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भाग 3

21 जुलाई 2022

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खत भेजने के बाद अभी बहुत परेशान था ।

वह सोच रहा था कि उसके उद्गार और विचार कहीं देश की रक्षा सुरक्षा के नाम पर दूसरों के लिए मौत तो पैदा नहीं करते क्या एक के जीवित रहने के लिए दूसरे की मौत जरूरी है?

मौत !

सारे युद्ध महायुद्ध यही तो बताते हैं कि मौत को योगफल के आधार पर ही हार जीत रहे हो सकती है। तुम कितनी मौत दे सकते हो !

वह कितनी मौत उठा सकता है।  जब तक दूसरा जीवित रहता है पहला नहीं जीत का मौत विजय पराजय की को तय करती है! सभी युद्ध महायुद्ध हो कि या तो हार जीत है फिर चाहे वह कुरुक्षेत्र में आर्यों का महाभारत संग्राम रहा हो या हरियाणा के देवी जस और यूनानी मीडिया देश का मैराथन के मैदान में हुआ युद्ध !

अभी अदीब  यह सब सोच ही रहा था। कि धरती से जानकारी धन्यवाद उड़ने लगी काली आंधियां चलने लगी और सारा आकाश अंधेरे में डूबने लगा ना मालूम ऐसे में रोज जैसे जैसा शासक प्रकाश जी क्यों मलिन पड़ जाता है। झंझावात काली आंधियां 1 प्रांतों में मचा कोहराम इधर-उधर विक्षिप्त से भागते वन्यजीव इतना अधिक धन और चीख पुकार अदीब ने दोनों कानों पर हथियार रख के अपने श्रवण स्रोत बंद कर लिए और चीका महमूद कोई उत्तर नहीं आया फिर ठीक है फिर भी उसे कोई जवाब तो नहीं मिला और देखा सामने से गिरता पड़ता था मैंने चला आ रहा है कहां थे तुम?

- हुजूर मैं पिछली सर्दियों में चला गया था।

- पिछली सर्दियों में क्यों ?

-  मैं अपने पूर्वजों से मिलने गया था !

पूर्वजों से अधिक ने आश्चर्य से पूछा हुजूर आलिया आपको इतना दर्द क्यों हो रहा है ....ताज्जुब क्यों हो रहा है, कि हमारा मजाक सबसे दया है हमने इसे सबसे बेहतर पाया तभी तो हम पुराने धर्मों को छोड़कर इस्लाम में आए हैं । इसका यह मतलब तो नहीं है कि हमारे कोई पूर्वज नहीं है वह चाहे जैसे भी रहे हो पति या पवित्र पर है तो हमारे पूर्वज जी या भैंस का समय छोड़ो सबसे पहले यह मालूम करो कि काली आलिया क्यों चल रही है यह वन्य पशु व्याकुल होकर क्यों भाग रहे हैं।  या हाहाकार क्यों हो रहा है शायद इसकी वजह शंभू की हत्या होगी शंबूक हुजूर हा हुजूर मैं खुद अपने पूर्वज राजा रामचंद्र को देख कर आया हूं ।

जब जब इस धरती पर धर्म की हानि होती है तब तब यह काली आंधियां चलती है मैंने अपनी आंखों से देखा है सुबह का समय होता है जो अयोध्या का राज प्रसाद वेद मंत्रों की पवित्र धर्म से गूंज रहा था और दया के राजा रामचंद्र अश्वमेघ यज्ञ की घोषणा करने रामप्रसाद से अभी बाहर आएगी थे ।  कि यदि की घोषणा से पहले ब्राह्मण का करुण रोदन किसलिए

एक अमात्य ने आगे बढ़कर  कुंदन करते ब्राह्मण को उनके सामने कर या महाराजाधिराज या ब्राह्मण ही ब्लॉक कर का गाना बजा सकता है।

वह ब्राह्मण अपने पुत्र के मृत शरीर को छाती से लगाए राज राजा रामचंद्र को निखारने लगा आजा पति राम पिता के सामने पुत्र की मृत्यु या कैसा रामराज्य है तुम्हारा तुम हमारे ओ मेरे पुत्र के तुम तभी हुजूरी आलिया लोगों में कानाफूसी होने लगी या तो घोर पाप है ब्राह्मण का बेटा मर जाए और छतरी राजा कुछ ना कर सके या तो अनिष्ट लक्षण।

