मैंने कोई निमंत्रण बाबर को नहीं भेजा था राणा सांगा नितेश में कहा तुम्हारा वह दावत नामा मेरी तिवारी बाबरनामा में दर्ज है और वह दस्तावेज आज का नहीं सोलवीं सदी का है अगर या गलत है तो तुमने तब क्यों नहीं कहा आने वाली सदियों में तुम्हारे वंशजों ने उसे खारिज क्यों नहीं किया मैं इस इल्जाम को मंजूर नहीं करता रहा सांगा ने तिल मिलाकर कहा तुम मंजूर करो ना करो लेकिन वक्त गवाह है सबूत गवाह है इतिहास गवाह है मुझे तो मनचाहा मौका दिया था तुमने फिर किस सोने की चिड़िया को छोड़कर चला जाऊं इतना बेवकूफ मैं नहीं था यहीं से हमारी तुम्हारी दुश्मनी का आगाज हुआ तब हुकूमत चलाने के लिए मुझे इस्लाम परस्त मुसलमानों और बादशाह पर हिंदुओं का जरूरत पड़ी थी इसीलिए तुमने गाजी मुसलमान होने का सेहरा अपने सर पर बांध लिया था अदीब ने तंग किया तब हालात दूसरे थे अभी भी आलिया बाबर बोला मेरे साथ जो लड़ाकू सिपहसालार और कभी-कभी ले कंधार खुरखुरा शान बन जा किस्तान और उत्तरी इरान से आए थे ।
वह लड़ते-लड़ते थक गए थे हिंदुस्तान के मौसम को बर्दाश्त नहीं कर पा रहे थे गर्मी लू रेतीले बवंडर पसीनो और पित्त के पत्तों से उन्हें बेहाल कर बदल कर दिया जंग में लगे उनके गांव बारिश के मौसम में फिर खुल जाते थे इन हालात में हुए अपने घर लौट जाना चाहते थे वह मुझसे भी दरख्वास्त कर रहे थे कि सल्तनत की सुभेदारी सौंपकर मैं भी वापस चल पड़ो फरगना को सर करूं और वही रहूं लेकिन मेरे लिए या मुन्ना शिवम को नहीं था तब उन लौटने वाले फौजी वकीलों कभी लो और सिपहसालार ओं को रोकने के लिए मैंने मजबूरी में मजहब का वास्ता दिया था धन दौलत और औरों की पेशकश भी उन्हीं नहीं रोक पा रही थी मुझे तो यही रहना था इसीलिए मैं आगरा में दफन हुआ था ।
वहां तो बाद में मुझे आगरा से खोदकर काबुल में दफनाया गया ताशी इस्लाम परसों की जरूरतों की वजह से मुझे गाजी बनाया गया राणा सांगा ने फिर हस्तक्षेप करना चाहा तो अजीब ने उन्हें रोककर हुक्म दिया मोहम्मद बिन कासिम को पेश किया जाए अर्दली तूफान की तरह गया और खलीफा वालिद की राजधानी से मोहम्मद बिन कासिम को पकड़ लाया 23 - 24 साल के उत्सर्जी जवान को अदालत में पेश किया गया रास्ते में ही अर्दली ने उसे गिरफ्तारी की वजह बता दी अदालत को अदब से सलाम करने के बाद उसने बयान दर्ज कराया हुजूर अब मैं बाद अब कहना चाहता हूं ।
कि मैं अरब हूं मेरे कबीले का मालिक आजाद था जनाब हमारे खलीफा थे उन दिनों हिंद के धन दौलत की दास्तान ए हवा में तैरती थी हमने खजूर रेत और अति ले आंधियों में सिवा कुछ देखा नहीं था हमारा कबीला नया-नया मुसलमान बना था हमें तो सिर्फ यह मालूम था कि मजहब को मंजूर किया जाता है मजहब को फैलाया जाता है या हमें तब तक पता भी नहीं था मैं तो तब खुद 17 साल का था धर्मांतरण कैसे किया जाता है इसका मुझे फिल्म तक नहीं था इसलिए इस इल्जाम कि मैं तलवार के जोर पर हिंदुओं को मुसलमान बनाने आया था बिल्कुल बेबुनियाद और गलत है
तो तुम किस लिए आए थे अदालत में सवाल किया हुजूर मुझे तो मेरे मालिक हजार ने हिंद को लूटने भेजा था इसके लिए उन्होंने पैसा उधार दिया था शर्त पर कि उनका दिया हुआ पैसा तो मैं वापस करूंगा साथ-साथ हिंद नदी के उपजाऊ इलाके के हुकूमत कायम करके मैं उन्हें लगातार 500,000, दिनार की सालाना मालगुजारी भी देता रहूंगा इसी के साथ-साथ उन्होंने एक खास सर आज मेरे हवाले किया था हुजूर जंग के वक्त हमारा तो बच्चा बच्चा लड़ता है लेकिन जज ने हमें यार आज बताया कि हिंद में पूरी कॉम नहीं लड़ती रवायत के मुताबिक वहां सिर छतरी लड़ता है छतरी हारता था ।
तो उस सब हार जाते थे यह बात सच साबित हुई हुजूर राजा दहाड़ हारा तो सब हार गए सारे हिंदू ब्राह्मण और बौद्धों बौद्धों ने भी शिकस्त मंजूर कर ली इन्हीं हिंदू ब्राह्मणों के मंदिरों और पौधों में बिहारो में अकूत धन-दौलत का खजाना था मैंने इन्हें लूटा फिर मुझे इन्हीं ब्राह्मणों से जानकारी मिली थी कि वह g52 जो कश्मीर के महाराजा का सूबेदार था हुजूर उसने मुल्तान की बस्ती के पूरब तरफ बड़े तालाब में एक मंदिर बनवा रखा था हिंदुओं के खजाने मंदिरों के नीचे ही जमींदोज रहते थे तालाब वाले मंदिर के नीचे उसने तांबे के 40 कोटवारों में सोने का चूरा छुपा रहा था कोठार तोड़ने से पहले मैंने मूर्तियों को तोड़ा था मूर्तियां तोड़कर मुझे 300mn सोना मिला था फिर जब तालाब के अंदर मंदिर के नीचे वाले 40 कोचों में मैंने तोड़ा तो 13200 मन सोना मेरे हाथ लगाया तब मैं मंदिरों को क्यों ना तोड़ता दिव्या लिया अदालत जैसे सकते में सब कुछ सुन रही थी और फिर हुजूर हिंदू के बाशिंदे का अल्लाह एक नहीं था यहां हर ब्राह्मण का खुदा अलग अलग था ।
एक खुदा लूटता था तो दूसरा बचाने नहीं आता था दूसरा लूटता था तो तीसरा बचाने नहीं आता था इन अदालत ने मेरी मदद की मेरे सामने हिंदू और गैर हिंदू का सवाल नहीं था मैं तो हिंद नदी के बहाने से तक्षशिला बौद्ध ब्राह्मणों को चीरता हुआ कांगड़ा तक चिता चला गया अभी मोहम्मद बिन कासिम का बयान जारी था कश्मीर से जबरदस्त जो रूठा तक राजस्थान चीखने लगा इराक पर अमेरिकी बमबारी आतिशबाजी की तरह दिखाई देने लगी और सोनिया के मुसलमानों पर दोबारा सब्रोक ने हमला कर दिया श्रीलंका में प्रभाकरण ने 1000 नागरिक को जान से मार कर जमीन में गाड़ दिया ।
उनके पिंजर निकाल निकाल कर करने लगे सऊदी अरब सूडान अफगानिस्तान पाकिस्तान आतंकवादी जेहाद के नाम पर मासूम नागरिकों को मारते फिरते हुए डोडा उधमपुर और कुल्लू मनाली तक आगजनी हत्या अपहरण और लूट मार्ग में मशगूल हो गए उसी में कराची के कराते घायलों की आवाज आई अदालते आलिया सुनिए लंदन से हमारे मुल्क को तोड़ने के लिए मुजाहिद अल्ताफ हुसैन जहर उगल रहा है या वही डालते हैं जिन्होंने पहले हिंदुस्तान को थोड़ा अब पाकिस्तान को तोड़ना चाहते हैं अजीब सीखा सुनो कराची के बाशिंदों जितना जो कुछ टूटा टूट गया उसे भूल जाओ जो पुल टूटने के बाद बना है उसे डूबने से बचाओ जितने मुल्क बनेंगे वह सिर्फ इंसान को नसीम करेंगे जरूरत से ज्यादा इस दुनिया का बंटवारा हो चुका है पूजा के लिए बंटवारे को यह नियत को खत्म करो लेकिन जो गलत बंटवारे हुए हैं ।
उन्हें खत्म करना जरूरी है नहीं तो अभी बेरिया दुनिया में कत्लेआम और खून खराबा बंद नहीं होगा या तेजतर्रार आवाज सिंध पाकिस्तान के नेता डॉक्टर होता किसी धर्म के नाम पर तेजी से बुखार और रक्त जी भी हो जाती है यही हम सिंधियों के साथ हुआ हम सिंधी सदियों से स्वादहीन रह हमारी जवान संस्कृति और सभ्यता इन पाकिस्तानियों से अलग है हम चार करोड़ सिंधियों को आत्म निर्णय का अधिकार चाहिए हम हमारे साथ सन 1947 में दगा हुआ पाकिस्तान के उस घोषणापत्र को जो सन 1940 में लाहौर में जारी हुआ था इसमें हम सिंधियों को पूरी सुरक्षा देने की का वादा है लेकिन पाकिस्तान पाकिस्तान बनने के बाद सियासत के इरादे बदल गए कठपुतली हुक्मरानों और सैनिक तानाशाह ने वादा पूरा कि मैं नहीं किया इसी तरह और वादे ना दीवाने की वजह से पाकिस्तान टूटा और बांग्लादेशियों ने अपना पाकिस्तान बना लिया अब हम अपना सेंड आजाद चाहते हैं चीन तुम मुसलमानों और सिंध हिंदुओं के लिए क्योंकि हमारी भाषा इतिहास संस्कृति और सभ्यता एक है नमाज पढ़ लो और होटल कनिष्क के कमरे में तभी लोग बैठे दिखाई दिए 84 वर्षीय आंदोलन के जनक सीए सैयद बालकवि बैरागी और रामेश्वर नीखरा जी ऐसे यह कह रहे हैं डॉक्टर हिले पोता ठीक कहता है।
सिंधु सभ्यता ही अलग है वॉइस अलार्म और वैदिक धर्म की मिली जुली सभ्यता है या ठीक है मैंने इससे 1943 में सिंध असेंबली में भारत के विभाजन का प्रस्ताव मुस्लिम लीग सदस्य के रूप में रखा था 2 साल बीतते बीतते 1945 में ही पाकिस्तान की नफरत और फिलासफी मेरे समझ में आ गई मुझे शक होने लगा कि जो जिंदा भारत में आज हिंदुओं को से नफरत करने की रागनी चला रहा है वह कल हम हिंदुओं से भी नफरत करेगा सन 1947 ईस्वी में इसलिए मैंने बहुत मुझे मन और आशा आशंकाओं के बीच पाकिस्तान बनने का स्वागत किया था अगर तुम सिंधी मुसलमानों की भाषा संस्कृति और सभ्यता एक मानते हो तो फिर आज विभाजन के इतने वर्षों बाद भी भारत गया हुआ सिंधी हिंदू तुमसे इतनी नफरत क्यों करता है यह सवाल एक पत्थर की तरह आकर गिरा !