shabd-logo

भाग 30

13 अगस्त 2022

15 बार देखा गया 15

तभी नूरजहाँ  उसका ध्यान नीचे मौजूद रियाया की तरफ दिलाया उधर देखिए हुजूर इतने दिनों बाद आप बाहर निकले आपकी रे आया आपके दीदार के लिए उम्र पड़ी है तभी भीड़ ने पुरजोर आवाजें का आने लगी बादशाह सलामत जिंदाबाद सहार शहजादी की सेहत या भी मुबारक हो मुबारक हो अगले हाल जहांगीर सलामत रहे सलामत रहे हमारे सर पर बादशाह का साया रहे तभी एक दरबारी ने आकर दशरथ दशरथ की झुरिया लिया पुरानी सनी खलीफा ने नुमाइंदे तेज आरती महाजनों का एक हाथ जल रेशम सड़क के दरोगा के अलावा जिगर हकीम खासतौर से इंग्लिश तान के दो व्यापारी थॉमस रो और विलियम फिंच आपके दीदार के लिए दरबार में तकरीर है ।   

थामस रो  की दवा हमारी बेटी ने सफा पाई है सजा दी मौत के मुंह से  बच के निकल आई है हम उनको इनामो इकराम से मालामाल कर देंगे उन्हें हमारे हुजूर में यही पेश किया जाए शाहजहां जहांगीर ने हुक्म दिया और कुछ ही पलों मैं को नष्ट करते थामस रो और विलियम सिंह हाजिर हुए हम अवसरों ने आगे बढ़कर सलामत सलाम करते हुए कहा सर पे बाजिया भी की इजाजत के लिए या थॉमस रो आपका शुक्रगुजार है जहांपनाह शुक्रगुजार तो हम हैं हम शुरु आपने हमारी बेटी को मेरी जिंदगी जी यह जानकर हम और भी खुश हुए कि हमारे लिए अपने मुल्क से पढ़ने मुझ पर एक के नादिर नमूने दिलकश तस्वीरें भी लाए हैं शाहजहां हिंद की खुशी हमारे और लिए बेशकीमती है जहांपनाह लेकिन थॉमस रो हम या नहीं जान पाए कि हकीकत में थामस को कौन है वह एक हकीम है या 1 फनकार थामस रोने अजब से शाहजहांपुर देखा तो शाहजहां ने अगली बात पूछी और यह जानना जरूरी है कि थॉमस रो अपने मुल्क से इतनी दूर क्यों आया है समझ लो ने अर्ज किया नाचीज एक सौदागर है हुजूर तिजारत की गरज से आया हूं इंग्लैंड के वाशिंदे आपकी रियाया के साथ कारोबार करना चाहते हैं आलंपना जरूर करें हिंदुस्तान की ताजी और महाजन हर किस्म की तिजारत के काबिल हैं हुजूरे आलिया बंद इस मसले पर सख्ती से बातचीत करना चाहते हैं । 

जरूर जरूर उस पर हमारी मलिका गौर करें कि हमारे मसले कुछ और ही है कहते हुए शाहजहां दरबार की जानी बूढ़े और दरबारियों के साथ रुखसत हो गए तब मल्लिका नूरजहां ने उससे कहा शाहजहां हुजूर और हम आपके मशहूर हैं बताइए आप क्या चाहते हैं मल्लिका ए आलिया हम कुछ अंग्रेज व्यापारियों ने ईसवी सन 1600  में एक तेजारत कंपनी कायम किए उसी के लिए हम कहते कहते थाम असुरों को थोड़ा सा अटका रुको क्यों गए रुक क्यों गए ब्लॉक स्तर बयान करो मालिका हुजूर हम अपनी उसी ईस्ट इंडिया कंपनी के लिए सूरत से बंदरगाह पर एक फैक्ट्री काम करना चाहते हैं । 

