हिन्दी पञ्चांग
गुरुवार, 22 नवम्बर 2018 – नई दिल्ली
विरोधकृत विक्रम सम्वत 2075 / दक्षिणायन
सूर्योदय
: 06:49 पर वृश्चिक में / अनुराधा नक्षत्र
सूर्यास्त
: 17:25 पर
चन्द्र राशि : मेष 23:35 तक, तत्पश्चात वृषभ
चन्द्र नक्षत्र : भरणी 17:50 तक, तत्पश्चात कृत्तिका
तिथि : कार्तिक शुक्ल चतुर्दशी 12:53 तक, तत्पश्चात कार्तिक शुक्ल पूर्णिमा व्रत / त्रिपुरारी
पूर्णिमा / बैकुण्ठ चतुर्दशी के व्रत का पारायण
करण : वणिज 12:53 तक,
तत्पश्चात विष्टि 24:04 तक, तत्पश्चात बव
योग : वरीयान 13:29 तक,
तत्पश्चात परिघ
राहुकाल : 13:25 से 14:45
यमगंड : 06:53 से 08:12
गुलिका : 09:30 से 10:49
अभिजित मुहूर्त : 11:46 से 12:29
अन्य :
बुध वृश्चिक में वक्री और अस्त / गुरु वृश्चिक में अस्त
विशेष : पूर्णिमा का व्रत रखने के लिए मान्यता है कि यह व्रत पूर्णिमा
के दिन भी किया जा सकता है और चतुर्दशी के दिन भी | किन्तु किस दिन किया जाना है
यह निर्भर करता है कि पहले दिन पूर्णिमा किस समय आरम्भ ही रही है और दूसरे दिन किस
समय तक रहेगी | यदि चतुर्दशी की मध्याह्न में पूर्णिमा आरम्भ होती है तो उस दिन
पूर्णिमा का व्रत किया जाता है | किन्तु यदि मध्याह्न के बाद किसी समय अथवा
सायंकाल में में पूर्णिमा आरम्भ होती है तो इस दिन पूर्णिमा का व्रत नहीं किया
जाता, क्योंकि ऐसा माना जाता
है कि इस स्थिति में पूर्णिमा में चतुर्दशी का दोष आ गया है | इस स्थिति में दूसरे
दिन ही पूर्णिमा का व्रत किया जाता है | गुरूवार को मध्याह्न से पूर्व 12:53 तक
चतुर्दशी है और उसके बाद 12:54 के लगभग पूर्णिमा तिथि का आगमन हो जाएगा | अतः
पूर्णिमा का व्रत गुरूवार को ही रखा जाएगा |