shabd-logo

भाग 24

13 अगस्त 2022

36 बार देखा गया 36

वह मेरा बेटा ही सही पर मर्द हो जीने के लिए कहीं मुश्किल नहीं होता मैं एक रिश्तेदार की तरह आपको राय देता हूं कि बेहतर होगा कि आप अपने बेटे के साथ अपने नाना के पास पाकिस्तान लौट आए नईम ने कहा आप तो बिल्कुल यही यजीद की तरह पेश आ रहे हैं यह जीत की तरह मैं समझा नहीं आप समझ रहे हैं क्या आप क्यों मर मंजूर करना चाहेंगे यजीद ने भी हजरत हुसैन को मदीने से ईरान आने की दवा दी थी और कर्बला के मैदान में उनको भूखा का सर रखकर आखिर उनका खर्च कर दिया था आप का बुलावा जगदीश का बुलावा और आपका पाकिस्तान मेरा कला भी बन सकता है।

आज जहां आप मुझे हर तरह से भूखा रखकर अपनी हवस का शिकार बना सकते हैं और जिंदा रहते हुए भी एक बार कुदरती मौत मुझे दे सकते हैं हजरत हुसैन तो सिर्फ कर्बला में शहीद हुए थे और मुसलमान औरतों के लिए तो आप लोगों ने पूरी जिंदगी यह कर्बला बना रखी है सलमा के भीतरिया जलजला उठ रहा था मछली पड़ी क्या है वह खास चीज है जो एक मुसलमान मर्द औरत को दे सकता है जो गैर मुस्लिम नहीं दे सकता इस्लाम ने मुहूर्त के लिए जो दर्जा तजवीज किया है वह किसी और मजहब के पास नहीं है जिस्मानी रिश्ते पर जो हर मर्द से वही दे सकता है जो कोई भी मर्द औरत को दे सकता है।
लेकिन रूहानी और दुनिया भी सतह पर एक मुसलमान मर्द औरत को वह सब कुछ दे सकता है जो दुनिया का कोई मजहब नहीं देता नहीं बोला इस्लाम मानने वालों के पास कुरान पाक है अजीब है लेकिन वह तो अरबों के पास है उनकी ओरिजिनल का किया जो उन्होंने अब तक किसी को नहीं दी फिर तो शिव काहा ने भी इस्लामी कानून को अलग अलग पहचान दी और यह भी आपकी मालूम होगा तभी इस्लामी शरीयत के कानूनों की पहचान में फर्क आया सुननी विचार स्कूल व नेताओं ने तब सुन्नियों से अलग अपनी स्कूटी का हंसना स्त्री को मंजूर किया या सही इन सभी स्कूलों के लोग मुसलमान हैं।

 इनका खुदा एक है इनका नबी एक ही उनकी किताब एक ही है मगर इनकी जिंदगी जीने का उसूल अलग अलग है जी और नए जैसे चुनौती के स्वर में कहा और यही कि आप सीएसपी में जरूर हैं पर आ पाकिस्तान नाम से मुल्क को नहीं आप इस्लाम के नाम पर अपनी कमजोरियों को चलाना चाहते हैं मूर्ख तो आप को अंग्रेजों ने जागीर में दिया और आप आवाम के लिए नहीं गलत मुझे भी मंसूबों के लिए 10 - 20 वीडियो इस्लाम के नाम पर गारत पर देना चाहते हैं हालांकि सलाम ने इस नफरत का पैगाम कभी नहीं दिया और आप नफरत को मन में जो भी मंसूबों की पोशाक बनाना कर दूसरों के साथ ही करना चाहते हैं जो इजराइल के जुदाई में इस्लाम के साथ किया था ।

यह आप कैसे कह सकते हैं पाकिस्तान की बुनियाद एक उसूल पर रखी गई है किस बुनियाद उसूल पर मजहब तो गांव की पहचान नहीं मजे को के आने और नाजिल होने से बहुत पहले भी तो लोग किसी और मजाक किसी और आखिरी दे किसी उसूल के तहत ही अपने समाज को चला रहे थे आज अगर पूरा अमेरिका इस्लाम को मंजूर कर ले तो क्या वह कौन सी शक्ल में अमेरिकी नहीं रह जाएंगे क्या व्हेयरबी और रानी हो जाएंगे आप तो बहस कर रही हैं इस बहस में आप खामखा इस्लाम को घसीट रहे हैं वह इसलिए कि पाकिस्तान होने के नाते आप खुद को सलाम का अलंबरदार समझते हैं इसीलिए बार-बार आप मुझे इस्लाम का वास्ता दे रहे हैं इस्लाम के नाम पर एक मूल पाकिस्तान बना था । 