फैक्ट्री हम समझे नहीं फैक्ट्री मतलब एक दुकान एक गोदाम जहां हम तिजारत का सामान रख सके सिर्फ इतनी सी सूरत हम आपकी सिफारिस बखूबी मंजूर करते हैं मल्लिका नूरजहां ने कहा तो वजीरे तिजारत ने मल्लिका को आगाह किया मल्लिका हुजूर दीजिए क्योंकि पुर्तगाल के गोरे तस्वीरों के बड़े भी हमारे इजाजत किस से सूरत के बंदरगाह पर लंगर डाले रहते हैं इस पर गौर फरमा लीजिए तो थामस रोने बीच में ही दखल दिया मलिका हुजूर हमें उन पुजारियों से कुछ लेना-देना नहीं हम तो आपकी कदम बोसी करते हुए सूरत और मछली हम जैसे बंदरगाहों के रास्ते विराजत करके कुछ खा कमा लेंगे असद चौक हम आपको तिजारत इजाजत देते हैं और उधर दो रानी खलीफा के सातों नुमाइंदे बादशाह सलामत जागीर से मिलने के बाद सलामत के सल्तनत के बड़े से बड़े उमरा और इमो से मिलकर गुप्त मंत्र आएं कर रहे थे उनमें से एक कह रहा था । 

कि इस्लाम परस्ती और हिंदुस्तान परिस्थिति में बदल दिया जाए या मुनासिब नहीं है इन हालात पर आप लोग नजर रखिए वतन परस्ती से ज्यादा जरूरी है मजहब परस्ती या जुल्मा सुनकर वक्त ने सदमे भरी गहरी सांस ली एकाएक पेड़ों के पत्ते झुलस गए आग तो रुक ही नहीं थी पर ताजा हरे पत्ते जुड़ते जा रहे थे परिंदे परेशान थे वह समझ नहीं पा रहे थे कुदरत ने ऐसी सांस क्यों ली इसमें इससे उनके हौसले भी झूलने लगे घोसले में बच्चे चीखने लगे जो परवाज कर सकते थे । 

उन बच्चों को लेकर उनकी मां और कर इधर-उधर भटकने लगी लेकिन जो नहीं उड़ सके जो अभी तक अंडों के अपने खोल में कैद थे वे वहीं घोषणाओं में झुलस कर रह गए मौत में शिव बसते पंछियों परिंदों का शोर पूरी कायनात में भर गया धरती उनके नीचे हुए लाखों रुपए गई फिर मौसम बदले सूरज निकला चांद चमका खेतों में धान लगा होगा तीज त्यौहार आए धरती ने गीत गाए परिंदों ने घोष ने बनाए आषाढ़ की बारिश में सब मिलकर लेकिन ना मालूम एक सदी बाद वक्त ने फिर सदमे से भरी गहरी सांस ली और फिर पेड़ों में पत्ते चूसने लगे तब पता नहीं कहां से इतिहास पुरुष की आवाजाही पर इंदौर धीरज रखो धीरज रखो हमें मालूम है कब कहां क्या हुआ है घबराओ मत कोई भी वह विचार जो इंसान परस नहीं है । 

 मजहब परस्ती के नाम पर विचार को झुलसा कर अपनी चपेट में ला सकता है लेकिन उसे जलाकर राख नहीं कर सकता अगर ऐसा मुमकिन होता तो दुनिया में सिंदूर साधु सिद्ध साधु सूफी कबीर और न लगना पैदा होते परिंदों ने इतिहास पूर्व पुरुष को उम्मीद से देखा आवाज फिर आने लगी इस्लाम की रूहानी आत्मा से जो सूखी उदारवाद जन्मा था उसे इस्लाम के इन कट्टर ब्राह्मणों ने हिकारत से नामंजूर किया था खुद इन्होंने हिंदुस्तानी इस्लाम को हिंदू वर्णाश्रम धर्म वाले सांचे में ढाल लिया नहीं तो क्या वजह थी जो भी हिंदुस्तानी कलमा पढ़ कर मुसलमान बना मुगलिया सल्तनत में हुआ खादिम और चोबदार के उदय से ऊपर नहीं जा सका यही था मुगलों का जातिवाद इसी जातिवाद के चलते सदियों पहले हिंदू हारा था । 

