

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भाग 32

13 अगस्त 2022
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मैंने कोई निमंत्रण बाबर को नहीं भेजा था राणा सांगा नितेश में कहा तुम्हारा वह दावत नामा मेरी तिवारी बाबरनामा में दर्ज है और वह दस्तावेज आज का नहीं सोलवीं सदी का है अगर या गलत है तो तुमने तब क्यों नहीं

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भाग 33

15 अगस्त 2022
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 या गलत है हमारी गलती से विभाजन तो एक सच्ची घटना में तब्दील हो गया था पर विभाजन के भयानक दौर में भी सिंध में मारकाट नहीं हुई हमने मन ही मन अपनी ऐतिहासिक गलती मंजूर करते हुए बहुत भरे दिल से अपने हिंदू

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भाग 34

15 अगस्त 2022
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मुसलमान का था मीरा का था कबीर का था नाना कोटा कोलकाता सुब्रमण्यम भारती और नज़रुल इस्लाम कथा संत रैदास के और ज्ञानेश्वर का था किसका खुदा नहीं था लेकिन इंक इकबाल ने खुदा के मस्जिदों में कैद कर देने का प

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भाग 35

15 अगस्त 2022
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और आपकी सलमा जो खुदा हाफिज कह कर चली गई है इस अहम अदालत का कारोबार रोक कर आपको फिर अपने लिए हासिल करने की कोशिश में लगी है और उधर आपके दोस्त भवानी सिंह उप ईरान की राजधानी तेहरान से लौटकर कुछ जरूरी बात

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भाग 36

20 अगस्त 2022
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हुजूर हमसूफी है इस पागल शहंशाह ने हुजूर पैगंबर के जन्मदिन पर गाए जाने वाले हम हमारे भजनों पर भी पाबंदी लगा दी तब हम सूफी संतों को उसके गुर्गे और दरोगा मिल जावा वाकर के खिलाफ गोलबंद होकर निकलना पड़ा इस

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भाग 37

20 अगस्त 2022
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मौका पाते ही सल्तनत के वजीरे खारी खारी जा राजा रघुनाथ को हटाकर या वादा किसी से मुसलमान को दिया जाए किसी हिंदू अफसर के नीचे मुसलमान को तैनात किया जाए और अब खुलकर इन काफिरों हिंदुओं को बता दिया जाए कि व

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भाग 38

20 अगस्त 2022
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यही कि जो मैंने किया वह गलत भी था वह सही भी था सर जमीन ए हिंद की नजर में मैंने बहुत कुछ गलत किया जो मुझे शायद नहीं करना चाहिए था लेकिन इस्लामी मिल्लत की नजर में जो कुछ मैंने किया वह शायद सही था ऑरेंज

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भाग 39

20 अगस्त 2022
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तभी इतिहास के करोड़ों पन्नों से चीखती हुई आवाज आने लगी औरंगजेब तुम जालिम हो तुमने पोस्ते का पानी पिला पिला कर मुराद को मारना चाहा जब वह तंदुरुस्त शहजादा अफीम के पानी से नहीं मारा तो तुमने उसे चला दो उ

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भाग 40

20 अगस्त 2022
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शिब्ली नोमानी बड़े जोश खरोश से बता रहे थे मजहब की शक्ति का अगर किसी ने पहली बार इस्तेमाल किया तो बस सिर्फ यही दिलेर आलमगीर था कहीं ऐसा तो नहीं कि औरंगजेब ने इस्लाम का सहारा अपनी कमजोरियों और जातियों क

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भाग 41

20 अगस्त 2022
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तुम लोग कहर की बात करते हो हम कयामत बरपा करेंगे और मिस्र में बाप कुछ भी नहीं जिंदा छोड़ेंगे जो इस्लाम से पहले का है हम उसे बराबर करके रहेंगे दूरदराज अमेरिका से आई वहां मिस्र का मूल्य से कुमार अब्दुल र

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भाग 42

20 अगस्त 2022
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या तेज भाई जारी थी कि लश्कर मंदिर के उत्तर पूर्वी तरफ अबू हज आज मंदिर से इमाम वाहिद मोहम्मद अपनी ने भय ग्रस्त आंखों से जाकर देखा यहीं इसी मस्जिद में अपने समय के सबसे बड़े विद्वान अबू हज्जाज दफन हैं जि

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भाग 43

20 अगस्त 2022
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इसीलिए पश्चिम वाले ईरान की इस्लामी क्रांति की को आत्मसात नहीं कर पाए अयातुल्लाह खोमेनी और इस्लामी क्रांति में ईरान जैसे सभ्यता संपन्न देश को फिर एक बार उसकी दूरी दे दी आज अपनी धुरी पर लौटकर ईरान अपने

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