 यह आप कैसे कह सकते हैं पाकिस्तान की बुनियाद एक उसूल पर रखी गई है किस बुनियाद उसूल पर मजहब तो गांव की पहचान नहीं मजे को के आने और नाजिल होने से बहुत पहले भी तो लोग किसी और मजाक किसी और आखिरी दे किसी उसूल के तहत ही अपने समाज को चला रहे थे आज अगर पूरा अमेरिका इस्लाम को मंजूर कर ले तो क्या वह कौन सी शक्ल में अमेरिकी नहीं रह जाएंगे क्या व्हेयरबी और रानी हो जाएंगे आप तो बहस कर रही हैं इस बहस में आप खामखा इस्लाम को घसीट रहे हैं वह इसलिए कि पाकिस्तान होने के नाते आप खुद को सलाम का अलंबरदार समझते हैं इसीलिए बार-बार आप मुझे इस्लाम का वास्ता दे रहे हैं इस्लाम के नाम पर एक मूल पाकिस्तान बना था । 

 यह दुनिया में कभी नहीं हुआ था हमेशा मूर्खों के नाम पर मजबूर ने अपनी पहचान हासिल की फाग नबी हजरत मोहब्बत क्या आने में पाक कुरान नाजिम होने के बावजूद अरब अरब की रहा इराक ईरान ही रहा मिश्र मिश्र ही रहा ईरान ईरान की रहा लेकिन पाकिस्तान भारत हिंदुस्तान नहीं रहा आपका कहना क्या चाहती हैं या कि खुद आपके प्रेसिडेंट जिया उल हक ने कहा था पाकिस्तान उसी तरह एक मजबूरी मंसूबों की मिसाल है जैसे कि इस राजू टाइम्स की देन अगर इसराइल से जुड़ा खत्म हो जाता तो इसराइल नहीं बचेगा उसी तरह पाकिस्तान से इस्लाम की बुनियाद खत्म हो जाती तो पाकिस्तान खत्म हो जाएगा मजहब खत्म हो जाते हैं नईम साहब पर तो खत्म नहीं होती क्या खत्म करवा सकती काम का भी अलग है क्या बौद्ध धर्म के आने के बाद भी चीन जापान कंबोडिया इंडोनेशिया में कोई भी बहुत से ईसाई और मुसलमान बन गए पर क्या मजहब को तोड़ पाया आप बहस कर रही हैं आप इस वक्त मारीशस में अकेले हैं । 

आप मेरे फरमाए आमीन सलमान हुसैन के अधीन हैं अगर आप अगर मैं इस्लाम के नाम पर अधिक को छोड़कर अभी इसी रात आपके साथ सो जाऊं तो शरीयत अधीन और पाक कुरान शरीफ सब मेरा साथ देने लगेंगे क्योंकि आप इन पार्क उसूलों के निशानी पहचान से अलग करके इस्लामी पहचान देकर अपने लिए महदूद कर लेना चाहते हैं इसीलिए नईम साहब आप मुझे मजहब का वास्ता मत दीजिए हर मजहब में आप जैसे घटिया और कमीनी लोग मौजूद हैं जो अपनी जिस्मानी खामोशियों के लिए मजहब का इस्तेमाल कर तमंचे की तरह करते हैं या तमंचा आपकी पेंट कैसे में कैद है और बुलाता बुलाता रहता है और इसकी जरूरत के मुताबिक आप जैसे लोग मजहब का वास्ता देते रहते हैं सलमा सीख रही थी । 

यह आप कैसे कह सकते हैं पाकिस्तान की बुनियाद एक उसूल पर रखी गई है किस बुनियाद उसूल पर मजहब तो गांव की पहचान नहीं मजे को के आने और नाजिल होने से बहुत पहले भी तो लोग किसी और मजाक किसी और आखिरी दे किसी उसूल के तहत ही अपने समाज को चला रहे थे आज अगर पूरा अमेरिका इस्लाम को मंजूर कर ले तो क्या वह कौन सी शक्ल में अमेरिकी नहीं रह जाएंगे क्या व्हेयरबी और रानी हो जाएंगे आप तो बहस कर रही हैं इस बहस में आप खामखा इस्लाम को घसीट रहे हैं वह इसलिए कि पाकिस्तान होने के नाते आप खुद को सलाम का अलंबरदार समझते हैं  । 

