तभी नूरजहाँ उसका ध्यान नीचे मौजूद रियाया की तरफ दिलाया उधर देखिए हुजूर इतने दिनों बाद आप बाहर निकले आपकी रे आया आपके दीदार के लिए उम्र पड़ी है तभी भीड़ ने पुरजोर आवाजें का आने लगी बादशाह सलामत जिंदाबाद सहार शहजादी की सेहत या भी मुबारक हो मुबारक हो अगले हाल जहांगीर सलामत रहे सलामत रहे हमारे सर पर बादशाह का साया रहे तभी एक दरबारी ने आकर दशरथ दशरथ की झुरिया लिया पुरानी सनी खलीफा ने नुमाइंदे तेज आरती महाजनों का एक हाथ जल रेशम सड़क के दरोगा के अलावा जिगर हकीम खासतौर से इंग्लिश तान के दो व्यापारी थॉमस रो और विलियम फिंच आपके दीदार के लिए दरबार में तकरीर है ।
थामस रो की दवा हमारी बेटी ने सफा पाई है सजा दी मौत के मुंह से बच के निकल आई है हम उनको इनामो इकराम से मालामाल कर देंगे उन्हें हमारे हुजूर में यही पेश किया जाए शाहजहां जहांगीर ने हुक्म दिया और कुछ ही पलों मैं को नष्ट करते थामस रो और विलियम सिंह हाजिर हुए हम अवसरों ने आगे बढ़कर सलामत सलाम करते हुए कहा सर पे बाजिया भी की इजाजत के लिए या थॉमस रो आपका शुक्रगुजार है जहांपनाह शुक्रगुजार तो हम हैं हम शुरु आपने हमारी बेटी को मेरी जिंदगी जी यह जानकर हम और भी खुश हुए कि हमारे लिए अपने मुल्क से पढ़ने मुझ पर एक के नादिर नमूने दिलकश तस्वीरें भी लाए हैं शाहजहां हिंद की खुशी हमारे और लिए बेशकीमती है जहांपनाह लेकिन थॉमस रो हम या नहीं जान पाए कि हकीकत में थामस को कौन है वह एक हकीम है या 1 फनकार थामस रोने अजब से शाहजहांपुर देखा तो शाहजहां ने अगली बात पूछी और यह जानना जरूरी है कि थॉमस रो अपने मुल्क से इतनी दूर क्यों आया है समझ लो ने अर्ज किया नाचीज एक सौदागर है हुजूर तिजारत की गरज से आया हूं इंग्लैंड के वाशिंदे आपकी रियाया के साथ कारोबार करना चाहते हैं आलंपना जरूर करें हिंदुस्तान की ताजी और महाजन हर किस्म की तिजारत के काबिल हैं हुजूरे आलिया बंद इस मसले पर सख्ती से बातचीत करना चाहते हैं ।
जरूर जरूर उस पर हमारी मलिका गौर करें कि हमारे मसले कुछ और ही है कहते हुए शाहजहां दरबार की जानी बूढ़े और दरबारियों के साथ रुखसत हो गए तब मल्लिका नूरजहां ने उससे कहा शाहजहां हुजूर और हम आपके मशहूर हैं बताइए आप क्या चाहते हैं मल्लिका ए आलिया हम कुछ अंग्रेज व्यापारियों ने ईसवी सन 1600 में एक तेजारत कंपनी कायम किए उसी के लिए हम कहते कहते थाम असुरों को थोड़ा सा अटका रुको क्यों गए रुक क्यों गए ब्लॉक स्तर बयान करो मालिका हुजूर हम अपनी उसी ईस्ट इंडिया कंपनी के लिए सूरत से बंदरगाह पर एक फैक्ट्री काम करना चाहते हैं ।
फैक्ट्री हम समझे नहीं फैक्ट्री मतलब एक दुकान एक गोदाम जहां हम तिजारत का सामान रख सके सिर्फ इतनी सी सूरत हम आपकी सिफारिस बखूबी मंजूर करते हैं मल्लिका नूरजहां ने कहा तो वजीरे तिजारत ने मल्लिका को आगाह किया मल्लिका हुजूर दीजिए क्योंकि पुर्तगाल के गोरे तस्वीरों के बड़े भी हमारे इजाजत किस से सूरत के बंदरगाह पर लंगर डाले रहते हैं इस पर गौर फरमा लीजिए तो थामस रोने बीच में ही दखल दिया मलिका हुजूर हमें उन पुजारियों से कुछ लेना-देना नहीं हम तो आपकी कदम बोसी करते हुए सूरत और मछली हम जैसे बंदरगाहों के रास्ते विराजत करके कुछ खा कमा लेंगे असद चौक हम आपको तिजारत इजाजत देते हैं और उधर दो रानी खलीफा के सातों नुमाइंदे बादशाह सलामत जागीर से मिलने के बाद सलामत के सल्तनत के बड़े से बड़े उमरा और इमो से मिलकर गुप्त मंत्र आएं कर रहे थे उनमें से एक कह रहा था ।
कि इस्लाम परस्ती और हिंदुस्तान परिस्थिति में बदल दिया जाए या मुनासिब नहीं है इन हालात पर आप लोग नजर रखिए वतन परस्ती से ज्यादा जरूरी है मजहब परस्ती या जुल्मा सुनकर वक्त ने सदमे भरी गहरी सांस ली एकाएक पेड़ों के पत्ते झुलस गए आग तो रुक ही नहीं थी पर ताजा हरे पत्ते जुड़ते जा रहे थे परिंदे परेशान थे वह समझ नहीं पा रहे थे कुदरत ने ऐसी सांस क्यों ली इसमें इससे उनके हौसले भी झूलने लगे घोसले में बच्चे चीखने लगे जो परवाज कर सकते थे ।
उन बच्चों को लेकर उनकी मां और कर इधर-उधर भटकने लगी लेकिन जो नहीं उड़ सके जो अभी तक अंडों के अपने खोल में कैद थे वे वहीं घोषणाओं में झुलस कर रह गए मौत में शिव बसते पंछियों परिंदों का शोर पूरी कायनात में भर गया धरती उनके नीचे हुए लाखों रुपए गई फिर मौसम बदले सूरज निकला चांद चमका खेतों में धान लगा होगा तीज त्यौहार आए धरती ने गीत गाए परिंदों ने घोष ने बनाए आषाढ़ की बारिश में सब मिलकर लेकिन ना मालूम एक सदी बाद वक्त ने फिर सदमे से भरी गहरी सांस ली और फिर पेड़ों में पत्ते चूसने लगे तब पता नहीं कहां से इतिहास पुरुष की आवाजाही पर इंदौर धीरज रखो धीरज रखो हमें मालूम है कब कहां क्या हुआ है घबराओ मत कोई भी वह विचार जो इंसान परस नहीं है ।
मजहब परस्ती के नाम पर विचार को झुलसा कर अपनी चपेट में ला सकता है लेकिन उसे जलाकर राख नहीं कर सकता अगर ऐसा मुमकिन होता तो दुनिया में सिंदूर साधु सिद्ध साधु सूफी कबीर और न लगना पैदा होते परिंदों ने इतिहास पूर्व पुरुष को उम्मीद से देखा आवाज फिर आने लगी इस्लाम की रूहानी आत्मा से जो सूखी उदारवाद जन्मा था उसे इस्लाम के इन कट्टर ब्राह्मणों ने हिकारत से नामंजूर किया था खुद इन्होंने हिंदुस्तानी इस्लाम को हिंदू वर्णाश्रम धर्म वाले सांचे में ढाल लिया नहीं तो क्या वजह थी जो भी हिंदुस्तानी कलमा पढ़ कर मुसलमान बना मुगलिया सल्तनत में हुआ खादिम और चोबदार के उदय से ऊपर नहीं जा सका यही था मुगलों का जातिवाद इसी जातिवाद के चलते सदियों पहले हिंदू हारा था ।
इसी के चलते मुल्क की मुसलमान की मदद से मुगल महरूम रहे थे जैसे हिंदू छतरी का साथ हिंदू दलित नहीं दिया था वैसे ही मुग़ल शक्ति का साथ मुल्की मुस्लिम दलित ने नहीं दिया इसी इस्लामी स्नेहा अकबर की कोशिशों को नाकाम किया था इसी ने जहांगीर को अपने चपेट में ले लिया था जहां शाहजहांपुरी तरह इसका शिकार हुआ तब इस्लाम के नाम पर औरंगजेब मुसलमान ब्राह्मण बनकर इंसान परस्ती को छोड़कर मजहब परस्ती के रास्ते पर चल पड़ा था यह सरासर गलत है एक दूसरी आवाज ने इतिहास पुरुष के बातों को दखल दिया गलत और सही किया बहस अभी शुरू ही नहीं हुई एक नाव को शायद अपने बेड़े से बिछड़ गई अजीब और सलमान उस नाव के मल्लाह को देखा और कुछ-कुछ पहचाना शक्ल तो पहचानी जाती लेकिन वह नाविक जिस हाल में था उससे उसे पहचानना मुश्किल हो रहा था तभी सलमा ने धीरे से कहा मुझे लगता है या तो आपके अर्दली साहब हैं हां या यहां कैसे पहुंच गया मुझे पहचाना ही था हुजूर एक बार जब आपने तहजीब के जिस पर लगे जख्मों को जानने की जिम्मेवारी उठा ली तब आप अपनी जाति जिंदगी जीने के लिए आजाद नहीं है ।