एक आम आदमी आगे बढ़ बढ़ कर कुंदन करते ब्राह्मण को उनके सामने कर दिया महाराजाधिराज या ब्राह्मण ही  शोक  का कारण बता सकता है वह ब्राह्मण अपने पुत्र के मृत शरीर को छाती से लगाए राजा रामचंद्र जी को एकसे पूछा यह कैसा रामराज्य राम पिता के सामने हमारे पुत्र की मृत्यु हुई है तभी हुजूरे  लोगों में कानाफूसी होने लगी या तो घोर पाप है।  ब्राह्मण का बेटा मर जाए और क्षत्री राजा कुछ ना कर सके या तो अनिष्ट का लक्षण है सतयुग में ऐसा नहीं हो सकता इसका कोई कारण होना चाहिए।  कारण मैं बताता हूं तभी नारद जी ने हमेशा की तरह हाजिर होकर राजा रामचंद्र बताया ।

महाराजाधिराज राम धर्म शास्त्रों धर्म शास्त्रों के अध्ययन तब और साधना से मोक्ष  को प्राप्त करने का अधिकार केवल ब्राह्मण क्षत्रिय और वैस्य को है। लेकिन भगवान आपके राम राज्य में एक महाभारत की घटना घटी उसका कारण है।  शूद्र शंभू जो अपने धर्म को त्याग कर मोक्ष  के लिए साधना कर रहा है इस महा पाप के कारण ही ब्राह्मण पुत्र की मृत्यु हुई है। महाराज नारद जी ने सूचना दिए बस फिर क्या था अलीबे आलिया राजा रामचंद्र जी ने क्षत्रिय धर्म धर्म का पालन किया और ब्राह्मण धर्म की रक्षा के ब्राह्मण धर्म की रक्षा के लिए शूद्र संभोग जैसे ऋषि और तपस्वी की गर्दन काटकर धड़ से अलग कर दी यह झंझावात और काली आंधी या रामराज के इसी जघन्य अपराध के पाप के कारण चल रही हैं।

हुजूर यह  सतयुग की बात है मैं उसी दौर के बीच से अभी लौटा हूं। लौटते वक्त वैदिक युग भी रास्ते में मिल गया वह अपना माथा पीट रहा था।  क्यों ऐसी क्या बात थी हुजूर हरदौर अपने को कर्मों पर पछताता है यही कुछ वहां हो रहा था । ताकि अगली सदियां खुद को पाप से बचा सके । हां महमूद शायद पछताने की ताकत रखने वाली शक्तियां भी जीवित रहती हैं ।

और वे जीवित व्यक्तियों की सभ्यताओं के रूप में स्थापित हो जाता कि हम कर्म और कुकर्म के मापदंड स्थापित कर लेना मामूली बात नहीं है संदीप ने दार्शनिक अंदाज में कहा फिर पूछा तो तू लौट रहे थे तब वैदिक की ओर अपना माथा क्यों पूछ रहा था हुजूर हुआ आ सकती और व्यभिचार बलात्कार की दास्तान है ऋषि गौतम की पत्नी अहिल्या अपूर्व सुंदरी है अक्षरा अप्सराएं भी उसके सामने कुछ नहीं है वैदिक देवता इंद्र उस पर आसक्त हो गया उसने ऋषि गौतम का वेश धारण किया चौकसी के लिए उसने चंद्रमा उस आदमी या उसे आश्रम के द्वार पर नियुक्त किया और और ऋषि पत्नी अहिल्या के साथ तब इंद्र ने संभोग किया।

अजीम ने कुछ पल कुछ सोचा फिर वह आक्रोश से भर गया कहा है वह बलात्कारी इंद्र उसे मेरे सामने हाजिर करो अजीब सीखा हुजूर आप कोई अदालत तो नहीं कि आप इंद्र पर बलात्कार का मुकदमा चला सके मत भूलो महमूद किसी भी दौर के अत्याचारों हजारों खिलाफ खड़ा होने वाला कोई ना कोई अदीम हमेशा एक नैतिक अदालत बनकर मौजूद रहता है । लेकिन हुजूर ऋषि गौतम तीनों को सजाएं सुना चुके हैं इंद्र को उन्होंने साहब दिया है कि दुराचारी इंद्र तेरा प्रभाव होगा जैसा शक्ति के कारण तूने मेरी पत्नी अहिल्या के साथ दुराचार किया ऐसे शत्रु पाप तेरे शरीर में प्रकट होकर तुझे जिंदगी भर लज्जित करते रहेंगे और चंद्रमा को क्या सजा मिली ऋषि गौतम ने उसे शाप दिया कि तेरे शरीर पर छह रोग के दाग हमेशा बने रहेंगे तुझे छह रोग लगेगा महीने में केवल एक दिन तुझे पूर्णता मिलेगी रूप में घटता बढ़ता रहेगा इसी गौतम ने अपनी पत्नी को देख दिया लेकिन को क्यों अजीब टोका इसलिए हुजूर की राशि औरतों को हमेशा पुरुष की संपत्ति माना है अपनी पत्नी को देखते हुए ऐसी पतिव्रता पत्नी है तुझे किसी का पता नहीं चला सुपर डुपर पुरुष और अपने पति का भेद नहीं जान पाई । 

