वह मेरा बेटा ही सही पर मर्द हो जीने के लिए कहीं मुश्किल नहीं होता मैं एक रिश्तेदार की तरह आपको राय देता हूं कि बेहतर होगा कि आप अपने बेटे के साथ अपने नाना के पास पाकिस्तान लौट आए नईम ने कहा आप तो बिल्कुल यही यजीद की तरह पेश आ रहे हैं यह जीत की तरह मैं समझा नहीं आप समझ रहे हैं क्या आप क्यों मर मंजूर करना चाहेंगे यजीद ने भी हजरत हुसैन को मदीने से ईरान आने की दवा दी थी और कर्बला के मैदान में उनको भूखा का सर रखकर आखिर उनका खर्च कर दिया था आप का बुलावा जगदीश का बुलावा और आपका पाकिस्तान मेरा कला भी बन सकता है।
आज जहां आप मुझे हर तरह से भूखा रखकर अपनी हवस का शिकार बना सकते हैं और जिंदा रहते हुए भी एक बार कुदरती मौत मुझे दे सकते हैं हजरत हुसैन तो सिर्फ कर्बला में शहीद हुए थे और मुसलमान औरतों के लिए तो आप लोगों ने पूरी जिंदगी यह कर्बला बना रखी है सलमा के भीतरिया जलजला उठ रहा था मछली पड़ी क्या है वह खास चीज है जो एक मुसलमान मर्द औरत को दे सकता है जो गैर मुस्लिम नहीं दे सकता इस्लाम ने मुहूर्त के लिए जो दर्जा तजवीज किया है वह किसी और मजहब के पास नहीं है जिस्मानी रिश्ते पर जो हर मर्द से वही दे सकता है जो कोई भी मर्द औरत को दे सकता है।
लेकिन रूहानी और दुनिया भी सतह पर एक मुसलमान मर्द औरत को वह सब कुछ दे सकता है जो दुनिया का कोई मजहब नहीं देता नहीं बोला इस्लाम मानने वालों के पास कुरान पाक है अजीब है लेकिन वह तो अरबों के पास है उनकी ओरिजिनल का किया जो उन्होंने अब तक किसी को नहीं दी फिर तो शिव काहा ने भी इस्लामी कानून को अलग अलग पहचान दी और यह भी आपकी मालूम होगा तभी इस्लामी शरीयत के कानूनों की पहचान में फर्क आया सुननी विचार स्कूल व नेताओं ने तब सुन्नियों से अलग अपनी स्कूटी का हंसना स्त्री को मंजूर किया या सही इन सभी स्कूलों के लोग मुसलमान हैं।
इनका खुदा एक है इनका नबी एक ही उनकी किताब एक ही है मगर इनकी जिंदगी जीने का उसूल अलग अलग है जी और नए जैसे चुनौती के स्वर में कहा और यही कि आप सीएसपी में जरूर हैं पर आ पाकिस्तान नाम से मुल्क को नहीं आप इस्लाम के नाम पर अपनी कमजोरियों को चलाना चाहते हैं मूर्ख तो आप को अंग्रेजों ने जागीर में दिया और आप आवाम के लिए नहीं गलत मुझे भी मंसूबों के लिए 10 - 20 वीडियो इस्लाम के नाम पर गारत पर देना चाहते हैं हालांकि सलाम ने इस नफरत का पैगाम कभी नहीं दिया और आप नफरत को मन में जो भी मंसूबों की पोशाक बनाना कर दूसरों के साथ ही करना चाहते हैं जो इजराइल के जुदाई में इस्लाम के साथ किया था ।
यह आप कैसे कह सकते हैं पाकिस्तान की बुनियाद एक उसूल पर रखी गई है किस बुनियाद उसूल पर मजहब तो गांव की पहचान नहीं मजे को के आने और नाजिल होने से बहुत पहले भी तो लोग किसी और मजाक किसी और आखिरी दे किसी उसूल के तहत ही अपने समाज को चला रहे थे आज अगर पूरा अमेरिका इस्लाम को मंजूर कर ले तो क्या वह कौन सी शक्ल में अमेरिकी नहीं रह जाएंगे क्या व्हेयरबी और रानी हो जाएंगे आप तो बहस कर रही हैं इस बहस में आप खामखा इस्लाम को घसीट रहे हैं वह इसलिए कि पाकिस्तान होने के नाते आप खुद को सलाम का अलंबरदार समझते हैं इसीलिए बार-बार आप मुझे इस्लाम का वास्ता दे रहे हैं इस्लाम के नाम पर एक मूल पाकिस्तान बना था ।
