खत भेजने के बाद अभी बहुत परेशान था ।
वह सोच रहा था कि उसके उद्गार और विचार कहीं देश की रक्षा सुरक्षा के नाम पर दूसरों के लिए मौत तो पैदा नहीं करते क्या एक के जीवित रहने के लिए दूसरे की मौत जरूरी है?
मौत !
सारे युद्ध महायुद्ध यही तो बताते हैं कि मौत को योगफल के आधार पर ही हार जीत रहे हो सकती है। तुम कितनी मौत दे सकते हो !
वह कितनी मौत उठा सकता है। जब तक दूसरा जीवित रहता है पहला नहीं जीत का मौत विजय पराजय की को तय करती है! सभी युद्ध महायुद्ध हो कि या तो हार जीत है फिर चाहे वह कुरुक्षेत्र में आर्यों का महाभारत संग्राम रहा हो या हरियाणा के देवी जस और यूनानी मीडिया देश का मैराथन के मैदान में हुआ युद्ध !
अभी अदीब यह सब सोच ही रहा था। कि धरती से जानकारी धन्यवाद उड़ने लगी काली आंधियां चलने लगी और सारा आकाश अंधेरे में डूबने लगा ना मालूम ऐसे में रोज जैसे जैसा शासक प्रकाश जी क्यों मलिन पड़ जाता है। झंझावात काली आंधियां 1 प्रांतों में मचा कोहराम इधर-उधर विक्षिप्त से भागते वन्यजीव इतना अधिक धन और चीख पुकार अदीब ने दोनों कानों पर हथियार रख के अपने श्रवण स्रोत बंद कर लिए और चीका महमूद कोई उत्तर नहीं आया फिर ठीक है फिर भी उसे कोई जवाब तो नहीं मिला और देखा सामने से गिरता पड़ता था मैंने चला आ रहा है कहां थे तुम?
- हुजूर मैं पिछली सर्दियों में चला गया था।
- पिछली सर्दियों में क्यों ?
- मैं अपने पूर्वजों से मिलने गया था !
पूर्वजों से अधिक ने आश्चर्य से पूछा हुजूर आलिया आपको इतना दर्द क्यों हो रहा है ....ताज्जुब क्यों हो रहा है, कि हमारा मजाक सबसे दया है हमने इसे सबसे बेहतर पाया तभी तो हम पुराने धर्मों को छोड़कर इस्लाम में आए हैं । इसका यह मतलब तो नहीं है कि हमारे कोई पूर्वज नहीं है वह चाहे जैसे भी रहे हो पति या पवित्र पर है तो हमारे पूर्वज जी या भैंस का समय छोड़ो सबसे पहले यह मालूम करो कि काली आलिया क्यों चल रही है यह वन्य पशु व्याकुल होकर क्यों भाग रहे हैं। या हाहाकार क्यों हो रहा है शायद इसकी वजह शंभू की हत्या होगी शंबूक हुजूर हा हुजूर मैं खुद अपने पूर्वज राजा रामचंद्र को देख कर आया हूं ।
जब जब इस धरती पर धर्म की हानि होती है तब तब यह काली आंधियां चलती है मैंने अपनी आंखों से देखा है सुबह का समय होता है जो अयोध्या का राज प्रसाद वेद मंत्रों की पवित्र धर्म से गूंज रहा था और दया के राजा रामचंद्र अश्वमेघ यज्ञ की घोषणा करने रामप्रसाद से अभी बाहर आएगी थे । कि यदि की घोषणा से पहले ब्राह्मण का करुण रोदन किसलिए
एक अमात्य ने आगे बढ़कर कुंदन करते ब्राह्मण को उनके सामने कर या महाराजाधिराज या ब्राह्मण ही ब्लॉक कर का गाना बजा सकता है।
वह ब्राह्मण अपने पुत्र के मृत शरीर को छाती से लगाए राज राजा रामचंद्र को निखारने लगा आजा पति राम पिता के सामने पुत्र की मृत्यु या कैसा रामराज्य है तुम्हारा तुम हमारे ओ मेरे पुत्र के तुम तभी हुजूरी आलिया लोगों में कानाफूसी होने लगी या तो घोर पाप है ब्राह्मण का बेटा मर जाए और छतरी राजा कुछ ना कर सके या तो अनिष्ट लक्षण।
एक आम आदमी आगे बढ़ बढ़ कर कुंदन करते ब्राह्मण को उनके सामने कर दिया महाराजाधिराज या ब्राह्मण ही शोक का कारण बता सकता है वह ब्राह्मण अपने पुत्र के मृत शरीर को छाती से लगाए राजा रामचंद्र जी को एकसे पूछा यह कैसा रामराज्य राम पिता के सामने हमारे पुत्र की मृत्यु हुई है तभी हुजूरे लोगों में कानाफूसी होने लगी या तो घोर पाप है। ब्राह्मण का बेटा मर जाए और क्षत्री राजा कुछ ना कर सके या तो अनिष्ट का लक्षण है सतयुग में ऐसा नहीं हो सकता इसका कोई कारण होना चाहिए। कारण मैं बताता हूं तभी नारद जी ने हमेशा की तरह हाजिर होकर राजा रामचंद्र बताया ।
महाराजाधिराज राम धर्म शास्त्रों धर्म शास्त्रों के अध्ययन तब और साधना से मोक्ष को प्राप्त करने का अधिकार केवल ब्राह्मण क्षत्रिय और वैस्य को है। लेकिन भगवान आपके राम राज्य में एक महाभारत की घटना घटी उसका कारण है। शूद्र शंभू जो अपने धर्म को त्याग कर मोक्ष के लिए साधना कर रहा है इस महा पाप के कारण ही ब्राह्मण पुत्र की मृत्यु हुई है। महाराज नारद जी ने सूचना दिए बस फिर क्या था अलीबे आलिया राजा रामचंद्र जी ने क्षत्रिय धर्म धर्म का पालन किया और ब्राह्मण धर्म की रक्षा के ब्राह्मण धर्म की रक्षा के लिए शूद्र संभोग जैसे ऋषि और तपस्वी की गर्दन काटकर धड़ से अलग कर दी यह झंझावात और काली आंधी या रामराज के इसी जघन्य अपराध के पाप के कारण चल रही हैं।
हुजूर यह सतयुग की बात है मैं उसी दौर के बीच से अभी लौटा हूं। लौटते वक्त वैदिक युग भी रास्ते में मिल गया वह अपना माथा पीट रहा था। क्यों ऐसी क्या बात थी हुजूर हरदौर अपने को कर्मों पर पछताता है यही कुछ वहां हो रहा था । ताकि अगली सदियां खुद को पाप से बचा सके । हां महमूद शायद पछताने की ताकत रखने वाली शक्तियां भी जीवित रहती हैं ।
और वे जीवित व्यक्तियों की सभ्यताओं के रूप में स्थापित हो जाता कि हम कर्म और कुकर्म के मापदंड स्थापित कर लेना मामूली बात नहीं है संदीप ने दार्शनिक अंदाज में कहा फिर पूछा तो तू लौट रहे थे तब वैदिक की ओर अपना माथा क्यों पूछ रहा था हुजूर हुआ आ सकती और व्यभिचार बलात्कार की दास्तान है ऋषि गौतम की पत्नी अहिल्या अपूर्व सुंदरी है अक्षरा अप्सराएं भी उसके सामने कुछ नहीं है वैदिक देवता इंद्र उस पर आसक्त हो गया उसने ऋषि गौतम का वेश धारण किया चौकसी के लिए उसने चंद्रमा उस आदमी या उसे आश्रम के द्वार पर नियुक्त किया और और ऋषि पत्नी अहिल्या के साथ तब इंद्र ने संभोग किया।
अजीम ने कुछ पल कुछ सोचा फिर वह आक्रोश से भर गया कहा है वह बलात्कारी इंद्र उसे मेरे सामने हाजिर करो अजीब सीखा हुजूर आप कोई अदालत तो नहीं कि आप इंद्र पर बलात्कार का मुकदमा चला सके मत भूलो महमूद किसी भी दौर के अत्याचारों हजारों खिलाफ खड़ा होने वाला कोई ना कोई अदीम हमेशा एक नैतिक अदालत बनकर मौजूद रहता है । लेकिन हुजूर ऋषि गौतम तीनों को सजाएं सुना चुके हैं इंद्र को उन्होंने साहब दिया है कि दुराचारी इंद्र तेरा प्रभाव होगा जैसा शक्ति के कारण तूने मेरी पत्नी अहिल्या के साथ दुराचार किया ऐसे शत्रु पाप तेरे शरीर में प्रकट होकर तुझे जिंदगी भर लज्जित करते रहेंगे और चंद्रमा को क्या सजा मिली ऋषि गौतम ने उसे शाप दिया कि तेरे शरीर पर छह रोग के दाग हमेशा बने रहेंगे तुझे छह रोग लगेगा महीने में केवल एक दिन तुझे पूर्णता मिलेगी रूप में घटता बढ़ता रहेगा इसी गौतम ने अपनी पत्नी को देख दिया लेकिन को क्यों अजीब टोका इसलिए हुजूर की राशि औरतों को हमेशा पुरुष की संपत्ति माना है अपनी पत्नी को देखते हुए ऐसी पतिव्रता पत्नी है तुझे किसी का पता नहीं चला सुपर डुपर पुरुष और अपने पति का भेद नहीं जान पाई ।
रूप वाटिका हृदय हिना जा पत्थर की शिला बन जा अहिल्या ने निर्दोष होने की बात कहकर कई बार क्षमा मांगी तब ऋषि गौतम ने कृपा कर इतना ही कहा कि ठीक है। एक कल्प के बाद त्रेता युग में जब विष्णु श्री राम का अवतार होगा और उनके चरण तेरी शीला शरीर पर पड़ेगी, तभी तेरा उद्धार होगा!
- या तो न्याय नहीं है....... इन ब्राह्मणों ने अपने श्रमजीवियो को शूद्र तो बनाया ही इन्होने स्त्री को भी दंड देकर शूद्र की श्रेणी में डाल दिया। इसीलिए तो मैं कहता हूं हुजूर की जब-जब अन्याय अत्याचार अनाचार होता है। तब तब मनुष्य की चेतना और आत्मा को या जानकारी झंझावात झगझोरती हैं और काली आंधियां चलती है। लेकिन आज तो वह दौर नहीं है फिर भी आप अलंकारी झंझावात यह काली आंधियां अरण्य में विक्षिप्त से भागते वन्य जीव या कोहराम चोर हुजूर यह महाविनाशनी महाभारत के संग्राम का शोर है हस्तिनापुर से कौरव सेना कुरुक्षेत्र के युद्ध भूमि के लिए प्रस्थान कर चुकी हैं यमुना को पार कर के उत्तर-पश्चिम में कौरवों की ग्यारह अक्षौणी सेना अपनी रचना कर रही है और उधर दक्षिणी पूर्व से मध्य प्रदेश अलवर विराट और जीत के क्षेत्रों से आगे बढ़कर पांडवों के साथ अपनी सेना शिविर में हो चुकी है । मधुसूदन मुझे इस विनाशकारी महासंग्राम का पूरा विवरण चाहिए।
ठीक 18 दिन बाद महमूद लौटा उसने रपट पेश की हुजूर कौरव हार गए हैं उनमें से कोई जीवित नहीं बचा है कौरवों के प्रथम सेनापति भीष्म पितामह के पहले दिन कौरवों की विजय हुई पांडवों का शिक्षा ली योद्धा विराट पुत्र उत्तम कुमार मारा गया तीसरे दिन अर्जुन ने कौरवों के महारथियों भीष्म द्रोण अंबा स्थिति चित्रसेन जयद्रथ और शल्य पर सफलता प्राप्त की कौरव हताश हो गए तीसरे दिन अजीब ने टोका मुझे हर दिन की तक तफ्तीश नहीं चाहिए सिर्फ यह बताओ कि कुल कितने योद्धा और सैनिक मारे गए हैं। इसका हिसाब तो मैंने नहीं रखा हुजूर लेकिन शायद यमराज बता सके या महाराज चित्रगुप्त जो हर पल मरने वालों का हिसाब रखते हैं। यमराज से तो मैं नहीं मिलना चाहूंगा पर महाराज चित्रगुप्त से कहो अपना रजिस्टर लेकर फौरन हाजिर हो चित्रगुप्त जी को आने में देर नहीं लगी बेहद बजनी होने के कारण रजिस्टर और फाइलें तो नहीं ला सके पर उनके पास एक विलक्षण लघु यंत्र था उसमें सब कुछ दर्ज था और वह पलक झपकते ही बड़े ही बड़े संख्या बड़ी से बड़ी संख्या का योग या योग बता सकते ।
महाभारत युद्ध में मरने वालों की संख्या कितनी थी अदीब ने पूछा असंख्य और उनमें से पांच पांडव और श्री कृष्ण के अलावा कोई जीवित नहीं बचा है चित्रगुप्त बोले इन मृतकों की संख्या इतनी अधिक है कि उसे उच्चारित करने में बहुत समय नष्ट होगा बस इतना जान लीजिए कि दोनों ओर से कुल 18 अक्षौणी सेना युद्ध में उतरी थी और एक अच्छी सेना में 109050 पैदल सैनिक 31000 हाथी और 65610 घोड़े होते हैं यानी इतनी ही योद्धा और इनका 18 से गुणा कर दीजिए तो चित्रगुप्त ने अपने यंत्र की ओर देखा रहने दीजिए रहने दीजिए अजीम बोला है। इतने अधिक मृतकों की संख्या की बात सोच कर ही मेरे होश उड़ जा रहे हैं मुझे चक्कर आ रहे हैं । कहते हुए अजीम माथा पकड़ कर बैठ गया।आंखें हथेलियों से ढक ली दोनों हथेलियां गीली हो गई महाराज चित्रगुप्त के पास समय नहीं था वह अंतर्ध्यान हो गए।
कहाँ ?
–अश्रु सागर में ...
अदीब कुछ चौका।
सदियों से मैं यही कह रहा हूं! सदियों मनुष्य प्रकृति का शोषण करता रहा प्रकृति भांज हो गई तो मनुष्य मनुष्य का शोषण करने लगा इसलिए अब आंसुओं की बाढ़ आ गई है । क्योंकि मनुष्य ने मनुष्य के खिलाफ अब यंत्र का आविष्कार कर लिया है । अदीब ने उसे आश्चर्य से देखा देखो अदीब ब्रह्मांड की अमूर्त पर आसक्त ने अशक्त हो गए शरीर से आत्मा की स्वाभाविक मुक्ति के लिए मृत्यु का एक सामान्य विधान बनाया था । लेकिन जब मनुष्य से मनुष्य ने मृत्यु का आविष्कार किया है। तब से युद्धों में अप्राकृतिक मृत्यु होने लगी हैं नरसंहार होने लगे हैं मैं कुछ नहीं कर पाता विवश हूं। इसीलिए अदीब हर अप्राकार्तिक मृत्यु के साथ मैं मरता हूं । मैं एक ही समय में शास्त्रों में तुम्हें स्वीकार करता हूं । मैं कुरुक्षेत्र की एक युद्ध भूमि में लाखों करोड़ों बार मरा हूं। मैं मैराथन के संग्राम में भी बार-बार मरा हूं, और अबेला के युद्ध में भी उसके बाद झेलम , सोमनाथ , तराइन, क्रेज़ी, पानीपत जैसे सैकड़ों संग्राम में भी मरता रहा हूं। हमेशा करोड़ों बार बार-बार और हर बार मरता रहा हूं। क्योंकि मनुष्यता मनुष्य ने एक आप्राकृतिक मौत का अन्वेषण कर लिया है।
तो इस गैर जरूरी मौत का प्रतिकार कैसे होगा बाबा हमें मृत्यु के बदले जीवन की तलाशना होगा अधीन और इसी तलाश के लिए मुझे तुम्हारे आंसुओं की जरूरत है। आंसू ही जीवन को जीवित रख सकते हैं। कहते हुए उस वृद्ध ने अदीब की आंखों में आंसू निचोड़ लिए और बोला इन आंसुओं का मैं अध्ययन करूंगा । निष्कर्ष निकाल लूंगा और इन्हें अपने पास रख लूंगा जानता हूं मेरी बात कोई सुनेगा नहीं बस कोई रोयेगा तो उसके आंसू लेने चला जाऊंगा नहीं तो मैं आंसुओं के उसी समुद्र के किनारे बैठा रहूंगा और सुनता रहूंगा कि कौन रोया है उसी से मुझे पता चले चलता रहेगा कि कौन आप प्राकृतिक मौत से मरा है तब तो इस बेशुद्ध और गैरजरूरी मौत से निजात पाने के लिए जिंदगी की एक सार्थक तलाश में किसी को निकलना ही पड़ेगा उसने घोषणा की है मैं पीड़ा से लड़ लूंगा यातना को सहन करुगा कुछ भी हो मैं मृत्यु को पराजित कर लूंगा ।