इसीलिए बार-बार आप मुझे इस्लाम का वास्ता दे रहे हैं इस्लाम के नाम पर एक मूल पाकिस्तान बना था यह दुनिया में कभी नहीं हुआ था हमेशा मूर्खों के नाम पर मजबूर ने अपनी पहचान हासिल की फाग नबी हजरत मोहब्बत क्या आने में पाक कुरान नाजिम होने के बावजूद अरब अरब की रहा इराक ईरान ही रहा मिश्र मिश्र ही रहा ईरान ईरान की रहा लेकिन पाकिस्तान भारत हिंदुस्तान नहीं रहा आपका कहना क्या चाहती हैं या कि खुद आपके प्रेसिडेंट जिया उल हक ने कहा था पाकिस्तान उसी तरह एक मजबूरी मंसूबों की मिसाल है जैसे कि इस राजू टाइम्स की देन अगर इसराइल से जुड़ा खत्म हो जाता तो इसराइल नहीं बचेगा उसी तरह पाकिस्तान से इस्लाम की बुनियाद खत्म हो जाती तो पाकिस्तान खत्म हो जाएगा मजहब खत्म हो जाते हैं नईम साहब पर तो खत्म नहीं होती क्या खत्म करवा सकती काम का भी अलग है । 

क्या बौद्ध धर्म के आने के बाद भी चीन जापान कंबोडिया इंडोनेशिया में कोई भी बहुत से ईसाई और मुसलमान बन गए पर क्या मजहब को तोड़ पाया आप बहस कर रही हैं आप इस वक्त मारीशस में अकेले हैं आप मेरे फरमाए आमीन सलमान हुसैन के अधीन हैं अगर आप अगर मैं इस्लाम के नाम पर अधिक को छोड़कर अभी इसी रात आपके साथ सो जाऊं तो शरीयत अधीन और पाक कुरान शरीफ सब मेरा साथ देने लगेंगे क्योंकि आप इन पार्क उसूलों के निशानी पहचान से अलग करके इस्लामी पहचान देकर अपने लिए महदूद कर लेना चाहते हैं इसीलिए नईम साहब आप मुझे मजहब का वास्ता मत दीजिए हर मजहब में आप जैसे घटिया और कमीनी लोग मौजूद हैं जो अपनी जिस्मानी खामोशियों के लिए मजहब का इस्तेमाल कर तमंचे की तरह करते हैं या तमंचा आपकी पेंट कैसे में कैद है और बुलाता बुलाता रहता है और इसकी जरूरत के मुताबिक आप जैसे लोग मजहब का वास्ता देते रहते हैं सलमा सीख रही थी यह दुनिया में कभी नहीं हुआ था । 

हमेशा मूर्खों के नाम पर मजबूर ने अपनी पहचान हासिल की फाग नबी हजरत मोहब्बत क्या आने में पाक कुरान नाजिम होने के बावजूद अरब अरब की रहा इराक ईरान ही रहा मिश्र मिश्र ही रहा ईरान ईरान की रहा लेकिन पाकिस्तान भारत हिंदुस्तान नहीं रहा आपका कहना क्या चाहती हैं या कि खुद आपके प्रेसिडेंट जिया उल हक ने कहा था पाकिस्तान उसी तरह एक मजबूरी मंसूबों की मिसाल है जैसे कि इस राजू टाइम्स की देन अगर इसराइल से जुड़ा खत्म हो जाता तो इसराइल नहीं बचेगा उसी तरह पाकिस्तान से इस्लाम की बुनियाद खत्म हो जाती तो पाकिस्तान खत्म हो जाएगा मजहब खत्म हो जाते हैं नईम साहब पर तो खत्म नहीं होती क्या खत्म करवा सकती काम का भी अलग है क्या बौद्ध धर्म के आने के बाद भी चीन जापान कंबोडिया इंडोनेशिया में कोई भी बहुत से ईसाई और मुसलमान बन गए पर क्या मजहब को तोड़ पाया आप बहस कर रही हैं आप इस वक्त मारीशस में अकेले हैं आप मेरे फरमाए आमीन सलमान हुसैन के अधीन हैं । 

 अगर आप अगर मैं इस्लाम के नाम पर अधिक को छोड़कर अभी इसी रात आपके साथ सो जाऊं तो शरीयत अधीन और पाक कुरान शरीफ सब मेरा साथ देने लगेंगे क्योंकि आप इन पार्क उसूलों के निशानी पहचान से अलग करके इस्लामी पहचान देकर अपने लिए महदूद कर लेना चाहते हैं इसीलिए नईम साहब आप मुझे मजहब का वास्ता मत दीजिए हर मजहब में आप जैसे घटिया और कमीनी लोग मौजूद हैं जो अपनी जिस्मानी खामोशियों के लिए मजहब का इस्तेमाल कर तमंचे की तरह करते हैं या तमंचा आपकी पेंट कैसे में कैद है और बुलाता बुलाता रहता है और इसकी जरूरत के मुताबिक आप जैसे लोग मजहब का वास्ता देते रहते हैं सलमा सीख रही थी । 

आपने हाय ब्यूटी औरत है जो पाकिस्तान के नाम पर एक गैर मजहब को निहायत छोटे दायरे में कैद करना चाहते हैं मेरा इस्लाम लाम इतना घटिया मजहब नहीं है आपने पाकिस्तान के नाम पर एक पुख्ता कॉम को बांटा और आप मुझे तारीख को फिर मजहब के नाम पर किसी दूसरे से अलग करके मेरे वजूद को तस्लीम करनी है करना चाहते हैं सलमा चीची तो कोहराम मच गया नई हरवा गया और वह जैसे तैसे हमको समानता हुआ उठ गया उठ कर आ गया भाग से निकल लिया उस वक्त चांद निकल आया था तब से लगे सागर की शक्ल मिला की पन्नी में बदल गई रे फूलों की तरह चमक रही थी और सागर से आती हवा चांदनी को दुपट्टे की तरह लपेट इधर उधर टहल रही थी श्रुति 70 पौधे की पत्तियां पढ़ चुकी थी।  

और हल्के हल्के ताली बजा रही थी कि 5 की उम्र कुछ बना रही थी और दूर के खेतों में पत्ते मोतियों की तरह आपस में लग रहे थे आज पूरे चांद की रात थी सलमा और तुम्हारा चेहरा उस आदमी की टीम की चादर की तरह चमक रहा था ना साहब ने जाने कहां गायब हो गए फ्री हो बीच में सन्नाटा था पता नहीं बाकी लोग कहां छुप गए थे झिलमिलाती बर्फानी कुछ भी छाप देते हुए ठहरा रही थी दूर काली चींटी की जाली पर चांदी की बगिया में ग्रामीणों की तरह बैठी थी और पानी के भीतर छोटी-छोटी मछलियां झुंड मोतियों की चादर की तरह आते जाते थे को अनंत और निकलकर सलमा का ख्याल आया ।  

वह बिल्कुल अकेली है अधिक पास पहुंचा और जैसे ही उसने सलमा को छुआ रेत की मीनार की तरह विचार कर उसके मुताबिक वजूद में समा गई अधिक 11 को सजा और उसे फिर जुड़ा हर साल की जगह रख रखा तो सलमा फ्री हो गई इतना ही था कि जब उसकी आंखें आंखों में आंसुओं की जगह रेगिस्तानी अंदर से सांसों में तेजाब की महक ने उसे छोड़ा हुआ क्या कुछ नहीं ऐसे लोग आकर यहां क्यों नहीं समझते कि मुसलमानों के नाम पर पाकिस्तानियों को बोलने का कोई हक नहीं है आज है हिंदुस्तान में पाकिस्तान से ज्यादा मुसलमानों पाकिस्तान से ज्यादा इस्लाम की समझने वाले लोग हैं ।  

इस्लाम के दिल में मारने वाले मुसलमान हिंदुस्तान में उनसे कहीं ज्यादा है तब इन पाकिस्तानियों को बोलने का हक कहां सलमा पूरी तरह कुछ नहीं ऐसे लोग आकर यहां क्यों नहीं समझते कि मुसलमानों के नाम पर पाकिस्तानियों को बोलने का कोई हक नहीं है आज है हिंदुस्तान में पाकिस्तान से ज्यादा मुसलमानों पाकिस्तान से ज्यादा इस्लाम की समझने वाले लोग हैं इस्लाम के दिल में मारने वाले मुसलमान हिंदुस्तान में उनसे कहीं ज्यादा है तब इन पाकिस्तानियों को बोलने का हक कहां सलमा पूरी तरह धड़क रही थी ।  