इसी के चलते मुल्क की मुसलमान की मदद से मुगल महरूम रहे थे जैसे हिंदू छतरी का साथ हिंदू दलित नहीं दिया था वैसे ही मुग़ल शक्ति का साथ मुल्की मुस्लिम दलित ने नहीं दिया इसी इस्लामी स्नेहा अकबर की कोशिशों को नाकाम किया था इसी ने जहांगीर को अपने चपेट में ले लिया था जहां शाहजहांपुरी तरह इसका शिकार हुआ तब  इस्लाम के नाम पर औरंगजेब मुसलमान ब्राह्मण बनकर इंसान परस्ती को छोड़कर मजहब परस्ती के रास्ते पर चल पड़ा था यह सरासर गलत है एक दूसरी आवाज ने इतिहास पुरुष के बातों को दखल दिया गलत और सही किया बहस अभी शुरू ही नहीं हुई एक नाव को शायद अपने बेड़े से बिछड़ गई अजीब और सलमान उस नाव के मल्लाह को देखा और कुछ-कुछ पहचाना शक्ल तो पहचानी जाती लेकिन वह नाविक जिस हाल में था उससे उसे पहचानना मुश्किल हो रहा था तभी सलमा ने धीरे से कहा मुझे लगता है या तो आपके अर्दली साहब हैं हां या यहां कैसे पहुंच गया मुझे पहचाना ही था हुजूर एक बार जब आपने तहजीब के जिस पर लगे जख्मों को जानने की जिम्मेवारी उठा ली तब आप अपनी जाति जिंदगी जीने के लिए आजाद नहीं है । 

43
रचनाएँ
कितने पाकिस्तान
0.0
कितने पाकिस्तान हिन्दी के विख्यात साहित्यकार कमलेश्वर द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 2003 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। यह उपन्यास भारत-पाकिस्तान के बँटवारे और हिंदू-मुस्लिम संबंधों पर आधारित है। यह उनके मन के भीतर चलने वाले अंतर्द्वंद्व का परिणाम माना जाता है।'कितने पाकिस्तान' कमलेश्वर का लिखा हुआ एक प्रयोगवादी उपन्यास है। इस उपन्यास को 2003 के साहित्य अकादमी पुरस्कार से नवाज़ा गया था। यह उपन्यास बाकी उपन्यासों से कई मामलों में अलग है। पहला, इसमें सामान्य घटनायें, जैसे उपन्यासों में होती हैं, नहीं हैं, बल्कि ऐतिहासिक घटनाओं का लेखक के नज़रिये से वर्णन है। क्योंकि सारा कथानक उसी के इर्दगिर्द घूमता है। उपन्यास में सदियों से चले आ रही हिंसा और मारकाट के प्रति गहरा क्षोभ है। पात्रों की इस कमी को इतिहास के प्रसिद्ध व्यक्तियों को कटघरे में लाकर दूर किया गया है। अगर उपन्यास का सार निकालने की कोशिश की जाए तो यही आयेगा कि विभाजन अब बंद होने चाहिये।
1

भाग 1

21 जुलाई 2022
4
0
1

एक भूली हुई दास्तान उसे याद आती है  ।   वह तो एक बंजर जमीन से आया था ।  खामोश  आकर्षणों की दुनिया से जहां कहां कुछ भी नहीं जाता । मन ही मन में कुछ अरमान करवटें लेते हैं । अनबूझी इच्छाएं आती और चली जा

2

भाग 2

21 जुलाई 2022
2
0
0

- हुआ या था नहीं स !  पहले या सुनिए कि हुआ क्या है...... उसने चौक कर आवाज की तरफ देखा था उसका एक में 3 सहायक स्टोनो और अर्दली महमूद उसके सामने खड़ा था।  उसके हाथ में टेलीप्रिंटर से आई खबरों के कुछ कु

3

भाग 3

21 जुलाई 2022
1
0
0

खत भेजने के बाद अभी बहुत परेशान था । वह सोच रहा था कि उसके उद्गार और विचार कहीं देश की रक्षा सुरक्षा के नाम पर दूसरों के लिए मौत तो पैदा नहीं करते क्या एक के जीवित रहने के लिए दूसरे की मौत जरूरी है?

