यही कि जो मैंने किया वह गलत भी था वह सही भी था सर जमीन ए हिंद की नजर में मैंने बहुत कुछ गलत किया जो मुझे शायद नहीं करना चाहिए था लेकिन इस्लामी मिल्लत की नजर में जो कुछ मैंने किया वह शायद सही था ऑरेंज बोला असल में अभी भी आलिया हमें औरंगजेब की एक मनोवैज्ञानिक गति को गहराई से समझना चाहिए होता है कि आस्तिक लोग सहज भाव से मजहब की ओर जाते हैं फिर वह लोग मजहब की तरफ दौड़ते हैं जो जानते हैं मजहब के लिहाज से हमने पाप किया औरंगजेब ने हिंदुस्तान का ताज हासिल करने के लिए जो जगन अपराध किए थे !
इसकी ग्रंथि इसका बाप बहुत बन गया बाप बोध कि इसकी यही कुंठा थी इसे मजहब की ओर मोर ले गई या कट मुद्राओं का गुलाम बन गया श्रीराम शर्मा ने कहा या भारत में हिंदुओं का दुश्मन बन गया ऐसा भी हो सकता है कि हिंदू इस के दुश्मन बन गए हो और तब दुश्मनी नफरत राजा और याया विजेता और पराजित धर्म और संप्रदाय के लड़ाई यों की या नया सिलसिला चला हो क्योंकि तब तक बाकी साधुओं की परंपरा शुरू हो चुकी थी जिनके अपने संप्रदाय और अखाड़े थे जो छावनी या कहलाते थे या छावनी तीर्थ स्थलों और बड़े मंदिरों में स्थापित हो गई थी यह छापामार साधु एक सैन्य शक्ति के रूप में संगठित हुए थे !
औरंगजेब के दौरे में जो इस्लामीकरण शुरू हुआ उसकी प्रक्रिया में हिंदू अवश्य संगठित हुए होंगे और लगता कि इस संगठित साधु सैन्य शक्ति को ध्वस्त करने के लिए औरंगजेब ने खासतौर से मंदिरों को उठाया होगा लेकिन दर्द को प्रमाणित करने के लिए इतिहास कोई मदद नहीं देता और फिर मैं पांडे जी और पता भी ऋषि तारा मैया से भी जानना चाहूंगा कि काशी विश्वनाथ मंदिर को ध्वस्त मैं कच्छ की रानी की कहानी जोड़ दी गई पर मथुरा उड़ीसा सोमनाथ उज्जैन के मंदिरों में कौन सी बलात्कारी घटनाएं हुई थी जिनके कारण उन्हें तोड़ा गया श्रीराम शर्मा ने पूछा इसका जवाब मैं देता हूं आवाज की तरफ सब ने देखा हजरत शिब्ली नोमानी बोल रही थी सबकी आंखें उनकी तरफ उठ गई इसका जवाब यह है !
कि इस दौर में मंदिर और मस्जिद इबादत गांवों के स्थान साथ अपने अपने मजहब के राय मशवरे के मरकज भी हुआ करते थे इन इबादत गांवों में बगावत तो की साजिश तैयार की जाती थी कि रानी हिंदुस्तानी और अंग्रेज इतिहासकारों का यह कहना गलत है कि आलमगीर ने मंदिर तोड़े इसीलिए बगावत हुई सही बताया है कि बगावत हुई इसीलिए मंदिर तोड़े गए जो हिंदुओं की पाठशाला में क्यों बंद की गई !
इसलिए उनमें हिंदू पंडित मुसलमान बच्चों को अपनी मजबूत सास साइंस से पढ़ाने लगे थे शाहजहां के दौर में दारा शिकोह वाकी से पर हिंदुओं के हौसले बहुत बढ़ गए थे आखिर मुसलमानों को हिंदू धर्म शास्त्र विज्ञान पढ़ाने का मतलब क्या था दार आशिकों की वजह से हिंदुस्तान में हिंदू तुष्टिकरण नीति शुरू हुई थी धारा इस्लाम विरोधी था शिब्ली नोमानी ने जोर देकर कहा यानी औरंगजेब ने इस्लाम के नाम और उसके उसूलों पर संतरा चलाने की नीति तय की थी इसीलिए औरंगजेब ने हिंदुओं पर जजिया टैक्स लगाया था श्रीराम शर्मा ने सवाल किया वह इसलिए कि अकबर के दौर से लेकर जहांगीर के शासनकाल तक हिंदुओं को सर पर चढ़ा लिया गया था और वह बोलने लगे थे !
कि मुगलों ने भारत की फतह किया शाहजहां ने इस भूल को सुधारा लेकिन शाहजहां ने आखिरी दिनों में दर्शकों ने उन्हें अपने काबू में कर लिया हिंदू लोग मुसलमानों की बराबरी करने लगे इसीलिए जजिया लगा कर उन्हें यह बताया बताना और जताना जरूरी हो गया कि वे अपनी औकात में रहे इसके अलावा शाहजहां के दौर में जो बेतहाशा खर्च मस्जिद और ताजमहल बनवाने में हुआ उसकी वजह से शाही खजाना खाली हो गया था इनमें से कौन सी वजह थी कि आलमगीर अदीब ने पूछा तुम हिंदुओं को उसकी औकात बताना चाहते थे या खाली हो गए खजाने को भरना चाहते थे वह भी सही था और यह भी सही है औरंगजेब ने कहा मेरे हक में या मेरे खिलाफ जो कुछ भी कहा जाता था !
उसकी दोनों सिम से सही है तुम अजीब इंसान हो अजीब ना होता तो क्या होता हर शहंशाह अजीब होता है क्योंकि वह शहंशाह होता है तुम अजीब लोग तो सिर्फ आंसुओं में बैठकर कहानियां करते रहते हो तुम्हारी असलियत और औकात मुझे पता है ऑरेंज ने कड़े कड़वे अंदाज में बहुत धीमे से मुस्कुराते हुए कहा जो कुछ उसने बोला बहुत सादगी से बोला उसकी मुस्कुराहट में जहर सा था फिर वह खुद को बोलना चला गया बोलता चला गया बड़े कोमल अंदाज में मुझे बताइए आदि बेलिया दे बेलिया संबोधित तुम कर रहे हो अभी एक पल पहले गरीबों के बारे में गुस्ताखी से बोल रहे थे !
हुजूर मैं बराबर बाबर या अकबर नहीं हूं मैं वक्त का मारा हुआ एक शहजादा था मेरे हिंदुस्तान का तक चाहिए था उसके लिए मैंने हर तरह की कोशिश की या कुछ गलत भी नहीं थी क्योंकि मुगलिया खानदान में तख्त हासिल करने की शर्त और कानून नहीं थे मैंने अपने भतीजे को मरवा कर और हजरत अब्बा हुजूर को कैद करके वही किया जो मेरे अब्बा हुजूर हजरत शहंशाह ने अपने दौड़ में किया था हर दौर के कसूर को उसके वक्त की परंपरा के आधार पर तय कीजिए !