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ड्रामा

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"मुचकुंद गहरी नींद सो गया"...,एैसा कह के बल्लाव चुप हो गया। चिंता ऊसके सर पे मछरौं की तरहा मंडारा रही थी। अरे दादाजी ये तो कहानी का अंत हैं शुरवात नहीं! उसके पोते केशव ने कहा। “अरे अंत भी कह

उस तरफ कमला सब जान चुकी थी। कर्नल के शायर दोस्त सागर ने उसे सब बता दिया है। वहीं, कर्नल की गैर हाजिरी में कमला के साथ इश्क का टांका भी फिट कर लिया है। उसका अपना इश्क भी परवान पर था।  ‘इस उम्र मे

उन दोनों ने उस वृद्धाश्रम में अपनी दस्तक दे दी थी। वृद्धाश्रम का मैनेजमेंट आॅफिसर जालिम सिंह कर्नल के शायर दोस्त को पहले से जानता था। कर्नल की तरह आश्रम के मैनेजमेंट आॅफिसर जालिम सिंह ने भी घुमावदार म

 सागर का कर्नल के घर आना, आना क्या अब तो वहीं बेशर्म की तरह पूरा दिन पड़े रहना, कई बार रात भी यहीं गुजारना। अब तो जैसे उसका भी यही घर हो। कमला को यह अखरता था। उस दिन  दोनों बड़ी देर से कमरे म

सुखलाल भीतर से टूट चुका था, बेटी के जन्म का हर्षोल्लास पत्नी की मौत के  मातम में बदल चुका था,  लोगो का तो कहना था कि बड़ा अभागा है सुखलाल उसके जीवन मे पहले उसकी माँ उसका साथ छोड़ कर गई फिर पित

शाम के पांच बज चुके थे।  कर्नल रोज की तरह आज भी टहलने के लिए पार्क को निकल पड़ा था।  कर्नल को हमेशा एकांत में रहना पसंद था फिर भी शाम पार्क में इसलिए चला आता था, क्योंकि इस वक्त पार्क के हरे

आज कुसुम बहोत खुश थी, घर की साफ- सफाई हो गई थी दीवारों पे नया रंग लगा था, दरवाजो पर फूलो के हार, और आंगन मे रंगोली बनी थी। कुसुम को देखने आज विनयबाबू आ रहें थे। वो दोपहर को आ गये, उनको कच्ची

डॉक्टर तरू, एक जानी मानी स्त्री रोग विशेषज्ञ । उसने एम. सी. एच किया था और वह एक सुपर स्पेशलिस्ट थी । बहुत थोड़े से समय में ही उसने "इनफर्टिलिटी" विषय में महारथ हासिल कर ली थी । मेडिकल के पेशे में बहुत

तरू को अब पता चल गया था कि आनंद के दिमाग में मेघना बैठी हुईं थी, उस समय । उस समय क्या , वह तो अभी भी बैठी हुई है । जब तक आनंद के दिमाग से वह बाहर नहीं निकलेगी , वह ऑपरेशन नहीं कर पायेगा । क्या करे वह

आपने वादा तोड़ दिया मेरी शादी के बाद मेरी पत्नी सुधा अपने मैके आगरा गईं। उसके मैके जाते ही अपनी तो जैसे खाट खड़ी हो गई। एक एक पल काटना मुश्किल हो गया । घर में और कोई था नहीं । मम्मी पापा गांव में रहते

( यह कहानी एक सत्य घटना पर आधारित है )एक अज्ञात व्यक्ति किस तरह किसी की जिंदगी को नर्क बना देता है यह इस कहानी से पता चलेगा । अशोक और आहना की शादी अभी दो महीने पहले ही हुई थी । दोनों ही पति पत्नी

वृंदा:-हाँ,माँ ने सबकुछ बता दिया था।तब से हम दोंनो परेशान थें।तुम्हें सही राह पर लाने के लिए मार्ग खोज रहे थें।मुझे क्या पता तुम यह सब द्रुपत के लिए कर रहे थें।अब सारी मुश्किले टल चुकी हैं। नहीं दीदी।

वृंदा:-हाँ,माँ ने सबकुछ बता दिया था।तब से हम दोंनो परेशान थें।तुम्हें सही राह पर लाने के लिए मार्ग खोज रहे थें।मुझे क्या पता तुम यह सब द्रुपत के लिए कर रहे थें।अब सारी मुश्किले टल चुकी हैं। नहीं दीदी।

पिछले अध्यायों में हमने पढ़ा कि झारखंड के एमएलए की बेटी की शिखा की शादी की तैयारियां हो रही है और उसके कॉलेज के जमाने की सहेली मौलि शादी में आने वाली है। मौलि के आने की खबर से शिखा की खुशी का ठिकाना न

कभी सज़ा कराती थी रातें मेरी बस्ती में | खुदा को रास न आई मेरी रातें |  खुदा ने उजाड़ दिया मेरी बस्ती को। अब नहीं सजती रातें मेरी बस्ती में |मैं रुका हुआ रुक सी गई मंज़िल |अब कहा किसी की तला

तरू सीधे डॉक्टर आनंद के पास ओपरेशन थियेटर में पहुंच गई , सब मरीजों को छोड़ छाड़ कर । उसे देखकर आनंद ने खुशी से झूमते हुये उसके होठों को चूम लिया ।"बड़ी देर लगा दी मेरी जान । तुम्हें क्या पता कि मेरे लिए

कहते है प्रेम की कोई भाषा नही होती। दुनिया के हर देश में हर शहर में हर गली में प्रेम की बस एक ही भाषा है और वो है मन की भाषा। इसको समझने के लिये आपको किसी भाषा विशेष की जानकारी होना आवश्यक नही है। इसे

प्रायश्चित देवयानी अभी घर के काम काज से फ्री हुई ही थी कि अचानक डोर बैल बज उठी । देवयानी ने गेट खोला तो देखा कि उसकी बहू अरुंधति खड़ी है । "अरे, आज इतनी जल्दी कैसे आ गई बहू" ? अरुंधति चहकते हुए बोली

धनबाद के हीरापुर में स्थित सहाय सदन, झारखंड के MLA शांतिकान्त सहाय का स्थायी पता, सहाय सदन को अगर बाहर से देखें तो सिर्फ ऊँची दीवारें दिखाई देती हैं जिसपे कांटे लगे हैं और काले रंग की लम्बी-चौड़ी गेट ह

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कसौटी ज़िन्दगी की में हाई वोल्टेज ड्रामाअधिक जानकारी के लिए: https://hindi.iwmbuzz.com/television/spoiler/komolikas-financial-favour-to-break-anurag-prernas-relationship-in-kasautii-zindagii-kay/2019/02/19

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