4

भाग 4

21 जुलाई 2022
0
0
0

और तभी यूरोप के सम्राट गिल गमेंश की गूंजती आवाज आई -  - मैं पीड़ा से लड़ लूंगा यातना सहूँगा  कुछ भी हो मैं मृत्यु को पराजित कर लूंगा मैं मृत्यु से मुक्त की औषधि खोज कर लाऊंगा !  सम्राट गिल गणेशा की

5

भाग 5

21 जुलाई 2022
0
0
0

वहां मौजूद तमाम देवताओं की चिंता का एक स्वर में अनुमोदन किया और देवी तान्या ने तब उन्हें आगाह करने वाला भाषण दिया दजला फरात और डेन्यूब की परा धरती के समस्त देवताओं तुम सब आज चिंतित हो क्योंकि मनुष्य म

6

भाग 6

29 जुलाई 2022
0
0
0

उसी कहानी में शामिल है बूटा सिंह और रेतपरी किया की  यह कहानी राजस्थान का तपता रेगिस्तान कोई चीखा बन गया साला पाकिस्तान आसमान की आंख सूखी हुई थी उनमें एक बूंद भी पानी नहीं था मौसम विभाग के वैज्ञानिक

7

भाग 7

29 जुलाई 2022
0
0
0

बूटा सिंह जब जीने के लिए कपड़े लेने निकला था पाकिस्तान नाम की लकीर तो फिर चुकी थी मौसम विशेषज्ञों की भविष्यवाणी सही साबित हुई रक्त की वर्षा हो रही थी रेत परिचय नहीं अभी भी गर्दन तक रेत में दबी हुई है

8

भाग 8

29 जुलाई 2022
0
0
0

आतंकी देवताओं ने धरती की ओर देखा वह सकते में आ गए जो लोग के समस्त सफेद पंखों वाले पंछी देवदासी रोना को लेकर मित्रों पर उतर रहे थे "के समय उसके साथ अभी सभी तरह के पंछी पखेरू शामिल होते गए थे उनमें अंजन

9

भाग 9

29 जुलाई 2022
0
0
0

बूटा सिंह ने कपड़ों की जोड़ी लाकर जीने के पास रख दिया और पूछा निकालूं तुम बाहर जाओ मैं निकाल आऊंगी धीरे-धीरे जैनेब रेट टिकट दे से निकल आई उसने तार-तार हुई कुर्ती को उतारा और वही संभाल कर रख दिया ना जा

10

भाग 10

29 जुलाई 2022
0
0
0

बूटा सिंह ने कपड़ों की जोड़ी लाकर जीने के पास रख दिया और पूछा निकालूं तुम बाहर जाओ मैं निकाल आऊंगी धीरे-धीरे जैनेब रेट टिकट दे से निकल आई उसने तार-तार हुई कुर्ती को उतारा और वही संभाल कर रख दिया ना जा

11

भाग 11

6 अगस्त 2022
0
0
0

उसके  अदालत के दरवाज़े पर रक्त  दस्तके  पड़ने लगी । वह दस्तक  से परेशान था। परेशान नही  पागल। और फिर दस्तक  पर दस्तक  ।पश्मी सीमांत से एके-47 चीनी राइफल ने दस्तक दी । हथियार बनेंगे तो चलेंगेभी ।  उत्तर

12

भाग 12

6 अगस्त 2022
0
0
0

वह कौन सी तारीख थी।  इब्राहिम लोदी से मैंने पार्क पानीपत की लड़ाई 20 अप्रैल 1526 को जीती थी और रजत 15 जुम्मे के दिन यानी 27 अप्रैल 1526 को मारे मेरे नाम का खुतबा पढ़ा गया था या खुद बा मौलाना महमूद और

13

भाग 13

6 अगस्त 2022
0
0
0

अजीम फैजाबाद स्टेशन पर उतरा ही था कि वह धमाकेदार झापड़ उसके पड उसके पड़ा स्टेशन की दीवार पर लिखा हुआ नारा सामने खड़ा था बोला फैजाबाद आए हो तो पहले इसे पढ़ पढ़ो इसमें लिखा था कि अपने धर्म स्थानों का अप

