कमलपत्र पर गिरी हुई जल की कुछ बूँदें...
गर्मी के बाद आरम्भिक वर्षा में जल की अमृत बूँदें धरा सोख लेती है... परिणामतः
चारों ओर हरीतिमा फैल जाती है... लेकिन धरा को देखिये, मेघों से अमृतजल का दान लेती है... सारा
उपवन हरा भरा हो जाता है... पर पतझड़ के आते ही धरा उसकी ओर झुक जाती है और उपवन की
हरियाली सूख जाती है... ऐसे ही कुछ उलझे सुलझे भावों को लिए हैं ये पंक्तियाँ...
सुनने के लिए देखिये वीडियो... कात्यायनी...