यह आप कैसे कह सकते हैं पाकिस्तान की बुनियाद एक उसूल पर रखी गई है किस बुनियाद उसूल पर मजहब तो गांव की पहचान नहीं मजे को के आने और नाजिल होने से बहुत पहले भी तो लोग किसी और मजाक किसी और आखिरी दे किसी उसूल के तहत ही अपने समाज को चला रहे थे आज अगर पूरा अमेरिका इस्लाम को मंजूर कर ले तो क्या वह कौन सी शक्ल में अमेरिकी नहीं रह जाएंगे क्या व्हेयरबी और रानी हो जाएंगे आप तो बहस कर रही हैं इस बहस में आप खामखा इस्लाम को घसीट रहे हैं वह इसलिए कि पाकिस्तान होने के नाते आप खुद को सलाम का अलंबरदार समझते हैं इसीलिए बार-बार आप मुझे इस्लाम का वास्ता दे रहे हैं इस्लाम के नाम पर एक मूल पाकिस्तान बना था ।
यह दुनिया में कभी नहीं हुआ था हमेशा मूर्खों के नाम पर मजबूर ने अपनी पहचान हासिल की फाग नबी हजरत मोहब्बत क्या आने में पाक कुरान नाजिम होने के बावजूद अरब अरब की रहा इराक ईरान ही रहा मिश्र मिश्र ही रहा ईरान ईरान की रहा लेकिन पाकिस्तान भारत हिंदुस्तान नहीं रहा आपका कहना क्या चाहती हैं या कि खुद आपके प्रेसिडेंट जिया उल हक ने कहा था पाकिस्तान उसी तरह एक मजबूरी मंसूबों की मिसाल है जैसे कि इस राजू टाइम्स की देन अगर इसराइल से जुड़ा खत्म हो जाता तो इसराइल नहीं बचेगा उसी तरह पाकिस्तान से इस्लाम की बुनियाद खत्म हो जाती तो पाकिस्तान खत्म हो जाएगा मजहब खत्म हो जाते हैं नईम साहब पर तो खत्म नहीं होती क्या खत्म करवा सकती काम का भी अलग है क्या बौद्ध धर्म के आने के बाद भी चीन जापान कंबोडिया इंडोनेशिया में कोई भी बहुत से ईसाई और मुसलमान बन गए पर क्या मजहब को तोड़ पाया आप बहस कर रही हैं आप इस वक्त मारीशस में अकेले हैं ।
आप मेरे फरमाए आमीन सलमान हुसैन के अधीन हैं अगर आप अगर मैं इस्लाम के नाम पर अधिक को छोड़कर अभी इसी रात आपके साथ सो जाऊं तो शरीयत अधीन और पाक कुरान शरीफ सब मेरा साथ देने लगेंगे क्योंकि आप इन पार्क उसूलों के निशानी पहचान से अलग करके इस्लामी पहचान देकर अपने लिए महदूद कर लेना चाहते हैं इसीलिए नईम साहब आप मुझे मजहब का वास्ता मत दीजिए हर मजहब में आप जैसे घटिया और कमीनी लोग मौजूद हैं जो अपनी जिस्मानी खामोशियों के लिए मजहब का इस्तेमाल कर तमंचे की तरह करते हैं या तमंचा आपकी पेंट कैसे में कैद है और बुलाता बुलाता रहता है और इसकी जरूरत के मुताबिक आप जैसे लोग मजहब का वास्ता देते रहते हैं सलमा सीख रही थी ।
यह आप कैसे कह सकते हैं पाकिस्तान की बुनियाद एक उसूल पर रखी गई है किस बुनियाद उसूल पर मजहब तो गांव की पहचान नहीं मजे को के आने और नाजिल होने से बहुत पहले भी तो लोग किसी और मजाक किसी और आखिरी दे किसी उसूल के तहत ही अपने समाज को चला रहे थे आज अगर पूरा अमेरिका इस्लाम को मंजूर कर ले तो क्या वह कौन सी शक्ल में अमेरिकी नहीं रह जाएंगे क्या व्हेयरबी और रानी हो जाएंगे आप तो बहस कर रही हैं इस बहस में आप खामखा इस्लाम को घसीट रहे हैं वह इसलिए कि पाकिस्तान होने के नाते आप खुद को सलाम का अलंबरदार समझते हैं ।