14

भाग 14

6 अगस्त 2022
0
0
0

बस आग लगाते घूम रहे हैं सब ही ना ही चाह सोजत की भारत का क्या होगा पहले ही या हिंदू मुसलमान को लगवाना चाह ना ही लड़ बाय पाए तो अब शिया सुन्नी को डलवाना चाहते हैं अब पानी शरबत बिस्कुट और मूंग के दाल मोड

15

भाग 15

6 अगस्त 2022
0
0
0

हुजूर इन कानूनी बारीकियों में मत जाइए अन्याय अन्याय है अन्याय ग्रस्त औरत की जिंदगी तो मौत से बदतर होती है तुम ठीक कह रहे हो महमूद अली अदालत सीखी तो पूरी श्रेष्ठ कांप उठी नहीं मैं मुद्दों के अलावा जिद्

16

भाग 16

6 अगस्त 2022
0
0
0

नक्सलवाद का समर्थन कर रहे थे एक के बाद एक ताने कसे तो इमाम नाजिश बौखला गए और और बोले तब तुम भी हमसे कहां लगते अधीन तुम अमृता प्रीतम करतार सिंह दुग्गल मोहन राकेश भीष्म साहनी देवेंद्र सत्यार्थी और यहां

17

भाग 17

6 अगस्त 2022
0
0
0

और मार दो अपने ही सब सृष्टि की रचना की थी उसने अपने दादा अनु को आकाश का सम्राट बनाया था अपने पिता ऐसा को धरती का और तब माधुरी ने एक महा मंदिर बनाया था कि आकाश के देवता और ईश्वर जो उसकी प्रजाति धरती पर

18

भाग 18

6 अगस्त 2022
0
0
0

जी शायद आप मुझे ठीक ही पहचान रहे हैं सलमा की जान में जान आई मैं सीएसपी के जनाब आफताब अहमद की हूं  और हिंदुस्तान में रहती हूं वह मेरे नाना है सलमान ने कहा तब पुलिसवाला कुछ नाराज सा होकर काउंटर वाले से

19

भाग 19

6 अगस्त 2022
0
0
0

अदालत में क्या कह रहे हो तुम मैं तो कराची के होलीडे इन होटल के रेस्टोरेंट में बैठा हुआ था और सलमा से बातें कर रहा था हुजूर आपकी यादों की परछाई का नाम क्या है या तो मुझे नहीं मालूम पर आपके होंठ मिलता ल

20

भाग 20

6 अगस्त 2022
0
0
0

तब अजीब चीन से लौट आया था सलमा भी अपने नाना से मिलकर कोटा से लौट आई थी उसे उम्मीद नहीं थी कि इतने महीनों बाद भी सलमा उस पेपर नैपकिन पर लिखे पते पर फोन का नंबर को संभाल कर रखे गी पर उसने रखा था ना रखा

21

भाग 21

6 अगस्त 2022
0
0
0

नहीं नहीं तो या नीम की पत्तियां झड़ रही है ना हां पतझड़ का मौसम है ना नहीं या अंधेरे का मौसम है लगता है मेरा पति पति झड़ रहा है तो एक बात क्यों ना करें क्या हम न कुछ पूछे न जाने अपने रवा अति जिंदगी के

22

भाग 22

13 अगस्त 2022
0
0
0

बिस्तर उनका इंतजार कर रहा था वह भी  वह भी त्रियोबिश की  रेती की तरह साफ़ था। मेरे संपर्क से छूने से कुछ ऐसा तो नहीं जो तुमने जीवित होता हो और मेरा प्रतिकार करता हूं नहीं ऐसा भी कुछ नहीं सलमा ने बहुत गह

23

भाग 23

13 अगस्त 2022
0
0
0

जब अजीब और शर्मा कॉटेज से निकले तब भी नीले फूल खिले हुए थे। सलमा ने साड़ी पहनी थी बदन में बाकी फूल तो साड़ी और ब्लाउज के अंदर उन देशों की तरह समा गए थे । प्रभावों पर उन नीले फूलों की जो लेटर उतर आई थी

