कल हमारी प्यारी बिटिया स्वस्ति ने बहुत ही
नयनाभिराम पुष्प “प्रवीर शर्मा जीतसिंह” को जन्म दिया... नानी बनने पर कैसे आनन्द
का अनुभव होता है इसका कल पता चला... अचानक ही “पदोन्नति” का आभास होने लगा... आनन्द
के आवेग में कुछ पंक्तियाँ मन में उपजीं... जो आपके साथ साँझा करने का मन हुआ...
कात्यायनी...
भावना के दीप में अतुलित भरा है स्नेह मन
का
कर रहा सबको
प्रकाशित, साथ में ले स्नेह
मन का |
एक अंकुर नेहलतिका
का, जो आया गोद में है
ओ री बिटिया,
पल्लवित होगा वही, ले स्नेह
मन का ||
चपल नयनों ने लुटाया
फिर नया अनुराग देखो
प्रेम की नव कोपलों
से खिल उठा उद्यान मन का |
बाँटता है स्वप्न मोहक, देखता भोले नयन से
अँजुली में नेह भरकर
खटखटाता द्वार मन का ||
नयन में आनन्द के
आँसू भरे, है उल्लसित मन
झूम कर आह्लाद में
है नाचता हर भाव मन का ||
आँख का तारा तू सबकी, है सभी के मन का प्यारा
मुस्कराहट से ही
तेरी महकता आँगन ये मन का |
सूर्य की किरणें सदा
ही मार्ग में भर दें उजाला
चाँद तारे बाँसुरी पर
राग छेड़ें मधुर मन का ||
__________कात्यायनी डॉ पूर्णिमा शर्मा