हिन्दी पञ्चांग
बुधवार, 14 नवम्बर 2018 – नई दिल्ली
विरोधकृत विक्रम सम्वत 2075 / दक्षिणायन
बाल दिवस / नेहरू जयन्ती
सूर्योदय
: 06:42 पर तुला में / विशाखा नक्षत्र
सूर्यास्त
: 17:28 पर
चन्द्र राशि : मकर
चन्द्र नक्षत्र : श्रवण
तिथि : कार्तिक शुक्ल सप्तमी /
अष्टाह्निक विधानारम्भ (जैन)
करण : गर 15:04 तक,
तत्पश्चात वणिज
योग : गण्ड 17:42 तक,
तत्पश्चात वृद्धि
राहुकाल : 12:05 से 13:26
यमगंड : 08:06 से 09:27
गुलिका : 10:45 से 12:06
अभिजित मुहूर्त : कोई नहीं
अन्य : शुक्र तुला में वक्री / गुरु वृश्चिक में अस्त
विशेष : कार्तिक शुक्ल अष्टमी से जैन
मतावलम्बियों का अष्टाह्निक पर्व भी आरम्भ हो रहा है | जैसा कि इसके नाम से ही
स्पष्ट है – शुक्ल अष्टमी से लेकर पूर्णिमा तक आठ दिन यह पर्व चलता है तथा वर्ष
में तीन बार – कार्तिक, फाल्गुन और आषाढ़ मास में मनाया जाता है | इस दौरान जैन मन्दिरों में
सिद्ध चक्र मण्डल विधान कुछ विशिष्ट पूजा अर्चनाओं का आयोजन किया जाता है | ‘‘सिद्धचक्र’’ का अर्थ है सिद्धों
का समूह | समस्त लोकों के अग्रभाग पर जो अनन्तानन्त सिद्ध विराजमान रहते हैं उन
सबको सिद्धचक्र विधान के माध्यम से नमन किया जाता है | “नन्दीश्वर पर्व” भी
इस पर्व को कहा जाता है | मान्यता है कि इन तीनों अष्टाह्निक पर्वों के दौरान
इन्द्रादि समस्त देवगण इस दिन नन्दीश्वर द्वीप – जो कि मानवों के लिए अगम्य है -
में जाकर पावन जिनालयों की पूजा अर्चना करते हैं | इस मान्यता के निमित्त स्वरूप
कुछ विशिष्ट प्रकार की पूजा अर्चना इस समय की जाती है | इस पर्व का उद्देश्य भी
वही है जो पर्यूषण पर्व सहित सभी जैन पर्वों के साथ साथ अन्य भी समस्त भारतीय
परम्पराओं का है – कुछ समय के लिए अपने समस्त क्रियाकलापों से मुक्त होकर केवल धर्म और ज्ञान मार्ग का अनुसरण करते हुए संयम, त्याग, तप,
उपवास, परिष्कार, संकल्प, स्वाध्याय तथा आराधना के माध्यम से आत्मशुद्धि करते हुए मानवता के लिए आवश्यक सम्यक् चारित्र्य और सम्यक् दृष्टि का विकास करना |