43
रचनाएँ
कितने पाकिस्तान
0.0
कितने पाकिस्तान हिन्दी के विख्यात साहित्यकार कमलेश्वर द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 2003 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। यह उपन्यास भारत-पाकिस्तान के बँटवारे और हिंदू-मुस्लिम संबंधों पर आधारित है। यह उनके मन के भीतर चलने वाले अंतर्द्वंद्व का परिणाम माना जाता है।'कितने पाकिस्तान' कमलेश्वर का लिखा हुआ एक प्रयोगवादी उपन्यास है। इस उपन्यास को 2003 के साहित्य अकादमी पुरस्कार से नवाज़ा गया था। यह उपन्यास बाकी उपन्यासों से कई मामलों में अलग है। पहला, इसमें सामान्य घटनायें, जैसे उपन्यासों में होती हैं, नहीं हैं, बल्कि ऐतिहासिक घटनाओं का लेखक के नज़रिये से वर्णन है। क्योंकि सारा कथानक उसी के इर्दगिर्द घूमता है। उपन्यास में सदियों से चले आ रही हिंसा और मारकाट के प्रति गहरा क्षोभ है। पात्रों की इस कमी को इतिहास के प्रसिद्ध व्यक्तियों को कटघरे में लाकर दूर किया गया है। अगर उपन्यास का सार निकालने की कोशिश की जाए तो यही आयेगा कि विभाजन अब बंद होने चाहिये।
1

भाग 1

21 जुलाई 2022
4
0
1

एक भूली हुई दास्तान उसे याद आती है  ।   वह तो एक बंजर जमीन से आया था ।  खामोश  आकर्षणों की दुनिया से जहां कहां कुछ भी नहीं जाता । मन ही मन में कुछ अरमान करवटें लेते हैं । अनबूझी इच्छाएं आती और चली जा

2

भाग 2

21 जुलाई 2022
2
0
0

- हुआ या था नहीं स !  पहले या सुनिए कि हुआ क्या है...... उसने चौक कर आवाज की तरफ देखा था उसका एक में 3 सहायक स्टोनो और अर्दली महमूद उसके सामने खड़ा था।  उसके हाथ में टेलीप्रिंटर से आई खबरों के कुछ कु

3

भाग 3

21 जुलाई 2022
1
0
0

खत भेजने के बाद अभी बहुत परेशान था । वह सोच रहा था कि उसके उद्गार और विचार कहीं देश की रक्षा सुरक्षा के नाम पर दूसरों के लिए मौत तो पैदा नहीं करते क्या एक के जीवित रहने के लिए दूसरे की मौत जरूरी है?

4

भाग 4

21 जुलाई 2022
0
0
0

और तभी यूरोप के सम्राट गिल गमेंश की गूंजती आवाज आई -  - मैं पीड़ा से लड़ लूंगा यातना सहूँगा  कुछ भी हो मैं मृत्यु को पराजित कर लूंगा मैं मृत्यु से मुक्त की औषधि खोज कर लाऊंगा !  सम्राट गिल गणेशा की

5

भाग 5

21 जुलाई 2022
0
0
0

वहां मौजूद तमाम देवताओं की चिंता का एक स्वर में अनुमोदन किया और देवी तान्या ने तब उन्हें आगाह करने वाला भाषण दिया दजला फरात और डेन्यूब की परा धरती के समस्त देवताओं तुम सब आज चिंतित हो क्योंकि मनुष्य म

6

भाग 6

29 जुलाई 2022
0
0
0

उसी कहानी में शामिल है बूटा सिंह और रेतपरी किया की  यह कहानी राजस्थान का तपता रेगिस्तान कोई चीखा बन गया साला पाकिस्तान आसमान की आंख सूखी हुई थी उनमें एक बूंद भी पानी नहीं था मौसम विभाग के वैज्ञानिक

7

भाग 7

29 जुलाई 2022
0
0
0

बूटा सिंह जब जीने के लिए कपड़े लेने निकला था पाकिस्तान नाम की लकीर तो फिर चुकी थी मौसम विशेषज्ञों की भविष्यवाणी सही साबित हुई रक्त की वर्षा हो रही थी रेत परिचय नहीं अभी भी गर्दन तक रेत में दबी हुई है

8

भाग 8

29 जुलाई 2022
0
0
0

आतंकी देवताओं ने धरती की ओर देखा वह सकते में आ गए जो लोग के समस्त सफेद पंखों वाले पंछी देवदासी रोना को लेकर मित्रों पर उतर रहे थे "के समय उसके साथ अभी सभी तरह के पंछी पखेरू शामिल होते गए थे उनमें अंजन

9

भाग 9

29 जुलाई 2022
0
0
0

बूटा सिंह ने कपड़ों की जोड़ी लाकर जीने के पास रख दिया और पूछा निकालूं तुम बाहर जाओ मैं निकाल आऊंगी धीरे-धीरे जैनेब रेट टिकट दे से निकल आई उसने तार-तार हुई कुर्ती को उतारा और वही संभाल कर रख दिया ना जा