24

भाग 24

13 अगस्त 2022
0
0
0

वह मेरा बेटा ही सही पर मर्द हो जीने के लिए कहीं मुश्किल नहीं होता मैं एक रिश्तेदार की तरह आपको राय देता हूं कि बेहतर होगा कि आप अपने बेटे के साथ अपने नाना के पास पाकिस्तान लौट आए नईम ने कहा आप तो बिल्

25

भाग 25

13 अगस्त 2022
0
0
0

कुछ नहीं ऐसे लोग आकर यहां क्यों नहीं समझते कि मुसलमानों के नाम पर पाकिस्तानियों को बोलने का कोई हक नहीं है आज है हिंदुस्तान में पाकिस्तान से ज्यादा मुसलमानों पाकिस्तान से ज्यादा इस्लाम की समझने वाले ल

26

भाग 26

13 अगस्त 2022
0
0
0

सलमा और अधीन ने मजहब तो नहीं बदले पर उन्हें इस बात में मजा जरूर आने लगा या उनके लिए जैसे खेल की बात बन गई सबसे पहले तो उन्होंने जगह बदली वह पूरब की ओर भागे भागते भागते ब्लैक रिवर के घने जंगलों को पार

27

भाग 27

13 अगस्त 2022
0
0
0

वह आवाज बिजली की तरह तड़प और कड़क रही थी और अब वह कौन सी भी कमरे में खड़ी हो गई थी अजीब या कौन है डर से असहमति सलमानी उसके कंधे के पीछे छुपे हुए पूछा मैं चला दो आलमगीर औरंगजेब का जल्लाद मैं कोतवाल भी

28

भाग 28

13 अगस्त 2022
0
0
0

इस्लाम में हर कुदरती जरूरत के लिए जगह है लेकिन जब मजहब और सियासी फायदे के लिए नफरत में बदला जाता है तो एक नहीं तमाम पाकिस्तान पैदा होते हैं मेरी बच्ची तुम्हारी जिंदगी को इस गलत विभाजन ने तोड़ दिया है

29

भाग 29

13 अगस्त 2022
0
0
0

गहरी नहीं जरूरी अंग्रेजों और जिन्ना साहब ने सोचा ही नहीं था कि जब हिंदुस्तान नाम का मूल नसीब होगा तब मेरी जैसी एक सलमा कैसे तक्सीम होगी और वह अपनी इज्जत कहां  कहां तलाशग अदीब ने उसे बहुत प्यार से पुका

30

भाग 30

13 अगस्त 2022
0
0
0

तभी नूरजहाँ  उसका ध्यान नीचे मौजूद रियाया की तरफ दिलाया उधर देखिए हुजूर इतने दिनों बाद आप बाहर निकले आपकी रे आया आपके दीदार के लिए उम्र पड़ी है तभी भीड़ ने पुरजोर आवाजें का आने लगी बादशाह सलामत जिंदाब

31

भाग 31

13 अगस्त 2022
0
0
0

मुझे जाना चाहिए वक्त आप को माफ नहीं करेगा और फिर आपको भी वक्त की बरात बर्बादी का मलाल कठोरता रहेगा सारा शगुफ्ता देखिए आपके अर्दली साहब बेसब्री से आपका इंतजार कर रहे हैं चलने से पहले एक यशपाल दरख्वास्त

32

भाग 32

13 अगस्त 2022
0
0
0

मैंने कोई निमंत्रण बाबर को नहीं भेजा था राणा सांगा नितेश में कहा तुम्हारा वह दावत नामा मेरी तिवारी बाबरनामा में दर्ज है और वह दस्तावेज आज का नहीं सोलवीं सदी का है अगर या गलत है तो तुमने तब क्यों नहीं

33

भाग 33

15 अगस्त 2022
0
0
0

 या गलत है हमारी गलती से विभाजन तो एक सच्ची घटना में तब्दील हो गया था पर विभाजन के भयानक दौर में भी सिंध में मारकाट नहीं हुई हमने मन ही मन अपनी ऐतिहासिक गलती मंजूर करते हुए बहुत भरे दिल से अपने हिंदू

