अभी बाहर बड़े अच्छे से आषाढ़ की बारिश हो रही है – आषाढ़ – जो अभी
और सप्ताह के बाद समाप्त हो जाएगा और श्रावण माह का आरम्भ हो जाएगा झमाझम बारिश के
साथ | पेड़ पौधों से झरती बरखा की बूँदें सुरीला राग छेड़ती तन मन को गुदगुदा रही
हैं | अभी पिछले दिनों ज्येष्ठ माह में जब चिलचिलाती धूप ने सबको बेहाल किया हुआ
था तब हर कोई आषाढ़ की एक बूँद की प्रतीक्षा कर रहा था | कितने मजेदार बात है न कि
जब गर्मी पड़ती है तो बारिश की बाट जोहते हैं, बारिश कई दिनों तक हो जाए
तो उसे भी परेशान हो जाते हैं और सर्दी की राह देखने लगते हैं | कहने का मतलब ये
कि किसी एक मौसम से मन सन्तुष्ट नहीं होता | लेकिन जो व्यक्ति हर मौसम का आनन्द
उठाना जानता है उसके लिए सारे मौसम एक सामान आनन्ददायक होते हैं | यही स्थिति जीवन
की भी है | जीवन में भी सुख दुःख धूप छाँव की तरह साथ साथ चलते रहते हैं | जो
व्यक्ति इस सबमें समभाव रहता हुआ जीवन व्यतीत करता है वास्तव में उसका जीवन ही
जीवन है | कुछ ऐसा ही इन रचनाओं में कहने का प्रयास किया है | प्रस्तुत है हमारी
आज की रचना – जेठ की चिलचिलाती धूप...