10

भाग 10

29 जुलाई 2022
0
0
0

बूटा सिंह ने कपड़ों की जोड़ी लाकर जीने के पास रख दिया और पूछा निकालूं तुम बाहर जाओ मैं निकाल आऊंगी धीरे-धीरे जैनेब रेट टिकट दे से निकल आई उसने तार-तार हुई कुर्ती को उतारा और वही संभाल कर रख दिया ना जा

11

भाग 11

6 अगस्त 2022
0
0
0

उसके  अदालत के दरवाज़े पर रक्त  दस्तके  पड़ने लगी । वह दस्तक  से परेशान था। परेशान नही  पागल। और फिर दस्तक  पर दस्तक  ।पश्मी सीमांत से एके-47 चीनी राइफल ने दस्तक दी । हथियार बनेंगे तो चलेंगेभी ।  उत्तर

12

भाग 12

6 अगस्त 2022
0
0
0

वह कौन सी तारीख थी।  इब्राहिम लोदी से मैंने पार्क पानीपत की लड़ाई 20 अप्रैल 1526 को जीती थी और रजत 15 जुम्मे के दिन यानी 27 अप्रैल 1526 को मारे मेरे नाम का खुतबा पढ़ा गया था या खुद बा मौलाना महमूद और

13

भाग 13

6 अगस्त 2022
0
0
0

अजीम फैजाबाद स्टेशन पर उतरा ही था कि वह धमाकेदार झापड़ उसके पड उसके पड़ा स्टेशन की दीवार पर लिखा हुआ नारा सामने खड़ा था बोला फैजाबाद आए हो तो पहले इसे पढ़ पढ़ो इसमें लिखा था कि अपने धर्म स्थानों का अप

14

भाग 14

6 अगस्त 2022
0
0
0

बस आग लगाते घूम रहे हैं सब ही ना ही चाह सोजत की भारत का क्या होगा पहले ही या हिंदू मुसलमान को लगवाना चाह ना ही लड़ बाय पाए तो अब शिया सुन्नी को डलवाना चाहते हैं अब पानी शरबत बिस्कुट और मूंग के दाल मोड

15

भाग 15

6 अगस्त 2022
0
0
0

हुजूर इन कानूनी बारीकियों में मत जाइए अन्याय अन्याय है अन्याय ग्रस्त औरत की जिंदगी तो मौत से बदतर होती है तुम ठीक कह रहे हो महमूद अली अदालत सीखी तो पूरी श्रेष्ठ कांप उठी नहीं मैं मुद्दों के अलावा जिद्

16

भाग 16

6 अगस्त 2022
0
0
0

नक्सलवाद का समर्थन कर रहे थे एक के बाद एक ताने कसे तो इमाम नाजिश बौखला गए और और बोले तब तुम भी हमसे कहां लगते अधीन तुम अमृता प्रीतम करतार सिंह दुग्गल मोहन राकेश भीष्म साहनी देवेंद्र सत्यार्थी और यहां

17

भाग 17

6 अगस्त 2022
0
0
0

और मार दो अपने ही सब सृष्टि की रचना की थी उसने अपने दादा अनु को आकाश का सम्राट बनाया था अपने पिता ऐसा को धरती का और तब माधुरी ने एक महा मंदिर बनाया था कि आकाश के देवता और ईश्वर जो उसकी प्रजाति धरती पर

18

भाग 18

6 अगस्त 2022
0
0
0

जी शायद आप मुझे ठीक ही पहचान रहे हैं सलमा की जान में जान आई मैं सीएसपी के जनाब आफताब अहमद की हूं  और हिंदुस्तान में रहती हूं वह मेरे नाना है सलमान ने कहा तब पुलिसवाला कुछ नाराज सा होकर काउंटर वाले से

19

भाग 19

6 अगस्त 2022
0
0
0

अदालत में क्या कह रहे हो तुम मैं तो कराची के होलीडे इन होटल के रेस्टोरेंट में बैठा हुआ था और सलमा से बातें कर रहा था हुजूर आपकी यादों की परछाई का नाम क्या है या तो मुझे नहीं मालूम पर आपके होंठ मिलता ल

20

भाग 20

6 अगस्त 2022
0
0
0

तब अजीब चीन से लौट आया था सलमा भी अपने नाना से मिलकर कोटा से लौट आई थी उसे उम्मीद नहीं थी कि इतने महीनों बाद भी सलमा उस पेपर नैपकिन पर लिखे पते पर फोन का नंबर को संभाल कर रखे गी पर उसने रखा था ना रखा

21

भाग 21

6 अगस्त 2022
0
0
0

नहीं नहीं तो या नीम की पत्तियां झड़ रही है ना हां पतझड़ का मौसम है ना नहीं या अंधेरे का मौसम है लगता है मेरा पति पति झड़ रहा है तो एक बात क्यों ना करें क्या हम न कुछ पूछे न जाने अपने रवा अति जिंदगी के

