अदालत में क्या कह रहे हो तुम मैं तो कराची के होलीडे इन होटल के रेस्टोरेंट में बैठा हुआ था और सलमा से बातें कर रहा था हुजूर आपकी यादों की परछाई का नाम क्या है या तो मुझे नहीं मालूम पर आपके होंठ मिलता लिंग करते हुए उस परछाई को मैंने आपके सामने पेश किया है था अर्दली बेहद अदब से बोला तब तक दस लोगऔर चीखना चिल्लाना फिर तेज हो गया अदालत ने हुक्म दिया फरियादी को पेश किया जाए अपनी छाती पीट दिशाहीन सामने हाजिर हुई तुम कौन हो साहिब कहां से आई हो मुंबई हिंदुस्तान कब्रिस्तान से क्या हुआ तुम्हें बाबरी मस्जिद ढहाने के बाद पूरा हिंदुस्तान जलोटा मुंबई में तो हैवानियत का जलजला आ गया मैं कब्र में पड़ी सो रही थी कि मुझे भी नहीं बख्शा गया मेरी कब्र में बेदखल कर दिया गया कहां है कयामत के दिन मेरा फैसला होना है पर अब मेरे पास उस दिन का इंतजार करने के लिए कोई जगह नहीं है इसलिए आपके पास हाजिर हुई हूं लेकिन याद आलत है कब्रिस्तान नहीं हिंदुस्तान में सारी रात दे कब्रिस्तान में तब्दील हो चुकी है उनमें अब सिर छुपाने की जगह भी बाकी नहीं है इसीलिए मैं बना लेने आई हूं पर तुम तो इतनी कम हो क्या हक था
मौत को वह तुम्हें खींचकर कब तक ले आई अदालत ने तेरी करके जमा जानना चाहा मौत ने मेरे साथ कोई जाति नहीं की मैंने खुद मौत के बेहतर समझा था शाहिद ने कहा लेकिन क्यों इसलिए कि पाकिस्तान बन चुका था लेकिन मैं पाकिस्तान नहीं जाना चाहती थी तो तुम्हें हिंदू दरिंदों ने दंगों के दौरान मार डाला नहीं मेरी मौत की कहानी बिल्कुल अलग है हजूर तक्सीम हुआ अभी अदालत ने यह सुना ही था कि बरसों बरस लौट कर आने लगे और भगवान से ताली सामने आकर खड़ा हो गया और उसी के साथ ऊपर आसमान के गिद्धों के झुंड उतरने लगे जिससे अंधियारा छा गया पंजाब से लेकर आसमान तक की नदियों पर पानी खून से लाल हो गया और करो ला से जश्न मनाते हुए प्रत्याशी नृत्य करने लगी अध मरे और घायल लोग वहशत दहशत और हैवानियत के शिकार होकर चीखने लगे लाखों और घायलों के सीने पर चढ़कर घर जिन्ना आजाद पाकिस्तान और इधर नेहरू आजाद हिंदुस्तान का झंडा फहराने लगे तभी कुछ आवाजें आने लगी कौन क्या कर रहा है ।
इसका कुछ पता नहीं चल रहा पर उन आवाजों में उपस्थित हो और को बोल रहा था यह आवाजें बिजली यों की तरह कड़क रही थी और अजीब के दिमाग पर घोड़ों की तरह बरस रही थी हिंदुस्तान की कमी तक भी एक है तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा और आजादी का लाल किला मोहब्बतें बुनियाद पर खड़ा होगा नफरत की बुनियाद पर नहीं पाकिस्तान एक नफरत का नाम है नफरत के उसूलों पर पाकिस्तान बना है जिन्हें इतिहास नहीं बनाया साम्राज्यवाद ताकतों ने इतिहास ने जिन्ना को बनाया है मुझे मंजूर नहीं मैं अभी कहता हूं कि मजहब से कम नहीं बनती एक खून और 1 तारीख में कौन बनतीहै।
अगर मजहब से कम की शिनाख्त पैदा करोगे तो यह सारी दुनिया टुकड़ों में बट जाएगी अरे कायदे आजम मोहम्मद अली जिन्ना सुना तुमने तुम खुद पर तूने पंजाबियों ब्लूस्ट्रीम सिंधियों बंगालियों और मुजा हीरो तो नहीं संभाल पाओगे यह आपस में लड़ मरेंगे मजहब काम नहीं आएगा तब तहजीब तवारीख और इन नसों में बहता खून ही काम आएगा जो काम की असलियत को तय करेगा आवाज में लगातार ऊंची होती जा रही थी अजीब कुछ समझ ही नहीं पाया तो उसने अगली को आवाज दी इन आवाजों का पता करो या मेरे काम में दखल डाल रही हैं अर्दली भागा भागा गया और फौरन ही मालूम करके वापस आया हुजूर यह आवाजें 34 पागलों की है यह कौन पागल है हुजूर कैसे बताऊं मुझे ऐसे दुनिया को बचाना है।
हुजूर यह दुनिया को पागलपन से बचाते हुए खुद पागल हो गए हैं अजीब लोग हैं जी हुजूर अब ऐसे पागल लोग इस दुनिया में नहीं मिलते अगर मिलते होते तो सोवियत यूनियन नहीं टूटता जो घोषाल लिया युगोस्लाविया वह सानिया के मुसलमानों का कत्लेआम ना होता सोमालिया में लोग और बच्चे बरसों बरस अकाल से ना मरते और 400 फिलिस्तीनी इसराइल की सरहद पर भूख ठंड और मौत का इंतजार ना करके रहे होते उन्हें इसराइली इस तरह मौत के मुंह में ना खदेड़ देते अर्दली कुछ अजीब से देश में बोला अधि हंसा तो तुम इस अदालत में अर्दली गिरी करते-करते बहुत समझदार हो गए हो लेकिन यह पागल लोग आखिर हैं कौन हुजूरे आला यह चार पागल हैं इनके नाम जो मैं पता करके लाया हूं वह कहते हैं ।
कहते हुए अर्दली ने अपनी याद की पट्टी पर दस्तक दी जी हां इसमें सबसे बड़ा पागल है महात्मा गांधी दूसरा पागल है नेताजी सुभाष चंद्र बोस तीसरा खान अब्दुल गफ्फार खान और चौथा है एक अजीब इन्हें खामोश करो हुजूर यह बड़े खामोश लोग हैं पर जब भी इतिहास उधर आ जाता है तो इन पागलों की आत्माएं चीखने लगती हैं और अपनी करो और शादियों से निकलकर इसी तरह की बातें करने लगते हैं तो फिलहाल इन्हें रो को रोक दिया हुजूर इन्हें मैंने इनकी मजारों और शादियों के पागलों खानों में कैद कर दिया है अब यह सब आपको परेशान करने नहीं आएंगे तब तक शायद उपकार वह परछाइयां वाली परछाइयों वाली याद उसके सामने फिर आ बैठी उसके बदन में झील सी तरह पढ़ते कामों के लोगों और महसूस करते हुए तब अजीब सा खाता बोल पड़ा था सलमा तुम बहुत खूबसूरत हो सलमा सलमा इस जुमले पर चौकी नहीं वह सिर्फ इतना बोली तक्सीम ना होती तो पूरी कायनात बहुत खूबसूरत होती सलमा ने कहा और घड़ी देखी अब उठना चाहिए ।
आपकी फ्लाइट कितने बजे है 11:00 बजे ठीक है देखिए फिर कभी मुलाकात होती या नहीं मैं तो समझी थी आप कोई खूबसूरत यह जुमला बोलकर अलविदा कहेंगे या नहीं कैसे कैसा जुल्म जुमला मैं समझा नहीं कुछ ऐसा कि जैसे या शेर है कह रहो या की बला हो काश तुम मेरे लिए होते कहकर सलमा हस पड़ी अच्छा खुदा हाफिज भारत पहुंचे तो कहते कहते उसने पेपर नैपकिन पर अपना पता लिखकर उसे थाम समाते हुए कहा हालांकि हालांकि उसकी जरूरत नहीं पड़ेगी लेकिन फिर भी फिर भी और शुक्रिया कहे थे चली गई उसके जाते ही सदियों के सन्नाटे ने उसे घेर लिया उसे एकाएक एहसास हुआ वह सचमुच अब दूसरे देश में है नहीं तो कल लाहौर से लेकर आज कराची की सुबह तक वह भूल ही गया कि वह कहीं और है।
सलमा तो बेटा के लिए चली गई वह अपनी बहुत गहरी महक उसके पास छोड़ गई थी एक और काफी का ऑर्डर देकर वह उसी महक के साथ कुछ देर और बैठना चाहता था काफी आ गई वह हैरत भरे अंदाज में सोच रहा था कि पैसे कैसे होंगे शर्मा के नाना जो पाकिस्तान भी पाकिस्तानी भी हैं और अपनी यादों को लेकर मुजाहिद भी और कैसे होंगे शर्मा के अब्बा अम्मी जब हिंदू सिख खून के समुंदर पार करते हुए भारत की ओर भागा राय भाग रहे थे और भारत के मुसलमान पाकिस्तान की ओर तब एक मुसलमान जुड़ा पाकिस्तान छोड़कर अपनी अगली सदियों की है खैरियत के लिए किसी देश की ओर नहीं अपनी मिट्टी की ओर भाग रहा ।