रूप वाटिका हृदय हिना जा पत्थर की शिला बन जा अहिल्या ने निर्दोष होने की बात कहकर कई बार क्षमा मांगी तब ऋषि गौतम ने कृपा कर इतना ही कहा कि ठीक है। एक कल्प के बाद त्रेता युग में जब विष्णु श्री राम का अवतार होगा और उनके चरण तेरी  शीला शरीर पर पड़ेगी, तभी तेरा उद्धार होगा! 

- या तो न्याय नहीं है....... इन ब्राह्मणों ने अपने श्रमजीवियो को शूद्र तो बनाया ही इन्होने  स्त्री को भी दंड देकर  शूद्र  की श्रेणी में डाल दिया। इसीलिए तो मैं कहता हूं हुजूर की जब-जब अन्याय अत्याचार अनाचार होता है। तब तब मनुष्य की चेतना और आत्मा को या जानकारी झंझावात झगझोरती  हैं और काली आंधियां चलती है। लेकिन आज तो वह दौर नहीं है फिर भी आप अलंकारी झंझावात यह काली आंधियां अरण्य में विक्षिप्त से भागते वन्य जीव या कोहराम चोर हुजूर यह महाविनाशनी महाभारत के संग्राम का शोर है हस्तिनापुर से कौरव सेना कुरुक्षेत्र के युद्ध भूमि के लिए प्रस्थान कर चुकी हैं यमुना को पार कर के उत्तर-पश्चिम में कौरवों की ग्यारह अक्षौणी सेना अपनी रचना कर रही है और उधर दक्षिणी पूर्व से मध्य प्रदेश अलवर विराट और जीत के क्षेत्रों से आगे बढ़कर पांडवों के साथ अपनी सेना शिविर में हो चुकी है । मधुसूदन मुझे इस विनाशकारी महासंग्राम का पूरा विवरण चाहिए।    

ठीक 18 दिन बाद महमूद लौटा उसने रपट पेश की हुजूर कौरव  हार गए हैं उनमें से कोई जीवित नहीं बचा है कौरवों के प्रथम सेनापति भीष्म पितामह के पहले दिन कौरवों की विजय हुई पांडवों का शिक्षा ली योद्धा विराट पुत्र उत्तम कुमार मारा गया तीसरे दिन अर्जुन ने कौरवों के महारथियों भीष्म द्रोण अंबा स्थिति चित्रसेन जयद्रथ और शल्य पर सफलता प्राप्त की कौरव हताश हो गए तीसरे दिन अजीब ने टोका मुझे हर दिन की तक तफ्तीश  नहीं चाहिए सिर्फ यह बताओ कि कुल कितने योद्धा और सैनिक मारे गए हैं। इसका हिसाब तो मैंने नहीं रखा हुजूर लेकिन शायद यमराज बता सके या महाराज चित्रगुप्त जो हर पल मरने वालों का हिसाब रखते हैं।  यमराज से तो मैं नहीं मिलना चाहूंगा पर महाराज चित्रगुप्त  से कहो अपना रजिस्टर लेकर फौरन हाजिर हो चित्रगुप्त जी को आने में देर नहीं लगी बेहद बजनी होने के कारण रजिस्टर और फाइलें तो नहीं ला सके पर उनके पास एक विलक्षण लघु यंत्र था उसमें सब कुछ दर्ज था और वह पलक झपकते ही बड़े ही बड़े संख्या बड़ी से बड़ी संख्या का योग या  योग बता सकते । 