22

भाग 22

13 अगस्त 2022
0
0
0

बिस्तर उनका इंतजार कर रहा था वह भी  वह भी त्रियोबिश की  रेती की तरह साफ़ था। मेरे संपर्क से छूने से कुछ ऐसा तो नहीं जो तुमने जीवित होता हो और मेरा प्रतिकार करता हूं नहीं ऐसा भी कुछ नहीं सलमा ने बहुत गह

23

भाग 23

13 अगस्त 2022
0
0
0

जब अजीब और शर्मा कॉटेज से निकले तब भी नीले फूल खिले हुए थे। सलमा ने साड़ी पहनी थी बदन में बाकी फूल तो साड़ी और ब्लाउज के अंदर उन देशों की तरह समा गए थे । प्रभावों पर उन नीले फूलों की जो लेटर उतर आई थी

24

भाग 24

13 अगस्त 2022
0
0
0

वह मेरा बेटा ही सही पर मर्द हो जीने के लिए कहीं मुश्किल नहीं होता मैं एक रिश्तेदार की तरह आपको राय देता हूं कि बेहतर होगा कि आप अपने बेटे के साथ अपने नाना के पास पाकिस्तान लौट आए नईम ने कहा आप तो बिल्

25

भाग 25

13 अगस्त 2022
0
0
0

कुछ नहीं ऐसे लोग आकर यहां क्यों नहीं समझते कि मुसलमानों के नाम पर पाकिस्तानियों को बोलने का कोई हक नहीं है आज है हिंदुस्तान में पाकिस्तान से ज्यादा मुसलमानों पाकिस्तान से ज्यादा इस्लाम की समझने वाले ल

26

भाग 26

13 अगस्त 2022
0
0
0

सलमा और अधीन ने मजहब तो नहीं बदले पर उन्हें इस बात में मजा जरूर आने लगा या उनके लिए जैसे खेल की बात बन गई सबसे पहले तो उन्होंने जगह बदली वह पूरब की ओर भागे भागते भागते ब्लैक रिवर के घने जंगलों को पार

27

भाग 27

13 अगस्त 2022
0
0
0

वह आवाज बिजली की तरह तड़प और कड़क रही थी और अब वह कौन सी भी कमरे में खड़ी हो गई थी अजीब या कौन है डर से असहमति सलमानी उसके कंधे के पीछे छुपे हुए पूछा मैं चला दो आलमगीर औरंगजेब का जल्लाद मैं कोतवाल भी

28

भाग 28

13 अगस्त 2022
0
0
0

इस्लाम में हर कुदरती जरूरत के लिए जगह है लेकिन जब मजहब और सियासी फायदे के लिए नफरत में बदला जाता है तो एक नहीं तमाम पाकिस्तान पैदा होते हैं मेरी बच्ची तुम्हारी जिंदगी को इस गलत विभाजन ने तोड़ दिया है

29

भाग 29

13 अगस्त 2022
0
0
0

गहरी नहीं जरूरी अंग्रेजों और जिन्ना साहब ने सोचा ही नहीं था कि जब हिंदुस्तान नाम का मूल नसीब होगा तब मेरी जैसी एक सलमा कैसे तक्सीम होगी और वह अपनी इज्जत कहां  कहां तलाशग अदीब ने उसे बहुत प्यार से पुका

30

भाग 30

13 अगस्त 2022
0
0
0

तभी नूरजहाँ  उसका ध्यान नीचे मौजूद रियाया की तरफ दिलाया उधर देखिए हुजूर इतने दिनों बाद आप बाहर निकले आपकी रे आया आपके दीदार के लिए उम्र पड़ी है तभी भीड़ ने पुरजोर आवाजें का आने लगी बादशाह सलामत जिंदाब

31

भाग 31

13 अगस्त 2022
0
0
0

मुझे जाना चाहिए वक्त आप को माफ नहीं करेगा और फिर आपको भी वक्त की बरात बर्बादी का मलाल कठोरता रहेगा सारा शगुफ्ता देखिए आपके अर्दली साहब बेसब्री से आपका इंतजार कर रहे हैं चलने से पहले एक यशपाल दरख्वास्त

32

भाग 32

13 अगस्त 2022
0
0
0

मैंने कोई निमंत्रण बाबर को नहीं भेजा था राणा सांगा नितेश में कहा तुम्हारा वह दावत नामा मेरी तिवारी बाबरनामा में दर्ज है और वह दस्तावेज आज का नहीं सोलवीं सदी का है अगर या गलत है तो तुमने तब क्यों नहीं

