जब अजीब और शर्मा कॉटेज से निकले तब भी नीले फूल खिले हुए थे। सलमा ने साड़ी पहनी थी बदन में बाकी फूल तो साड़ी और ब्लाउज के अंदर उन देशों की तरह समा गए थे । प्रभावों पर उन नीले फूलों की जो लेटर उतर आई थी वह काबू नहीं आ रही थी । सलमा बार-बार उस लेटर को पल्लू से ढकने की कोशिश कर रही थी ताकि महक भीतर ही रहे बाहर न फैलने पाए उस वक्त सामने पश्चिम से सूरज डूब रहा था बादलों पर पल्लू उसे छुपाने की कोशिश कर रहा था।
वह बार-बार अपनी किरणों की टॉर्च फेंकते हुए प्रयोग इस को पलट पलट कर देख रहा था उस वक्त सामने पश्चिम में सूरज डूब रहा था बादलों का पल्लू उसे छुपाने की कोशिश कर रहा था पर वह बार-बार अपनी किरणों की टॉर्च देखते हुए प्रयोग इसको पलट पलट कर देख रहा था हिंद महासागर की शांत लहरें तक को धमकियां दे रही थी कुछ खानाबदोश ना मैं अभी कोरल की तरह तरफ जा रही थी उत्तर में ग्राहक की और उड़ती चली जा रही थी उनके पास डूबते सूरज की रोशनी में मूछों की तरह चमकते और खो जाते थे कैसे लगती है इस खामोश सुन समुद्र की लहरें जैसे नुक्कड़ का रंगरेज नीला दुपट्टा सुखा रहा हो सलमा बोली थी और रात में यही लहरें बाहों में बदल जाती हैं अदीब ने उसकी पीठ को लपेटते हुए कंधे पर हाथ रख दिया था और उसे लगभग दिए गए वह गन्ने के परिवारों वाली छतरी के नीचे ले आया था वही मेज पड़ी थी ।
खाना खाने के लिए होटल के डार्लिंग हॉल में जाना उन्होंने पसंद नहीं किया था सूरज अब डूब गया था चांदनी वालों सेवंती की झाइयां और पत्तियां पलट गई थी और नीचे सीपीओ के आटे का सफेद कालीन बिछा था कितनी अच्छी है रात पर मैंने नहीं होते सलमा बोली ही ठीक ही बेटर आ गया इंडिया भारत इंडिया भारत सरसुना है उत्तर भारत में बहुत बड़ा सूरज निकलता है बेटे ने दोनों हाथ फैला कर बताया नहीं उतना ही बड़ा निकलता है जितना बड़ा यहां होता है सलमान ने ही जवाब दिया था हो सकता है मैडम बेटे ने उसकी बात पर विश्वास नहीं किया था लेकिन उसने आगे बहस नहीं की आप आर्डर 10 मिनट बाद ले सके तो मेहरबानी होगी सलमान बेटर से कहा वह चला गया ।
देखा बड़ी संस्कृत का सूरज भी बड़ा होता है अभी बोला तो सलमान ने उसके हाथ पर हाथ रख दिया धीरे-धीरे उसके मुनिया लहरा लहरों की तरह तड़पाती रही एक अजीब सी बात मन में आती धीरे से सलमा ने कहा क्या लगता है हम दो सदी पहले चले ही हो गिरमिटिया मजदूरों की तरह और यहां आकर उतरे हो उसी तरह नाव में ठेकेदार ने गिरवा दिया उस लाश होगी जो रास्ते में अपना चोला बदल चुकी थी अंग्रेज मालिक ने सेप्टिक टैंक से नए-नए ला कर हमें निकाल लिया हो और गले में नंबर का पट्टा पहना लिया हो और तब हम गन्ने खेतों में काम करने के लिए चल पड़े हो पता नहीं चलता कहां खो गई और सदियों को पुकारते दौड़ती चली गई रही चली जा रही थी कि तभी हम एक-एक साहब आए थे जी मैं 1 मिनट दखल दे सकता हूं जरूरत जरूर जरूर जी बताइए जी मैंने आपसे नहीं इनसे बात करना चाहता हूं ।
सलमा से कीजिए हम उस छतरी के नीचे बैठ जाएं उन्होंने कहा क्यों ऐसा क्या जरूरत है सलमान एतराज किया क्यों जरूरी नहीं कि आप मेरी मर्जी मौजूदगी को महसूस करें अजीब ने कहा तो सलमा के चेहरे को उसे परेशानी दिखाई दी उसी परेशानी में सलमा ने पूछा आप कहां से चले जाएंगे कहीं नहीं मैं यहीं कहीं चला जाऊंगा तो जो लोग बातें छुपा कर करते हैं उन्हें नहीं मालूम कि बातें छुट्टी नहीं तो मेरी मौजूद थी जब चाहोगे मैं मौजूद हो जाऊंगा और इतना कहते अजीब गायब हो गया खैर कोई बात नहीं जो बस जी बताइए सलमानी साहब से कहा पहले तो मैंने अपने बारे में बता दूं मेरा नाम नईम है मैं पाकिस्तान सिविल सर्विस में हूं आप सीएसपी से रिटायर्ड आफताब अहमद की शायद ना तीन है मैंने पूछा जी और हिंदुस्तानी सिविल सर्विस आईएस के सलमान हुसैन की बेवा शर्मा ने थोड़ा टपक कर कहा जी हां जी हां वह मुझसे मालूम है मैं सलमान का काजल हूं मुझे मालूम है शिमला में उनकी मौत हो गई थी ।
और मुझे उनके घर वालों ने सलमान की कमाई की दो तिहाई जहाज की वसीयत से बेदखल कर दिया था एक झूठी बिल बनवाकर सलमा ने गुस्से में कहा था कुछ कुछ तो मुझे मालूम है हिंदुस्तान की सारी और पूरी खबरें तो मिलती नहीं नहीं बोले तब तो शायद आपको याद भी नहीं मालूम होगा आपके खाना दा खानदान दान वालों ने मुझे अदालत में घसीटा था और सलमान की मौत का इंतजाम इल्जाम मुझ पर लगाया था और दलील यह दी थी कि शादी से पहले मेरा रिश्ता किसी और आदमी से था सलमा तुलसी से कह रही थी हां मैं यह शायद अदालत ने आप को कटघरे में खड़ा देख कर कहा था ।
कि इतनी खूबसूरत औरत का हकदार एक आदमी को और वह लगातार हकदार बना रहे या नामुमकिन है मैंने कहा हां या चटपटी खबरें अखबारों में छपी थी और सरहद सरहद के उस पार और उस पार वाली रिश्तेदारों ने सिर्फ यही खबरें सुना सुनी पड़ी और जानी थी और आप नौकरशाहों का कुनबा तो एक है फिर वह चाहे हिंदुस्तान के आईएस हो या पाकिस्तान के सीएसपी सलमा ने जहर बुझे लोगों से मैं कहा तो नहीं कुछ अचकचा के रह गया नहीं तो नहीं तो है ऐसा ही है ।
नईम साहब आप के कुनबे से छिटक कर आप अपनी मर्जी का मालिक कोई भी मर्द आजाद हो सकता है पर औरत को आप अपने कुनबे की जायजा समझते हैं अगर किसी हादसे के बाद कोई औरत किसी और कुनबे के मर्द को मंजूर कर ले तो आप लोग बर्दाश्त नहीं करते आप कुछ गलत सोच रही हैं इसमें गलत कुछ भी नहीं है पहले तो आप औरत और अपने कुनबे में घेर कर रखना चाहते हैं फिर खानदान का वास्ता देकर देते हैं और जब कुछ भी कारगर नहीं होता तो मजहब का वास्ता देते हैं शायद आप ठीक कह रही हैं आप अभी मुसलमान तो है ही लेकिन एक हिंदू मर्द के साथ जो रास्ता आप तलाश रहे हैं वह को अपने शक्ति से कहा तो आप यहां भी वही घटिया बात ले आए क्या दिल्ली दिल्ली रिश्ता कायम करने से पहले कभी किसी ने पूछा कि तुम्हारा मजहब क्या है क्या खुद की मोहब्बत और मजहबी मोहब्बत में फर्क नहीं कर सकते किसी भी मजहब से पहले कुदरत है सलमा बोली तो नहीं लाजवाब सा हो गया मैं कहना सिर्फ इतना चाहता हूं कि मैं एक हिंदू के साथ अपनी दुश्मनी और वाणी का रास्ता आपके सामने एक बेटा भी है सोचिए उसका क्या होगा ।