इसीलिए बार-बार आप मुझे इस्लाम का वास्ता दे रहे हैं इस्लाम के नाम पर एक मूल पाकिस्तान बना था यह दुनिया में कभी नहीं हुआ था हमेशा मूर्खों के नाम पर मजबूर ने अपनी पहचान हासिल की फाग नबी हजरत मोहब्बत क्या आने में पाक कुरान नाजिम होने के बावजूद अरब अरब की रहा इराक ईरान ही रहा मिश्र मिश्र ही रहा ईरान ईरान की रहा लेकिन पाकिस्तान भारत हिंदुस्तान नहीं रहा आपका कहना क्या चाहती हैं या कि खुद आपके प्रेसिडेंट जिया उल हक ने कहा था पाकिस्तान उसी तरह एक मजबूरी मंसूबों की मिसाल है जैसे कि इस राजू टाइम्स की देन अगर इसराइल से जुड़ा खत्म हो जाता तो इसराइल नहीं बचेगा उसी तरह पाकिस्तान से इस्लाम की बुनियाद खत्म हो जाती तो पाकिस्तान खत्म हो जाएगा मजहब खत्म हो जाते हैं नईम साहब पर तो खत्म नहीं होती क्या खत्म करवा सकती काम का भी अलग है ।
क्या बौद्ध धर्म के आने के बाद भी चीन जापान कंबोडिया इंडोनेशिया में कोई भी बहुत से ईसाई और मुसलमान बन गए पर क्या मजहब को तोड़ पाया आप बहस कर रही हैं आप इस वक्त मारीशस में अकेले हैं आप मेरे फरमाए आमीन सलमान हुसैन के अधीन हैं अगर आप अगर मैं इस्लाम के नाम पर अधिक को छोड़कर अभी इसी रात आपके साथ सो जाऊं तो शरीयत अधीन और पाक कुरान शरीफ सब मेरा साथ देने लगेंगे क्योंकि आप इन पार्क उसूलों के निशानी पहचान से अलग करके इस्लामी पहचान देकर अपने लिए महदूद कर लेना चाहते हैं इसीलिए नईम साहब आप मुझे मजहब का वास्ता मत दीजिए हर मजहब में आप जैसे घटिया और कमीनी लोग मौजूद हैं जो अपनी जिस्मानी खामोशियों के लिए मजहब का इस्तेमाल कर तमंचे की तरह करते हैं या तमंचा आपकी पेंट कैसे में कैद है और बुलाता बुलाता रहता है और इसकी जरूरत के मुताबिक आप जैसे लोग मजहब का वास्ता देते रहते हैं सलमा सीख रही थी यह दुनिया में कभी नहीं हुआ था ।
हमेशा मूर्खों के नाम पर मजबूर ने अपनी पहचान हासिल की फाग नबी हजरत मोहब्बत क्या आने में पाक कुरान नाजिम होने के बावजूद अरब अरब की रहा इराक ईरान ही रहा मिश्र मिश्र ही रहा ईरान ईरान की रहा लेकिन पाकिस्तान भारत हिंदुस्तान नहीं रहा आपका कहना क्या चाहती हैं या कि खुद आपके प्रेसिडेंट जिया उल हक ने कहा था पाकिस्तान उसी तरह एक मजबूरी मंसूबों की मिसाल है जैसे कि इस राजू टाइम्स की देन अगर इसराइल से जुड़ा खत्म हो जाता तो इसराइल नहीं बचेगा उसी तरह पाकिस्तान से इस्लाम की बुनियाद खत्म हो जाती तो पाकिस्तान खत्म हो जाएगा मजहब खत्म हो जाते हैं नईम साहब पर तो खत्म नहीं होती क्या खत्म करवा सकती काम का भी अलग है क्या बौद्ध धर्म के आने के बाद भी चीन जापान कंबोडिया इंडोनेशिया में कोई भी बहुत से ईसाई और मुसलमान बन गए पर क्या मजहब को तोड़ पाया आप बहस कर रही हैं आप इस वक्त मारीशस में अकेले हैं आप मेरे फरमाए आमीन सलमान हुसैन के अधीन हैं ।