33

भाग 33

15 अगस्त 2022
0
0
0

 या गलत है हमारी गलती से विभाजन तो एक सच्ची घटना में तब्दील हो गया था पर विभाजन के भयानक दौर में भी सिंध में मारकाट नहीं हुई हमने मन ही मन अपनी ऐतिहासिक गलती मंजूर करते हुए बहुत भरे दिल से अपने हिंदू

34

भाग 34

15 अगस्त 2022
0
0
0

मुसलमान का था मीरा का था कबीर का था नाना कोटा कोलकाता सुब्रमण्यम भारती और नज़रुल इस्लाम कथा संत रैदास के और ज्ञानेश्वर का था किसका खुदा नहीं था लेकिन इंक इकबाल ने खुदा के मस्जिदों में कैद कर देने का प

35

भाग 35

15 अगस्त 2022
0
0
0

और आपकी सलमा जो खुदा हाफिज कह कर चली गई है इस अहम अदालत का कारोबार रोक कर आपको फिर अपने लिए हासिल करने की कोशिश में लगी है और उधर आपके दोस्त भवानी सिंह उप ईरान की राजधानी तेहरान से लौटकर कुछ जरूरी बात

36

भाग 36

20 अगस्त 2022
0
0
0

हुजूर हमसूफी है इस पागल शहंशाह ने हुजूर पैगंबर के जन्मदिन पर गाए जाने वाले हम हमारे भजनों पर भी पाबंदी लगा दी तब हम सूफी संतों को उसके गुर्गे और दरोगा मिल जावा वाकर के खिलाफ गोलबंद होकर निकलना पड़ा इस

37

भाग 37

20 अगस्त 2022
0
0
0

मौका पाते ही सल्तनत के वजीरे खारी खारी जा राजा रघुनाथ को हटाकर या वादा किसी से मुसलमान को दिया जाए किसी हिंदू अफसर के नीचे मुसलमान को तैनात किया जाए और अब खुलकर इन काफिरों हिंदुओं को बता दिया जाए कि व

38

भाग 38

20 अगस्त 2022
0
0
0

यही कि जो मैंने किया वह गलत भी था वह सही भी था सर जमीन ए हिंद की नजर में मैंने बहुत कुछ गलत किया जो मुझे शायद नहीं करना चाहिए था लेकिन इस्लामी मिल्लत की नजर में जो कुछ मैंने किया वह शायद सही था ऑरेंज

39

भाग 39

20 अगस्त 2022
0
0
0

तभी इतिहास के करोड़ों पन्नों से चीखती हुई आवाज आने लगी औरंगजेब तुम जालिम हो तुमने पोस्ते का पानी पिला पिला कर मुराद को मारना चाहा जब वह तंदुरुस्त शहजादा अफीम के पानी से नहीं मारा तो तुमने उसे चला दो उ

40

भाग 40

20 अगस्त 2022
0
0
0

शिब्ली नोमानी बड़े जोश खरोश से बता रहे थे मजहब की शक्ति का अगर किसी ने पहली बार इस्तेमाल किया तो बस सिर्फ यही दिलेर आलमगीर था कहीं ऐसा तो नहीं कि औरंगजेब ने इस्लाम का सहारा अपनी कमजोरियों और जातियों क

41

भाग 41

20 अगस्त 2022
0
0
0

तुम लोग कहर की बात करते हो हम कयामत बरपा करेंगे और मिस्र में बाप कुछ भी नहीं जिंदा छोड़ेंगे जो इस्लाम से पहले का है हम उसे बराबर करके रहेंगे दूरदराज अमेरिका से आई वहां मिस्र का मूल्य से कुमार अब्दुल र

42

भाग 42

20 अगस्त 2022
0
0
0

या तेज भाई जारी थी कि लश्कर मंदिर के उत्तर पूर्वी तरफ अबू हज आज मंदिर से इमाम वाहिद मोहम्मद अपनी ने भय ग्रस्त आंखों से जाकर देखा यहीं इसी मस्जिद में अपने समय के सबसे बड़े विद्वान अबू हज्जाज दफन हैं जि

43

भाग 43

20 अगस्त 2022
0
0
0

इसीलिए पश्चिम वाले ईरान की इस्लामी क्रांति की को आत्मसात नहीं कर पाए अयातुल्लाह खोमेनी और इस्लामी क्रांति में ईरान जैसे सभ्यता संपन्न देश को फिर एक बार उसकी दूरी दे दी आज अपनी धुरी पर लौटकर ईरान अपने

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए