पीतमाल्याम्बरधर: कर्णिकारसमद्युति: |
खडगचर्मगदापाणि: सिंहस्थो वरदो बुध: ||
आज हम बात करते हैं सोमसुत बुध की | बुध एक सौम्य ग्रह माना जाता है | अन्य ग्रहों की भाँति बुध के विषय में भी अनेक पौराणिक आख्यान उपलब्ध होते हैं | जिनमें एक प्रसिद्ध कथा यह है कि अत्रि ऋषि के पुत्र चन्द्रमा देवगुरु बृहस्पति के शिष्य थे | विद्याध्ययन की समाप्ति पर जब चन्द्रमा ने गुरु को गुरु दक्षिणा देने का निश्चय किया तो गुरु ने आज्ञा दी कि वे गुरुपत्नी तारा को दे आएँ | चन्द्रमा जब गुरुपत्नी को दक्षिणा देने गए तो उनका रूप देखकर मोहित हो गए उन्हें अपने साथ ले जाने की ज़िद करने लगे | गुरु सहित सभी ने बहुत समझाया | पर जब वे न माने तो गुरु ने उन्हें युद्ध के लिए ललकारा | इस युद्ध में भगवान् शिव के सहित समस्त दैत्यों, असुरों, नक्षत्रों, शनि तथा मंगल ने भी बृहस्पति का साथ देने का निश्चय किया और युद्ध आरम्भ हो गया | अन्त में ब्रह्मा जी के हस्तक्षेप से चन्द्रमा ने गुरुपत्नी को वापस लौटाया और युद्ध समाप्त हुआ | किन्तु तारा और चन्द्र के सहवास के कारण तारा गर्भवती हो गईं और उन्होंने समय आने पर एक पुत्र को जन्म दिया जिसका नाम बुध रखा गया | यूरोपीय संस्कृति में इसी को Mercury अर्थात पारा कहा जाता है जो एक रोमन देवता है | बुध की धातु पारा ही मानी जाती है, Vedic Astrology के अनुसार जो चन्द्रमा के प्रभाव से तरल हो जाती है तथा शनि और मंगल के प्रभाव से ठोस और गुरु के प्रभाव से भारी हो जाती है |
बुध को रूपवान, मधुरभाषी तथा स्पष्टवक्ता माना जाता है | इसका वर्ण हरा है तथा इसे कालपुरुष की वाणी भी कहा जाता है और सभी ग्रहों के युवराज के पद पर सुशोभित किया जाता है | यही कारण है जिन व्यक्तियों का बुध प्रबल होता है उनकी वाणी स्पष्ट तथा मधुर होती है तथा उनके अध्ययन और व्यवसाय का क्षेत्र प्रायः गणित से सम्बन्धित, व्यापार से सम्बन्धित, डॉक्टर या वैद्यक से सम्बन्धित अथवा अध्ययन अध्यापन आदि से सम्बन्धित माना जाता है | बुध त्वचा तथा पृथिवी तत्व प्रधान ग्रह है | साथ ही वायु, पित्त और कफ तीनों गुणों का भी प्रतिनिधित्व करता है | माँसपेशियों का आधिपत्य भी बुध के ही पास है | अतः बुध यदि अच्छी स्थिति में नहीं होगा तो इनमें से किसी भी प्रकार के रोग की सम्भावना जातक को हो सकती है | इसके अतिरिक्त जातक का स्वभाव अकारण ही पारे के समान नरम गरम होता रह सकता है |
बुध मिथुन तथा कन्या राशियों और आश्लेषा, ज्येष्ठा तथा रेवती नक्षत्रों का स्वामी ग्रह है | कन्या बुध की उच्च राशि भी है तथा कन्या राशि का जातक मीठी वाणी बोलने वाला और सबको साथ लेकर चलने वाला माना जाता है तथा समाज में प्रतिष्ठित होता है | मीन बुध की नीच राशि है | सूर्य और शुक्र के साथ इसकी मित्रता है, चन्द्रमा से शत्रुता तथा अन्य ग्रहों के साथ यह तटस्थ भाव में रहता है | यह उत्तर दिशा तथा शरद ऋतु का स्वामी माना जाता है | बुध की दशा 17 वर्ष की होती है तथा एक राशि में यह लगभग एक माह तक भ्रमण करता है |
बुध को बली बनाने के लिए तथा उसे प्रसन्न करने के लिए Vedic Astrologer अनेक मन्त्रों के जाप बताते हैं | जिनमें से कुछ मन्त्र यहाँ प्रस्तुत हैं…
वैदिक मन्त्र :
ॐ उद्बुध्यस्वाग्ने प्रतिजागृहि त्वमिष्टापूर्ते स सृजेथामयं च |
अस्मिन्त्सधस्थे अध्युत्तरस्मिन्विश्वे देवा यजमानश्च सीदत ||
पौराणिक मन्त्र :
प्रियंगुकलिकाश्यामं रुपेणाप्रतिमं बुधम् |
सौम्यं सौम्यगुणोपेतं तं बुधं प्रणमाम्यहम् ||
तन्त्रोक्त मन्त्र : ॐ ऎं स्त्रीं श्रीं बुधाय नम: अथवा ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं स: बुधाय नम: अथवाॐ स्त्रीं स्त्रीं बुधाय नम:
बीज मन्त्र : ॐ बुं बुधाय नम:
गायत्री मन्त्र : ॐ चन्द्रपुत्राय विद्महे रोहिणीप्रियाय धीमहि तन्नो बुध: प्रचोदयात्
बुद्धि और कौशल के प्रतीक बुध सभी के बुद्धि कौशल का विस्तार करें यही कामना है…