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पञ्चांग
बुधवार,
24 अक्टूबर 2018 – नई दिल्ली
विरोधकृत
विक्रम सम्वत 2075 / दक्षिणायन
शरद
पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएँ
सूर्योदय : 06:27 पर तुला
में / चित्रा नक्षत्र / सूर्य का स्वाति नक्षत्र में प्रवेश 11:44 पर
सूर्यास्त : 17:42 पर
चन्द्र राशि : मीन 09:23 तक, तत्पश्चात मेष
चन्द्र नक्षत्र : रेवती 09:23 तक, तत्पश्चात अश्विनी / पंचक
समाप्ति 09:23
तिथि : आश्विन शुक्ल पूर्णिमा 22:14 तक, तत्पश्चात कार्तिक कृष्ण प्रतिपदा / शरद पूर्णिमा
करण : विष्टि 10:29 तक, तत्पश्चात बव 22:14 तक, तत्पश्चात बालव
योग : हर्षण 09:31 तक, तत्पश्चात वज्र
राहुकाल : 12:06 से 13:29
यमगंड : 07:55 से 09:19
गुलिका : 10:42 से 12:06
अभिजित मुहूर्त : कोई नहीं
अन्य : शुक्र तुला में वक्री एवम् अस्त
विशेष :
शरद पूर्णिमा – एक अत्यन्त महत्त्वपूर्ण पर्व – जब माना जाता है कि चन्द्रमा अपनों
षोडश कलाओं के साथ उदय होता है | ऐसी भी मान्यता है कि चन्द्रमा की सोलह कलाएँ
मिलकर एक मानव शरीर की आकृति का निर्माण करती हैं | साथ ही चन्द्रमा की इन सोलह
कलाओं से युक्त चन्द्रकिरणों से इस रात्रि में अमृत की वर्षा होती है जिसमें
प्राणियों के शरीर तथा मन को पुष्ट करने की सामर्थ्य भी मानी जाती है | इसी का लाभ
उठाने के लिए इस दिन खीर बनाकर पूरी रात के लिए चन्द्रमा की किरणों के नीचे रख दी
जाती है और प्रातःकाल इस अमृत रस से पूर्ण खीर को प्रसाद के रूप में ग्रहण किया
जाता है | कहा जाता है कि विष्णु भगवान् के अवतारों में केवल श्री कृष्ण ही ऐसा
अवतार थे जो सोलह कलाओं के साथ उत्पन्न हुए थे | भगवान् श्री कृष्ण ने महारास शरद
पूर्णिमा की रात्रि को ही रचाया था | रामायण के रचयिता महर्षि वाल्मीकि की जयन्ती
भी शरद पूर्णिमा को होती है | इस पूर्णिमा को नवान्न पूर्णिमा और कुमार पूर्णिमा
नामों से भी जाना जाता है | कल बुधवार 24 अक्टूबर को रात दस बजकर चौदह मिनट तक
आश्विन शुक्ल पूर्णिमा है और उसके बाद कार्तिक कृष्ण प्रतिपदा का आगमन हो जाएगा, किन्तु कार्तिक मास का आरम्भ 25 अक्टूबर से ही माना जाएगा |