34

भाग 34

15 अगस्त 2022
0
0
0

मुसलमान का था मीरा का था कबीर का था नाना कोटा कोलकाता सुब्रमण्यम भारती और नज़रुल इस्लाम कथा संत रैदास के और ज्ञानेश्वर का था किसका खुदा नहीं था लेकिन इंक इकबाल ने खुदा के मस्जिदों में कैद कर देने का प

35

भाग 35

15 अगस्त 2022
0
0
0

और आपकी सलमा जो खुदा हाफिज कह कर चली गई है इस अहम अदालत का कारोबार रोक कर आपको फिर अपने लिए हासिल करने की कोशिश में लगी है और उधर आपके दोस्त भवानी सिंह उप ईरान की राजधानी तेहरान से लौटकर कुछ जरूरी बात

36

भाग 36

20 अगस्त 2022
0
0
0

हुजूर हमसूफी है इस पागल शहंशाह ने हुजूर पैगंबर के जन्मदिन पर गाए जाने वाले हम हमारे भजनों पर भी पाबंदी लगा दी तब हम सूफी संतों को उसके गुर्गे और दरोगा मिल जावा वाकर के खिलाफ गोलबंद होकर निकलना पड़ा इस

37

भाग 37

20 अगस्त 2022
0
0
0

मौका पाते ही सल्तनत के वजीरे खारी खारी जा राजा रघुनाथ को हटाकर या वादा किसी से मुसलमान को दिया जाए किसी हिंदू अफसर के नीचे मुसलमान को तैनात किया जाए और अब खुलकर इन काफिरों हिंदुओं को बता दिया जाए कि व

38

भाग 38

20 अगस्त 2022
0
0
0

यही कि जो मैंने किया वह गलत भी था वह सही भी था सर जमीन ए हिंद की नजर में मैंने बहुत कुछ गलत किया जो मुझे शायद नहीं करना चाहिए था लेकिन इस्लामी मिल्लत की नजर में जो कुछ मैंने किया वह शायद सही था ऑरेंज

39

भाग 39

20 अगस्त 2022
0
0
0

तभी इतिहास के करोड़ों पन्नों से चीखती हुई आवाज आने लगी औरंगजेब तुम जालिम हो तुमने पोस्ते का पानी पिला पिला कर मुराद को मारना चाहा जब वह तंदुरुस्त शहजादा अफीम के पानी से नहीं मारा तो तुमने उसे चला दो उ

40

भाग 40

20 अगस्त 2022
0
0
0

शिब्ली नोमानी बड़े जोश खरोश से बता रहे थे मजहब की शक्ति का अगर किसी ने पहली बार इस्तेमाल किया तो बस सिर्फ यही दिलेर आलमगीर था कहीं ऐसा तो नहीं कि औरंगजेब ने इस्लाम का सहारा अपनी कमजोरियों और जातियों क

41

भाग 41

20 अगस्त 2022
0
0
0

तुम लोग कहर की बात करते हो हम कयामत बरपा करेंगे और मिस्र में बाप कुछ भी नहीं जिंदा छोड़ेंगे जो इस्लाम से पहले का है हम उसे बराबर करके रहेंगे दूरदराज अमेरिका से आई वहां मिस्र का मूल्य से कुमार अब्दुल र

42

भाग 42

20 अगस्त 2022
0
0
0

या तेज भाई जारी थी कि लश्कर मंदिर के उत्तर पूर्वी तरफ अबू हज आज मंदिर से इमाम वाहिद मोहम्मद अपनी ने भय ग्रस्त आंखों से जाकर देखा यहीं इसी मस्जिद में अपने समय के सबसे बड़े विद्वान अबू हज्जाज दफन हैं जि

43

भाग 43

20 अगस्त 2022
0
0
0

इसीलिए पश्चिम वाले ईरान की इस्लामी क्रांति की को आत्मसात नहीं कर पाए अयातुल्लाह खोमेनी और इस्लामी क्रांति में ईरान जैसे सभ्यता संपन्न देश को फिर एक बार उसकी दूरी दे दी आज अपनी धुरी पर लौटकर ईरान अपने

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए