मित्रों, कुछ दिवस के अवकाश के पश्चात आज पुनः उपस्थित हूँ कल के पञ्चांग और शरद पूर्णिमा की शुभकामनाओं के साथ... षोडश कला युक्त चन्द्रमा की धवल ज्योत्स्ना सभी के जीवन को सुख-सौभाग्य-प्रेम के अमृतरस से परिपूर्ण करे...
हिन्दी पञ्चांग
मंगलवार, 23 अक्टूबर 2018 – नई दिल्ली
विरोधकृत विक्रम सम्वत 2075 / दक्षिणायन
शरद पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएँ
सूर्योदय : 06:26 पर तुला में / चित्रा नक्षत्र
सूर्यास्त : 17:43 पर
चन्द्र राशि : मीन
चन्द्र नक्षत्र : उत्तर भाद्रपद 08:47 तक, तत्पश्चात रेवती / पंचक
तिथि : आश्विन शुक्ल चतुर्दशी 22:36 तक, तत्पश्चात आश्विन शुक्ल पूर्णिमा / शरद पूर्णिमा / कोजागरी पूर्णिमा
करण : गर 10:34 तक, तत्पश्चात वणिज 22:36 तक, तत्पश्चात विष्टि
योग : व्याघात 10:43 तक, तत्पश्चात हर्षण
राहुकाल : 14:53 से 16:16
यमगंड : 09:18 से 10:42
गुलिका : 12:05 से 13:29
अभिजित मुहूर्त : 11:43 से 12:28
अन्य : शुक्र तुला में वक्री एवम् अस्त
विशेष : शरद पूर्णिमा – एक अत्यन्त महत्त्वपूर्ण पर्व – जब माना जाता है कि चन्द्रमा अपनों षोडश कलाओं के साथ उदय होता है | ऐसी भी मान्यता है कि चन्द्रमा की सोलह कलाएँ मिलकर एक मानव शरीर की आकृति का निर्माण करती हैं | साथ ही चन्द्रमा की इन सोलह कलाओं से युक्त चन्द्रकिरणों से इस रात्रि में अमृत की वर्षा होती है जिसमें प्राणियों के शरीर तथा मन को पुष्ट करने की सामर्थ्य भी मानी जाती है | इसी दिव्य घटना का लाभ उठाने के लिए इस दिन खीर बनाकर पूरी रात के लिए चन्द्रमा की किरणों के नीचे रख दी जाती है और प्रातःकाल इस अमृत रस से पूर्ण खीर को प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है | इसीलिए शरद पूर्णिमा के दिन चन्द्रमा की पूजा का विशेष महत्त्व होता है |
कहा जाता है कि विष्णु भगवान् के अवतारों में केवल श्री कृष्ण ही ऐसा अवतार थे जो सोलह कलाओं के साथ उत्पन्न हुए थे | भगवान् श्री कृष्ण ने महारास शरद पूर्णिमा की रात्रि को ही रचाया था | कल मंगलवार तेईस अक्टूबर को रात दस बजकर छतीस मिनट तक आश्विन शुक्ल चतुर्दशी रहेगी और उसके बाद आश्विन शुक्ल पूर्णिमा का आगमन हो जाएगा, जो बुधवार चौबीस तारीख़ की रात दस बजकर पन्द्रह मिनट तक रहेगी | इस प्रकार दोनों दिन ही पूर्णिमा का उपवास रखा जा सकता है | किन्तु चन्द्रमा की ज्योत्स्ना में जो लोग खीर रखते हैं उन्हें यह कार्य कल ही करना होगा |