अगर आप अगर मैं इस्लाम के नाम पर अधिक को छोड़कर अभी इसी रात आपके साथ सो जाऊं तो शरीयत अधीन और पाक कुरान शरीफ सब मेरा साथ देने लगेंगे क्योंकि आप इन पार्क उसूलों के निशानी पहचान से अलग करके इस्लामी पहचान देकर अपने लिए महदूद कर लेना चाहते हैं इसीलिए नईम साहब आप मुझे मजहब का वास्ता मत दीजिए हर मजहब में आप जैसे घटिया और कमीनी लोग मौजूद हैं जो अपनी जिस्मानी खामोशियों के लिए मजहब का इस्तेमाल कर तमंचे की तरह करते हैं या तमंचा आपकी पेंट कैसे में कैद है और बुलाता बुलाता रहता है और इसकी जरूरत के मुताबिक आप जैसे लोग मजहब का वास्ता देते रहते हैं सलमा सीख रही थी ।
आपने हाय ब्यूटी औरत है जो पाकिस्तान के नाम पर एक गैर मजहब को निहायत छोटे दायरे में कैद करना चाहते हैं मेरा इस्लाम लाम इतना घटिया मजहब नहीं है आपने पाकिस्तान के नाम पर एक पुख्ता कॉम को बांटा और आप मुझे तारीख को फिर मजहब के नाम पर किसी दूसरे से अलग करके मेरे वजूद को तस्लीम करनी है करना चाहते हैं सलमा चीची तो कोहराम मच गया नई हरवा गया और वह जैसे तैसे हमको समानता हुआ उठ गया उठ कर आ गया भाग से निकल लिया उस वक्त चांद निकल आया था तब से लगे सागर की शक्ल मिला की पन्नी में बदल गई रे फूलों की तरह चमक रही थी और सागर से आती हवा चांदनी को दुपट्टे की तरह लपेट इधर उधर टहल रही थी श्रुति 70 पौधे की पत्तियां पढ़ चुकी थी।
और हल्के हल्के ताली बजा रही थी कि 5 की उम्र कुछ बना रही थी और दूर के खेतों में पत्ते मोतियों की तरह आपस में लग रहे थे आज पूरे चांद की रात थी सलमा और तुम्हारा चेहरा उस आदमी की टीम की चादर की तरह चमक रहा था ना साहब ने जाने कहां गायब हो गए फ्री हो बीच में सन्नाटा था पता नहीं बाकी लोग कहां छुप गए थे झिलमिलाती बर्फानी कुछ भी छाप देते हुए ठहरा रही थी दूर काली चींटी की जाली पर चांदी की बगिया में ग्रामीणों की तरह बैठी थी और पानी के भीतर छोटी-छोटी मछलियां झुंड मोतियों की चादर की तरह आते जाते थे को अनंत और निकलकर सलमा का ख्याल आया ।
वह बिल्कुल अकेली है अधिक पास पहुंचा और जैसे ही उसने सलमा को छुआ रेत की मीनार की तरह विचार कर उसके मुताबिक वजूद में समा गई अधिक 11 को सजा और उसे फिर जुड़ा हर साल की जगह रख रखा तो सलमा फ्री हो गई इतना ही था कि जब उसकी आंखें आंखों में आंसुओं की जगह रेगिस्तानी अंदर से सांसों में तेजाब की महक ने उसे छोड़ा हुआ क्या कुछ नहीं ऐसे लोग आकर यहां क्यों नहीं समझते कि मुसलमानों के नाम पर पाकिस्तानियों को बोलने का कोई हक नहीं है आज है हिंदुस्तान में पाकिस्तान से ज्यादा मुसलमानों पाकिस्तान से ज्यादा इस्लाम की समझने वाले लोग हैं ।
इस्लाम के दिल में मारने वाले मुसलमान हिंदुस्तान में उनसे कहीं ज्यादा है तब इन पाकिस्तानियों को बोलने का हक कहां सलमा पूरी तरह कुछ नहीं ऐसे लोग आकर यहां क्यों नहीं समझते कि मुसलमानों के नाम पर पाकिस्तानियों को बोलने का कोई हक नहीं है आज है हिंदुस्तान में पाकिस्तान से ज्यादा मुसलमानों पाकिस्तान से ज्यादा इस्लाम की समझने वाले लोग हैं इस्लाम के दिल में मारने वाले मुसलमान हिंदुस्तान में उनसे कहीं ज्यादा है तब इन पाकिस्तानियों को बोलने का हक कहां सलमा पूरी तरह धड़क रही थी ।