महाभारत युद्ध में मरने वालों की संख्या कितनी थी अदीब ने पूछा असंख्य और उनमें से पांच पांडव और श्री कृष्ण के अलावा कोई जीवित नहीं बचा है चित्रगुप्त बोले  इन मृतकों की संख्या इतनी अधिक है कि उसे उच्चारित करने में बहुत समय नष्ट होगा बस इतना जान लीजिए कि दोनों ओर से कुल 18 अक्षौणी  सेना युद्ध में उतरी थी और एक अच्छी सेना में 109050 पैदल सैनिक 31000 हाथी और 65610 घोड़े होते हैं यानी इतनी ही योद्धा और इनका 18 से गुणा कर दीजिए तो चित्रगुप्त  ने अपने यंत्र की ओर देखा रहने दीजिए रहने दीजिए अजीम बोला है। इतने अधिक मृतकों की संख्या की बात सोच कर ही मेरे होश उड़ जा रहे हैं मुझे चक्कर आ रहे हैं । कहते हुए अजीम माथा पकड़ कर बैठ गया।आंखें हथेलियों से ढक ली दोनों हथेलियां गीली हो गई महाराज चित्रगुप्त के पास समय नहीं था वह अंतर्ध्यान हो गए।  

  कहाँ ?

–अश्रु सागर में ...

अदीब कुछ चौका।

सदियों से मैं यही कह रहा हूं!   सदियों मनुष्य प्रकृति का शोषण करता रहा प्रकृति भांज हो गई तो मनुष्य मनुष्य का शोषण करने लगा इसलिए अब आंसुओं की बाढ़ आ गई है । क्योंकि मनुष्य ने मनुष्य के खिलाफ अब यंत्र का आविष्कार कर लिया है । अदीब ने उसे आश्चर्य से देखा देखो अदीब  ब्रह्मांड की अमूर्त पर आसक्त ने अशक्त हो गए शरीर से आत्मा की स्वाभाविक मुक्ति के लिए मृत्यु का एक सामान्य विधान बनाया था ।  लेकिन जब मनुष्य से मनुष्य ने मृत्यु का आविष्कार किया है। तब से युद्धों में  अप्राकृतिक मृत्यु होने लगी हैं नरसंहार होने लगे हैं मैं कुछ नहीं कर पाता विवश हूं।  इसीलिए अदीब  हर अप्राकार्तिक मृत्यु के साथ मैं मरता हूं । मैं एक ही समय में शास्त्रों में तुम्हें स्वीकार करता हूं । मैं कुरुक्षेत्र की एक युद्ध भूमि में लाखों करोड़ों बार मरा हूं।  मैं मैराथन के संग्राम में भी बार-बार मरा हूं, और अबेला के युद्ध में भी उसके बाद झेलम ,  सोमनाथ , तराइन, क्रेज़ी, पानीपत जैसे सैकड़ों संग्राम में भी मरता रहा हूं।  हमेशा  करोड़ों बार बार-बार और हर बार मरता रहा हूं।  क्योंकि मनुष्यता मनुष्य ने एक आप्राकृतिक मौत का अन्वेषण कर लिया है। 

तो इस गैर जरूरी मौत का प्रतिकार कैसे होगा बाबा हमें मृत्यु के बदले जीवन की तलाशना होगा अधीन और इसी तलाश के लिए मुझे तुम्हारे आंसुओं की जरूरत है।  आंसू ही जीवन को जीवित रख सकते हैं। कहते हुए उस  वृद्ध ने अदीब  की आंखों में आंसू निचोड़ लिए और बोला इन आंसुओं का मैं अध्ययन करूंगा ।  निष्कर्ष निकाल लूंगा और इन्हें अपने पास रख लूंगा जानता हूं मेरी बात कोई सुनेगा नहीं बस कोई रोयेगा तो उसके आंसू लेने चला जाऊंगा नहीं तो मैं आंसुओं के उसी समुद्र के किनारे बैठा रहूंगा और सुनता रहूंगा कि कौन रोया है उसी से मुझे पता चले चलता रहेगा कि कौन आप प्राकृतिक मौत से मरा है तब तो इस बेशुद्ध और गैरजरूरी मौत से निजात पाने के लिए जिंदगी की एक सार्थक तलाश में किसी को निकलना ही पड़ेगा उसने घोषणा की है मैं पीड़ा से लड़ लूंगा यातना को सहन करुगा कुछ भी हो मैं मृत्यु को पराजित कर लूंगा ।  

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रचनाएँ
कितने पाकिस्तान
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कितने पाकिस्तान हिन्दी के विख्यात साहित्यकार कमलेश्वर द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 2003 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। यह उपन्यास भारत-पाकिस्तान के बँटवारे और हिंदू-मुस्लिम संबंधों पर आधारित है। यह उनके मन के भीतर चलने वाले अंतर्द्वंद्व का परिणाम माना जाता है।'कितने पाकिस्तान' कमलेश्वर का लिखा हुआ एक प्रयोगवादी उपन्यास है। इस उपन्यास को 2003 के साहित्य अकादमी पुरस्कार से नवाज़ा गया था। यह उपन्यास बाकी उपन्यासों से कई मामलों में अलग है। पहला, इसमें सामान्य घटनायें, जैसे उपन्यासों में होती हैं, नहीं हैं, बल्कि ऐतिहासिक घटनाओं का लेखक के नज़रिये से वर्णन है। क्योंकि सारा कथानक उसी के इर्दगिर्द घूमता है। उपन्यास में सदियों से चले आ रही हिंसा और मारकाट के प्रति गहरा क्षोभ है। पात्रों की इस कमी को इतिहास के प्रसिद्ध व्यक्तियों को कटघरे में लाकर दूर किया गया है। अगर उपन्यास का सार निकालने की कोशिश की जाए तो यही आयेगा कि विभाजन अब बंद होने चाहिये।
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भाग 1

21 जुलाई 2022
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एक भूली हुई दास्तान उसे याद आती है  ।   वह तो एक बंजर जमीन से आया था ।  खामोश  आकर्षणों की दुनिया से जहां कहां कुछ भी नहीं जाता । मन ही मन में कुछ अरमान करवटें लेते हैं । अनबूझी इच्छाएं आती और चली जा

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भाग 2

21 जुलाई 2022
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- हुआ या था नहीं स !  पहले या सुनिए कि हुआ क्या है...... उसने चौक कर आवाज की तरफ देखा था उसका एक में 3 सहायक स्टोनो और अर्दली महमूद उसके सामने खड़ा था।  उसके हाथ में टेलीप्रिंटर से आई खबरों के कुछ कु

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भाग 3

21 जुलाई 2022
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खत भेजने के बाद अभी बहुत परेशान था । वह सोच रहा था कि उसके उद्गार और विचार कहीं देश की रक्षा सुरक्षा के नाम पर दूसरों के लिए मौत तो पैदा नहीं करते क्या एक के जीवित रहने के लिए दूसरे की मौत जरूरी है?

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भाग 4

21 जुलाई 2022
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और तभी यूरोप के सम्राट गिल गमेंश की गूंजती आवाज आई -  - मैं पीड़ा से लड़ लूंगा यातना सहूँगा  कुछ भी हो मैं मृत्यु को पराजित कर लूंगा मैं मृत्यु से मुक्त की औषधि खोज कर लाऊंगा !  सम्राट गिल गणेशा की

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भाग 5

21 जुलाई 2022
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वहां मौजूद तमाम देवताओं की चिंता का एक स्वर में अनुमोदन किया और देवी तान्या ने तब उन्हें आगाह करने वाला भाषण दिया दजला फरात और डेन्यूब की परा धरती के समस्त देवताओं तुम सब आज चिंतित हो क्योंकि मनुष्य म

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भाग 6

29 जुलाई 2022
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उसी कहानी में शामिल है बूटा सिंह और रेतपरी किया की  यह कहानी राजस्थान का तपता रेगिस्तान कोई चीखा बन गया साला पाकिस्तान आसमान की आंख सूखी हुई थी उनमें एक बूंद भी पानी नहीं था मौसम विभाग के वैज्ञानिक

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भाग 7

29 जुलाई 2022
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बूटा सिंह जब जीने के लिए कपड़े लेने निकला था पाकिस्तान नाम की लकीर तो फिर चुकी थी मौसम विशेषज्ञों की भविष्यवाणी सही साबित हुई रक्त की वर्षा हो रही थी रेत परिचय नहीं अभी भी गर्दन तक रेत में दबी हुई है

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भाग 8

29 जुलाई 2022
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आतंकी देवताओं ने धरती की ओर देखा वह सकते में आ गए जो लोग के समस्त सफेद पंखों वाले पंछी देवदासी रोना को लेकर मित्रों पर उतर रहे थे "के समय उसके साथ अभी सभी तरह के पंछी पखेरू शामिल होते गए थे उनमें अंजन

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भाग 9

29 जुलाई 2022
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बूटा सिंह ने कपड़ों की जोड़ी लाकर जीने के पास रख दिया और पूछा निकालूं तुम बाहर जाओ मैं निकाल आऊंगी धीरे-धीरे जैनेब रेट टिकट दे से निकल आई उसने तार-तार हुई कुर्ती को उतारा और वही संभाल कर रख दिया ना जा

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भाग 10

29 जुलाई 2022
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बूटा सिंह ने कपड़ों की जोड़ी लाकर जीने के पास रख दिया और पूछा निकालूं तुम बाहर जाओ मैं निकाल आऊंगी धीरे-धीरे जैनेब रेट टिकट दे से निकल आई उसने तार-तार हुई कुर्ती को उतारा और वही संभाल कर रख दिया ना जा

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भाग 11

6 अगस्त 2022
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उसके  अदालत के दरवाज़े पर रक्त  दस्तके  पड़ने लगी । वह दस्तक  से परेशान था। परेशान नही  पागल। और फिर दस्तक  पर दस्तक  ।पश्मी सीमांत से एके-47 चीनी राइफल ने दस्तक दी । हथियार बनेंगे तो चलेंगेभी ।  उत्तर

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भाग 12

6 अगस्त 2022
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वह कौन सी तारीख थी।  इब्राहिम लोदी से मैंने पार्क पानीपत की लड़ाई 20 अप्रैल 1526 को जीती थी और रजत 15 जुम्मे के दिन यानी 27 अप्रैल 1526 को मारे मेरे नाम का खुतबा पढ़ा गया था या खुद बा मौलाना महमूद और

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भाग 13

6 अगस्त 2022
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अजीम फैजाबाद स्टेशन पर उतरा ही था कि वह धमाकेदार झापड़ उसके पड उसके पड़ा स्टेशन की दीवार पर लिखा हुआ नारा सामने खड़ा था बोला फैजाबाद आए हो तो पहले इसे पढ़ पढ़ो इसमें लिखा था कि अपने धर्म स्थानों का अप

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भाग 14

6 अगस्त 2022
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बस आग लगाते घूम रहे हैं सब ही ना ही चाह सोजत की भारत का क्या होगा पहले ही या हिंदू मुसलमान को लगवाना चाह ना ही लड़ बाय पाए तो अब शिया सुन्नी को डलवाना चाहते हैं अब पानी शरबत बिस्कुट और मूंग के दाल मोड

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भाग 15

6 अगस्त 2022
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हुजूर इन कानूनी बारीकियों में मत जाइए अन्याय अन्याय है अन्याय ग्रस्त औरत की जिंदगी तो मौत से बदतर होती है तुम ठीक कह रहे हो महमूद अली अदालत सीखी तो पूरी श्रेष्ठ कांप उठी नहीं मैं मुद्दों के अलावा जिद्

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भाग 16

6 अगस्त 2022
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नक्सलवाद का समर्थन कर रहे थे एक के बाद एक ताने कसे तो इमाम नाजिश बौखला गए और और बोले तब तुम भी हमसे कहां लगते अधीन तुम अमृता प्रीतम करतार सिंह दुग्गल मोहन राकेश भीष्म साहनी देवेंद्र सत्यार्थी और यहां

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भाग 17

6 अगस्त 2022
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और मार दो अपने ही सब सृष्टि की रचना की थी उसने अपने दादा अनु को आकाश का सम्राट बनाया था अपने पिता ऐसा को धरती का और तब माधुरी ने एक महा मंदिर बनाया था कि आकाश के देवता और ईश्वर जो उसकी प्रजाति धरती पर

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भाग 18

6 अगस्त 2022
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जी शायद आप मुझे ठीक ही पहचान रहे हैं सलमा की जान में जान आई मैं सीएसपी के जनाब आफताब अहमद की हूं  और हिंदुस्तान में रहती हूं वह मेरे नाना है सलमान ने कहा तब पुलिसवाला कुछ नाराज सा होकर काउंटर वाले से

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भाग 19

6 अगस्त 2022
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अदालत में क्या कह रहे हो तुम मैं तो कराची के होलीडे इन होटल के रेस्टोरेंट में बैठा हुआ था और सलमा से बातें कर रहा था हुजूर आपकी यादों की परछाई का नाम क्या है या तो मुझे नहीं मालूम पर आपके होंठ मिलता ल

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भाग 20

6 अगस्त 2022
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तब अजीब चीन से लौट आया था सलमा भी अपने नाना से मिलकर कोटा से लौट आई थी उसे उम्मीद नहीं थी कि इतने महीनों बाद भी सलमा उस पेपर नैपकिन पर लिखे पते पर फोन का नंबर को संभाल कर रखे गी पर उसने रखा था ना रखा

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भाग 21

6 अगस्त 2022
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नहीं नहीं तो या नीम की पत्तियां झड़ रही है ना हां पतझड़ का मौसम है ना नहीं या अंधेरे का मौसम है लगता है मेरा पति पति झड़ रहा है तो एक बात क्यों ना करें क्या हम न कुछ पूछे न जाने अपने रवा अति जिंदगी के

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भाग 22

13 अगस्त 2022
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बिस्तर उनका इंतजार कर रहा था वह भी  वह भी त्रियोबिश की  रेती की तरह साफ़ था। मेरे संपर्क से छूने से कुछ ऐसा तो नहीं जो तुमने जीवित होता हो और मेरा प्रतिकार करता हूं नहीं ऐसा भी कुछ नहीं सलमा ने बहुत गह

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भाग 23

13 अगस्त 2022
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जब अजीब और शर्मा कॉटेज से निकले तब भी नीले फूल खिले हुए थे। सलमा ने साड़ी पहनी थी बदन में बाकी फूल तो साड़ी और ब्लाउज के अंदर उन देशों की तरह समा गए थे । प्रभावों पर उन नीले फूलों की जो लेटर उतर आई थी

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भाग 24

13 अगस्त 2022
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वह मेरा बेटा ही सही पर मर्द हो जीने के लिए कहीं मुश्किल नहीं होता मैं एक रिश्तेदार की तरह आपको राय देता हूं कि बेहतर होगा कि आप अपने बेटे के साथ अपने नाना के पास पाकिस्तान लौट आए नईम ने कहा आप तो बिल्

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भाग 25

13 अगस्त 2022
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कुछ नहीं ऐसे लोग आकर यहां क्यों नहीं समझते कि मुसलमानों के नाम पर पाकिस्तानियों को बोलने का कोई हक नहीं है आज है हिंदुस्तान में पाकिस्तान से ज्यादा मुसलमानों पाकिस्तान से ज्यादा इस्लाम की समझने वाले ल

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भाग 26

13 अगस्त 2022
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सलमा और अधीन ने मजहब तो नहीं बदले पर उन्हें इस बात में मजा जरूर आने लगा या उनके लिए जैसे खेल की बात बन गई सबसे पहले तो उन्होंने जगह बदली वह पूरब की ओर भागे भागते भागते ब्लैक रिवर के घने जंगलों को पार

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13 अगस्त 2022
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वह आवाज बिजली की तरह तड़प और कड़क रही थी और अब वह कौन सी भी कमरे में खड़ी हो गई थी अजीब या कौन है डर से असहमति सलमानी उसके कंधे के पीछे छुपे हुए पूछा मैं चला दो आलमगीर औरंगजेब का जल्लाद मैं कोतवाल भी

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भाग 28

13 अगस्त 2022
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इस्लाम में हर कुदरती जरूरत के लिए जगह है लेकिन जब मजहब और सियासी फायदे के लिए नफरत में बदला जाता है तो एक नहीं तमाम पाकिस्तान पैदा होते हैं मेरी बच्ची तुम्हारी जिंदगी को इस गलत विभाजन ने तोड़ दिया है

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भाग 29

13 अगस्त 2022
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गहरी नहीं जरूरी अंग्रेजों और जिन्ना साहब ने सोचा ही नहीं था कि जब हिंदुस्तान नाम का मूल नसीब होगा तब मेरी जैसी एक सलमा कैसे तक्सीम होगी और वह अपनी इज्जत कहां  कहां तलाशग अदीब ने उसे बहुत प्यार से पुका

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भाग 30

13 अगस्त 2022
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तभी नूरजहाँ  उसका ध्यान नीचे मौजूद रियाया की तरफ दिलाया उधर देखिए हुजूर इतने दिनों बाद आप बाहर निकले आपकी रे आया आपके दीदार के लिए उम्र पड़ी है तभी भीड़ ने पुरजोर आवाजें का आने लगी बादशाह सलामत जिंदाब

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भाग 31

13 अगस्त 2022
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मुझे जाना चाहिए वक्त आप को माफ नहीं करेगा और फिर आपको भी वक्त की बरात बर्बादी का मलाल कठोरता रहेगा सारा शगुफ्ता देखिए आपके अर्दली साहब बेसब्री से आपका इंतजार कर रहे हैं चलने से पहले एक यशपाल दरख्वास्त

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भाग 32

13 अगस्त 2022
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मैंने कोई निमंत्रण बाबर को नहीं भेजा था राणा सांगा नितेश में कहा तुम्हारा वह दावत नामा मेरी तिवारी बाबरनामा में दर्ज है और वह दस्तावेज आज का नहीं सोलवीं सदी का है अगर या गलत है तो तुमने तब क्यों नहीं

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भाग 33

15 अगस्त 2022
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 या गलत है हमारी गलती से विभाजन तो एक सच्ची घटना में तब्दील हो गया था पर विभाजन के भयानक दौर में भी सिंध में मारकाट नहीं हुई हमने मन ही मन अपनी ऐतिहासिक गलती मंजूर करते हुए बहुत भरे दिल से अपने हिंदू

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भाग 34

15 अगस्त 2022
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मुसलमान का था मीरा का था कबीर का था नाना कोटा कोलकाता सुब्रमण्यम भारती और नज़रुल इस्लाम कथा संत रैदास के और ज्ञानेश्वर का था किसका खुदा नहीं था लेकिन इंक इकबाल ने खुदा के मस्जिदों में कैद कर देने का प

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भाग 35

15 अगस्त 2022
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और आपकी सलमा जो खुदा हाफिज कह कर चली गई है इस अहम अदालत का कारोबार रोक कर आपको फिर अपने लिए हासिल करने की कोशिश में लगी है और उधर आपके दोस्त भवानी सिंह उप ईरान की राजधानी तेहरान से लौटकर कुछ जरूरी बात

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भाग 36

20 अगस्त 2022
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हुजूर हमसूफी है इस पागल शहंशाह ने हुजूर पैगंबर के जन्मदिन पर गाए जाने वाले हम हमारे भजनों पर भी पाबंदी लगा दी तब हम सूफी संतों को उसके गुर्गे और दरोगा मिल जावा वाकर के खिलाफ गोलबंद होकर निकलना पड़ा इस

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भाग 37

20 अगस्त 2022
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मौका पाते ही सल्तनत के वजीरे खारी खारी जा राजा रघुनाथ को हटाकर या वादा किसी से मुसलमान को दिया जाए किसी हिंदू अफसर के नीचे मुसलमान को तैनात किया जाए और अब खुलकर इन काफिरों हिंदुओं को बता दिया जाए कि व

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भाग 38

20 अगस्त 2022
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यही कि जो मैंने किया वह गलत भी था वह सही भी था सर जमीन ए हिंद की नजर में मैंने बहुत कुछ गलत किया जो मुझे शायद नहीं करना चाहिए था लेकिन इस्लामी मिल्लत की नजर में जो कुछ मैंने किया वह शायद सही था ऑरेंज

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भाग 39

20 अगस्त 2022
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तभी इतिहास के करोड़ों पन्नों से चीखती हुई आवाज आने लगी औरंगजेब तुम जालिम हो तुमने पोस्ते का पानी पिला पिला कर मुराद को मारना चाहा जब वह तंदुरुस्त शहजादा अफीम के पानी से नहीं मारा तो तुमने उसे चला दो उ

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भाग 40

20 अगस्त 2022
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शिब्ली नोमानी बड़े जोश खरोश से बता रहे थे मजहब की शक्ति का अगर किसी ने पहली बार इस्तेमाल किया तो बस सिर्फ यही दिलेर आलमगीर था कहीं ऐसा तो नहीं कि औरंगजेब ने इस्लाम का सहारा अपनी कमजोरियों और जातियों क

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भाग 41

20 अगस्त 2022
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तुम लोग कहर की बात करते हो हम कयामत बरपा करेंगे और मिस्र में बाप कुछ भी नहीं जिंदा छोड़ेंगे जो इस्लाम से पहले का है हम उसे बराबर करके रहेंगे दूरदराज अमेरिका से आई वहां मिस्र का मूल्य से कुमार अब्दुल र

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भाग 42

20 अगस्त 2022
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या तेज भाई जारी थी कि लश्कर मंदिर के उत्तर पूर्वी तरफ अबू हज आज मंदिर से इमाम वाहिद मोहम्मद अपनी ने भय ग्रस्त आंखों से जाकर देखा यहीं इसी मस्जिद में अपने समय के सबसे बड़े विद्वान अबू हज्जाज दफन हैं जि

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भाग 43

20 अगस्त 2022
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इसीलिए पश्चिम वाले ईरान की इस्लामी क्रांति की को आत्मसात नहीं कर पाए अयातुल्लाह खोमेनी और इस्लामी क्रांति में ईरान जैसे सभ्यता संपन्न देश को फिर एक बार उसकी दूरी दे दी आज अपनी धुरी पर लौटकर ईरान अपने

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